hotaks444
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आधी रात को मेरी नीन्द खुली, मानसी पास में सो रही थी, उसके साइड में सुशीला!
सुशीला नींद में थी, उसकी चूचियाँ सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी. मेरा लंड उसे देख कर खड़ा होने लगा. मैं खुद सम्हाल नहीं पाया और मैं मानसी के ऊपर चढ़ गया और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
उसकी आँख खुल गयी और वो मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर बाद उसने अपने आप से ही मेरे लंड को चाटना चूसना शुरु कर दिया. उसके चूसने की आवाज से सुशीला की नीन्द खुल गयी और वो आँखें फाड़ कर देखने लगी. मैं सुशीला को ही देख रहा था.
मैंने मानसी को बिस्तर पर लिटा कर उसकी चूत में लंड घुसा कर धक्के लगाना शुरु कर दिया. धक्कों की गति तेज होती गयी, काफी देर तक मैं उसे पेलता रहा, फिर मैं झड़ गया और मैं उसके ऊपर लुढ़क कर सो गया.
अब मैंने सुशीला पर ध्यान नहीं दिया.
सुबह जब नीन्द खुली तो सुशीला नहाने जा रही थी. मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसकी गांड पर लंड घिसने लगा. उसने छूटने की हल्की सी कोशिश की पर छुट नहीं पाई. उसे पटा था कि उसे चुदना तो हो ही… बेटी की चार बार चुदाई देख कर उसकी चूत भी चुदाई के लिए मचल रही थी.
मैंने उसकी साड़ी खींच कर उतार दी, पेटीकोट ऊपर खिसका कर उसकी गाण्ड में एक उंगली डाल दी तो वो चिंहुक गयी. इस आवाज से मानसी जाग गयी और देखने लगी कि क्या चल रहा है.
मैं माम्न्सी की मम्मी की गांड में उंगली को आगे पीछे करने लगा और वो आँखें बंद करके सिसकारियां छोड़ने लगी. मैंने उसके चूतड़ पर एक झापड़ मार दिया तो वो मजा लेती लेती चिंहुक कर पीछे मुड़के मुझे देखने लगी। मैंने उंगली की स्पीड और बढ़ा दी और उसकी गांड उंगली से चोदने लगा।
फिर कुछ देर बाद आनन्द से उसकी आँखें बंद होने लगी। अब मैंने छोड़ दिया उसको और बंद कर दिया उंगली से चोदना!
सुशीला वहीं पर खड़ी रही और एक पल भी नहीं खिसकी वहाँ से …
मैं- देख रही हो मानसी तुम्हारी माँ को? कैसे रंडी बनकर चुदवाने के लिये खड़ी है.
मेरी बात सुन कर सुशीला शर्मा कर जब वहां से जाने लगी तो मैंने उसको पकड़ के वहीं बेड के ऊपर बैठा दिया और खुद उसकी जांघों के बीच बैठकर उसकी चूत में मुँह घुसा दिया।
वो सिसिया गयी … मैंने उसकी चूचियाँ ब्लॉउज के ऊपर से मसलनी आरम्भ कर दी तो वो और ज्यादा सिसकारने लगी।
मैंने मानसी की मम्मी की चूत चाटना जारी रखा, साथ में चूचियों को मसलना भी … उसको मजा आने लगा था। वो आँखें बंद करके आनन्द लेने लगी थी.
मैं मुँह उठा कर- क्यों मेरी सुशीला रानी? मजा आ रहा है?
वो कुछ नहीं बोली।
मैं- बोल … नहीं तो यहीं पर छोड़ रहा हूँ।
सुशीला- हाँ!
मैंने पूछा- हाँ क्या? खुल के बोल?
मैंने उसके चूतड़ों पर कसके एक थप्पड़ दिया और उसकी चूत चाटना शुरु कर दिया।
फिर रुक कर पूछा- बोल मेरी रानी? मजा आ रहा है या नहीं? मजा नहीं आ रहा तो छोड़ दूँ तुझे?
वो झिझकती हुई बोली- मुनीम जी, अच्छा लग रहा है, करते रहो! और चूसो!
मैं- अब आई ना रास्ते पर रंडी। बोल मैं रंडी हूँ, मुझे कसके चोदो!
और उसके चूतड़ों पर दो थप्पड़ जड़ दिए.
वो चिल्ला उठी उन थप्पड़ों के प्रहार से- हाँ, मैं रंडी हूँ! मुझे चोदो!
मैं- किससे।
सुशीला हाथ उठाकर- इससे।
मैं- नाम बताओ।
सुशीला- लंड से!
मैं- हाँ … थोड़ा आकर मेरे लंड को चूस साली रंडी … प्यार कर अपने यार को!
मानसी सारा खेल देख रही थी.
सुशीला नींद में थी, उसकी चूचियाँ सांस के साथ ऊपर नीचे हो रही थी. मेरा लंड उसे देख कर खड़ा होने लगा. मैं खुद सम्हाल नहीं पाया और मैं मानसी के ऊपर चढ़ गया और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
उसकी आँख खुल गयी और वो मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर बाद उसने अपने आप से ही मेरे लंड को चाटना चूसना शुरु कर दिया. उसके चूसने की आवाज से सुशीला की नीन्द खुल गयी और वो आँखें फाड़ कर देखने लगी. मैं सुशीला को ही देख रहा था.
मैंने मानसी को बिस्तर पर लिटा कर उसकी चूत में लंड घुसा कर धक्के लगाना शुरु कर दिया. धक्कों की गति तेज होती गयी, काफी देर तक मैं उसे पेलता रहा, फिर मैं झड़ गया और मैं उसके ऊपर लुढ़क कर सो गया.
अब मैंने सुशीला पर ध्यान नहीं दिया.
सुबह जब नीन्द खुली तो सुशीला नहाने जा रही थी. मैंने उसको अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसकी गांड पर लंड घिसने लगा. उसने छूटने की हल्की सी कोशिश की पर छुट नहीं पाई. उसे पटा था कि उसे चुदना तो हो ही… बेटी की चार बार चुदाई देख कर उसकी चूत भी चुदाई के लिए मचल रही थी.
मैंने उसकी साड़ी खींच कर उतार दी, पेटीकोट ऊपर खिसका कर उसकी गाण्ड में एक उंगली डाल दी तो वो चिंहुक गयी. इस आवाज से मानसी जाग गयी और देखने लगी कि क्या चल रहा है.
मैं माम्न्सी की मम्मी की गांड में उंगली को आगे पीछे करने लगा और वो आँखें बंद करके सिसकारियां छोड़ने लगी. मैंने उसके चूतड़ पर एक झापड़ मार दिया तो वो मजा लेती लेती चिंहुक कर पीछे मुड़के मुझे देखने लगी। मैंने उंगली की स्पीड और बढ़ा दी और उसकी गांड उंगली से चोदने लगा।
फिर कुछ देर बाद आनन्द से उसकी आँखें बंद होने लगी। अब मैंने छोड़ दिया उसको और बंद कर दिया उंगली से चोदना!
सुशीला वहीं पर खड़ी रही और एक पल भी नहीं खिसकी वहाँ से …
मैं- देख रही हो मानसी तुम्हारी माँ को? कैसे रंडी बनकर चुदवाने के लिये खड़ी है.
मेरी बात सुन कर सुशीला शर्मा कर जब वहां से जाने लगी तो मैंने उसको पकड़ के वहीं बेड के ऊपर बैठा दिया और खुद उसकी जांघों के बीच बैठकर उसकी चूत में मुँह घुसा दिया।
वो सिसिया गयी … मैंने उसकी चूचियाँ ब्लॉउज के ऊपर से मसलनी आरम्भ कर दी तो वो और ज्यादा सिसकारने लगी।
मैंने मानसी की मम्मी की चूत चाटना जारी रखा, साथ में चूचियों को मसलना भी … उसको मजा आने लगा था। वो आँखें बंद करके आनन्द लेने लगी थी.
मैं मुँह उठा कर- क्यों मेरी सुशीला रानी? मजा आ रहा है?
वो कुछ नहीं बोली।
मैं- बोल … नहीं तो यहीं पर छोड़ रहा हूँ।
सुशीला- हाँ!
मैंने पूछा- हाँ क्या? खुल के बोल?
मैंने उसके चूतड़ों पर कसके एक थप्पड़ दिया और उसकी चूत चाटना शुरु कर दिया।
फिर रुक कर पूछा- बोल मेरी रानी? मजा आ रहा है या नहीं? मजा नहीं आ रहा तो छोड़ दूँ तुझे?
वो झिझकती हुई बोली- मुनीम जी, अच्छा लग रहा है, करते रहो! और चूसो!
मैं- अब आई ना रास्ते पर रंडी। बोल मैं रंडी हूँ, मुझे कसके चोदो!
और उसके चूतड़ों पर दो थप्पड़ जड़ दिए.
वो चिल्ला उठी उन थप्पड़ों के प्रहार से- हाँ, मैं रंडी हूँ! मुझे चोदो!
मैं- किससे।
सुशीला हाथ उठाकर- इससे।
मैं- नाम बताओ।
सुशीला- लंड से!
मैं- हाँ … थोड़ा आकर मेरे लंड को चूस साली रंडी … प्यार कर अपने यार को!
मानसी सारा खेल देख रही थी.