Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी - Page 4 - SexBaba
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Indian Porn Kahani मेरे गाँव की नदी

गुड़िया जब फ्राक उतार रही थी तो भैया ने उसे पीछे से पकड़ रखा था और उसके नंगे पेट को धीरे से सहलाते जा रहे थे, उनका लंड तो गुड़िया की पेंटी के ऊपर से उसकी गाण्ड में घुसा जा रहा था, और गुड़िया उनके मस्त मोटे डण्डे का एह्सास साफ साफ अपनी गाण्ड और चुत में महसूस कर रही थी।
तभी गुड़िया ने फ्राक उतार दी और भैया ने उसकी नंगी पीठ को चुमते हुए उसे अपनी ओर घुमा लिया इस बार गुड़िया खुद अपने भैया के नंगे चौड़े सिने को देख कर अपनी दोनों टांगो को फैला कर भैया की कमर से चिपक गई और उसके मोटे मोटे कठोर दूध भैया के सिने से दब गये।
भैया ने गुड़िया को कस कर अपनी बांहो में भर लिया और उसे अपनी गोद में लिए उसकी मोटी जांघो को सहलाते हुए कहने लगे गुड़िया अब तू धीरे से जमीन पर पैर रख पानी तेरे गले तक ही आएगा, गुड़िया ने धीरे से निचे कदम रखा और अचानक उसका पैर एक पत्थर पर पड़ कर फिसल गया।
और गुड़िया ने मेरे हाथ को पकडने की कोशिश की तभी उसके हाथ में मेरा खड़ा लंड आ गया और फिर जल्दी से मैंने गुड़िया को पकड़ कर ऊपर उठाया और जब मैंने उसे अपनी ओर खिंचा तो गुड़िया के तरबुज मेरे हाथो से दब गये, हाय क्या ठोस चूचिया थी मै अपनी बहन के मोटे मोटे दूध के मस्त एह्सास से रोमांचित हो गया और मैंने गुड़िया के गालो को चुमते हुए कहा।
इतनी बड़ी हो गई है लेकिन किसी छोटे से बच्चे की तरह अपने भैया की गोद में चढ़ी है।
गुडिया : हाँ आप से तो छोटी ही हूँ, तो क्या आप अपनी बहन को अपनी गोदी में भी नहीं उठा सकते।
कालू : अच्छा उठा लुँगा पहले तू अच्छे से तैरना तो सीख।
गुडिया : मुझे नहीं सीखना तैरना आप तो मुझे अपनी गोद में उठाये हुए ही नहला दो।
 
कल्लु : अपने भैया के हाथ से नहा लेगी तु।
गुडीया : क्यों नहीं पहले जब मै छोटी थी तब भी आप मुझे नहलाते थे की नही।
कालू : गुड़िया के दूध को देखता हुआ गुड़िया की गुदाज जांघो को अपनी हंथेली में भर कर मसलता हुआ कहता है, अब तो तू पूरी जवान हो गई है।
अब भला मै तुझे कैसे नहला सकता हूँ।
गडिया : क्यों कभी कभी आप माँ को नहीं नहलाते हो। तो क्या माँ जवान नहीं है, वह तो और भी ज्यादा जवान है।
कालू : अरे कहा मै तो सिर्फ कभी कभी उनकी पीठ रगड देता हु बस।
गुडिया : भले ही पीठ रगडते हो पर माँ है तो मुझसे भी ज्यादा जवान और बड़ी है, गुड़िया ने महसूस किया की भैया से जब वह माँ की बात कर रही थी
तो वह अपने लंड को खूब तेजी से उसकी गाण्ड की दरार में दबा देते थे ऐसा लग रहा था जैसे अपनी बहन की गाण्ड चुत सब फाड देंगे।

कल्लु : अच्छा तू कहती है तो चल तेरी भी पीठ रगड देता हूँ। मै गुड़िया की नंगी पीठ को सहलाने लगा और जब मै उसकी बगल में पहुचता तो वह जान बूझ कर अपने हाथो को ऊपर कर देती और मै उसकी काँख को सहलाने लगता उसकी बगल में बारीक़ बारीक़ बाल उगे हुए थे।
गुडिया : भैया क्या माँ को भी तैरना आता है।
कालू : नहीं लेकिन थोड़ा बहुत तैर लेती है।
गुडिया : आपने माँ को क्यों नहीं सिखाया।
कालू : पहले कई बार सिखाया है।
गुडिया : क्या माँ को सीखने का मन नहीं करता था।
कालू : करता था मुझसे कहती भी थी लेकिन मै कभी उसके साथ नदी आता और कभी नहीं आता।

गुड़िया को भैया की बातो से भोंदुपने की झलक नजर आ रही थी, वैसे भी भैया की गोद में गुड़िया जैसा गरम माल थी। लेकिन वह ज्यादा कुछ कर नहीं रहे थे, पर यह तो था की लंड उनका यह सब समझ रहा था इसीलिए तबियत से तना हुआ था।
गुडिया : भैया अब पीठ ही रगडते रहोगे या यहाँ वह भी रगडोगे, लो मेरे सिने पर रगड़ो बहुत मैल हो गया है। और गुड़िया ने भी अन्जान बनते हुए अपने मोटे मोटे दूध भैया के मुह के सामने रख दिए, भैया काँपते हाथो से गुड़िया के दूध को छु रहे थे तभी गुड़िया ने उनके हाथ को अपने दूध पर दबा कर कहा भैया जरा रोज से रगड़ो नहीं तो मैंल कहा से निकलेगा।

गुड़िया का कहना था की भैया अब थोड़ा जोर से उसके मोटे मोटे थनो को रगडते हुए सहलाने लगा, पर फिर भी उनके हाथ में वह मर्दाना पकड़ नजर नहीं आ रही थी जो उसे चाहिये थी वह तो चाहती थी की भैया उसके मोटे मोटे आमो को खूब दबा दबा कर चुसे और खूब मसले, तभी उसने भैया से कहा भैया तुम माँ को तो बड़ी जोर जोर से रगडते हो फिर आज क्या हुआ है
जरा तेज रगडो।
कालू : गुड़िया तेरे दूध में मेल है ही कहा जो उन्हें रगड कर निकालूं।
भैया की बाते सुन कर गुड़िया को हसी आ गई और उसने कहा दूध के ऊपर का मेल नजर नहीं आता है जब रगडोगे तभी निकलेगा और यह रगडने से जब लाल हो जाएगे तो समझ लेना की इनका मैंल निकल गया है।
कालू भैया अब गीतिका के मोटे मोटे दूध को अब कस कस कर दबा रहे थे और कहने लगे गुड़िया वैसे मैंने माँ के दूध को कभी नहीं रगडा है मै तो सिर्फ उनकी पीठ कभी कभी रगड देता हु बस ।
गुडिया : आह हाय भैया अब तुम सही रगड रहे हो देखना कुछ देर में यह पूरे लाल हो जाएगे और इनका सारा मैल निकल जायेगा पर आप जरा अपने दोनों हांथो से रगडो, उसकी बात सुन कर कल्लु भैया उसके दूध को अब तबियत से मसलने लगा था।
 
कल्लु : गुड़िया एक बात बोलु।
गुडिया : आह सी वह क्या भैया।
कालू :तेरे दूध है तो माँ से छोटे लेकिन माँ के दूध से कितने ठोस और कठोर है।
गुडिया : माँ के दूध आपने दबा कर देखे है।
कालू : हाँ जब एक बार माँ को तैरना सीखा रहा था तब मैंने उनके दूध पकडे थे।
गुडिया : भैया माँ के दूध तो मुझसे भी खूब बड़े और मोटे मोटे है तुमने अच्छे से दबा कर नहीं देखा होगा। और कसावट भी बिलकुल मेरे दूध की तरह है उनके दूध तो देख कर ऐसा नहीं लगता की बाबा ने कभी उन्हें दबाया होगा।

कल्लु : क्या मतलब।
गुडिया : मुस्कुरा कर कुछ नहीं भइया, तुम्हे मेरे दूध ज्यादा अच्छे लगते है या माँ के।
कालू : मुझे तो तेरे ही दूध ज्यादा अच्छे लगते है।

भैया लगतार गुड़िया की गाण्ड में लंड दबाये जा रहे थे और अब उन्होंने उसके मोटे मोटे दूध को खूब कस कस कर खूब खींच खींच कर मसलना और दबाना शुरू कर दिया था उसकी चुत की फाँके अपने आप खुल गई थी और उसकी बुर पानी के अंदर ही पानी पानी हो रही थी।
गुड़िया: आह भैया कितने जोर जोर से दबा रहे हो।
कालू : मै इन्हे अच्छे से दबा कर इनका सारा मैंल निकाल दुँगा।
गुडिया : भैया इनका मैंल तो आह सी ओह भैया धीरे दबाओ इनका मैल तो निकल गया है।
कालू : तूने ही तो कहा था की जब तक खूब अच्छे से तेरे दूध लाल नहीं हो जाते इन्हे दबाते रहना है।
गुडिया : आह हाँ दबाओ लेकिन थोड़ा धीरे मसलो आप तो मेरे दूध पूरे नोच डाल रहे हो, अच्छा भैया और क्या अच्छा लगता है आपको मुझ मे।
कालू : तू जब जीन्स पहनती है तो मुझे बहुत अच्छी लगती है।
गुडिया ने अपनी गाण्ड भैया के लंड में इस बार कस कर दबाते हुए कहा मै सब जानती हु आपको मै जीन्स में अछि क्यों लगती हूँ।
कालू : क्योँ।

गुडिया : आह सी भैया मै जानती हु जब मै जीन्स पहनती हु तो मेरे चूतड़ बहुत बड़े बड़े नजर आते है और इसीलिए आपको मै अछि लगती ह, मेरी बात सुनते ही भैया ने एक हाथ से मेरी गुदाज जांघो को दबोचते हुए कहा।
तूझे कैसे पता की मुझे तेरे चूतड़ बहुत अच्छे लगते है
गुडिया : इसलिए की आप बार बार अपनी बहन के चूतडो को ही देख रहे थे।
कालू : दूध दबाते हुए हाँ यह तो तूने ठीक कहा वैसे गुड़िया सचमुच तेरे चूतड़ बहुत बड़े बड़े हो गए है दो चार महिने पहले तेरे चूतड़ इतने मोटे मोटे और चौड़े नहीं थे।
गुडिया : भैया लड़किया जैसे ही जवान होती है उनके चूतड़ सबसे पहले मोटे हो जाते है, माँ के चूतड़ तो और भी ज्यादा बड़े और चौड़े है, तुमने कभी माँ के चूतडो को नहीं देखा क्या।

कल्लु : गुड़िया की मोटी गाण्ड में लंड दबाते हुये, नहीं बस ऐसे ही घाघरे के ऊपर से ही देखा है।
गुडिया : अरे भैया माँ के चूतड़ तो बहुत बड़े है मेरे चूतडो से भी बहुत अच्छे और भारी दीखते है।
कालू : क्या तूने माँ के चूतडो को देखा है।
गुडिया : हाँ मैंने तो माँ को पूरी नंगी भी देखा है।
कालू : अच्छा तूने कब माँ को नंगी देख लिया।
गुडिया : मैंने तो माँ को कई बार नंगी देखा है वह तो नहाते समय या कपडे बदलते समय कई बार मेरे सामने नंगी हो चुकी है।
कालू : क्या बहुत मोटे मोटे चूतड़ है माँ के।
गुडिया : सच भैया तुम देख लोगे तो देखते ही रह जाओगे।
कालू : अब मै कैसे देखुंगा, माँ मुझे दिखा थोड़ी देगी।
गुडिया : मै तुम्हे दिखा सकती हु माँ के मोटे मोटे चूतडो को।
कालू भैया ने गुड़िया की गाण्ड में लंड दबाते हुए कहने लगे कैसे।
 
गुड़िया: भैया मै मोबाइल से फोटो खींच कर आपको दिखा सकती हूँ।
कालू : ठीक है लेकिन कब दिखायेगी।
गुडिया : कल ही दिखा दूंगी लेकिन तुम्हे मेरी भी एक बात माननी होगी।
कालू : वह क्या।
गुडिया : मुझे रात को तुम्हारे साथ बाहर खटिया पर सोना है।
कालू : माँ नहीं मानेगी।
गुडिया : माँ को मै मना लुंगी।
कालू : ठीक है।
गुडिया : अब देखो मेरे दूध कितने लाल कर दिए आपने अब चलो मुझे अपनी पेट से चिपका कर अब मेरी कमर का मैल भी निकाल दो।

आगे कहानी गुड़िया के शब्दों में- 

मै घुम कर अपन दोनों जांघो को फैला कर जैसे ही भैया के कमर पर चढ़ कर उनसे चिपकी भैया का मोटा लंड सीधे मेरे चुत के तने हुए दाने से भीड़ गया और मै सीसियते हुए अपने भैया की बांहो में चिपक गई, जाँघे फ़ैलाने से मेरी चूत की फाँके खुल गई थी और पेंटी के ऊपर से भैया का लंड मेरी चुत से भिड़ा हुआ था और अब भैया मेरी नंगी पीठ सहलाते हुए धीरे धीरे अपने हाथ को निचे ले गए और मेरी कमर को सहलाने लगे और जब उनका हाथ पेंटी के इलास्टिक पर पंहुचा तो उनका हाथ मेरी पेंटी के ऊपर से मेरी गाण्ड को हलके हलके दबाने लगा।

गुडिया : भैया पेंटी में हाथ डाल कर कमर का मैल निकालो ना।
भैया ने पेंटी के अंदर हाथ डाल कर जैसे ही मेरे मोटे मोटे चूतडो को दबोचा मै अपनी चुत भैया के मोटे लंड से रगडने लगी, भैया ने अपने हाथ को मेरी पेंटी के अंदर तक डाल कर जैसे ही मेरी गाण्ड को थोड़ा फैला कर मेरी गाण्ड के मोटे छेद को अपनी उंगलियो से सहलाया तो मै तो पागलो की तरह भैया को चुमने लगी
भैया : के गालो और होठो को जब मै चुमने लगी तो भईया की बीच की मोटी वाली ऊँगली की पकड़ मेरी गाण्ड के छेद में और ज्यादा हो गई और भैया की ऊँगली मेरी गुदा के छेद में उतरने लगी, भैया को मै जितना चुमती वह मेरी गाण्ड में और ज्यादा अपनी ऊँगली पेलने लगते, मै आह सी ओह भाईया करते हुए उनके सिने से अपने दूध को खूब दबाते हुए उन्हें चुम रही थी और भैया अपनी ऊँगली को मेरी मस्त गुदा में ठुश ठुश कर दबा रहे थे। मेरी गाण्ड के सुराख़ में ऊँगली पेल पेल कर भैया ने मेरी गाण्ड खूब मारी और इस तरह आधा घण्टा बीत गया, अब मैं पानी में भैया के ऊपर चढ़े चढ़े खूब चुदासी हो गई थी।
मेरी मस्त बुर में अब अपने भैया का मोटा लंड चाहिए था लेकिन भैया को देख कर ऐसा नहीं लग रहा था की वह इस जनम में मुझे चोद पायेगे, मैंने सोचा मुझे ही कोई तरक़ीब भिड़ानी पड़ेगी और मेरे दिमाग मै एक ख़याल आया।
 
बस फिर क्या था मै एक दम से पानी में कुद पड़ी और हलके से चिल्लाने लगी ओह भैया आह सी ओह
कालू : अरे क्या हुआ गुडिया।
मैने अपनी हथेली से अपनी चुत को दबाते हुए कहा ओह भईया यहाँ बहुत जलन हो रही है लगता है कुछ काट रहा है।
कालू : चल अच्छा पहले पानी से बाहर चल और भैया ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया, मै लगभग पूरी नंगी ही थी, मेरी पेंटी भी मेरे चूतडो से आधि उतरी हुई थी, भैया ने मेरी जांघो को अपने हाथो में भर रखा था और मेरी नंगी गाण्ड और मेरे चूतडो के दोनों पट खुल कर मेरी मस्त गुदा का नजारा दिखा रहे थे, मै लगतार अपनी चुत को भैया के सामने ही पेंटी के ऊपर से खुजला रही थी और सीसिया रही थी।

भैया ने मुझे नदी से बाहर निकाल कर जमीन पर बैठा दिया और कहने लगे कहा जलन हो रही है कोई कीड़ा तो नहीं काट रहा है, मैंने भैया को अपनी जाँघे फैला कर दिखाते हुए अपनी फुल्ली चुत को पेंटी के ऊपर से सहलाते हुए कहा भैया लगता है मेरी सुसु में कुछ घुस गया है और काट रहा है।
कालू : बड़े गौर से मेरी फुल्ली चुत को देखते हुए कहने लगे तू गुड़िया पेंटी साइड में करके देख न कही कोई कीड़ा न काट रहा हो।


मैने भैया की ओर देखा और एक नजर उनके धोती में खड़े लंड पर डाली मेरी चुत की नसें पूरी फुलने लगी और मैंने अपनी पेंटी साइड से पहले सरका कर अपनी मस्त चिकनी गुलाबी भोस अपने भैया को दिखाई और भैया मेरी मस्त गुलाबी भोस को आँखे फाड फाड देखने लगे, फिर मैंने अपनी गर्दन झुका कर अपनी चुत को देखा वह क्या मस्त फुल कर कुप्पा हो रही थी और फाँके पूरी खुल कर मेरे रसीले गुलाबी छेद को दिखा रही थी, मैंने अपनी चुत की फांको को भैया के सामने और खोल कर अंदर देखा लेकिन कुछ था तो नहीं पर मै जलन का नाटक करते हुए ओह भैया कुछ दिख नहीं रहा है मुझे लेकिन बहुत जलन हो रही है, आप देखिये न और मैंने अपने दोनों हांथो को पीछे जमीन पर टीका कर अपनी दोनों जांघो को खूब फैला कर अपनी मस्त चुत को ऊपर की ओर उभार लिया।
भैया पागलो की तरह कभी मेरे मोटे मोटे दूध कभी मेरा चिकना पेट और कभी मेरी पेंटी में से झाँकती रसीली चुत को देख रहे थे।
 
गुडिया : भैया देख क्या रहे हो पेंटी सरका कर देखो न क्या घुसा है मेरी चुत में बहुत जलन हो रही है।
मेरे इतना कहते ही भैया ने मेरी पेंटी को पकड़ कर साइड किया और फिर मेरी मस्त चुत की फांको को भैया ने फैला कर अपने मुह को मेरी मस्त भोस के पास ले जाकर देखने लगे मेरी बुर तो भैया के मोटे लंड को लेने के लिए बहुत तड़प रही थी, मैंने अपनी जांघो को खूब फैला दिया था तकि भैया को मेरी मस्त चुत पूरी तरह से खुल कर नजर आए, जब कुछ देर तक भैया मेरी भोस को फैला कर देख चुके तो उन्हें कुछ नजर नहीं आया, फिर भी वह अपनी नज़रो को मेरी बुर के अंदर घुसाए दे रहे थे।
गुडिया : भैया कुछ दिखा क्या।
कालू : नहीं गुड़िया मुझे तो कुछ दिखाई नहीं दे रहा है
गुडिया : मैंने अपनी चुत को भैया के सामने रगड कर कहा पहले देखो अच्छे से लाल दिख रही है की नही, भैया ने मुझे देखा तो मैंने अपने चेहरे पर दर्द समेट लिया और भैया ने मेरी चुत की फांको को फैला कर देखते हुए कहा है गुड़िया अंदर से काफी लाल नजर आ रही है।
गुडिया : भैया हाथ लगा कर बताओ न कहा पर लाल पड़ गई है मेरी चूत।
मेरे इतना कहने पर भैया ने मेरी चुत की फांको को फ़ैलाते हुए चुत के खड़े दाने से लेकर ऊँगली को जैसे ही चुत के छेद में डाला तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी बुर से पानी छूट पडेगा, मैंने भैया की ऊँगली को चूत के रसीले गुलाबी छेद में रखे देखा और भैया की ओर देखा तो कहने लगे गुड़िया ये यहाँ ज्यादा लाल हो गई है तेरी ए।

गुडिया : ऊँगली दबा कर देखो कही अंदर तक लाल तो नहीं है, मेरे कहने पर भैया ने मेरी चुत के रसीले गुलाबी छेद में अपनी ऊँगली थोड़ी अंदर तक सरका दी और मै मारे उत्तेजना के पागल हो रही थी ओह भैया आह सी है भैया यही दर्द हो रहा है आह सी।

भैया का हाथ पकड़ कर मैंने हटा दिया और कहा भैया कुछ करो बहुत जलन हो रही है।
कालू : गुड़िया मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है।
मेरी नजरे भैया के लंड पर थी जो की पूरी तरह तम्बू बनाये खड़ा था, मेरी चुत बहुत फुदक रही थी और मुझे पेशाब भी लगी थी, मैंने भैया से कहा भैया एक बार सुसु करके देखु शायद ठीक हो जाए।
कालू : हाँ हाँ यह तू ठीक कह रही है।
मैने भैया के सामने खड़ी होकर अपनी पेंटी उतार दी अब मै पूरी नंगी हो गई थी और मेरा गदराया बदन भैया की आँखों के सामने था। मै भैया के सामने ही उकडू बैठ गई और अचानक प्रेस्सर के साथ मुतने लगी, मेरी चुत से निकलता मूत देख कर भैया अपना थूक गटकने लगे और मेरी चुत को आखे फाड फाड देखने लगे, कुछ देर तक मै मुतती रही और फिर भैया से कहा भैया अब जरा मेरी चुत फैला कर देखो क्या अब भी उतनी ही लाल दिखाई दे रही है।
भैया सरक कर बैठ मेरे पास आए और मैंने अब अपनी जांघो को खूब फैला दिया और अपनी मस्त फुल्ली चुत उचकाते हुए भैया के मुह के पास ले आई अब मेरी चुत के साथ भैया को मेरी गाण्ड का छेद भी साफ नजर आ रहा था, भैया किसी बन्दर की तरह जैसे बन्दर सर के जुये देखता है बस उसी तरह भैया मेरी रसीली चुत की फांको को खूब फैला फैला कर देखने लगे और फिर उनहोने मेरी चुत की फांको को खूब खोलते हुए चुत के कटाव में ऊँगली फेरी और मै मस्त हो गई, भैया ने मेरी चुत के छेद में ऊँगली रख कर दबा दी और उनकी ऊँगली आधि से ज्यादा चुत के अंदर उतर गई और मै सीसीयाने लगी आह ओह भईया आह।
 
कल्लु : गुड़िया लगता है तेरी बेचारी छेद में कुछ है। इसीलिए यहाँ इतना लाल पड़ा हुआ है,।
गुडिया : आह भैया कुछ करो न ऐसा पहले भी एक बार मेरी चुत में खूब जलन मची हुई थी तब मेरी सहेली मोनिका मेरे साथ थी।
कालू : फिर उसने क्या किया था।
गुडिया : भैया उसने तो अपनी जीभ से जब मेरी चुत की फांको को और इस गुलाबी छेद को चाटा तब जाकर इसकी जलन कम हुई, लेकिन तुम थोड़े ही ऐसा करोगे।
कालू : क्यों नहीं करुँगा, मेरी बहन को इतनी तकलीफ है तो क्या मै तेरी इसको चाट भी नहीं सकता, मै भी चाट कर ठीक कर देता हूँ।

गुड़िया : क्या चाट कर ठीक कर दोगे।
कालू : तेरी इसको।
भैया ने ऊँगली रख कर मेरी चुत की ओर इशारा किया।
गुडिया : इसका नाम क्या है भइया, तुम गांव में इसको क्या बोलते हो।
कालू : मुस्कुराते हुये, तू बहुत बदमाश हो गई है जैसे तुझे पता न हो।
गुडिया : बताओ न भैया क्या बोलते हो तुम इसको।
कालू : गांव में तो इसको बुर कहते है।
गुडिया : अच्छा लेकिन मेरी सहेली तो इसे चुत कहती है।
कालू : हाँ गांव में कुछ लोग इसे चुत भी कहते है कई औरते भी जब गाली देति है तो इसे चुत कहती है।
गुडिया : कौन औरत गाली देते हुए इसको चुत कहती है।
कालू : सभी औरत, कई बार तो मैंने माँ और चाची को भी गाली देते हुए इसका नाम लेते हुए सुना है।
गुडिया : क्या गाली देते सुना है भईया।
कालू : अब मै तेरे सामने कैसे गाली दूँ।
गुडिया : मुसकुराकर दे दिजिये भइया, मै थोड़ी किसी को बताऊँगी की आपने मेरे सामने गाली दी।

कल्लु : अरे माँ और चाची कई बार ऐसी गली देती है जैसे चुत मरानी, रंडी चुदैल छिनाल इस तरह की गाली देती है।
मै भैया की बाते सुन कर पानी पानी हो रही थी और भैया मेरी चुत को अपने हाथो से सहलाते हुए उसे देख देख कर मुझसे बाते कर रहे थे।
गुडिया : और बताओ न भैया और क्या गाली देते है गांव में।
कालू : बहुत सारी गालिया है, अब तेरे सामने मै दूंगा तो क्या अच्छा लगेगा।
गुडिया : ऑफ हो भैया मै थोड़े किसी से कहूँगी की आप ने मेरे सामने गन्दी गन्दी गालिया दी और वैसे भी आप कौन सा मुझे गालिया दे रहे है आप तो मुझे भी गालिया देंगे तब भी मै किसी को नहीं कहुँगी, अब बताइए ना।
कालू : अरे गुड़िया गांव में तो बहुत गन्दी गालिया देते है।
गुडिया : कौन कौन सी।
कालू : यही मादरचोद बहनचोद।

भैया की गाली सुन कर मेरी चुत बहुत पनिया चुकी थी।
गुडिया : भैया एक बार मुझे गाली देकर बताइये ना।
कालू : बताया तो।
गुडिया : नहीं भैया मुझे गाली देकर बताइये ना।
कालू : तुझे मै कैसे गाली दे सकता हु तू तो मेरी बहन है।
गुडिया : आपने अभी तो एक बहन वाली गाली बताइ है।
कालू : वो तो दूसरे को कहते है।
गुडिया : क्यों अपनी बहन को नहीं कह सकता, एक बार मुझसे कहिये न प्लीज।
कालू : अच्छा बाबा कहता हु और फिर भैया ने मुझसे कहा बहनचोद।

भैया के मुह से अपने लिए गाली सुन कर मै चुत मराने के लिए तडपने लगी।
गुडिया : और भैया दूसरी वाली गाली भी दो ना।
कालू : मादरचोद।
गुडिया : भैया कब चाटोगे आप मेरी चुत बहुत जल रही है, मेरा इतना कहना था की भैया ने मेरी चुत की फांको को फैला कर चौड़ी करके मेरी चुत में अपनी लम्बी जीभ डाल कर मेरी रसीली चुत को चुसना शुरू कर दिया
 
मै तो मारे मस्ती के पागल हुई जा रही थी, हाय क्या चाट रहे थे भैया अपनी बहन की चुत सच में वह तो मोनिका से भी ज्यादा मजा दे रहे थे, पहले तो वह धीरे धीरे मेरी रसीली बुर को चाटते रहे और फिर उन्होंने मेरी चुत को खूब फैला कर खूब लम्बी लम्बी जीभ निकाल कर चुस्ने चाटने लगे और मै आह आह ओह भैया बहुत अच्छा लग रहा है तुमने तो सारा दर्द मिटा दिया और चाटिये और चूसिये ओह भैया मै मर जाऊंगी आह आह ओह ओह सी और फिर अचानक मेरे मुह से मस्ती के मारे गालिया निकलने लगी और मै अपने बड़े भैया को आह ओह करते हुए आह भैया तुम बहुत मादरर्चोद हो तुम बहनचोद हो ओह भाईया।
कितना अच्छा चाटते हो और चाटो खूब चुसो अपनी बहन की चूत, भैया पागलो की तरह मेरी रसीली बुर को चाटते जा रहे थे लेकिन उस समय मै बहुत उत्तेजित हो गई जब भैया ने मेरी रसीली चूत चाटते हुए मेरी गाण्ड के छेद को भी चाटना शुरू कर दिया मै तो मस्ती में पागल हुई जा रही थी, मेरी चुत खूब रस छोडती जा रही थी और भैया मेरे चुत के रस को पिते जा रहे थे, और मै पागलो की तरह भैया को अपनी जाँघे और फैला फैला कर अपनी चुत चटाये जा रही थी, भैया तब तक मेरी रसीली चुत को चाटते रहे जब तक की मेरी चुत ने ढेर सारा पानी भैया के मुह में छोड़ दिया और भैया मेरी पूरी चुत को मुह में भर कर खा जाने वाले अन्दाज में चुसते चाटते रहे ।मै अपनी चुत खूब उठा उठा कर भैया के मुह से घिस रही थी और भैया ने अपने दोनों हांथो से मेरे मोटे मोटे चूतडो को थामे हुए मेरी चुत पिए जा रहे थे
जब मै झड कर पस्त हो गई और मेरी चुत से ढेर सारा रस निकल कर भैया के मुह में चला गया तब भैया ने अपना मुह पोछते हुए मुझसे कहा।

कल्लु : गुड़िया अब कैसा है तेरा दर्द।
गुडिया : मुस्कुराते हुये, भैया अब कुछ ठीक लग रहा है दर्द काफी काम हो गया है।
कालू : एक बात कहु गुडिया।
गडिया : क्या।
कालू : तेरी चुत बहुत अच्छी है, बहुत अच्छा लगता है जब इसे चाटते है।
गुडिया : मुसकुराकर और इसकी ख़ुश्बू कैसी है।
कालू : कुछ सोच कर ख़ुश्बू पर तो मैंने गौर ही नहीं किया ।
गडिया : मुसकुराकर तो अब सूँघ कर देख लो।
मैने जब यह कहा तो भैया ने मेरी चुत को पास से सूँघा और कहने लगे गुड़िया इसकी ख़ुश्बू भी बहुत प्यारी है, लेकिन गुड़िया इसको चाटने में बहुत अच्छा लगता है।
भैया काफी खुल चुके थे, मैंने भैया की ओर नशीली नज़रो से देखा और कहा और चाटोगे, तब भैया ने हाँ में अपनी गर्दन हिला दी तब मैंने मुस्कुराते हुए उनकी ओर अपनी चुत उठा दी और उनसे कहा लो और चाट लो, आपको बहुत पसंद है न खूब जी भर कर चाटो, बस फिर क्या था भैया फिर से मेरी चुत को खूब फैला फैला कर चाटने लगे और मै फिर अपनी जांघो को खूब खोल कर उन्हें अपनी चुत पिलाने लगी, भैया मेरी चुत को इस बार बड़ी बेरहमी से खूब जीभ दबा दबा कर चूस रहे थे, उन्होंने मेरी चुत को खूब चाट चाट कर और खूब चूस चूस कर लाल कर दिया था बीच मै उन्होंने अपना मुह उठा कर मेरी ओर देखते हुए कहा।
गडिया तेरी चुत बहुत मस्त है, मै भैया की आँखों में जवानी के लाल डोरे देख रही थी वह किसी भूखे भेड़िये की तरह मेरी चुत को देख देख कर खा रहे थे। अब मुझे फिर से खूब मजा मिलने लगा और मै पूरी ताकत से अपनी मस्त चुत भैया के मुह पर रगडने लगी और थोड़ी देर में ही मेरे भैया ने मेरी चुत का रस खींच खींच कर सारा रस बाहर निकाल दिया, मै पस्त होकर वही लेट गई और भैया हाँफ्ते हुए मेरी गुदाज जवानी को देख रहे थे, अभी मै आगे के बारे में कुछ सोचती उससे पहले ही मेरी नजर चाची के खेतो की तरफ से चाची को चले आते हुए देखा, मै एक दम से घबरा गई और जल्दी से अपनी पेंटी पहनी और भैया को चाची के बारे में बताया, भैया ने भी अपनी धोती में बने तम्बू को छुपाते हुए ठीक किया और फिर मैंने फ्राक पहन ली और हम दोनों वहाँ से चल दिए ।
 
रास्ते में चाची मिली और हमें देख कर मंद मंद मुस्कुराते हुए पुछने लगी कहा से आ रहे हो, मैंने बताया हम नदी में नहाने आये थे, तब चाची मुसकुराकर यह कह कर चल दी की दोनों भाई बहन एक साथ नहा रहे थे क्या हम चाची की बात का कोई जवाब नहीं दे पाये और मै भैया से चिपक कर चलने लगी और भैया ने भी मेरे गले में हाथ डाल दिया, हम दोनों के चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव नजर आ रहे थे लेकिन जब हमारी नजरे मिलती तो और भी कुछ हमारी नजरे एक दूसरे से कह रही थी।

कल दिन में कल्लु भैया के साथ खेतो में गई और फिर वहाँ से चाची के खेतो में चली गई।
चाची : मुस्कुराते हुये, आ गीतिका बड़े सही टाइम पर आई है अभी घास काट के बस फुर्सत हुई हूँ।
गीतिका : चाची चाचा तो महिने में एक बार ही आते होंगे ना।
चाची : मुह बनाते हुये, उन्हें मेरा ख़याल ही कहा रहता है जो वह रोज रोज घर आए, खैर उनको मार गोली और एक बात तो बता।
गुडिया : क्या।

चाची : कल तू कल्लु के साथ नहाने गई थी ना।
गडिया : झेपते हुए हाँ गई थी आप मिली तो थी रास्ते में।
चाची : इसीलिए तो पूछ रही हु, सच सच बता तू नंगी होकर अपने भाई के साथ नहा रही थी ना।
जूडिया : एक दम शरमाते हुये। मंद मंद मुसकुराकर कहने लगी नहीं चाची मैंने कपडे पहने थे।
चाची : झूठ न बोल मैंने जब तुझे दुर से देखा था तब तो नंगी खड़ी थी और कल्लु तेरे सामने खड़ा हुआ था, अब मुझसे न छुपा मै किसी से कहूँगी थोड़े ही।

गुडिया : शरमाते हुए मुसकुराकर कहने लगी चाची तुम बहुत गन्दी हो कोई दूसरी बात करो।
चाची : कस कर गीतिका के मोटे मोटे दूध को पकड़ कर मसलते हुये, मुसकुराकर कहने लगी अच्छा गुड़िया परी तू खुद अपने भाई के सामने नंगी रहो और गंदी
मुझे कह रही है, कही अपने भैया का मोटा तगड़ा लंड तो नहीं ले लिया अपनी चूत में।

गुडिया : मुस्कुराकर चाची कुछ तो शर्म करो, मै आपकी बेटी जैसी हूँ।
चाची : बड़ी आई बेटी बनने वाली, इतनी बड़ी घोड़ी तो हो गई है अभी तबियत से तेरे चूतडो को दबा दबा कर तुझे अगर कोई चोद दे तो माँ बनने में देर नहीं लगेगी।
गुडिया : चाची अब चुप भी करो और यह सब बाते माँ से न कह देना।

चाची : अरे तू माँ की फिकर क्यों करती है और तेरी माँ भी कोई काम चुदासी नहीं है, उसके मोटे मोटे चूतडो को देखा है, उसके चूतडो को देख देख कर गाँव
के न जाने कितने मरद अपने लंड को मसलने लगते है।
गुडिया : यह तो तुम सच कह रही हो चाची माँ के चूतड़ तो वाक़ई बहुत बड़े बड़े है, मैंने भी कई बार गांव के बुढों तक को माँ की मोटी गाण्ड देख कर
अपने लंड को सहलाते हुए देखा है।
चाची : अरे बुढ्ढे तो बुढ्ढे जवान लोंडे भी तेरी माँ के चूतडो को फैला कर सूँघने के लिए मरे जा रहे है, तेरा भाई कल्लु भी इस मामले में कम नहीं है।
 
गुडिया : ये क्या बोल रही हो चाची भैया तो बहुत भोले है उन्हें देख कर लगता ही नहीं है की वह कुछ जानते भी होंगे।
चाची : अरे गुड़िया तू तो पागल है मैंने तो कल्लु को जब भी देखा है वह तेरी माँ की गाण्ड या चुत को ही देखने के जुगाड़ में रहता है कभी जब तेरी माँ खेतो में
काम करती है तब देखना तेरा भाई तेरी माँ के मोटे मोटे चूतडो और उसकी गुदाज गोरी गोरी मोटी जांघो को ही घूरता रहता है।

उस दिन चाची ने मेरी चुत में गन्दी बाते करके इतनी खुजलि पैदा कर दी की मै बैचैन होने लगी रत को खाना खाने के बाद मैंने माँ से बाहर कल्लु भैया के साथ
सोने की जिद की तो माँ ने कहा ठीक है सो जा लेकिन सुबह जल्दी उठ कर अंदर आ जाना, जवान भाई बहन एक ही खटिया में सो जाओगे तो गांव के लोग उल्टा सीधा कहने लगेगे।

मै माँ की बात समझ गई और खाना खा कर बाहर आ गई और कल्लु भैया के बगल मै बैठ गई, जब मैंने कल्लु भैया की नज़रो पर गौर किया तो पता चला वह मेरे कसे हुए मोटे मोटे आमो को ही देख रहे थे, लग रहा था जैसे वह अपनी बहन के मोटे मोटे आमो को अपने हांथो में भर कर खूब कस कस कर दबाना चाहते हो और अपनी बहन के रसीले आमो को चुसना चाहते है, मै यह सोच कर गरम हो गई और मेरी चुत में कुलबुलाहट होने लगी।

कल्लु : गुड़िया आज तेरे साथ नदी में नहाने में बड़ा मजा आया था।
गुडिया : हाय भैया मुझे भी बड़ा मजा आया।
कालू : अच्छा अब तेरे वहाँ दर्द तो नहीं है, भैया ने मेरी फुली हुई चुत की ओर इशारा करते हुए कहा।
गुडिया : अपने चेहरे पर बनावटी दर्द समेटते हुये, भैया सुबह जितना तो नहीं है पर थोड़ा दर्द अभी बाकि है।

कल्लु : तो फिर कैसे जायेगा तेरा दर्द।
गुडिया : मुस्कुराते हुये, लगता है आपको सुबह की तरह एक बार और अपनी बहन की चुत को चाटना पडेगा।
कालू : लेकिन गुड़िया यहाँ कोई देख लेगा तो अच्छा नहीं लगेंगा।

गुडिया : अभी थोड़ी देर रुक जाओ जब सब सो जाएगे तब अच्छे से चाट लेना।
कालू : पर माँ तो तुझे अंदर सोने को कहेगी तब।
गुड़िया : मैंने माँ से कह दिया है की मै कल्लु भैया के साथ सो जाती हु और वह मान गई है।
कालू : यह तूने ठीक किया, तभी माँ घर के बाहर आकर बाथरूम की ओर मुतने के लिए जाने लगी और उसके घाघरे से मटकती उसकी मस्त मोटी गाण्ड देख कर मैंने कल्लु भैया की ओर देखा जो माँ के चूतडो को खा जाने वाली नज़रो से घुर रहे थे।

मै मंद मंद मुस्कुराते हुए उन्हें देख रही थी
गीतिका : भैया कल नदी में नहाने में कितना मजा आया ना।

कल्लु : हाँ वो तो है। तू कोशिश करेगी तो जल्दी तैरना सीख जायेगी।
 
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