hotaks444
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“लगता है अम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं”अपनी अम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर ज़ाहिद को अंदाज़ा हुआ.
“मुझे जा कर अपनी अम्मी की मदद करने चाहिए” ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया.
“रुक जा इधर और अपनी अम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार” दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला. और ज़ाहिद अपने लंड की मान कर अपनी अम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा.
“ साले ज़ाहिद, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद ही चुके हो और अब अपनी ही सग़ी अम्मी को गुनाह भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर शाज़िया को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचे गी?” ज़ाहिद के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया. लेकिन चाहने के बावजूद ज़ाहिद के ज़हन से अपनी अम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था.
इसीलिए ज़ाहिद हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी अम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा.
ज़ाहिद को अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी अम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी.
अपनी अम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर ज़ाहिद का लंड एक बार फिर अपनी अम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था.
(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खास सलाहियत रखी है,कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है)
इसीलिए दूसरी तरफ रज़िया बीबी बे शक अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी.
मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी.
रज़िया बीबी बे शक ज़ाहिद की माँ थी. मगर माँ होने के साथ साथ रज़िया बीबी आख़िर कर एक औरत भी थी.
और हर औरत की तरह रज़िया बीबी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था.
अपनी जवानी और अपने शोहर की जिंदगी में रज़िया बीबी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था.
मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने रज़िया बीबी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बे दार कर दिया.
और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी. जिसे देख देख कर उस के बेटे ज़ाहिद की अपनी अम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी.
इधर जिस वक्त रज़िया बीबी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी.
तो दूसरी तरफ उसी वक्त शाज़िया किचन से निकल कर अपने भाई ज़ाहिद के कमरे की तरफ आई.
“मुझे जा कर अपनी अम्मी की मदद करने चाहिए” ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया.
“रुक जा इधर और अपनी अम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार” दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला. और ज़ाहिद अपने लंड की मान कर अपनी अम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा.
“ साले ज़ाहिद, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद ही चुके हो और अब अपनी ही सग़ी अम्मी को गुनाह भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर शाज़िया को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचे गी?” ज़ाहिद के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया. लेकिन चाहने के बावजूद ज़ाहिद के ज़हन से अपनी अम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था.
इसीलिए ज़ाहिद हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी अम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा.
ज़ाहिद को अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी अम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी.
अपनी अम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर ज़ाहिद का लंड एक बार फिर अपनी अम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था.
(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खास सलाहियत रखी है,कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है)
इसीलिए दूसरी तरफ रज़िया बीबी बे शक अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी.
मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी.
रज़िया बीबी बे शक ज़ाहिद की माँ थी. मगर माँ होने के साथ साथ रज़िया बीबी आख़िर कर एक औरत भी थी.
और हर औरत की तरह रज़िया बीबी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था.
अपनी जवानी और अपने शोहर की जिंदगी में रज़िया बीबी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था.
मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने रज़िया बीबी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बे दार कर दिया.
और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी. जिसे देख देख कर उस के बेटे ज़ाहिद की अपनी अम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी.
इधर जिस वक्त रज़िया बीबी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी.
तो दूसरी तरफ उसी वक्त शाज़िया किचन से निकल कर अपने भाई ज़ाहिद के कमरे की तरफ आई.