Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते - Page 16 - SexBaba
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Indian Porn Kahani वक्त ने बदले रिश्ते

“लगता है अम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं”अपनी अम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर ज़ाहिद को अंदाज़ा हुआ.

“मुझे जा कर अपनी अम्मी की मदद करने चाहिए” ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया.

“रुक जा इधर और अपनी अम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार” दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला. और ज़ाहिद अपने लंड की मान कर अपनी अम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा.

“ साले ज़ाहिद, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद ही चुके हो और अब अपनी ही सग़ी अम्मी को गुनाह भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर शाज़िया को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचे गी?” ज़ाहिद के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया. लेकिन चाहने के बावजूद ज़ाहिद के ज़हन से अपनी अम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था.

इसीलिए ज़ाहिद हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी अम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा.

ज़ाहिद को अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी अम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी.

अपनी अम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर ज़ाहिद का लंड एक बार फिर अपनी अम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था.

(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खास सलाहियत रखी है,कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है)

इसीलिए दूसरी तरफ रज़िया बीबी बे शक अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी.

मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी.

रज़िया बीबी बे शक ज़ाहिद की माँ थी. मगर माँ होने के साथ साथ रज़िया बीबी आख़िर कर एक औरत भी थी.

और हर औरत की तरह रज़िया बीबी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था.

अपनी जवानी और अपने शोहर की जिंदगी में रज़िया बीबी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था.

मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने रज़िया बीबी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बे दार कर दिया.

और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी. जिसे देख देख कर उस के बेटे ज़ाहिद की अपनी अम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी.

इधर जिस वक्त रज़िया बीबी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी.

तो दूसरी तरफ उसी वक्त शाज़िया किचन से निकल कर अपने भाई ज़ाहिद के कमरे की तरफ आई.
 
जब शाज़िया आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची.

तो उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी. जो इस वक्त चाहिए का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी अम्मी के गरम वजूद को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था.



जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था.

शाज़िया कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी. वहाँ से वो अपने भाई ज़ाहिद के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी. मगर ज़ाहिद के कमरे या स्टोर में मौजूद उस की अम्मी को शाज़िया की बरामदे में मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था.

“ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है” ज्यों ही कमरे के बाहर से शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी. तो उसे अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ. और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी अम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर ठहरने में मसरूफ़ रहा.

दूसरी तरफ शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और खड़े हुए लंड से अपनी नज़रें हटा कर अपने भाई के चेहरे पर अपनी निगाह डाली. तो उस ने अपने शोहर/भाई को अपने कमरे से बाहर देखते हुए पाया.

“देखूं तो सही मेरे भाई का लंड,मेरे भाई का लंड आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला” शाज़िया के दिल में ख्याल आया.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं.तो ज़ाहिद की तरह शाज़िया की नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी. जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में मसरूफ़ थी.

अपनी अम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.

“उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे शोहर का लंड मेरी सास, और अपनी सग़ी अम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है” शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही दुबारा अपने भाई के खड़े हुए लंड पर पड़ीं. तो अपने भाई ज़ाहिद की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर शाज़िया को यकीन नही हो रहा था कि वो जो देख रही है. वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है.

इसी दौरान ज़ाहिद अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा .तो शाज़िया की नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी अम्मी की तरफ गई.

इधर रज़िया बीबी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे ज़ाहिद की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी.

अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख रज़िया बीबी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी. और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर रज़िया बीबी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद का ध्यान रज़िया बीबी से हटा. तो स्टोर में मौजूद रज़िया बीबी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने ज़ाहिद के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई ..

इस के साथ रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो रज़िया बीबी के मुँह से एक “सिसकी” सी निकल गई.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये तो उसी सिसकी की आवाज़ है जो मेने कुछ दिन पहले ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते सुनी थी” अपनी अम्मी को यूँ अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर शाज़िया ने सोचा और अपनी अम्मी की इस हरकत पर शाज़िया हैरतजदा हो गई.जब शाज़िया आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची.

तो उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी. जो इस वक्त चाहिए का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी अम्मी के गरम वजूद को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था.



जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था.

शाज़िया कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी. वहाँ से वो अपने भाई ज़ाहिद के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी. मगर ज़ाहिद के कमरे या स्टोर में मौजूद उस की अम्मी को शाज़िया की बरामदे में मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था.

“ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है” ज्यों ही कमरे के बाहर से शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी. तो उसे अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई.

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ. और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी अम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर ठहरने में मसरूफ़ रहा.

दूसरी तरफ शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और खड़े हुए लंड से अपनी नज़रें हटा कर अपने भाई के चेहरे पर अपनी निगाह डाली. तो उस ने अपने शोहर/भाई को अपने कमरे से बाहर देखते हुए पाया.

“देखूं तो सही मेरे भाई का लंड,मेरे भाई का लंड आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला” शाज़िया के दिल में ख्याल आया.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं.तो ज़ाहिद की तरह शाज़िया की नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी. जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में मसरूफ़ थी.

अपनी अम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.

“उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे शोहर का लंड मेरी सास, और अपनी सग़ी अम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है” शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी.

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही दुबारा अपने भाई के खड़े हुए लंड पर पड़ीं. तो अपने भाई ज़ाहिद की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर शाज़िया को यकीन नही हो रहा था कि वो जो देख रही है. वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है.

इसी दौरान ज़ाहिद अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा .तो शाज़िया की नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी अम्मी की तरफ गई.

इधर रज़िया बीबी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे ज़ाहिद की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी.

अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख रज़िया बीबी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी. और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर रज़िया बीबी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी.

इसीलिए ज़ाहिद का ध्यान रज़िया बीबी से हटा. तो स्टोर में मौजूद रज़िया बीबी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने ज़ाहिद के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई ..

इस के साथ रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो रज़िया बीबी के मुँह से एक “सिसकी” सी निकल गई.

“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ये तो उसी सिसकी की आवाज़ है जो मेने कुछ दिन पहले ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते सुनी थी” अपनी अम्मी को यूँ अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर शाज़िया ने सोचा और अपनी अम्मी की इस हरकत पर शाज़िया हैरतजदा हो गई.
 
शाज़िया तो कभी अपने ख्वाब में भी अपनी अम्मी से इस किसम की हरकत की तवक्को नही कर सकती थी. इसीलिए अपनी खुली आँखों से अपने सामने अपनी अम्मी को यूं अपनी फुद्दि की रगड़ते देख कर शाज़िया का मुँह हैरत के मारे खुले का खुला रह गया.

“इस का मतलब है कि ये अम्मी ही थी जो उस दिन मुझे और ज़ाहिद को चुदाई करते देखती रही है” शाज़िया के जेहन में दूसरा ख्याल आया.

“अच्छा तो ये बात है कि मेरे गर्भ ठहरने के बाद ज़ाहिद भाई और अम्मी अब एक दूसरे के लिए गरम होने लगे हैं” अपने भाई/शोहर को यूँ अपनी अम्मी की मोटी गान्ड के लिए,और फिर अपनी अम्मी को अपने जवान बेटे के लंड के लिए आज पहली बार यूँ इतना गरम होता देख कर शाज़िया को अपनी अम्मी से एक जलन सी महसूस हुई और शाज़िया बे इंतिहा गुस्से में आ गई.

हर शादी शुदा औरत की तरह शाज़िया भी अपने शोहर/भाई को किसी भी दूसरी औरत के साथ शेयर करना किसी हाल में भी कबूल नही कर सकती थी. चाहिए वो दूसरी औरत उस की अपनी सग़ी अम्मी ही कियूं ना हो.

इसीलिए शाज़िया अब कमरे के बाहर खड़ी गुस्से में लाल पीली हो रही थी.

“इस से पहले कि में गुस्से में आ कर कुछ ग़लत काम कर बैठू, मुझे इधर से हट जाना चाहिए” शाज़िया ने अपने गुस्से को अपने दिमाग़ में काबू करते हुए सोचा. और दबे पावं चलती हुई किचन की तरफ चली गई.

दूसरी तरफ ज़ाहिद को कोर्ट जाने में देर हो रही थी. इसीलिए उस ने भी जल्दी से अपनी चाय ख़तम की और अपनी शर्ट पहन कर बाहर निकल गया.

जब कि इस दौरान रज़िया बीबी भी स्टोर से निकल कर अपनी पानी छोड़ती चूत को सॉफ करने के लिए बाथरूम में घुस गई.

उस रात रज़िया बीबी तो अपने बिस्तर पर लेटते ही सो गई. मगर दिन में पेश आने वाले वाकये की वजह से आज की रात नींद तो शाज़िया की आँखों से जैसे बहुत दूर भाग गई थी.

शाज़िया इस वक्त गुस्से से भरी हुई अपने बिस्तर पर लेट कर बार बार करवटें बदल रही थी.और उस के दिमाग़ में इस वक्त कई तरह की सोचें एक साथ जनम ले रहीं थी.

अपनी इन ही सोचो में गुम हो कर शाज़िया को अपने और अपने भाई ज़ाहिद के दरमियाँ शादी से पहले होने वाली बात चीत याद आ गई.

शाज़िया को अपने भाई से अपनी जहली शादी से पहले ये डर लगा हुआ था. कि कहीं ज़ाहिद उस से शादी के बाद भी उस की सहेली नीलोफर से भी अपने ताल्लुक़ात कायम ना रखे.

इसी लिए शाज़िया ने अपने भाई से वादा लिया था. कि ज़ाहिद उसे अपनी बीवी बनाने के बाद नीलोफर से किसी किस्म के जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम नही रखे गा.

अपने भाई से अपनी झेली शादी के बाद शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद के वादे पर यकीन करते हुए अपने शोहर/भाई के प्यार में पूरी तरह अंधी हो गई थी.

फिर अपनी सहेली नीलोफर के मलेशिया चले जाने के बाद शाज़िया ने तो अब कभी इस बात का तसव्वुर भी नही किया था . कि उस का भाई ज़ाहिद उस से अब कभी बे वफ़ाई करे गा.

लेकिन आज जब से शाज़िया ने अपनी आँखों से अपने भाई के लंड को अपनी ही सग़ी अम्मी रज़िया बीबी के लिए खड़ा हुआ देखा था. तो उस वक्त से ले कर अभ आधी रात तक शाज़िया के दिल में ज़ाहिद के बारे में बे इंतिहाई गुस्सा जब कि अपनी अम्मी से जलन हो रही थी.

“मेरा बॅस चले तो में या तो अम्मी को घर से निकाल दूं,या फिर खुद भाई ज़ाहिद को साथ ले कर अलग घर में मूव हो जाऊ” गुस्से में अपने दाँतों को पीसती हुए शाज़िया के दिल में ख्याल आया.

आज अपनी अम्मी रज़िया बीबी को अपने ही बेटे ज़ाहिद के लिए गरम हो कर यूँ अपनी फुद्दि पर अपना हाथ रगड़ते हुए देख कर शाज़िया को अपनी अम्मी से जैसे नफ़रत सी होने लगी थी.

मगर इस के साथ शाज़िया के दिमाग़ में वो वक्त आ गया. जब उस के मेरहूम अब्बू की लाश उन के घर में आई थी.

शाज़िया सोचने लगी कि उन की अम्मी रज़िया बीबी उस वक्त जवान ही थी. जब उस के अब्बू पोलीस मुक़ाबले में गोली लगने से मर हो गये थे.

अगर उस की अम्मी रज़िया बीबी चाहती. तो अपने शोहर की वफात के बाद या तो दूसरी शादी कर लेती. या फिर अपनी जवानी की आग को बुझाने के लिए किसी गैर मर्द का सहारा ढूंड सकती थी.

मगर उस की अम्मी ने अपनी जवानी के जज़्बात को भुला कर अपना ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बच्चो की परवरिश पर कर दिया था.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ मेने आज तक इस बारे में तो कभी सोचा तक नही” ज्यों ही शाज़िया के दिल में अपनी अम्मी की गुज़शता ज़िंदगी के बारे में ये ख्याल आया. तो शाज़िया के दिल में अपनी अम्मी के मुतलक जनम लेने वाला गुस्सा थोड़ा कम पड़ने लगा.

इस के साथ ही साथ शाज़िया को अपनी तलाक़ के बाद का वक्त भी याद आने लगा.

अपनी तलाक़ के बाद शाज़िया को अच्छी तरह अंदाज़ा हो गया था. कि एक जवान औरत के जिस्म की आग कितनी शदीद होती है.
 
जवान जिस्म और चूत की ये आग एक औरत को रात की तेन्हाई में कैसे और कितना तंग करती है. ये बात शाज़िया बहुत अच्छी तरह जान चुकी थी.

“अपनी अम्मी पर गुस्सा होने से पहले,तुम वो वक्त याद करो शाज़िया, जब तुम्हें अपनी तलाक़ के बाद एक जवान लंड की शदीद तलब हो रही थी, उस टाइम नीलोफर के साथ साथ अगर तुम्हारी सग़ी अम्मी तुम्हारी हेल्प ना करतीं,तो तुम्हारे अपने ही सगे भाई का इतना मोटा और सख़्त लंड कभी नसीब ना होता” शाज़िया के जेहन में ये ख्याल आया. तो शाज़िया को अपनी अम्मी के मुतलक अपनी सोचो पर खुद से शरम आने लगी.

“अभी तो मेरा हमाल ठहरे एक महीना भी नही हुआ और फुद्दि के बगैर ज़ाहिद भाई की हालत खराब होने लगी है,अगर ये ही हालत रही और मेरा बच्चा होने तक ज़ाहिद भाई ने बाहर किसी दूसरी औरत से अपने ताल्लुक़ात कायम कर लिए तो फिररर्र्र्र्र्ररर?” शाज़िया चूँकि अपनी ज़िंदगी में एक दफ़ा तलाक़ का लेबल अपने माथे पर लगवा चुकी थी.

इसीलिए अब दुबारा एक मोटे और मज़बूत लंड से दूर होने का तसव्वुर भी शाज़िया के लिए मोहाल था. इसी लिए शाज़िया इस बात को सोच कर ही कांप गई.

“अगर में अपनी जवानी की आग के हाथों मजबूर हो कर अपनी जवानी अपने ही भाई को सोन्प सकती हूँ, तो फिर ये ही काम अगर मेरी अम्मी अपने सगे बेटे से कर ले तो इस में हरज ही क्या है,वैसे भी चूत तो चूत होती है, चाहे वो बहन की चूत हो या अम्मी की,और लंड तो लंड ही होता है,चाहे वो सगे भाई का हो या सगे जवान बेटे का” शाज़िया अपने भाई से शादी के बाद ज़ाहिद से एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त नही कर सकती थी.

और अब ये अपने भाई ज़ाहिद से जुदाई का ख़ौफ़ ही था. जिस ने शाज़िया को अब अपनी ही सग़ी माँ को अपने ही भाई/शोहर से शेयर करने पर आमादा कर लिया था.

शाज़िया के दिल और मन ने ज्यों ही इस ख्याल ने जनम लिया. तो इस ख्याल को अपने जहाँ में लाते ही शाज़िया की मोटी फुद्दि नीचे से गरम होने लगी.

“हाईईईईईईईई अगर मेरा भाई मेरी फुद्दि में अपना लंड डाल कर मुझे अपनी बीवी का दर्जा दे सकता है, तो फिर वो अम्मी को चोद कर उन्हे मेरी सौतन भी बना सकता है” अपनी ही सग़ी अम्मी को अपनी सोतन बनाने का ख्याल दिल में आते ही शाज़िया की चूत इतनी गरम हुई. के बिना हाथ लगाए शाज़िया की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया.

ज्यों ही शाज़िया की चूत ने अपनी पानी छोड़ा. तो शाज़िया को यूँ लगा जैसे अपने भाई ज़ाहिद के लिए उस का दिल में भरा हुआ गुस्सा . और अपनी अम्मी रज़िया बीबी के लिए उस के दिल में जनम लेने वाली नफ़रत और जलन उस की चूत के पानी के साथ बह कर उस के जिस्म से बाहर निकल गई हो.

आज अपनी चूत को छुए बगैर ही अपनी फुद्दि के पानी को यूँ रिलीस करने का ये तजुर्बा इतना अच्छा था. कि शाज़िया फॉरन अपने आप को पुरसकून महसूस करने लगी. जिस की वजह से वो चन्द लम्हों में ही मीठी नींद सो गई.

दूसरे दिन जब शाज़िया सो कर उठी तो वो अपने आप को बहुत हल्का फूलका महसूस कर रही थी. मगर इस के साथ साथ शाज़िया को अभी तक ये समझ नही आ रहा थी. कि वो रात अपने ज़हन में आने वाले ख्याल को अमली जामा कैसे और कब पहना सके गी.

नीद से फ्री होने के बाद शाज़िया कुछ देर बिस्तर पर पड़ी ये ही बात सोचती रही. जब शाज़िया के जहाँ में कोई आइडिया ना आया. तो उस ने उठ कर सब से पहले नाश्ता करने का सोच लिया.

नाश्ते से फारिग होने के बाद शाज़िया ने सोचा कि क्यों ना आज वो अपने,ज़ाहिद भाई और अम्मी के कपड़े धो ले.

शाज़िया ने पहले अपने और अपने भाई के कपड़े इकट्ठे किए और उन को उठा कर बास्केट में रखा. और फिर वो अपनी अम्मी के कमरे में आ कर अपनी अम्मी रज़िया बीबी के गंदे कपड़ों को उठा उठा कर गंदे कपड़ों की टोकरी में डालने लगी.

जब शाज़िया अपनी अम्मी के एक एक कपड़े को टोकरी में रख रही थी.



तो उसे अपनी अम्मी का देसी स्टाइल का एक सफेद(वाइट) ब्रेज़र नज़र आया.जो कि काफ़ी दफ़ा इस्तेमाल होने की वजह से अब काफ़ी पुराना हो चुका था.

“एक तो अम्मी की समझ नही आती,ना जाने क्यों वो अपने लिए नये अंडर गारमेंट्स खड्रीदना पसंद नही करतीं” अपनी अम्मी का ये पुराना ब्रेज़ियर देख कर शाज़िया ने सोचा.

“मेने आज बाज़ार तो जाना ही है,इसीलिए में खुद आज अपनी अम्मी के लिए कुछ नये ब्रेज़र्स और पॅंटीस खदीद लूँ गी” शाज़िया ने अपनी अम्मी के उस पुराने ब्रेज़ियर को ढोने की बजाय उठा कर ट्राश की बास्केट में फैंकते हुए सोचा.और उस के बाद वो बाकी के कपड़े ढोने में मसरूफ़ हो गई.

शाम को जब ज़ाहिद घर वापिस आया तो शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद को साथ ले कर शॉपिंग करने निकल पड़ी.

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया को ले कर रावलपिंडी के सदर बाज़ार में आया. और उस ने एक बहुत बड़े शॉपिंग स्टोर के सामने अपनी मोटर साइकल पार्क कर दी.

मोटर साइकल को लॉक करने के बाद दोनो बहन भाई एक साथ उस शॉपिंग स्टोर के अंदर चले गे.

“अब बताओ क्या लेना है मेरी जान ने” स्टोर में एंटर होते ही ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया से सरगोशी की.

“भाई मुझे कुछ नये अंडर गारमेंट्स और चन्द और चीज़े लेनी हैं” शाज़िया ने आहिस्ता से अपने भाई की बात का जवाब दिया.

ज़ाहिद ने स्टोर में काम करने वाले एक आदमी से लॅडीस सेक्षन का पूछा. और फिर अपनी बहन को साथ ले कर स्टोर की उपर वाली मंज़ल पर बने हुए लॅडीस सेक्षन में चला आया.
 
उपर की मंज़िल पर आते ही शाज़िया और ज़ाहिद ने देखा के लॅडीस सेक्षन होने की वजह से उधर लॅडीस का काफ़ी रश था.

जब कि उस सेक्षन में काम करने वाली सारी वर्कर्स भी लॅडीस ही थी. जो कि स्टोर के इस हिस्से में काफ़ी रश होने की वजह से सारी की सारी अपनी अपनी कस्टमर्स के साथ बसी थी.

शाज़िया और ज़ाहिद अभी उपर आ कर खड़ी ही हुए थे.के एक सेल्स गर्ल उन के पास आई और बोली “ जी में आप की क्या हेल्प कर सकती हूँ मेडम”

“मुझे कुछ अंडर गारमेंट्स लेने हैं” शाज़िया ने उस लड़की को जवाब दिया.

“मेडम आप अपने शोहर के साथ उस दूसरे कोने में जेया कर अंदर गारमेंट्स सेलेक्ट कर लो,में एक कस्टमर को फारिग कर के आप के पास आती हूँ” उस सेल्स गर्ल ने शाज़िया से कहा और फिर अपने पहले कस्टमर से डील करने वापिस चली गई.

जब ज़ाहिद और शाज़िया सेल्स गर्ल के बताए हुए सेक्षन में पहुँची.



तो इस सेक्षन में आते ही दोनो बहन भाई की नज़र खुले आम लटके हुए इंपोर्टेड किस्म के बहुत प्यारे और सेक्सी अंडर गारमेंट्स पर पड़ी.

“अच्छा अब जो तुम्हारा दिल चाहे वो खदीद लो मेरी जान” ज़ाहिद ने स्टोर में लटके हुए लॅडीस अंदर गारमेंट्स की तरफ इशारा करते हुए अपनी बहन से कहा.

“आप ने शादी से पहले मुझे जो ब्रेज़ियर और पैंटी गिफ्ट की थी,वो मुझे बहुत पसंद आई थी,इसीलिए में चाहती हूँ कि आप आज फिर अपनी ही पसंद के अंडर गारमेंट्स सेलेक्ट करो जान” शाज़िया ने बड़े प्यार से अपने भाई से आहिस्ता आवाज़ में कहा.

“तो चलो आज में खुद अपनी जान के लिए ब्रेज़र्स और अंडरवेअर पसंद करता हूँ” अपनी बहन की बात सुन कर ज़ाहिद का लंड अकड़ने लगा. और फिर ज़ाहिद बड़े शौक से अपनी बहन के लिए अंडरवेअर और ब्रज़ियर्स सेलेक्ट करने लगा.

“अच्छा ये देखो, ये केसी हैं” ज़ाहिद ने चुन चुन कर चन्द एक निहायत सेक्सी किस्म की पैंटी और ब्रेज़ियर अपनी बहन के लिए पसंद कीं. और फिर अपनी बहन शाज़िया से उन अंडर गारमेंट्स के बड़े में उस की राय पूछने लगा.

“उफफफफफ्फ़ ये तो बहुत ही सेक्सी किस्म के अंडर गारमेंट्स हैं,इन में छुपे गा क्या भाईईईईईईईई” शाज़िया अपने भाई की पसंद की गई पुशप ब्राइज़ेर्स और थॉंग पैंटी को देख कर शरमा गई. और आहिस्ता से अपने भाई से बोली.

“ मेरी जान मज़ा तो वो ही ब्रेज़ियर और पैंटी पहनने में है,जो छुपाए कम और दिखाए ज़्यादा” ज़ाहिद ने एक शैतानी मुस्कराहट के साथ अपनी बहन शाज़िया के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा.

“अगर आप को ऐसे ही ब्राज़ीएर्स और पैंटी पसंद हैं तो फिर ठीक है भाई” शाज़िया ने अपने भाई की बात का जवाब दिया. और फिर उन पॅंटीस और ब्रा के कोनो पर लगे हुए टॅग नंबर्स नोट करने लगी.

शाज़िया ज्यों ही अंडर गारमेंट्स के नंबर नोट कर के फारिग हुई. तो सेल्स गर्ल दुबारा से उन दोनो बहन भाई के पास चली आई और बोली “ जी मेडम अगर आप ने कोई अंडर गारमेंट्स पसंद कर लिए हैं तो मुझे बता दो,ताकि में उन को आप के लिए पॅक कर दूँ”

“मुझे इन नंबर्स के अंडर गारमेंट्स निकाल दो प्लीज़” शाज़िया ने सेल्स गर्ल से कहा.

“ठीक है मेडम,आप को ये नंबर्स किस साइज़ में चाहिए” सेल्स गर्ल ने शाज़िया से पूछा.

“जी मुझे ब्रेजियर्स 42ड्ड और पॅंटीस लार्ग साइज़ में दे दो,और साथ ही साथ एक अच्छी किसम की हेर रिमूविंग क्रीम भी पॅक कर दो” शाज़िया ने सेल्स गर्ल की बात का जवाब दिया.

“आप काउंटर पर चलो, में आप की सब चीज़े अभी आप के लिए पॅक कर के लाती हूँ” सेल्स गर्ल ने शाज़िया के बताए हुए अंडर गारमेंट्स के नंबर्स और साइज़ नोट किए और वहाँ से चली गई.
 
इधर ज्यों ही अपनी बहन शाज़िया के पास खड़े हुए ज़ाहिद ने अपनी बहन के मुँह से 42ड्ड साइज़ सुना. तो वो हैरान हो कर अपनी बहन के मुँह की तरफ देखने लगा.

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया से अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम करने से पहले ही ये बात अच्छी तरह जानता था. कि उस की बहन शाज़िया के ब्रेज़ियर का नंबर 40ड्ड है.

इसीलिए अब अपनी बहन के बाते हुए साइज़ को सुन कर ज़ाहिद को बहुत हैरत हुई. और सेल्स गर्ल के पड़े जाते ही वो फॉरन अपनी बहन से हल्की आवाज़ में मुखातिब हुआ “शाज़िया तुम्हारे मम्मो का साइज़ तो 40ड्ड है जब कि तुम ने ऑर्डर 42ड्ड का दिया है क्यों??”.

“वो भाई असल में ये ब्राज़ीएर्स और पॅंटीस में अपने लिए नही खरीद रही” सेल्स गर्ल को साइज़ बताने के बाद शाज़िया अपने भाई से इसी सवाल की तवक्को कर रही थी. इसीलिए उस ने भी एक हल्की आवाज़ में अपने भाई की बात का फॉरन जवाब दिया.

“अच्छा अगर तुम ने ये अपने लिए नही खरीदने, तो फिर और किस के लिए खरीद रही हो,और पर्सो ही तो मेने तुम्हें हेर क्रीम ला कर दी है,और तुम आज फिर दुबारा वो ही चीज़ खरीद रही हो,क्यों??” ज़ाहिद अपनी बहन के जवाब पर मज़ीद हैरत जदा हुआ. और बड़े इश्तियाक से अपनी बहन से दुबारा पूछा.

“वो असल में आज मेने कपड़े धोने के दौरान अम्मी का ब्रेज़ियर देखा, जो काफ़ी पुराना हो चुका था,इसीलिए सोचा क्यों ना आज अम्मी के लिए नई ब्रेजियर्स और पैंटी ही खरीद लूँ,और ये हेर क्रीम भी अम्मी ने लेने का बोला है भाई” शाज़िया ने बड़े सकून और इतमीनान के साथ अपने भाई की बात का जवाब दिया. और जल्दी से चलते हुए काउंटर की तरह बढ़ने लगी.

“किययययययययययययया” शाज़िया की बात सुन कर ज़ाहिद का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.

ज़ाहिद को यकीन नही हो रहा था. कि आज उस की बहन/बीवी ने अंजाने में उसे अपनी ही सग़ी अम्मी के लिए, अपनी ही पसंद के अंडरवेअर और ब्राज़ीएर्स खरीदने पर मजबूर कर दिया है.

ज़ाहिद को अपनी बहन की इस हरकत पर हैरत तो बहुत हुई.

मगर इस के साथ साथ ये सोच सोच कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में अकड़ने लगा.कि चलो अंजाने में ही सही आज उस ने खुद अपने हाथ से अपनी ही अम्मी की मोटी प्यासी फुद्दि को ढकने के लिए छोटी छोटी पट्टियाँ और अपनी अम्मी के मोटे और भारी मम्मो को काबू करने वाले पुश अप ब्रा पसंद किए हैं.

“काश में अपनी अम्मी के वजूद को अपने हाथ से सेलेक्ट की हुई इन पैंटीज और ब्रास में मलबूद देख सकूँ” ये बात जेहन में आते ही ज़ाहिद का लंड अपनी अम्मी की चूत के लिए मचल उठा.

मगर स्टोर में होने की वजह से ज़ाहिद अब अपनी मूठ तो लगाने से मजबूर था.

इसीलिए ज़ाहिद भी अपने जज़्बात पर काबू पाता हुआ और खामोशी के साथ चलता अपनी बहन शाज़िया के पास गया.

फिर दोनो बहन भाई अपनी अम्मी के लिए नई और सेक्सी किसम के अंडर गारमेंट्स खरीद कर स्टोर से बाहर आ गये.

आज अपनी ही अम्मी के उन के अंडर गारमेंट्स खरीदने के साथ साथ अपनी सग़ी अम्मी की मोटी फुद्दि की सफाई के लिए हेर रिमूविंग क्रीम भी खरीदने की वजह से ज़ाहिद का दिल और लंड में एक अजीब सी हल चल मच चुकी थी.

मगर अपनी बहन शाज़िया की अपने पास मौजूदगी की वजह से ज़ाहिद की पूरी कोशिश थी. कि वो अपने लंड और दिल की हालत अपनी बहन शाज़िया के सामने ज़ाहिर ना होने दे.

इसीलिए स्टोर से बाहर आ कर ज़ाहिद ने खामोशी के साथ अपनी मोटर साइकल स्टार्ट की. और अपनी बहन शाज़िया को साथ ले कर अपने घर की तरफ चल पड़ा.

इधर शाज़िया ने ज़ाहिद के छुपने के बावजूद अपने भाई की पॅंट में अकडे हुए उस के लंड को देख लिया था.

अपने भाई की पॅंट में अक्डे हुए ज़ाहिद के लंड को देख कर शाज़िया को अंदाज़ा हो गया था. कि आज अपनी ही सग़ी अम्मी के जिस्म के पोषीदा हुश्न के लिए छोटे छोटे अंदर गारमेंट्स चूज कर के उस के भाई ज़ाहिद का लंड अब बैठने का नाम नही ले रहा.

मगर शाज़िया ने भी अपनी तरफ से कोशिश की कि वो भी अपनी किसी बात से ज़ाहिद को ये ज़ाहिर ना होने दे. कि उस ने ज़ाहिद के हाथों अम्मी के लिए ब्राज़ीएर्स और पानितेस सेलेक्ट करवाने की हरकत जान बोझ कर की है.

इसीलिए शाज़िया भी अपने घर के सारे रास्ते खामोशी से मोटर साइकल पर बैठे रही.

वैसे हक़ीकत ये थी. कि आज अपने भाई/शोहर ज़ाहिद को बहुत शौक और प्यार से अपनी ही सग़ी अम्मी के लिए ये सेक्सी अंडर गारमेंट्स सेलेक्ट करता देख कर शाज़िया की चूत भी अपना पानी बहाने लगी थी.

शाज़िया का दिल तो उधर मोटर साइकल पर ही अपने भाई से अपनी चूत चुदवाने को चाह रहा था.

मगर पब्लिक प्लेस में होने की वजह से शाज़िया अपनी इस ख्वाइश को पूरा करने से महरूम थी. और फिर थोड़ी देर में दोनो बहन भाई अपने घर वापिस आन पहुँचे.

ज़ाहिद शाज़िया को घर के सामने उतार कर खुद किसी कम के सिलसिले में वापिस चला गया.

शाज़िया अपने हाथ में शॉपिंग बॅग उठाए अकेली ही घर में एंटर हुई.तो उस की मुलाकात टीवी लाउन्ज में बैठी हुई अपनी अम्मी रज़िया बीबी से हुई.

“इधर आ कर मुझे अपनी शॉपिंग दिखाओ शाज़िया ” अपनी बेटी शाज़िया के हाथ में शॉपिंग बॅग देख कर रज़िया बीबी ने एक रवायती औरत की तरह बड़े तजसोस से पूछा.

“आज तो मेने सिर्फ़ आप ही के लिए शॉपिंग की है अम्मी जी” शाज़िया ने अपनी अम्मी के हाथ में बॅग पकड़ाते हुए कहा.

“अच्छाा,चलो देखते हैं मेरी बेटी किए खास चीज़ खरीद कर लाई है मेरे लिए” रज़िया बीबी बहुत इश्तियाक से अपनी बेटी के हाथ से शॉपिंग बगले कर जल्दी जल्दी उसे खोलने लगी.

ज्यों ही रज़िया बीबी ने बॅग में पड़ी हुई ब्राज़ीएर्स और पॅंटीस को अपने हाथ में ले कर बॅग से बाहर निकाला.

तो अपने लिए शाज़िया की तरफ से खरीदे हुए डिफरेंट कलर्स में सेक्सी किस्म के ब्राज़ीएर्स और छोटी छोटी पेंटीस को देख कर रज़िया बीबी का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया.



“यहह क्या है शाज़ियास्स्स” रज़िया बीबी ने हैरान होते हुए पहले अपने सामने पड़े हुए अंडर गारमेंट्स को देखा और फिर हैरत से दुबारा अपनी बेटी का मुँह देखने लगी.

“अम्मी आज मेने आप का एक पुराना ब्रेज़ियर देखा था,जो कि काफ़ी दफ़ा इस्तेमाल करने की वजह से तकरीबन फट चुका था,इसीलिए मेने सोचा कि आज बाज़ार जा कर आप के लिए कुछ नये ब्राज़ीएर्स और पैंटी खरीद लाऊ” शाज़िया ने अपनी अम्मी की बात का जवाब दिया.

“मेरे लिए,बेटी ये तो बहुत रेवेलिंग किस्म की इंपोर्टेड पॅंटीस और ब्राज़ीएर्स है, तुम तो जानती हो कि में इस तरह के रेशमी अंडर गारमेंट्स नही पहनती,और तुम फिर भी इस किस्म के कपड़े उठा लाई मेरे लिए” रज़िया बीबी ने थोड़ा गुस्से में अपनी बेटी शाज़िया को डांटा.

“में तो जानती हूँ,मगर ज़ाहिद भाई नही जानते ना,और ये सेक्सी किस्म की इंपोर्टेड पॅंटीस और ब्राज़ीएर्स उन ही की पसंद हैं अम्मी” शाज़िया ने अपनी अम्मी के गुस्से को नज़र अंदाज़ करते हुए बहुत सकून से रज़िया बीबी को जवाब दिया.

अपनी अम्मी से ये बात कहते वक्त शाज़िया इतनी गरम हो गई. कि शाज़िया को अपनी चूत में से पानी बह कर अपनी गुदाज रानो पर फिसलता हुआ महसूस होने लगा.

“क्या मंतलब है तुम्हारा शाज़िया” अपनी बेटी का जवाब सुन कर रज़िया बीबी ना सिर्फ़ चौंक गई. बल्कि अपनी बेटी शाज़िया के मुँह से अपने बेटे ज़ाहिद का ज़िक्र सुन कर रज़िया बीबी की चूत में भी एक दम से जैसे चींटिया रेंगने लगीं.

“असल में ज़ाहिद भाई ये समझ रहे थे कि में अपने लिए ये अंडर गारमेंट्स खरीद रही हूँ,इसीलिए वो दुकान पर जा कर खुद ही मेरे लिए ये ब्राइज़ेर्स और पॅंटीस सेलेक्ट करने लगे” शाज़िया ने बड़ी मासूमियत से अपनी अम्मी रज़िया बीबी को जवाब दिया.

“तो तुम ने ज़ाहिद को बताया तो नही, के ये अंडरगार्मेंट्स तुम ने मेरे लिए खदेड़े हैं” रज़िया बीबी ने दरखाते दिल के साथ फॉरन ही अपनी बेटी से दुबारा सवाल किया.

“मेने पहले तो नही बताया,मगर 42ड्ड साइज़ का सुन कर ज़ाहिद भाई को पता चल गया, कि में ये अंडरगारमेंट्स अपने लिए नही खरीद रही,इसीलिए मुझे मजबूरी में बताना ही पड़ा अम्मी जान” शाज़िया ने हल्की आवाज़ में अपनी अम्मी को जवाब दिया.

“उफफफफफफफफफ्फ़ ये तुम ने क्या किया बेटी” अपनी बेटी के मुँह से ये बात सुन कर रज़िया बीबी के मुँह से तो ये अल्फ़ाज़ निकले.

मगर इस के साथ ये बात जान कर के आज उस का सगा बेटा अपनी सग़ी अम्मी के लिए इंतिहाई सेक्सी किस्म के छोटे छोटे अंडर वेर और पुश अप किस्म के ब्रेजियर्स सेलेक्ट कर के ली है. तो रज़िया बीबी की मोटी प्यासी चूत में जिन्सी भूक की आग एक दम से भड़क उठी.
 
रज़िया बीबी के जिस्म में एक करंट से दौड़ गया. जिस वजह से ना सिर्फ़ रज़िया बीबी का जिस्म थोड़ा सा कांप गया. बल्कि साथ ही साथ रज़िया बीबी का चेहरा भी शरम से लाल होने लगा.

शाज़िया ने अपनी अम्मी के जिस्म की हालत और उन के चेहरे का बदलता हुआ रंग देख लिया था.

“मुझे चाहिए कि में अम्मी को मोका दूं, ता कि अम्मी तेन्हाई में अपने बेटे ज़ाहिद के हाथों सेलेक्ट किए गये अंडर गारमेंट्स को अच्छी तरह देख कर इस लम्हे को एंजाय कर सके” ये बात सोच कर शाज़िया ने टीवी लाउन्ज से खिसक जाना ही मुनासिब समझा. और “अम्मी मैं ज़रा पानी पी आऊ”कहती हुई किचन की तरफ चल पड़ी.

इतनी देर में रज़िया बीबी का ध्यान शॉपिंग बॅग पर गया. तो उसे महसूस हुआ कि बॅग में कोई चीज़ पड़ी रह गई. जिसे रज़िया बीबी ने अभी तक नही देखा.

रज़िया बीबी ने जल्दी से शॉपिंग बॅग को उल्टाया. तो शाज़िया की खरीदी हुई हेर रिमूविंग क्रीम बॅग से निकल कर टेबल पर गिर पड़ी.

उधर दूसरी तरफ शाज़िया ज्यों ही किचन में जाने के लिए वापिस मूडी. तो उस के कान में अपनी अम्मी की आवाज़ दुबारा से गूँजी “ये हेर रिमूविंग क्रीम तुम्हारी है शाज़िया”.

“ये भी में और ज़ाहिद भाई आप ही के लिए लाए हैं अम्मी” अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट फैली. और बहुत सकून से अपनी अम्मी की बात का जवाब देते हुए शाज़िया किचन में दाखिल हो गई.

“ये क्या बकवास कर रही हो तुम शाज़िया” अपनी बेटी का जवाब सुनते ही रज़िया बीबी शाज़िया के पीछे चीखी.

मगर इतनी देर में शाज़िया अंजान बन कर अपनी अम्मी की नज़रों से ओजल हो चुकी थी.

“उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये आज हो क्या रहा है इस घर में,मेरे बेटे ने ना सिर्फ़ मेरे लिए आज अपनी पसंद की सेक्सी अंडर गारमेंट्स सेलेक्ट की हैं,बल्कि अपनी अम्मी की चूत के लिए शेविंग क्रीम भी उठा लाया है आज” अपनी बेटी शाज़िया के किचन में जाते ही रज़िया बीबी ने शेविंग क्रीम को अपने हाथ में पकड़े हुआ सोचा.

अपने बेटे ज़ाहिद की अपनी अम्मी के लिए की गई शॉपिंग को देख देख कर रज़िया बीबी बहुत गरम हो चुकी थी.

रज़िया बीबी अभी अपनी सोचो में ही मगन थी. कि इतने में उस के मोबाइल फोन की बेल बज उठी.

अपने हाथ में पकड़ी हुई शेविंग क्रीम को अपने सामने पड़े टेबल पर रख कर रज़िया बीबी अपने सेल फोन की तरफ मुत्वजो हो गई.

ये रज़िया बीबी की कराची वाली बेटी की कॉल थी. जिस ने आज काफ़ी टाइम के बाद अपनी अम्मी को याद किया था.

अपनी कराची वाली बेटी से बातें करने के दौरान ही रज़िया बीबी ने शाज़िया और ज़ाहिद की लाई हुई अंडर गारमेंट्स और शेविंग क्रीम को दुबारा शॉपिंग बाग में रख कर बाग अपने कमरे की अलमारी में रख दिया.

अपने बच्चो की तरफ से की गई इस स्पेशल शॉपिंग को देख कर रज़िया बीबी की चूत गरम तो ज़रूर हुई थी.

मगर अपने घर के काम काज में मसरूफ़ियत की वजह से वो उस दिन अपनी चूत की आग को अपने हाथ से ठंडा ना कर पाई.

इस दौरान रात हो गई तो दोनो माँ बेटी अपने कमरे में जा कर अपने अपने बिस्तर पर सो गईं.

उस रात देर गये ज़ाहिद जब घर वापिस लोटा. तो हुस्बे मामूल शाज़िया और रज़िया बीबी उस वक्त तक सो चुकी थी. इसीलिए ज़ाहिद और रज़िया बीबी का आपस में सामना ना हुआ.

दूसरी सुबह ज़ाहिद अपनी अम्मी और शाज़िया के उठने से पहले की अपने पोलीस स्टेशन चला आया. इसीलिए आज भी ज़ाहिद का अपनी अम्मी रज़िया बीबी से सामना ना हुआ.

उस दिन ज़ाहिद का जन्म दिन था. मगर हर साल की तरह इस साल भी ज़ाहिद को अपना बर्थदे का दिन याद नही था.

चूँके अपनी बहन का शोहर बनने के बाद ये ज़ाहिद की पहली साल गिरह थी.

इसीलिए एक अच्छी और प्यार करने वाली बीवी की तरह शाज़िया को अपने जानू शोहर का ये जनम दिन बहुत अच्छी तरह याद था.

“क्यों ना में शाम से पहले बाज़ार जा कर अपने भाई के लिए गिफ्ट और केक ले आऊँ,और शाम को घर वापसी पर अपनी जान ज़ाहिद को एक सर्प्राइज़ दूं ” अपने घर के काम काज से फारिग हो कर शाज़िया ने सोचा.

ये सोच कर शाज़िया ने दोपहर का खाना बनाया और फिर फारिग हो बाज़ार जाने के लिए तैयार हो गई.

“अम्मी में ज़रा मार्केट तक जा रही हूँ” तैयार हो कर ज्यों ही शाज़िया अपने कमरे से बाहर आई. तो उस ने सामने सोफे पर बैठी अपनी अम्मी से कहा.

“तुम तो कल ही ज़ाहिद के साथ बाज़ार गईं थी,क्या कोई चीज़ रह गई थी जो अब अकेले मार्केट जा रही हो बेटी” रज़िया बीबी ने सोफे पर बैठे बैठे अपनी बेटी से पूछा.

“अच्छा आप को बता देती हूँ,मगर आप को वादा करना हो गा कि आप ज़ाहिद भाई से इस बात का ज़िक्र नही करो गीं” शाज़िया ने अपनी अम्मी से रिक्वेस्ट की.

ऐसी भी कौन सी राज़ की बात है शाज़िया,अच्छा चलो नही बताउन्गी” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी से वादा कर लिया.

“वो असल में आज ज़ाहिद भाई की साल गिरह (बर्थ डे) है,इसीलिए में भाई के लिए गिफ्ट और केक लेने जा रही हूँ’ताकि आज शाम को उन्हे सूप्राइज़ दे सकून” शाज़िया ने अपने दिल की बात अपनी अम्मी से कह दी.

“अच्छा जाओ मगर ज़रा जल्दी आ जाना बेटी” रज़िया बीबी ने अपनी बेटी को इजाज़त दे दी. तो शाज़िया टॅक्सी ले कर अपने घर के करीब ही एक शॉपिंग मार्केट में चली गई.

उस रोज़ एक तो गर्मी की शिद्दत और दूसरी लोड शेडिंग की भर मार ने रज़िया बीबी के बहरूनी जिस्म का बुरा हाल किया हुआ था.

और वैसे भी अपने बेटे के लाए हुए स्पेशल गिफ्ट के बारे में सोच सोच कर रज़िया बीबी के जिस्म के अंदूनी हिस्सो में गर्मी की शिद्दत कल से भरी हुई थी.

जिस की वजह से रज़िया बीबी की शलवार में उस की मोटी फुद्दि सारी रात चिप चिप करती रही थी.




“जब तक शाज़िया शॉपिंग कर के वापिस आती है,उस वक्त तक क्यों ना में जल्दी से शवर ले कर अपने अंदर और बाहर की गर्मी को थोड़ा कम कर लूँ” अपनी बेटी शाज़िया के घर से बाहर निकलते ही रज़िया बीबी ने बाथ रूम में जा कर नहाने का सोचा.

ये सोच जेहन में आते ही रज़िया बीबी अपने कमरे में गई.



और अपनी कमीज़ उतार कर बिस्तर पर फैंक दी.

रज़िया बीबी ने अपनी कमीज़ के नीचे हमेशा की तरह आज भी देसी स्टाइल का एक पुराना ब्रेज़ियर ही पहना हुआ था.

अपनी कमीज़ उतार कर ज्यों ही रज़िया बीबी ने कमरे के शीशे के सामने अपने सेरपे का जायज़ा लिया. तो जिंदगी में पहली बार आज रज़िया बीबी को अपना ये देसी स्टाइल का पुराना ब्रेज़ियर अच्छा नही लगा.

“नहाने के बाद क्यों ना में आज अपने बेटे ज़ाहिद का पसंद किया हुआ ब्रेज़ियर और पैंटी पहन लूँ” रज़िया बीबी के जेहन में ख्याल आया.

इस के साथ ही अपने ब्रेजियर को अपने जिस्म से उतारने के इरादे से रज़िया बीबी अपने हाथों को अपनी छातियों पर लाई. और अपनी हाथों से अपने ब्रेज़ियर के कप्स को अपनी छातियों से नीचे किया.

तो रज़िया बीबी के दोनो भारी भारी मम्मे झट से उस के ब्रेज़ियर के कप्स से बाहर निकल आए.

“उफफफफफफफफफफ्फ़ आआआआ मेरे मम्मों के निपल्स कितने मोटे हो गये हैं” रज़िया बीबी ने अपने मम्मो के ब्राउन निपल्स को अपने हाथों में थामा. तो उस के मुँह से एक गरम सिसकी निकल गई.
 
अभी अपनी सहलवार और ब्रेज़ियर में आधी नंगी रज़िया बीबी शीशे (मिरर) के सामने अपने बड़े बड़े मम्मो का दीदार ही कर रही थी. कि इतने में रज़िया बीबी का बिस्तर पर पड़ा मोबाइल फोन रिंग करने लगा.

“उफफफफफफ्फ़ इस फोन ने भी इसी वक्त बजना था” रज़िया बीबी ने एक चिड चिड़ाहट के साथ अपने हाथों को अपने मम्मो से हटाया. और बिस्तर पर पड़े अपने मोबाइल की तरफ लपकी.



रज़िया बीबी स्क्रीन पर इन कमिंग कॉल का नंबर देखे बिना, उसी तरह ब्रेज़ियर में से झाँकती हुई अपनी पूरी नंगी छातियों के साथ अपने बिस्तर पर नीम दराज़ लेटी.और अपने मोबाइल फोन को अपने कान से लगा कर बोली “हेलो जी कौन”.

“अम्मी में हूँ ज़ाहिद” ज्यों ही ज़ाहिद की आवाज़ फोन के रास्ते रज़िया बीबी के कान (एअर) में गूँजी.

तो रज़िया बीबी को यूँ लगा जैसे ये ज़ाहिद की आवाज़ नही बल्कि उस के बेटे का मोटा सख़्त लंड है. जो कान रास्ते से दाखिल हो कर उस की गरम चूत में समा गया हो.

“हैयय्ाआआआआआआआ बएटााआआआआआआअ” रज़िया बीबी अपने जवान बेटे की रौब भरी मर्दाना आवाज़ सुन कर अपने जज़्बात पर काबू ना पा सकी. और बेइख्तियार उस के मुँह से ये आवाज़ निकल गई.

रज़िया बीबी को एक दम से अपनी इस ग़लती का अहसास हो गया. और वो दिल ही दिल में दुआ करने लगी कि ज़ाहिद अपनी अम्मी इस सिसकी को नज़र आदाज़ कर दे.

उधर ज़ाहिद पोलीस स्टेशन में अपने काम में बिजी होने की वजह से वाकई ही अपनी अम्मी की आवाज़ में छुपी हुई जिन्सी तलब को ना समझ सका.

और वो फोन की दूसरी तरफ से बोला “ अम्मी शाज़िया कहाँ है, में दो तीन दफ़ा उसे फोन कर चुका हूँ,मगर वो फोन का जवाब नही दे रही”

“शाज़िया तो बाथरूम में है,अभी बाहर आती है तो में उसे तुम्हारे फोन का बताती हूँ बेटा” रज़िया बीबी ने अपने बेटे की बात का जवाब दिया.

“अच्छा में शाज़िया के फोन का इंतिज़ार करता हूँ अम्मी” ये कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया.

“शूकर है ज़ाहिद ने मेरी सिसकी नही सुनी” ज़ाहिद की कॉल बंद होते ही रज़िया बीबी ने अपने आप से कहा. और अपनी बेटी शाज़िया को कॉल मिला दी.

शाज़िया ने फोन उठाया तो रज़िया बीबी ने उसे ज़ाहिद की कॉल की इतला दी.

“अच्छा अम्मी में अभी ज़ाहिद भाई को फोन कर लेती हूँ” ये कह कर शाज़िया ने भी जल्दी से फोन बंद कर दिया.
 
“अब मुझे फॉरन घुसल (शवर) ले लेना चाहिए” शाज़िया से बात करने के बाद रज़िया बीबी ये बात सोचती हुई बिस्तर से उठी.और अपनी शलवार उतार कर कमरे में ही पूरी नंगी हो गई.

अपनी शलवार उतारने के दौरान रज़िया बीबी चूँकि अभी तक शीशे के सामने ही खड़ी थी.

इसीलिए नंगा होते ही रज़िया बीबी की नज़र अपनी मोटी टाँगों के दरमियाँ पानी छोड़ती अपनी फुद्दि पर गई.

हालाँकि रज़िया बीबी ने अपनी फुद्दि की शेव चन्द दिन पहले ही की थी.

मगर इस के बावजूद इन चन्द दिनो में ही रज़िया बीबी की चूत की जुवैन (पुबिक हेर) दुबारा से थोड़ी थोड़ी उग आईं थी.

“क्यों ना आज अपने बेटे की खरीदी हुई शेविंग क्रीम से अपनी फुद्दि की शेव करूँ” रज़िया बीबी ने अपनी चूत के थोड़े थोड़े सख़्त बल्लों पर अपना हाथ फेरते हुए सोचा.

ज़ाहिद की लाई हुई हेर रिमूविंग क्रीम से अपनी फुद्दि की शेव करने का ये आइडिया रज़िया बीबी को इतना भाया कि रज़िया बीबी की चूत ने शर शर कर के अपना पानी छोड़ दिया. तो अपनी फुद्दि से बैठे हुए झड़ने (वॉटर फॉल) के पानी ने रज़िया बीबी की उंगलियाँ को भी भिगो दिया.

रज़िया बीबी ने अलमारी में रखे हुए बॅग से हेर रिमूविंग क्रीम निकाली और फिर नहाने के लिए बाथरूम में घुस गई.

उधर दूसरी तरफ अपनी अम्मी की कॉल बंद होने के बाद शाज़िया ने मार्केट में पहुँचते ही अपने भाई ज़ाहिद को फोन किया.

“जी भाई अम्मी ने बताया है कि आप ने कॉल की थी” ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की कॉल अटेंड की तो शाज़िया ने कहा.

“बस तुम्हारी याद सता रही थी,तो सोचा तुम्हें फोन कर के तुम्हारी प्यारी आवाज़ ही सुन लूँ”ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया से इश्क लड़ाते हुए कहा.

“अच्छा अगर मेरी याद आ रही है,तो फिर पोलीस स्टेशन में क्या कर रहे हैं,आप घर क्यों नही आ जाते” शाज़िया ने भी अपने भाई की प्यार भरी बात का उसी अंदाज़ में जवाब दिया. तो नीचे से शाज़िया की मोटी प्रेगनेंट फुद्दि भी अपने भाई के मोटे लंड के लिए गरम होने लगी.

“दिल तो चाह रहा है कि आ कर अपनी जान के मोटे मम्मो को चाट खाऊ, मगर तुम तो जानती हो कि इस साली पोलीस की नोकरि में क्या मजबूरी होती है, आज भी आधी रात से पहले घर नही आ पाउन्गा” ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया से कहा.

“इतना लेट पर क्यों भाई” शाज़िया अपने भाई के आज भी देर से घर आने की बात सुन कर मुरझा गई.

“नोकर क्या और नखरा क्या मेरी जान” ज़ाहिद ने जवाब दिया और फिर चन्द मिनट्स मज़ीद अपनी बहन से बात कर कर ज़ाहिद ने फोन बंद कर दिया.

शाज़िया तो आज अपने भाई को उस का बर्थडे का सर्प्राइज़ देने के मूड में थी. इसीलिए अब ज़ाहिद के घर लेट वापसी का सुन कर उसे गुस्सा तो आया.

मगर ज़ाहिद की नोकरी ही कुछ ऐसी थी. जिस में घर वापसी का कोई टाइम सेट नही था. इसीलिए शाज़िया सिवाय गुस्से के और कुछ कर भी क्या सकती थी.

“अब मार्केट तो में आ ही चुकी हूँ,इसीलिए केक और गिफ्ट ले ही लूँ,इस तरह आज ना सही कल सुबह ज़ाहिद भाई को ये केक और गिफ्ट दे दूँगी” ये ख्याल आते ही शाज़िया ने दोनो चीज़े खरीदी और एक टेक्शी ले कर वापिस घर की तरफ निकल पड़ी.

अगर चे शाज़िया अपने भाई ज़ाहिद की जल्दी घर आमद ना होने की वजह से उदास सी हो गई थी.

मगर इस के बावजूद अपने भाई ज़ाहिद की प्यार भरी बातों ने शाज़िया की फुद्दि को गरमा दिया था.

इसीलिए वो टॅक्सी में अपने घर वापसी के दौरान अपने भाई की जबरदस्त चुदाई को याद कर के अपनी शलवार में ही अपनी फुद्दि का पानी छोड़े जा रही थी.

इधर बाथरूम में शवर लेती रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद की दी हुई शेविंग क्रीम से अपनी चूत के बालों को अच्छी तरह सॉफ सुथरा किया. और फिर नहाने के बाद रज़िया बीबी अपने जिस्म पर टॉवल बंद कर वापिस अपने कमरे में आ गई.

अपने कमरे में आ कर रज़िया बीबी ने अलमारी से दुबारा शाज़िया का दिया हुआ शॉपिंग बॅग निकला.



और उस में से एक ब्रेज़ियर और मॅचिंग पैंटी निकाल कर पहन ली.
 
रज़िया बीबी तो आज से पहले तक सारी जिंदगी अपना ब्रेज़ियर और पैंटी अपने मम्मे और चूत को छुपाने के लिए पहना करती थी.

इसीलिए उसे आज तक पुश अप ब्रेज़ियर और थॉंग पैंटी के बारे में कुछ अंदाज़ा नही था. कि इस तरह के अंडर गारमेंट्स पहनने के बाद किसी औरत का जिस्म देखने में कैसा लगता है.

इसीलिए अपने बेटे ज़ाहिद की पसंद की ब्रेज़ियर और पैंटी को पहन कर रज़िया बीबी ने ज्यों ही शीशे के सामने खड़े हो कर अपने वजूद का जायज़ा लिया.

तो आज ज़ाहिद की सेलेक्ट की इंपोर्टेड ब्रेज़ियर और थॉंग नुमा पैंटी में कसे हुए अपने मोटे और भारी वजूद को पहली बार देख कर खुद रज़िया बीबी की अपनी आँखे खुली की खुली रह गईं.

रज़िया बीबी के 42 ड्ड मम्मे तो पहले ही साइज़ में बहुत मोटे और बड़े थे.जिन को रज़िया बीबी ने आज पहली बार एक पुश अप ब्रेज़ियर में क़ैद किया था.

अब शीशे के सामने खड़े हो रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपनी छातियों पर निगाह डाली.



तो रज़िया बीबी को अंदाज़ा हो गया कि उस का पुश अप ब्रेज़ियर ने उस के मम्मो को छुपाने की बजाय पहले से मजीद नंगी कर दिया था.

जब कि कुछ इसी तरह की हालत रज़िया बीबी की लंबी और सुडोल टाँगों में मौजूद उस की मोटी फुद्दि की थी.

इस थॉंग पैंटी की सामने वाला कपड़ा बहुत ही छोटा होने की वजह से रज़िया बीबी के मोटे फुडे के अंदर जा कर फँस गया था.

जिस की वजह से रज़िया बीबी की फुद्दी के फूले हुए लॅब इस पैंटी में से सॉफ नज़र आ रहे थे.

“उफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इतने सेक्सी और गरम किस्म के अंदर गारमेंट्स तो ज़ाहिद के अब्बू ने भी कभी नही खरीदे थे मेरे लिए”अपनी भारी छातियों और मोटी फुद्दि पर फँसे हुए ब्रेज़ियर और पैंटी को देखते हुए रज़िया बीबी ने सोचा.

“मेरा बेटे ने तो मेरे लिए ये इतने रेवेलिंग किस्म के ब्राज़ीएर्स और पॅंटीस ऐसे पसंद की हैं,जैसे में उस की माँ ना हुई उस की बीवी हो गई”अपने मोटे और आधे नंगे जिस्म का जायज़ा लेते हुए रज़िया बीबी ने सोचा.

“ओह कश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह में ये कपड़े पहन कर अपने बेटे ज़ाहिद को अपना जिस्म दिखा सकती” अपने जिस्म का जायज़ा लेते हुए दूसरे ही लम्हे रज़िया के दिल में ख्याल आया. तो उस की फुद्दि में लगी आग एक दम से भड़क उठी.

रज़िया बीबी ने थॉंग के ऊपर से अपनी गरम फुद्दि पर अपना हाथ फेरा.

तो रज़िया बीबी को अंदाज़ा हुआ कि अपने बेटे ज़ाहिद के मुतलक सोच कर ही उस की गरम फुद्दि ने नीचे से इतना पानी छोड़ा है. कि रज़िया बीबी की पैंटी उस की अपनी ही चूत के रस से भीग चुकी थी.

रज़िया बीबी को खड़े खड़े थोड़ी थकावट महसूस हुई. तो वो शीशे के सामने से हट कर अपने बिस्तर पर आन बैठी.

अपने बेड पर बैठ कर रज़िया बीबी ने अपनी पैंटी उतारी. तो रज़िया बीबी ने अपनी पैंटी को अपनी चूत के पानी से बिल्कुल गीला पाया.

“शाज़िया के आने में तो अभी देर है, तो इतनी देर में क्यों ना में अपनी फुद्दि की आग को ही ठंडा कर लूँ” ये सोचते हुए रज़िया बीबी अपनी पैंटी उतार कर बिस्तर पर सीधी लेट गई.



बिस्तर पर लेटते ही रज़िया बीबी ने अपने ब्रेज़ियर को खैंच कर नीचे करते हुए ब्रेज़ियर में कसी हुई अपनी भारी छातियों को नंगा किया.

और फिर अपने मोटे मम्मो के ब्राउन निपल्स को अपनी उंगलियों में ले कर अपने मम्मो के ताने हुए निपल्स को मसल्ने लगी.

“हाईईईईईईईईईई अगर कोई मेरी इन छातियों को अपने हाथ में ले कर मसले तो मुझे कितना ज़्यादा मज़ा आए”अपनी छातियों के टाइट हुए निपल्स को अपने हाथ से छेड़ते हुए रज़िया बीबी सिसकारी.

थोड़ी देर अपने निप्पलो को अपने हाथ से छेड़ने के बाद रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ अपने एक मम्मे पर ही रहने दिया.

जब कि नीचे से अपने पैरों को चोडा करते हुए रज़िया बीबी अपना ड्सारा हाथ अपनी प्यारी और सॉफ सुथरी चूत पर ले आई.



रज़िया बीबी ने अपने हाथों की दो उंगलियों से अपनी मोटी फुद्दि के फूले हुए होंठो को खोला.और अपनी बीच की उंगली से अपनी गीली चूत के दाने को छुआ.

“ओह हाआआआआआ” अपनी चूत के मोटे दाने को अपनी उंगली से टच करते ही रज़िया बीबी के सबर का पैमाना लबरेज हो गया.

मज़े की शिद्दत से रज़िया बीबी की आँखे खुद ब खुद बंद हो गईं. और वो सिसकियाँ लेते हुए अपनी चूत के छोले (दाने) पर अपनी उंगली की रफ़्तार को बढ़ाने लगी.

अब रज़िया बीबी अपने एक हाथ से अपने मोटे मम्मे के निपल को मसल रही थी.

जब कि दूसरे हाथ की उंगली को अपनी गीली फुद्दि के उपर रगड़ रगड़ कर अपनी गरम और प्यासी फुद्दि में लगी हुई चुदाइ की आग को अपने हाथ से ठंडा करने की कोशिश करने लगी.

अपने जिस्म की जिन्सी भूक के हाथों रज़िया बीबी इतनी मदहोश और मजबूर हो चुकी थी. कि लाख रोकने के बावजूद रज़िया बीबी के मुँह से सिसकारियाँ फूट फूट कर ना सिर्फ़ कमरे में बल्कि पूरे घर में गूंजने लगी थी.
 
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