hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
अब रज़िया बीबी अपने एक हाथ से अपने मोटे मम्मे के निपल को मसल रही थी.
जब कि दूसरे हाथ की उंगली को अपनी गीली फुद्दि के उपर रगड़ रगड़ कर अपनी गरम और प्यासी फुद्दि में लगी हुई चुदाइ की आग को अपने हाथ से ठंडा करने की कोशिश करने लगी.
अपने जिस्म की जिन्सी भूक के हाथों रज़िया बीबी इतनी मदहोश और मजबूर हो चुकी थी. कि लाख रोकने के बावजूद रज़िया बीबी के मुँह से सिसकारियाँ फूट फूट कर ना सिर्फ़ कमरे में बल्कि पूरे घर में गूंजने लगी थी.
इधर जिस वक्त रज़िया बीबी सब दुनिया से बे खबर अपनी पानी पानी होती चूत की आग को अपने हाथों से ठंडा करने की कोशिश में मसरूफ़ थी.
तो दूसरी तरफ उसी लम्हे शॉपिंग के लिए गई हुई शाज़िया भी अपने घर के सामने टॅक्सी में से उतरी.
शाज़िया के पास घर के दरवाज़े की चाभी थी. जिस को बाहर से भी खोला जा सकता था.
इसीलिए शाज़िया अपने घर के छोटे गेट का दरवाजा खोल कर अपने घर में दाखिल हो गई.
ज्यों ही शाज़िया अपने घर के टीवी लाउन्ज में आई.तो शाज़िया के कानों में किसी औरत की सिसकियों की आवाज़ सुनाई दी.
“कहीं ज़ाहिद भाई तो किसी गैर औरत को चोदने के लिए अपने साथ घर नही ले आए” दो दफ़ा सुहागन बनने की बदोलत शाज़िया इस किस्म की सिसकियो और आवाज़ों को बहुत अच्छी तरह जानती और पहचानती थी.
इस के साथ साथ शाज़िया ये बात अच्छी तरह जानती थी. कि आज कल अपनी बहन शाज़िया की फुद्दि ना मिलने की वजह से उस के भाई ज़ाहिद का लंड “फुद्दि” के लिए बहुत मचल रहा है.
इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपने घर के अन्द्रूनि हिस्से में से आती ये आवाज़ें सुनी.
तो बे इख्तियारी में शाज़िया का शक सब से पहले अपने भाई ज़ाहिद की तरफ गया.
ये ख्याल आते ही गुस्से से शाज़िया के दिमाग़ का पारा एक दम चढ़ गया.
शाज़िया ने जल्दी से ज़ाहिद भाई के लिए खरीदा हुआ गिफ्ट और केक टीवी लाउन्ज में ही रखा.और खुद दबे पावं चलते हुए घर के अंदर वाले हिस्से की तरफ चल पड़ी.
गुस्से में भरी हुई शाज़िया ज्यों ही अपनी अम्मी के कमरे के सामने पहुँची.
तो अपनी अम्मी के कमरे के अंदर का मंज़र देख कर शाज़िया के तो जैसे होश ही उड़ गये.
शाज़िया ने देखा कि कमरे के अंदर कोई गैर औरत नही बल्कि उस की अपनी सग़ी अम्मी बिल्कुल बदना (नंगी) हालत में बिस्तर पर पड़ी अपनी मोटी फुद्दि से बिल्कुल उसी तरह खेल रही थी.
जिस तरह अपनी तलाक़ के बाद रात की तेन्हाई में अक्सर शाज़िया अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर अपनी चूत से खेला करती थी.
शाज़िया तो अपने जेहन में कुछ और ही सोच कर गुस्से की हालत में घर के अंदर की तरफ दौड़ी थी.
मगर अब अपनी अम्मी को इस नंगी हालत में देख कर ना सिर्फ़ शाज़िया के कदम फर्श (फ्लोर) पर जाकर से गये.
बल्कि उस के दिल में जनम लेने वाला गुस्सा भी रफू चक्कर हो गया.
शाज़िया ने देखा कि उस की अम्मी रज़िया बीबी बिस्तर पर कुछ इस हालत में लेटी थी.कि रज़िया बीबी का सर कमरे की दीवार की तरफ था. जब कि रज़िया बीबी के पैर कमरे के दरवाज़े की तरफ थे.
अपनी आँखे बंद कर के बिस्तर पर इस स्टाइल में लेटने की वजह से रज़िया बीबी दरवाज़े पर खड़ी अपनी बेटी शाज़िया को तो नही देख पा रही थी.
मगर कमरे से बाहर खड़ी शाज़िया को अपनी अम्मी के तेरबूज़ की तरह मोटे मोटे मम्मे,अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि और उस पर तेज़ी से चलती हुई रज़िया बीबी की उंगलियाँ बहुत वज़िया नज़र आ रही थी.
शाज़िया अभी अपनी साँसे रोके अपनी अम्मी को अपने मोटे फुद्दे और जिस्म से खेलता देख ही रही थी. कि इतने में शाज़िया के कानों में अपनी अम्मी की आवाज़ पड़ी “ओह्ह्ह ज़ाहिद के अब्बू क्यों छोड़ गये है आप मुझे इस दुनिया में अकेला,अब आप ही बताओ,में अपनी इस प्यासी चूत की आग को कैसे ठंडा करू,मेरी ये प्यासी चूत तो आज भी लंड के लिए तड़प रही है आहह उईईईईई ऊऊओ मेरी माआ”
शाज़िया तो मार्केट में ही अपने भाई ज़ाहिद से बात कर के काफ़ी गरम हो चुकी थी.
और अब अपने घर वापिस आ कर अपनी अम्मी को यूँ पहली बार अपनी आँखों के सामने अपनी फुद्दि से खेलता देखने का ये मंज़र शाज़िया के जिस्म में एक अजीब सी गर्मी पैदा कर चुका था.
इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपनी सग़ी अम्मी के मुँह से “लंड और चूत” के इलफ़ाज़ पहली बार निकलते हुए सुने.
तो शाज़िया को भी एक दम जोश आया और उस का अपना हाथ भी खुद ब खुद अपनी प्यासी और गरम “हमला” फुद्दि तक आन पहुँचा.
अपनी अम्मी की देखा देखी शाज़िया ने भी अपनी मोटी फुद्दि को अपने हाथ में जकड़ा और अपनी अम्मी के साथ ताल से ताल मिलाते हुए अपनी शलवार के उपर से अपनी फुद्दि को मसलने लगी.
“हाईईईईईईईईईईईई अम्म्म्ममममममी” ज्यूँ ही शाज़िया की उंगलियाँ उस की गरम फुद्दि पर चलीं. तो अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि पर नज़रें जमाते हुए शाज़िया के मुँह से एक सिसकारी फूटी.
इधर ज्यों ही अपनी अम्मी रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी कमरे के बाहर खड़े हो कर अपनी फुद्दि से खेलने में मसरूफ़ हुई.
तो दूसरी तरफ कमरे में मौजूद रज़िया बीबी अपने मम्मे पर फिसलते हुए हाथ को भी अपनी फुद्दि पर लाई.
और शाज़िया के देखते ही देखते रज़िया बीबी ने अपने दोनो हाथों से अपनी फुद्दि के होंठों को पकड़ कर पूरा खोल दिया.
ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी फुद्दि के फूले हुए होंठो को अपने हाथों से पकड़ कर खोला.
तो कमरे के बाहर खड़ी शाज़िया को अपनी सग़ी अम्मी के मोटे और प्यासी फुददी को पूरा अंदर तक देखने का मोका मिल गया.
“ओह मेरी अम्मी की फुद्दि कितनी मज़े दार और प्यारी हाईईईईईईईईईईईई” शाज़िया ने ज्यों ही अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे को पहली बार यूँ पहली बार अपनी आँखों के सामने खुलता देखा.
तो अपनी अम्मी की पानी छोड़ती गरम फुद्दि का अन्द्रूनि पिंक हिस्सा देख कर शाज़िया के मुँह में पानी आ गया. और इस के साथ ही बे इख्तियारि में शाज़िया की ज़ुबान उस के अपने होंठो पर फिरने लगी.
आज अपनी अम्मी के मोटे नंगे मम्मो और खास तौर पर अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि को देख कर यूँ एक दम से अपनी चूत का पानी छोड़ने पर शाज़िया खुद भी हैरान थी.
लेकिन शाज़िया का आज अपनी ही अम्मी के लिए यूँ एक दम गरम होने की वजह ये थी.कि एक तो हमाल ठहरने के बाद शाज़िया को अपने भाई ज़ाहिद का लंड मिलना बंद हो गया था.
दूसरी और मेन वजह ये थी. कि अपनी पहली शादी से ले कर अपने पहले शोहर से तलाक़ के बाद तक तो शाज़िया ये ही समझती रही थी.कि सिर्फ़ एक मर्द ही एक औरत को जिन्सी सकून पहुँचा सकता है.
मगर नीलोफर के साथ अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम होने के बाद शाज़िया को भी अंदाज़ हो गया था. कि लिसेबियन चीज़ की कोई बला भी इस दुनिया में मौजूद होती है.
फिर अपने भाई ज़ाहिद के साथ चुदाई से पहले तक नीलोफर ने शाज़िया की चूत को कई बार चाट चाट कर शाज़िया को लज़्जत की उन मंज़िलों तक पहुँचाया था.
जिन तक पहुँचने का शाज़िया ने अपनी पहली शादी शुदा ज़िंदगी में कभी तसव्वुर तक नही किया था.
नीलोफर से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम होने के बाद शाज़िया को शुरू में तो अपनी सहेली की चूत को चाटना पसंद नही आया था.
जब कि दूसरे हाथ की उंगली को अपनी गीली फुद्दि के उपर रगड़ रगड़ कर अपनी गरम और प्यासी फुद्दि में लगी हुई चुदाइ की आग को अपने हाथ से ठंडा करने की कोशिश करने लगी.
अपने जिस्म की जिन्सी भूक के हाथों रज़िया बीबी इतनी मदहोश और मजबूर हो चुकी थी. कि लाख रोकने के बावजूद रज़िया बीबी के मुँह से सिसकारियाँ फूट फूट कर ना सिर्फ़ कमरे में बल्कि पूरे घर में गूंजने लगी थी.
इधर जिस वक्त रज़िया बीबी सब दुनिया से बे खबर अपनी पानी पानी होती चूत की आग को अपने हाथों से ठंडा करने की कोशिश में मसरूफ़ थी.
तो दूसरी तरफ उसी लम्हे शॉपिंग के लिए गई हुई शाज़िया भी अपने घर के सामने टॅक्सी में से उतरी.
शाज़िया के पास घर के दरवाज़े की चाभी थी. जिस को बाहर से भी खोला जा सकता था.
इसीलिए शाज़िया अपने घर के छोटे गेट का दरवाजा खोल कर अपने घर में दाखिल हो गई.
ज्यों ही शाज़िया अपने घर के टीवी लाउन्ज में आई.तो शाज़िया के कानों में किसी औरत की सिसकियों की आवाज़ सुनाई दी.
“कहीं ज़ाहिद भाई तो किसी गैर औरत को चोदने के लिए अपने साथ घर नही ले आए” दो दफ़ा सुहागन बनने की बदोलत शाज़िया इस किस्म की सिसकियो और आवाज़ों को बहुत अच्छी तरह जानती और पहचानती थी.
इस के साथ साथ शाज़िया ये बात अच्छी तरह जानती थी. कि आज कल अपनी बहन शाज़िया की फुद्दि ना मिलने की वजह से उस के भाई ज़ाहिद का लंड “फुद्दि” के लिए बहुत मचल रहा है.
इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपने घर के अन्द्रूनि हिस्से में से आती ये आवाज़ें सुनी.
तो बे इख्तियारी में शाज़िया का शक सब से पहले अपने भाई ज़ाहिद की तरफ गया.
ये ख्याल आते ही गुस्से से शाज़िया के दिमाग़ का पारा एक दम चढ़ गया.
शाज़िया ने जल्दी से ज़ाहिद भाई के लिए खरीदा हुआ गिफ्ट और केक टीवी लाउन्ज में ही रखा.और खुद दबे पावं चलते हुए घर के अंदर वाले हिस्से की तरफ चल पड़ी.
गुस्से में भरी हुई शाज़िया ज्यों ही अपनी अम्मी के कमरे के सामने पहुँची.
तो अपनी अम्मी के कमरे के अंदर का मंज़र देख कर शाज़िया के तो जैसे होश ही उड़ गये.
शाज़िया ने देखा कि कमरे के अंदर कोई गैर औरत नही बल्कि उस की अपनी सग़ी अम्मी बिल्कुल बदना (नंगी) हालत में बिस्तर पर पड़ी अपनी मोटी फुद्दि से बिल्कुल उसी तरह खेल रही थी.
जिस तरह अपनी तलाक़ के बाद रात की तेन्हाई में अक्सर शाज़िया अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर अपनी चूत से खेला करती थी.
शाज़िया तो अपने जेहन में कुछ और ही सोच कर गुस्से की हालत में घर के अंदर की तरफ दौड़ी थी.
मगर अब अपनी अम्मी को इस नंगी हालत में देख कर ना सिर्फ़ शाज़िया के कदम फर्श (फ्लोर) पर जाकर से गये.
बल्कि उस के दिल में जनम लेने वाला गुस्सा भी रफू चक्कर हो गया.
शाज़िया ने देखा कि उस की अम्मी रज़िया बीबी बिस्तर पर कुछ इस हालत में लेटी थी.कि रज़िया बीबी का सर कमरे की दीवार की तरफ था. जब कि रज़िया बीबी के पैर कमरे के दरवाज़े की तरफ थे.
अपनी आँखे बंद कर के बिस्तर पर इस स्टाइल में लेटने की वजह से रज़िया बीबी दरवाज़े पर खड़ी अपनी बेटी शाज़िया को तो नही देख पा रही थी.
मगर कमरे से बाहर खड़ी शाज़िया को अपनी अम्मी के तेरबूज़ की तरह मोटे मोटे मम्मे,अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि और उस पर तेज़ी से चलती हुई रज़िया बीबी की उंगलियाँ बहुत वज़िया नज़र आ रही थी.
शाज़िया अभी अपनी साँसे रोके अपनी अम्मी को अपने मोटे फुद्दे और जिस्म से खेलता देख ही रही थी. कि इतने में शाज़िया के कानों में अपनी अम्मी की आवाज़ पड़ी “ओह्ह्ह ज़ाहिद के अब्बू क्यों छोड़ गये है आप मुझे इस दुनिया में अकेला,अब आप ही बताओ,में अपनी इस प्यासी चूत की आग को कैसे ठंडा करू,मेरी ये प्यासी चूत तो आज भी लंड के लिए तड़प रही है आहह उईईईईई ऊऊओ मेरी माआ”
शाज़िया तो मार्केट में ही अपने भाई ज़ाहिद से बात कर के काफ़ी गरम हो चुकी थी.
और अब अपने घर वापिस आ कर अपनी अम्मी को यूँ पहली बार अपनी आँखों के सामने अपनी फुद्दि से खेलता देखने का ये मंज़र शाज़िया के जिस्म में एक अजीब सी गर्मी पैदा कर चुका था.
इसीलिए शाज़िया ने ज्यों ही अपनी सग़ी अम्मी के मुँह से “लंड और चूत” के इलफ़ाज़ पहली बार निकलते हुए सुने.
तो शाज़िया को भी एक दम जोश आया और उस का अपना हाथ भी खुद ब खुद अपनी प्यासी और गरम “हमला” फुद्दि तक आन पहुँचा.
अपनी अम्मी की देखा देखी शाज़िया ने भी अपनी मोटी फुद्दि को अपने हाथ में जकड़ा और अपनी अम्मी के साथ ताल से ताल मिलाते हुए अपनी शलवार के उपर से अपनी फुद्दि को मसलने लगी.
“हाईईईईईईईईईईईई अम्म्म्ममममममी” ज्यूँ ही शाज़िया की उंगलियाँ उस की गरम फुद्दि पर चलीं. तो अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि पर नज़रें जमाते हुए शाज़िया के मुँह से एक सिसकारी फूटी.
इधर ज्यों ही अपनी अम्मी रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी कमरे के बाहर खड़े हो कर अपनी फुद्दि से खेलने में मसरूफ़ हुई.
तो दूसरी तरफ कमरे में मौजूद रज़िया बीबी अपने मम्मे पर फिसलते हुए हाथ को भी अपनी फुद्दि पर लाई.
और शाज़िया के देखते ही देखते रज़िया बीबी ने अपने दोनो हाथों से अपनी फुद्दि के होंठों को पकड़ कर पूरा खोल दिया.
ज्यों ही रज़िया बीबी ने अपनी फुद्दि के फूले हुए होंठो को अपने हाथों से पकड़ कर खोला.
तो कमरे के बाहर खड़ी शाज़िया को अपनी सग़ी अम्मी के मोटे और प्यासी फुददी को पूरा अंदर तक देखने का मोका मिल गया.
“ओह मेरी अम्मी की फुद्दि कितनी मज़े दार और प्यारी हाईईईईईईईईईईईई” शाज़िया ने ज्यों ही अपनी अम्मी के मोटे फुद्दे को पहली बार यूँ पहली बार अपनी आँखों के सामने खुलता देखा.
तो अपनी अम्मी की पानी छोड़ती गरम फुद्दि का अन्द्रूनि पिंक हिस्सा देख कर शाज़िया के मुँह में पानी आ गया. और इस के साथ ही बे इख्तियारि में शाज़िया की ज़ुबान उस के अपने होंठो पर फिरने लगी.
आज अपनी अम्मी के मोटे नंगे मम्मो और खास तौर पर अपनी अम्मी की मोटी फुद्दि को देख कर यूँ एक दम से अपनी चूत का पानी छोड़ने पर शाज़िया खुद भी हैरान थी.
लेकिन शाज़िया का आज अपनी ही अम्मी के लिए यूँ एक दम गरम होने की वजह ये थी.कि एक तो हमाल ठहरने के बाद शाज़िया को अपने भाई ज़ाहिद का लंड मिलना बंद हो गया था.
दूसरी और मेन वजह ये थी. कि अपनी पहली शादी से ले कर अपने पहले शोहर से तलाक़ के बाद तक तो शाज़िया ये ही समझती रही थी.कि सिर्फ़ एक मर्द ही एक औरत को जिन्सी सकून पहुँचा सकता है.
मगर नीलोफर के साथ अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम होने के बाद शाज़िया को भी अंदाज़ हो गया था. कि लिसेबियन चीज़ की कोई बला भी इस दुनिया में मौजूद होती है.
फिर अपने भाई ज़ाहिद के साथ चुदाई से पहले तक नीलोफर ने शाज़िया की चूत को कई बार चाट चाट कर शाज़िया को लज़्जत की उन मंज़िलों तक पहुँचाया था.
जिन तक पहुँचने का शाज़िया ने अपनी पहली शादी शुदा ज़िंदगी में कभी तसव्वुर तक नही किया था.
नीलोफर से अपने जिस्मानी ताल्लुक़ात कायम होने के बाद शाज़िया को शुरू में तो अपनी सहेली की चूत को चाटना पसंद नही आया था.