hotaks444
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“जब मेरा बेटा मुझे इतने प्यार से अपने पास बुला रहा है,तो मुझे उस के पास जाने में देर नही करनी चाहिए”अपने बेटे ज़ाहिद से उस के कमरे के अंदर आने की दावत मिलते ही रज़िया बीबी ने एक लम्हे के लिए सोचा.
और फिर ने अपना एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के कमरे की दहलीज़ पर कर दी.
रज़िया बीबी आज शाम से पहले तक ना जाने कितनी ही दफ़ा अपने बेटे ज़ाहिद के इस कमरे में आ चुकी थी.
लेकिन इस सारे अरसे में ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी के दिल की वो हालत कभी नही हुई थी. जो इस व्कत रज़िया बीबी महसूस कर रही थी.
उस रात को अपने धड़कते दिल के साथ रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने बेटे के कमरे में अपना पावं रखा.
तो रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ. कि उस के शोहर की वफात के वक्त से उस के वजूद के साथ लिपटी हुई बेवगी की चादर एक दम से गिर कर उस के बदन से अलग हो गई हो.
आज अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की हद में कदम रखते ही रज़िया बीबी ना सिर्फ़ अपने आप को हल्का फूला महसूस करने लगी.
बल्कि उस के बे करार दिल को भी यका यक करार आ गया.
ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी की चाल में भी एक अजीब किसम का निखार था.
रज़िया बीबी अपने बेवा से बीवी बनने के इस अमल के दौरान बहुत शान के साथ एक नई नवेली दुल्हन की तरह अपनी गान्ड मटकाती हुई अपने सरताज बेटे के कमरे में दाखिल हुई. तो उस के अंग अंग से एक अजीब किसम की मस्ती सी फूट पड़ी थी.
अपनी अम्मी के जिस्म और चाल की इस तब्दीली को ज़ाहिद की गहरी नज़रों ने भी महसूस किया.
मगर उसे फॉरी तौर पर अपनी अम्मी के वजूद में आने वाली ये तब्दीली की समझ नही आई.
रज़िया बीबी ने कमरे में दाखिल हो कर ज़ाहिद के बिस्तर की साइड टेबल पर दूध का ग्लास रखा.
ज्यों ही रज़िया बीबी और ज़ाहिद एक दूसरे के नज़दीक हुए. तो दोनो माँ बेटे ने एक दूसरे के जिस्म में लगी जिन्सी भूक की महक को फॉरन महसूस कर लिया.
“अम्मी के जिस्म की खुसबू को सूंघ कर तो यूँ महसूस हो रहा है जैसे नीचे से उन की फुद्दि “चुह चुह” (बह बह) कर तालाब बन चुकी है, लगता है अम्मी सिर्फ़ मुझे ही भैंस का दूध पिलाने नही आई, बल्कि वो खुद भी दुबारा से मेरे लंड का दूध भी पीने आई हैं”अपनी अम्मी के गरम वजूद से फूटने वाली चुदाई की भीनी भीनी महक को सूंघते हुए ज़ाहिद ने सोचा. तो उस का लंड खुशी से उस की निक्कर में लुदियाँ डालने लगा.
इधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी भी ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद के करीब हुई.
तो वो भी अपने जवान बेटे के सख़्त जिस्म से निकलने वाली गर्मी की हीट को महसूस कर के मस्त होने लगी.
“हाईईईईईईईईईई लगता है कि आज दोपहर की तरह आज की रात भी मेरी चूत के लिए बहुत यादगार रात साबित हो गी” अपने बेटे ज़ाहिद के पास खड़े हो कर रज़िया बीबी के जेहन में सोच आई.
तो उस की चूत से बहने वाले पानी ने रज़िया बीबी की गुदाज रानों को गीला करना शुरू कर दिया.
ज़ाहिद के बिस्तर के पास दूध रख कर रज़िया बीबी ज्यों ही वापिस पलटी.
तो रज़िया बीबी के मुड़ने के अंदाज़ से ज़ाहिद को ना जाने क्यों ऐसा महसूस हुआ.कि उस की अम्मी वापिस अपने कमरे की तरफ जाने लगी है.
“थोड़ी देर मेरे पास भी बैठ जाओ ना अम्मी” ज़ाहिद ने जब रज़िया बीबी को एक दम से वापिस मुड़ते देखा. तो उस ने अपनी अम्मी की कलाई को अपने हाथ से पकड़ते हुए अम्मी से कहा.
“नही में आज बहुत थक गई हूँ, इसीलिए अब अपने कमरे में जा कर आराम करूँगी बेटा” ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने हाथ को झटका दिया. और किसी मगरूर हसीना की तरह अपनी नाज़ुक कलाई को अपने आशिक़ बेटे के शिकंजे से चुरा कर कमरे के दरवाज़े की तरफ चल पड़ी.
इस के बावजूद रज़िया कि बीबी की फुद्दि में भी आग लगी हुई थी.
लेकिन चूँकि रज़िया बीबी ज़ाहिद के लंड को उस की शॉर्ट्स में मचलता हुआ देख चुकी थी.
इसीलिए अब वो अपने बेटे को थोड़ा तंग करने के मूड में आ गई थी.
जब कि दूसरी तरफ आज दोपहर के बाद से ज़ाहिद ये समझ रहा था. कि उस से एक बार चुदवाने के बाद तो अब उस की अम्मी रज़िया बीबी हर वक्त अपनी शलवार का नाडा खोल कर उस के सामने पड़ी रहे गी.या ज़ाहिद जब चाहेगा उस की अम्मी उस से चुदने के लिए राज़ी हो जाएगी.
मगर यहाँ तो ज़ाहिद की सोच के विपरीत उस की अम्मी रात की तेन्हाई में उस के पास आने के बावजूद उसे नज़र अंदाज़ किए जा रही थी.
अपनी अम्मी की बे रूखी का ये अंदाज़ ज़ाहिद के दिल और लंड दोनो ही के लिए बहुत जान लेवा साबित हो रहा था.
इसीलिए ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी अम्मी को अपने पास से गुज़र कर बाहर की तरफ जाता देखा. तो वो एक दम अपनी अम्मी के पीछे लपका.
ज़ाहिद ने जल्दी से रज़िया बीबी के पीछे आ कर अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों में कस लिया.
अपनी अम्मी के जिस्म को अपनी बाहों में काबू करते ही ज़ाहिद ने पीछे से हाथ बढ़ा कर अपनी अम्मी की कमीज़ के खुले गले से बाहर छलकती हुई रज़िया बीबी की बड़ी बड़ी छातियों को अपने दोनो हाथों की गिरफ़्त में थाम लिया.
और अपनी अम्मी के मोटे मम्मो को अपने हाथों से दबाते हुए ज़ाहिद रज़िया बीबी के कान में सरगोशी करते हुए एक इंडियन गाने के ये बोल गुन गुनाने लगा,
“आ मेरे साथ कोई रात गुज़ार
तुझे सुबह तक करूँ में प्यार
ओह ऑश ऊऊऊओ”
गन्ने के बोल गुनगुनाने के साथ ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की गान्ड पर अपने लंड को रगड़ते हुए रज़िया बीबी से पूछा “मुझे सच सच बताएँ, आप इस वक्त क्यों मेरे कमरे में आई हैं अम्मी जी”.
“ओह में वाकई तुम्हे दूध देने आई थी बेटा” अपने बेटे के सख़्त हाथों को अपने सॉफ्ट मम्मो के उपर चलता पा कर रज़िया बीबी सिस्काई.
“दूध तो बस एक बहाना है, असल में मामला कोई और है, प्लीज़ मुझे बताओ ना, अम्मी ज़ाआाआआआआआअँ” ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की बात को अन सुनी करते हुए अपने हाथों और लंड का दबाव अपनी अम्मी के मोटे मम्मो और चौड़ी गान्ड पर बढ़ाते हुए फिर पूछा.
“ओह ज़ाहिद अगर सच जानना चाहते हो तो सुनो, शाज़िया चाहती है कि जब तक वो तुम्हारे बच्चे को जनम नही दे लेती, उस वक्त तक उस की जगह में तुम्हारी बीवी की हैसियत से तुम्हारे साथ इस कमरे में सोया करूँ, मेरे बच्चे” अपने वजूद को अपने बेटे की गिरफ़्त में पा कर रज़िया बीबी मचल उठी. और उस ने अपनी चौड़ी गान्ड को ज़ाहिद के मोटे और सख़्त लंड पर दबाते हुए एक दम से अपना मुँह खोल दिया.
ये ज़ाहिद के साथ हाथों का ही कमाल था. जिस की वजह से रज़िया बीबी अब मज़े से बे हाल हो कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी थी. और उस का दिल और मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगे थे.
“उफफफफफफफफफ्फ़ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा, क्या वाकई ही शाज़िया ये चाहती है कि आज से आप मेरी बीवी की हैसियत से मेरी रातों को रंगीन किया करो अम्मी जीिीइ” रज़िया बीबी की तरह ज़ाहिद भी अभी तक ये ही समझ रहा था. कि दोपहर में शाज़िया ने उसे अपनी अम्मी को चोदने की जो दावत दी थी.वो शाज़िया का कोई सोचा समझा मंसूबा नही था.
बल्कि ये सिर्फ़ और सिर्फ़ शाज़िया पर तरी उस वक्त के जिन्सी जज़्बात का असर था.जिस की वजह से शाज़िया ने उस वक्त ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ चुदाई की इजाज़त दे दी थी.
और अब उस जिन्सी जनून का असर ख़तम होने के बाद शाज़िया शायद ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ रंग रलियाँ मनाने का मोका ना दे.
इसी लिए रज़िया बीबी के बताने के बावजूद ज़ाहिद को यकीन नही हो रहा था. कि वो जो कुछ अपनी अम्मी के मुँह से सुन रहा है.वो वाकई ही सच है.
“ये सच है ज़ाहिद, तुम्हारी बीवी शाज़िया वाकई ही ये चाहती है कि में अब उस की अम्मी या सास नही, बल्कि अब उस की शौतान की हैसियत से तुम्हारे बिस्तर को हर रात गरम किया करूँ, अब तुम बताओ तुम्हें तो कोई ऐतराज नही मेरे बच्चे” रज़िया बीबी ने गोश्त से भरी अपनी पीठ (बॅक) को अपने बेटे की सख़्त छाती पर रगड़ते हुए पूछा.
“ओह मेरे लिए इस से बढ़ कर खुश किस्मती और फक्र की बात हो गी, कि मेरी सग़ी अम्मी अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ हम बिस्तरी किया करे गी” अपनी बहन शाज़िया की इस ख्वाहिश को अपनी अम्मी के मुँह से सुन कर ज़ाहिद तो खुशी से पागल होने लगा था.
और फिर ने अपना एक कदम आगे बढ़ा कर अपने बेटे के कमरे की दहलीज़ पर कर दी.
रज़िया बीबी आज शाम से पहले तक ना जाने कितनी ही दफ़ा अपने बेटे ज़ाहिद के इस कमरे में आ चुकी थी.
लेकिन इस सारे अरसे में ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी के दिल की वो हालत कभी नही हुई थी. जो इस व्कत रज़िया बीबी महसूस कर रही थी.
उस रात को अपने धड़कते दिल के साथ रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने बेटे के कमरे में अपना पावं रखा.
तो रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ. कि उस के शोहर की वफात के वक्त से उस के वजूद के साथ लिपटी हुई बेवगी की चादर एक दम से गिर कर उस के बदन से अलग हो गई हो.
आज अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की हद में कदम रखते ही रज़िया बीबी ना सिर्फ़ अपने आप को हल्का फूला महसूस करने लगी.
बल्कि उस के बे करार दिल को भी यका यक करार आ गया.
ज़ाहिद के कमरे में आते वक्त रज़िया बीबी की चाल में भी एक अजीब किसम का निखार था.
रज़िया बीबी अपने बेवा से बीवी बनने के इस अमल के दौरान बहुत शान के साथ एक नई नवेली दुल्हन की तरह अपनी गान्ड मटकाती हुई अपने सरताज बेटे के कमरे में दाखिल हुई. तो उस के अंग अंग से एक अजीब किसम की मस्ती सी फूट पड़ी थी.
अपनी अम्मी के जिस्म और चाल की इस तब्दीली को ज़ाहिद की गहरी नज़रों ने भी महसूस किया.
मगर उसे फॉरी तौर पर अपनी अम्मी के वजूद में आने वाली ये तब्दीली की समझ नही आई.
रज़िया बीबी ने कमरे में दाखिल हो कर ज़ाहिद के बिस्तर की साइड टेबल पर दूध का ग्लास रखा.
ज्यों ही रज़िया बीबी और ज़ाहिद एक दूसरे के नज़दीक हुए. तो दोनो माँ बेटे ने एक दूसरे के जिस्म में लगी जिन्सी भूक की महक को फॉरन महसूस कर लिया.
“अम्मी के जिस्म की खुसबू को सूंघ कर तो यूँ महसूस हो रहा है जैसे नीचे से उन की फुद्दि “चुह चुह” (बह बह) कर तालाब बन चुकी है, लगता है अम्मी सिर्फ़ मुझे ही भैंस का दूध पिलाने नही आई, बल्कि वो खुद भी दुबारा से मेरे लंड का दूध भी पीने आई हैं”अपनी अम्मी के गरम वजूद से फूटने वाली चुदाई की भीनी भीनी महक को सूंघते हुए ज़ाहिद ने सोचा. तो उस का लंड खुशी से उस की निक्कर में लुदियाँ डालने लगा.
इधर दूसरी तरफ रज़िया बीबी भी ज्यों ही अपने बेटे ज़ाहिद के करीब हुई.
तो वो भी अपने जवान बेटे के सख़्त जिस्म से निकलने वाली गर्मी की हीट को महसूस कर के मस्त होने लगी.
“हाईईईईईईईईईई लगता है कि आज दोपहर की तरह आज की रात भी मेरी चूत के लिए बहुत यादगार रात साबित हो गी” अपने बेटे ज़ाहिद के पास खड़े हो कर रज़िया बीबी के जेहन में सोच आई.
तो उस की चूत से बहने वाले पानी ने रज़िया बीबी की गुदाज रानों को गीला करना शुरू कर दिया.
ज़ाहिद के बिस्तर के पास दूध रख कर रज़िया बीबी ज्यों ही वापिस पलटी.
तो रज़िया बीबी के मुड़ने के अंदाज़ से ज़ाहिद को ना जाने क्यों ऐसा महसूस हुआ.कि उस की अम्मी वापिस अपने कमरे की तरफ जाने लगी है.
“थोड़ी देर मेरे पास भी बैठ जाओ ना अम्मी” ज़ाहिद ने जब रज़िया बीबी को एक दम से वापिस मुड़ते देखा. तो उस ने अपनी अम्मी की कलाई को अपने हाथ से पकड़ते हुए अम्मी से कहा.
“नही में आज बहुत थक गई हूँ, इसीलिए अब अपने कमरे में जा कर आराम करूँगी बेटा” ये कहते हुए रज़िया बीबी ने अपने हाथ को झटका दिया. और किसी मगरूर हसीना की तरह अपनी नाज़ुक कलाई को अपने आशिक़ बेटे के शिकंजे से चुरा कर कमरे के दरवाज़े की तरफ चल पड़ी.
इस के बावजूद रज़िया कि बीबी की फुद्दि में भी आग लगी हुई थी.
लेकिन चूँकि रज़िया बीबी ज़ाहिद के लंड को उस की शॉर्ट्स में मचलता हुआ देख चुकी थी.
इसीलिए अब वो अपने बेटे को थोड़ा तंग करने के मूड में आ गई थी.
जब कि दूसरी तरफ आज दोपहर के बाद से ज़ाहिद ये समझ रहा था. कि उस से एक बार चुदवाने के बाद तो अब उस की अम्मी रज़िया बीबी हर वक्त अपनी शलवार का नाडा खोल कर उस के सामने पड़ी रहे गी.या ज़ाहिद जब चाहेगा उस की अम्मी उस से चुदने के लिए राज़ी हो जाएगी.
मगर यहाँ तो ज़ाहिद की सोच के विपरीत उस की अम्मी रात की तेन्हाई में उस के पास आने के बावजूद उसे नज़र अंदाज़ किए जा रही थी.
अपनी अम्मी की बे रूखी का ये अंदाज़ ज़ाहिद के दिल और लंड दोनो ही के लिए बहुत जान लेवा साबित हो रहा था.
इसीलिए ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी अम्मी को अपने पास से गुज़र कर बाहर की तरफ जाता देखा. तो वो एक दम अपनी अम्मी के पीछे लपका.
ज़ाहिद ने जल्दी से रज़िया बीबी के पीछे आ कर अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी बाहों में कस लिया.
अपनी अम्मी के जिस्म को अपनी बाहों में काबू करते ही ज़ाहिद ने पीछे से हाथ बढ़ा कर अपनी अम्मी की कमीज़ के खुले गले से बाहर छलकती हुई रज़िया बीबी की बड़ी बड़ी छातियों को अपने दोनो हाथों की गिरफ़्त में थाम लिया.
और अपनी अम्मी के मोटे मम्मो को अपने हाथों से दबाते हुए ज़ाहिद रज़िया बीबी के कान में सरगोशी करते हुए एक इंडियन गाने के ये बोल गुन गुनाने लगा,
“आ मेरे साथ कोई रात गुज़ार
तुझे सुबह तक करूँ में प्यार
ओह ऑश ऊऊऊओ”
गन्ने के बोल गुनगुनाने के साथ ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी की गान्ड पर अपने लंड को रगड़ते हुए रज़िया बीबी से पूछा “मुझे सच सच बताएँ, आप इस वक्त क्यों मेरे कमरे में आई हैं अम्मी जी”.
“ओह में वाकई तुम्हे दूध देने आई थी बेटा” अपने बेटे के सख़्त हाथों को अपने सॉफ्ट मम्मो के उपर चलता पा कर रज़िया बीबी सिस्काई.
“दूध तो बस एक बहाना है, असल में मामला कोई और है, प्लीज़ मुझे बताओ ना, अम्मी ज़ाआाआआआआआअँ” ज़ाहिद ने रज़िया बीबी की बात को अन सुनी करते हुए अपने हाथों और लंड का दबाव अपनी अम्मी के मोटे मम्मो और चौड़ी गान्ड पर बढ़ाते हुए फिर पूछा.
“ओह ज़ाहिद अगर सच जानना चाहते हो तो सुनो, शाज़िया चाहती है कि जब तक वो तुम्हारे बच्चे को जनम नही दे लेती, उस वक्त तक उस की जगह में तुम्हारी बीवी की हैसियत से तुम्हारे साथ इस कमरे में सोया करूँ, मेरे बच्चे” अपने वजूद को अपने बेटे की गिरफ़्त में पा कर रज़िया बीबी मचल उठी. और उस ने अपनी चौड़ी गान्ड को ज़ाहिद के मोटे और सख़्त लंड पर दबाते हुए एक दम से अपना मुँह खोल दिया.
ये ज़ाहिद के साथ हाथों का ही कमाल था. जिस की वजह से रज़िया बीबी अब मज़े से बे हाल हो कर लंबी-लंबी साँसें लेने लगी थी. और उस का दिल और मोटे मम्मे ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगे थे.
“उफफफफफफफफफ्फ़ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा, क्या वाकई ही शाज़िया ये चाहती है कि आज से आप मेरी बीवी की हैसियत से मेरी रातों को रंगीन किया करो अम्मी जीिीइ” रज़िया बीबी की तरह ज़ाहिद भी अभी तक ये ही समझ रहा था. कि दोपहर में शाज़िया ने उसे अपनी अम्मी को चोदने की जो दावत दी थी.वो शाज़िया का कोई सोचा समझा मंसूबा नही था.
बल्कि ये सिर्फ़ और सिर्फ़ शाज़िया पर तरी उस वक्त के जिन्सी जज़्बात का असर था.जिस की वजह से शाज़िया ने उस वक्त ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ चुदाई की इजाज़त दे दी थी.
और अब उस जिन्सी जनून का असर ख़तम होने के बाद शाज़िया शायद ज़ाहिद को अपनी अम्मी के साथ रंग रलियाँ मनाने का मोका ना दे.
इसी लिए रज़िया बीबी के बताने के बावजूद ज़ाहिद को यकीन नही हो रहा था. कि वो जो कुछ अपनी अम्मी के मुँह से सुन रहा है.वो वाकई ही सच है.
“ये सच है ज़ाहिद, तुम्हारी बीवी शाज़िया वाकई ही ये चाहती है कि में अब उस की अम्मी या सास नही, बल्कि अब उस की शौतान की हैसियत से तुम्हारे बिस्तर को हर रात गरम किया करूँ, अब तुम बताओ तुम्हें तो कोई ऐतराज नही मेरे बच्चे” रज़िया बीबी ने गोश्त से भरी अपनी पीठ (बॅक) को अपने बेटे की सख़्त छाती पर रगड़ते हुए पूछा.
“ओह मेरे लिए इस से बढ़ कर खुश किस्मती और फक्र की बात हो गी, कि मेरी सग़ी अम्मी अब मेरी बीवी बन कर मेरे साथ हम बिस्तरी किया करे गी” अपनी बहन शाज़िया की इस ख्वाहिश को अपनी अम्मी के मुँह से सुन कर ज़ाहिद तो खुशी से पागल होने लगा था.