hotaks444
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शाज़िया को उस के मसेज का रिप्लाइ करने के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर को मसेज किया. और उस से शाज़िया के मसेज का ज़िक्र किए बगैर शाम को मिलने की ख्वाहिश ज़ाहिर की.
ज़ाहिद के मेसेज के जवाब में नीलोफर ने फॉरन शाम को उसे मिलने का वादा कर लिया.
फिर ज़ाहिद बाथरूम से निकला और अपनी अम्मी को ले कर झेलम लौट आया.
शाम को नीलोफर अपने भाई जमशेद के साथ ज़ाहिद से मिली. तो ज़ाहिद ने उसे शाज़िया की भेजी हुई फोटो दिखाते हुए पूछा “ नीलोफर तुम ने तो मुझे कहा था कि शाज़िया नही मानी तो ये क्या है”.
“ वॉवववव ज़ाहिद तुम्हारी बहन तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली,मुझे तुम से कोई बात ना करने का कह कर, अब खुद ही उस ने अपनी गरम तस्वीर तुम को सेंड कर दी यार”नीलोफर ने अपनी सहेली की नीम नंगी तस्वीर को देख कर खुश होते हुए ज़ाहिद से कहा.
“हां निलो, मगर अफ़सोस इस बात का ये है कि अब उस की वापसी तक अपने लंड को हाथ में थाम कर बैठना पड़े गा मुझे यार” ज़ाहिद ने नीलोफर और जमशेद के सामने अपनी शलवार में खड़े लंड पर अपना हाथ फेरते हुए कहा.
“कोई बात नही जानू,एक हफ्ते तक अपने लंड के पानी को अपनी बहन की गरम और प्यासी चूत के लिए संभाल कर रखो,और उस के वापिस आते ही एरपोर्ट पर ही उस की प्यासी फुद्दि में अपना गरम पानी डाल देना” नीलोफर ने हँसते हुए ज़ाहिद से कहा.
“वो तो ठीक है मगर में एक और बात सोच रहा हूँ यार” ज़ाहिद ने नीलोफर के मज़ाक को नज़र अंदाज़ कर के उस से कहा.
“वो क्या” नीलोफर और जमशेद ने एक साथ ज़ाहिद की तरफ देखते हुए पूछा.
“वो ये कि मुझे पता है कि एक बार अपनी बहन की फुद्दि लेने के बाद मेरा उस से अलग रहना मुहाल हो जाए गा” ज़ाहिद ने जवाब दिया.
“तो इस में ऐसी कौन सी बात है,तुम्हारी बहन और तुम एक ही घर में रहते हो,तो मोका मिलने पर अपनी बहन की फुद्दि मार लिया करना” इस बार जमशेद ने ज़ाहिद को सलाह देते हुए कहा.
“ ये ही तो मसला है ना यार, मुझे पता है कि एक बार की चुदाई के बाद मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नही रहे गा, और में तुम्हारी तरह छुप छुप और घुट घुट कर अपने लंड की प्यास बुझाने का आदि नही हूँ,इसीलिए अम्मी के होते हुए हर वक्त पकड़े जाने के डर से खुल कर चुदाई का मज़ा क्या खाक आएगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात का जवाब दिया.
“अच्छा फिर तुम खुल कर बताओ कि तुम क्या चाहते हो आख़िर” नीलोफर ने ज़ाहिद की बात को ना समझते और उस की बातों पर झुंझलाते हुए ज़ाहिद से पूछा.
“निलो बात ये है कि असल में, में अपनी बहन शाज़िया से शादी कर के उस को अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ” ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर की तरफ देखते हुए अपनी हैवानी ख्वाहिश का इज़हार कर दिया.
“अनोखा लाड़ला खेलन को माँगे चाँद रे” वाले गाने के बोलों की तरह ज़ाहिद की ये फरमाइश भी बहुत ही अनोखी और अजीब थी.
इसीलिए ज़ाहिद की ये बात सुन कर जमशेद और नीलोफर के मुँह से एक साथ निकला“क्याआआआआ”.
जमशेद और नीलोफर दोनो के लिए ज़ाहिद की कही हुई ये बात बहुत की अनोखी थी.इसीलिए ज़ाहिद की बात सुन कर कमरे में थोड़ी देर के लिए खामोशी सी छा गई.और नीलोफर और जमशेद दोनो ज़ाहिद को ऐसे देखने लगे जैसे ज़ाहिद पागल हो गया हो.
“ज़ाहिद होश में तो हो तुम, ये सब कैसे मुमकिन है यार” नीलोफर ने थोड़ी देर बाद खामोशी तोड़ते हुए बहुत ही जोशीले अंदाज़ में ज़ाहिद से कहा.
“अगर इंसान चाहे तो कुछ भी ना मुमकिन नही. तुम दोनो का आपस में मिलन भी तो एक ना मुमकिन बात थी. मगर जब जमशेद ने कोशिश की तो उस ने ना मुमकिन को मुमकिन बनाया ना.” ज़ाहिद नीलोफर की बात का जवाब देते हुए बोला.
“ यार मगर हम ने आपस में शादी तो नही की ना” ज़ाहिद की बात सुन कर नीलोफर ने उसे कहा.
“जब तुम दोनो ने बहन भाई होते हुए एक दूसरे को चोद लिया, तो तुम दोनो बहन भाई और एक मियाँ बीवी में क्या फ़र्क रह गया.शादी के बाद एक मियाँ बीवी भी ये ही काम करते हैं, जो तुम दोनो बहन भाई कर चुके हो” ज़ाहिद नीलोफर की बात के जवाब में अपनी दलील देते हुए बोला.
“मगर फिर भी हम ने आपस में शादी तो नही की ना,जब कि तुम अपनी ही बहन से शादी करने पर तुले हुए हो”. नीलोफर ने ज़ाहिद को समझाने वाले अंदाज़ में कहा.
“तो कर लो ना शादी तुम दोनो भी,तुम्हें रोका किस ने है यार”. ज़ाहिद ने फिर नीलोफर को जवाब दिया.
“ज़ाहिद लगता है कि तुम्हारा दिमाग़ चल गया है, ये कैसे हो स्कता है कि में और जमशेद भाई और तुम और शाज़िया आपस में शादी कर लो, मुझे तो तुम्हारी किसी बात की समझ नही आ रही” नीलोफर ने गुस्से से चिल्लाते हुए ज़ाहिद से कहा.
“में पागल और बेवकूफ़ नही, इसीलिए ज़रा गौर से मेरी बात सुनो” ज़ाहिद ने नीलोफर के गुस्से भरे लहजे को नज़र अंदाज़ करते हुए कहा.
“अच्छा सुनाओ मिस्टर अकल्मंद” नीलोफर ने ज़ाहिद की तरफ देखते हुए उसे कहा.
ज़ाहिद के मेसेज के जवाब में नीलोफर ने फॉरन शाम को उसे मिलने का वादा कर लिया.
फिर ज़ाहिद बाथरूम से निकला और अपनी अम्मी को ले कर झेलम लौट आया.
शाम को नीलोफर अपने भाई जमशेद के साथ ज़ाहिद से मिली. तो ज़ाहिद ने उसे शाज़िया की भेजी हुई फोटो दिखाते हुए पूछा “ नीलोफर तुम ने तो मुझे कहा था कि शाज़िया नही मानी तो ये क्या है”.
“ वॉवववव ज़ाहिद तुम्हारी बहन तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली,मुझे तुम से कोई बात ना करने का कह कर, अब खुद ही उस ने अपनी गरम तस्वीर तुम को सेंड कर दी यार”नीलोफर ने अपनी सहेली की नीम नंगी तस्वीर को देख कर खुश होते हुए ज़ाहिद से कहा.
“हां निलो, मगर अफ़सोस इस बात का ये है कि अब उस की वापसी तक अपने लंड को हाथ में थाम कर बैठना पड़े गा मुझे यार” ज़ाहिद ने नीलोफर और जमशेद के सामने अपनी शलवार में खड़े लंड पर अपना हाथ फेरते हुए कहा.
“कोई बात नही जानू,एक हफ्ते तक अपने लंड के पानी को अपनी बहन की गरम और प्यासी चूत के लिए संभाल कर रखो,और उस के वापिस आते ही एरपोर्ट पर ही उस की प्यासी फुद्दि में अपना गरम पानी डाल देना” नीलोफर ने हँसते हुए ज़ाहिद से कहा.
“वो तो ठीक है मगर में एक और बात सोच रहा हूँ यार” ज़ाहिद ने नीलोफर के मज़ाक को नज़र अंदाज़ कर के उस से कहा.
“वो क्या” नीलोफर और जमशेद ने एक साथ ज़ाहिद की तरफ देखते हुए पूछा.
“वो ये कि मुझे पता है कि एक बार अपनी बहन की फुद्दि लेने के बाद मेरा उस से अलग रहना मुहाल हो जाए गा” ज़ाहिद ने जवाब दिया.
“तो इस में ऐसी कौन सी बात है,तुम्हारी बहन और तुम एक ही घर में रहते हो,तो मोका मिलने पर अपनी बहन की फुद्दि मार लिया करना” इस बार जमशेद ने ज़ाहिद को सलाह देते हुए कहा.
“ ये ही तो मसला है ना यार, मुझे पता है कि एक बार की चुदाई के बाद मुझे अपने ऊपर कंट्रोल नही रहे गा, और में तुम्हारी तरह छुप छुप और घुट घुट कर अपने लंड की प्यास बुझाने का आदि नही हूँ,इसीलिए अम्मी के होते हुए हर वक्त पकड़े जाने के डर से खुल कर चुदाई का मज़ा क्या खाक आएगा” ज़ाहिद ने जमशेद की बात का जवाब दिया.
“अच्छा फिर तुम खुल कर बताओ कि तुम क्या चाहते हो आख़िर” नीलोफर ने ज़ाहिद की बात को ना समझते और उस की बातों पर झुंझलाते हुए ज़ाहिद से पूछा.
“निलो बात ये है कि असल में, में अपनी बहन शाज़िया से शादी कर के उस को अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ” ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर की तरफ देखते हुए अपनी हैवानी ख्वाहिश का इज़हार कर दिया.
“अनोखा लाड़ला खेलन को माँगे चाँद रे” वाले गाने के बोलों की तरह ज़ाहिद की ये फरमाइश भी बहुत ही अनोखी और अजीब थी.
इसीलिए ज़ाहिद की ये बात सुन कर जमशेद और नीलोफर के मुँह से एक साथ निकला“क्याआआआआ”.
जमशेद और नीलोफर दोनो के लिए ज़ाहिद की कही हुई ये बात बहुत की अनोखी थी.इसीलिए ज़ाहिद की बात सुन कर कमरे में थोड़ी देर के लिए खामोशी सी छा गई.और नीलोफर और जमशेद दोनो ज़ाहिद को ऐसे देखने लगे जैसे ज़ाहिद पागल हो गया हो.
“ज़ाहिद होश में तो हो तुम, ये सब कैसे मुमकिन है यार” नीलोफर ने थोड़ी देर बाद खामोशी तोड़ते हुए बहुत ही जोशीले अंदाज़ में ज़ाहिद से कहा.
“अगर इंसान चाहे तो कुछ भी ना मुमकिन नही. तुम दोनो का आपस में मिलन भी तो एक ना मुमकिन बात थी. मगर जब जमशेद ने कोशिश की तो उस ने ना मुमकिन को मुमकिन बनाया ना.” ज़ाहिद नीलोफर की बात का जवाब देते हुए बोला.
“ यार मगर हम ने आपस में शादी तो नही की ना” ज़ाहिद की बात सुन कर नीलोफर ने उसे कहा.
“जब तुम दोनो ने बहन भाई होते हुए एक दूसरे को चोद लिया, तो तुम दोनो बहन भाई और एक मियाँ बीवी में क्या फ़र्क रह गया.शादी के बाद एक मियाँ बीवी भी ये ही काम करते हैं, जो तुम दोनो बहन भाई कर चुके हो” ज़ाहिद नीलोफर की बात के जवाब में अपनी दलील देते हुए बोला.
“मगर फिर भी हम ने आपस में शादी तो नही की ना,जब कि तुम अपनी ही बहन से शादी करने पर तुले हुए हो”. नीलोफर ने ज़ाहिद को समझाने वाले अंदाज़ में कहा.
“तो कर लो ना शादी तुम दोनो भी,तुम्हें रोका किस ने है यार”. ज़ाहिद ने फिर नीलोफर को जवाब दिया.
“ज़ाहिद लगता है कि तुम्हारा दिमाग़ चल गया है, ये कैसे हो स्कता है कि में और जमशेद भाई और तुम और शाज़िया आपस में शादी कर लो, मुझे तो तुम्हारी किसी बात की समझ नही आ रही” नीलोफर ने गुस्से से चिल्लाते हुए ज़ाहिद से कहा.
“में पागल और बेवकूफ़ नही, इसीलिए ज़रा गौर से मेरी बात सुनो” ज़ाहिद ने नीलोफर के गुस्से भरे लहजे को नज़र अंदाज़ करते हुए कहा.
“अच्छा सुनाओ मिस्टर अकल्मंद” नीलोफर ने ज़ाहिद की तरफ देखते हुए उसे कहा.