hotaks444
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ज़ाहिद ने भी शाज़िया के भारी जिस्म के गिर्द अपने बाजुओं को लपेटा. और एक हाथ से अपनी बहन के भारी मम्मे को मसल्ते हुए अपनी बहन के गुदाज होंठो पे अपने होन्ट रख कर उन को चूसना शुरू कर दिया.
शाज़िया को अपनी सहेली नीलोफर और उस के भाई जमशेद की मौजूदगी में ज़ाहिद भाई की इस हरकत पर शरम तो आई. मगर वो चाहने के बावजूद अपने भाई को सब के सामने उसे प्यार करने से रो ना पाई.
इधर टीवी लवंज में बैठे ये सब लोग. तो अपनी खुशी के ये लम्हे एक दूसरे के साथ शेयर करने में मगन थे.
मगर वो सब इस बात से बे खबर थे.कि ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी टीवी लाउन्ज के साथ वाले कमरे से पर्दे की ओट में खड़े हो कर. अपने बच्चो का ये घिनौना तमाशा बड़ी खामोशी से देख देख कर अपने दिल ही दिल में कुढ रही है.
थोड़ी देर एक दूसरे से छेड़ छाड़ करने के बाद सब लोग अपनी अपने कमरों में जा कर सोने के लिए लेट गये.
दूसरे दिन सुबह शाज़िया सो कर उठी. तो उस ने पेशाब करते वक्त अपनी चूत पर लगे पॅड को अच्छी तरह चेक किया.
जब शाज़िया को यकीन हो गया कि उस का पीरियड मुकम्मल तौर पर ख़तम हो चुका था.तो शाज़िया ने सोचा कि उसे अब अपनी अम्मी को इस बारे में बता देना चाहिए.
ये सोच कर शाज़िया रज़ाई बीबी के कमरे में गई. और बिस्तर में लेटी हुई अपनी अम्मी से कहा“अम्मी मेरे पीरियड्स अब ख़तम हो चुके हैं और में आज ही नहा भी लूँगी”.
“अच्छा ठीक है फिर में ज़ाहिद ने बात करती हूँ” अपनी बेटी की बात को समझते हुए रज़िया बीबी ने बहुत धीमी आवाज़ में जवाब दिया.
फिर उसी दिन नाश्ते के बाद रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद से कहा “ज़ाहिद बेटा तुम्हारी बहन आज नहा कर पाक हो जाएगी ,इसीलिए अब तुम लोग जब चाहो अपना निकाह पढ़वा लो”
“हाईईईईईईईईई अम्मी आप कितनी अच्छी हैं” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने रज़िया बीबी को प्यार से कहा.
ज़ाहिद तो कब से इस लम्हे का मुंतीज़ार था. इसीलिए अपनी अम्मी की बात सुन कर उस का दिल खुशी से झूम उठा.
वो दौड़ता हुए शाज़िया के कमरे में पहुँचा.तो उस ने जमशेद और नीलोफर को भी शाज़िया के कमरे में ही माजूद पाया.
ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर को अपनी अम्मी से हुई बात के बारे में आगाह किया.
ज़ाहिद की बात सुन कर जमशेद ने खुशी से अपनी बहन नीलोफर को अपने गले से लगा लिया.
असल में जब से नीलोफर और जमशेद ज़ाहिद के घर में मूव हुए थे.तो उस दिन से ले कर अब तक ज़ाहिद की तरह जमशेद का भी अपनी बहन नीलोफर से “परहेज” ही था.
इस की वजह ये थी कि नीलोफर की भी ये ख्वाहिश थी. कि अब वो अपने भाई को अपनी चूत उस की बीवी बन कर ही देगी .
इसीलिए काफ़ी दिन से अपनी बहन की फुद्दि का मुँह ना देख पाने की वजह से ज़ाहिद की तरह जमशेद के दिमाग़ पर उस के लंड का खुमार चढ़ा हुआ था.
फिर सब के मशवरे से उसी रात 8 बजे निकाह का टाइम फिक्स कर दिया गया.
उन लोगो के पास वक्त बहुत कम था. इसीलिए सब उठ कर इकट्ठे ही शादी की तैयारी में मसरूफ़ हो गये.
सब से पहले ज़ाहिद और जमशेद ने बाज़ार जा कर फूलों की दुकान से बहुत सारे गुलाब के फूल खरीदे.और फिर घर वापिस आ कर ज़ाहिद और जमशेद ने मिल कर ऊपर की मंज़िल पर जमशेद और नीलोफर की सुहाग रात के लिए उन का कमरा सेट किया.
नीलोफर और जमशेद के कमरे को तैयार कर के ज़ाहिद, जमशेद और नीलोफर नीचे आ कर ज़ाहिद के कमरे में चले आए. जब कि शाज़िया किसी काम से अपने कमरे में चली गई.
ज़ाहिर सी बात है कि शादी के बाद दुल्हन “ब्याह” कर हमेशा दूल्हा के घर ही आती है.
इसीलिए ज़ाहिद ने भी अपनी बहन शाज़िया को अपनी दुलहन बना कर अपने कमरे में लेने और अपनी सुहाग रात उसी कमरे में मनाने का सोच रखा था.
इसी लिए ज़ाहिद ने जमशेद के साथ मिल कर पहले अपने पलंग को गुलाब के फुलो की पत्तियों से सजाया. और फिर मोतिया और गुलाब की लाडियाँ अपने बेड के इर्द गिर्द टाँग कर अपनी सुहाग की मसहरी भी बना ली.
जब ज़ाहिद और जमशेद और नीलोफर गुलाब की पत्तियों के साथ शाज़िया और ज़ाहिद के लिए सुहाग की मसेहरी बना रहे थे. तो उसी लम्हे शाज़िया बाहर से ज़ाहिद भाई के कमरे में दाखिल हुई.
उस वक्त ज़ाहिद के कमरे के फर्श पर चारों तरफ गुलाब की पत्तियाँ बिखरी पड़ी थी.जिन की खुसबू ने पूरे कमरे को महका दिया था.
ज़ाहिद के कमरे में दाखिल हो कर शाज़िया ने जब कमरे में बिछे हुए बेड पर नज़र दौड़ाई. तो वो अपने भाई के खूबसूरत से सजे हुए बेड से अपनी नज़रें ही ना हटा सकी.
शाज़िया को अपनी सहेली नीलोफर और उस के भाई जमशेद की मौजूदगी में ज़ाहिद भाई की इस हरकत पर शरम तो आई. मगर वो चाहने के बावजूद अपने भाई को सब के सामने उसे प्यार करने से रो ना पाई.
इधर टीवी लवंज में बैठे ये सब लोग. तो अपनी खुशी के ये लम्हे एक दूसरे के साथ शेयर करने में मगन थे.
मगर वो सब इस बात से बे खबर थे.कि ज़ाहिद और शाज़िया की अम्मी रज़िया बीबी टीवी लाउन्ज के साथ वाले कमरे से पर्दे की ओट में खड़े हो कर. अपने बच्चो का ये घिनौना तमाशा बड़ी खामोशी से देख देख कर अपने दिल ही दिल में कुढ रही है.
थोड़ी देर एक दूसरे से छेड़ छाड़ करने के बाद सब लोग अपनी अपने कमरों में जा कर सोने के लिए लेट गये.
दूसरे दिन सुबह शाज़िया सो कर उठी. तो उस ने पेशाब करते वक्त अपनी चूत पर लगे पॅड को अच्छी तरह चेक किया.
जब शाज़िया को यकीन हो गया कि उस का पीरियड मुकम्मल तौर पर ख़तम हो चुका था.तो शाज़िया ने सोचा कि उसे अब अपनी अम्मी को इस बारे में बता देना चाहिए.
ये सोच कर शाज़िया रज़ाई बीबी के कमरे में गई. और बिस्तर में लेटी हुई अपनी अम्मी से कहा“अम्मी मेरे पीरियड्स अब ख़तम हो चुके हैं और में आज ही नहा भी लूँगी”.
“अच्छा ठीक है फिर में ज़ाहिद ने बात करती हूँ” अपनी बेटी की बात को समझते हुए रज़िया बीबी ने बहुत धीमी आवाज़ में जवाब दिया.
फिर उसी दिन नाश्ते के बाद रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद से कहा “ज़ाहिद बेटा तुम्हारी बहन आज नहा कर पाक हो जाएगी ,इसीलिए अब तुम लोग जब चाहो अपना निकाह पढ़वा लो”
“हाईईईईईईईईई अम्मी आप कितनी अच्छी हैं” अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद ने रज़िया बीबी को प्यार से कहा.
ज़ाहिद तो कब से इस लम्हे का मुंतीज़ार था. इसीलिए अपनी अम्मी की बात सुन कर उस का दिल खुशी से झूम उठा.
वो दौड़ता हुए शाज़िया के कमरे में पहुँचा.तो उस ने जमशेद और नीलोफर को भी शाज़िया के कमरे में ही माजूद पाया.
ज़ाहिद ने जमशेद और नीलोफर को अपनी अम्मी से हुई बात के बारे में आगाह किया.
ज़ाहिद की बात सुन कर जमशेद ने खुशी से अपनी बहन नीलोफर को अपने गले से लगा लिया.
असल में जब से नीलोफर और जमशेद ज़ाहिद के घर में मूव हुए थे.तो उस दिन से ले कर अब तक ज़ाहिद की तरह जमशेद का भी अपनी बहन नीलोफर से “परहेज” ही था.
इस की वजह ये थी कि नीलोफर की भी ये ख्वाहिश थी. कि अब वो अपने भाई को अपनी चूत उस की बीवी बन कर ही देगी .
इसीलिए काफ़ी दिन से अपनी बहन की फुद्दि का मुँह ना देख पाने की वजह से ज़ाहिद की तरह जमशेद के दिमाग़ पर उस के लंड का खुमार चढ़ा हुआ था.
फिर सब के मशवरे से उसी रात 8 बजे निकाह का टाइम फिक्स कर दिया गया.
उन लोगो के पास वक्त बहुत कम था. इसीलिए सब उठ कर इकट्ठे ही शादी की तैयारी में मसरूफ़ हो गये.
सब से पहले ज़ाहिद और जमशेद ने बाज़ार जा कर फूलों की दुकान से बहुत सारे गुलाब के फूल खरीदे.और फिर घर वापिस आ कर ज़ाहिद और जमशेद ने मिल कर ऊपर की मंज़िल पर जमशेद और नीलोफर की सुहाग रात के लिए उन का कमरा सेट किया.
नीलोफर और जमशेद के कमरे को तैयार कर के ज़ाहिद, जमशेद और नीलोफर नीचे आ कर ज़ाहिद के कमरे में चले आए. जब कि शाज़िया किसी काम से अपने कमरे में चली गई.
ज़ाहिर सी बात है कि शादी के बाद दुल्हन “ब्याह” कर हमेशा दूल्हा के घर ही आती है.
इसीलिए ज़ाहिद ने भी अपनी बहन शाज़िया को अपनी दुलहन बना कर अपने कमरे में लेने और अपनी सुहाग रात उसी कमरे में मनाने का सोच रखा था.
इसी लिए ज़ाहिद ने जमशेद के साथ मिल कर पहले अपने पलंग को गुलाब के फुलो की पत्तियों से सजाया. और फिर मोतिया और गुलाब की लाडियाँ अपने बेड के इर्द गिर्द टाँग कर अपनी सुहाग की मसहरी भी बना ली.
जब ज़ाहिद और जमशेद और नीलोफर गुलाब की पत्तियों के साथ शाज़िया और ज़ाहिद के लिए सुहाग की मसेहरी बना रहे थे. तो उसी लम्हे शाज़िया बाहर से ज़ाहिद भाई के कमरे में दाखिल हुई.
उस वक्त ज़ाहिद के कमरे के फर्श पर चारों तरफ गुलाब की पत्तियाँ बिखरी पड़ी थी.जिन की खुसबू ने पूरे कमरे को महका दिया था.
ज़ाहिद के कमरे में दाखिल हो कर शाज़िया ने जब कमरे में बिछे हुए बेड पर नज़र दौड़ाई. तो वो अपने भाई के खूबसूरत से सजे हुए बेड से अपनी नज़रें ही ना हटा सकी.