hotaks444
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परिवार हो तो ऐसा
लेखक- राज अग्रवाल
राज खिड़की के पीछे छुप कर देख रहा था कि किस तरह वो मोटा और लंबा लंड उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था... उसके होठों ने उस लंड को अपनी जीब से जकड़ा हुआ था.. और उसकी लंबाई और मोटाई का मज़ा ले उसे चूस रहे थे.. उसके मुँह उपर नीचे हो रहा था.. और गौरव बड़े प्यार से उसे देख रहा था.
कमरे के अंदर के नज़ारे को देखते हुए राज ने अपने लंड को अपनी शॉर्ट्स से आज़ाद किया और अपनी मुट्ठी उसके इर्द गिर्द कस दी.. उसके दिल मे आ रहा था कि काश गौरव के लंड की जगह उसके खुद का लंड उस प्यारे मुँहे के अंदर बाहर हो रहा होता. जिस तेज़ी से उसका मुँह उस लंड के उपर नीचे हो रहा था.. राज अपने लंड को उसी तरह मुठियाने लगा.. वो उसके मुँह के साथ ताल से ताल मिला रहा था... उसका दिल तो चाह रहा था कि काश यहा खिड़की के पीछे होने की जगह वो कमरे के अंदर होता.. पर वो ऐसा कर नही सकता था..
राज की नज़रें उस लड़की के उपर गढ़ी हुई थी जो मुँह को उपर नीचे कर बेडरूम के अंदर उस लंड को चूस रही थी.. वो पतली थी...किसी खिलाड़ी की तरह... उसके लंबे बाल बार बार उसके चेहरे के आगे आ जाते लेकिन वो अपने बालों को रह रह कर पीछे कर देती... राज उसके सुंदर चेहरे की देख रहा था... गोल चेहरा पतले बारीक होंठ.. और उसकी गुलाबी जीब जो उस लंड पर फिरक रही थी... गोरा चिकना बदन और सबसे प्यारी उसकी नीली आँखे... जो किसी को भी आकर्षित कर सकती थी ... मदहोश कर सकती थी...
राज की आँखे उसके चेहरे से थोड़ा नीचे फिसली... जहाँ उसे दो प्यारी और भरी हुई चुचियाँ दीखाई दी.. जो किसी पके हुए आम की तरह अपने बॉयफ्रेंड के छाती पर झूल रही थी.. उसका बॉयफ्रेंड लेट कर अपनी प्रेमिका की जीब का मज़ा अपने लंड पर ले रहा था.... उसकी पतली कमर और गोल गोल कूल्हे... देख राज का मन मचलने लगा.
वो जितना जोरों से अपने बॉयफ्रेंड के लंड को चूस्ति राज उतनी जोरों से अपने लंड को मसल्ने लगता... लड़की ने अपना चेहरा उठाया और उस लंड को अपनी मुट्ठी मे भर मुठियाने लगी.. राज देखता रहा... राज को मालूम था कि गौरव का लंड पानी छोड़ रहा है और वो लड़की उसके पानी को अपने मुँह मे ले पी रही है... राज से सहन नही हो रहा था और वो ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को मसल्ने लगा... आख़िर उसके लंड ने पानी की धार छोड़ी.. जो खिड़की के नीचे दीवार पर जा गिरी...
राज सोच रहा था कि काश प्रीति उसके लंड को गौरव के लंड की तरह मुँह मे ले चूस्ति और वो भी अपने वीर्य की पिचकारी उसके गले तक छोड़ता... पर वो अपनी सग़ी बेहन के साथ ऐसा कर तो नही सकता था ना.. इसलिए वो सिर्फ़ देखता रहा और इंतेज़ार करता रहा कि क्या वो दोनो आगे बढ़ते है.. लेकिन उसने देखा कि उसकी छोटी बेहन अपने बॉय फ़्रेंड गौरव से सिर्फ़ बात करने मे लगी हुई है तो उसने घर के अंदर जाने की सोची.. उसके माता पिता घर आते ही होंगे. वो हॉल मे आ टीवी देखने लगा और दो प्रेमियों का इंतेज़ार करने लगा कि वो कब बाहर आते है.
राज के माता पिता किसी पार्टी मे गये थे और तीनो को घर पर अकेला ये सोच कर छोड़ गये थे कि शायद तीनो बैठ कर कोई पिक्चर देखेंगे.. लेकिन उनके जाते ही प्रीति और गौरव दोनो बेडरूम मे खिसक गये थे... और प्रीति जाते जाते राज को ये कह गयी कि वो ध्यान रखे... राज को गुस्सा भी आ रहा था और जलन भी हो रही थी... कि वो बैठ कर अपनी ही बेहन की पहरेदारी करे और वो अपने प्रेमी के साथ बेडरूम मे गुलचर्रे उड़ाए... टीवी देखते देखते उसे उकताहत होने लगी.. तभी उसके दिल मे आया कि वो देखे तो ज़रा कि उसकी प्यारी छोटी बेहन आख़िर अपने प्रेमी के साथ कर क्या रही है... इसलिए वो घर के बाहर गलियारे मे आ गया कि शायद खिड़की से कुछ देखने को मिल जाए.. उसे ये देख कर हैरानी हुई कि दोनो नादान प्रेमी अपने उत्तावलेपन मे ना तो कमरे की लाइट ही बुझाई थी और ना ही खिड़की पर पड़े पर्दे डाले थे....उसे दोनो साफ साफ दीखाई दे रहे थे..... उसने देखा कि गौरव ने प्रीति के ट्रोप को उसके सिर पर से उठा उतार दिया था और उसकी ब्रा मे क़ैद कूचियों दीखाई दे रही थी.
राज बचपन से अपनी बेहन की चुचियों को देखता आ रहा था तब से जब उसकी छाती पर चुचिया एक घुंडी के आकार मे उबरने लगी थी... तब से लेकर वक्त के साथ बदलते उसकी ब्रा और पॅंटी का साइज़ भी उसे मालूम था....
गौरव अब प्रीति की चुचियों को चूस रहा था.. और राज ये सब देख जज्बाती हो रहा था... जैसे ही गौरव ने उसके निपल को दाँतों के बीच लेते हुए खींच कर काटा राज को लगा कि उसका लंड मचलने लगा था ये सब देखकर... अपनी ही बेहन को इस तरह अपने प्रेमी के साथ मस्ती करते देख वो उत्तेजित हो रहा था...
प्रीति ने गौरव को धक्का दे बिस्तर पर पीठ के बल लीटा दिया था... और उसने उसकी पॅंट खींच कर नीचे कर दी थी... और उसके लंड को मुँह मे ले चूस रही थी... राज खुद अपनी गिर्ल्फ्रेंड के साथ इतना आगे नही बढ़ पाया था जितना कि प्रीति बढ़ चुकी थी...
ये सब सोचते ही राज का लंड एक बार फिर खड़ा होने लगा था.. लेकिन तभी प्रीति और गौरव हॉल मे आकर सोफे पर बैठ गये... राज ने उनसे कुछ ड्रिंक लेने के लिए पूछा... और अपने ड्रिंक लाने के लिए उठ गया.
जैसे ही राज प्रीति के बगल से गुज़रा उसके पॅंट के अंदर तने लंड का उभार उसकी नज़रों से छिपा ना रह सका.. वो हैरत से अपने भाई के खड़े लंड को देखती रही.... उसने तुरंत अपनी निगाह गौरव के चेहरे पर डाली कहीं वो भी तो नही देख रहा... लेकिन वो तो टीवी पर मूवी देखने मे व्यस्त था...
आज से पहले प्रीति ने कभी अपनी निगाह राज की जांघों के बीच नही डाली थी... आख़िर वो उसका भाई था... लेकिन आज जब वो बगल से गुज़रा तो वो चाह कर भी अपनी नज़रें उस पर से नही हटा पाई. प्रीति का मुँह अभी भी अपने बॉयफ्रेंड के वीर्य के स्वाद से भरा था... और साथ ही उसकी चूत भी झाड़ कर शांत नही हुई थी... राज के लंड का उभार देख उसे महसूस हुआ कि उसकी पॅंटी गीली हो गयी थी.... शायद रस से भरी उसकी चूत चुह रही थी.
प्रीति को विश्वास नही हो रहा था कि अपने ही भाई के लंड के ख़याल से वो उत्तेजित हो सकती है.. उसने अपने ख़यालों को झटका और अपना सारा ध्यान टीवी पर लगा दिया... थोड़ी ही देर मे राज हाथ मे कोल्ड ड्रिंक लिए आया और उसके पास बैठ गया... अब प्रीति बीच मे थी और गौरव उसकी दूसरी तरफ.
प्रीति अपने आपको नही रोक पाई और उसकी निगाह एक बार फिर अपने भाई की जांघों के बीच चली गयी... वैसे तो उसका लंड कुछ ढीला पड़ चुका था लेकिन उसका उभार अभी भी पॅंट के उपर से दीखाई दे रहा था... उसकी चूत मे फिर सरसराहट मचने लगी.
मूवी ख़तम होने से कुछ देर पहले ही राज और प्रीति के माता पिता आ गये थे... इसलिए वक्ती तौर पर अपने भाई के लंड का ख्याल प्रीति के दीमाग से निकल गया था... लेकिन उसी रात वो अपने कमरे मे बिस्तर पर नंगी लेटी... टाँगे फैलाए... अपनी उंगलियों को ज़ोर ज़ोर से चूत पर मसल रही थी.. वो अपनी चूत को झाड़ा अपनी उत्तेजना शांत करना चाहती थी.... वो हर बार अपने बॉयफ्रेंड गौरव को और उसके लंड को याद करने की कोशिश करती तो हर बार राज के लंड का उभार उसकी आँखों के सामने आ जाता.
लेखक- राज अग्रवाल
राज खिड़की के पीछे छुप कर देख रहा था कि किस तरह वो मोटा और लंबा लंड उसके मुँह के अंदर बाहर हो रहा था... उसके होठों ने उस लंड को अपनी जीब से जकड़ा हुआ था.. और उसकी लंबाई और मोटाई का मज़ा ले उसे चूस रहे थे.. उसके मुँह उपर नीचे हो रहा था.. और गौरव बड़े प्यार से उसे देख रहा था.
कमरे के अंदर के नज़ारे को देखते हुए राज ने अपने लंड को अपनी शॉर्ट्स से आज़ाद किया और अपनी मुट्ठी उसके इर्द गिर्द कस दी.. उसके दिल मे आ रहा था कि काश गौरव के लंड की जगह उसके खुद का लंड उस प्यारे मुँहे के अंदर बाहर हो रहा होता. जिस तेज़ी से उसका मुँह उस लंड के उपर नीचे हो रहा था.. राज अपने लंड को उसी तरह मुठियाने लगा.. वो उसके मुँह के साथ ताल से ताल मिला रहा था... उसका दिल तो चाह रहा था कि काश यहा खिड़की के पीछे होने की जगह वो कमरे के अंदर होता.. पर वो ऐसा कर नही सकता था..
राज की नज़रें उस लड़की के उपर गढ़ी हुई थी जो मुँह को उपर नीचे कर बेडरूम के अंदर उस लंड को चूस रही थी.. वो पतली थी...किसी खिलाड़ी की तरह... उसके लंबे बाल बार बार उसके चेहरे के आगे आ जाते लेकिन वो अपने बालों को रह रह कर पीछे कर देती... राज उसके सुंदर चेहरे की देख रहा था... गोल चेहरा पतले बारीक होंठ.. और उसकी गुलाबी जीब जो उस लंड पर फिरक रही थी... गोरा चिकना बदन और सबसे प्यारी उसकी नीली आँखे... जो किसी को भी आकर्षित कर सकती थी ... मदहोश कर सकती थी...
राज की आँखे उसके चेहरे से थोड़ा नीचे फिसली... जहाँ उसे दो प्यारी और भरी हुई चुचियाँ दीखाई दी.. जो किसी पके हुए आम की तरह अपने बॉयफ्रेंड के छाती पर झूल रही थी.. उसका बॉयफ्रेंड लेट कर अपनी प्रेमिका की जीब का मज़ा अपने लंड पर ले रहा था.... उसकी पतली कमर और गोल गोल कूल्हे... देख राज का मन मचलने लगा.
वो जितना जोरों से अपने बॉयफ्रेंड के लंड को चूस्ति राज उतनी जोरों से अपने लंड को मसल्ने लगता... लड़की ने अपना चेहरा उठाया और उस लंड को अपनी मुट्ठी मे भर मुठियाने लगी.. राज देखता रहा... राज को मालूम था कि गौरव का लंड पानी छोड़ रहा है और वो लड़की उसके पानी को अपने मुँह मे ले पी रही है... राज से सहन नही हो रहा था और वो ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को मसल्ने लगा... आख़िर उसके लंड ने पानी की धार छोड़ी.. जो खिड़की के नीचे दीवार पर जा गिरी...
राज सोच रहा था कि काश प्रीति उसके लंड को गौरव के लंड की तरह मुँह मे ले चूस्ति और वो भी अपने वीर्य की पिचकारी उसके गले तक छोड़ता... पर वो अपनी सग़ी बेहन के साथ ऐसा कर तो नही सकता था ना.. इसलिए वो सिर्फ़ देखता रहा और इंतेज़ार करता रहा कि क्या वो दोनो आगे बढ़ते है.. लेकिन उसने देखा कि उसकी छोटी बेहन अपने बॉय फ़्रेंड गौरव से सिर्फ़ बात करने मे लगी हुई है तो उसने घर के अंदर जाने की सोची.. उसके माता पिता घर आते ही होंगे. वो हॉल मे आ टीवी देखने लगा और दो प्रेमियों का इंतेज़ार करने लगा कि वो कब बाहर आते है.
राज के माता पिता किसी पार्टी मे गये थे और तीनो को घर पर अकेला ये सोच कर छोड़ गये थे कि शायद तीनो बैठ कर कोई पिक्चर देखेंगे.. लेकिन उनके जाते ही प्रीति और गौरव दोनो बेडरूम मे खिसक गये थे... और प्रीति जाते जाते राज को ये कह गयी कि वो ध्यान रखे... राज को गुस्सा भी आ रहा था और जलन भी हो रही थी... कि वो बैठ कर अपनी ही बेहन की पहरेदारी करे और वो अपने प्रेमी के साथ बेडरूम मे गुलचर्रे उड़ाए... टीवी देखते देखते उसे उकताहत होने लगी.. तभी उसके दिल मे आया कि वो देखे तो ज़रा कि उसकी प्यारी छोटी बेहन आख़िर अपने प्रेमी के साथ कर क्या रही है... इसलिए वो घर के बाहर गलियारे मे आ गया कि शायद खिड़की से कुछ देखने को मिल जाए.. उसे ये देख कर हैरानी हुई कि दोनो नादान प्रेमी अपने उत्तावलेपन मे ना तो कमरे की लाइट ही बुझाई थी और ना ही खिड़की पर पड़े पर्दे डाले थे....उसे दोनो साफ साफ दीखाई दे रहे थे..... उसने देखा कि गौरव ने प्रीति के ट्रोप को उसके सिर पर से उठा उतार दिया था और उसकी ब्रा मे क़ैद कूचियों दीखाई दे रही थी.
राज बचपन से अपनी बेहन की चुचियों को देखता आ रहा था तब से जब उसकी छाती पर चुचिया एक घुंडी के आकार मे उबरने लगी थी... तब से लेकर वक्त के साथ बदलते उसकी ब्रा और पॅंटी का साइज़ भी उसे मालूम था....
गौरव अब प्रीति की चुचियों को चूस रहा था.. और राज ये सब देख जज्बाती हो रहा था... जैसे ही गौरव ने उसके निपल को दाँतों के बीच लेते हुए खींच कर काटा राज को लगा कि उसका लंड मचलने लगा था ये सब देखकर... अपनी ही बेहन को इस तरह अपने प्रेमी के साथ मस्ती करते देख वो उत्तेजित हो रहा था...
प्रीति ने गौरव को धक्का दे बिस्तर पर पीठ के बल लीटा दिया था... और उसने उसकी पॅंट खींच कर नीचे कर दी थी... और उसके लंड को मुँह मे ले चूस रही थी... राज खुद अपनी गिर्ल्फ्रेंड के साथ इतना आगे नही बढ़ पाया था जितना कि प्रीति बढ़ चुकी थी...
ये सब सोचते ही राज का लंड एक बार फिर खड़ा होने लगा था.. लेकिन तभी प्रीति और गौरव हॉल मे आकर सोफे पर बैठ गये... राज ने उनसे कुछ ड्रिंक लेने के लिए पूछा... और अपने ड्रिंक लाने के लिए उठ गया.
जैसे ही राज प्रीति के बगल से गुज़रा उसके पॅंट के अंदर तने लंड का उभार उसकी नज़रों से छिपा ना रह सका.. वो हैरत से अपने भाई के खड़े लंड को देखती रही.... उसने तुरंत अपनी निगाह गौरव के चेहरे पर डाली कहीं वो भी तो नही देख रहा... लेकिन वो तो टीवी पर मूवी देखने मे व्यस्त था...
आज से पहले प्रीति ने कभी अपनी निगाह राज की जांघों के बीच नही डाली थी... आख़िर वो उसका भाई था... लेकिन आज जब वो बगल से गुज़रा तो वो चाह कर भी अपनी नज़रें उस पर से नही हटा पाई. प्रीति का मुँह अभी भी अपने बॉयफ्रेंड के वीर्य के स्वाद से भरा था... और साथ ही उसकी चूत भी झाड़ कर शांत नही हुई थी... राज के लंड का उभार देख उसे महसूस हुआ कि उसकी पॅंटी गीली हो गयी थी.... शायद रस से भरी उसकी चूत चुह रही थी.
प्रीति को विश्वास नही हो रहा था कि अपने ही भाई के लंड के ख़याल से वो उत्तेजित हो सकती है.. उसने अपने ख़यालों को झटका और अपना सारा ध्यान टीवी पर लगा दिया... थोड़ी ही देर मे राज हाथ मे कोल्ड ड्रिंक लिए आया और उसके पास बैठ गया... अब प्रीति बीच मे थी और गौरव उसकी दूसरी तरफ.
प्रीति अपने आपको नही रोक पाई और उसकी निगाह एक बार फिर अपने भाई की जांघों के बीच चली गयी... वैसे तो उसका लंड कुछ ढीला पड़ चुका था लेकिन उसका उभार अभी भी पॅंट के उपर से दीखाई दे रहा था... उसकी चूत मे फिर सरसराहट मचने लगी.
मूवी ख़तम होने से कुछ देर पहले ही राज और प्रीति के माता पिता आ गये थे... इसलिए वक्ती तौर पर अपने भाई के लंड का ख्याल प्रीति के दीमाग से निकल गया था... लेकिन उसी रात वो अपने कमरे मे बिस्तर पर नंगी लेटी... टाँगे फैलाए... अपनी उंगलियों को ज़ोर ज़ोर से चूत पर मसल रही थी.. वो अपनी चूत को झाड़ा अपनी उत्तेजना शांत करना चाहती थी.... वो हर बार अपने बॉयफ्रेंड गौरव को और उसके लंड को याद करने की कोशिश करती तो हर बार राज के लंड का उभार उसकी आँखों के सामने आ जाता.