hotaks444
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थोड़ी देर में नर्स आयी और उसने एक और सलाइन शुरू कर दी...और थोडा नींद का इंजेक्शन भी दे दिया।
उसने कहा की ये सलाइन अब रात भर चलेगी...और अगर वो लोग सोना चाहे तो सो सकते है...और कुछ प्रॉब्लम लगा तो बेल बजा दे...
सुहानी:- पापा आप सो जाइए मैं जागती हु थोड़ी देर फिर आप को जगा के। मैं सो जाउंगी...
अविनाश:- नही ठीक है मुझे नींद नही आ रही...
माहोल ही कुछ ऐसा था की दोनों को नींद नही आ रही थी।
अविनाश:- ये ड्रेस तुमने उस दिन भी पहना था ना...कार में??
सुहानी:- हा..क्यू??
अविनाश:-कुछ नही..
सुहानी:- फिर क्यू पुचब्रह थे??
अविनाश:- अरे ऐसेही पूछा...अच्छा है ये ड्रेस
सुहानी शरमा गई...उसे पता था अविनाश को भी वो कार वाला सिन याद आ गया होगा...और अब ऑलमोस्ट एक हफ्ता बीत गया था उस बात को...
सुहानी:- क्यू..बाकी के अच्छे नहीं क्या??
अविनाश:- अच्छे है..उए ढीला ढीला कम्फ़र्टेबल रहता है...और वो तुम्हारे टाइट ड्रेस भी अच्छे है...उसमे तो तुम और भी अच्छी लगती हो..
सुहानी:- अच्छा??
अविनाश:- हा...तुम्हारी फिगर अच्छेसे नजर आती है उन टाइट ड्रेस में...
सुहानी:-पापा....सुहानी हैरानी से देखती है...
अविनाश:- हा ना..क्यू क्या हुआ??
सुहानी:- आप भी ना..कुछ भी बोल देते हो..
अविनाश:- अरे सच ही तो कहा...जब कभी वो टाइट वाले कपडे पहनोगी तो देखना आईने में..
सुहानी:- चुप रहिये..आप मेरे साथ ऐसे बात नही कर सकते...
अविनाश:- क्यू??उस दिन ही तो कहा ना...हम फ्रेंड्स है...
सुहानी:- फिर भी नही...
अविनाश:- ओके बाबा..नही कहूँगा...अब अपनी बेटी की तारीफ करना भी अल्लोवुड नही है..
सुहानी:- ओह्ह्ह तो ये तारीफ थी...
अविनाश:- नही तो क्या??
सुहानी:-ओके...
अविनाश:- सुहानी ठण्ड थोड़ी बढ़ गयी है ना??
अविनाश अब सुहानी को अपने करीब लाना चाहता था क्यू की उसे मौका नजर आने लगा था...
सुहानी:- हा...जल्दबाजी में स्वेटर लाना भूल गयी...
अविनाश:- कोई बात नहीं...ये ब्लैंकेट ले लो...और मुझे भी दे दो...
सुहानी की बत्ती अब जली ...उसने नीता की और। *देखा वो आराम से सो रही थी...वो उठी और उसने ब्लैंकेट अविनाश को दी...नीता के पास जाकर उसने चेक किया...अब नीता ठीक लग रही थी। उसने अच्छेसे उसके ऊपर ब्लैंकेट डाला और वापस सोफे पे आके बैठ गयी...तब तक अविनाश ने टिपॉय को सरका लिया था और उसपे पैर रख दिए थे...सुहानी भी वैसेही टिपॉय पे पैर रख दिए और सोफे को पीठ टिका के बैठ गयी...अविनाश ने दोनों के ऊपर रजाई ओढ़ ली।
अविनाश ने अपना एक हाथ सुहानी के सर के ऊपर से सोफे पे रखा हुआ था...
सुहानी:- ये अच्छा हो गया...अब हम दोनों ऐसे आराम से बैठ सकते है...
अविनाश:- हा...तुम चाहो तो सो जाओ...मेरे साइन पे सर रैह दो...एयर उसने उसके जवाब का इन्तजार किये बगैर उसका सर अपने सिने पे रख लिया...और अपना हाथ उसके बाह को पकड़ लिया।
सुहानी उठ के सीधा हो गयी..
सुहानी:- जब नींद आएगी तब सो जाउंगी ऐसे...फिलहाल ऐसेही बैठती हु...
अविनाश:-ओके...
सुहानी वहा अविनाश को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी क्यू की वो जगह और सिचुएशन सही नही थी।
लेकिन अविनाश कहा मानने वाला था...
अविनाश:- चाहो तो मेरे गोद में सर। रख के सो जाओ...उस गार्डन वाली लड़की जैसे...
सुहानी के आँखों के सामने वो सिन आ गया...
सुहानी:- नहीं..कोई जरुरत नहीं...मैं ठीक हु...
अविनाश:- क्यू?? सिर्फ अपने बॉयफ्रेंड के गोद में सर रख के सोओगी?? मुझे आज अपना बॉयफ्रेंड समझलो...
सुहानी:- मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...आपको पता है..
अविनाश:- इसीलिए तो बोल रहा हु...
सुहानी ने अविनाश की तरफ देखा...वो हस रहा था...उसकी मुस्कान बहोत कामिनी थी।
सुहानी:- नाहीईईई....पापा आपको क्या हो गया है??
अविनाश:- अरे मजाक कर रहा हु..अच्छा सर नहीं तो पैर रख दो...बस तुम अच्छेसे सो जाओ।।
सुहानी:- पापा मैं ठीक हु...
अविनाश:- तुम ठीक हो लेकिन मैं ठीक नही हु...
सुहानी:- क्यू क्या हुआ??
अविनाश:- अब क्या बताऊ...क्या क्या हो रहा है...
सुहानी:- ओह्ह्ह ...इसलिए बोल रही हु की आप सो जाओ ...मैं बैठती हु...
अविनाश:-ओके...थोड़ी देर बैठते है फिर मैं सो जाऊँगा...बूढ़ा आदमी हु...तुम तो जवान हो...मुझसे नही होगा...
सुहानी:- अच्छा कोण कहता है आप बूढ़े हो?? अभी भी देखो मेरे पापा कितने हैंडसम है...
अविनाश:- हम्म्म्म्म अच्छा??
सुहानी:- हा..वो नर्स देखा नहीं कैसे घूर रही थी आपको...
अविनाश:- नहीं मैंने तो नही देखा...अच्छी है वैसे...
सुहानी:- हा...
अविनाश:- तो उसका बॉयफ्रेंड बन जाता हु...
सुहानी:- हा बन जाइए...
अविनाश:- नहीं बनना...मुझे तो बस तुम्हारा बॉयफ्रेंड बनना है....अविनाश ने सुहानी के कंधे को पकड़कर अपनी और खिंचा...
सुहानी:- नही आप उस नर्स का ही बनो...
*वो आगे कुछ बोल पाते तभी नीता नींद में थोड़ी खांसी आयीं...सुहानी झट से उठी और उसे देखने लगी। उसके पास जा के उसके सर पे हाथ लगा के देखा...अब वो बिलकुल ठीक लग रही थी। सुहानी ने उसे दो तिन बार आवाज दी लेकिन वो कुछ नहीं बोली। सुहानी फिर से सोफे पे आके बैठ गयी।
अविनाश:- उसे सोने दो...नींद का इंजेक्शन लगाया हुआ है...और अब तुम भी सो जाओ...
अविनाश एक कोने पप सरक गया...सुहानी को भी लगा अब सोना चाहिए....वो सोफे पे लेट गयी लेकिन उसे अपने पैर सिकुड़ने पड़े क्यू की वहा अविनाश बैठा हुआ था...थोड़ी देर ऐसेही। बिता...दोनों सोने की कोशिस कर रहे थे...तभी अविनाश ने सुहानी के पैर को छुआ...सुहानी ने अपनी आँखे खोली...
अविनाश:- बेटा पैर सीधा कर दो...कोई बात नही...
सुहानी:- नही पापा...आपको मेरे पैर छुए ये मुझे अच्छा नही लगेगा...
अविनाश:- तो बेटा सर इस साइड कर लो...सुहानी को अब करना ही पड़ा...उसने सिर्फ अपना सर उसकी एक जांघ पे रखा...अविनाश ने देखा की सुहानी उसके लंड से बहोत दूर थी। उसने उसके सर पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा...थोड़ी देर बाद सुहानी कोलग जैसे अविनाश के पैर कांप रहे है...
सुहानी:- क्या हुआ पापा?? आप कांप क्यू रहे हो...??
अविनाश:- अरे कुछ नही तू सो जा...वो शायद ठण्ड की वजह से हुआ होगा...
सुहानी:- आप ये ब्लैंकेट ले लीजिये...
अविनाश:- नही ठीक है...
सुहानी:- आप लेते हो या...ठीक है मैं भी नही लुंगी...
अविनाश:- अरे बेटा अब किसी एक तो बिना ब्लैंकेट के रहना पड़ेगा..हमने तभी सोहन से मंगा लेना चाहिए था..
सुहानी:- हा...
अविनाश:- वैसे सोफे बहोत बड़ा है..हम दोनों सो सकते अगर तुम मोटी नही होती...
सुहानी:- आआआ पापाआआआ...मैं मोटी हु?? तभी तो कह रहे थे मेरी फिगर कितनी अछि है....
अविनाश:- हा वो तो है...मैंने कहा की तुम मोटि हो...लेकिन सही जगहों पे..
अविनाश सुहानी की चुचियो को देखते हुए कहा..सुहानी को समझ गया की अविनाश कहा देख रहा है।
सुहानी:- मतलब...??? सुहानी ने जानबुज के पूछा।
अविनाश:-अरे देखो फिगर तभी सही दिखती है जब वो सही जगह पे मोटी हो ...
सुहानी:- नहीं समझी...सुहानी ने देखा की अविनाश थोडा हड़बड़ा गया है और उसे ऐसा देख के उसे मजा आ रहा था।
अविनाश:- सही जगह पे मोटी मतलब तुम्हारे हिप्स और....अविनाश चुप हो गया।
सुहानी:- और..??
अविनाश:- और...वो..
सुहानी:- छी पापा..क्या आप भी...अब सुहानी को लगा की अगर वो उसे नही रोकेगी तो वो बोल देगा।
अविनाश:- अरे तुमने ही पूछा...
सुहानी:- ह्म्म्म मुझे पता है...सब लड़के बस उसी को तो देखते है...सुहानी के मुह से अनजाने में निकल गया।
अविनाश को तो बस मौका चाहिए था।
अविनाश:- हा..अब जो चीज देखने लायक होगी उसी को देखेंगे ना...अविनाश ने धीरे से और कुछ अलग ही अंदाज में कहा।
सुहानी:- हा क्या..देखेंगे भी और मोटी भी कहेंगे...
अविनाश:- अरे नही बेटा...अच्छा तुम मोटी नही हो..अब ठीक है?? तो चलो हम दोनों इस सोफे पे सो जाते है।
अब सुहानी को भी लगा की कोई दूसरा रास्ता नही है...उसके मन में डर तो था ही लेकिन अलग सी ख़ुशी भी थी...वो अविनाश के साथ उस छोटे से सोफे पे सोने वाली थी....पता नहीं आगे क्या क्या होने वाला था...अविनाश के मन तो लड्डू फुट रहे थे। आज सात दिन बाद उसे मौका मिला था....
उसने कहा की ये सलाइन अब रात भर चलेगी...और अगर वो लोग सोना चाहे तो सो सकते है...और कुछ प्रॉब्लम लगा तो बेल बजा दे...
सुहानी:- पापा आप सो जाइए मैं जागती हु थोड़ी देर फिर आप को जगा के। मैं सो जाउंगी...
अविनाश:- नही ठीक है मुझे नींद नही आ रही...
माहोल ही कुछ ऐसा था की दोनों को नींद नही आ रही थी।
अविनाश:- ये ड्रेस तुमने उस दिन भी पहना था ना...कार में??
सुहानी:- हा..क्यू??
अविनाश:-कुछ नही..
सुहानी:- फिर क्यू पुचब्रह थे??
अविनाश:- अरे ऐसेही पूछा...अच्छा है ये ड्रेस
सुहानी शरमा गई...उसे पता था अविनाश को भी वो कार वाला सिन याद आ गया होगा...और अब ऑलमोस्ट एक हफ्ता बीत गया था उस बात को...
सुहानी:- क्यू..बाकी के अच्छे नहीं क्या??
अविनाश:- अच्छे है..उए ढीला ढीला कम्फ़र्टेबल रहता है...और वो तुम्हारे टाइट ड्रेस भी अच्छे है...उसमे तो तुम और भी अच्छी लगती हो..
सुहानी:- अच्छा??
अविनाश:- हा...तुम्हारी फिगर अच्छेसे नजर आती है उन टाइट ड्रेस में...
सुहानी:-पापा....सुहानी हैरानी से देखती है...
अविनाश:- हा ना..क्यू क्या हुआ??
सुहानी:- आप भी ना..कुछ भी बोल देते हो..
अविनाश:- अरे सच ही तो कहा...जब कभी वो टाइट वाले कपडे पहनोगी तो देखना आईने में..
सुहानी:- चुप रहिये..आप मेरे साथ ऐसे बात नही कर सकते...
अविनाश:- क्यू??उस दिन ही तो कहा ना...हम फ्रेंड्स है...
सुहानी:- फिर भी नही...
अविनाश:- ओके बाबा..नही कहूँगा...अब अपनी बेटी की तारीफ करना भी अल्लोवुड नही है..
सुहानी:- ओह्ह्ह तो ये तारीफ थी...
अविनाश:- नही तो क्या??
सुहानी:-ओके...
अविनाश:- सुहानी ठण्ड थोड़ी बढ़ गयी है ना??
अविनाश अब सुहानी को अपने करीब लाना चाहता था क्यू की उसे मौका नजर आने लगा था...
सुहानी:- हा...जल्दबाजी में स्वेटर लाना भूल गयी...
अविनाश:- कोई बात नहीं...ये ब्लैंकेट ले लो...और मुझे भी दे दो...
सुहानी की बत्ती अब जली ...उसने नीता की और। *देखा वो आराम से सो रही थी...वो उठी और उसने ब्लैंकेट अविनाश को दी...नीता के पास जाकर उसने चेक किया...अब नीता ठीक लग रही थी। उसने अच्छेसे उसके ऊपर ब्लैंकेट डाला और वापस सोफे पे आके बैठ गयी...तब तक अविनाश ने टिपॉय को सरका लिया था और उसपे पैर रख दिए थे...सुहानी भी वैसेही टिपॉय पे पैर रख दिए और सोफे को पीठ टिका के बैठ गयी...अविनाश ने दोनों के ऊपर रजाई ओढ़ ली।
अविनाश ने अपना एक हाथ सुहानी के सर के ऊपर से सोफे पे रखा हुआ था...
सुहानी:- ये अच्छा हो गया...अब हम दोनों ऐसे आराम से बैठ सकते है...
अविनाश:- हा...तुम चाहो तो सो जाओ...मेरे साइन पे सर रैह दो...एयर उसने उसके जवाब का इन्तजार किये बगैर उसका सर अपने सिने पे रख लिया...और अपना हाथ उसके बाह को पकड़ लिया।
सुहानी उठ के सीधा हो गयी..
सुहानी:- जब नींद आएगी तब सो जाउंगी ऐसे...फिलहाल ऐसेही बैठती हु...
अविनाश:-ओके...
सुहानी वहा अविनाश को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी क्यू की वो जगह और सिचुएशन सही नही थी।
लेकिन अविनाश कहा मानने वाला था...
अविनाश:- चाहो तो मेरे गोद में सर। रख के सो जाओ...उस गार्डन वाली लड़की जैसे...
सुहानी के आँखों के सामने वो सिन आ गया...
सुहानी:- नहीं..कोई जरुरत नहीं...मैं ठीक हु...
अविनाश:- क्यू?? सिर्फ अपने बॉयफ्रेंड के गोद में सर रख के सोओगी?? मुझे आज अपना बॉयफ्रेंड समझलो...
सुहानी:- मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है...आपको पता है..
अविनाश:- इसीलिए तो बोल रहा हु...
सुहानी ने अविनाश की तरफ देखा...वो हस रहा था...उसकी मुस्कान बहोत कामिनी थी।
सुहानी:- नाहीईईई....पापा आपको क्या हो गया है??
अविनाश:- अरे मजाक कर रहा हु..अच्छा सर नहीं तो पैर रख दो...बस तुम अच्छेसे सो जाओ।।
सुहानी:- पापा मैं ठीक हु...
अविनाश:- तुम ठीक हो लेकिन मैं ठीक नही हु...
सुहानी:- क्यू क्या हुआ??
अविनाश:- अब क्या बताऊ...क्या क्या हो रहा है...
सुहानी:- ओह्ह्ह ...इसलिए बोल रही हु की आप सो जाओ ...मैं बैठती हु...
अविनाश:-ओके...थोड़ी देर बैठते है फिर मैं सो जाऊँगा...बूढ़ा आदमी हु...तुम तो जवान हो...मुझसे नही होगा...
सुहानी:- अच्छा कोण कहता है आप बूढ़े हो?? अभी भी देखो मेरे पापा कितने हैंडसम है...
अविनाश:- हम्म्म्म्म अच्छा??
सुहानी:- हा..वो नर्स देखा नहीं कैसे घूर रही थी आपको...
अविनाश:- नहीं मैंने तो नही देखा...अच्छी है वैसे...
सुहानी:- हा...
अविनाश:- तो उसका बॉयफ्रेंड बन जाता हु...
सुहानी:- हा बन जाइए...
अविनाश:- नहीं बनना...मुझे तो बस तुम्हारा बॉयफ्रेंड बनना है....अविनाश ने सुहानी के कंधे को पकड़कर अपनी और खिंचा...
सुहानी:- नही आप उस नर्स का ही बनो...
*वो आगे कुछ बोल पाते तभी नीता नींद में थोड़ी खांसी आयीं...सुहानी झट से उठी और उसे देखने लगी। उसके पास जा के उसके सर पे हाथ लगा के देखा...अब वो बिलकुल ठीक लग रही थी। सुहानी ने उसे दो तिन बार आवाज दी लेकिन वो कुछ नहीं बोली। सुहानी फिर से सोफे पे आके बैठ गयी।
अविनाश:- उसे सोने दो...नींद का इंजेक्शन लगाया हुआ है...और अब तुम भी सो जाओ...
अविनाश एक कोने पप सरक गया...सुहानी को भी लगा अब सोना चाहिए....वो सोफे पे लेट गयी लेकिन उसे अपने पैर सिकुड़ने पड़े क्यू की वहा अविनाश बैठा हुआ था...थोड़ी देर ऐसेही। बिता...दोनों सोने की कोशिस कर रहे थे...तभी अविनाश ने सुहानी के पैर को छुआ...सुहानी ने अपनी आँखे खोली...
अविनाश:- बेटा पैर सीधा कर दो...कोई बात नही...
सुहानी:- नही पापा...आपको मेरे पैर छुए ये मुझे अच्छा नही लगेगा...
अविनाश:- तो बेटा सर इस साइड कर लो...सुहानी को अब करना ही पड़ा...उसने सिर्फ अपना सर उसकी एक जांघ पे रखा...अविनाश ने देखा की सुहानी उसके लंड से बहोत दूर थी। उसने उसके सर पे हाथ रखा और उसे सहलाने लगा...थोड़ी देर बाद सुहानी कोलग जैसे अविनाश के पैर कांप रहे है...
सुहानी:- क्या हुआ पापा?? आप कांप क्यू रहे हो...??
अविनाश:- अरे कुछ नही तू सो जा...वो शायद ठण्ड की वजह से हुआ होगा...
सुहानी:- आप ये ब्लैंकेट ले लीजिये...
अविनाश:- नही ठीक है...
सुहानी:- आप लेते हो या...ठीक है मैं भी नही लुंगी...
अविनाश:- अरे बेटा अब किसी एक तो बिना ब्लैंकेट के रहना पड़ेगा..हमने तभी सोहन से मंगा लेना चाहिए था..
सुहानी:- हा...
अविनाश:- वैसे सोफे बहोत बड़ा है..हम दोनों सो सकते अगर तुम मोटी नही होती...
सुहानी:- आआआ पापाआआआ...मैं मोटी हु?? तभी तो कह रहे थे मेरी फिगर कितनी अछि है....
अविनाश:- हा वो तो है...मैंने कहा की तुम मोटि हो...लेकिन सही जगहों पे..
अविनाश सुहानी की चुचियो को देखते हुए कहा..सुहानी को समझ गया की अविनाश कहा देख रहा है।
सुहानी:- मतलब...??? सुहानी ने जानबुज के पूछा।
अविनाश:-अरे देखो फिगर तभी सही दिखती है जब वो सही जगह पे मोटी हो ...
सुहानी:- नहीं समझी...सुहानी ने देखा की अविनाश थोडा हड़बड़ा गया है और उसे ऐसा देख के उसे मजा आ रहा था।
अविनाश:- सही जगह पे मोटी मतलब तुम्हारे हिप्स और....अविनाश चुप हो गया।
सुहानी:- और..??
अविनाश:- और...वो..
सुहानी:- छी पापा..क्या आप भी...अब सुहानी को लगा की अगर वो उसे नही रोकेगी तो वो बोल देगा।
अविनाश:- अरे तुमने ही पूछा...
सुहानी:- ह्म्म्म मुझे पता है...सब लड़के बस उसी को तो देखते है...सुहानी के मुह से अनजाने में निकल गया।
अविनाश को तो बस मौका चाहिए था।
अविनाश:- हा..अब जो चीज देखने लायक होगी उसी को देखेंगे ना...अविनाश ने धीरे से और कुछ अलग ही अंदाज में कहा।
सुहानी:- हा क्या..देखेंगे भी और मोटी भी कहेंगे...
अविनाश:- अरे नही बेटा...अच्छा तुम मोटी नही हो..अब ठीक है?? तो चलो हम दोनों इस सोफे पे सो जाते है।
अब सुहानी को भी लगा की कोई दूसरा रास्ता नही है...उसके मन में डर तो था ही लेकिन अलग सी ख़ुशी भी थी...वो अविनाश के साथ उस छोटे से सोफे पे सोने वाली थी....पता नहीं आगे क्या क्या होने वाला था...अविनाश के मन तो लड्डू फुट रहे थे। आज सात दिन बाद उसे मौका मिला था....