desiaks
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राहुल : ओह दादी! उफ़! आप सच में शैतान हो चुकी हो! (मुरझाए हुए लिंग को बेडशीट से साफ करता हुआ)
यशोधा : (बाजू में बैठकर) हाए! तू तो शैतान और मासूम के बीच में है! अब देख, मुझे एक बात सच सच बताना!
राहुल : क्या? (दादी से चिपक कर)
यशोधा : मुझे छोड़कर, कितनो से लीला कर चुका है, मेरे लाल? सच बताना अपने दादी को! झूठ कहेगा तो मार खाएगा तू! (पोते के पीठ सहलाती हुई)
राहुल : झूठ नहीं बोलूंगा आपसे दादी! सच तो यह है के....
यशोधा : अरे बोल भी दे! तेरे जैसे सांड का पेट आसानी से नहीं भरेगा! दादा पे गया है तू
राहुल : वोह..…..दरअसल... दीदी और रिमी भी शामिल है!
यशोधा की पैरो तले जमीन खिसक गई "क्या??? क्या बोल रहा है तू??" उनकी मन विचलित हो उठी और योनि हल्का सा गीली होने लगी। गीली योनि को सारे पर से ही दबोच के बोली "हाय री!!! तू तो बड़ा..... उफ़ क्या ये सच है??" एक चटपटी खबर मानो मिल गई हो किसी अखबार पड़ने वाली को, उसी तरह चंचल हो उठी यशोधा। राहुल अपने सारे के सारे दास्तां सुना दी अपने दादी को, कैसे और कब दीदी और रिमी को उसने भोगा था। पूरी कथन को सुनते वक्त यशोधा अपनी मोटी मोटी जांघे दबाए रखी।
यशोधा : उफ़! तेरा मै क्या करू!! अब तो लगता है, तेरी मा का भी खैर नहीं! अरे बेटा!! कुछ रेहम कर अपने मा पर! कहीं तू भी उसपे चड़ गया तो यह बचरी पूरी के पूरी रण्डी ही हो जाएगी! उफ़ यह घर कहीं रंडीखाना ना हो जाए!!! (अपनी योनि को मसलने लगी)
दादी की शब्दो से राहुल फिर कामुक हो उठा और अपने दादी को बाहों में लेके, एक कस के चुम्बन सीधे होंठ पर जमा देता है। वहीं आशा के बाजू दोनों बैठे एक दूसरे को फिर चूमने लगे और फिर चुम्बन से अलग होके, बचे कुछ लाली को होंठो पे से ज़ुबान फिरवाके, यशोधा कामुक के साथ साथ भावुक भी हो उठी "हाय! तू कितना प्यारा है! उफ़! तू मुझे जवानी में क्यों नहीं मिला री!! इस उम्र में मुझे परदादी बन्नी चाहिए! और तू मुझे कमसिन जवानी बना रहा है!! ओह इस लड़के का क्या करू ऊपरवाले!!"
दादी के शब्दो से राहुल हंस परा "अब जाने भी दो दादी! कलयुग का निर्माण हो चुका है!"
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यशोधा : (बाजू में बैठकर) हाए! तू तो शैतान और मासूम के बीच में है! अब देख, मुझे एक बात सच सच बताना!
राहुल : क्या? (दादी से चिपक कर)
यशोधा : मुझे छोड़कर, कितनो से लीला कर चुका है, मेरे लाल? सच बताना अपने दादी को! झूठ कहेगा तो मार खाएगा तू! (पोते के पीठ सहलाती हुई)
राहुल : झूठ नहीं बोलूंगा आपसे दादी! सच तो यह है के....
यशोधा : अरे बोल भी दे! तेरे जैसे सांड का पेट आसानी से नहीं भरेगा! दादा पे गया है तू
राहुल : वोह..…..दरअसल... दीदी और रिमी भी शामिल है!
यशोधा की पैरो तले जमीन खिसक गई "क्या??? क्या बोल रहा है तू??" उनकी मन विचलित हो उठी और योनि हल्का सा गीली होने लगी। गीली योनि को सारे पर से ही दबोच के बोली "हाय री!!! तू तो बड़ा..... उफ़ क्या ये सच है??" एक चटपटी खबर मानो मिल गई हो किसी अखबार पड़ने वाली को, उसी तरह चंचल हो उठी यशोधा। राहुल अपने सारे के सारे दास्तां सुना दी अपने दादी को, कैसे और कब दीदी और रिमी को उसने भोगा था। पूरी कथन को सुनते वक्त यशोधा अपनी मोटी मोटी जांघे दबाए रखी।
यशोधा : उफ़! तेरा मै क्या करू!! अब तो लगता है, तेरी मा का भी खैर नहीं! अरे बेटा!! कुछ रेहम कर अपने मा पर! कहीं तू भी उसपे चड़ गया तो यह बचरी पूरी के पूरी रण्डी ही हो जाएगी! उफ़ यह घर कहीं रंडीखाना ना हो जाए!!! (अपनी योनि को मसलने लगी)
दादी की शब्दो से राहुल फिर कामुक हो उठा और अपने दादी को बाहों में लेके, एक कस के चुम्बन सीधे होंठ पर जमा देता है। वहीं आशा के बाजू दोनों बैठे एक दूसरे को फिर चूमने लगे और फिर चुम्बन से अलग होके, बचे कुछ लाली को होंठो पे से ज़ुबान फिरवाके, यशोधा कामुक के साथ साथ भावुक भी हो उठी "हाय! तू कितना प्यारा है! उफ़! तू मुझे जवानी में क्यों नहीं मिला री!! इस उम्र में मुझे परदादी बन्नी चाहिए! और तू मुझे कमसिन जवानी बना रहा है!! ओह इस लड़के का क्या करू ऊपरवाले!!"
दादी के शब्दो से राहुल हंस परा "अब जाने भी दो दादी! कलयुग का निर्माण हो चुका है!"
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