kamukta Kaamdev ki Leela - Page 3 - SexBaba
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kamukta Kaamdev ki Leela

रिमी की यादों में खोया हुआ वोह एक हल्के नींद की आगोश में की गया। वहा दूसरे और नमिता और रेवती की नजर रिमी से हट नहीं रही थीं। क्योंकि ज़ाहिर सी बात थी के उसके टीशर्ट के अंदर के नए नए बने हुए उभर किसी की भी आकर्षण ला सकती थी।

रेवती तो बस हैरंजनक अपनी छोटी बहन को देखने लगी और नमिता भी आंखें पसारे वहीं के वहीं बैठी थी।

रेवती : ओय होए! राजकुमारी की आमो का प्रमोशन हो गए क्या दीदी? (नमिता की और देखकर)

नमिता : (नटखट होके) लगता है रिमी रानी ने एक बॉयफ्रेंड का जुगाड कर ही लिया है!

रिमी को अटेंशन तो पहले से ही अच्छी लगती थी, और वोह भी जिज्मचरचा पर! लेकिन आज तो बात ही कुछ अलग थी, क्योंकि इन नए उभारों का खुमार उसपर फैली हुई जो थी।
वोह भी अपनी बहनों के रंग में रंग गई।

रिमी : अरे बिल्कुल प्रोमोशन हुआ है मेरी प्यारी दीदी! (रेवती की और देखकर) अरे हुआ यूं के एक परी आई सपने में (नाटक करके दिखाती हुई) और मेरे आमो पर अपनी जादू की छारी चलियी और फूष श श श!!!!! फिर यह ऐसे हो गए (नाटकीय अंदाज में अपनी दांतो तले उंगली दबाई)

रेवती : (घुस्से में) बकवास बंद कर और सच बता, किस्से माइजवा के आ रही है???

रिमी : (अपनी नए नए स्तन को थोड़ी झटकती हुई) अरे मिजवा तो नमिता दीदी रही है आजकल!! लेकिन (झूठा घुस्से में) कुछ बोलती नहीं! चुप रहती है भोली बने!

अब नमिता क्यों रुकती!

नमिता : रिमी!! बदतमीज लड़की! में दीदी हूं तेरी!!! कुछ शर्म तो कर! (मन में डर बैठ गई थी के कहीं रिमी को उसके और राहुल के बारे में कुछ....) तू अपनी जिस्म के साथ कुछ नहीं कर!!! बट स्ते आउट ऑफ मी वे!!

इतनी कहके नमिता कमरे में से निकल जाती है और रेवती रिमी उसे रोक देती है। नमिता को मानना मुश्किल थी लेकिन पिर बहनों के प्यार के खातिर रुक गई और एक किताब लिए लेटी रही। रिमी अब हथियार समेत मैदान में उतर आई!

रिमी : क्यों ना एक गाने खेलते है दीदी!!

रेवती : अरे कौन सी?

रिमी : सच या हिम्मत!!!

नमिता भी पीछे क्यों रहती भला! वोह भी शामिल होना चाहती थी खेल में! "ओय रुक! मै भी खेलूंगी!!"

रेवती : कूल दीदी! आ जाओ मैदान में!

रिमी : (बचपना दिखाती हुई) माई नमिता दीदी स्ट्रोंगेस्ट!!!!!!! (खिलखिला के)

खेल शुरू हो जाती है और बॉटल का घूमना भी चालू!

पहली बारि थी रेवती की!

रेवती : हिम्मत!

रिमी : सोच ले! नीचे बिरजू चाचा (चौकीदार) को किस करने भी बोल सकती हूं!

इस बात मै तीनों हंस पड़े।

नमिता : अच्छा ठीक है! एक फिल्मी डायलॉग बोलके दिखा! कोई भी।

रेवती : ओके! (पू के अंदाज़ में) कौन है वोह!! जिसने मुड़कर मुझे नहीं देखा! हूं इस ही!

तीनों फिर हसने लगे और बॉटल का काम चालू! और इस बार बारी थी नमिता की! दोनों बहने अपनी दीदी ki और देखने लगे। नमिता ने सच का फैसला किया और रिमी वार के लिए पूरी तरह से तैयार थी! उसने वोह सवाल की के नमिता की माथे पर पसीना आने लगी!

रिमी : दी! सच बताना के उस दिन आप और राहुल भइया ऊपर स्टोर रूम में क्या कर रहे थे????

रेवती हैरानी से नमिता की और देखने लगी जिसके माथे में से कुछ बूंदें साफ छलक रहे थे!
फिर कुछ ऐसा हुआ के दोनों के दोनों बहने चौंक गई। बिना संकोच और दर के नमिता की लबों से अर्जुन के तीर की तरह सच निकल परी "सेक्स!!!"

दोनों बहने आंखें चौड़ी करके अपने दीदी कि और देखने लगी! "दीदी????? क्या???" एक साथ दोनों बोल पड़ी।

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"सेक्स" डायरेक्टली बोलके नमिता एक दम
से घबरा गई लेकिन ज़्यादा रिएक्ट नहीं की जबकि रेवती और रिमी अपनी दीदी की और देखने लगी जैसे कोई जुर्म का कुबूल किया गया हो। रिमी मन ही मन खुश हो गई के उसकी प्यारी नमिता दीदी अपनी दास्तां खुद सुनाने वाली थी! वोह चुप चाप दीदी की और देखने लगी।

नमिता सोचने लगी के ना जाने कैसे स्लिप हो गई उसकी जिब में से इतना करवा सच! लेकिन अब जब सच्चाई का सामना हो ही चुकी थी, वोह पीछे नहीं हटने वाली थी।

नमिता : अरे घबरा किऊ रही हो?? नाम लेने में क्या है!! (नटखट मुस्कुराहट देती हुई)

रिमी : दीदी!!!! क्या कह रही हों आप? ओह गॉड!!!

रेवती : इंपॉसिबल!!! दीदी???? (हैरानी में डूबी हुई)

नमिता : प्रॉब्लम क्या है? (उठ जाती है एक बलखाती पोज लके) क्या राहुल मर्द नहीं?? (नमखरे दिखाकर) क्या में लड़की नहीं??

रेवती : ओह गॉड!! मेरा सर घूम रहा है!! दीदी क्या बोल रही हो आप????

रिमी : पकड़ी गई चोरनी!!!! सुनो सुनो गाववालो!!!! (एक मैगजीन को मोड़के भोंपू बनाती हुई)

नमिता : देख! (घुस्से में) अगर तुम लोगो ने किसी ने भी मुझसे राहुल से छीनने की कोशिश की तो (नाटकीय अंदाज में) तो कुछ भी कर बैठूंगी!!!

रेवती और रिमी हैरान होकर एक दूसरे को देखने लगी। नमिता मन ही मन अब रिमी को सजा देने की ठान ली और जब रेवती आगे कोंटिनियू करने वाली थी तो उसकी कोहनी कस कर जकड़ लेती है नमिता "रुक!!! मेरी बात खतम नही हुई!"

रिमी और रेवती अब पसीना बहाने लगी और नमिता अचानक उठ के अपनी ड्रॉअर में से एक अजीब वस्तु निकली जिसे देख दोनों बहने अपनी आंखें चौड़ी करके दीदी को देखने लगे!
वोह वस्तु एक काले रंग के बेल्ट था जिस के साथ एक काला लंबा वस्तु अटैच किया गया था जो किसी पुरुष लिंग से कम नहीं दिख रहा था।

ऐसी अजीब वस्तु देखकर रिमी और रेवती पसीना पसीना हो गई क्योंकि उन्हें पता लगने में विलंब नहीं हुई के की वोह किस काम में आता था। घबराहट में दोनों बहने बराबर थी लेकिन फिर एक तेज़ सिटी की आवाज़ आगयी हल्की सी। नमिता रिमी को देखने लगी और फिर दोनों मिलके रेवती के, जिसने घबरहट के मारे मुत दिया था वहीं के वहीं बैठी हुई।

रिमी : शीट! (उठ जाती है जगह से) रेवती दी क्या है यह??

रेवती रोने की कगार पे थी। उस वस्तु को देखकर उसकी पैंटी मूत से गीली हो गई थी, उसे समझ नहीं आ रही थी के नमिता दीदी ऐसा क्यों कर रही थी।

नमिता : रेवती मी बेबी! अभी तो बहुत कुछ देखनी बाकी है! तो हां (रिमी की और देखकर) तुम यह नहीं जानना चाहोगी के राहुल और मेरे बीच क्या क्या हुआ था! हूं?

रिमी अब और पसीना पसीना होने लगी। खेल तो हसी मज़ाक में शुरू हुई थी, लेकिन अब मामला संगीन होने लगी थी। वोह कुछ बोली नहीं बल्कि वहीं घबराहट और उत्सुकता लिए खड़ी रही। मन ही मन अपनी आप को कोस रही थी इस खेल को शुरू करने के लिए!

नमिता वोह बेल्ट अब पहन लेती है और बेहद कस के अपनी कमर के साथ एडजस्ट करती है। होंठों पे मुस्कान, हाथ को कमर में लिए और आंखो में तेज़ आग! यह थी नमिता की हुलिया जो दोनों बहनों को स्तब्ध बनाए रखी।

नमिता : (हौले हौले अब रिमी की और चलने लगी) रिमी मेरी प्यारी बहन!!!!! आ मेरे पास आ!

रिमी : दीदी! तुम पागल हो गई हो!! जाओ आप यहां से!!!

रिमी भागने ही वाली थी के नमिता उसकी कलाई जकड़ लेती है और पीछे की और खीच देती है! रिमी सीधा अपने दीदी कि बाहों में आ गई और कुछ पल के लिए नज़र से नजर मिल गई। रेवती को अब ना जाने क्यों मज़ा आने लगी! वोह एक तकिया गोद में लिए बिस्तर पर बैठी दोनों को को देखने लगी।

नमिता बिना संकोच किए अपनी ताप्ती होंठ अपने बहन कि रसीले होंठ पे चिपका देती है और एक तेज़ खुमार दोनों के जिस्म पे गुजरने लगी, मानो फिर सेहलाब उठी हो! इस सीन को हैरानी से रेवती देखने लगी और तकिया को कस के जकड़ ल लेती है अपनी सीने पर।

फिर क्या! स्तन दबाई और गर्दन चुसाई चलती रही और रिमी बेझिझक साथ दे रही थी। सच पूछिए तो नए नए आए उभर को मसले जाने पर उसके जिस्म में मीठी मीठी एहसास जागने लगी।

नमिता और रिमी के दरमियान कुछ सन्नाटा सा छाने लगी और दोनों एक दूसरे में जैसे खो गए। नमिता फिर एक बार एक हल्की चुम्मी पसर देती है उसकी बहन की होंठ पर और अब की बड़ उसकी जुल्फों को हटके उसकी मखमली गर्दन को चूमने लगी। रिमी अब बिना विरोध किए आंखे बंद कर लेती है। देखते देखते उसकी पूरी गर्दन गीली होने लगी और फिर उसकी कान के पास जाके प्यार से फुसफुसाई "रिमी! में ही राहुल भइया हूं!"

रिमी की आंखें बरी बारी हो गई और अपनी दीदी की जगह सचमुच राहुल की तस्ववुर करने लगा गई। एक प्रेमी कि तरह वोह नमिता को कस के जकड़ लेती, जिससे नतीजा यह हुई के नमिता की बेलटवली नकली लिंग अब उसकी बहन की योनि पर चुभने लगी। उफ्फ यह एहसास से रिमी अपनी होंठ काटने लगी।

नमिता की ज़्यादा वजन होने से रिमी को डोमिनेट करना कोई बरी बात नहीं थी। उल्टा, इस खेल में बहुत मजा आ रहा था क्योंकि नकली लिंग लिए नमिता को एक मर्द की शक्ति का अनुभव हो रही थी। ऐसी खेल उसके लिए कोई बरी बात नहीं थी दोस्तों! दरअसल मेडिकल कॉलेज में अक्सर रैगिंग होती थी लेकिन रिमी के साथ आज वोह सारी हद पार करना चाहती थी!

बिना किसी और विलंब की रिमी मदहोशी की इस आलम में खोने लगी और नमिता को ही राहुल समझके फोरण अपने दीदी के नकली लिंग को जकड़ के मसलने लगी। लिंग तो नकली थी, लेकिन ऐसे जकड़े जाने से मानो नमिता की जिस्म में एक तूफानी लहर दौड़ गई और राहुल के साथ बीते सारे के सारे हसीन दस्ताए को याद करके वोह भी अपनी बहन की योनि को कस के जकड़ लेती है!

नमिता : कुछ ऐसा किया था राहुल ने मेरे साथ!!

रेवती जो अपनी बहन की सोषण देख रही थी, अचानक से एक चुटकी बजाई और चिल्ला उठी "बस!!!!! स्टॉप इट यू बोथ!!!" उसकी आवाज़ सने रिमी की टंद्र टूट गई और अपनी दीदी को धकेलती हुई कमरे में से भाग गई। नमिता को भी होश अगई धीरे से और नीचे देख खुद की हुलिया पे शर्म आ गई।

"शीट! यह मैंने किया कर दिया!!!!" शर्म के मारे उसने रेवती को भी अपना मुंह नहीं दिखा पाई और उनके कमरे के बरामदे में से गजोधरी एक फूल की पत्ती को सहलाती हुई बोल परी "इतनी जल्दी भी क्या है! नमिता रानी! जो फ्ल तुमने चखी है, वहीं के वहीं पहले अपनी बहन को तो चाखाओ!!"

इतना कहना था के वोह झट से वहा से गायब हो गई और धीरे धीरे शाम से रात हो गई।
 
नॉर्मली खाने के वक्त रिमी की कुछ खास मन नहीं थी खाने में। दीदी से की गई हरकत इसे बार बार याद आ रही थी और शर्म के साथ साथ उत्तेजना भी महसूस कर रही थी। खैर डिनर के वक्त सारे के सारे अपने अपने स्थान पर विराजमान हुए। हालात यह था के अजय बैठा बिल्कुल पिता के विपरित और रिमी बैठी राहुल के विपरित। नज़र से नजर चुराने का यह खेल बरा रंग ले रहा था।

अजय के नज़रें गौरव से क्या मिला के दोनों के दिल में सुबह वाली वर्टलाब फिर से फ्लैशबैक कर लिया और दोनों के लिंग में हलचल होने लगा। दूसरे और राहुल बैठा था नमिता के बाजू में और उसके विपरित था रिमी और रेवती। रवती बार बार अपनी दीदी को देखी जा रही थी जो आहिस्ता आहिस्ता आंहे दे रही थी मुंह से।

दरअसल बात यह थीं के अजय उसकी मोटी मोटी जांघो को सहलाने में व्यस्त था और चमच लिए बार बार उसकी योनि को शॉर्ट्स के ऊपर से ही थपकी लगाए जा रहा था। नमिता को इतनी बेचैनी हो रही थी मानो वहीं के वही उस चमच को घुसा देना चाहती थी अपनी योनि के अंदर।

रिमी शर्म के मारे राहुल से नज़रें नहीं मिला पा रही थी, लेकिन मन में बहुत व्याकुलता थी के अगर उस स्टोर रूम में नमिता दीदी की जगह वोह होती तो ना जाने कितना मज़ा आता! लेकिन सच्चाई यह भी थी के केवल नकली लिंग के स्पर्श से ही उत्तेजना इतनी ज़्यादा बड़ गई थी के अगर उसकी भइया का असली लिंग उसके हाथ में आजाए तो क्या क्या तरंगे जिस्म में जाग जाएगी!!

केवल सोच ही थी लेकिन उसकी पैंटी गीली करने के लिए काफी थी। खैर खाना तो ख़तम करना ही था उसे! वरना गीली वस्तु पहने बैठना काफी अजीब थी!

पर किया करे!

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रात का समय हर सदस्य के लिए मुश्किल था, क्योंकि तड़प हर किसी में था और बयां करने के लिए हिम्मत कम थी। एक तरफ जहां गौरव उलझा हुआ था अपने बेटे के प्रति भावनाए लिए वहा दूसरे और आशा की आंखो में उसके ससुर के बल्हिस्ट बदन घूमने लगा जाता था।

वहा तीसरे और रिमी अपनी जज्बात अपनी भाई की प्रति बहुत बरा चुकी थी और उसे किसी भी कीमत में नमिता जैसी तजुरबा चाहिए थी। मज़े की बात यह थी के ऐसे ही दो रातें और तीन दिन गुजर गया। इन दिनों राहुल और नमिता के बीच शरारतें काफी आगे जा चुकी थी। मौका देखकर कभी वोह अपनी दीदी को चूम लेता था, या तो फिर उसे अपनी बाहों में कसके उसके अंग अंग का स्पर्श करने लगता।

अपनी दीदी की तरफ राहुल का यह रासलीला देखकर रिमी मन ही मन क्रोध में डूबने लगी। नए नए जिस्मानी उभर आने पर अब उसे राहुल को पाना किसी जुनून से कम नहीं था, लेकिन करना तो उसे था कुछ! और वोह भी बहुत ही जल्द! क्योंकि अपनी भाई के नाम पर केवल हस्तमैथुन से काम नहीं चल रही थी।

फिर एक रात वोह हुआ जो राहुल सोच भी नहीं पाया! वोह और अजय अपने कमरे में सो रहा था के अचानक एक आहट सुनाई दिया। अजय को गहरी नींद में देखकर वोह उठ गया और नाइट लैंप जैसे जलाया, उसका मुंह खुला का खुला रह गया। सामने खड़ी थी रिमी, एक मस्त गुलाबी रोबे पहनी हुई।

राहुल कुछ कहने ही वाला था के तभी रिमी अपनी एक उंगली उसके लबों पर रख ली प्यार से "ssshhhhhhh कोई आवाज़ नहीं भइया! मुझे मीठी दर्द हो रहा है! और मुझे मालूम है कि आपको भी हो रहा है!" बलखाती हुई अंदाज़ में वोह कहने लगी और राहुल का रोम रोम जैसे मचल उठा।

बिना पलके झपके जैसे ही उसकी नज़र अपनी बहन की ताजी ताजी उभरो पे आया तो खुद को रोक ना सकाज और झट से उन्हें अपने पंजों के गिरफ्त में लाकर उन्हें प्यार से मसलने लगा। उफ़! इसी स्पर्श के लिए ही तो रिमी पागल हो रही थी। उसने भी पूरा साईयोग किया और अपनी हाथों को अपनी भाई के हाथो पर दबा दी। राहुल को अभी अभी यकीन नहीं हो रहा था के यह खिलती हुई बड़े आम जैसा आकर रिमी की थी।

राहुल बिना झिझक के रिमी के रोब को अब खोल देती है और उसकी आंखे चौड़ी हो गया के मानो निकल के भाग जाएगा। सामने उसके थी रिमी, बिल्कुल अध्नंगण अवस्था में, केवल एक काली ब्रा और पैंटी पहनी हुई। उसके नए नए स्तन जैसे धूम मचा रहे थे उस झीनी सी ब्रा में और पैंटी मानो उसकी मुनिया को बरी प्यार से छुपाए रहीं थी। राहुल से अब रुकना मुश्किल था, और उसने झट से अपनी बहन को ऊपर अपनी गोदी में बिठा दिया और खुद भी केवल

राहुल : रिमी!!!!! तू इतनी सेक्सी कब से बान गई!!!! उफ्फ, यह स्तन!! (उसके आम को दबाकर) यह रसीले लब! (लबों पे उंगलियां फिरता हुआ) उफ़ रिमी! तू तो...

रिमी : (बात को काटते) नमिता दीदी जितनी सेक्सी हू ना?? यही ना?

राहुल शरमा गया लेकिन रिमी उसके गाल चूम लेती है।

रिमी : इट्स ओके भइया! मुझे सब कुछ मालूम है!! में अब छोटी नहीं रही! और हां! (राहुल के नंगे निप्पलों को मसलके) मुझे मालूम है के आप मुझे भी उतना ही प्यार करते है जितना दीदी को!!!

राहुल और रिमी की आंखें मिल जाती है और राहुल प्यार से "सच कहा तुमने रिमी" कहके अपने तपते लबों को अपने बहन की लबों पर निसंकोच रख देता है और जी भर के उन रस के प्यालों को चूसने लगा। रिमी ऐसे स्तिथि में और क्या करती! बस अपनी आंखें तुरेंत बन्द कर ली और इस पल का साथ देने लगी।

राहुल चूमने और चूसने में मगन तो था ही, साथ साथ उसके हाथ अपनी बहन की इर्द गिर्द घूमने लगा। पूरी कमरे में एक मीठी चूसने, चूमने वाली आवाज़ फेल गई थी, सच पूछिए तो वातावरण बेहद ही कामुक हो चुका था। राहुल के भूखे हाथ अब ब्रा स्ट्रैप को छुने चला तो उसे रोक देती है रिमी! "नहीं भइया!! अब नहीं!"

राहुल : (गाल चुमके) तो फिर कब मेरी बेहना?

रिमी : (शरमा के) पहले आप इन्हे (अपनी स्तन को सहलाकर) मसल मसल के आम से तरबूज बना देंगे!! (लाल लाल घोके अपनी दांतो तले उंगलियां दबाती हुई) फिर आब इन्हे खोलेनेगे!!!

राहुल के लिंग के नस नस अब फटने वाला था। रिमी की मुंह से ऐसी शब्दो को सुनके अब नॉरमल रहना लाजमी नहीं था! उसने बिना विलंब किए अपने होंठ वापस अपनी बहन के प्यालों से जुड़ा देता है और रिमी भी भरपूर साथ देने लगी। अजय इस कामुक सीन से बेखबर बस घोड़े बेचे सो रहा था।

राहुल ने अब अपनी बहन को पीठ के बल उसके नीचे लिटा दिया और प्यार से उसके कच्ची के पास अपना मुंह लाता हुआ बोला "इस खाजाने में क्या छुपा है! वोह बाद में देखेंगे! पहले तो में इस खाज़ाने के संदूक को तो प्यार करू!"

बस इतना कहना था के उसने एक प्यार भरा चुम्मा रिमी की योनिसथान पर दे दी! कच्ची पहने बावजूद रिमी सिसक उठी और इस मीठी मीठी एहसास से आंखे बंद हो गई। राहुल ने फिर एक बार और उसी जगह पर चूम लिया और फिर धीरे धीरे कच्ची को नीचे की और खिसकाने लगा। जब रिमी घबरकर विरोध करने लगी तो राहुल ने खुद के वकालत में कहा के "अरे पगली! संभोग नहीं करूंगी तो तेरी देह कैसे गद्राएगी??"

रिमी की आंख में से कुछ कतरे गीर परे और उसने अपनी भाई को जकड़ किया "भइया!!!!! सच???? क्या म मैरी अंग अंग दीदी जैसी हो जाएगी???"

राहुल ने फिर एक बार उसकी रसपान करके सिर्फ हां में से हिलाया और कच्ची को उतार फैंकी! रिमी की धड़कन अब तेज़ हो गई! यह सब इतनी जल्दी हो रहा था के मानो कोई सपना हो। उसके माथे पर पसीना आने लगी, उत्साह से ज़्यादा डर थी! उसकी सील जो इतनी सालो तक महफूज़ रही, अचानक हमले कर लिए तय्यार हो रही थी।

उसकी सास तेज़ हो गई, अपनी भईया की तरफ पूरी मासूमियत के साथ देखने लगी "भइया! मुझे दर्द तो ज़्यादा नहीं होगी ना??" राहुल केवल उसके गाल को चूम उठा "पक्का नहीं! सिर्फ थोड़ा सा!"

रिमी : (अपनी छोटी सी उंगली आगे करके) पिंकी प्रोमिस????

राहुल उसकी उंगली से उंगली जोड़ देता है "पिंकी प्रोमिस!"

बस फ़िर क्या! राहुल ने झट से अपना पैंट निकाल फेंका और शर्म के मारे रिमी अपनी आंखे बंद कर लेती है।
 
राहुल चाहता था के रिमी उसके लिंग का दर्शन करले, लेकिन उसकी बहन की मासूमियत उसे भा गया और उसने कोई जल्दबाजी करने की सोचा नहीं। उसे तो वो तोहफा देना था रिमी को, जो केवल बीज के रूप में ही वोह दे सकता था। अपनी दीदी की पेट तो फूला ही चुका था और अब बारी थी उसकी प्यारी सी बहन कि!

उसने बड़े गौर से लिंग के सुपाड़े को अपनी बहन की योनि दुआर में रखी और धीमे से घुस्नी के प्रयत्न की। उफ़ रिमी अब पसीने में तार तार हो रही थी। उसने झट से अपनी भाय को अपनी गिरफ्त में कर की, आंखो में उसकी खौफ ही खौफ थी के लेकिन उससे भी ज़्यादा थी भाई पे भरोसा!

बस और फिर क्या! एक झपट सी झटके में लिंग सीधा आधे में अंदर और तकरीबन चीख उठी रिमी के झट से राहुल उसके मुह को हाथ से धक लेता है! मुंह भले ही धका हुआ था लेकिन नयन आंसू से भरे थे। राहुल निसंकोच उन पलको को चूम लेता है और झटके पे झटके देने लगा अपनी बहन के अंदर!

माहौल पूर्ण गरम हो गया था और अब पीछे मुरना नामुमकिन थी। अगले कुछ पलो में रोमी का सहनशक्ति बड़ गई थी और पूर्ण रूप से राहुल का साथ देने लगी। दो जिस्म एक जान होके एक दूसरे में लपलप हो गए थे और लिंग योनि मिलन आखिर हो ही गया! बिना झिझक के राहुल अब धीमी गति में ही अंदर बाहर होने कहा और *पच पच पच* की मधुर ध्वनि पूरी कमरे में छा गया।

*पच पच.........पच.....पच ........ "ओह भइया!!!!! और चोदो मुझे!!!!! ऐसे ही!! आह!!! ओह!!!!!!!!"

"ओह रिमी!!!!!!!!! ओह रिमी!!!!!!!!! ओह!!!!!! "

यह शब्दो का सिलसिला चलता रहा और धारा अब टूटने की क्षमता में आग़ई। रिमी ने तो अपनी रस बहा दी थी, लेकिन अब बारी था राहुल का, जिससे अब रोका जाना बहुत मुश्किल हो उठा और......फिर.....

"रिमी!!!!!!!!!!"

धारा टूट गया और गरम गरम तेजाबी वीर्य सीधा रिमी की योनि के अंदर!

इस रस मिलाप से रिमी की टन बदन में आग लग गई और राहुल का संतुलन भी खोने लगा! बाकी सारे के सारे कत्रो को अपनी बहन के अंदर ही उघेल दिया और लिंग को योनि के भीतर रखकर ही नींद की आगोश में चला गया। रिमी धीमी से रो परी और कमरे के बाहर खड़ी गजोधरि हौले से मुस्कुराई "लो! यह भी गंगा नहा ली! जय हो कामदेव!"

दोनों भाई बहन सो जाते है और उन्हें भनक तक नहीं परी के इन दोनों के लीला की गवाह थी खुद नमिता, जिसने दरवाज़े के कोने से सब कुछ देख ली थी।

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सुबह सुबह चिड़िया चेहेक उठी और खिड़की से तेज़ रोशनी सीधे राहुल के बिस्तर पर आ परी, जिस वजह से एक तेज़ उबासी लेती हुई उठ गई रिमी और सबसे पहले जो उसने की वोह यह थी के अपनी इर्द गिर्द नाजर घुमाई और जैसे ही नज़र अपनी भाई की हाथ पर आ परी, तो उसकी आंखे शर्म से नम हो गई। राहुल का हाथ उसकी स्तन के ऊपर जमाए बैठे हुए थे जैसे कि बहुत नॉरमल बात हो। क्योंकि दोनों के निचले हिस्से चद्दर से ढके हुए थे, अपनी भाई की लिंग की दर्शन ना हो पाई उससे।

रात की दास्तां याद करके रिमी की आंखें नम हो गई और वोह अपनी भइया का हाथ को साइड में धकेलती हुई फौरन राहुल का ही एक ट शर्ट घुटनों तक पहनती हुई तुरंत छत की ओर भाग गई। आंखें नम थी और आंसू बेहने के कगार पे थी। उपर पहुंचने के बाद वोह रेलिंग को जकड़ लेती है और अपनी किए गए हरकत पर फुट फुट के रोने लगी।

नहीं यह बात नहीं थी के उसे मज़ा नहीं मिली थी, यह नमी तो इस बात की थी के यह सब कुछ इतना जल्दी हो गया और ऊपर से अपनी ही भइया के द्वारा अपनी ही योनि की सील तोड़नी उसे बेहद अंदर ही अंदर परेशान करने लगी। प्राकृतिक तौर से कोई कितना भी खुश रहे लेकिन संसक्रिती में ऐसे लम्हे कभी कभी बहुत दुविधाएं खड़े कर दे सकते थे।

जहां एक तरफ मीठी मीठी दर्द थे, वहा दूसरे और पछतावा और घिनन भी थी। अपनी उलझन में वोह लटी हुई थी के तभी उसकी कंधे पे किसी के हाथ आ रुकी। रिमी सेहमी सी, तुरंत पीछे मुड़के देखती है उसकी दीदी नमिता थी। आश्चर्यजनक उसकी चेहरे पे मुस्कुराहट बरकरार थी, जैसे देख रिमी हैरान होने लगी।

नमिता : मत रो मेरी बहन! (गाल को सहलाके आंसू पोचती हुई) मुझे! मुझे सब मालूम है!

रिमी : (हैरानी से) किस बात का दीदी??

नमिता : अब मेरी प्यारी प्यारी भोली बेहना! इतना भी मत नखरे कर! (उसकी पेट पे हाथ फिरती) तू अपनी प्यारे प्यारे भइया का ले चुकी है अंदर!

इस वाक्य से रिमी की पूरी जिस्म में एक ४४० वोल्ट का करंट दौड़ गई और आंखे और नम हो गई। उसकी दीदी उसकी इस गलती को उकसाने में लगी हुई थी जैसे की बहुत साधारण सी बात हो! वोह केवल हैरानी से अपनी दीदी की तरफ देखने लगी। उसकी भोली सूरत देखकर नमिता हंस परी।

नमिता : (गाल को चूमती हुई) कल रात मैंने सब कुछ देख ली थी। सच कहूं तो मै नाराज़ नहीं हूं!

रिमी : यह क्या कह रही हो दीदी????

नमिता : में चाहती हूं तू कैसी से मिले! रुक! (यहां वहा देखती हुई, फिर हाथों से इशारा करती हुई) आयिए देविजी!

रिमी हैरान होकर सामने देखी तो उसकी आंखें कौतोहल और आचार्य से एक पुराणिक अप्सराओं की लिबाज़ में एक मनमोहक और आकर्षित औरत खड़ी थी। चेहरे पे मुस्कुराहट बरकाकर थी और वोह और कोई नहीं बल्कि खुद गाजोधरी थी! वोह दोनों बहनों के निकट आ गई और प्यार से दोनों के लंबे और घने जुल्फों को सीहलाई।

गाजोधरी : तुम दोनों इस प्रेम मिलाप में अब बांध गए हो! और इसका सबसे बड़ा सबूत तुम्हारी कोको में पल रहे तुम्हारे अपने भाई के बीज है! अब पीछे जाना ठीक नहीं होगा पुत्रियों! इस मिलाप का पूरा सईयोग दो और कामदेव के चरण स्पर्श करो!

रिमी : (दीदी की और देखकर) दीदी!!!!! यह सब क्या है???? कौन है यह औरत?? व्हाट्स गोइंग ऑन?? (सर पे हाथ रखती हुई)

नमिता फिर से अपनी बहन कि गालों को चूम लेती है और उसके कान को हल्के से चूम ली "तुझे वोह मीठी दर्द पसंद अाई है ना?" जवाब में रिमी की जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई और आखिरकर उसकी चेहरे पे एक धुंधली सी मुस्कुराहट फैल गई "दीदी, धुत्त!!! नहीं मालूम मुझे!"

गाजोधरी उन दिनों के मुस्कुराहट और खिलखिलाना देखकर खुद बहुत प्रसन्न हो गई और दोनों को एक एक गुलाब देने लगी। गुलाब को लेती हुई दोनों एक दूसरे को देखने लगी आश्चर्य से और फिर गाजोधरी के तरफ।

गाजोधरी : इस का असर तुम दोनों को समय समय पे होता रहेगा, और हा! इस फूल के मुरझा जाने से पहले अगर तुमने कामदेव को खुश नहीं किया तो बरी कठिनाई आ सकती है तुम्हारे जीवन में!

रिमी और नमिता एक साथ : खुश कैसे करेंगे?

गाजोधरी : तुम दोनों को इस फूल के मुरझा जाने से पहले ही अपनी अपनी कोक में बीज डालने वाले के साथ विया रचानी होंगी! ना तुम इस कोक की वरदान को नश्ट कर सकती हो और नहीं तुम विवाह से विवाह से भाग सकती हो!

इस कथन सुनने के बाद दोनों बहने की आंखे चौड़ी हो गई और सासें मानो तेज़ तेज चल रही हो। गाजोधरी दोनों को देखकर आशीर्वाद देने लगी और वायु की भांति गायब हो गई वहा से। नमिता और रिमी केवल एक दूसरे को देखते रहे।

......

वहा नीचे रमोला अपनी कमरे में आराम कर रही थी के अचानक से अजय उसके नज़रों के सामने अागाया। अपने बेटे के चिंतित भाव को देखकर एक मा भला कैसे चैन से भला बैठ सकती है, वोह सीधे अपने बेटे के पास आके बैठ गई।

अजय : मा! काफी अर्सा हो गया आप के गोद में सर रखे आप से बात किए हुए!
 
रमोला : लगता है मेरे लाडले की व्यह जल्द से जल्द करनी परेगी! तू काफी बेचैन लग रहा है आजकल!

अजय : (अपने पिता के तस्वीर मन में लिए) आप और डैड को जब देखता हूं, तो काफी जलन होती है आपसे!

रमोला : (हैरानी में) मुझसे जलन, वोह भला क्यों बेटा ? अरे शादी के बाद तू भी तो बाप बनेगा किसी का!

अजय : मा! अब आप को कैसे बताऊं! यह शादी वादी में मुझे कोई खास दिलचस्पी नहीं है! आइंदा इस विषय में मुझे परेशान ना करे!

रमोला : (माथे पर हाथ फेरती हुई) लेकिन बेटा! भला ऐसा क्यों!

अजय : (धीमे से) अब आपको कैसे समझाऊं के, मुझे कुछ खास दिलचस्पी नहीं है लड़कियों में!

रमोला : (सिसकती हुई) तो क्या औरतों में है?

अजय : वोह भी नहीं!

अब रेमोला को पसीना आने लगी थी। उसे जिस बात की डर थी, वोही होने चली थी शायद। अजय का भटकना तो उसे तब मालूम हो चुकी थी जब अपने ही पिता से वोह नज़रें फिरा रहा था। दिल में पत्थर रखे वोह फिर बेटे से पूछ परी "तू साफ साफ बता तुझे चाहिए क्या?"

अजय : (गोदी में सर को आराम से रखकर) मा! मैं थोड़ा अलग हूं शायद! मुझे श्रृंगार पसंद है! मुझे वर नहीं वध....

रमोला घुस्से में अपने बेटे को धकेल देती है "यह तू क्या कह रहा है बेटा!! सोच समझ के बात किया कर!!! हाय राम!!! इसका बुद्धि को भ्रष्ट होने से बचाव कोई! में पागल हो जाऊंगी इस लड़के को लेके।" वोह घुस्से से अजय को देखती है और ना चाहते हुए भी उसे वोह रात याद आगई जब गौरव ने खूब संभोग की उसके साथ सिर्फ और सिर्फ अजय के ज़िक्र में।

ना चाहते हुए भी उसकी हाथ अपनी बेटे के गुलाबी रसीले गालो पर चली गई और उन्हें सहलाने लगी, मन में एक तुलना हुए अपने पति के खुदरे दारी वाले गालों से और उसकी जिस्म सिहर उठी और फिर उसकी उंगलियां जब बेटे के शर्ट के ऊपर ही उसके नरम मुलायम पेट पर फिरती रही तब उसकी जिस्म में दोहरा सिहरन दौड़ गई।

सच पहुंचिए तो यूं साड़ी में अजय का उस दिन परफॉर्म करना उसे बेहद कामुक लगी, उफ्फ कितनी अजीब बात थी! यह कैसी कैसी सोच विचार उसके मन में आने लगी और जांघ में जांघ कसाए अपने बेटे को गले से लगाई "बेटा! क्या तेरे सोच विचार बदल नहीं सकते??"

अजय भी अपने मा के गले लग गया और बरी उत्तेजना से उनकी गले और बालों को सुंग रहा था। रमोला हैरान होकर उसे फिर धकेल देती है "यह...... यह सब क्या कर रहा है तू????"
 
अजय अपनी नाक को अपने मा के इर्द गिर्द करता रहा और जब उसके गाल पर एक खीच कर चपेट लगती है रमोला, तो तब जाके होश ठिकाने आया।

रमोला : जा यहां से!!! बदतमीज!

अजय : तुम गलत समझ रही हो मोम! दरअसल मुझे डैड के जिस्म को खुशबू महसूस हुई आप में! (शर्मिंदा होते हुए) माफ करना मुझे मोम! लेकिन अब खुद को बदलना भी उतना आसान नहीं होगा! और वैसे भी समलैंगिक भावनाए बुरा तो नहीं है! क्यों मोम???

अजय उदास होके कमरे में से निकल गया और रमोला के मानो पैरो तले जमीन खिसक गई। उसे आभास तो थी के अजय के रास्ते अलग है, लेकिन इतना आगे उसके भावनाए बेह जाएंगे, यह उसे मालूम नहीं थी। पलके जब मूंद ली तो अपने बेटे के सारी में लिपटी हुई तस्वीर झलकने लगी और ना चाहते हुए भी उसकी हाथ अपनी ही जांघ को कस लेती है सारी के उपर से ही।

उफ़, यह एहसास कुछ अजीब थी, लेकिन कामुक भी थी, खुद पर शर्म करके वोह पल्लू अपनी मूह की और रखकर तुरंत नहाने चली गई। शॉवर के नीचे खड़ी होकर "राम राम" के रट लगाए वोह अपनी नंगी जिस्म को यह वहा मसलने लगी के तभी उसके पीछे एक दूसरे जिस्म की स्पर्श होने लगती है। घबराकर वोह पीछे देखती है और हैरान रह जाती है एक सम्पूर्ण अनजाने से एक और औरत को देखकर, जो खुद भी पूर्ण नग्न अवस्था में थी।

वोह औरत थी गजोधरी!

इससे पहले रमोला कुछ बोल पाती या चिल्लाती, उसकी मुंह की और हाथ रखकर गजोधरी उसकी कंधो को सहलाने लगी और बड़ी प्यार से सामने रेक पर रखे साबुन को उठाए उसकी कंधो को मलने लगी। गजोधरी के नरम और निर्मल एहसास से अचानक रमोला को एक धुंड सा नजर आती है चारो और, मानो कोई धुंधली सी जगह पर को गई हो।

अब कंधे से नीचे आते आते गजोधरी की हाथ पर पकड़े साबुन रमोला की मोटे मोटे पपीते पर आने लगी और उसपे मलने लगी। देखते देखते उसकी परी जिस्म की उपरी भाग झाग में धक गई थी। ऐसी निर्मल एहसास हो रही थी रमोला को, के शब्दो ने बयान करना मुश्किल थी। कुछ ऐसा हुआ तभी के गजोधरी अपनी हाथ उसकी जिस्म में से हटा देती है के तभी रमोला उसकी हाथ को पकड़े वापस अपनी झागदार जिस्म पर वापस रख देती है।

दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहे थे, लेकिन रमोला की आंखे यह बयां कर रही थी के वोह केवल गजोधरी की हाथों से नहाना चाहती थी।

गजोधरी : (साबुन मालती हुई) तुम्हे अपनी बेटे पे नाराज़ नहीं होनी चाहिए!

रमोला : (गहरी सांस लेकर साबुन स्पर्श की आनंद लेती हुई) नहीं होंगी! फ़िर कभिं नहीं होंगी!

गजोधरी : (अब एक उंगली को उसकी लबों फिराके) तुम बहुत अच्छी मा हो!

रमोला सिसक सिसक के गजोधरी की हाथों पे अपनी हाथ रखकर अपनी जिस्म की इर्द गिर्द साबुन फिराने लगी और फिर दोनों औरतें आपस में बिना कोई झिझक के अपने अपने होंठ मिला देते है। एक अद्भुत आनंद का सामना करती है रमोला और फिर अचानक ही पलके झपकते ही गजोधरी गायब!

शॉवर में अपनी हाथ में साबुन थामे रमोला यहां वहा देखने लगी और फिर ना जाने क्यों खुद पर मुस्कुरा उठी और नहाने में मगन हो गई।

________
 
फिर एक रात राहुल अपने कमरे में आराम कर रहा था के तभी अचानक पायल की छन छन आवाज़ आती है। जैसे दरवाज़े की और उसकी नजर गई, तो कोई मिल नहीं पाया और केवल कुछ आहट सुनाई दी। एक तो रात का समय ऊपर से ऐसी पायल की आहट का आना, कहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था उसे। लैंप ऑन करके जब उसने सीधा उपर देखा तो एक कम्बल पहनी हुई एक साया थी।

लेकिन कम्बल में थी कौन? कोई औरत थी और वोह भी बहुत ही सुडोल और गद्राई हुई थी। उसकी हाथो पे मेहंदी और चुरिया ओर नीचे पायल उसकी कामुकता की और इशारा कर रही थी, लेकिन क्योंकी पूरी जिस्म चद्दर से धके हुए थे, यह अनुमान करना मुश्किल थी के चद्दर में था कौन।

खैर बिना विलंब किए उस औरत ने राहुल के चेहरे की और अपनी प्यारी प्यारी उंगलियां घुमाई और फिर नीचे नीचे चलते चलते उसके जागृत होती हुई उभर पर आने लगी, उसे मसलने लगी और सहलाने लगी। राहुल का उभर झट से बड़ा हो गया और उसके आंखें बन्द हो गया। चद्दर पहनी औरत ने फिर वोह किया के राहुल आश्चर्य से हिल गया। उसने तुरंत शॉर्ट्स को नीचे की और खिसका दिया और खुद अपनी गद्देदार वजन उसके उपर रख देता है। कम्बल से एक सिसकी तो पक्का सुनाई दिया था राहुल को और उसे समझ में आचुका था के उसका लिंग उस औरत के योनि में प्रवेश हो चुका था।

एक सिसक दोनों के मुंह से निकाल गया और असाह में जब राहुल उसके चद्दर का नकाब चेहरे से उतारने के लिए हाथ को आगे किया तो उस औरत ने तुरंत उसके हाथ थामे और नीचे बिस्तर पर दबा ली और अपनी जांघो की ज़ोर लगाई हुई और योनि को लिंग में दबा ली! मज़े की बात यह थी के उसकी योनि इतनी खुली खाई हुई थी के मानो काफी पहले से चुदाई कर रही हो और पहले से गीली और खुली योनि में लिंग प्रवेश करके राहुल को काफी सुख मिला।

उसके भी बिना विलंब किए ऊपर की और धक्का देने लगा और उस औरत का भी उसे पूरा संयोग मिलता रहा। अब कस कस के धक्के देने के आदी हो गया राहुल और बिना कोई रोक झोंक के संभोग का आनंद लेता रहा।

वहा दूसरे और रेवती के सो जाने के बाद, रिमी और नमिता दोनों एक सोच के नदी में डूबे हुए थे। उपर छत में जो जो बातें हुई थी उस रती जैसी अप्सरा के साथ, उसका असर अभी भी उनके मन में समाई हुई थी। दोनों के आंखो में अब उनके भाई राहुल ही राहुल था और उसके तसव्वुर से ही दोनों के दिल की धड़कन तेज हो गई। दोनों ने आसह में ही अपनी अपनी हाथ जोर दी एक दूसरे के साथ, और उंगलियां भी मानो एक दूसरे से लिपट गई गई। दोनों के होंठ प्यासे थे और बाते मुश्किल से हो पा रही थी।

रिमी : दीदी! क्या उस अप्सरा की बाते मुझे सता रही है!

नमिता : मुझे भी रिमी! हम अब मुंह दिखाने काबिल नहीं रहे! (पेट पे हाथ लगाई हुई)

रिमी : दीदी! मै तो अभी बहुत बच्ची हू! (मासूम सी मुंह बनके) मेरी हालत सोचो जब पेट फुलाए में यह घर में घुमुंगी तो!

अपनी बहन कि मीठी वाणी जैसी आवाज़ सुनके नमिता की दिल पिघल गया और उसने एक झप्पी दे दी, फिर धीरे से उसकी माथे को, नाक को और फिर गालों को चूम लिया। रिमी भी दीदी की बाहों में लेट गई और अपनी आंखे मूंद ली "दीदी! में तो पॉजिटिव हूं! और आप?"

नमिता : (सिसक के) में भी!

दोनों बहने बोल कम और सिसक ज़्यादा रह थे। डर या कामुकता से, यह तो समय ही बताएगा।

......

वहा दूसरे और अब राहुल का लावा फूटने की कगार पे था और वोह औरत भी जोरों से अब उछाल उछल के आनंद ले रही थी उसके लिंग का। राहुल का आवाज़ अब सिसक सिसक के निकल रहा था "ओह!!!!! उह! देखो मुझे अब छूटना है!!!! अगर तुम चाहो तो!!! उह!"

लेकिन कुछ खास सुनाई नहीं दी उस औरत से, बल्कि वोह बार बार नीचे की और ज़ोर देती रही जिससे अब राहुल का लीग का संतुलन खोने लगा और जैसे ही वोह अपना माल विस्फोट करने के उपरानत था, तो तभी उस औरत ने अपनी भारी नितम्ब को ऐसे नीचे दबाई के तेज़ गरम मलाई सीधे योनि के दुआर के अंदर प्रवेश होने लगा।

उफ़! राहुल से अब और रहा नहीं गया, वोह नियंत्रण मलाई पे मलाई बरसाने लगा उस अनजाने योनि के अंदर। कुछ ही पलों में वोह औरत में जैसे कोई चिंता जाग उठी, और वोह भीगी मलाईदार योनि लिए उठ खड़ी हुई और कमरे में से जाने लगी तो राहुल ने उसे कस के जकड़ लिया। उसके हाथ बिना विलंब किए चद्दर की ऊपरी हिस्से को थामकर जैसे ही हटाया तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई।
 
वहा दूसरे और रिमी और नमिता एक दूसरे के विचारो और बातो में खोए हुए थे के अचानक रिमी रोने लगी। नमिता उसकी पलको से आसू पोचके उसके तरफ देखने लगी "क्या हुआ पगली??" "कुछ नहीं दीदी! बस यह सब कुछ इतना अजीब, इतना जल्दी में हो राहा है कि! .... अगर मा को यह सब पता चली तो??"

अपनी बहन कि कथन सुनके नमिता खिकलखिला उठी और यह देख रिमी हैरानी से दीदी की और देखने लगी। नमिता ने फिर अपनी बहन की गोल गोल रसीले गालों को दबाई और बोली "मा कुछ नहीं कहेगी पगली! हमारी मा खुद हमारे दादाजी के चक्कर में है!" इतना कहने के बाद नमिता ने आंख मारी तो रिमी की दिल जोरों से धड़क उठी "क्या????".

नमिता : बिल्कुल! दादाजी का बस चले तो वहीं के वहीं मा को खा जाए और डकार भी न ले!

रिमी : लेकिन यह सब कैसे?? छई! में तो सोच भी नहीं सकती! आप झूठ बोल रही हो!

नमिता : तू ऐसे नहीं मानेगी! रुक (अपनी फोन ऑन करके, वीडियो फोल्डर के क्लिक करती हुई) यह देख!

रिमी एक क्लिप को हैरानी सी देखने लगी। क्लिप कैमरा में रिकॉर्ड हुआ था और उसमें साफ दिख रहा था के कैसे अपने ही ससुर के लंगोट और बनियान को बाल्टी में से उठाए आशा सूंग रही थी और साथ साथ अपनी योनि को ही सारी के ऊपर से ही मसल रही थी। ऐसी दिर्श्य देखकर रिमी की खुद की योनि गीली होने लगी और उसकी होंठ खुले के खुले रह गए। नमिता यह मौका देखकर अपनी बहन की मस्त मस्त उभ्रो को मसल देती है "क्यों! यकीन हुआ ना??"

स्तन के मसलना और ऐसी वीडियो देखकर रिमी उत्तेजना के लहर में डूब जाती है! वोह होंठो को काटती हुई बोली "ओह गॉड! मा!" फिर कुछ पल शांत होने के बाद एक मासूम सी चेहरे लिए दीदी को देखने लगी "दीदी! क्या मा को दादाजी के प्रति कुछ कुछ...?????" नमिता हां में सर हिलाने लगी और फिर बोल उठी "रिमी मेरी गुड़िया! इसमें हमारा ही फायदा है!"

रिमी : फायदा???

नमिता : अगर मा को दादाजी के प्रति पटाया जाए तो एहसानमन्द होके वोह हमारे राहुल के प्रति नाजायज प्यार को भी स्वीकार कर लेगी!

इस बात से रिमी भी सहमत हो गई और फ्ट से अपनी दीदी की गले मिल गई। दोनों खुशी खुशी सो गए एक नए कल के उमिद्द में।

........

वहा दूसरे और चादर को बेनकाब करके राहुल खुद हैरानी से उस औरत की और देखने लगी। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था के सामने खड़ी हुई औरत और कोई नहीं बल्कि खुद यशोधा देवी थी! उसकी अपनी प्यारी दादी! केवल एक ब्लाउस और पेटिकोट पहनी यह बूढ़ी कामुक औरत खड़ी रही, आंखो में शर्म और पेटिकोट के नीचे से सफेद सुखी वीर्य टपकती हुई एक बहुत ही कामुक वातावरण बना रहा था माहौल में। राहुल का तो जैसे होश ही उड़ गया हो "दादी आप??????!?"

यशोधा देवी जैसे होश में नहीं थी बिल्कुल भी। लेकिन चेहरे मे एक तृप्ति का भाव थी और आंखे ताजी ताजी जैसे एक हसीन सपने से जागी हुई हो। इससे पहले राहुल कुछ कह पाता वोह अपनी पोते की होंठ पर उंगलियां रख देती है "नहीं!!! और कुछ मत बोल! हाए!!! दर्द देके मार ही डाला मुझे! हायाई!!!! उफ्फ " कहके अपनी कमर पर हाथ रखे खुद को अपनी पोते की सहारे खड़ी हुई और फिर दोनों बिस्तर पर बैठ जाते। अभी भी गीली चादर पर अपनी नितम्ब तिकाके यशोधा सिसक उठी।

राहुल शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसे चुप देखकर यशोधा भी शर्म से नज़रें नीचे कर ली। दादी पोते में कोई गुफ्तगू नहीं हुई और फिर राहुल के कानों में मीठी वाणी जैसी शब्द घोलती गई।

यशोधा देवी : राहुल बेटा! तू नहीं जानता तूने अपनी दादी को क्या तोहफा दिया! उफ़! इतना कुछ दे दिया मुझे!! हाय रे! नई नवेली दुल्हन जैसी महसूस कर रही हो में! ओह!

राहुल : दादी आप....

यशोधा देवी : दादी नहीं! अकेले में तू मुझे यशोधा कह के पुकार सकता है! (होंठ दबाती हुई) तू नहीं जानता इस भारी जिस्म में कितनी कामुकता भरी हुई थी! तेरे दादा से तो मन भर गया मेरा!

राहुल : तो क्या दादाजी कमजोरी......

यशोधा देवी : एक लाफा दूंगी तुझे!! (गाल पर हल्का चमट लगती हुई) वोह और कमजोर???? ऐसा सोचना भी मत! अरे उनकी नजर तो खुद (रुक के) तेरी मा पे है!!

इस वाक्य से रेहुल पूरी तरह से हिल गया "क्या????!!!" उसके हावभाव को देखकर यशोधा खुद खिखीला उठी "अरे बेटा! हैरान मत हो! अरे जवानी में तो यह तेरे प्यारे दादाजी ने तो अपनी सगी बहनों पे भी दौरे डालते थे, मै खुद गवाह हूं! खैर उनके बहनों की शादी होने के बाद उनकी कामुकता सिर्फ मेरे लिए कायम रही। आज इतने साल बाद उनके वासना फिर किसी नई मास के लिए जाग उठा! (मासूम बनके) बेटा!! अगर वोह इतनी कामुक हो सकते है तो मुझ बुढ़िया में थोड़ा रेहम कर!! (अपने ही पोते के चरण चुके) तूने जो सुख दिया है मुझे! उफ्फ तेरी दादी से दासी बन गई हूं!

दादी के हाथ तले चरण स्पर्श से राहुल का लिंग ना जाने क्यों फिर से खड़ा हो गया, ऐसी कामुकता पहले कभी महसूस नहीं हुआ उससे!
यह तो कुछ अलग ही मुकाम का वासना था! अपने खड़े लिंग को अपने झुके हुए दादी की चेहरे पर फिराने लगा, उफ़ इस एहसास से यशोधा सिसक उठी और खुद अपनी चेहरे को खड़े लिंग पर फिराने लगी। राहुल का हिम्मत और बड़ गया और अब दादी के होंठो को सुपाड़े से छुने लगा।
 
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