kamukta kahani अय्याशी का अंजाम - Page 8 - SexBaba
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kamukta kahani अय्याशी का अंजाम

उधर विजय का हो गया तो वो एक तरफ़ लेट कर हाँफने लगा और कोमल बाहर टीवी पर रश्मि की चुदाई देखने नंगी ही आ गई।
साजन- अरे वाह कोमल रानी.. बड़े मौके पर आई है.. देख साला जेम्स कैसे जंगली सांड की तरह रश्मि को चोद रहा है और हमारे लौड़े अकड़ कर दर्द कर रहे हैं.. ज़रा सहला दे ना मेरी जान..
कोमल- जरूर मगर पहले इस बेचारे को शान्त करूँगी.. कब से यहा बँधा हुआ है।
साजन- अरे इस बहनचोद का खड़ा हुआ था अपनी बहन की चुदाई देख कर और वैसे भी तेरे चक्कर में इसकी बहन चुद रही है.. इतना तो इसका हक़ बनता ही है.. कर दे इसको भी ठंडा हा हा हा हा हा..
कोमल मुस्कुराती हुई जय के पास गई और उसके लौड़े को सहलाने लगी। इस बार वो सोया हुआ था.. शायद रश्मि की चीखें उसको तकलीफ़ दे रही थीं।
कोमल ने उसका लण्ड बाहर निकाल दिया और बड़े प्यार से उसको चूसने लग गई.. वो तीनों भी पास आ गए और अपने लौड़े कोमल के आगे कर दिए.. वो बारी-बारी सबका लण्ड चूसने लगी।
रश्मि- आह्ह.. जेम्स मेरी चूत में जलन हो रही है.. आह्ह.. प्लीज़ स्टॉप.. अब थोड़ा रेस्ट दे दो.. आह्ह.. नहीं.. प्लीज़ अपनी रंडी को आराम दो.. तुम्हारा कब निकलेगा आह्ह..
जेम्स- मैंने कहा था ना साली.. आज तुझे असली मर्द का पावर दिखाता हूँ.. आ चल अब तेरी गाण्ड मारूँगा।
रश्मि- नो नो प्लीज़.. ऐसा मत करना तुम्हारा बहुत बड़ा है.. ये मेरी हालत बिगाड़ देगा।
जेम्स- देख साली नाटक मत कर उनसे बचना है या नहीं?
रश्मि बेचारी मरती क्या ना करती.. उसने गाण्ड मराने के लिए ‘हाँ कह दी।
जेम्स ने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गाण्ड पर लौड़ा सैट करके उसकी जाँघों को मजबूती से पकड़ लिया और वैसे ही जोरदार शॉट मारा।
अबकी बार पहले से ज़्यादा उसको दर्द हुआ और वो बेतहाशा रोने लगी।
जय बाहर छटपटा रहा था.. मगर ये सब उसकी करनी का नतीजा था.. क्यों उसने ऐसे गेम के लिए ‘हाँ’ कही.. यह सोच कर उसकी आँखें भर आई थीं।
कोमल- अरे ये क्या.. मैं इसके लौड़े से पानी निकालने की कोशिश कर रही हूँ और ये साला आँख से पानी निकाल रहा है.. कुत्ता कहीं का..
साजन- अरे इसको जाने दे मेरी जान हमारा बस निकलने ही वाला है.. आ जल्दी कर.. आ मेरा चूस.. आह्ह.. चूस..
उधर रंगीला भी अब रानी की गाण्ड में अपना पानी भर चुका था और आराम से लेट कर रश्मि की चीखें सुन कर आशा को याद कर रहा था।

जेम्स 15 मिनट तक गाण्ड मारता रहा और आख़िर उसके लौड़े ने पानी का फुव्वारा छोड़ दिया।
रश्मि पूरी तरह टूट चुकी थी ऐसी चुदाई की उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी.. वो दर्द से कराह रही थीं।
जेम्स- क्या हुआ रंडी.. क्यों शोर मचा के सबको सुना रही थी? हम्म?
रश्मि- मेरी जान निकाल दी.. और पूछते हो शोर क्यों मचा रही हूँ।
जेम्स- अच्छा साली छिनाल.. जब भाई से सील तुड़वाई.. तब नहीं सोचा कि दर्द होगा तब तूने कितना शोर क्या था।
जेम्स की बात सुनकर रश्मि ठंडी पड़ गई कि इसे ये सब कैसे पता?
रश्मि- ओह्ह.. क्या बोल रहे हो तुम.. हाँ?
जेम्स- ऐसे तुझे समझ नहीं आएगा.. चल अभी बताता हूँ।
जेम्स ने उसका हाथ पकड़ा और उसे बाहर ले आया।
जब रश्मि ने बाहर देखा कि जय बँधा हुआ है… और सब उसको देख कर हँस रहे हैं।
रश्मि- ये क्या है भाई.. आपकी ये हालत किसने की?
साजन- वाह जेम्स.. मान गए क्या मस्त ठोका आपने.. साला यहाँ लाइव देख कर मज़ा आ गया।
रंगीला भी तब तक बाहर आ गया था.. उसने पता नहीं क्या किया कि टीवी पर रश्मि की चुदाई दिखना वापस शुरू हो गई।
आनंद- अरे देखो इस रंडी की फिल्म वापस से आ गई।
रश्मि की नज़र टीवी पर गई.. तो उसकी आँखें फट गईं।
रश्मि- ये सब क्या है रंगीला.. और भाई का मुँह क्यों बन्द किया.. इन्हें यहाँ बाँध कर क्यों रखा?
रंगीला- अरे अरे.. बेबी को गुस्सा आ गया.. खोल दो इसका मुँह और नई फिल्म देखो..
अब सब के सब रश्मि की सील टूटने का वीडियो देख रहे थे।
रंगीला ने रिमोट का बटन दबाया तो उस दिन का वीडियो चालू हो गया।
रश्मि- भाई अब क्या सोच रहे हो.. एक लड़की आपके इतने करीब है.. आपका मन नहीं करता उसको कुछ करने का.. चुम्बन करने का?
रश्मि अब पूरी तरह से जय के ऊपर चढ़ गई थी.. उसकी नंगी चूत बरमूडे में तने जय के लण्ड से टच हो रही थी.. जिसका अहसास जय को भी हो रहा था।
अब जय की बर्दाश्त दम तोड़ गई थी उसने रश्मि की पीठ पर हाथ रखे और सहलाने लगा.. उसके थिरकते होंठों पर धीरे से अपने होंठ लगा दिए।
रश्मि तो जैसे बरसों की प्यासी थी.. उसने फ़ौरन उसके होंठों को मुँह में लिया और चूसने लगी। अब जय भी कहाँ पीछे रहने वाला था.. वो भी शुरू हो गया अब दोनों की किसिंग शुरू हो गई।
यह वीडियो देख कर रश्मि की रही-सही ताक़त भी जबाव दे गई। उसने जल्दी से टीवी बन्द कर दिया और हक्की-बक्की सबको देखने लगी.. उसकी आँखों में आँसू आ गए, वो वहीं ज़मीन पर बैठ गई।
रंगीला- क्यों जय.. अपनी बहन को ऐसे हताश देख कर कुछ याद आया.. मेरी आशा भी ऐसे ही तड़फी थी।
आशा का नाम सुनकर रश्मि ने सवालिया नज़रों से जय की ओर देखा।
साजन- क्यों जय.. बता अपनी बहन को.. कि ये आशा कौन है और आज ये किस ग़लती की सज़ा भुगत रही है।
रश्मि- भाई आप बोलते क्यों नहीं.. हमारे साथ ये हो क्या रहा है?
जय ने उसको आशा के बारे में बताया और कैसे वो मरी.. जिसका बदला ये सब मिलकर ले रहे हैं।
रश्मि- क्या विजय भी इनके साथ मिला हुआ है.. मगर क्यों?
तभी विजय भी बाहर आ गया और उसने रश्मि को गुस्से से देखा।
रश्मि- विजय भाई आप भी इनका साथ दे रहे हो.. अगर भाई से ग़लती हुई तो इनको सज़ा देते.. मुझे इस गंदे खेल का हिस्सा क्यों बनाया आपने? मैं आपकी बहन हूँ।
विजय- चुप साली रंडी अपनी गंदी ज़ुबान से मुझे भाई मत बोल.. ये कुत्ता अपने किए की सज़ा भुगत रहा है और तू अपने किये की.. समझी..
रश्मि- अम्म.. मैंने क्या किया है जो तुमने मुझे रंडी बना दिया?
विजय- मेरी माँ ने क्या ग़लती की थी हाँ.. जो तू बार-बार उनको रंडी बोलती थी?
रश्मि- ओह्ह.. तो अपनी रंडी माँ का अपमान नहीं सह सका.. मगर वो असल में रंडी है.. मेरे पापा को अपने बस में कर लिया उसने.. और..
रश्मि आगे कुछ बोलती उसको विजय का जोरदार तमाचा लगा।
विजय- चुप साली.. मेरी माँ को ऐसा बनाया तेरे उस कुत्ते बाप ने.. और आज तेरी हालत का ज़िम्मेदार वो भी है।
विजय ने उस दिन से लेकर आज तक की सारी बातें रश्मि को बताईं और एक राज आपको भी बता दूँ कि रश्मि के पापा ने अपने फायदे के लिए कई बार विजय की माँ को दूसरों के हवाले किया था। यह बात भी विजय जानता था.. इसी लिए उसने ये गेम खेला और सब रेकॉर्ड कर लिया।
रश्मि और जय ज़ोर-ज़ोर से रोने लगे वो रहम की भीख माँगने लगे कि जो हुआ उसको भूल जाओ.. मगर विजय और रंगीला के सर पर जुनून था, उन्होंने उनकी एक ना सुनी।
विजय ने कहा- वो सोने जा रहा है आज रात रश्मि के साथ जो चाहे करो बस इसको मरने मत देना.. क्योंकि कल इसके सारे वीडियो पूरी दुनिया देखेगी.. तब ये खुद मर जाएगी।
जय- विजय प्लीज़ रुक जाओ.. रश्मि को इन जानवरों के हवाले मत करो.. ये इसको नोंच डालेंगे.. इससे अच्छा तो तुम हमें मार दो.. प्लीज़ प्लीज़..
विजय ने एक ना सुनी और वहाँ से चला गया।
कोमल और रानी को रंगीला ने कहा कि अब यहाँ जो होगा.. वो तुम देख नहीं पाओगी.. तो जाओ जाकर सो जाओ।
उनके जाने के बाद वहाँ जो नंगा तमाशा हुआ.. वो मैं लिख भी नहीं सकती.. इस चुदाई से वे सभी थक कर सो गए और जय वहीं बँधा हुआ रात से रो रहा था।
दोस्तो, माना कि जय और रश्मि ने ग़लत किया था.. मगर रंगीला और विजय ने जो किया.. वो तो और भी ग़लत था.. बदले की भावना इंसान को जानवर बना देती है.. और यहाँ भी यही हुआ!
आपस की दुश्मनी में बाहर के लोग मज़ा ले गए ना.. लो अभी कहानी ख़त्म नहीं हुई.. कि मैं ज्ञान देने आ गई हूँ.. ये तो मेरी आदत है..
खैर अभी तो इस कहानी का अंत होना बाकी है।
सुबह विजय उठा और सबको उठाया। विजय कुछ कहता तभी उसके फ़ोन की रिंग बजी। उसने बात की और सामने से उसने जो सुना वो हक्का-बक्का रह गया.. उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई.. वो वहीं कुर्सी पर बैठ गया।
रंगीला- क्या हुआ.. किसका फ़ोन था.. बोल न?
विजय- रात को एक्सीडेंट में इसके पापा और मेरी माँ चल बसे।
रंगीला- वॉट.. ये कैसे हो गया..!
जय- कुत्तों मेरे हाथ खोल दो.. मेरे पापा नहीं मर सकते.. मैं किसी को नहीं छोडूँगा.. सब को मार दूँगा..
रंगीला ने जय को खोल दिया.. वो गुस्से में था.. मगर रंगीला ने उसको समझाया कि ये वक़्त लड़ने का नहीं है।
साजन और उसके दोस्त भी हक्के-बक्के रह गए थे.. 
दोस्तो, राजशर्मास्टॉरीज के कुछ नियम हैं.. जिनके तहत मैं आगे की कहानी नहीं लिख सकती.. क्योंकि उसमें हिंसा है.. तो आपको ऐसे ही बता देती हूँ कि वहाँ के संग्राम में सब तहस-नहस हो गया.. जय ने गुस्से में वो कर दिया कि वहाँ उसके सिवा कोई ना रहा।
आगे की कहानी आप जानते ही हो इसका अंजाम क्या हुआ होगा। 
जय जेल में पहुँच गया.. उसकी माँ भी ये सदमा बर्दाश्त ना कर सकी और दिल की धड़कन रुकने से उसकी मौत हो गई।खन्ना परिवार तिनके की तरह बह गया और साथ में कोमल.. रानी.. जेम्स.. साजन उसके दोस्त इस बदले की आग की भेंट चढ़ गए।
वहाँ से पुलिस को वो सारे वीडियो मिल गए.. जिससे केस को समझना आसान हो गया कि यहाँ क्या हुआ होगा।
आपको एक बात बता दूँ यहाँ कुछ कैमरे लगे हुए थे.. जिसमें सब कुछ रेकॉर्ड हो गया था। रंगीला और विजय ने जय को जो बताया कि वो ये क्यों कर रहे हैं.. वो सब भी पुलिस को मिल गया। वहाँ के सीनियर ने फार्म को सील कर दिया और सारे सबूत ले गए।
जय अपना दिमागी संतुलन खो चुका था.. अदालत ने उसको पागल करार दे दिया और पागलखाने भेज दिया।
दोस्तो, हर बार मेरी कहानी का खुशनुमा समापन होता है.. मगर यह कहानी थी ही ऐसी कि इसका मैं चाहकर भी हैप्पी एंड ना दे सका क्योंकि बदले की भावना इंसान को शैतान बना देती है और जहाँ शैतान होता है.. वहाँ ख़ुशियाँ नहीं.. बल्कि बर्बादी ही होती है।
आप सबने शुरू से अब तक कहानी को पढ़ा.. इसके लिए मैं आपकी अभारी हूँ.. और आपसे हाथ जोड़कर विनती करती हूँ.. ऊपर वाले ने हमें इंसान बनाया है.. तो प्लीज़ इंसान बनकर ही जियो.. शैतान मत बनो। 
माफ़ करना सीखो.. ताकि और कोई परिवार ऐसे ख़त्म ना हो।
दोस्तो, इस कहानी में कोई भूल हुई हो या कोई बात बताना रह गई हो तो माफ़ करना.. मैं भी इंसान हूँ.. ग़लती हो जाती है.. 
 
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