Kamukta kahani कीमत वसूल - Page 4 - SexBaba
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Kamukta kahani कीमत वसूल

ऋत ने शरारत भरी आवाज से कहा- "मैं जानती थी आप ऐसे ही कहोगे.." फिर ऋतु ने अपने सब कपड़े उतार दिए और मुझसे कहा- "आप क्या कपड़ों में नहाते हो?"

मैंने भी हँसते हुए अपने सच कपड़े उतार दिए। हम दोनों नंगे थे।

ऋतु ने मुझसे कहा- "मेरे प्यारे पिया जी, अब मुझे अपनी गोदी में उठाकर बाथरुम तक के चलो.."

मैं ऋतु के मुँह से ये सुनकर दंग भी हो गया और खुश भी मैंने कहा- "फिर से कहो.."

ऋतु ने अबकी बार मेरे गले में अपनी बाहों को डालकर मेरी आँखों में देखते हए कहा- "पियाजी मुझे बाथरूम में
ले चलिए ना..

मैंने उसको चमते हए अपनी गोद में उठा लिया हम बाथरूम में आ गये। वहां मैंने ऋत को शावर के नीचे खड़ा कर दिया। शाबर से ठंडा-ठंडा पानी उसके जिम को भिगोने लगा। ऋतु ने मुझे अपने जिम से चिपका लिया। हम दोनों शाबर के नीचे खड़े हए होंठों पे होंठ रखकर शावर ले रहे थे। मेरे दोनों हाथ ऋतु के चूतड़ों पर थे और उसके मेरी कमर पर। मैं हल्के-हल्के नीचे झुकता गया और अब मेरा मुँह ऋतु की चूत के पास था। मैंने अत की चत पर नीचे से ऊपर तक अपनी जीभ फिरा दी।

ऋतु में अपनी जांघों को सिकोड़ लिया। मैंने ऋतु की दोनों जांघों को अपने हाथ से चौड़ा किया और फिर से उसकी चत पर मैंह लगा दिया। ऋत ने मादक सिसकियां लेनी शरू कर दी। मैं इतने में कहां मान जाता। मैंने अत को घमा दिया। अब उसकी गाण्ड मेरे सामने थी। मैंने ऋत की गाण्ड पर एक काट लिया ऋत ने उद्दई की आवाज निकाली। मैंने अब उसके दूसरे चूतड़ पर हल्के से काटा।

ऋतु ने फिर से- "उईईई आह्ह..." किया।

मैंने ऋतु को कहा- "जान तुम्हारी गाण्ड बड़ी मस्त है."

ऋतु भी आज पूरे मूड में थी। वो मुझसे बोली- "आपका लण्ड भी कितना मस्त है.."

मैंने कहा- "मेरे लण्ड का क्या करोगी?"

उसने कहा- "देखते जाइए...' कहकर उसने मेरे लण्ड पर साबुन लगा दिया और फिर मेरे लण्ड को रगड़-रगड़कर धोने लगी।

अब मेरा लण्ड बिल्कुल खड़ा हो गया था।

ऋतु ने अपना मुँह मेरे लण्ड पा रखा और बोली- "आप मेरे मुँह में अपना लण्ड जितना डाल सकते हैं डाल दीजिए...

मैंने कहा- "पागल हो क्या?"

ऋत बोली- "आप डालिए तो..."

मैंने उसके मुँह में अपना लण्ड आधा डाल दिया और उसके मुँह में धक्के मारने लगा। धीरे-धीरे मेरा लण्ड ऋतु के गले तक जाने लगा।
 
ऋतु ने मेरे लण्ड को मह से निकाला और कहा- "और डालिए.."

मैने अबकी बार ऋत का सिर पकड़कर अपना लण्ड आधे से ज्यादा उसके मुँह में डाल दिया। मुझे एहसास हो गया की मेरा लण्ड उसके गले में चला गया है, तो मैंने लण्ड को बाहर निकाल लिया।
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ऋतु ने मेरी तरफ प्यार से देखा और कहा "मैं अब आपका लण्ड अपने मुँह में कितना ले लेती हैं देखा."

मैंने कहा- "हाँ, पहले तो सिर्फ जरा सा ही लेती थी.." फिर ऋतु के मुँह को चूत बनाकर मैं उसके मुँह को चोदने लगा। थोड़ी देर में मेरा लौड़ा झड़ गया।

ऋतु में मेरा सारा माल पी लिया।

मैंने ऋतु से कहा- "मुझे सूसू आया है..."

ऋतु ने कहा- "रुकिये, मैं आपको सूसू करवाती हूँ..."

में हैरानी से ऋतु को देखने लगा। ऋतु ने मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले लिया। अब मेरा लण्ड उसके मुंह में ऐसे था जैसे की मुँह में कोई चीज पकड़कर कोई चलता है।

अतु ने कहा- "अब आप सूसू करिए.."

मैंने आज तक ऐसा कभी ना देखा ना सुना था। मैंने जोर लगाया तो मेरे सस निकालने लगा। ऋतु को ये आइडिया कहां से आया, मैं समझ नहीं पाया। पर जो भी था गजब का था।

सूस करने के बाद मैंने ऋतु से कहा- "पानी में रहने से भूख लगने लगी है.." फिर मैंने ऋतु से कहा- "तुमने खाना खा लिया बया?"

अत ने ना में सर हिला दिया। हम बाथरूम से बाहर आ गये।

मैंने कहा- "मैं बाहर से कुछ ले आता हूँ.."

ऋतु ने कहा- "नहीं, मैं आपको अब कहीं नहीं जाने दूँगी। आप मुझे बताओं आपको क्या खाना है, बना देती हूँ.."

मैंने कहा- "पहले तौलिया तो दो.."

ऋतु बोली- "नहीं जी... आपको सुबह तक ऐसे ही रहना होगा.."

मने हँसते हुए कहा- "और तुम?

बा बोली- "मैं भी आपके साथ ऐसे ही रहंगी..."

उसका आइडिया मुझे पसंद आया फिर हम दोनों किचेन में नंगे हो गये वहां अत ने आलू के पराठे बनाए हम दोनों ने किचन में ही खाया। फिर हम रूम में आ गये।

मैंने ऋतु से कहा- "जान तुम मुझे कितना प्यार करती हो..."

ऋतु ने कहा- "मैं आपको अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हैं."

मैंने कहा- "तो फिर आज मुझे सच-सच बताओं की मैंने तुमको चोदने के लिए जो भी किया वो तुमको बुरा तो जरूर लगा होगा?"

ऋतु ने मुझसे चिपकते हुए कहा- "जरा सा भी नहीं..."

मैंने कहा- "क्यों, मैंने तो तुमको मजबूर किया था चोदने के लिए?"
 
ऋतु ने फिर जो बात मुझे बताई सुनकर मुझे यकीन ही नहीं हुआ। ऋतु में जैसे ही बोलना शुरू किया उसकी
आँखों में आँस आ गये। मैं उसकी बात ऐसे सुन रहा था जैसे की में कोई सस्पेंस वाली कहानी सुन रहा हैं

ऋतु ने कहा- "अगर आप ये सब नहीं करते तो हो सकता है की मैं आज जिदा ही नहीं होती या तो मैं घर छोड़कर कहीं चली जाती या में अपनी जान दे देती...'

मैंने कहा- "तुम मुझे पूरी बात सही-सही बताओ... फिर मैंने ऋतु को दिलासा देते हुए पानी पिलाया।

ऋतु हिचकियां लेते-लेत बोली- "आपको मैं सब शुरू में बताती हैं। वो दिन मेरी लाइफ का सबसे मनहस दिन था, जिस दिन अनु दीदी की शादी की डेट फाइनल हुई थी.."

पापा ने माँ से कहा "हम लोग अभी इतने पैसे का इंतजाम नहीं कर सकते। शादी की डेट इतनी जल्दी फिक्स नहीं करनी चाहिए थी..."

पर माँ ने पापा की एक ना सुनी। वो बोली- "आप पैसे की चिंता मत करो..."

पापा की वैसे भी माँ के आगे नहीं चलती थी। माँ की कोई सहेली है आशा जिसने माँ को कहा था की तुम्हें जितने भी पैसे की जरूरत हो मैं इंटेरस्ट पर दिलवा दूंगी। उसने ही माँ को तिवारी से मिलवाया था। तिवारी ने जिस दिन पैसे देने थे उस दिन उसने मम्मी को अपने आफिस में बुलाया था। मैं उस दिन पहली बार मम्मी के साथ ही तिवारी के आफिस में गई थी। मैं, मम्मी और आशा हम तिवारी के पास जब गये तो वो बोला।

तिवारी शोभा जी में आपको पैसा तो दे दूँगा पर आप मुझे गारंटी में क्या दे रही हो?

मम्मी- आपको हम जैसा शरीफ आदमी काई मिलेगा ही नहीं। हम आपका पैमा टाइम पर दे देंगे।

तिवारी- फिर भी कोई तो गारंटी होनी चाहिए। मैंमें बिना गाउंटी किसी को पैसा नहीं देता।

आशा तिवरी जी आप चिंता नहीं करिए। शोभा मेरी बहन जैसी है, आपको कोई शिकायत नहीं मिलीगे।

मम्मी- फिर भी आप जो कहाँ हम आपको गारंटी दे सकते हैं।

तिवारी शोभा जी, आप मुझे इस बात की गारंटी दो की अगर आप मेरा पैसा नहीं लोटा पाई तो मैं आपकी बेटी ऋतु को अपने घर में नौकरानी बनाकर रखेगा, और उसको मैं जो भी कहगा वो उसको करना होगा।

शोभा. "नहीं नहीं तिवारी जी, आपको इसकी कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी..."

तिवारी ने मुझे गंदी नजर से देखते हए कहा- "ना ही पड़े तो इसके लिए अच्छा है.."

में उसकी नजरों में भरी हई दरिंदगी देखकर डर गई थी।

तिवारी- "मैं आपको बिना गारंटी के पैसा नहीं दे सकता। हाँ या ना आप सोच लो..."

आशा और मम्मी ने इशारों-इशारों में कुछ बात किया फिर आशा बोली- "चल शोभा, कोई बात नहीं तिवारी जी की बात मान लें। अगर इनका पैसा नहीं दिया तभी तो ये ऋतु का कुछ कर सकते हैं। ऐसी नौबत आएगी ही नहीं..."

मम्मी- "पर मैं ऋतु को इनके हाथ कैंस दे दूंगी? जवान लड़की है कोई जानबर तो नहीं...

तिवारी बोला"उसकी चिता आप मत करो। मैं उसको बड़े प्यार से रखूगा। आपके घर में ज्यादा ऐश से रहेगी। वहां मेरे घर में और भी लड़कियां काम करती है.."

फिर मम्मी ने तिवारी से कहा- "चलिए मुझे आपकी बात मंजूर है..."

तिवारी ने हँसते हए कहा- "ऐमें कहने से क्या मैं तुम्हारी बात का यकीन कर लेंगा? मुझे लड़की के मुंह से हाँ कहलवाओं और मैं इसमें कुछ पेपर भी साइन करवा गा."

आशावो हम सब करवा देते हैं।

शाभा- हाँ हाँ हम आपकी सब शर्ते पूरी कर देते हैं।

फिर तिवारी ने मम्मी को एक पैकेट दिया और मुझे कहा- "सनों लड़की इधर आकर बैठो..."

मैं तिवारी के सामने वाली चेयर पर बैठ गई। मैं सब समझ चुकी थी की अब वो दिन दूर नहीं जब मुझे तिवारी की हवस का शिकार बनना पड़ेगा और पता नहीं तिवारी मेरे साथ और क्या-क्या करेंगा? पर मैं मजबूर थी कुछ बोल नहीं पा रही थी।

फिर मम्मी ने मुझे प्यार से कहा- "ऋत बेटी, अब त ही अपनी बहन की शादी करवा सकती है और तिवारी जी शरीफ आदमी हैं, गारंटी हो तो माँग रहे हैं। त पेपर पर साइन कर दे..."

मैं कुछ बोल नहीं पाई।
 
मैं तिवारी के सामने वाली चेयर पर बैठ गई। मैं सब समझ चुकी थी की अब वो दिन दूर नहीं जब मुझे तिवारी की हवस का शिकार बनना पड़ेगा और पता नहीं तिवारी मेरे साथ और क्या-क्या करेंगा? पर मैं मजबूर थी कुछ बोल नहीं पा रही थी।

फिर मम्मी ने मुझे प्यार से कहा- "ऋत बेटी, अब त ही अपनी बहन की शादी करवा सकती है और तिवारी जी शरीफ आदमी हैं, गारंटी हो तो माँग रहे हैं। त पेपर पर साइन कर दे..."

मैं कुछ बोल नहीं पाई।

दराज से कई सारे सादे पेपर निकालें और मुझे बोला- "इस पर तिवारी ने मुझे अपनी बहशी नजरों से देखते ह
अपने साइन कर दो..."

मैंने चुपचाप साइन कर दिए।

फिर तिवारी ने एक वीडियो कैमरा निकालकर आन किया और मुझसे कहा- "कैमरे में देखो और मुस्कराकर बोलो
की मैं जो भी कर रही हूँ अपनी मर्जी से कर रही हूँ। मुझे किसी ने मजबूर नहीं किया है."

मुझे ऐसा ही करना पड़ा। उसके बाद तिवारी ने मम्मी से कहा- "अब तुम लोग जा सकती हो."

में पूरे रास्ते में सोचती रही की क्या मैंने सही किया है? काश मैं मना कर पाती। मैं घर आकर बेजान लाश जैसी बेड पर पड़ गईं।

अनु दीदी और शिल्पा ने मेरे से पूछा "क्या हुआ?"

पर मैं कुछ बोली नहीं।

मम्मी ने कहा- "इसकी तबीयत ठीक नहीं है, इसको आराम करने दो..."

मैंने बाद में मम्मी से कहा- "आपने एक बेटी का घर बसाने के लिए दूसरी बेटी को दौंच पर क्यों लगा दिया? आपने ऐसा क्यों किया? मैं आपकी सगी बेटी नहीं हैं क्या?"

मम्मी ने मुझे समझाते हुए कहा- "ऋतु तू ऐसी बात नहीं कर। मैं जो भी कर रही हैं सोच समझ कर कर रही हैं। मैं तेरी माँ हूँ कोई दुश्मन नहीं, और तू इस बात को किसी से भी नहीं कहेगी। तुझं तेरा पापा की कसम होगी.."

मैंने मम्मी को वादा किया- "मैं किसी से कुछ कहूँगी..." और उस दिन से मैं घट-घट कर जी रही थी। आपसे मिलने के बाद मुझे लगा की काश आप मेरी लाइफ में आ जाए और भगवान ने मेरी सुन ली की आप मेरी लाइफ में आ गये। में जब आपके साथ पहली बार लंच पर गईं थी। मैंने उसी दिन सोच लिया था की मैं कुछ भी करके आपको अपना बना लेंगी..."
 
मैंने ऋतु को देखा उसकी आँखें अभी तक नम थीं। मैंने उसको कहा- "तुम किसी बात की फिकर मत करो मेरे होतं कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता। मैं तिवारी से तुम्हारी वो क्लिप और पेपर तमको वापिस ला देगा..."

ऋतु मेरे से चिपक कर हिचकियां लेने लगी।

मैंने उसकी कमर पर हाथ फेर कर उसको दिलासा दिया। मुझे अब शोभा से नफरत होने लगी थी। मैंने सोच लिया था की मैं शोभा को सबक सिखाकर रहगा। ऋतु के लिए मेरे मन में प्यार का बीज और बढ़ गया था मैंने ऋतु को अपनी बाहों में लेते हुए कहा- "अब सब भूल जाओं और मुझे प्यार करो."

ऋतु ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए।

फिर एक दिन ऋतु ने मुझसे कहा- "सर, मैं दो दिन के लिए आफिस नहीं आऊँगी.."

मैंने पूछा- "क्या हुआ, काई प्राब्लम है क्या?"

उसने कहा- "अनु दीदी के बेटे का नामकरण है। मुझे वहां जाना है."

मैंने पूछा- "घर से और कौन-कौन जा रहा है?"

उसने कहा- "सब लोग जा रहे हैं."

मैंने कहा- "पूरी परिवार जा रही है तो तुम्हारा भी जाना बनता है। कब जाना है?"

उसने कहा- “कल सुबह..."
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मैंने कहा- "मैं अपनी कार भेज देता हूँ। तुम सब आराम से चले जाना.."

ऋतु ने कहा- "सर आप क्या परेशान हो रहे हैं। हम लोग बस में चले जाएंगी."

मैंने कहा- पागल हो क्या? बस में कितना मुश्किल होगा परिवार के साथ। मेरे पास दो-दो गाड़ियां होते हए तुम बस में जाओगी। कार से सीधा अपनी बहन के घर जाना और सीधा उनके घर में वापिस आ जाना..."

ऋतु मना नहीं कर पाई।

फिर मैंने कहा- "जिस टाइम जाना हो मुझे फोन कर देना। मैं कार भेज दूंगा..."

फिर अगले दिन सुबह 7:00 बजे ऋतु का फोन आया "सर हम सब तैयार हैं, आप गाड़ी भेज दीजिए."

मैंने ड्राइवर को बुलाया और समझाकर कहा "तुम ऋतु मेमसाहब के घर चले जाओ, उनको देल्ही जाना है अपनी फेमिली के साथ। जहां वो कहें उनको पहुँचा देना.." और मैंने ड्राइवर को ₹5000 दिए और कहा- "पेट्रोल तुम खुद इलवा लेना। उनका कोई पैसा खर्च नहीं होने देना..."

डाइबर कार लेकर चला गया। में भी आफिस के काम में बिजी रहा। इसलिए ऋतु को फोन ही नहीं किया। वो भी वहां जाकर बिजी हो गई। उसका भी फोन नहीं आया।

जब मेरा ड्राइवर दो दिन बाद घर वापिस आया तब मैंने हाइवर से कहा- "कोई परेशानी तो नहीं हुई?"

उसने कहा- "नहीं साहब, सब लोग आराम से गये थे..."

मैंने उसको कहा- "तुम अब अपने घर जा सकते हो..."

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ऋतु की माँ शोभा की चुदाई का वीडियो बनाया

मैं सिटी में कार खुद ही ड्राइव करना पसंद करता हैं। ड्राइवर तो मैंने सिर्फ आउट आफ सिटी जाने के लिए रखा हुआ है। ऋतु से मिले दो दिन बीत गये थे। मैं ऋतु से मिलने का बेताब हो गया था। मैंने ऋतु को फोन किया

पर उसका फोन स्विच-आफ था। मैंने कई बार ट्राई किया पर हर बार स्विच-आफ ही मिला। मैंने अब शोभा को फोन मिलाया तो उसका भी सेल आफ आने लगा। मुझे बड़ा गुस्सा भी आया और चिता भी होने लगी की सब ठीक तो है? मैने दो पंग विस्की के खींचे, और ऋतु के घर चला गया। मैंने बेल बजाई तो 5 मिनट बाद शोभा ने दरवाजा खोला।

मैंने उसको कहा- "क्या बात है इतनी देर क्यों लगा दी?"

शोभा बोली- "मैं बाथरूम में थी। बेन सुनकर जल्दी से कपड़े पहनकर आई हैं."

मैंने उसको देखा तो वो सच बोल रही थी। उसके बाल गीले थे और उसने जो मैक्सी पहनी हुई थी वो भी उसके गीले जिश्म से चिपकी हुई थी। मैं उसको गुस्से में देखता हआ घर के अंदर चला गया। मैंने अंदर जाकर देखा तो कोई भी नहीं दिखा।

मैंने पूछा- "ऋतु कहां है? उसका सेल भी स्विच आफ जा रहा है."

शोभा ने बताया- "उसका सेल जाते ही खराब हो गया था। इसलिए वो आपसे बात भी नहीं कर पाई..."

मैंने कहा- ऋतु कहां गई है?

शोभा बोली- "वो तो अभी एक-दो दिन बाद आएगी..."

मैंने कहा- "क्या मतलब... वो तुम्हारे साथ नहीं आई?"

उसने कहा- "उसके दीदी जीजा ने उसको आने ही नहीं दिया। शिल्पा और उसके पापा भी वहीं रूक गये हैं। वो सब परसों तक साथ में आएंगे..."

ये बात सुनते ही मेरा मूड और खराब हो गया। मेरा लण्ड दो दिन से ऋतु की चूत का प्यासा था। मेरे दिमाग में उस टाइम सिर्फ ऋतु की मस्त जवानी नजर आ रही थी। मेरे अंदर जैसे कोई खोलता हआ लावा भरा हो। मैंने शोभा को गौर से देखा तो उसको एहसास हुआ की वो मेरे सामने जिन कपड़ों में खड़ी है, उसमें उसके जिम के हर अंग की नुमाइश हो रही है।

मेरी वासना से भरी आँखों को देखकर शोभा बोली- "आप बैठिए, मैं जरा चेंज करके आती हैं."
 
मेरे अंदर की आग भड़क चुकी थी। जिसकी वजह से मुझे शोभा भी अपने लण्ड की खराक नजर आ रही थी। मैंने शाभा के पास जाकर उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया। शोभा को शायद इस बात की उम्मीद नहीं थी।

शोभा ठिठक कर पीछे हट गई और बोली- "आप ये क्या कर रहे हो?"

मैंने उसकी चूचयों को कसकर मसलते हुए कहा- "आज तू मेरी प्यास बुझा दे... और मैंने शाभा को अपनी बाहाँ में भर लिया।

शोभा ने खुद को छुड़ाते हुए कहा- "नहीं नहीं ये गलत है... मैं आपको ऐसा नहीं करने दूंगी.."

मैंने उसको अपनी बाहों में फिर से जकड़ते हुए कहा- "शोभा में इस बढ़त तुम्हारी कोई बात नहीं सुनँगा। मेरे लण्ड को इस वक़्त चूत की भूख है। तुम मेरी भावनाओं को समझा और मेरी भूख को शांत कर दो..."

शोभा बोली- "प्लीज... आप मुझे इस काम के लिए मजबूर मत करिए। मैं कैसे भी करके कल तक ऋतु को बुलवा लँगी..."

मैंने कहा- "मैं कल तक रुक नहीं सकता..."

शोभा सोच में पड़ गई फिर बोली- "मैं शायद आपकी बात मान भी जाती, पर मैं मजबूर हैं..."

मैंने उसको घूरते हुए कहा- "क्या मजबूरी है?"

शोभा बोली- "मेरा आज तीसरा दिन है। मेरा मासिक चल रहा है। अगर आप मुझे चोदना ही चाहते हैं तो आप कल मेरे साथ जो मर्जी कर लेना.."

मुझे उसकी बात का यकीन नहीं हो रहा था। मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाकर देखा तो मेरे हाथ को एहसास हआ की उसकी चत पैड से टकी हैं। मैं समझ गया की वो सच बोल रही है। मैंने उसको कहा- "चलो मैं तुमको कल चोदूँगा। पर अभी मेरी प्यास कैसे बुझेगी?"

शोभा बोली- "मैं आपका लण्ड चूसकर आपको शांत कर देती हैं.."
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मैंने मन ही मन सोचा- "चलो खाना नहीं मिला, नाश्ता ही सही..."

में पलंग पर लेट गया और अपनी दोनों टांगों के बीच में शाभा को बैठने को कहा। शोभा मेरी दोनों टांगों के बीच में बैठ गई। उसने मेरे लौड़े को अपने हाथों से सहलाना शुरू कर दिया।

मैंने शोभा को कहा- "तुम अपनी मॅक्सी उत्तार दो, मुझे तुम्हारी बड़ी-बड़ी चूचियां देखनी हैं."
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शोभा ने अपनी मैक्सी उतार दी। अब वो मेरे सामने सिर्फ पैंटी में थी। उसने मेरे लण्ड को अपने मैंड में भर लिया और चूसना शुरू कार दिया। शोभा खेली खाई औरत थी। उसको सब पता था की कैसे एक मर्द को खुश किया जाता है। उसने बड़े ही मस्त तरीके से मेरे लौड़े की चुसाई करनी शुरू कर दी। फिर थोड़ी देर बाद उसने मेरे लण्ड को अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों में रखकर दबा लिया, और अपनी चूचियों से मेरे लण्ड की मालिश करने लगी।

मैंने ऋतु के साथ ऐसा कभी नहीं किया था। मुझे मजा आने लगा। कुछ देर बाद मुझे लगने लगा की मैं अब झड़ने वाला हूँ। मैंने शोभा से कहा- "अब रुका नहीं जा रहा है..."

शोभा ने ये सुनकर मेरा लौड़ा अपने मह में फिर से भर लिया, और अपना होंठों में कसकर दबा लिया। मैंने एक जोर का झटका उसके मुँह लगाते हुए उसके मुँह को अपने माल से भर दिया। शोभा ने मेरे माल को पूँट भरते हए सारा माल अपने गले से नीचे उतार लिया।

मैं अब बिल्कुल शांत हो गया था। मैंने शोभा से कहा- "तुमने मुझे खुश कर दिया.."

शोभा ने ये सुनकर बड़ी जालिम अदा से मैंह बनाकर कहा- "आपका काम तो निकल गया। हम तो प्यासे ही रह गये..."

मैंने उसके निप्पल को कस के मसलते हुए कहा- "मैं क्या कर सकता हूँ? तेरी रेड लाइन हो रही है.."

शोभा बोली- "आज ही तो है, कल तक में माहवारी से निपट जाऊँगी..."

मैंने कहा- इसका मतलब तम कल मेरे से चदबाने की सोच रही हो?

शोभा के चेहरा पर चमक आ आ गई उसने कहा- "हाँ.."

मैंने उसको कहा- "फिर ठीक है। कल सनडे है तुम मेरे घर आ जाना। वहीं तुम्हारी प्यास बुझा दूँगा.."
 
शोभा बोली- "हाँ यही ठीक रहेगा। मैं कल आ जाऊँगी..."

में वहां से आ गया। मुझे रात भर शोभा की चूत के ख्वाब आते रहें। मैं उसकी चूत को देख नहीं पाया था। इसलिए भी मेरे मन में उसकी चत देखने की उत्सुकता थी। अगले दिन सुबह ठीक 11:00 बजे शोभा का फोन आ गया।

मैंने उसको कहा- "तुम 12:00 बजे तक आ जाना..."

फिर मैंने अपने रूम में सीसीटीवी लगाने की जगह देखी। मैं शोभा की चुदाई लीला की वीडियो बनाना चाहता था। मैंने बेड के ठीक ऊपर कैमरा फिट कर दिया और शोभा का इंतजार करने लगा। शोभा ठीक 12:00 बजे आ गई। जब मैंने उसको देखा तो देखता ही रह गया। बया गजब की सुंदर लग रही थी वो।

शोभा ने ब्लैक कलर की साड़ी पहनी थी लो-कट बैंकलेष ब्लाउज उसकी चूचियों को आधा भी टक नहीं पा रहा था। उसने बड़ा मस्त सा हेयर स्टाइल बनाया हुआ था। जैसे ही वो मेरे पास आई बड़ी मादक मी खुशबू मेरी । सांसों में समा गई। मैं समझ गया की आज में साली परे मह में है। वैसे भी पीरियड के बाद औरत की सेक्स की भूख बढ़ जाती है।

मैंने उसको कहा- "बैठो.... फिर मैंने उसको कहा- "थोड़ी सी बिगर चलेंगी?'

शोभा बोली- "हाँ चलेंगी."

मैं मन में सोचने लगा की इसको समझने में मैंने बड़ी देर करी है। मैं तो बड़ी कमीनी है। मैंने ठंडी बियर दो ग्लास में डाली और एक ग्लास शोभा को पकड़ा दिया। उसने उल्लास को मैंह से लगाया और एक ही सांस में आधा पी गई। मैं उसको देखता ही रहा।

फिर मैंने उससे कहा- "कुछ नमकीन तो ले लो.." और मैंने काज का पैकेट खोलकर प्लेट में डाल दिया।

दो-तीन काजू खाने के बाद शोभा ने बाकी की बियर भी गले में उड़ेल ली। मैंने एक बियर और खोलकर उसका ग्लास भर दिया। फिर मैंने शोभा से उसके पति के बारे में बात छेड़ दी। शोभा को अब तक शरुर आने लगा था। वो बिंदास होकर बोल रही थी।

मैंने उसको कहा- "तुम अपने पति के साथ सेक्स कितने दिन में करती हो?"

शोभा ने ये सुनकर बुरा सा मैंह बनाकर कहा- "सेक्स तो उसने तब भी नहीं किया, जब वो जवान था। अब तो उसका खड़ा ही नहीं होता..."

मैं सुनकर थोड़ा और मजा लेते हुए बोला- "फिर तुम अपनी प्यास कैसे बुझाती हो?"

उसने कहा- "मैं अपनी प्यास को दबा-दबाकर अपने अरमानों का गला घोंट रही हैं। कल तमने जो करा उससे मेरे अंदर की औरत फिर से जाग गई है..

मैंने उसको कहा- "तुमने कितने टाइम से सेक्स नहीं किया?"
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शोभा बोली- "अब तो याद ही नहीं.."

मैंने कहा- "फिर भी लास्ट टाइम की कोई याद हो?"

उसने कहा- "लगभग दो-तीन साल पहले..."

मने हैरान हाते हुए कहा- "फिर तुम कैसी रह लेती हा?"

उसने कहा- "मैं जब ज्यादा ही गरम हो जाती हैं तो अपनी उंगली से अपनी चूत की प्यास बुझा लेती हैं। पावो हमेशा अधूरी ही रहती है..."

मैंने कहा- "तुमने कोई सेक्स दवाय इस्तेमाल नहीं किया?"

उसने कहा- घर में दो-दो जवान बेटियां हैं, और इतना छोटा सा घर है। किसी के हाथ में कुछ आ गया तो?

ना बाबा ना... मैं इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकती.'
 
मैंने कहा- "तुमने कोई सेक्स दवाय इस्तेमाल नहीं किया?"

उसने कहा- घर में दो-दो जवान बेटियां हैं, और इतना छोटा सा घर है। किसी के हाथ में कुछ आ गया तो?

ना बाबा ना... मैं इतना बड़ा रिस्क नहीं ले सकती.'

मैं हँसने लगा। मैंने उसको कहा- "मैं जब ऋतु को तुम्हारे घर में चोद रहा था, तो तुम साथ वाले रूम में सब सुन रही थी?"

शोभा ने कहा- हौं, मझे सब पता चल रहा था। ऋतु की चीखों को सुनकर मेरे मन में कुछ-कुछ होने लगा था। में इतनी गरम हो गई थी की मैं भी अपनी चूत में उंगली डालकर अपना पानी निकाल रही थी।

मैंने कहा- तुम कल तो मुझे मना कर रही थी।

शोभा ने कहा- आपकी बात सुनकर मेरा मन तो ललचा गया था पर मैं इतना जल्दी अगर मान जाती तो आपको भी लगता की में पहले से ही ऐसा सोच रही हैं।

मैंने कहा- "हम्म्म्म... अपना ग्लास खाली करो। एक-एक ग्लास और पीते हैं.."

शोभा बोली- "नहीं नहीं बस और नहीं। मैं इससे ज्यादा नहीं पी सकती..."

मैंने कहा- तुमको शाम तक यहा रहना है। एक ग्लास और पी लो तो मूड बना रहेगा।

शोभा बोली- हाँ ये भी ठीक है।

मैंने उसका ग्लास फिर से भर दिया।

शोभा बोली- "मैंने कल जब आपका लण्ड देखा तब से ही मेरा मन आपसे चुदवाने को कर रहा है। पर कल मैं इस लायक नहीं थी, वरना कल ही आपका लौड़ा अपनी चूत में घुसवा लेती." उसको इस अंदाज में बात करते देखकर मैं समझ गया अब ये पूरी तरह से फिट हो गई है।
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मैंने उसको कहा- "बाकी खतम करो फिर मजा लेटते हैं..."

शोभा ने झटके से उलास खाली किया और खड़ी हो गई। बड़ी मादक सी अंगड़ाई लेते हुए बोली- "मजा आ गया..' उसने जब अपने हाथ उठाए तो उसकी गोरी गोरी चिकनी कौंख देखकर मेरे लण्ड में तनाव बढ़ने लगा।

मैंने उसको पूज- "तुम काँखें हमेशा शेब करती हो या आज ही करके आई हो?"

शोभा ने कहा- "मैं वैसे तो कभी कभार ही करती हैं। पर आज इतना बड़ा दिन है मेरे लिए तो आज तो मैं पूरी तरह से खुद को तैयार करके आई है.."

मैंने हँसते हुए कहा- "अपनी चूत को भी तैयार किया है?"

उसने कहा- हाँ वहां भी तैयार है।

मैंने कहा- जरा मेरे पास आकर मुझे अपनी चत के दर्शन तो करवाओ।

शोभा मेरे पास मस्त चाल से चलती हुई आकर खड़ी हो गई। मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाला तो सीधा उसकी चूत पर जाकर रुका।

मैंने उसको कहा- "तुम पैंटी नहीं पहनकर आई?"

शोभा ने शरारत से कहा- "पैंटी उतरवाने आई है. पहनकर क्या करती?"

मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। शोभा में मस्ती से भरी हुई सिसकी ली। मैनें उंगली को 4-5 बार अंदर-बाहर किया तो उसकी चूत में पानी छोड़ दिया। मैं समझ गया की इसकी चत अब लौड़ा माँग रही है। पर मैं तो उसको तड़पा-तड़पाकर चोदना चाहता था, मैंने उसकी साड़ी को खींचकर उतारना शुरू कर दिया, तो वो अपनी जगह खड़ी-खड़ी घूम गई। शोभा अब पेटीकोट ब्लाउज में खड़ी थी। उसका गोरा जिम मेरी आँखों के आगे था। उसकी बाड़ी सच में जवान लड़कियों जैसे थी। कहीं में टीलापन नहीं था।
 
मैंने उसको कहा- "मेरा मूड अभी पूरी तरह से नहीं बना। पहले मेरा मूड बनाओ तब तुमको चुदवाने में मजा आएगा..."

शोभा ने मुझे सवालिया नजर से देखा, और कहा- "आपका मह कैसे बनेगा? आप खुद बता दीजिए.."

मैंने उसको कहा- "तुम बैंड पर खड़ी हो जाओ, और अपने कपड़ों को एक-एक करके उतारा। मुझे अपनी अदाओं से दीवाना बनाओ, मुझे तुम्हारी जो अदा सबसे मस्त लगेगी मैं अपना एक कपड़ा उतार दूँगा। जब तुम मुझे पूरा नंगा कर दोगी, तब मैं तुम्हें चोदूंगा। ये एक खेल है खेलागी मेरे साथ? बोलो मंजूर है?"

शोभा मस्ती में डूबी हुई बोली- "मंजूर है.." फिर शोभा पलंग पर खड़ी हो गई।

मैंने म्यूजिक ओन कर दिया और शोभा बेड पर खड़ी होकर दो मिनट तक तो म्यूजिक के साथ अपने जिएम को हिलती रही। फिर उसने अपने ब्लाउज के हक को एक-एक करके खोलना शुरू कर दिया। फिर उसने अपने ब्लाउज को उतारकर फेंक दिया। मैं उसके हर आक्सन को बड़े ध्यान से देख रहा था, और मन ही मन हँस भी रहा था की इसकी हर हरकत कामुक हो रही है। फिर शोभा ने अपनी ब्रा को खोल दिया तो उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां उसके जिश्म के साथ हिलने लगी। मुझे उसकी ये अदा पसंद आई तो मैंने अपनी शर्ट उतार दी। ये देखकर शोभा को जोश आ गया। उसने अपना पेटीकोट अपनी जांघों तक उठाया।

मैं उसकी गोरी गोरी चिकनी जांघं देखकर मदहोश हो गया। फिर शोभा ने मेरी तरफ अपनी गाण्ड कर दी और अपने पेटीकोट को अपनी गाण्ड तक उठा दिया। उसके गोरे-गोरे सेब की तरह के चतड़ मस्त लग रहे थे। शोभा अपनी गाण्ड को म्यूजिक के साथ गोल-गोल करके किसी डान्सर की तरह घुमाने लगी। मुझे उसकी ये अदा और ज्यादा पसंद आई, तो मैंने अपनी जीन्स उतार दी।

शोभा ने जब मेरी तरफ मुँह घुमाया तो मैं सिर्फ अपने जोक्की में था। शोभा को लगा की उसकी मेहनत सफल हो गई। अब शोभा पूरे जोश में आ गई थी। उसने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पूरी नंगी होकर मेरे सामने अपने जिस्म को म्यूजिक के साथ थिरकाने लगी। फिर उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख दिया, और अपनी चूत को सहलाने लगी। शोभा में मेरी तरफ देखा।

मैंने कहा- "थोड़ा सा और..."

अब शोभा बेड पर अपनी दोनों जांघों को फैलाकर बैठ गई, और अपनी उंगली को अपनी चूत में डालकर बड़ी सेक्सी आवाज में- "अहह... आआआ.. आहह..." करने लगी।

उसकी इस अदा पर मैंने अपना जोक्की भी उतार दिया। अब मैं बिल्कुल नंगा था। मेरे ताने हए लौड़े को देखकर शोभा की चूत मचलने लगी।

शोभा ने अपनी बाहों को फैलाकर कहा- "मेरे राजा अब और मत तड़पाओ, मेरी चत में अपना लौड़ा डाल दो.."
 
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