Kamukta Kahani दामिनी - SexBaba
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Kamukta Kahani दामिनी

hotaks444

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दामिनी 



मैं दामिनी हूँ..जी हाँ ऑफ कोर्स दामिनी नाम है तो ये बताने की ज़रूरत नहीं के मैं एक स्त्री ही हूँ..हाँ ये और बात है के अभी एक कमसिन लड़की हूँ...एक सेक्सी औरत हूँ ..या फिर जवानी की सीढ़ियों से उतरती एक अधेड़ औरत ... खैर जो भी हूँ ..अभी

मैं एक मालदार , जानदार और ईमानदार औरत हूँ..हा! हा! हाँ ईमानदार ..मेरा ईमान है मेरी चूत और मेरा धर्म है मेरी खूबसूरती ..इन दोनों का हम ने अपनी ज़िंदगी में बड़ी ईमानदारी से इस्तेमाल किया ..जी हाँ बड़ी ईमानदारी से..और ज़िंदगी के इस मुकाम पे आ पहुचि हूँ...तो मैं ईमानदार हूँ ना ?

आज मेरे पास बड़ा बॅंक बॅलेन्स है ..बंगला है ,लेटेस्ट मॉडेल्स की कार है ..नौकर हैं और हाँ याद आया एक पति भी है..... जिसकी ज़रूरत मुझे उसके लौडे के लिए नहीं ..बिल्कुल नहीं ..मेरी जिंदगी में मुझे लौडे की कभी कमी नहीं हुई ..बचपन से आज तक .... हाँ तो पति की ज़रूरत सिर्फ़ दिखावे के लिए है ....कितनी सहूलियत है ..एक छोटे से लंड का ठप्पा चूत में लगते ही और माथे पे सिंदूर की चुटकी लगते ही कितने सारे लौन्डो को अंदर लेने का लाइसेन्स मिल जाता है ..कोई उंगली नहीं उठा सकता ....मैं ठीक बोल रही हूँ ना ..?

आक्च्युयली बचपन से ही मेरे घर का माहौल कुछ ऐसा था के मेरी चूत में हलचल मची रहती थी .. लौडे की हमेशा प्यासी.....और इसी प्यास ..इसी चाह का बखूबी इस्तेमाल किया मैने ...और आज इस मुकाम पर हूँ.

तो चलें फिर मेरी कहानी की शुरुआत करें ..शुरू से ..याने जहाँ से मेरी ज़िंदगी शुरू होती है ...मेरे घर से ....

तो चलें मेरे घर की ओर...हाँ वो घर जहाँ से मेरी कहानी की शुरुआत हुई...जहाँ से आज की दामिनी की पैदाइश हुई...

मेरे पापा अभय माथुर , एक प्राइवेट फर्म में अच्छी ख़ासी मार्केटिंग की जॉब थी ...जिस समय की बात मैं कर रही हूँ ..उम्र थी उनकी 43 वर्ष ...हमेशा टूर पर रहते ..बहोत हॅंडसम ...रंग गेहुआ...5'10" हाइट और गठिला बदन..कॉलेज में बॅडमिंटन चॅंपियन ..अभी भी लड़कियाँ उन्हें घूरती .. जाहिर है मैं भी...

पर पापा को मेरी मम्मी ने ऐसा जाकड़ रखा था अपनी चूत में ,उनका लौडा कहीं और भटकता ही नहीं ...

नाम था मेरी मम्मी का कामिनी ...और थी भी कामिनी.. उन्होने अपने शरीर को अच्छी तरह संभाला था ...पूरे का पूरा 5'6" का लंबा क़द को उन्होने सही जागेह पे सही उभार से संवार रखा था ...रंग गोरा ..... सेक्स की गुलाबी खुश्बू उनके चारों ओर हमेशा छाई रहती ...पापा को मदमस्त रखने के लिए काफ़ी ...और सिर्फ़ पापा ही नहीं शायद मेरे भैया भी मदमस्त थे ....पर उन्हें अभी तक मदमस्त रहने से आगे की सीढ़ी चढ़ने की सफलता हासिल नहीं हुई थी ... बेचारे भैया ...

पापा ने मम्मी को फँसाया या मम्मी ने पापा को ..कहना ज़रा मुश्किल था ..पर दोनों एक दूसरे की जाल में फँसे ज़रूर और बुरी तरह ..पापा थे माथुर और मम्मी पंजाबी ... मम्मी के परिवार वाले राज़ी नही थे शादी के लिए ..पापा ने मम्मी को कर दिया पार ...एक दिन मम्मी जो कॉलेज के लिए घर से निकलीं ...फिर वापस घर नहीं गयीं ..सीधा पापा के साथ घर बसा लिया ... हाँ काफ़ी सालों बाद उनके पेरेंट्स ने उन्हें अपनाया .

ये किस्सा मम्मी बड़े फक्र से कभी कभी हमें सुनाती थीं ... खास कर तब जब क्लब से वापस आने पर एक दो पेग उनके गले के नीचे उतर चुका होता था ... और हम सब खाने के टेबल पर बातें करते ... और भैया उनकी तरफ नज़रें गढ़ाए उनकी ओर एक टक देखते रहते ...शायद मम्मी को भैया का इस तरह देखना अच्छा लगता ..और भैया की निगाहें और दो पेग मिल कर उन्हें अपनी जवानी के दिनों की ओर खींच लेता...

हाँ मेरे भैया बिल्कुल मेरे पापा के यंगर वर्षन ..पर क़द पापा से कुछ ज़्यादा ..उम्र 20 वर्ष ...रंग मम्मी का ..और गठिला बदन पापा का...वेरी डेड्ली कॉंबिनेशन ...पापा के बाद मेरी लिस्ट में उन्हीं का नंबर था ..हे ! हे! हे! ..... इंजिनियरिंग कॉलेज में आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे थे ...उन्हें घर के नक्शों से फुरसत मिलती तो सिर्फ़ मम्मी के नयन नक्श घूरते ..नाम था अभिजीत ..

और हाँ मैं थी उस समय सिर्फ़ 18 साल की ... जवानी की देहली पर पहला कदम था हमारा .. भैया पापा के यंगर वर्षन थे तो मैं थी मम्मी की फोटो कॉपी ...वोई रूप , वोई रंग वोई क़द और वोई खुश्बू ..फ़र्क सिर्फ़ इतना के इन सब खूबियों से मैं खुद ही मदमस्त रहती ..डूबी रहती एक अजीब नशे में ...और पापा को याद कर अपनी चूत उंगलियों से सहलाती मूठ मारती ..और बुरी तरह काँपती हुई झाड़ जाती और उनकी याद लिए मधुर सपने में खो जाती....

कॉलेज में लड़के मेरे आगे पीछे घूमते , पर मैं किसी को घास नहीं डालती ..मेरे उपर तो बस पापा का भूत सवार था ...जब तक मेरे भगवान को प्रसाद नहीं चढ़ता ..इस पर किसी और के हक़ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता...मैं ठीक बोल रही हूँ ना..??? ??

उस दिन सुबह जब मेरी आँखें खुली तो देखा मम्मी के चेहरे पे एक लंबी मुस्कान थी ...और वो अपना फ़ेवरेट गाना गुनगुनाते हुए किचन की ओर जा रहीं थीं सब के लिए चाइ बनाने..हमारे यहाँ खाना बनाने के लिए एक कुक थी ..पर सुबह की चाइ हमेशा मम्मी ही बनाती और सब को उठाते हुए बड़े प्यार से चाइ देती ...ये रोज का सिलसिला था ...हाँ पर इस सिलसिले में गुनगुनाना कभी कभी ही शामिल होता .... हे ! हे ! हे! आप समझ गये होंगे के उनके गुनगुनाने के पीछे क्या राज हो सकता है....जी हाँ आप ने सही समझा ....कल शाम को ही पापा अपने 10 दिनों के टूर से वापस आए थे और जाहिर है रात में मम्मी की बड़े प्यार और जोश के साथ चुदाई हुई थी ...जिसका असर था उनके होठों पे सुबह सुबह ये गाना . पापा मम्मी की चुदाई ,मामूली चुदाई नहीं होती उनके चोदने का ढंग इतना प्यार और अपनापन लिए होता ..के मम्मी का अंग अंग फडक उठता ..कांप उठता ..सिहर उठता ....और सुबह उसकी याद आते ही उनके होंठ गुनगुनाने लगते.
 
मैं चुदि तो नहीं थी अब तक..पर काफ़ी पॉर्न सी डी देख रखी थी , मेरे पापा की चुदाई और सी डी की चुदाई में बड़ा फ़र्क था ...तभी तो मैं अपनी पहली चुदाई उनसे करवाने का ख्वाब देखती ...

सब से पहले चाइ भैया को मिलती है , फिर हमें और सब को चाइ देने का बाद वो अपने बेड रूम में पापा को ज़ोर दार किस करते हुए जगाती और फिर दोनों साथ साथ चाइ पीते ... आप सोचते होंगे मुझे इतने डीटेल में इतनी बातें कैसे पता है ..तो बस मुझे पापा की हर बात से मतलब रहता ..मैं हमेशा जब भी मौका मिलता उनके रूम में झान्कति रहती और फिर मेरे और मम्मी के बीच दोस्ताना रिलेशन्षिप ज़्यादा था और माँ _बेटी का कम ....काफ़ी कुछ उन से भी मालूम कर लेती ...

तो सुबह सुबह गुनगुनाती गुनगुनाती वो मेरे रूम में आईं चाइ की ट्रे लिए ..मैं तो उठी ही थी पहले से , जैसे उन्होने मुझे चाइ दी मैं उनकी तरेफ देख मुस्कुराने लगी ..

" क्यूँ री दामिनी ...आज सुबह सुबह तेरे चेहरे पे मुस्कान ..?? क्या बात है ..??कोई बॉय फ्रेंड मिल गया शायद ..??"

"नहीं मम्मी मेरी किस्मेत कहाँ ...तुम्हारी तो बस लॉटरी निकली है ...पापा कल आ गये और आज सुबह तुम्हारे होठों पे ये गाना ..हे ! हे ! ..."

"चल बेशरम ...इस लिए तो कहती हूँ के कोई बॉय फ्रेंड जल्दी ढूँढ ले , कुछ तेरा भी इंतज़ाम हो जाए ..पर तू है के पता नहीं किस राजकुमार के लिए बैठी है ..??"

"नो मोम ...राज कुमार नहीं मैं तो एक राजा का वेट कर रही हूँ ..देखें कब तक उसे अपनी रानी से फुरसत मिलती है ...और इस राजकुमारी की तरफ भी देखे ..."

" आइ आम फेड अप दामिनी ..आख़िर ये राजा है कौन जिस के लिए तू अब तक मीरा बाई के भजन गाती रहती है.... पापा को बताऊं ..?? वो शायद कुछ मदद करें तेरी ..??"

मैं ने मन ही मन कहा "उनके अलावा और कोई मदद कर भी नहीं सकता ..." अब मैं उन्हें क्या बताऊं ...??

"नहीं मम्मी ..कभी नहीं ..मैं किसी की मदद लूँ ..?? क्या तुम ने पापा को पाने के लिए किसी की मदद ली थी ....??"

ये सुन ते ही मम्मी की आँखों में आँसू आ गये और उन्होने बड़े प्यार से मेरे सर पे हाथ फिराया और मुझे चाइ का प्याला थमाते हुए कहा "बड़ी हिम्मत है बेटी तुम मे...मेरी दुआएँ तेरे साथ हैं ..."

"हिम्मत क्यूँ ना होगी मोम ..आख़िर हूँ तो तुम्हारी ही बेटी ना ..ही ही ही .."

और फिर मम्मी चल दी अपने बेड रूम की ओर ... ऑफ कोर्स अपनी सेक्सी गान्ड मटकाते हुए ...ही ही ही ..!!

और मैं चाइ पी कर चल दी बाथरूम की ओर .

क्रमशः.…………….
 
दामिनी--2

गतान्क से आगे…………………..

उस दिन नाश्ते के टेबल पर जब हम इकट्ठे हुए ..लगता है मेरी और भैया , दोनों की सोच में काफ़ी समानता थी , वो मम्मी को पटाने की कोशिश में थे तो मैं पापा को , और पापा और मम्मी दोनों अपने बच्चो की हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...शायद उन्हें हमारी मंशाओं की भनक लग गयी थी..दोनो एक दूसरे की तरफ देख मुस्कुराए जा रहे थे ..

मैं पापा के बगल में बैठी और भैया मम्मी के बगल ..दोनों ज़रा भी मौका हाथ से नहीं गँवाते ..."पापा ये लो टोस्ट ...मैं मक्खन लगा दूं ??".... और फ़ौरन उनकी ओर झुकती हुई बटर का बोव्ल अपने हाथों से लेती ..अपनी गदराई चूचियों को उनके चेहरे से सटाति हुई ..अपने पर्फ्यूम से सने आर्म्पाइट उनके नाक से रगड्ते हुए ... पापा बस मेरी हरकतों का मज़ा ले रहे थे ...

वोई हाल उधर भैया का था ...मेरी हरकतों को देखते मम्मी का हंसते हंसते बुरा हाल था ....हंसते हंसते उनके मुँह का खाना गले में अटक गया और वो बुरी तरह खांसने लगीं ..भैया फ़ौरन उठे और अपने हाथों से पानी का ग्लास उनके मुँह से लगाया और उन्हें धीरे धीरे पिलाते हुए उनकी पीठ सहलाने लगे ...फिर उन्होने ग्लास रख दिया और एक हाथ मम्मी के पेट पर रख उनकी पीठ सहलाए जा रहे थे ..उनके शॉर्ट्स (हाफ पैंट ) के अंदर का तंबू की उँचाई साफ नज़र आ रही थी ..

मैं भला कहाँ पीछे रहती ..इसी आपा धापी में मेरे हाथ से पानी से भरा ग्लास टेबल पर गिरा और पानी टेबल से होता हुआ पापा के पॅंट पर उन के क्रॉच पर गिर गया ..मैने बिना मौका गँवाए " अरे ये क्या आपका पॅंट गीला हो गया पापा ..लाइए मैं पोंछ देती हूँ " और वो बेचारे कुछ करते इस के पहले ही मैने टेबल से नॅपकिन उठाया और वहाँ बड़े हल्के हल्के पोंछने लगी ...वहाँ भी एक तंबू खड़ा था ... वहाँ का पानी तो मैने पोंछ दिया ..पर मेरी चूत का पानी कौन पोंछता ..जो बराबर मेरे हाथों से पापा के लंड को उनके पॅंट के उपर से सहलाने से निकलता जा रहा था ..और मेरी पैंटी गीली हो रही थी..

उस दिन ब्रेकफास्ट के टेबल पर दो चूत गीली हुई और दो तंबू तने थे ...

नाश्ता के बाद दो जोड़ी आँखें मिलीं ..मेरी और भैया की और पापा और मम्मी की..

भैया की आँखें मुझे कह रही थी "हाँ दामिनी ठीक जा रही है तू .." मेरी आँखों ने भी उन्हें शाबासी दी ...

मम्मी और पापा हैरत से एक दूसरे को देख रहे थे और शायद उनकी आँखें कह रही थीं

"बच्चे अब बच्चे नहीं रहे ..."

हम सब अपने अपने कमरे की ओर चल दिए ......

ओओओह ..पापा के लंड सहलाने से मेरी बुरी हालत थी ...चूत गीली हो कर पैंटी से टपक रही थी..मैं रूम में पहुँचते ही अपने पीसी की कुर्सी पर बैठ गयी ..पैंटी को घुटनो से नीचे कर लिया ..टाँगें फैला दी और अपनी चूत के होंठों को उंगलियों से अलग किया....आ मेरी गीली और गुलाबी चूत पर मेरी चूत का रस ऐसे लग रहा था जैसे गुलाब की पंखुड़ियो में ओस की बूँदें ...मैं खुद बा खुद अपनी चूत पर मर मिटि ...चमकीली चूत ..उन्हें चाट लेने का मन कर रहा था ...अगर पापा होते तो..??? ये सोचते ही मेरी चूत की पंखुड़ियाँ फड़कने लगीं ..मैं सिहर उठी ..पापा ..पापा ...ऊ पापा ...आइ लव यू ..पापा आइ लव यू ..मैं बोलती जाती और आँखें बंद किए चूत को अपनी उंगलियों से घिसती जाती ...उनके लौडे का कडपन जो अभी अभी मैने अपनी उंगलियों से नाश्ते के टेबल पर महसूस किया था , मुझे अभी भी फील हो रहा था ...ऐसा लग रहा था मैं अपनी चूत नहीं उनका लौडा घिस रही हूँ ..मैं मज़े में थी ..के अचानक किसी के हाथ का स्पर्श मेरे कंधों पर महसूस हुआ ..मैं आसमान से धरती पर गिर पड़ी ..चौंकते हुए पीछे देखा तो भैया मुस्कुराते हुए खड़े थे ... मैने राहत की सांस ली.....हाँ मेरे राहत की सांस से आप हैरान ना हों...हम दोनों के बीच सिर्फ़ चुदाई के अलावा सब कुछ चलता था .....हम दोनों की अंडरस्टॅंडिंग थी के जब तक मुझे पापा का लंड और उन्हें मम्मी की चूत नहीं मिल जाती हम दोनों चुदाई नहीं करेंगे ... और बाकी सब कुछ वाजिब था इस जंग में ...

हम दोनों का ये प्यारा रिश्ता बस एक झट्के में ही शुरू हो गया था ...आख़िर हम दोनों में अपने मम्मी - पापा के ही जींस थे ना ..सेक्स और प्यार से लबा लब .. जिसे भड़काने के लिए एक ही झटका काफ़ी होता है ...... एक दिन मैने उन्हें उनके रूम में उन्हें मम्मी का ध्यान लगाए आँखें बंद किए मूठ मारते देख लिया था ..और मैं उनके मोटे लंबे और पापा से भी तगडे लंड को देख अपने आप को रोक ना सकी ..उनके सामने चूपचाप घुटनो के बल बैठ कर उनके लौडे की टिप पर अपनी जीभ फिराने लगी बड़ी मस्ती से ....उन्होने शायद सोचा होगा मम्मी हैं ..मैं अपनी जीभ की टिप से उनके लौडे की टिप चाट ती रही ...उनके मूठ मारने की रफ़्तार और तेज़ हो गयी थी ..उन्हें ये होश नहीं था के मैं ही उनके साथ हूँ ..वो अपनी कल्पना में खोए लगातार आहें भरते अपने काम में मस्त थे और मम्मी उनकी कल्पना में उनका लंड चाट रहीं थीं ..नतीज़ा ये हुआ के जब वो झाडे तो उनके लंड से पिचकारी जो छूटी ...सामने दीवार तक पहुँच गयी और वो चिल्ला उठे ."ऊवू मोम ..ओह ..अयाया मोम ..आइ लव यू ..आइ लव यू ..." पर जब उनकी आँखें खुली तो उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी जब उन्होने मुझे मुस्कुराते हुए सामने खड़ा देखा ... और उनका सारा मज़ा किरकिरा हो गया ...

"भैया कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर लिया होता ...खैर चलो कोई बात नहीं ...दोनों तरफ आग बराबर लगी है ..आप मम्मी के दीवाने और मैं पापा की दीवानी ..चलो आज से हम एक दूसरे को इस दीवानगी को हक़ीक़त बनाने में मदद करते हैं .." मैने अपना हाथ उन की ओर बढ़ाया ..

पहले तो उन्होने अपने पॅंट के बटन्स बंद किए....और मुझे खा जानेवाली नज़रों से देखने लगे ..फिर मुस्कुराते हुए कहा "तू बड़ी बदमाश है दामिनी ... " और उन्होने मेरे हाथ थाम लिए और कहा "एक से दो हमेशा भले होते हैं .."

फिर मैने जा कर दरवाज़ा बंद कर दिया और उन से कहा " मैने आपका मज़ा किरकिरा कर दिया ना भैया ..आइए मैं फिर से आपको मज़े देती हूँ ...पर एक शर्त है .."

"क्या ..??" भैया ने पूछा..

"हम दोनों कुछ भी कर सकते हैं पर चुदाई नहीं ... मेरी चूत पापा के लिए है ... आपका नंबर उनके बाद ..." मैने जवाब दिया.

उन्होने मुझे अपनी बाहों में जाकड़ लिया और बुरी तरह मुझे चूमने लगे ...होंठ चूसने लगे ...."मुझे मंज़ूर है मेरी प्यारी प्यारी बहना ..मैं समझ सकता हूँ तू पापा को किस हद तक प्यार करती है ..शायद मैं भी मम्मी को उतना ही चाहता हूँ दामिनी .."

और उस दिन के बाद से हम दोनों इस खेल में बराबर के हिस्सेदार थे ....

हाँ तो मैं नाश्ते का बाद पापा को याद कर चूत घिस रही थी और भैया मेरे पीछे खड़े थे ...उन्होने भी उसी अंदाज़ से कहा

"अरे कम से कम दरवाज़ा तो बंद कर ले दामिनी ...ऐसी हालत में कोई भी आ सकता है .."

"तो आप ही बंद कर दो ना जल्दी ..." मैने अपनी भर्रायि आवाज़ में कहा ....मैं बिल्कुल झडने के करीब ही थी .....के भैया आ गये थे ...उन्होने समय की नज़ाकत भाँप ली ..और फ़ौरन दरवाज़े से बाहर झाँका कोई है तो नही ..और दरवाज़ा बंद कर मेरे पास आ गये ...मेरी आँखें अभी भी मदहोशी में बंद थीं....और मैं पापा ...ऊवू पापा की रात लगाए जा रही थी ...

भैया भी मम्मी को नाश्ते के टेबल पर हाथ लगाने के बाद मम्मी के लिए पागल हो रहे थे ..तभी तो वो आए थे मेरे पास ...
 
उन्होने मुझे अपनी गोद में उठा कर पलंग पर लीटा दिया ..मैं आँखे बंद किए थी ...उन्होने अपना पॅंट खोला और अपना तननाया लौडा मेरे हाथों में थमाया ...और अपना मुँह मेरी गीली चूत की तरफ ले जा कर अपनी जीभ गुलाबी और गीली चूत की फांकों में हल्के हल्के फिराने लगे ..मैं एक दम से सिहर उठी और मेरी पकड़ उनके लौडे पर बहोत सख़्त हो गयी ..और उसी सख्ती से मैने उसकी चॅम्डी उपर नीचे करना शुरू कर दिया ..भैया भी पागल हो उठे

.".हाँ दामिनी ..मेरी प्यारी प्यारी अच्छी बहना बस ऐसे ही हाथ चलाओ ..अया ..हाँ ....ऊवू " और जितनी मस्ती उन्हें चढ़ती उतनी ही मस्ती से मेरी चूत में जीभ फिराते ....हम दोनों पापा और मम्मी की कल्पना में एक दूसरे में खोए थे ..मस्ती में थे ....एक अजीब ही सिहरन सी छाई थी ....मैं किल्कारियाँ ले रहे थे .... उनकी हर चुसाइ और चटाई में मेरे चूतड़ उछल पड्ते उनके मुँह में .....और मेरे हाथ की हर फिसलन से उनके चुटड मेरे मुँह के सामने उछलते ... हमारा उछलना ज़ोर पकड़ता गया .."ओओओऊह पापा .." और "हाई ..आआआः मम्मी " की गूँज मेरे रूम में लहरा रही थी .. अब दोनों ही झडने के करीब थे ..मैने झट उनके लौडे को अपने मुँह में डाला और जोरों से चूसने लगी ..भैया सहन नहीं कर पाए और मेरे मुँह में ही झटका खाते और ''आआह ...ऊवू मम्मी ..मम्मी "करते झडने लगे ..मैने एक बूँद भी वीर्य बाहर नहीं गिरने दिया ..पूरा अंदर ले लिया ...

और भैया के मुँह में मैने भी झट्के पे झटका खाते, पूरी शरीर को ऐंठ ते ऐंठ ते लगातार पानी छोड़ना शुरू कर दिया .....भैया ने भी पूरे का पूरा पी लिया ...पूरे का पूरा ....

क्रमशः.…………….

Daamini--2
 
दामिनी--3

गतान्क से आगे…………………..

हम दोनों आँखें बंद किए , शिथिल हो कर लेटे थे ...

अपने सपनों में खोए ...मम्मी और पापा के सपनों में ...हम दोनों एक दूसरे के लिए मम्मी और पापा थे ...

और क्यूँ ना हों इस जंग में हम दोनों बराबरी के पार्ट्नर्स जो थे ....

सब से पहले भैया ने आँखें खोलीं , और कहा " दामिनी ..मेरी प्यारी बहना ...हम दोनों अपने मम्मी पापा से इतना प्यार क्यूँ करते हैं..?"

"क्या बताऊं भैया ...दोनों हैं हीं ऐसे ...कोई उन्हें बिना प्यार किए कैसे रह सकता है..."मैने उनको प्यार भरी नज़रों से देखते हुए कहा ..

"हाँ दामिनी ... सही कहा तुम ने ...मम्मी तो बिल्कुल सोफीया लॉरेन की अवतार हैं ..सेक्स और ब्यूटी दोनों का इतना डेड्ली कॉंबिनेशन..."उन्होने आहें भरते हुए कहा ...

"हाँ भैया ..सही में मैं भी जानती हूँ आप मम्मी से बेइंतहा प्यार करते हो...वरना मेरी जैसी चूत , जो कितनी टाइट , फूली फूली , गुलाबी पंखुड़ियों वाली ..जिसे कोई भी देखते ही टूट पड़ेगा अपने लौडे को थामे ..चोद देगा बुरी तरह..पर आप मम्मी के लिए इसे नज़र अंदाज़ कर देते हो...अपने लौडे को रोके रखते हो .... भैया मेरा भी कभी कभी मन डोल जाता है ..हाँ भैया ... आपका लौडा कितना लंबा और मोटा है ...मैं तो हैरान हूँ आपके कंट्रोल से .."

" मेरी बहना ...."उन्होने मेरी तरफ अपनी आँखें गढ़ाते हुए कहा.." तुम नहीं जानती के मैं तुम्हें भी उतना ही प्यार करता हूँ ...उस से कम नहीं ..पर दामिनी ..जिसे प्यार करते हैं उसकी बातें भी तो रखनी पड्ति हैं ना ... तुम ने जब मुझे मना कर दिया अपनी चूत में लंड डालने को ..तो मैं तुम्हारी बात नहीं रखूँगा क्या..? बहना मेरा लौडा अकड़ जाता है तुम्हें देख ..मैं बेचैन हो जाता हूँ ...लगता है मेरा लौडा अकड़ के टूट जाएगा ..पर प्यार करता हूँ ना तुम से बहना ..और मम्मी से भी .... बेइंतहा ... ना तुम से ना उन से कभी ज़बरदस्ती नहीं कर सकता ...कभी नहीं .."

"ऊवू ..मेरे प्यारे प्यारे भैया ..इतना प्यार..???? बस मेरे प्यारे भैया कुछ दिन सब्र कर लो ..मैं वादा करती हूँ पापा से मैं जल्दी ही चुद के रहूंगी ..और फिर तुम्हारा लौडा भी मेरी चूत में होगा ......" और ऐसी कल्पना से ही मेरी चूत फिर से बहने लगी ..पानी छूटने लगा ..

मैं समझ गयी के अब अगर रूकी तो शायद मैं अपने आप को रोक ना सकूँ और भैया से चुद जाऊंगी....पर ये तो मेरे देवता का अपमान होगा ना... मैं एक झट्के में उठ गयी और बाथरूम की ओर चल पडि ..कपड़े बदले और कॉलेज जाने की तैय्यारि करने लगी .

भैया भी चले गये अपने कमरे की ओर .

शाम को घर में बड़ा रंगीन माहौल था ...पर पापा मम्मी जब भी साथ होते ,,माहौल रंगीन ही रहता ..

मम्मी सब के लिए चाइ और नाश्ता ट्रे हाथ में लिए ड्रॉयिंग रूम में आईं ...अपनी मदमाती चल से ... चूतड़ हिलाते हुए ...जैसे ही उन्होने पापा को चाइ दी और आगे बढ़ीं भैया की तरेफ ..पापा ने उनकी गदराई चूतड़ को पिंच कर दिया ..मम्मी चिहूंक उठीं , और उनके हाथ का ट्रे गिरने ही वाला था के भैया झट उठ खड़े हुए और उन्हें कमर से जकड़ते हुए थाम लिया..उनका क्रॉच मम्मी की चूतड़ से एक दम चिपका था... ज़ाहिर है भैया का लंड अंदर से तना था और मम्मी की गान्ड में दस्तक दे रहा था...मम्मी ने अपने को छुड़ाते हुए झट आगे बढ़ गयीं ...और पापा के उपर चिल्लाने लगीं ..

" तुम भी ना... अरे बच्चों के सामने कुछ तो लिहाज करो.. " पर अंदर ही अंदर उनके मन में तो लड्डू फूट रहे थे ...

" अरे क्या लिहाज करूँ कम्मो.. अपने बच्चे अब होशियार हो गये हैं .. देखा नहीं आज सुबह दोनों हमारा कितना ख़याल कर रहे थे .." और उन्होने मेरी तरफ देखते हुए आँख मार दी " क्यूँ दामिनी बेटी मैं ठीक बोल रहा हूँ ना .."

"ओओह पापा यू आर सो स्वीट " और मैने भी बिना मौका गवाए उन से चिपक गयी और उन्हें चूम लिया... उनके होठों को ... उनके होंठ और उनमें लगा चाइ का मिला जुला टेस्ट मुझे मदहोश करने को काफ़ी था ...

सब लोग बाप - बेटी का प्यार बड़ी हैरानी से देख रहे थे ...

पापा ने मुझे बड़े प्यार से मेरी कमर दोनों हाथों से थामते हुए मुझे अलग किया और अपने बगल बिठा लिया .. भैया मुझे एक टक देख रहे थे ..मैने धीरे से आँख मार दी ... उनके होंठों पे मुस्कान थी मानों कह रहे हों " लगी रहो बहना ..लगी रहो.."

पापा ने हंसते हुए मम्मी की ओर देखते हुए कहा " देख कम्मो एक मेरी बेटी है ..मुझ से इतना प्यार जता रही है..और एक तुम हो मुझे भाव ही नहीं देती .... अरे बाबा इतने दिनों तुम से अलग रहना पड़ता है कुछ तो ख़याल करो यार .."

"हाँ जी ख़याल करने को तो बस ये ड्रॉयिंग रूम ही है ना ...तुम्हारा वश चले तो बस ..कहीं भी शुरू हो जाओ..." और उनके होठों पे एक शरारत भरी मुस्कान थी ..

"ओह मोम यू आर ग्रेट .... क्या जवाब दिया पापा को.." और भैया ये कहते हुए उन्हें चूम लिया ..

और फिर सब ठहाका लगा कर हँसने लगे ...

चाइ पी कर मैं अपने रूम में आ गयी और झट कपड़े उतार ,,बाथरूम में घुस गयी..
 
अभी भी मेरे जहेन में पापा के होंठों का ज़ायक़ा था ..और उनके क्लीन शेव्ड चेहरे पर लगी आफ्टर शेव लोशन की खोषबू ....मैने अपने सारे कपड़े उतार दिए ..बिल्कुल नंगी हो कर शवर ऑन कर दिया ..और टाँगें फैलाए शवर के नीचे बैठ गयी..इस तरह के शवर के ठंडे ठंडे पानी की फुहार मेरी चूत पर पडी .... एक हाथ से चूची मसल रही थी मैं ..और दूसरे हाथ से चूत फैलाए रखी थी..जिस से शवर की पतली फुहार मेरी चूत की फाँक के अंदर टकराती ....मेरा रोम रोम सिहर उठा ... मैं कांप रही थी ...और फिर पापा के लंड का स्पर्श हाथ में महसूस करते हुए चूत सहलाने लगी ... ऊवू पापा ...पापा ....और मैं झड़ती गयी ..झड़ती गयी ....मेरी चूत का पानी और शवर का पानी एक हो कर मेरी चूत से बहते जा रहे थे ..बहते जा रहे थे ...

शवर लेने के बाद मैं बहोत हल्का फील कर रही थी .....वेरी रिलॅक्स्ड ..

बाथरूम से निकल कर मैने कपड़े पहने , एक गर्ली मॅगज़ीन ले कर बेड पे लेट गयी , और पढ्ते हुए रात जवान होने का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी ...

आज शाम को चाइ के वक़्त मम्मी और पापा के नोंक-झोंक से मुझे लग रहा था के आज मम्मी तो चुद गयीं बुरी तरह... पापा कल ही शाम को आए और सुबह मम्मी गुनगुना रहीं थीं ....आज देखें क्या होता है...पर जो भी होगा ..होगा लाजवाब ..पापा की स्टाइल एक दम लाजवाब होती है ....उन्हें मम्मी को चोद्ते देख ..मैं तो बार बार झड़ती हूँ ....मैं अक्सर उन्हें चोद्ते देखती हूँ..कभी कभी हम और भैया साथ साथ देखते हैं ....ऊवू उस दिन तो बस अंदर बाहर दोनों ओर शो चालू रहता ...आज भी शायद कुछ ऐसा ही होनेवाला था..मैं मन ही मन सोच सोच कर सिहर उठती थी ...

उनके बेडरूम में एक वेंटिलेटर हमारे छत से लगी थी , जिसका काँच बड़े आराम से खूल जाता था ..और मैं वहीं अपनी पोज़िशन लिए सारा शो देखती ....

आज भी उसी सीन का इंतेज़ार था मुझे ...मेरा पूरा बदन उनकी चुदाई याद कर सिहर

उठता था ..और आज तो साथ में भैया को भी लाने का मेरा प्लान था ....ऊवू भैया के साथ मम्मी पापा की चुदाई के दर्शन ......ओह गॉड !!.... याद करते ही मैं झडने लगी ...

अपनी चूत पोंछ कर मैं उठी और भैया के कमरे की ओर चल दी.

दरवाज़ा अंदर से बंद था ..लगता है बेचारे मम्मी की याद में मूठ मार रहे थे ..मैने थोड़ी देर इंतेज़ार किया और फिर खटखटाया....भून भूनाते हुए भैया ने दरवाज़ा खोला "अरे कौन है ..इतमीनान से यहाँ कोई पढ्ने भी नहीं देता .." मुझे देखते ही उनका चेहरा खिल उठा ..उन्होने फ़ौरन मुझे अपनी तरफ खींचते हुए दरवाज़ा फिर से बंद कर दिया .

मैं भी मूड में थी और उछलते हुए उनके कमर के गिर्द अपने पैर लपेट ते हुए और उनके गले में अपनी बाहें डाल दी और उनकी गोद में समा गयी ....भैया ने भी मेरी पीठ को दोनों हाथों से थामते हुए मुझे अपने से बिल्कुल चिपका लिया और मेरे होंठ बुरी तरह चूसने लगे ..."बाप रे बाप ..मम्मी की याद इतने जोरों से आ रही है मेरे भैया को... " मैने अपने होंठ उनके होंठों से और भी करीब चिपका लिया..

."उफफफफ्फ़ मेरे होंठ कितने जोरों से आप ने चूसा भैया ..लगता है पूरा ही खा जाओगे ...अभी तो सिर्फ़ मम्मी की याद ही आ रही है..जब उनको अपने सामने नंगी चूद्ते देखेंगे तो क्या हाल होगा ..??"

" ऊ तुम्हारा मतलब मम्मी-पापा की चुदाई से है...बट आर यू शुवर दामिनी आज शो होगा ..?" उन्होने मुझे और करीब चिपकाते हुए कहा ...मेरी चुचियाँ उनके सीने से चिपकी थीं और मेरा हाथ नीचे पॅंट के उपर से उनका लंड सहला रहा था...

"हाँ भैया उतना ही स्योर जितना कि अभी मैं तुम्हारी गोद में हूँ ..और मेरे भैया को प्यार कर रही हूँ "ये कहते हुए मैने भैया के लंड को जोरों से भींच लिया ..कड़क था लंड ...कड़क लंड हाथ में लेना कितना अच्छा लगता है ... भैया ने मेरी चूचियों से खेलते हुए कहा.

" वैसे मेरी बहना की बात हमेशा ठीक ही रहती है "और अब उनकी जीभ मेरी जीभ चूस रही थी ...

क्रमशः.…………….
 
दामिनी--4

गतान्क से आगे…………………..

थोड़ी देर जीभ चुसवाने का मज़ा लेने का बाद मैं उन से अलग हो गयी , मैं हाँफ रही थी , साँसें ठीक होने के बाद मैने कहा ...

"भैया ..प्ल्ज़्ज़ अभी रहने दो ना..रात को जितनी चाहे ले लेना ना... मज़ा आएगा ...इधर हम दोनों छत पर ..और रूम के अंदर वो दोनों ...ऊवू भैया ...बस आप तैय्यार रहना ...मैं वहाँ पहले ही पहुँच जाऊंगी आप बाद में आ जाना .."

"जो हुकुम सरकार .." और भैया ने मेरी चूची दबाई जोरों से और अपनी गोद से नीचे उतार दिया...मैं अपने सुडौल चूतड़ मटकाते हुए कमरे से बाहर निकल गयी ...

डिन्नर ले कर हम सब अपने अपने कमरे में घुस गये ..आज डाइनिंग टेबल पर कोई खास बात नहीं हुई ...पापा -मम्मी जल्दी खाना निबटाने के फेर में थे ..पापा को मम्मी की चूत खाने की हड़बड़ी थी शायद और मम्मी को पापा का लंड .

थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत था ...पापा अपने कमरे में घुस गये थे ..मम्मी भी अपने सभी काम ख़तम कर पानी का जग लिए अपने कमरे में घुस गयीं और दरवाज़ा बंद कर लिया ...

मैं दबे पावं एक चादर और तकिया लिए उपर चाट पर पहुँच गयी ..वेंटिलेटर के सामने चादर बिछा कर बैठ गयी और सांस रोके अंदर झाँकना शुरू कर दिया...

मम्मी और पापा अगल बगल लेटे थे और कुछ बातें कर रहे थे.. मम्मी हंस रही थीं ..उनकी आवाज़ नहीं आती थी , लग रहा था कुछ मज़ेदार बातें हो रहीं हैं...गर्मी का मौसम था इसलिए मैने सिर्फ़ शॉर्ट्स और टॉप पहनी थी ..नो ब्रा नो पैंटी...ही ही ही..!

पापा को देख तो मेरा बुरा हाल था ..उन्होने भी सिर्फ़ शॉर्ट्स पहन रखा था ..उपर कुछ नहीं ...मम्मी सिर्फ़ एक महीन पारदर्शी नाइटी में थीं ..उनकी पीठ हमारी ओर थी .क्या सेक्सी पीठ थी मम्मी की , रीढ़ की हड्डियों ने पीठ की लंबाई को दो स्पष्ट भागों में किया हुआ था और नीचे चूतडो का उभार .गोलाई लिए हुए , केले के तने जैसी जंघें ... भैया उन पर यूँ ही नहीं मरते .

मम्मी पापा के चौड़े सीने पर अपना सर रखे अपने हाथ उनके सीने पर फिरा रहीं थीं और पापा उनके गले से नीचे अपना एक हाथ ले जा कर उनके मुलायम और भरे भरे गाल सहला रहे थे .. ...के अचानक पापा मम्मी को अपनी ओर खींचते हुए उनके होंठों से अपने होंठ लगाए और चूसने लगे ...उनके चूसने में कोई ज़बरदस्ती नहीं थी ..बड़े आराम से चूस रहे थे ..और मम्मी ने भी अपने होंठ खोल दिए थे , उनकी पीठ सिहर रही थी .मैं साफ साफ देख रही थी ... ये भैया भी कहाँ रह गये ..अभी तक आए क्यूँ नहीं ..मुझे अब उनकी ज़रूरत महसूस हो रही थी ...अंदर का सीन देख मेरी चूत गीली हो रही थी...

मैने अपनी शॉर्ट्स उतार दी थी ..मैं नीचे से नंगी थी ...और पेट के बल लेटी थी ..तभी मुझे भैया के आने की आहट हुई ...वो आ कर चूप चाप मेरे बगल लेट गये ..उन्होने भी आज शॉर्ट्स पहेन रखे थे और सीना उनका भी नंगा था ...मैने उन्हें चूप रहने का इशारा किया ..हम दोनों अगल बगल लेटे अंदर टक टॅकी लगाए थे ..

फिर मैने देखा पापा मम्मी के होंठ चूस्ते हुए मम्मी के उपर लेट गये ..मम्मी नीचे थीं पापा उनके उपर ..पापा ने अब मम्मी की नाइटी सामने से खोल दिया ..मम्मी की गोल गोल भारी चुचियाँ उछलते हुए बाहर आ गयीं ...पापा उन्हें सहलाने लगे और होंठ चूसे जा रहे थे ..मम्मी सिसकारियाँ ले रही थीं ..मेरा बुरा हाल था ..

.भैया ने झट अपनी पॅंट उतार दी और पूरे नंगे हो कर मेरी पीठ पर लेट गये ..उनका लौडा मेरी चूतड़ घिस रहा था... उनका लौड धीरे धीरे कड़ा होता जा रहा था ..मुझे चूतड़ पर उसका कडपन फील हो रहा था.भैया ने मेरी टॉप भी उतार दी ..हम दोनों नंगे थे ..

उधर पापा मम्मी भी नंगे हो गये थे और एक दूसरे से चिपके हुए ..उनका होंठों का चूसना चालू था ..उनके मुँह से लार टपक रही थे और दोनों एक दूसरे की लार चूसे जा रहे थे ..पापा का लौडा तन तनतनाया था और मम्मी की जांघों के बीच चूत घिस रहा था ..मम्मी की आँखें बंद थीं पर उनके चेहरे से साफ ज़हीर था के वो मस्ती में थीं ..शायद कराह रही थीं ... तभी पापा ने होंठों से उनकी चूची थाम ली और निपल चूसने लगे ...मम्मी की मुलायम चुचियाँ ...

भैया ने अपना कड़ा लंड मेरी जांघों के बीच घुसेड दिया और चूत के उपर ही उपर मेरी टाइट चूत के बीच घिसने लगे ..मेरी चूत से लगातार पानी छूट रहा था ..मेरी चूतड़ धीरे धीरे उपर नीचे हो रहे थे..भैया के लंड की घिसाई से ताल मिलाते हुए ..हम अपनी ही मस्ती में थे ...

उधर लगता था के मम्मी की चूची पापा खा जाएँगे ..इतने जोरों से वो चूस रहे थे ...मम्मी ने भी अपने हाथों से चुचियाँ उनके मुँह में डाल रखीं थीं ..और नीचे पापा अपना लंड उनकी चूत की गुलाबी फांकों के बीच रगडे जा रहे थे ...मम्मी अपनी चूतड़ हिला रहीं थीं ...सिहर रहीं थीं ...चूत घिसते घिसते पापा का लंड एक दम कड़ा और स्टील की तरह सख़्त लग रहा था ....काश ये लंड आज मेरी कुँवारी चूत फाड़ डालता ..ऊवू पापा ...

अंदर दोनों मम्मी और पापा पागलों की तरह एक दूसरे को चाट रहे थे . चूस रहे थे ..लगता है इतने दिनों के अलगाव ने दोनों को एक दूसरे के लिए पागल कर दिया था ...फिर मैने देखा मम्मी ने अपनी टाँगें फैला दी और पापा के लंड को हाथ से थाम अपनी चूत की ओर खींचने लगीं ..उनकी चूत की पंखुड़ीयाँ पापा के तननाए लंड से घिसाई की वाज़ेह से फडक रहीं थीं ...और मम्मी लंड अंदर लेने को बेताब थीं ...
 
भैया अपने हाथ नीचे कर मेरी दोनों टाइट चूचियों को मसल रहे थे और मेरी टाइट चूत की घिसाई भी करते जा रहे थे ...आआह मैं भी सातवें आसमान में थी ... भैया का लंड तो मानों स्टील से भी कड़ा था ...कुँवारी चूत की फांकों की घिसाई ... मेरे जाँघ कांप रहे थे ...

पापा लगता है और ज़्यादा देर सहन नहीं कर सके और अपना लंड मम्मी की चूत में एक झट्के में ही घुसेड दिया ..मम्मी का मुँह ही करता हुआ खुल गया था ...मुँह खुला रहा , मुस्कुराता हुआ ..अजीब मस्ती थी उनके चेहरे पर ....पापा ने मस्ती में धीरे धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया था ...हर धक्के में मम्मी का मुँह थोड़ा और खुल जाता ..जैसे वो आहें भर रही हों ...

उन्हें देख भैया भी ज़ोर पकड़ते जाते , मेरी चुचियाँ और जोरों से मसल्ते और घिसाई भी तेज़ हो जाती ...मैं भी धीरे धीरे आहें भर रही थी ..इतना नहीं के अंदर आवाज़ जाए ..वैसे वेंटिलेटर की काँच आज बंद थी ..आवाज़ जाने का डर नहीं था ..मैने दोनों टाँगें पूरी तरह फैला दी थी ...फिर भी कुँवारी चूत मेरी ..टाइट ही थी ..भैया को शायद बड़ा मज़ा आ रहा था बहेन की टाइट चूत घिसने में ..और मुझे उनका कड़ा लंड ..आ ..पर फिर भी मैं तो पापा की कल्पना में थी ... और भैया मम्मी की कल्पना में मेरी घिसाई कर रहे थे .और दोनों की कल्पना सामने चुदाई कर रहे थे .....बाइ गॉड इतना मज़ा मुझे आज तक नहीं आया ....

फिर मैने देखा के मम्मी ने अपनी टाँगों से पापा को पीठ से जाकड़ लिया था और अपनी तरफ खेँचे जा रही थी . और पापा उन्हें अपने से चिपकाए धक्के पे धक्का लगाए जा रहे थे सटा सॅट .... फिर देखा के मम्मी चूतड़ जोरों से उछालती जा रही है ..उछालती जा रही है और फिर वो ढीली पड गयीं .पापा अभी भी धक्के लगा रहे थे ....और थोड़ी देर बाद वो भी मम्मी को बुरी तरह चिपकाए उनके उपर ढेर हो गये....उनके चूतड़ झट्के खा रहे थे ..तीन चार झटकों के बाद वो भी मम्मी के उपर उनकी चूचियों पर सर रखे पड गये ..

इधर भैया भी मम्मी की हालत देख अपने आप को रोक नहीं सके और तीन चार ज़ोर दार घिसाई के बाद झाड़ गये जोरों से पिचकारी छोड़ते हुए ..मेरी गान्ड पर ...गरम गरम वीर्य ... मेरी चूतड़ की फांकों से होता हुआ मेरी टाइट चूत की फांकों में घुसता हुआ बहता जा रहा था ..और मेरी चूत भी रस छोड़ रही थी ..वीर्य और मेरा चूत रस दोनों मिल रहे थे और मैं और भैया भी एक दूसरे से चिपके थे ..मेरी पीठ पर ...भैया मेरा मुँह घुमाए मुझे चूम रहे थे चाट रहे थे और मैं आँखें बंद किए मज़ा ला रही थी ....एक अजीब ही फीलिंग थी ...मानो पापा मेरे उपर लेटे हों ....

ऊऊहह ,,पापा ..पापा .आइ लव यू ...मैं धीरे धीरे सिसकारियाँ ले रही थी और भैया मुझे चूमे जा रहे थे मम्मी ..मम्मी की सिसकारियाँ लेते हुए ..!

मम्मी -पापा तो एक दूसरे से चिपके थे ..पर मैं और भैया जल्दी ही अलग हो गये ..ज़्यादा देर तक रहने से पकड़े जाने का ख़तरा था और फिर दुबारा इतना बढ़िया लाइव सेक्स शो देखना ख़तम हो जाता ...

हम उठे कपड़े पहने और नीचे आ गये ....

भैया और मेरी दोनों की हालत बहोत ही खराब थी ..वो मम्मी के लिए पागल हो रहे थे और मैं पापा के लिए ...

हम दोनों भैया के रूम में घुस गये ... भैया ने मुझे जाकड़ लिया ..चिपका लिया मुझे और बुरी तरह चूमने लगे .

" दामिनी..दामिनी ..मैं क्या करूँ ..बहना ..मैं क्या करूँ .. मम्मी मेरे दिलो-दिमाग़ में छाईं हैं ..मैं अब और नहीं रह सकता ...कभी कभी मन करता है उन्हें खींच लूँ अपने रूम में और चोद डालूं ...अया ....उनकी चुचियाँ ,,उनके हिप्स ..उनकी भारी भारी सेक्सी कमर ..ऊऊह दामिनी ...उनके फुल लिप्स ...आह हर जागेह वो सेक्स और सुंदरता की मूरत हैं ..." और उनका मुझ से लिपटना और ज़ोर पकड़ता गया ,मुझे लगा मेरी एक एक हड्डी टूट जाएगी ...

"ओओओओओह भैया भैया ..मैं समझ सकती हूँ ..पर मुझे इतने जोरों से तो ना दबाओ ..मेरी जान निकालोगे क्या..." मैने कसमसाते हुए कहा " मम्मी को इतने जोरों से चिपकाना भैया ..बहोत मज़ा आएगा ...मैं भी तो पापा के लिए पागल हूँ भैया .. उनके चौड़े सीने में सर रखने का ..उनके सीने में हाथ फिराने का ..ऊह मेरे मन में भी ये सब बातें हमेशा घूमती रहती हैं ..अब अगर जल्दी नहीं हुआ ना भैया तो मैं पापा का रेप कर दूँगी ... हाँ ..रेप...उनके कड़े और मोटे लौडे में अपनी टाइट चूत घुसेड दूँगी ..अयाया क्या मस्त आइडिया है ना भैया..?? "

भैया ने अपनी पकड़ कुछ ढीली की और हँसने लगे ...उन्होने एक हल्की किस की मुझे और कहा " वाह रे वाह ..हमारे ख़याल से दुनिया की पहली लड़की होगी तुम रेप करने वाली ..और शायद पापा पहले मर्द जिसका रेप होगा .....ह्म्‍म्म्म आइडिया ईज़ जस्ट फॅंटॅस्टिक ......काश मम्मी भी मेरा रेप करतीं ...""

मैं जोरों से हंस पडी भैया के रेप वाले आइडिया से ..."भैया तुम तो मर्द हो ...अरे अपनी मर्दानगी का कमाल दीखाओ ना...मम्मी को भी आपके जैसा जवान और तगड़ा लंड और कहाँ मिलेगा ..?? चलो कल से हम दोनों अपने अपने शिकार को पटाने के काम में और तेज़ी लाते हैं .."

"हाँ कुछ ऐसा ही करना पड़ेगा ..अब तो.."

और फिर हम दोनों ने गुड नाइट किस की और मैं अपने रूम की ओर चल दिए !
 
दामिनी--5

गतान्क से आगे…………………..

जैसा के होता है हमेशा ..मम्मी सुबह सुबह जब मेरे कमरे में चाइ ले के आईं , बड़ी ज़ोर ज़ोर से गुनगुना रही थी ... और उनके कपड़े कुछ अस्त व्यस्त थे ... चुचियाँ थोड़ी बाहर थी ..और नाइटी का एक बटन खुला था ... ऐसा कभी होता तो नहीं था ..आज कैसे हो गया ..?? मैं सोच में पड गयी ...फिर मुझे याद आया मम्मी तो अभी भैया के कमरे से आ रहीं हैं..लगता है भैया ने अपना आक्षन प्लान चालू कर दिया ..."वाह भैया जीते रहो..." और मैं मुस्कुराने लगी ..

मम्मी को पापा के कमरे में जाने की जल्दी थी , उन्होने चाइ मेरे बेड से लगी साइड टेबल पर रख दी " दामिनी बेटा ..चाइ रखी है....मैं ज़रा जल्दी में हूँ..तुम चाइ पी लेना.."

और वो झट बाहर निकल गयीं ..

मम्मी को पापा के पास जाने की जल्दी थी तो मुझे भैया के पास , उनके आक्षन प्लान का किस्सा सुन ने ..चाइ कौन पीता है..मैने चाइ बाथरूम के सींक में फेंक दिया ..और खाली कप वहीं टेबल पर रख झट बाहर निकली और सीधा भैया के कमरे में पहुँच गयी ..अंदर देखा तो भैया मुस्कुराए जा रहे थे...और मुझे देखते ही उछल पड़े और मुझे जोरों से गले लगाया ....

" दामिनी ...दामिनी ...ऊओह कुछ ना पूछ बहना ..आज तो बस मेरी लॉटरी लग गयी ..." और मुझे चूमने लगे ..

"अरे बाबा मम्मी की हालत देख मैं समझ गयी ...पर बताओ भी तो क्या हुआ ..यह मुझे ही चूमते रहोगे आप ..??"

"क्या बताऊं दामिनी ..आज जैसे ही मम्मी कमरे में आईं , और मेरे बेड के बगल हुई चाइ देने को ..मैने उठते हुए उन्हें कमर से जाकड़ लिया ..और अपना मुँह उनके सीने से लगा दिया ..ये कहता हुआ 'मम्मी मम्मी ..आप कितनी स्वीट लग रही हो अभी .. मम्मी यू आर आ रियल सेक्सी वुमन ..पापा ईज़ सो लकी' ...अया दामिनी उनकी चुचियाँ कितनी सॉफ्ट और भारी भारी हैं ..मुझे लगा मैं मक्खन के अंदर हूँ...और हाथों से उनके चूतड़ भी सहलाया.."

" अरे वाह ..मम्मी ने क्या कहा ..बोलो बोलो ना भैया..जल्दी बोलो .."

"वो हँसने लगीं ..और बड़े प्यार से मेरे हाथों को हटाया ..और मेरे सर के पीछे हाथ रखते हुए मुझे अपने सीने के और करीब खींच लिया और कहा..'ह्म्‍म्म्म मेरा बच्चा अब जवान हो रहा है ..अब इसका भी कुछ इंतज़ाम जल्दी ही करना होगा 'और फिर हंसते हुए कमरे से बाहर चली गयीं.. तभी से मेरा तो बुरा हाल है दामिनी ...देखो ना " और उन्होने मेरा हाथ अपने लौडे पे रख दिया .."

उनका लौड सही में फूँफ़कार रहा था पॅंट के अंदर ..मानों पॅंट चीर कर बाहर आ जाए...

मैने उसे सहलाते हुए कहा "लगता है मम्मी अब तो कुछ ना कुछ ज़रूर करेंगी ..भैया आप कोई भी मौका अब हाथ से जाने मत देना ..लगता है मम्मी की चूत अब आपके लंड से चुद ही गयी समझो ......भैया पर मेरा क्या होगा ..पापा तो कुछ समझते ही नहीं ..मुझे अभी भी बच्ची ही समझते हैं ....ओह्ह्ह पापा ..आइ हटे यू ... आप कब मुझे एक औरत समझोगे ..कब..??"

भैया ने मुझे अपने सीने से लगाया , मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा " बस तुम लगी रहो दामिनी ..डॉन'ट लूज़ युवर पेशियेन्स ...बस पापा भी जल्दी लाइन में आ ही जाएँगे ..आख़िर तुम्हारे भी असेट्स कितने मस्त हैं " और वो मेरी चुचियाँ दबाने लगे .."बस एक बार तुम उन्हें इनके दर्शन करा दो ....आह कितनी मस्त है तुम्हारी चुचियाँ दामिनी ..कितनी टाइट , कितनी भारी भारी ..आ इन्हें दबाने में बस ....ऊओह .."

"झूठ बिल्कुल झूठ ..अभी अभी आप मम्मी की चूचियों की तारीफ कर कर रहे थे ..."

"हाँ दामिनी ...मम्मी की चुचियाँ रस से भरी हैं और तुम्हारी चुचियाँ गुदाज हैं ..भारी हैं मसल्स से ..दोनों का अलग अपना अपना मज़ा है मेरी बहना ... किसी को कंपेर थोड़ी ना कर सकते हैं ...दोनों नायाब हैं ..."और वो अब मेरी चुचियाँ चूस रहे थे ...

"वाह भैया वाह ..क्या बात है ..अब सही में आप बच्चे नहीं रहे ...कितनी सफाई से आप ने मेरी और मम्मी दोनों की तारीफ कर दी ...ग्रेट गोयिंग ... " और मैने चुचियाँ अपने हाथ से उनके मुँह में और अंदर डाल दी "लो मेरी ओर से मेरे बूब्स की तारीफ का तोहफा ..चूसो ..चूसो .."

थोड़ी देर तक उनका लंड मेरी हाथ में था और मेरी चूची उनके मुँह में ..के तभी मम्मी की आवाज़ आई ...

" अरे दोनों के दोनों कहाँ हैं ...नाश्ता करना हैं या नहीं ....अभी तक दोनों तैय्यार भी नहीं हुए ..पता नहीं कब कॉलेज जाएँगे .."

बड़बड़ाती हुई मम्मी किचन से अंदर बाहर हो रही थी..

इस से पहले की वो इधर भी आ जायें मैं अपने कमरे में पहुँच गयी .

आआज नाश्ते की टेबल पर कुछ नहीं हुआ ...क्यूंकी पापा आज अकेले ही नाश्ता कर जल्दी ऑफीस चले गये थे ..कोई ज़रूरी मिटिन्ग थी उनकी .
 
शाम को मैं जब कॉलेज से वापस आई तो देखा पापा अकेले ड्रॉयिंग रूम में बैठे टीवी देख रहे थे ..

भैया शायद आज कॉलेज से देर से आने वाले थे ,,उनके एक्सट्रा क्लासस चल रहे थे ...

मैं पापा से बिल्कुल सॅट कर बैठ गयी ..अपनी जंघें उनकी मस्क्युलर जांघों से चिपकाते हुए ...पापा बेख़बर थे और टीवी में कोई बॅडमिंटन मॅच देख रहे थे..

मैने अपनी जंघें उनकी जांघों से रगड्ते हुए उनके हाथ से टीवी का रिमोट छीन लिया और बड़े रोमॅंटिक अंदाज़ में उनका चेहरा अपने हाथ से अपनी तरफ खींचा और कहा

"पापा ..आप कब से इतने रूड हो गये ..?? एक हसीन और जवान लड़की आपके बगल बैठी है और आप हो के टीवी देख रहे हो....वेरी रूड ऑफ यू ... ही ही ही ही..."

पापा ने चौंकते हुए मेरी तरफ देखा और फिर देखते ही रहे ..मेरी चुचियाँ .जो मेरे लो नेक टॉप से आधी बाहर दीख रही थी..फिर उनकी नज़र मेरे पेट पर गयी ...जीन्स और टॉप के बीच की नंगी जगह ...एक दम फ्लॅट और नाभि का गोल सूराख ..पापा बस देखते ही रहे ..

" ह्म्‍म्म दामिनी ..अब सही में जवान हो गयी है...मैं जब भी टूर से वापस आता हूँ मेरी प्यारी और हसीन बेटी और थोड़ी जवान हो जाती है ..."आऊर ये कहते हुए उन्होने मुझे गले लगाया और प्यार से सर पे हाथ फेरने लगे ...और मेरा माथा चूम लिया ...पर उनकी पॅंट के अंदर की हरकत वो छुपा नहीं सके ..वहाँ एक तंबू बना था ...

मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी ...पापा भी मुझे सिर्फ़ बेटी की तरह से नहीं बल्कि एक सेक्सी लड़की की तरह देख रहे थे..मैं उनमें सेक्स की भावना जगा सकती थी ...

और ये पहली बार नहीं , दूसरी बार हुआ था ..मैं खुशी से झूम उठी ..अब सफलता बस कुछ ही दूर है ...

"ऊओह पापा ....माइ स्वीट स्वीट पापा ..यू आर दा ग्रेटेस्ट पापा..आइ लव यू सो मच.." और ये कहते हुए मैं उन से चिपक गयी और उनके होंठ चूमने लगी ...

पापा सिहर उठे थे ..मैं महसूस कर रही थी ...उन्होने बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोक रखा था ...

तभी मम्मी चाइ लिए किचन से बाहर आईं "वाह वाह बाप बेटी का ज़रा प्यार तो देखो ... "

और उन्होने चाइ टेबल पर रखते हुए हमारे सामने वाली सोफे पर बैठ गयीं ..हम दोनों भी अलग हो गये और फिर सब हंसते हुए चाइ की चूस्कियाँ ले रहे थे...

चाइ पी कर मैं उठ गयी और अपने रूम की ओर कमर लचकते चल पड़ी ...........पापा की नज़रें मेरे लचकते चूतड़ो पर अटकी थी ..

उस रोज मैने बाथरूम में पापा को याद करते हुए तीन बार चूत मसली ... और हर बार मेरी चूत से रस की फूहार झाड़ रही थी ... जोरों से ..जैसे पेशाब जोरों से निकलती है..

मैं अब अपनी मंज़िल के बहोत करीब थी...

पापा से चुद्वाना मेरे लिए बहोत अहमियट रखता था..मैने कसम जो खा रखी थी ..बिना उनसे चुद्वाये और कोई भी दूसरा लौडा मेरी चूत के अंदर जा नहीं सकता ....बहोत सारे लंड लाइन में थे ... पर उनमें सिर्फ़ दो ही ऐसे थे जिनके लिए मैं पागल थी ...एक तो भैया का ..जिनका नंबर मेरी चुदाई करनेवालों की लिस्ट में दूसरा था ..और दूसरा था सलिल ...मेरा बॉयफ्रेंड .मेरे साथ ही था कॉलेज में ...

औरों से अलग .. थोड़ा सीरीयस टाइप था ...पढ्ने में होशियार , स्पोर्ट्स में अव्वल और दिखने में धर्मेन्द्र ... मैं और लड़कियों की तरह किसी भी लड़के के आगे पीछे घूमने वाली तो थी नहीं ....हाँ एक बात बताना तो मैं भूल ही गयी..मैं जूडो और कराटे की भी एक्सपर्ट थी ...वाइट बेल्ट ..यानी हाथ पावं चला सकती थी... साले छेड़खानी करनेवाले लड़कों के लिए काफ़ी था ...और एक दो बार तो मैने अपने हाथ पैर का इस्तेमाल भी किया था ..बड़ा असरदार होता है ...उसके बाद किसी की हिम्मत नहीं हुई मेरे इर्द गिर्द चक्कर काटने की ..बिना मेरी मर्ज़ी के... 

पर इसका मतलब ये नहीं के मुझे लड़के पसंद नहीं थे ..बिल्कुल थे .पर मेरी पसंद हमेशा ही अलग होती है न..सब से अलग ..वो भी सब से अलग था ..

मेरी तरह उसे भी ज़्यादा उछल कूद करना अच्छा नहीं लगता शायद .....इसलिए हमेशा और लड़कों से अलग रहता , शायद हमारा औरों से अलग होना ही हमे पास ले आया , और धीरे धीरे हम एक दूसरे के काफ़ी करीब हो गये .

क्रमशः.................................
 
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