hotaks444
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महँगी चूत सस्ता पानी
आज के इस नेट और , मोबाइल की दुनिया में वो दिन लड़ गये जब लोग चूत देख पानी पानी हो जाया करते थे ... अब तो चूत के पानी से ही दिन चर्या शूरू होती है और रात की रंगीनियाँ भी इसी के पानी से ख़तम ..हा हा हा हा !! क्या पानी है ... इस का कोई सानी नहीं ...
हां दोस्तो आज सही में चूत सस्ती है और महँगा है पानी ... आइए मेरे इस नये थ्रेड में इसी पानी का भरपूर आनंद लीजिए ,,कुछ नमकीन , कुछ लिस लिसा ..कुछ खट्टा तो कुछ मीठा ..उफफफफ्फ़ क्या स्वाद है चूत की पानी का .. बस चूत रिस्ति रहे और और आप मुँह खोले इसे पीते रहें ...गटकते रहें ..चूस्ते रहें ...चूत उछलती रहे और आप उसे थामे चाट ते रहें , इस कुदरत के अनमोल रस का पान करते रहें ..
हां तो चलें इस रंगीन , लिस लाइज़ , नमकीन और स्वादिष्ट चूत के सफ़र में... ये सफ़र मेरे अपने संस्मरण हैं ..मेरी कहानी .... मेरी ज़ुबानी ... कैसे किया मैने चूतो को पानी पानी ..हा हा हा!!
मैं किशोर ..लोग मुझे किश के नाम से जानते हैं ...हा हा हा...हां ये किस के बहुत करीब है..शायद इसलिए मुझे औरतें किस-एक्सपर्ट समझती हैं .... ...
ये कहानी शूरू होती है जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था .... और मेरी कज़िन (मेरे मामा की बेटी) 32 साल की ....तीन बच्चो की माँ ,,भरपूर चूचियाँ..उछलते नितंब ...भरे होंठ ....चिकने सपाट और मांसल गोरे पेट की स्वामिनी ..जब वो चलती ..मेरे पॅंट के अंदर खलबली मच जाती ....
कहानी चूत और उसके नशीले और लिस लीसे पानी का है ....और चूत से पानी यूँ ही नहीं निकलता ..चूत को सहला के , चाट के , जीभ फिरा के , उंगलियों से मसल के उसे इस अवस्था में लाना पड़ता है..और अगर थोड़े शब्दों में कहें तो पृष्ठभूमि तैय्यार करनी पड़ती है ...
मेरी कज़िन पायल की चूत से भी पानी निकले और लगातार निकले इसकी भी पृष्ठभूमि तैय्यर करनी पड़ेगी ना ..तो चलिए चलते हैं कुछ साल पहले और देखते हैं हमारी तैय्यारि ...
मैं एक बहुत ही सुशील , सीधा सादा अपने माँ बाप का लाड़ला एकलौती संतान था . बड़े लड़ प्यार और स्नेह से मुझे रखा जाता ..किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होती ....और पायल मेरे मामा की इक लौति संतान .....बड़ी नटखट , शरारती और सारे घर को अपने सर पर उठाने वाली ....
मेरे मामा भी हमारे साथ ही रहते ... उनकी नौकरी भी हमारे ही शहेर में थी..और हमारा घर काफ़ी बड़ा ... माँ ने ज़िद कर मामा को भी अपने साथ रहने को मजबूर कर दिया ...
पायल दीदी भले ही शरारती और नटखट हो ..पर मेरे साथ बड़े स्नेह और प्यार से रहती ...हमारी उम्र में भी काफ़ी अंतर था ...वो मुझे किशू बुलाती ...
मुझे अपने हाथों से खिलाती ...मेरे स्कूल का बस्ता तैय्यार करती ... मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती ...
हम दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो जाता ...मैं जब स्कूल से आता ..मेरी आँखें पायल दीदी को ढूँढती ...घर के चारों ओर मैं उन्हें ढूंढता ....जब वो सामने दिखतीं ...मेरे सांस में सांस आता ...मैं सीधा उनकी गोद में बैठ जाता ..वो प्यार से मेरे बाल सहलाती ..मेरे दिन भर की थकान उनके स्पर्श से ही गायब हो जाती ... मैं खिल उठता ....
उन दिनों पायल दीदी 20-22 साल की एक आल्मास्ट , दुनिया से बेख़बर, जवानी के नशे में झूमती लहराती रहती.... और मेरे मामा उनकी शादी की चिंता मे डूबे रहते .....
हाइ स्कूल की पढ़ाई के बाद वो घर में ही रहती ... घर के कम काज़ में हाथ बटाना तो दूर ...अपने में ही खोई रहती ...कहानियाँ पढ़ती , फिल्मी मॅगज़ीन्स पढ़ती ( जिन्हें मैं अपनी किताबों के बस्ते में छुपा कर लाता ..और उसी तरह दीदी के पढ़ने के बाद दूकानवाले को वापस कर देता ) ...
मामा ..मामी की डाँट का उन पर कोई असर नहीं होता...
" अरे कुछ तो शर्म कर ...कल को तेरी शादी होगी ...ससुराल में हमारी नाक काटेगी ये लड़की .."
मामी के इस तकियकलाम शब्दों को पायल दीदी अन्सूना कर देती ...मुझे अपने हाथों से अपने बगल चिपकाते हुए बोलती
"किशू...तेरी पढ़ाई हो गयी....? "
"हां दीदी.."
"तो फिर चल लुडो खेलते हैं .."
मेरे लिए उनके ये शब्द जादू का काम करते..मैं फटाफट अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लुडो का बोर्ड बिछा देता ...हम दोनों आमने सामने बैठ जाते ..इतने पास कि दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूती ....इसमें स्नेह की गर्मी , निस्चल प्यार का स्पर्श और उनकी मदमस्त जवानी का झोंका भी शामिल रहता ..मुझे बहुत भाता ...
उन दिनों टीवी नहीं था ..रेडियो का प्रचलन था ....मेरे अलावा पायल दीदी का ये दूसरा चहेता था ..उस समय की फिल्मों का एक-एक गाना उनकी ज़ुबान पे होता ....हमेशा गुनगुनाती रहती अपनी सुरीली और मीठी आवाज़ में ...
दिन गुज़रते गये और मैं पायल दीदी के स्नेह और प्यार के बंधन में जकड़ता गया...हम दोनों के लिए एक दूसरे के लिए एक अटूट आकर्षण , बंधन , प्यार और स्नेह पनपता गया .....
और फिर एक दिन जब मैं स्कूल से वापस आया ,,दीदी ने मेरे लिए दरवाज़ा नहीं खोला ... दरवाज़ा भिड़ा था ..मेरे धक्का देते ही खूल गया..पर दीदी के बजाय अंदर सन्नाटे ने मेरा स्वागत किया.. दीदी की प्यार भरी बाहों की जगह एक घनघोर चुप्पी ने मुझे जाकड़ लिया .... मैं तड़प उठा ..दीदी कहाँ गयीं..??
मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ा .... अंदर झाँका ..दीदी अपने पलंग पर लेटी थीं .....मैं और नज़दीक गया ..
आज के इस नेट और , मोबाइल की दुनिया में वो दिन लड़ गये जब लोग चूत देख पानी पानी हो जाया करते थे ... अब तो चूत के पानी से ही दिन चर्या शूरू होती है और रात की रंगीनियाँ भी इसी के पानी से ख़तम ..हा हा हा हा !! क्या पानी है ... इस का कोई सानी नहीं ...
हां दोस्तो आज सही में चूत सस्ती है और महँगा है पानी ... आइए मेरे इस नये थ्रेड में इसी पानी का भरपूर आनंद लीजिए ,,कुछ नमकीन , कुछ लिस लिसा ..कुछ खट्टा तो कुछ मीठा ..उफफफफ्फ़ क्या स्वाद है चूत की पानी का .. बस चूत रिस्ति रहे और और आप मुँह खोले इसे पीते रहें ...गटकते रहें ..चूस्ते रहें ...चूत उछलती रहे और आप उसे थामे चाट ते रहें , इस कुदरत के अनमोल रस का पान करते रहें ..
हां तो चलें इस रंगीन , लिस लाइज़ , नमकीन और स्वादिष्ट चूत के सफ़र में... ये सफ़र मेरे अपने संस्मरण हैं ..मेरी कहानी .... मेरी ज़ुबानी ... कैसे किया मैने चूतो को पानी पानी ..हा हा हा!!
मैं किशोर ..लोग मुझे किश के नाम से जानते हैं ...हा हा हा...हां ये किस के बहुत करीब है..शायद इसलिए मुझे औरतें किस-एक्सपर्ट समझती हैं .... ...
ये कहानी शूरू होती है जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था .... और मेरी कज़िन (मेरे मामा की बेटी) 32 साल की ....तीन बच्चो की माँ ,,भरपूर चूचियाँ..उछलते नितंब ...भरे होंठ ....चिकने सपाट और मांसल गोरे पेट की स्वामिनी ..जब वो चलती ..मेरे पॅंट के अंदर खलबली मच जाती ....
कहानी चूत और उसके नशीले और लिस लीसे पानी का है ....और चूत से पानी यूँ ही नहीं निकलता ..चूत को सहला के , चाट के , जीभ फिरा के , उंगलियों से मसल के उसे इस अवस्था में लाना पड़ता है..और अगर थोड़े शब्दों में कहें तो पृष्ठभूमि तैय्यार करनी पड़ती है ...
मेरी कज़िन पायल की चूत से भी पानी निकले और लगातार निकले इसकी भी पृष्ठभूमि तैय्यर करनी पड़ेगी ना ..तो चलिए चलते हैं कुछ साल पहले और देखते हैं हमारी तैय्यारि ...
मैं एक बहुत ही सुशील , सीधा सादा अपने माँ बाप का लाड़ला एकलौती संतान था . बड़े लड़ प्यार और स्नेह से मुझे रखा जाता ..किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होती ....और पायल मेरे मामा की इक लौति संतान .....बड़ी नटखट , शरारती और सारे घर को अपने सर पर उठाने वाली ....
मेरे मामा भी हमारे साथ ही रहते ... उनकी नौकरी भी हमारे ही शहेर में थी..और हमारा घर काफ़ी बड़ा ... माँ ने ज़िद कर मामा को भी अपने साथ रहने को मजबूर कर दिया ...
पायल दीदी भले ही शरारती और नटखट हो ..पर मेरे साथ बड़े स्नेह और प्यार से रहती ...हमारी उम्र में भी काफ़ी अंतर था ...वो मुझे किशू बुलाती ...
मुझे अपने हाथों से खिलाती ...मेरे स्कूल का बस्ता तैय्यार करती ... मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती ...
हम दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो जाता ...मैं जब स्कूल से आता ..मेरी आँखें पायल दीदी को ढूँढती ...घर के चारों ओर मैं उन्हें ढूंढता ....जब वो सामने दिखतीं ...मेरे सांस में सांस आता ...मैं सीधा उनकी गोद में बैठ जाता ..वो प्यार से मेरे बाल सहलाती ..मेरे दिन भर की थकान उनके स्पर्श से ही गायब हो जाती ... मैं खिल उठता ....
उन दिनों पायल दीदी 20-22 साल की एक आल्मास्ट , दुनिया से बेख़बर, जवानी के नशे में झूमती लहराती रहती.... और मेरे मामा उनकी शादी की चिंता मे डूबे रहते .....
हाइ स्कूल की पढ़ाई के बाद वो घर में ही रहती ... घर के कम काज़ में हाथ बटाना तो दूर ...अपने में ही खोई रहती ...कहानियाँ पढ़ती , फिल्मी मॅगज़ीन्स पढ़ती ( जिन्हें मैं अपनी किताबों के बस्ते में छुपा कर लाता ..और उसी तरह दीदी के पढ़ने के बाद दूकानवाले को वापस कर देता ) ...
मामा ..मामी की डाँट का उन पर कोई असर नहीं होता...
" अरे कुछ तो शर्म कर ...कल को तेरी शादी होगी ...ससुराल में हमारी नाक काटेगी ये लड़की .."
मामी के इस तकियकलाम शब्दों को पायल दीदी अन्सूना कर देती ...मुझे अपने हाथों से अपने बगल चिपकाते हुए बोलती
"किशू...तेरी पढ़ाई हो गयी....? "
"हां दीदी.."
"तो फिर चल लुडो खेलते हैं .."
मेरे लिए उनके ये शब्द जादू का काम करते..मैं फटाफट अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लुडो का बोर्ड बिछा देता ...हम दोनों आमने सामने बैठ जाते ..इतने पास कि दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूती ....इसमें स्नेह की गर्मी , निस्चल प्यार का स्पर्श और उनकी मदमस्त जवानी का झोंका भी शामिल रहता ..मुझे बहुत भाता ...
उन दिनों टीवी नहीं था ..रेडियो का प्रचलन था ....मेरे अलावा पायल दीदी का ये दूसरा चहेता था ..उस समय की फिल्मों का एक-एक गाना उनकी ज़ुबान पे होता ....हमेशा गुनगुनाती रहती अपनी सुरीली और मीठी आवाज़ में ...
दिन गुज़रते गये और मैं पायल दीदी के स्नेह और प्यार के बंधन में जकड़ता गया...हम दोनों के लिए एक दूसरे के लिए एक अटूट आकर्षण , बंधन , प्यार और स्नेह पनपता गया .....
और फिर एक दिन जब मैं स्कूल से वापस आया ,,दीदी ने मेरे लिए दरवाज़ा नहीं खोला ... दरवाज़ा भिड़ा था ..मेरे धक्का देते ही खूल गया..पर दीदी के बजाय अंदर सन्नाटे ने मेरा स्वागत किया.. दीदी की प्यार भरी बाहों की जगह एक घनघोर चुप्पी ने मुझे जाकड़ लिया .... मैं तड़प उठा ..दीदी कहाँ गयीं..??
मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ा .... अंदर झाँका ..दीदी अपने पलंग पर लेटी थीं .....मैं और नज़दीक गया ..