hotaks444
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इसी बीच रामलाल भी अपना नाम बार-2 सुनकर खड़ा हो चुका था....
और मुँह उठाकर यही देख रहा था की कब उसका मालिक आज्ञा दे और वो इस कच्ची कली की चूत फाड़ डाले...
जब मिंया बीबी राज़ी तो ये लाला काजी बनकर क्यो अपनी टाँग बीच में अड़ा रहा है...
पर उसके पास तो दिमाग़ नही था...
जो लाला के पास था....
और लाला ये बात अच्छे से समझ चुका था की अभी बहुत पापड़ बेलने होंगे इस कली को फूल बनाने के लिए...
और तब तक के लिए उसके पास इसकी माँ तो है ही...
जिसकी चूत वो कभी भी मार सकता है...
और साथ में वो दो हँसो का जोड़ा,
यानी पिंकी और निशि भी तो है,
जो आजकल उसके पीछे दीवानी हुई पड़ी है...
कुल मिलाकर लाला का जैसे आज का दिन बीता था
वैसे ही उसके आने वाले दिन भी बड़े मजेदार होने वाले थे...
खासकर कल का दिन, जब पिंकी उसके साथ दूसरे गाँव जाने वाली थी,
और लाला के दिमाग में एक अच्छा सा प्लान पहले ही बन चूका था.
आज जब पिंकी सोकर उठी तो उसे अपनी चूत पहले से ही गीली मिली...
कारण था रात भर लाला के बारे में सोच-सोचकर अपनी चूत को रगड़ते रहना.
पिंकी के हाथ एक बार फिर से उसी चूत पर पहुँच गये, जिन्हे रगड़ -2 कर उसने रात निकाली थी..
और खुद से ही बतियाने लगी : "हाय लाला.....ये कैसी कसक दे डाली है तूने...कसम से, अभी तो मेरी मुनिया ने तेरे रामलाल के दर्शन नही किए है, जब ये दोनो एक दूसरे को देखेंगे तो क्या हाल होगा, यही सोचकर मेरा अभी से बुरा हाल हो रहा है....उफ़फ्फ़.....कितना तरसाते हो तुम सपनो में भी ....देखो ना, बिना अंदर डाले ही पूरी पनिया गयी है ससूरी.....अहह.......कब दोगे पूरा मज़ा मुझे......कब डालोगे अपना रामलाल.....मेरे अंदर......उम्म्म्ममममम''
और एक बार फिर से वही सिलसिला चल पड़ा जो पूरी रात चलता रहा था.....
और एक बार फिर से उसकी मुनिया ने सुबह की पहली किरण की तरह अपना रज त्याग कर उसकी कच्छी को गीला कर दिया...
अपने ही रंग में सनी हुई सी वो बिस्तर से उठी और टांगे फेला-2 कर बाथरूम की तरफ चल दी...
ऐसे अजीब ढंग से चलते देखकर उसकी माँ ने टोका : "अररी करमजली, जब पता होता है की डेट आने वाली है तो पहले से ही पेडवा क्यो नही लगा कर रखी थी...''
वो हंसते हुए बाथरूम के अंदर दौड़ गयी...
अपनी माँ के दिमाग़ की उपज के बारे में सोच-सोचकर...
खैर, एक बार अंदर पहुँचकर उसने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके...
और एक बार फिर से हर रोज की तरह, अपने नंगे बदन को देखकर , उसे अपने हाथो से सहलाती हुई , वो गुनगुनाने लगी...
''ओह लाला.....साले कमीने...तुझे तो पता भी नही है की तू कितना लक्की है....ऐसा बदन तो हेरोइनो का होता है जो तेरे जैसे ठरकी बुड्ढे को मिलने वाला है....पर तेरी भी किस्मत अच्छी है जो इस उम्र में भी तेरे पास रामलाल जैसा दोस्त है, जो तेरा साथ देता है...और उसी की वजह से तेरा भी काम चल रहा है...वरना मेरे जिस्म को पाने के लिए अच्छे -अच्छो को पापड़ बेलने पड़े...''
इतना कहकर वो अपनी ही बात पर मुस्कुरा दी...
लड़कियों के पास जब सुंदर शरीर होता है तो उन्हे गरूर आ ही जाता है.
पर जब उनके बदन की अकड़ निकालने के लिए ढंग के बंदे नही मिलते तो ऐसे लाला जैसे मर्दो की ही चाँदी हो जाती है...
पर जो भी था, पिंकी के लिए तो इस वक़्त लाला ही वो बांका मर्द था, जिसके लिए उसने अपने इस रसीले योवन को संभाल कर रखा था...
और आज इसी रसीले यौवन में डूबी जवानी का इस्तेमाल करके उसे लाला को रिझाना था...
ताकि वो उसका गुलाम बनकर रहे हमेशा के लिए..
पर उस भोली चिड़िया को ये पता नही था की लाला उसका भी बाप है...
उस जैसी चिड़िया को दबोच कर लाला जब अपने लंड का पानी पिलाता है तो वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम बनकर रह जाती है...
बड़ी आई लाला को अपना गुलाम बनाने वाली.
चूत तो उसकी हमेशा से ही चिकनी रहती थी, इसलिए उसे अच्छे से साबुन से रगड़ कर वो बाहर निकल आई...
आज के लिए उसने जान बूझकर ब्रा नही पहनी थी...
ताकि अपने योवन का रस वो लाला की भूखी आँखो को पिला सके..
बस माँ के सामने उन्हे ढकने के लिए उसने चुन्नी ले ली थी..
घर से निकलते हुए उसने अपनी माँ बता दिया की वो स्कूल की किताब लेने जा रही है, पर ये नही बताया की दूसरे गाँव जाना है, वरना उसकी माँ उसे अकेले कभी ना जाने देती...
और वैसे भी, एक बार घर से निकल जाओ तो उसे किसी की चिंता नही थी...
वहां से निकल कर जब वो लाला की दुकान पर पहुँची तो हमेशा की तरह अपनी मनपसंद मोरनी को अपनी तरफ आता देखकर लाला ने धोती मे हाथ डालकर अपना नंगा लंड पकड़ कर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा
और बुदबुदाया : "हाय ....देख ले रामलाल...ये है वो कड़क माल, जो जल्द ही तुझे चखने को मिलेगा....साली की गांड इतनी फेली हुई है की उसकी चाल देखकर ही मज़ा आ जाता है....काश पीछे की तरह 2 कूल्हे इसके आगे की तरफ भी होते तो आते हुए भी उन्हे मटकते हुए देख पाता और जाते हुए भी....''
लाला अपनी ही बात सोचकर मुस्कुरा दिया....
तब तक अपने सीने को थोड़ा और उभार कर वो दुकान के अंदर आ गयी...
लाला ने अपने लंड को मसलने के बाद , उसी हाथ को पिंकी की तरफ बड़ा दिया और पिंकी ने अपने नर्म मुलायम हाथ लाला के हाथ में देकर उनसे हाथ मिलाया...
ये पहला मौका था जब लाला ने पश्चिमी सभ्यता की तरह हाथ मिलाकर पिंकी का स्वागत किया था...
इसकी 2 वजह थी
एक तो वो उसके बदन की गर्मी का जायज़ा लेना चाहता था और दूसरा वो अपने रामलाल की गंध को उसके बदन से टच करवाकर उसका असर उसपर छोड़ना चाहता था ताकि उस भीनी इत्र जैसी खुश्बू में डूबकर वो सम्मोहित हो जाए...
और ऐसा हुआ भी....
लाला के हाथ को पकड़ कर पिंकी को एक अजीब सी एनर्जी का एहसास हुआ....
लाला के गर्म शरीर और उनके महक रहे हाथ को पकड़कर उसे एक नशा सा होने लगा..
लाला ये सब देखकर मुस्कुराया और बोला : "आ गयी तू....बस थोड़ा टाइम दे मुझे, मैने अपने कपड़े बदलने है...तब तक तू अंदर बैठ आकर...''
इतना कहकर लाला ने उसे अंदर बिठाया और खुद पिछले कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा..
और मुँह उठाकर यही देख रहा था की कब उसका मालिक आज्ञा दे और वो इस कच्ची कली की चूत फाड़ डाले...
जब मिंया बीबी राज़ी तो ये लाला काजी बनकर क्यो अपनी टाँग बीच में अड़ा रहा है...
पर उसके पास तो दिमाग़ नही था...
जो लाला के पास था....
और लाला ये बात अच्छे से समझ चुका था की अभी बहुत पापड़ बेलने होंगे इस कली को फूल बनाने के लिए...
और तब तक के लिए उसके पास इसकी माँ तो है ही...
जिसकी चूत वो कभी भी मार सकता है...
और साथ में वो दो हँसो का जोड़ा,
यानी पिंकी और निशि भी तो है,
जो आजकल उसके पीछे दीवानी हुई पड़ी है...
कुल मिलाकर लाला का जैसे आज का दिन बीता था
वैसे ही उसके आने वाले दिन भी बड़े मजेदार होने वाले थे...
खासकर कल का दिन, जब पिंकी उसके साथ दूसरे गाँव जाने वाली थी,
और लाला के दिमाग में एक अच्छा सा प्लान पहले ही बन चूका था.
आज जब पिंकी सोकर उठी तो उसे अपनी चूत पहले से ही गीली मिली...
कारण था रात भर लाला के बारे में सोच-सोचकर अपनी चूत को रगड़ते रहना.
पिंकी के हाथ एक बार फिर से उसी चूत पर पहुँच गये, जिन्हे रगड़ -2 कर उसने रात निकाली थी..
और खुद से ही बतियाने लगी : "हाय लाला.....ये कैसी कसक दे डाली है तूने...कसम से, अभी तो मेरी मुनिया ने तेरे रामलाल के दर्शन नही किए है, जब ये दोनो एक दूसरे को देखेंगे तो क्या हाल होगा, यही सोचकर मेरा अभी से बुरा हाल हो रहा है....उफ़फ्फ़.....कितना तरसाते हो तुम सपनो में भी ....देखो ना, बिना अंदर डाले ही पूरी पनिया गयी है ससूरी.....अहह.......कब दोगे पूरा मज़ा मुझे......कब डालोगे अपना रामलाल.....मेरे अंदर......उम्म्म्ममममम''
और एक बार फिर से वही सिलसिला चल पड़ा जो पूरी रात चलता रहा था.....
और एक बार फिर से उसकी मुनिया ने सुबह की पहली किरण की तरह अपना रज त्याग कर उसकी कच्छी को गीला कर दिया...
अपने ही रंग में सनी हुई सी वो बिस्तर से उठी और टांगे फेला-2 कर बाथरूम की तरफ चल दी...
ऐसे अजीब ढंग से चलते देखकर उसकी माँ ने टोका : "अररी करमजली, जब पता होता है की डेट आने वाली है तो पहले से ही पेडवा क्यो नही लगा कर रखी थी...''
वो हंसते हुए बाथरूम के अंदर दौड़ गयी...
अपनी माँ के दिमाग़ की उपज के बारे में सोच-सोचकर...
खैर, एक बार अंदर पहुँचकर उसने अपने सारे कपड़े निकाल फेंके...
और एक बार फिर से हर रोज की तरह, अपने नंगे बदन को देखकर , उसे अपने हाथो से सहलाती हुई , वो गुनगुनाने लगी...
''ओह लाला.....साले कमीने...तुझे तो पता भी नही है की तू कितना लक्की है....ऐसा बदन तो हेरोइनो का होता है जो तेरे जैसे ठरकी बुड्ढे को मिलने वाला है....पर तेरी भी किस्मत अच्छी है जो इस उम्र में भी तेरे पास रामलाल जैसा दोस्त है, जो तेरा साथ देता है...और उसी की वजह से तेरा भी काम चल रहा है...वरना मेरे जिस्म को पाने के लिए अच्छे -अच्छो को पापड़ बेलने पड़े...''
इतना कहकर वो अपनी ही बात पर मुस्कुरा दी...
लड़कियों के पास जब सुंदर शरीर होता है तो उन्हे गरूर आ ही जाता है.
पर जब उनके बदन की अकड़ निकालने के लिए ढंग के बंदे नही मिलते तो ऐसे लाला जैसे मर्दो की ही चाँदी हो जाती है...
पर जो भी था, पिंकी के लिए तो इस वक़्त लाला ही वो बांका मर्द था, जिसके लिए उसने अपने इस रसीले योवन को संभाल कर रखा था...
और आज इसी रसीले यौवन में डूबी जवानी का इस्तेमाल करके उसे लाला को रिझाना था...
ताकि वो उसका गुलाम बनकर रहे हमेशा के लिए..
पर उस भोली चिड़िया को ये पता नही था की लाला उसका भी बाप है...
उस जैसी चिड़िया को दबोच कर लाला जब अपने लंड का पानी पिलाता है तो वो हमेशा के लिए उसकी गुलाम बनकर रह जाती है...
बड़ी आई लाला को अपना गुलाम बनाने वाली.
चूत तो उसकी हमेशा से ही चिकनी रहती थी, इसलिए उसे अच्छे से साबुन से रगड़ कर वो बाहर निकल आई...
आज के लिए उसने जान बूझकर ब्रा नही पहनी थी...
ताकि अपने योवन का रस वो लाला की भूखी आँखो को पिला सके..
बस माँ के सामने उन्हे ढकने के लिए उसने चुन्नी ले ली थी..
घर से निकलते हुए उसने अपनी माँ बता दिया की वो स्कूल की किताब लेने जा रही है, पर ये नही बताया की दूसरे गाँव जाना है, वरना उसकी माँ उसे अकेले कभी ना जाने देती...
और वैसे भी, एक बार घर से निकल जाओ तो उसे किसी की चिंता नही थी...
वहां से निकल कर जब वो लाला की दुकान पर पहुँची तो हमेशा की तरह अपनी मनपसंद मोरनी को अपनी तरफ आता देखकर लाला ने धोती मे हाथ डालकर अपना नंगा लंड पकड़ कर ज़ोर-2 से रगड़ने लगा
और बुदबुदाया : "हाय ....देख ले रामलाल...ये है वो कड़क माल, जो जल्द ही तुझे चखने को मिलेगा....साली की गांड इतनी फेली हुई है की उसकी चाल देखकर ही मज़ा आ जाता है....काश पीछे की तरह 2 कूल्हे इसके आगे की तरफ भी होते तो आते हुए भी उन्हे मटकते हुए देख पाता और जाते हुए भी....''
लाला अपनी ही बात सोचकर मुस्कुरा दिया....
तब तक अपने सीने को थोड़ा और उभार कर वो दुकान के अंदर आ गयी...
लाला ने अपने लंड को मसलने के बाद , उसी हाथ को पिंकी की तरफ बड़ा दिया और पिंकी ने अपने नर्म मुलायम हाथ लाला के हाथ में देकर उनसे हाथ मिलाया...
ये पहला मौका था जब लाला ने पश्चिमी सभ्यता की तरह हाथ मिलाकर पिंकी का स्वागत किया था...
इसकी 2 वजह थी
एक तो वो उसके बदन की गर्मी का जायज़ा लेना चाहता था और दूसरा वो अपने रामलाल की गंध को उसके बदन से टच करवाकर उसका असर उसपर छोड़ना चाहता था ताकि उस भीनी इत्र जैसी खुश्बू में डूबकर वो सम्मोहित हो जाए...
और ऐसा हुआ भी....
लाला के हाथ को पकड़ कर पिंकी को एक अजीब सी एनर्जी का एहसास हुआ....
लाला के गर्म शरीर और उनके महक रहे हाथ को पकड़कर उसे एक नशा सा होने लगा..
लाला ये सब देखकर मुस्कुराया और बोला : "आ गयी तू....बस थोड़ा टाइम दे मुझे, मैने अपने कपड़े बदलने है...तब तक तू अंदर बैठ आकर...''
इतना कहकर लाला ने उसे अंदर बिठाया और खुद पिछले कमरे में जाकर कपड़े बदलने लगा..