Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ - Page 6 - SexBaba
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Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ

शाम को सात बजे तैयार होकर मैं मीना के घर के लिए निकल लिया . गेट पर मनोहर मुझे मिला

'' मास्टर जी कल उस छोकरी को जवान कर दिए या नही ''

'' अरे मनोहर भाई कैसी बाते करते हो ''

'' मास्टर जी हमको सब पता है हमसे ना शरमाओ , सेठानी आज भी तुम्हारे लिए एक गदराई माल लेकर आई है ''

'' सच कह रहे हो मनोहर भैया ''

'' हाँ बहुत ही कमसिन माल है ....... मास्टर जी आप के तो वारेन्यारे हैं हमको भूल ना जाना '' मनोहर ने खीँसे निपोरते हुए कहा

मैं मनोहर का इशारा समझ चुका था मैने उसे पाँच सौ का नोट दिया तो वह बहुत खुश हुआ

मैं अंदर पहुँचा तो देखा मीना टीवी देख रही थी . उसने शलवार सूट पहना हुआ था जिसमे वो एकदम कयामत लग रही थी मुझे देखते ही मीना मेरे पास आई

'' नमस्ते मास्टर जी ''

'' नमस्ते बेटा ... और बताओ क्या रही हो '' मैने मीना के टमाटर जैसे गालों को सहलाते हुए पूछा

'' कुछ नही मास्टर जी आप का इंतजार कर रही थी मन लग नहीं रहा था इसलिए टीवी चला ली थी वही देख रही थी अब आप आ गये हैं मन अपने आप लग जाएगा '' मीना ने नज़रें झुकाते हुए मुस्कुराते हुए बड़ी मासूमियत से कहा

मैं मीना की इस मासूमियत से घायल हो गया

'' चलो कुछ देर पढ़ाई कर लेते है अपनी किताब लेकर कमरे में आ जाओ ''

'' जी मास्टर जी '' कहती हुई लोन्डिया कुलाँचे भरती चली गई
 
'' चलो कुछ देर पढ़ाई कर लेते है अपनी किताब लेकर कमरे में आ जाओ ''

'' जी मास्टर जी '' कहती हुई लोन्डिया कुलाँचे भरती चली गई

कमरे में पहुँच कर लगभग एक घंटे तक मैने मीना अच्छी तरह पढ़ाया और मीना भी मन लगाकर पढ़ती रही फिर मुझे टॉयलेट जाना कह कर चली गई

जब वापस आई तो बोली ; '' मास्टर जी आज की पढ़ाई तो हो गई अब क्या करें ''

मैने उसे अपनी गोद मे बैठाते हुए उसके चुचों को मीसते हुए कहा ; '' अबहम हमारी मीना रानी को एक अद्भुत ज्ञान देंगें ''

मीना अपनी गान्ड को मेरे लंड रगड़ते हुए जिसने अब अपना सिर उठाना शुरू कर दिया था बोली '' मास्टर जी कैसा अद्भुत ज्ञान देंगे हमें''

मैने उसे गोद में उठाया और बॅड पर ले जाकर पटक दिया और उसे लिटाकर उसकी बगल में लेट कर मीना की कमसिन चुचियों को इस तरह मीसने लगा कि कमसिन लोन्डिया हाई हाई कर उठी फिर मैने मीना के शहद भरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और मस्ती में चूर होकर उसके नाज़ुक गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो से मधु चूसने लगा

लोन्डिया एक दम मस्ता कर मुझसे चिपक गई और एक हाथ मेरे लौडे पर रख कर उसे सहलाने लगी


मैने भी अपना एक हाथ उसके कुर्ते में डाला और नाज़ुक हसीना के संतरों को बड़े प्यार से मीसना शुरू किया

मीना की साँसे भारी होने लगी थी अब वो अपना एक हाथ मेरे बालों में फिरा रही थी और अपने होंठो को मेरे होंठो से लड़ा रही थी
धीरे-धीरे मीना के शरीर में भी अब काम-ज्वाला उठने लगी और वो अपने हाथों को उठा-उठा कर अँगड़ायी ले रही थी। उसकी साँसें अब फूल रही थी और साँसों के साथ-साथ उसकी चूँची भी अब उठ-बैठ रही थी।


अब मैं ने अपनी ज़ुबान उस कमनीय हसीना के मुँह के अंदर ठेल दी और उसकी जीब से अपनी जीब लड़ाने लगा मीना का लारवा इतना मीठा और स्वादिष्ट लग रहा था कि मेरा मन उसके होंठो को छोड़ने का हो ही नही रहा था हम एकदुसरे में ऐसे खोए हुए थे कि कोई हार मानने के लिए तैयार ही नही था . जब हम दोनो की साँसे घुटने लगीं तब जाकर हमारे होंठ एक दूसरे से अलग हुए . हम दोनो की साँसे उखड़ी हुई थी पर शायद मज़े की अधिकता से हमें इसका कोई भान नहीं हुआ था
 
अब मैंने एक हाथ से मीना की बुर को सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसकी बुर गीली होने लगी। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने एक अँगुली उसकी बुर के अंदर डाल दी तो उसने जोर की सिसकरी ली। हाइईईईईईईईईईईई मम्मीईई मास्टर जीिइईईई माररर्ररर गैिईईईई

'' चिल्लाओ मत जानेमन वरना तुम्हारी मम्मी आजाएँगी और वो फिर कुछ नही करने देंगी अब बताओ क्या तुम अब भी चिल्लाओगी ''

मीना ने सिर हिला कर हामी भरी कि अब वो नही चिल्लाएगी

लोन्डिया के चेहरे पर दर्द की लकीरें उभर आई थी अभी तो मैने उसकी बुर में अनामिका उंगली ही डाली थी जब मेरा साँप उसकी बुर में जाएगा तो क्या हाल होगा उसका . मुझे धीरे धीरे ही इस लोंड़िया को तैयार करना होगा वरना सारा खेल खराब हो जाने का डर था

मैने उसकी बुर को कुरेदना शुरू किया. दूसरे हाथ से उसके संतरों को भी दबा रहा था. मुझे पता था कि अभी मेरी उंगली इसकी चूत में हाय तौबा मचाएगी .


जैसा कि होना ही था. कामदेव ने अपना पुष्पबाण चला ही दिया और मीना अपनी एड़ियाँ रगड़ने लगी. उसकी आँखों में अनुनय विनय का भाव आ गया मेरी उंगली अब और आराम से उसकी चूत का जायजा लेने लगी. उसके संतरे जैसे चुचे कड़क हो गये थे और चूचुकों ने अपना सिर उठा लिया था और वे मेरी छाती के नीचे पिसने को मचलने लगे थे. नीचे उसकी चूत भी प्रेमाश्रु बहा रही थी.


मेरा लंड अब तक बहुत ज्यादा टाइट हो चुका था। थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत में अपनी अँगुली अंदर-बाहर करता रहा जोकि अब आराम से बुर में अंदर बाहर हो रही थी तो वो झड़ने लगी। झड़ते समय उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और बोली, मास्टर जी आपके अँगुली करने से मुझे तो पेशाब हो रहा है।”

मैंने कहा, “ये पेशाब नहीं है। जोश में आने के बाद बुर से पानी निकलता है।” और मैने अपनी उंगली की स्पीड को और बढ़ा दिया

'' हाइईईईईईई मास्टर जी मेरा सू सू निकलने वाला है'' कहने साथ ही लोन्डिय मस्ता गयी और उसका शरीर कमान की तरह मूड गया
और उसकी बुर भलभला कर पानी छोड़ने लगी. बुर का पानी निकलते ही मीना एकदम सिथिल पड़ गई
 
कुछ देर बाद जब वो अपने ओर्गज्म बाहर निकली तो मुझ से कस कर लिपट गई


'' मास्टर जी आप ने हमें बहुत मज़ा दिया !” उसने कमजोर सी आवाज में कहा उसकी आवाज में वो दृढ़ता नहीं थी

'' मीना, कितनी प्यारी प्यारी हो न तूम. .” मैंने प्यार से उसे चूमते हुए कहा;

मीना बेटा एक बात और मान ले जल्दी से!” मैंने कहा तो उसने प्रश्नवाचक दृष्टि से मुझे देखा.

''अब तुम मेरे लंड को चूस कर शांत कर दो . देखो कितना तड़प रहा है .” मैंने उसे अत्यंत प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.

“अच्छा ठीक है, आज आप मुझे पूरा बेशर्म बना कर ही छोड़ना.” वो बोली और अपने हाथ मेरे लंड पर रख दिए

मैं उसकी मासूमियत पर मुस्कुरा उठा और गोद में बैठी मीना के होंठों को चूम लिया. मीना के नर्म और सुन्दर होंठ इतने कमाल के थे कि मुझे तो मीठे ही लग रहे थे, मैंने उसके रसीले मीठे होंठों को बहुत देर तक चूमा और उसने भी मेरे होठों को चूमा, मेरी जीभ को अपने मुंह में ले कर चूसा.

और फिर उसने मेरी जीन्स घुटनों तक खिसका कर अंडर वियर के ऊपर से लंड को मसलना शुरू किया.

मेरा लंड पूरा बारह बजे की सलामी दे रहा था और मीना उसे ऐसे घूर रही थी जैसे आज तो निचोड़ ही देगी. मीना ने मेरे लंड को अपनी आँखें बंद कर के सूंघा और आँखें बंद किए किए ही उसने मेरे लंड पर अपने होंठ फिराने शुरू कर दिये, मीना मेरी अपेक्षाओं के बिल्कुल उलट एक हॉर्नी लड़की की तरह बर्ताव कर रही थी और अब वो मेरे लंड को अपने चेहरे पर फिराने लगी, उसने मेरा लंड अपने माथे पर फिर आँखों फिर नाक गालों होठों और ठोड़ी पर फिराया.

अब उसने मेरे लंड को फिर से चूमना शुरू किया और चूमते चूमते उसने मेरा लंड मुंह में ले लिया, पहले तो सिर्फ काफी देर तक लंड के टोपे को ही चूसती रही. फिर एकाएक उसने मेरे लंड को अपने गले तक अन्दर उतार लिया. मैंने भी उसके मुंह में धक्के लगाने शुरू किए तो उसने मुझे पीछे धकेल कर कहा- मास्टर जी साँस रूकती है, आप मत करो कुछ भी, मुझे ही सब करने दो न!

मैं मुस्कुराया और कहा- जो भी कर रही हो, बड़ा ही मजेदार है, अब तुम्ही करो, मैं कुछ नहीं करूँगा.

मीना ने मेरे लंड को अपने मुंह में रखा और हाथ से पकड़ कर जैसे मंजन कर रही हो, ऐसे दाँतों पर रगड़ने लगी, फिर उसने मेरे लंड की लम्बाई पर अपने मुंह को ऐसे लगा लिया जैसे बांसुरी बजा रही हो और ऐसे ही अपना मुंह मेरे लंड पर रगड़ने लगी.

मैं मीना के इस लंड चूसने की कलाकारी को मुस्कुराते हुए देख रहा था और उसके बालों में हाथ भी फिरा रहा था.

उसने कहा- मास्टर जी, आपको मज़ा तो आ रहा है न?

तो मैंने भी मुस्कुरा कर कहा- मेरी जान, ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया, तुम बस चूसती रहो.

मीना अपनी जीभ से मेरे लंड को ऐसे चाट रही थी जैसे कोई लोलीपॉप या चुस्की गोला हो और उसने अपनी इस कलाकारी से मेरे लंड के टोपे के साथ साथ मेरे पूरे लंड को लाल कर दिया था, अब मेरे लंड की एक एक नस खिंची हुई और साफ़ साफ़ नज़र आ रही थी.

लेकिन मीना का तो जैसे मेरे लंड से मन ही नहीं भर रहा था और उसने मेरा लंड चूसना जारी रखा, उसके थूक से लबरेज़ मेरे लंड पर उसने अपने हाथ का मूवमेंट और तेज़ कर दिया और बस मेरे शरीर में एक तेज़ गनगनाहट हुई, फिर मेरा सारा वीर्य उसके चेहरे पर, गले पर, चुचों पर गिर गया और कुछ को वो वक़्त रहते पी गई या चाट गई
कुछ देर तक हम आराम करते रहे फिर मैने और मीना ने जल्दी से अपने अपने कपड़े ठीक किए और नौर्मल बात करने लगे
 
रात के नौ बज चुके थे सेठानी कभी भी अनचुदी लड़की लेकर उसे पूरी तरह से औरत बनवाने के लिए उस कमसिन लोन्डिया की कमसिन बुर में मेरा लौडा डलवाने के लिए मेरे पास आ सकती थी . वैसे तो मुझे इस खेल में मज़ा आ रहा था पर एक बात मेरी समझ से बाहर थी कि एक औरत को अपने सामने दूसरी औरत की चुदाई करवाकर उसकी सील तुड़वाने में क्या मज़ा आता होगा .




मैं रात साढ़े नौ बजे कमरे में पहुँचा जहाँ मालकिन यानी सेठानी थी . मैं तो एक दम सनसना गया सेठानी चारपाई पर बैठ कर-उस गदरायी छोकरी को गोद में बैठा करउसके मुलायम छोटे छोटे संतरों को धीरे-धीरे दवाती...उसको शायद चुदवा कर मजा लेने के लिए समझा रही थी । वह छोकरी एकदम नंगी थी। उसे देखतेही सुस्त पड़ा लंड एकदम से खड़ा हो गया ।।

छोकरी मीना से थोड़ी ही बड़ी थी । कद काठी मीना की तरह ही थी..

"आओ डियर आओ..आज इस छोकरी को मजा देकर जवान करना है.. और छोकरी से बोली ""चल उठ...जैसे सिखाई हूँ वैसे करके मेरे डियर को पहले मस्त कर..." |, और उसको गोद से उतार दी |

उस मादर जात नंगी गदरायी गदरायी चुचियों वाली हल्के बालों वाली नंगी नई गदराई छोकरी को खड़ी अवस्था में देख मेरा चेहरा और मेरा लंड एकदम से लाल हो गया । |

सेठानी का इशारा पाकर में लड़की के पास आया और मैने लड़की को अपनी बाहों में भर लिया ।

मैने अपने होंठ उस कमसिन गदराई कली के होंठो पर रख दिए और बड़े प्यार से उसके गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठो को चूसने लगा . पर छोकरी पूरी तरह से नादान थी उसे मेरे द्वारा अपने होंठो का चूसा जाना अच्छा तो लग रहा था पर उसे होंठ चूसना और चुसवाना नही आता
था पर कहते हैं ना कि सेक्स की क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसमे आदमी कुछ भी ना जानते हुए भी आसानी से सब कुछ सीख जाता है

कुछ देर तक तो उस कमनीय हसीना को होंठ चुसवाना नहीं आया पर जैसे मैं उसके होंठ चूस रहा था वो उसी तरह मेरी नकल करने लगी
अब मैने अपनी जीब को उस छोकरी के मुँह में डालना शुरू किया . पहले तो उसने अपना मुँह नही खोला पर मेरी जीब के बार बार के आग्रह को वो ज़्यादा देर ठुकरा ना सकी और उसने अपना मुँह खोल दिया . मैने अपनी जीब को उसके मुँह में घुसा कर अंदर का जायज़ा
लेना शुरू किया और मेरी देखा देखी उसने भी अपनी जिब को मेरे मुँह में ठेल दिया मैने उस हसीना की जीब को अपनी जीब से पकड़ लिया और चूसना शुरू कर दिया और एक हाथ से उसके मुलायम संतरों को दबाने लगा /

अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मुलायम संतरे थे जैसे स्पंज की गेंद हों दबाने से छोटी हो जाय और छोड़ने पर पुनः अपने उसी आकार में आ जाय

अब उस कमसिन हसीना को भी मज़ा आना शुरू हो गया था उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी
 
मेरी मोटी जीभ उसके मुंह में समा गयी. मैने उसके पूरे मुंह के अंदर अपनी जीभ को सब तरफ अच्छे से फिराया.उसके मुंह में मेरी जीभ ने उसे पागल कर दिया. उसकी जीभ स्वतः ही मेरी जीभ से खेलने लगी. मैने अपने खुले मुंह से उसके मुंह में अपनी लार टपकानी शुरू कर दी. उसका मुंह मेरे मीठे थूक से भर गया. उसने जल्दी से उसको निगल कर मेरे साथ खुले मुंह के चुम्बन में पूरी तरह से शामिल हो गयी. मैने अपने हाथ उसके पीठ पर फिरा कर उसके दोनों गुदाज़ नितिम्बों पर रख दिए.

मैने अपने होंठों को जोर से उसके मुंह पर दबा कर उसके दोनों चूतड़ों को मसल दिया. वो कामुकता की मदहोशी के प्रभाव से झूम उठी. छोकरी अपने पैर की उंगलियों पर खड़ी हो कर थोड़ा ऊंची हो गयी जिस से मुझ को उसे चूमने के लिए कम झुकना पड़े. मैने उसे अपने दोनों हाथों को उसके नितिम्बों के नीचे रख कर ऊपर उठा लिया और बिस्तर की तरफ ले गया जहाँ सेठानी बैठी हुई हमारी चूमा चाटी देख रही थी


मैं बिस्तर के कगार पर बैठ गया. वो मेरी फ़ैली हुई जांघों के बीच मे खड़ी थी. मैने उसे खींच कर अपनी बाँहों मे भर कर उसके मुंह से अपना मुंह लगा कर उसकी साँसों को रोकने वाला चुम्बन लेने लगा. मेरे दोनों हाथ उसके गुदाज़ चूतड़ों को प्यार से सहला रहे थे, जब मैं उसके नितिम्बों को ज़ोर से मसल देता तो उसकी सिसकारी निकल जाती और वो अपना मुंह और भी ज़ोर से मेरे खुले मुंह से चिपका देती.मैने धीरे-धीरे उसका कुरता ऊपर उठा दिया. मेरे हाथ जैसे ही उसकी नंगी कमर को सहलाने लगे तो उसकी मानो जान ही निकल गयी. उसे अब आगे के सहवास के बारे में आशंका होने लगी. उसकी कमसिन किशोर अवस्था ने उसे मेरे अनुभवी आत्मविश्वास के सामने अपने अनुभव शून्यता और अनाड़ीपन का अहसास करा दिया. उसे फ़िक्र होने लगी की वो कहीं मुझ को सहवास में खुश न कर पाई तो सेठानी को कितनी निराशा होगी. मैने कमसिन लड़कियों साथ चुदाई के लिए कितने दिनों से मन लगाया हुआ था. वो कुछ कहने ही वाली थी पर मेरे हाथों के जादू ने उसे सब-कुछ भुला दिया.


मैने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरक कर पैरों पर इकट्ठी हो गयी. मैने उसके छोटे से सफ़ेद झांगिये के अंदर अपने दोनों हाथ डाल दिए और उसके नग्न चूतड़ों को सहलाने लगा. उसकी सांस अब रुक-रुक कर आ रही थी.उसके मस्तिष्क में अब कोइ भी विचार नहीं रह गया था. उसका सारा दिमाग सिर्फ उसके शरीर की भड़की आग पर लगा था. उस आग को मैने अपने अनुभवी हाथों से और भी उकसा दिया.


उसके मूंह से सिसकारी निकल गयी, "मास्टर जी, हाय ..अह," उसने अपनी दोनों बाँहों को मेरी गर्दन के चारों और ज़ोर से डाल कर उनसे लिपट गयी. मैने बड़ी सहूलियत और चुपचाप से उसकी जांघिया नीचे कर दी. मैने उसका कुर्ता और भी ऊपर कर उसके ब्रा में से फट कर बाहर आने को तड़प रहे उरोज़ों को अपने हाथों से ढक कर धीरे से दबाया. उसकी मूंह से दूसरी सिसकारी निकल गयी.
 
उसकी सिस्कारियों से मुझको उस के भीतर जलती प्रचंड वासना की अग्नि का अहसास दिला दिया.


मैं ने उसके मुंह को चुम्बन से मुक्त कर उसके कुरते को उतार दिया.वो अब सिर्फ ब्रा के अलावा लगभग वस्त्रहीन थी. एक तरफ उसे लज्जा से मुझसे आँखे मिलाने में हिचक हो रही थी और दूसरी तरफ मेरे हाथ, जो उसके गुदाज़ बदन पर हौले-हौले फिर रहे थे, उसकी कौमार्य-भंग की मनोकामना को उत्साहित कर रहे थे. मैने उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसके उरोज़ों को नग्न कर दिया. उसके स्तन उसकी किशोर उम्र के लिहाज़ से काफी बड़े थे. मैने पहली बार उसकी नग्न चूचियों को अपने हाथों में भर किया. मेरे हाथों ने दोनों उरोज़ों को हलके से सहालाया और धीरे-धीरे मसलना शुरू कर दिया. उसका चेहरा कामंगना और शर्म से दमक रहा था. मैने उसका चेहरा अपने हाथों में ले कर बड़े प्यार से चूम कर कहा, " बेटा, तुम जैसी अप्सरा के समान सुंदर लड़की मैने अभी तक नही देखी ."


मेरी प्रशंसा से उसका दिल चहक उठा और उसे सांत्वना मिली कि उसका शरीर भी कयामत है जो किसी को अच्छा लगता है

मैने आहिस्ता से गोद में उठाकर कर उसे बिस्तर पर सीधे लिटा दिया. उसने शर्मा कर अपने एक हाथ से अपने बड़े उरोज़ों और दूसरा हाथ अपनी जांघों के बीच, गुप्तांग को ढक लिया.

मैं उसे शर्माते देख कर मुस्कुराया और अपने कपडे उतारने लगा. मैने पहले अपने जूते और मोज़े उतार कर पतलून निकाल दी. मेरी जांघें किसी मोटे पेड़ के तने की तरह विशाल और घने बालों से भरी हुईं थीं. मैने बौक्सर-जांघिया पहना हुआ था.मैने अपनी कमीज़ खोल कर अपने बदन से दूर कर ज़मीन पर फ़ेंक दी. मेरे भीमकाय शरीर ने उसकी वासना को और भी उत्तेजित कर दिया. मेरा सीना घने घुंगराले बालों से आवृत था. मेरे सीने के बाल पेट पर भी पूरी तरह फ़ैल गए थे.

लोन्डिया सांस रोक कर मुझको अपना जांघिया उतारते गौर से देख रही थी. मैं जब जांघिये को अलग कर खड़ा हुआ तो मेरा गुप्तांग उसकी आँखों के सामने था. मेरा लंड अभी बिकुल भी खड़ा नहीं था फिर भी वो उसकी भुजा के जितना लंबा था. मेरे लंड का मोटाई उसकी बाजू से भी ज़्यादा थी. उसकी सांस मानों बंद हो गयी. उसे मेरे लंड को देख कर अंदर ही अंदर बहुत डर सा लगा.


मैं बिस्तर पर उसकी तरफ को करवट लेकर उसके साथ लेट गया. मैने उसके होंठो पर अपने होंठ रख कर धीरे से उसके होंठों को अलग कर दिया. मेरी जीभ उसके मूंह में समा गयी. उसकी दोनों बाँहों ने स्वतः मेरी गर्दन को जकड़ लिया. मैने उसके उरोज़ों को सहलाना शुरू कर दिया. वो अब मेरे मुंह से अपना मुंह ज़ोर से लगा रही थी. हम दोनों के विलास भरे चुम्बन ने और मेरे द्वारा उसकी चूचियों के मंथन ने उसकी बुर को गरम कर दिया, उसकी बुर में से पानी बहने लगा.
 
मैने अपना मुंह उसके मुँह से अलग कर उसकी दायीं चूची के ऊपर रख दिया. उसके दोनों उरोज़ों में एक अजीब सा दर्द हो रहा था. मैं एक हाथ से उसकी दूसरी चूची को हलके हलके मसल रहा था . उसकी सांस बड़ी तेज़ी से अंदर बाहर हो रही थी. उसके दोनों हाथ अपने आप मेरे सर के ऊपर पहुँच गए. वो मेरा मुंह अपनी चूची के ऊपर दबाने लगी. मैं उसकी चूची की घुंडी को अंगूठे और उंगली के बीच में पकड़ कर मसलने लगा और होंठों के बीच में उसका दूसरा चूचुक ले कर उसको ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया.


उसके सारे शरीर में अजीब सी एंठन फ़ैल गयी. मेरे हाथों ने उसके दोनों संवेदनशील उरोज़ों से खेल कर उसकी बुर में तूफ़ान उठा दिया. उसकी बुर में जलन जैसी खुजली हो रही थी. मेरा दूसरा हाथ उसकी बुर के ऊपर जा लगा. मैं अपने बड़े हाथ से उसकी पूरी बुर ढक कर सहलाने लगा. वो अब ज़ोरों से सिस्कारियां भर रही थी. मैने उसके उरोज़ों का मीसना और भी तेज़ कर दिया और दुसरे हाथ की हथेली से उसकी पूरी बुर को दृढ़ता से मसलने लगा.

"आह, अह..अह..मास्टर जी, मुझे अजीब सा लग रहा है, ऊं.. ऊं अम्म..मैं ...आ ..आ ... उफ़, " वो सीत्कारिया मार कर अपने शरीर में दोड़ती विद्युत धारा से विचलित हो चली थी. उसके कुल्हे अपने आप बिस्तर से ऊपर उठ-उठ कर मेरे हाथ को और भी ज़ोर से सहलाने को उत्साहित करने लगे.

मैने उसकी एक चूचुक को अपने दातों के बीच में दबा कर नरमी से काटा, दुसरे चूचुक को अंगूठे और उंगली में हलके भींच कर अहिस्ता से उसकी चूची से अलग खींचने के प्रयास के साथ-साथ अपने बुर के ऊपर वाले हाथ के अंगूठे को उसके भागंकुर के ऊपर रख उसे मसलने लगा.

मैने उसके वासना से लिप्त अल्पव्यस्क नाबालिग किशोर शरीर के ऊपर तीन तरह के आक्रमण से उसकी कामुकता की आग को प्रज्जवलित कर दिया.
 
उसके पेट में अजीब सा दर्द होने लगा, वैसा दर्द उसकी दोनों चूचियों में भी समा गया. कुछ ही क्षणों में वह दर्द उसकी बुर के बहुत अंदर से उसे तड़पाने लगा. उसके सारे शरीर की मांसपेशियां संकुचित हो गयीं.

"मैं .. आ.. आ.. मेरी बुर जल रही है. मैं आह आह अँ ..अँ अँ अँ ऊओह ऊह ," उसके मूंह से चीख सी निकल पडी.

मैने यदि उसकी पुकार सुनी भी हो तो उसकी उपेक्षा कर दी और उसकी चूचियों की घुंडियों को अपने मुंह और हाथ से तड़पाने लगा. उसकी बुर और भगशिश्निका को मैं और भी तेज़ी से मसलने लगा.

"मैं वो झड़ने वाली हूँ. मेरी बुर झाड़ दीजिये मास्टर जी ..ई. ई...आह." उसका शरीर निकट आ रहे यौन-चमोत्कर्ष के प्रभाव से असंतुलित हो गया.

वो यदि मेरे ताकतवर बदन से नहीं दबी होती तो बिस्तर से कुछ फुट ऊपर उठ जाती. उसके गले से एक लम्बी घुटी-घुटी सी चीख के साथ उसका यौन-स्खलन हो गया. उसके कामोन्माद के तीव्र प्रहार से उसका तना हुआ बदन ढीला ढाला हो कर बिस्तर पर लस्त रूप से पसर गया. मैने . तीनो, कामुकता को पैदा करने वाले, अंगों को थोड़ी देर और उत्तेजित कर उसके निढाल बदन को अपनी वासनामयी यंत्रणा से मुक्त कर दिया.



मैं उसे अपनी बाँहों में भर कर प्यार से चूमने लगा. वो थके हुए अंदाज़ में मुस्करा दी. उसके अल्पव्यस्क किशोर शरीर को प्रचण्ड यौन-स्खलन के बाद की थकावन से अरक्षित देख मेरा वात्सल्य मेरे चुम्बनों में व्यक्त हो रहा था.

"मैं, म्मै ऐसे कभी भी नहीं झड़ी," उसने भी प्यार से मुझ को वापस चूमा.

" बेटा, अभी तो यह शुरूवात है," मैने उसकी नाक को प्यार से चूमा. मेरा एक हाथ उसके उरोज़ों को हलके-हलके सहला रहा था.

मैं और वो अगले कई क्षण वात्सल्यपूर्ण भावना से एक दुसरे को चूमते रहे. मैं कुछ देर बाद उठ कर उसकी टागों के बीच में लेट गया.
 
मैने उसके दोनों घुटनों को मोड़ कर उसकी जांघे फैला दीं. अब मेरा मूंह उसकी बहुत गीली बुर के ऊपर था.

उसकी सांस मेरे अगले मंतव्य से उसके गले में फँस गयी. मैं उसकी भीगी झांटों को अपने जीभ से चाटने के बाद उसकी बुर के दोनों भगोष्ठों को अलग कर उसकी गुलाबी कोमल कुंवारी बुर के प्रविष्ट -छिद्र को अपनी जीभ से चाटने लगा. उसकी वासना फिर पूर्ण रूप से तीव्र हो गयी.

मैने अपने हाथों को उसकी टांगों के बाहर से लाकर उसके दोनों फड़कते उरोज़ों को अपने काबू में ले लिया. मैने उसकी बुर अपनी मोटी खुरदुरी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. मैने दोनों चूचियों के मंथन के साथ साथ उसके भागान्कुन का मंथन भी अपने दातों से करना शुरू कर दिया था.

मेरे भग-चूषण ने उसकी सिस्कारियों का सिलसिला फिर से शुरू कर दिया.

सेठानी मेरी कामकला को अपनी बुर सहलाते हुए नशीली आँखो से देख रही थी उसका चेहरा लाल हो रहा था शायद वो सब कुछ अपने साथ फील कर रही थी

मैने अपना मूंह उस लोन्डिया की बुर से अचानक हटा लिया. वो बड़ी ज़ोर से आपत्ती करने के लिए कुनमुनाई, तभी मैं अपनी जीभ से उसकी गांड के छोटे से छेद को चाटने लगा. उसके होशोअवास उड़ गए. उसने अपनी छोटी सी ज़िंदगी में इतना वासना का जूनून कभी भी महसूस नहीं किया था. मैने अपना थूक उसकी गांड पर लगा दिया. उसकी गांड का छल्ला फड़कने लगा. मेरी बदस्तूर कोशिश से मेरी जीभ की नोक उसकी गांड के छिद्र में प्रविष्ट हो गयी. उसके मूंह से बड़ी ज़ोर से सिसकारी निकल गयी. मैने अपने एक हाथ से उसके उरोंज़ को मुक्त कर उसकी बुर की घुंडी का मंथन करने लगा. वो हलक फाड़ कर चीखी,"मैं, वो झड़ने वाली हूँ. मेरी बुर झाड़ दीजिये...आह ..आह."
 
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