Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 6 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

समीर का इंजेक्सन झटके मार रहा था, बेचारा मन मसोसकर रह गया, और समीर उठकर संजना के आफिस में चला गया।

समीर- “मे आई कमिन मेडम?"

संजना- आओ आओ समीर। गुप्ताजी का माल ट्रांसपोर्ट पर नहीं पहुंचा। अभी-अभी गुप्ता जी का फोन था।

समीर- मेम गाड़ी निकले अभी 15 मिनट हुए हैं। 15 मिनट बाद ट्रक पहुँच जायेगा।

संजना- कहो क्या बात है?

समीर- मेडम थॅंक यू बोलना है?

संजना- अभी?

समीर- हाँ मेम।

संजना- क्या बात है, कैसे मूड बन गया तुम्हारा?

समीर- आप बहुत ब्यूटिील हो मेम... आपकी बैठे-बैठे याद आ गई।

संजना ने बाहर गार्ड को फोन मिलाया- “हेलो बहादुर, एक घंटा किसी को मेरे आफिस में नहीं भेजना। मैं मीटिंग में बिजी हूँ..."

बहादुर- जी मेम।

संजना- “जाओ दरवाजा बंद कर आओ.." और संजना अपनी शर्ट उतारने लगी।

समीर ललचाई आँखों से संजना को देख रहा था। संजना की चूचियां आजाद हो चुकी थीं, संजना टहलती हुई समीर के पास आई, और टेबल पर बैठकर समीर की शर्ट उतारने लगी। समीर छोटे बच्चे की तरह संजना के सामने खड़ा था, और संजना ने जीन्स के ऊपर से ही लण्ड पकड़ लिया।

संजना- “क्या बात है बड़ी प्यास लगी है मेरे सोना को... लाओ मैं बुझा दूं इसकी प्यास... कैसे पिंजरे में कैद किया हुआ है मेरे जिगर के टुकड़े को.."

समीर की हाय निकल गई- “स्सीईई... उम्म्म... उफफ्फ... मेडम्म..."

संजना बाहर से ही लण्ड सहलाती रही, और कहा- “कैसा लग रहा है समीर?"

समीर- "उफफ्फ... अहह... उम्म्म्म
... मजा आ रहा है ओर... मेडम बाहर निकालकर कर दो..."

संजना- “अच्छा जी... बाहर निकाल लूँ तुम्हारे मुन्ना को?” और संजना ने समीर की पैंट भी उतार दी।
लण्ड एकदम विकराल रूप लिए हुए था।

संजना- समीर इसे क्या हुआ है? ये तो लगता है बड़ी जल्दी में है।

समीर- जी मेम, अपना घर दिखा दो बिचारे को।

संजना- “पहले मेरा आफिस तो दिखा दूं इसे। घर बाद में देख लेगा..." और लण्ड को पकड़कर मुँह में भर लिया।
 
समीर बोलने लगा- “उईईई आईई सस्स्स्सी ... आहह... हाय मेरी जान ऐसे ही चूस मेरा लण्ड... अपनी चूत में भी घुसवा आअहह..."

समीर अभी तक बड़े ही प्यार से बोलता आया था संजना से। अब ऐसी चेनजिंग आ जायेगी ये तो संजना भी नहीं जानती थी। मगर संजना भी समीर के रंग में रंग चुकी थी।

संजना- “आहह... मेरे राजा क्या मस्त लौड़ा है तेरा... मेरी तो सूनी जिंदगी में बाहर ला दी इसने... घुसा दे इस लण्ड को मेरी चूत में..” और संजना टेबल पर लेट गई।

समीर ने चूत के सेंटर पर लण्ड टिका दिया।

संजना की सिसकी निकलने लगी- "उहह... इसस्स्स... उम्म्म्म
... समीर्रर..."

मगर समीर ने लण्ड अंदर नहीं डाला, बस चूत पर सहलाता रहा। संजना की तड़प देखने लायक बन चुकी थी।

संजना- "ओहह... समीर क्या कर रहे हो? डाल भी दौ अंदर...” चूत इतनी गीली हो चुकी थी की संजना की जान पर बन आई थी। एक पल और रुकना नामुमकिन था। संजना थोड़ा गुस्से में- “समीर डाल ना..."

समीर ने वो झटका मारा की गेंद बाउंड्री पर सिक्सर... लण्ड दनदनाता बच्चेदानी तक पहुँच गया।

संजना- “उईई माँ... मार दिया रे.."

समीर- क्या हुआ मे म, मजा नहीं आया मेरे शाट से?

संजना- "इतना फास्ट भी कोई खेलता है, एक बाल में सेंचरी मरेगा क्या? धीरे-धीरे शाट लगा..."

समीर ने बड़े ही धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कए।

संजना आनंद के सागर में बह निकली- "हाँ ऐसे ही... अब आया ना मजा... आहह... धीरे-धीरे बाल्लमा... जरा हौले हौले बाल्लमा... हम भी नीचे हैं तुम्हारे... आहह... ओहह... उम्म्म्म ... करो और तेज चोदो... अंदर तक ले जाओ..
आहह... समीर तेज करो और तेज्ज... और तेज्ज... कमोन और फास्ट फास्ट जोर से मारो धक्का...” और संजना नीचे से चूतड़ उठा-उठाकर धक्के लगाने लगी और कमर में नाखून गड़ा लिए।

दोनों मस्ती में एक साथ झड़ गये।

समीर झड़ते हुए बड़बड़ाया- “आअहह... तेरी आअहह..."

शुकर था संजना कुछ समझ ना पाई। अभी तो समीर को दिव्या का रिश्ता भी माँगना है संजना से। समीर की प्यास बुझ चुकी थी।

समीर- मेम, क्या मैं घर जा सकता हूँ?

संजना- क्यों आजकल काम में मन नहीं लगता तुम्हारा, बहुत छुट्टी माँगते हो समीर।

समीर- नहीं मेम, ऐसी कोई बात नहीं है। मेरी बहन का फोन आया था। घर में अकेली है इसलिए बोल रही थी की आप जल्दी आ जाओ।

संजना- ओहह... आजकल क्या कर रही है तुम्हारी बहन नेहा?

समीर- अब तो शादी की सोच रहे हैं। कोई लड़का मिल जाय तो हम दोनों की शादी एक साथ हो जाय।
 
संजना- ओह्ह... क्या तुमने अपने लिए लड़की ढूँढ ली?

समीर- नहीं मेम, अभी नहीं।

संजना- अच्छा तुम जाओ। कभी नेहा को अपने साथ ले आना।

समीर-जी मेम।

समीर के जाने के बाद, संजना के दिल में एक खयाल आता है। समीर कितना खूबसूरत है और इंटेलिजेंट भी बहत है। क्या दिव्या के लिए सही रहेगा? यहीं एक मकान दे देंगे, और संजना ने दिव्या को फोन मिलाया।

संजना- हाय दिव्या कैसी है तू?

दिव्या- दीदी मजे में हूँ।

संजना- “और कब तक रहेगी वहां?”

दिव्या- “दीदी, सनडे में आ जाऊँगी..."

संजना- दिव्या एक बात बता, समीर तुझे कैसा लगता है?

दिव्या- क्या हुआ दीदी?

संजना- बोल तो कैसा लगता है?

दिव्या- हाँ खूबसूरत है, स्मार्ट भी।

संजना- शादी करेगी उससे?

दिव्या- क्या कह रही हो दीदी? मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा।।

संजना- सोचकर बता मुझे जब तक तू हाँ नहीं बोलेगी, मैं बात आगे नहीं बढ़ाऊँगी।

दिव्या- "ओके दीदी मैं सोचकर बताती हूँ..” और फोन कट गया। दिव्या के चेहरे पर सेक्सी स्माइल आ गई, और समीर के नंबर पर मेसेज भेज दिया।

दिव्या- हाय।

समीर अभी बाइक ड्राइव कर रहा था, तो उसे दिव्या के मेसेज का पता नहीं चला, और दिव्या जवाब का इंतेजार करती रही।

गेट अंदर से बंद था। समीर सोचने लगा- "टीना पता नहीं अंदर क्या गल खिला रही होगी?" और समीर का हाथ बेल बजाते-बजाते रुक गया।

समीर मन में- “आज इनकी रासलीला देखते हैं..." और समीर दीवार फांदकर छत के रास्ते घर में घ धीरे से नेहा के रूम में झाँकने लगा।

अंदर सिसकारियां गूंज रही थीं- “आहह... नेहा की बच्ची... तेरी वजह से आज्ज मेरी सील नहीं टूटी... अब बुझा इसकी आग तू."

समीर को और जो नजर आया वो तो कभी समीर सोच भी नहीं सकता था। नेहा टीना की चूत को चाट रही थी “उफफ्फ... यार तू तो कमाल की चू साई करती है, फिर भी आज तक लण्ड नहीं चूस पाई.."

नेहा ने अपना मुँह चूत से हटाया, और कहा- “साली कुतिया, सारे मजे तू ही लेती है और मुझसे अपनी भी सेवा करवा रही है... चल हट मुझे लेटने दे..." फिर नेहा अपने पैर खोलकर टीना की तरफ कर दी- “अब तू चूस्स..."

टीना ने नेहा की चूत के होंठ अपने होंठों में भींच लिए।

नेहा की उई निकल गई- “सस्सीईई... आहहह... टीन्ना यार मजा आ रहा है। एक बार बस लण्ड डलवाकर देख ले। फिर बताना किसमें ज्यादा मजा है? मुझे तेरी बातों से कभी-कभी शंका होती है की तू कुँवारी है भी या नहीं?"

मगर टीना अपनी जीभ का कमाल नेहा को दिखाती रही। नेहा की चूत की दरार खल सी गई, टीना की जीभ ने चूत में एंट्री कर दी।

उफफ्फ... नेहा की हालत खराब थी, और इधर समीर की हालत भी। टीना मस्ती में मगन चूसती रही और समीर लण्ड को मसलने लगा। तभी समीर को कुछ आईडिया आया, और समीर ने वापस छत से घर के बाहर पहुँचकर डोरबेल बजा दी।
 
नेहा की हालत ऐसी नहीं थी की वो देखने जाये की बाहर कौन आया है? नेहा बोली- "इस वक्त कौन आ सकता है? सारा मजा किरकिरा कर दिया। टीना देख तो कौन है?"

टीना ने टी-शर्ट डाली और दरवाजा खोल दिया। सामने समीर को देखकर टीना की खुशी का ठिकाना ना रहा और समीर से लिपट गई- “ओहह... समीर मुझे मालूम था तुम जरूर आओजो..."

समीर- पहले ये बता नेहा कहां है? और तुम दोनों क्या गुल खिला रही थी?

टीना- क्या भइया तुम तो... हम तो ऐसे ही बैठे बातें कर रहे थे।

समीर- "मुझे पागल समझती है त? ये सब क्या है?" कहकर समीर ने टीना की टी-शर्ट नीचे से पकड़कर ऊपर कर दी।

अफफ्फ टीना को समीर से ये उम्मीद नहीं थी। नीचे टीना ने कुछ नहीं पहना था। टीना की गुलाबी कोमल चूत समीर की नजरों के सामने आ गई।

समीर- अब बोल तू?

टीना- सारी भइया।

समीर- सारी से काम नहीं चलेगा। इसकी सजा तो मिलेगी।

टीना- भइया क्या सजा देना चाहते हो?

समीर- “आज रात यहीं रुकना पड़ेगा..”

तभी अजय की बाइक की आवाज समीर को सुनाई देती है।

समीर- “चल तू जल्दी से अंदर जाकर अपने कपड़े ठीक कर, पापा आ गये। इस हालत में तुझे देख लिया तो पता नहीं क्या होगा?"

टीना- “ओके भइया..." और टीना मंद-मंद मुश्कुराती हुई नेहा के रूम में जाने लगी। और मन ही मन कहने लगी

"समीर तुम्हें क्या पता अंकल भी इस मक्खन के कितने दीवाने हैं... पता नहीं इस मक्खन पे पहले बाजी कौन मारता है, बेटा या बाप?" और सेक्सी स्माइल के साथ नेहा के रूम में पहुँच गई

अजय ने बाइक पार्क की और घर में एंटर हुआ- "बेटा समीर, आज कंपनी से जल्दी आ गये?"

समीर- जी पापा अभी-अभी आया हूँ।

अजय- बेटा मेरा एक काम करेगा?

समीर- जी पापा बोलिए।

अजय- मेरे एक दोस्त हैं महेश। उसकी बेटी की सगाई है आज बहुत जोर दे रहा था परिवार के साथ आना है जरूर। मेरी तबीयत ठीक नहीं है और तेरी माँ भी भजन कीर्तन में गई है। तू नेहा को लेकर चला जा मुश्कान रिजार्ट में..."

समीर- जी पापा नेहा को बोलता हूँ तैयार हो जाये।

नेहा तब तक बाथरूम में घुस चुकी थी।

समीर- नेहा जल्दी से निकल, हमें कहीं जाना है।

टीना- भइया कहां जा रहे हो हमें छोड़कर?

समीर- "टीना तुझे कहां छोड़ रहा हूँ? आज रात तो तेरी सुहागरात है। तब तक तू सज संवार ले। थोड़ी वहां पर वीट क्रीम भी लगा लियो..."

टीना- धत्.. बेसरम।

समीर- तेरे से कम हूँ।

तभी नेहा बाथरूम से बाहर निकलती है, और समीर नेहा को देखता रह गया। उफफ्फ क्या लग रही थी गीले बालों में तौलिया लपेटे हुए। समीर एकटक नेहा को निहारने लगा।

टीना ने नोट किया- “वाह जी वाह... समीर भइया मझसे बोलते हो नेहा के सामने ये मत कर, वो मत कर... आज खुद भी नेहा की चूचियां कैसे घूर रहे हैं?"

समीर भी जल्दी से फ्रेश होकर नेहा के साथ निकल जाता है। समीर की बाइक पर नेहा दोनों तरफ पैर करके बैठ गई।
 
समीर भी जल्दी से फ्रेश होकर नेहा के साथ निकल जाता है। समीर की बाइक पर नेहा दोनों तरफ पैर करके बैठ गई।

अजय और टीना दोनों को विदा करके अंदर आ गये। अजय ने दरवाजा बंद किया और टीना को बाहो में भर लिया, और कहा- “तुमने मेरा फोन क्यों नहीं उठाया?"

टीना- अंकल नेहा मेरे साथ थी उसको शक हो जाता तो?

अजय- चल बेडरूम में चलते हैं। आज तुझे जी भरकर केला खिलाऊँगा। जिस तरह तुझे अच्छा लगे वैसे ही खिलाऊँगा।

"क्या प्लान

टीना- ओहह... अंकल यू आर ग्रेट... कितना खयाल रखते हो मेरा?" टीना अजय से लिपटती बनाया आपने समीर और नेहा को भगाने का? आपके माइंड की दाद देनी पड़ेगी..."

अजय- खाली दाद देने से कम नहीं चलेगा आज।

टीना- फिर अंकल मुझे क्या करना होगा आज?

अजय- टीना बेटा, मुझे आज तेरी हंडिया से मक्खन निकालना है।

टीना- आपको मक्खन पसंद है?

अजय- मुझे बहुत पसंद है। और तुझे?

टीना- मुझे तो केला ही अच्छा लगता है, और उसकी मलाई भी।

अजय टीना का हाथ पकड़कर अपने बेडरूम में ले गया। फिर कहा- “टीना बेटे, आज केले की मलाई और हंडिया का मक्खन निकालते वक्त कहीं अंजली या किरण हमें डिस्टर्ब ना कर दें? पहले कन्फर्म कर लूँ...” और अजय अंजली को काल करता है।

अजय- हेलो अंजली कहां हो?

अंजली- बाबाजी का किर्तन चल रहा है, आने में दो घंटे लग जायेंगे।

अजय- “ओके..." और अजय काल डिसकनेक्ट कर देता है, फिर कहा- “आ जा मेरी मक्खन मलाई अब बता ये दो घंटे कैसे गुजारने हैं?”

टीना- अंकल पहले मुझे केला चूसने दो।

अजय- “आज पहले मैं अपने दिल की ख्वाहिश पूरी कर लूँ.." और अजय ने टीना को बाहों में भर लिया

टीना- “ऊऊव... आह्ह... अंकल कर लो अपने दिल की ख्वाहिश पूरी... मैं नहीं रोकूगी आज आपको..”

अजय- वाह मेरी स्वीट हार्ट क्या मस्त चीज है तू... आज मुझे अंदर से भी दिखा दे।

टीना- अंदर से क्या देखना है आपको?

अजय ने टीना की चूचियों को पकड़ लिए- “ये जो गुब्बारे छुपा रखे हैं तूने...”

टीना- अरे... अंकल आप इस उमर में भी गुब्बारे फुलाते हो? गुब्बारे फुलाने का काम तो बच्चों का है।

अजय- “आज तो मुझे बचपन का खेल याद आ गया। आज तेरे गुब्बारों की ऐसी हवा भरूंगा की देखना तुम भी क्या याद करेगी?” और अजय ने टीना की टी-शर्ट ऊपर उठाकर निकाल दी।

टीना ने नीचे सिर्फ पैंटी पहनी थी। ब्रा पैंटी में क्या लग रही थी टीना। अजय की आँखें चौधिया गईं। अफफ्फ... क्या अनछुई कली थी टीना की चूचियां। अजय तो देखकर मस्त हो गया। जीभ होंट लबलबा गई और चूचियों की निप्पल मुँह में भर लिया।

टीना- “हाय अंकल स्स्सीईई आह्ह.. उफफ्फ... सस्स्स्सी ... भर दो इनमें हवा अंकल... सस्स्स्सी ..."
 
अजय को मालूम था टीना एक मासूम कली है, और काली को फूल बनाना कोई आसान काम नहीं होता।
टीना- हाय अंकल कैसी बेचैनी बढ़ने लगी मुझे?

अजय- यही तो इस उमर का खेल है, और इसमें बड़ा मजा मिलने वाला है तुम्हें। टीना उस मजे को देखना
चाहोगी?

टीना- हाँ अंकल जरूर।

अजय सरकता हुआ पैंटी तक पहुँच गया, और पैंटी को साइड से सरका दिया। क्या मदमस्त चूत नजर आई अजय को, और अजय के होंठ चूत के होंठों से टकरा गये।

टीना- "उईईई अंकल उम्म्म्म
... अम्मी आईई इसस्स्स ... क्या कर दिया आपने?"

अजय टीना की चूत की गहराइयों में अपनी जीभ फिरा-फिराकर अंदर-बाहर करने में लगा था।

अजय- टीना मेरी बच्ची, मैं तेरी हंडिया से मक्खन निकालने की कोशिश कर

टीना- “उम्म्म्म ... इस्स्स्स ... सच्ची अंकल आहह... उम्म्म... मक्खन ऐसे नहीं निकलेगा... आज आपको मेरी हंड़िया में अपनी वो डालनी पड़ेगी..."

अजय- “तेरी हंडिया बहुत छोटी है, और मेरी वो बहुत बड़ी है। पहले तेरी हंडिया तो बड़ी कर लूँ?"

टीना- अंकल अब सबर नहीं होता प्लीज़्ज़... निकाल लो मक्खन अपनी इस लो से।

अजय- देख लो फिर बाद में ये ना कहना की अंकल दर्द हो रहा है।
 
टीना पूरे जोश में आ चुकी थी, कहा- "अरे... अंकल आप डालिए तो... अब मैं कोई बच्ची नहीं जो थोड़ा दर्द भी बर्दाश्त ना कर सकूँ.." और टीना ने अजय का लण्ड अपने हाथों में पकड़ लिया।

टीना एकदम बिन पानी मछली जैसे तड़प रही थी और टीना से कंट्रोल नहीं हो रहा था। टीना ने लण्ड को अपनी चूत पर रख दिया, और कहा- "अंकल कम ओन... निकाल लो इंडिया से आज सारा मक्खन..."

अजय भी पूरे जोश में था, लण्ड चूत की फाँक से टिका दिया, और पूछा- "टीना तुम तैयार हो?"

टीना- "हाँ अंकल कम ओन...”

अजय ने चूत पर लण्ड का हल्का सा दबाव दिया, मगर लण्ड स्लिप हो गया।

टीना- क्या हुआ अंकल? –

अजय बेटा, अबकी बार चला जायेगा..” और इस बार अजय ने थोड़ा तेज झटका मारा, मगर इस बार भी कामयाब नहीं हुआ।

टीना- क्या हुआ अंकल, कुछ लगा लीजिए?

अजय ने खूब सारा थूक चूत पर लगाया और अपने लण्ड को भी थूक से चुपड़ लिया। फिर लण्ड को चूत पर टिकाकर धक्का लगाया, तो लण्ड चर्रर की आवाज के साथ घसता चला गया।

टीना- “उईई माँ मर्रर गई आज तो... अंकल हाईई इसस्स्स... निकाल लो प्लीज़्ज... बाहर निकाल लो अंकल... उफफ्फ... आईई... इसस्स्स ."

अजय- बेटा बस हो गया... सबर कर जितना दर्द होना था हो गया।

टीना- हाय अंकल, मेरी जान निकल रही है प्लीज़्ज़... बाहर निकाल लो इस्स्स..."

अजय- “टीना मेरी बच्ची, बस और अंदर नहीं करूँगा.." और अजय कुछ देर यूँ ही लण्ड डाले हुए चूचियों को मसलता रहा।

टीना को थोड़ी देर में कुछ राहत सी मिली।

अजय- टीना बेटा, अब दर्द कैसा है?

टीना- "इसस्स्स... हाँ कुछ कम है आह्ह.."

अजय लण्ड को बाहर की तरफ खींचने लगा। टीना फिर से तड़पने लगी। अजय चूचियों के निप्पल चूसता रहा जिससे टीना को कुछ राहत मिल रही थी। फिर अजय ने एक ऐसा शाट मारा की इस बार लण्ड सील तोड़ता हुआ अंदर जड़ तक समा गया। टीना की एक जोरदार चीख रूम में गूंज गई।

टीना- “मम्मीईईई मर गईई.." ... करती रही।

अजय अब रुकने वाला नहीं था। शाट पर शाट मारता गया। टीना आहह... उईईई... इस्स्स्स दनादन धक्के पर धक्के लगाता रहा। टीना भी नार्मल हो चुकी थी।

टीना- "अयाया अंकल, तुमने तो मेरी आज जान ही ले ली थी..."

अजय- क्यों, अब कैसा लग रहा है?

टीना- “हाँ करते रहो अंकल, अच्छा लग रहा है... आहह... फच-फच-फच..." टीना का मक्खन निकलने वाला था
और टीना को घबराहट महसूस होने लगी और टीना अजय की तरफ उठती चली गई।

अजय- हाय टीना, तेरा मक्खन तो निकल गया... मेरी मलाई निकलने वाली है।

टीना- “हाँ लाओ अंकल मलाई तो मुझे भी चूसनी है..” और टीना ने लण्ड को मुँह में भर लिया।

अजय ने दो-तीन झटके मुँह में लगाया, और झड़ गया। टीना सारा रस चाट गई।

अजय- मजा आ गया... क्यों टीना तुम्हें कैसा लगा?

टीना- “अंकल ये केला तो जादू की छड़ी जैसा है, कितना दर्द दिया पहले और फिर तो बस ऐसा लग रहा था
अंकल की आपसे जितना हो सके तेज-तेज करते रहो...” तभी अजय की नजर घड़ी की त तो दो घंटे बीत चुके थे। अंजली और किरण किसी भी वक्त पहुँच सकती थी।
 
अजय- "टीना बेटा, जल्दी से कपड़े पहन लो। कहीं अंजली या किरण को शक हो गया तो मुसीबत में पड़ जायेंगे." कहकर अजय ने फटाफट पैंट शर्ट पहनी और रूम से बाहर निकल गया, और दरवाजे का बंद खोल दिया।

टीना भी कपड़े पहनकर बेड से नीचे उतरी। मगर टीना के पैर जमीन पर रखे नहीं जा रहे थे। टांगों में इस कदर अकड़ाहट हो रही थी। टीना को चूत में ऐसा लग रहा था जैसे उसकी चूत अंदर से छिल गई हो। टीना ने जैसे तैसे बेड की चादर सही की और बाथरूम में पहुंचकर थोड़ा फ्रेश हुई। इस दौरान अजय रूम में बैठा टीवी देखने लगा।

तभी दरवाजा खुलने की आवाज हुई। अंजली और किरण अंदर आ गई थी।

अंजली- आपको कितनी देर हो गई आये हुए?

अजय- दो घंटे हो गये।

तभी टीना भी बाहर आ जाती है। टीना से ठीक से चला नहीं जा रहा था।

किरण- तुझे क्या हुआ, क्यों लड़खड़ा कर चल रही है?

टीना- मम्मी मेरा पैर फिसल गया।

किरण- तुझसे कितनी बार कहा है, इतनी ऊँची सेंडल मत पहना कर। चल अब घर चलते हैं।

अजय- अरे... भाभीजी बैठो, चली जाना।

किरण- भाई साहब, अभी तो मुझे सब्जी भी बनानी है।

अजय- आज क्या सब्जी बनाओगी?

किरण भी एक स्माइल देते हुए- “बैगन की सब्जी, खानी है आपको?"

अजय- "आज नहीं फिर कभी खायेंगे आपकी सब्जी..."

अजय और किरण में बात भी हो गई और अंजली और टीना को कुछ शक भी नहीं हुआ, और किरण टीना को लेकर चली गई।
*****
*****
समीर और नेहा पार्टी में मसगूल थे। आज नेहा भी गजब की हसीन लग रही थी। सबकी नजरें नेहा को निहार रही थीं, और समीर के मोबाइल पर मेसेज की टोन बजती है। समीर फोन देखता है।

दिव्या के 4 मेसेज आये हुए थे, दो घंटा पहले ही।

फिर- हेलो।
फिर- बिजी हो कोई जवाब नहीं?
अब क्या हुआ? समीर जवाब क्यों नहीं दे रहे?

समीर- ओह्ह... गुड दिव्या के इतने मेसेज? क्या बात है आज?
समीर- हाय दिव्या हाउ आर यू?

दिव्या- कहां बिजी हो, कब से मेसेज कर रही हूँ?

समीर- हाँ, मैंने अभी देखा। मैं ड्राइव कर रहा था मुझे पता नहीं चला।

दिव्या- गेम खेलोगे गाने वाला?

समीर- हाँ हाँ क्यों नहीं? लेकिन अभी मैं एक पार्टी में हैं। रात में खेलते हैं।

दिव्या- ओके जब फ्री हो जाओ, मेसेज कर देना।

समीर- "ओके दिव्या बाइ..."

समीर मन में- “आज कहां फ्री होऊँगा... आज तो मुझे टीना का महरत करना है। आज रात तो हमारी सुहागरात है...”

ये सोचते ही समीर के लण्ड में झटका सा लगा। समीर मन में- “मेरे मुन्ना थोड़ा सब्र कर। आज तुझे बंद कली को फूल बनाना ... तेरे इंतजार में वहां सूख रही होगी..” और समीर नेहा के पास जाता है।

समीर- नेहा चलें अब?

नेहा- हाँ भइया चलिए।

समीर महेश अंकल से विदा लेकर निकल गया। समीर के मन में लड्डू फूट रहे थे।बस माइंड में टीना का चेहरा ही नजर आ रहा था। पीछे बाइक पे बेठी नेहा की कटोर चूचियां भी समीर को महसूस नहीं हो रही थीं। समीर सिर्फ टीना को सोचते हए बाइक चला रहा था। आज ये रास्ता भी समीर से कट नहीं रहा था। रात के 8:00 बजे दोनों घर पहुँचते हैं।

समीर सोचता है- “काश... टीना आये दरवाजा खोलने..".

समीर को जाने क्यों आज टीना के अलावा कछ नहीं सूझ रहा था। आज बस टीना मिल जाय तो उसकी मदमस्त जवानी से खेलूं रात भर, और यही सब सोचते हुये डोरबेल बजाता है।

अंजली ने दरवाजा खोला- “आ गये मेरे बच्चों.."

नेहा- जी मम्मी ।

दोनों अंदर आ गये। मगर टीना कहीं दिखाई नहीं दी। समीर की नजरें टीना को तलाश कर रही थी।

नेहा- मम्मी, टीना चली गई क्या?

अंजली- हाँ बेटा, उसका पर स्लिप हो गया था।

नेहा- कैसे, कब? चोट ज्यादा तो नहीं आई?

अंजली- पता नहीं बेटा, हम तो कीर्तन से आये तो बेचारी लंगड़ा कर चल रही थी। तू फोन पर मालूम कर ले।

नेहा- “जी मम्मी, अभी पूछ लूँगी..." और अपने रूम में पहुंचकर कपड़े चेंज किए।
 
फिर टीना के बारे में सोचने लगी। जब दिन में टीना के पास फोन आया था, वो पापा की काल थी। पापा ने टीना को फोन क्यों किया? और फिर टीना ने हड़बड़ा कर डिसकनेक्ट भी कर दिया था? कही पापा और टीना में तो कुछ? नहीं नहीं, ये मैं क्या सोचने लगी। ये नहीं हो सकता। मगर नेहा का दिल बोल रहा था टीना ऐसा भी कर सकती है। कहीं आज टीना ने पापा से तो मुँह काला तो नहीं कर लिया? तभी इसलिए लड़खड़ा कर चल रही थी? टीना कुछ सोचकर बेड से उतरी, और रूम की सारी लाइटें जला दी, और अपने रूम का अच्छी तरह मुआइना करने लगी। शायद कोई क्लू मिल जाय टीना का?

मगर ऐसा कुछ नेहा को नजर नहीं आया। बेड की चादर वगेरह भी सलीके से बिछी हुई थी। टीना कुछ सोचकर अपने रूम से बाहर आई। अजय छत पर टहल रहे थे और अंजली किचेन में थी। नेहा अजय के बेडरूम में पहुँच गई। अजय के रूम की हालत ज्यादा अच्छी नहीं थी। नेहा शायद कुछ ढूँढना चाहती थी। तभी नेहा को चादर पर एक गीला सा धब्बा नजर आ गया। नेहा का दिल धड़क उठा।

नेहा मन में- “कुतिया है पूरी टीना... इसने तो मेरे बाप को भी नहीं छोड़ा..." और नेहा बेड के चादर का मुआइना सा कर रही थी। तभी एक छोटा सा खून का धब्बा भी नजर आ गया। अब नेहा को पूरा कन्फर्म हो चुका था की पापा ने आज टीना की सील्ल तोड़ दी है, और नेहा अपने रूम में आकर टीना को काल करती है।

नेहा- हेलो टीना कैसी है? क्या हुआ तुझे?

टीना- कुछ नहीं यार, पैर में मोच आ गई है।

नेहा- कोई और बात तो नहीं?

टीना- नहीं नहीं और कोई बात नहीं है।

नेहा- तू मुझसे कुछ छुपा तो नहीं रही?

टीना- भला में क्या छुपाऊँगी तुझसे?

नेहा- चल रखती हूँ बाइ।

नेहा मन ही मन- “अरे कुतिया है टीना ऐसे कुछ नहीं बातायेगी। हरामजादी ने पापा के लण्ड से सील तुड़वा ली.."

मगर नेहा परेशान थी। आज नेहा के अंदर एक ज्वाला भड़क रही थी टीना के लिए। नेहा ने फैसला किया अभी टीना के घर जाने का। नेहा ने मम्मी से बोला- "मम्मी, मैं टीना को देखने जा रही हैं। रात को वहीं रुकुंगी..."
 
नेहा ने एक नजर अपने पापा पर डाली। इस वक्त अजय टीवी देख रहे थे। मगर अजय ने नेहा की तरफ नजर तक नहीं उठाई, कहीं नेहा चेहरा ना पढ़ ले। नेहा टीना से मिलने चली गई।

इधर अपने रूम में समीर टीना के लिए ही सोच रहा था, और समीर ने टीना को काल किया।

समीर- हाय टीना, क्या हो गया तुम्हें?

टीना- सारी समीर, आज मैं तुम्हारे घर नहीं रुक पाई। मेरे पैर फिसल हो गया था। पैर में मोच आ गई आयोडेक्स लगा ली है। अब आराम है।

समीर- कोई बात नहीं टीना। तुम कल मेरे घर जरूर रुकना। तब तुम्हें अपना केला खिलाऊँगा, और हाँ कल कोई बहाना मत करना।

टीना- अरे... समीर भइया तुम्हें लगता है मैंने आज बहाना किया है?

समीर- क्या करूं आज तो मेरा मुन्ना नया घर मिलने की खुशी में सुबह से खड़ा-खड़ा छलांगे मार रहा था।

टीना- ओहह... कल मैं अपने मुन्ना की सारी शिकायत्त दूर कर दूंगी। तब तक तुम मेरे मुन्ना को अपने प्यारे हाथों से सहला लो। ओहह.." एक सेक्सी हँसी के साथ फोन डिसकनेक्ट हो जाता है।

समीर से अब रुका नहीं गया और अपना लोवर उतार फेंका और लगा झटके पे झटके मारने।

समीर- “हाय मेरी जान टीना... ये लण्ड जब तेरी कुँवारी चूत में जायेगा तो कितना मजा आयेगा तुझे... इस्स्स..
ओहह... उम्म्म्म ... टीना क्या चूत है तेरी... आह... इसस्स्स्स ... लण्ड पर हाथों की स्पीड लगातार बढ़ रही थी उफफ्फ... टीन्ना ऐसे ही तुझे भी चोदूंगा..” और लण्ड ने पिचकारियां छोड़ दी। समीर को टीना का अनुभव हुआ
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