Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 8 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

टीना दबे पांव समीर के रूम में पहुँचती है। समीर बेड पर लेटा मोबाइल में कुछ देख रहा था- “हाय समीर क्या देख रहे हो मोबाइल में?"

समीर- कुछ नहीं।

टीना ने समीर के हाथों से मोबाइल छीन लिया- "ओह माई गोड..” उसमें पार्न वीडियो चल रही थी एक लड़का
और एक लड़की दोनों एकदम नंगे चूत में लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था। टीना बोली- "ये सब क्या चल रहा है?"

समीर- "अभी बताता हूँ क्या चल रहा है?" और समीर ने टीना का हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया- "मेरी जान अब ये सब रियल में चलने वाला है डार्लिंग.."

समीर ने टीना को अपनी बाँहो में जकड़ लिया। टीना भी तो यही चाह रही थी। समीर ने टीना के होंठों से अपने होंठ मिला दिए। टीना को भी पूरा मजा आ रहा था और टीना भी समीर का पूरा साथ दे रही थी। और ये सब लाइव प्रोग्राम नेहा की दो आँखें बड़े गौर से देख रही थीं।

नेहा सोच रही थी- "भइया कितना अच्छा प्यार करते हैं। काश मुझसे भी ऐसा प्यार करें। किस्सिंग भी क्या मस्त है भइया की..." नेहा बड़ी ललचाई नजरों से देख रही थी।

उधर समीर ने टीना की चूचियां अपने हाथों में भींच ली।

टीना- “हाय भइया, धीरे करो दर्द होता है..."

समीर कहां सुनने वाला था. एक हाथ चूचियों पर और एक हाथ अब तक पैंटी में घुस चुका था। समीर ने अपनी पैंट शर्ट उतार फेंकी सिर्फ अंडरवेर में टीना से लिपट गया।

नेहा के कानों तक टीना की सिसकारी र | थी। नेहा ने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर हाथ से चूत की फांकों को सहलाने लगी। अफफ्फ... नेहा के सामने क्या मस्त सीन चल रहा था।

टीना- “सस्सीई... समीर भइया अच्छा लग रहा है इसस्स्स ... उम्म्म्म ... अहह..”

समीर- मेरी जान, आज की रात बहुत मजा आने वाला है तुझे। बस थोड़ा दर्द बर्दाश्त कर लियो।

टीना- “तुम्हारे लिए हर दर्द सहने को तैयार हूं। कहां है तुम्हारा मुन्ना, जरा बाहर तो निकालो." कहकर टीना ने समीर का अंडरवेर उतार फेंका और लण्ड अपने हाथों में पकड़ लिया, और कहा- “हाँ तो मुन्ना, तू मुझे आज दर्द देगा या प्यार देगा? उससे पहले मैं तुझे अपने होंठों से प्यार कर लूं...'

नेहा की सलवार ये सब देखकर नीचे गिर गई, और एक उंगली चूत की दरार में जा घुसी। नेहा की हल्की सी आहह... निकल गई। नेहा की चूत पूरी गीली हो चुकी थी। नेहा उंगली अंदर डालना चाहती थी।

अंदर टीना लण्ड की चुसाई बड़े ही मस्ती में कर रही थी।

... अहह... उफफ्फ... मज्ज... आ रहा है... क्या मस्त चीज है तू.. हाँ ऐसे

समीर- “मेरी जान्न टीना आहह... इस्स्स्स ही चूस लण्ड आज्ज..."

टीना ने लण्ड को चाटना शुरू कर दिया। रूम में से सिसकारियां सीss सीss की आवाज निकल रही थी। 5 मिनट की चुसाई के बाद समीर ने टीना की पैंटी निकालकर टीना को पूरा नंगी कर दिया, और चूत को निहारने लगा।

समीर- "हाय मेरी जान... एकदम बंद कली है, आज अपने लण्ड से फूल बना दूं तुझे..."
 
नेहा बाहर खड़ी मन में सोच रही थी- “भइया सोच रहे हैं, टीना की सील तोडूंगा। पर भइया को क्या मालूम ये शुभ काम तो पापा पहले ही कर चुके हैं। लेकिन भइया मेरी सील पर सिर्फ आपका ही हक होगा, आप मुझे बना देना फूल.."

समीर ने अपने लरजते होंठों को टीना की चूत में घुसा दिया। टीना की चूत से पानी बह निकला, जो समीर बड़े चाव से चूस रहा था। टीना आनंद के सागर में डूबती जा रही थी, और समीर के सिर को अपने दोनों हाथों में जकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थी।

टीना- “हाय समीर भइया आss सस्सी... उईईई.. आईईई... उम्म्म्म
... आह्ह... आह्ह...” करती रही।

समीर ऐसे ही चूत चूसता रहा। थोड़ी देर बाद समीर बोला- “मेरी जान कैसा लगा?"

टीना- ऐसा जी कर रहा है बस चूसते रहो।

समीर- अब इस चुसाई को होंठों से नहीं करूंगा।

टीना- फिर कैसे करोगे भइया?

समीर- अब ये चुसाई मेरा मुन्ना करेगा। फिर इसका कमाल भी देखना तुम।

टीना- कैसा कमाल?

समीर- “ये तो अंदर जाकर पता चलेगा तुम्हें..” कहकरर समीर ने टीना के दोनों पैर फैला दिए।

नेहा को टीना की चूत क्लियर दिख रही थी। समीर ने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा, और चूत की फांकों पर टिका दिया।

समीर- "देख टीना, थोड़ा दर्द होगा बर्दाश्त कर लियो चिल्लइयो नहीं। अगर नीचे आवाज चली गई तो मसीबत
आ जायेगी...”

टीना- “अरे... भइया आप पुश तो करो.."

समीर ने लण्ड पर दबाव दिया। लण्ड अंदर जाने की कोशिश कर रहा था। मगर समीर एकदम अंदर नहीं करना चाहता था की कहीं टीना चिल्ला ना पड़े। अभी लण्ड ने चूत में जरा सी एंट्री करी की टीना ने धीरे-धीरे चिल्लाना शुरू कर दिया। दर्द हो रहा था, या समीर को दिखा रही थी टीन? ये तो नेहा भी जानती थी।

नेहा मन ही मन- “चिल्ला तो ऐसे रही है जैसे आज ही सील टूट रही है तेरी.."

समीर- “बस बस हो गया.. थोड़ा सा बर्दाश्त कर ले...” और समीर ने एक धक्का मार दिया।

टीना- आहह... भइया निकाल लो मुझसे नहीं होगा।

समीर- देख आधा जा चुका है, बस थोड़ा सा और दर्द बर्दाश्त कर ले।

टीना- भइया अभी यूँ ही रुक जाओ, मुझे सांस लेने दो।

अब समीर को भी लग रहा था की अबकी धक्के में टीना की सील टूट जायेगी।

टीना ने दो मिनट यू ही रुकने के बाद समीर से बोला- “भइया थोड़ा सा और अंदर डाल लो..."

समीर- इस बार ज्यादा दर्द होगा।

टीना- मैं सह लूँगी।
 
समीर ने फिर भी टीना के होंठों से अपने होंठ जोड़े और एक आखिरी जबरदस्त धक्का मार दिया। इस बार वास्तव में टीना दर्द से बिलबिला गई, और टीना की दर्द भरी चीख समीर के गले में उतरती चली गई। टीना छटपटाने लगी। मगर समीर ने अभी होंठों को आजाद नहीं किया, बल्कि टीना की चूचियों को सहलाने लगा। टीना को बड़ा आराम सा मिला। थोड़ी देर बाद समीर को लगा अब टीना नार्मल है तब टीना के होंठ आजाद किए।

टीना- “आअहह... भइया तुमने तो मेरी जान निकाल दी.."

समीर- अब कैसा दर्द हो रहा है? कहो तो अंदर-बाहर कर लूं?

टीना- हाँ कर लो मगर धीरे-धीरे करना।

समीर- "हाँ मेरी प्यारी बहना धीरे-धीरे ही करूँगा..." और समीर धीरे-धीरे लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा।

टीना- "आss आss आह्ह... आईईई आह्ह... ओहह... उम्म्म्म
... स्स्स्सी ... अहह..."

बाहरर नेहा का पूरा हाथ चूत को जोर-जोर सहलाने लगा। एक उंगली आधी घुसाती और बाहर निकालती। नेहा जल्दी से जल्दी झड़ना चाहती थी, और नेहा सीई आईई इस्सस... करते हुए झड़ गई।

उधर टीना की चुदाई जोरों से चल रही थी। समीर बेड से उतरकर टीना के दोनों पैर अपने कंधे पर रखकर धक्के लगाने लगा।

टीना की बस आह ही निकल रही थी- “आअहह... समीर धीरे से करो आss आहह..."

मगर समीर पर जनून सा सवार था। ताबड़तोड़ धक्के लगा रहा था। टीना झड़ने की कगार पर पहुँच चुकी थी,
और अपने चूतड़ हवा में उछालने लगी। समीर समझ गया और टीना झड़ गई।

..." और टीना के पानी ने समीर का बाँध भी तोड़ दिया,

टीना- “आहह... हान झड़ी इसस्स्स... उम्म्म्म टीना पर लुढ़कता चला गया।

समीर- "हाँ मेरी जान..."

टीना- “आई लव यूँ समीर भइया... मजा आ गया..” और दोनों एक दूजे के ऊपर यूँ ही पड़े रहे।

नेहा ने सलवार पहनी और फर्श पर पड़ा अपना चूतरस दुपट्टे से साफ किया और अपने रूम में आ गई। नेहा
अपने रूम में आकर लेटते ही सो गई।
 
थोड़ी देर बाद टीना भी आ गई। टीना की खुजली मिट चुकी थी और नेहा को सोता देखकर उसके बगल में सो गई। दोनों सुबह 7:00 बजे तक सोते रहे। टीना के फोन की रिंग ने दोनों को जगाया।

टीना ने देखा फोन मम्मी का था- "हेलो जी मम्मी..."

किरण- टीना तेरे मामा का आक्सिडेंट हो गया है। तेरे पापा और मैं हास्पिटल जा रहे हैं।

टीना- कैसे, कब? ज्यादा तो चोट नहीं आई?

किरण- "बाइक स्लिप हो गई शुकर है ज्यादा चोट नहीं आई। तू वहीं रुक जाना हम हम ताला लगाकर जा रहे हैं।

टीना- ओके मम्मी।

नेहा- क्या हुआ?

टीना ने नेहा को पूरी बात बताई। फिर सब फ्रेश होकर एक साथ नाश्ता कर रहे थे।

नेहा- पापा आज टीना और मैं मूवी देखने चले जायें?

अजय- चले जाओ कौन सी मूवी देखोगे?

नेहा- “वो... वो..."

अजय- ऐसा करना एक बजे दोनों दुकान पर आ जाना। मैं टिकेट मँगा कर रखूगा हाउसफुल चल रही है।

नेहा खुश होते हुए- “थॅंक यूँ पापा..”

अजय और समीर के जाने के बाद, नेहा बोली- “रात तो ऐसे चुदवा रही थी जैसे कुँवारी हो?"

टीना- “और क्या... तेरे भाई को बता देती की तेरा बाप सील तोड़ चुका मेरी?"

नेहा- मैं अब ऐसा भी नहीं कह रही।

टीना- “चल छोड़ तू ये बता तुझे मेरी चुदाई कैसी लगी? मजा आया?"

नेहा- हाँ यार, बहुत मजा आया। मैंने भी आधी उंगली चूत में घुसा ली थी, और मेरा पानी भी फर्श पर ही निकल गया.” और बेड पर पड़ा दुपट्टा टीना को दिखाया, फिर कहा- “ये देख इसी से साफ किया। मुझे तो मजा
आ गया..."

टीना- एक बार लण्ड डलवाकर देख... उंगली करना भूल जायेगी।

तभी अंजली रूम में आती है- “क्या बातें हो रही हैं?"

टीना- कुछ नहीं आँटी, बस ऐसे ही।

अंजली- किस टाइम जाओगी?
 
टीना- अंकल ने एक बजे के लिए बोला है। यहां से 12:00 बजे निकाल जायेंगे।

अंजली- “नेहा, वापसी में मेरे लिए आइसक्रीम लेती आना..."

नेहा- "जी मम्मी ले आऊँगी..." और दोनों घर से 11:00 बजे निकल गये।

टीना- नेहा एक शरारत करने को मन कर रहा है।

नेहा- अब क्या नया सोच लिया तूने?..

टीना- “बस तू देख मैं क्या करती हूँ?” और दोनों अजय की दुकान पर पहुँच गये

अजय- आ गये मेरे बच्चों, तुम बैठो। 'टिकेट दो बजे की शो की मिली है। मैं अभी 10 मिनट में आता हूँ।

टीना- ओके अंकल।

अजय चला गया। दुकान में अब केवल रोहित था।

टीना- हेलो मिस्टर।

रोहित- जी मेडम।

टीना- आज पानी को भी नहीं पूछा तुमने?

रोहित- “सारी मेडम, अभी लाया..” कहकर रोहित पानी लेने चला गया।

टीना चेर पर बैठी अपनी चूत के ऊपर खुजलने लगी।

नेहा- तू ये क्या कर रही है?

टीना- “स्स्सी... चुपचाप देख क्या होता है?"

तभी रोहित पानी ले आया। मगर टीना अपना हाथ यूँ ही चूत पर रखे हुए खुजलाती रही। रोहित की नजर पड़ गई उफफ्फ.. क्या मस्त नजारा था। नेहा ने देखा की रोहित की पैंट फूलने लगी थी।

नेहा मन में- "ओहह... तो ये सब सोचा टीना ने? एक नंबर की चालू माल है...”

टीना- “लाओ रहित..." और अपना हाथ चूत से हटाकर ग्लास पकड़ लिया, और कहा- “तुम्हारा नाम रोहित है?"

रोहित- जी मेडम।

टीना- मेरे लैपटाप में साफ्टवेर डाउनलोड होना है। तुम कर दोगे क्या?

रोहित- हाँ क्यों नहीं? मेरे पेन ड्राइव में बहुत सारे साफ्टवेर हैं।

टीना- आता है तुम्हें डाउनलोड करना?

रोहित- “खूब अच्छे से आता है। मैं नये माडल में भी डाउनलोड कर चुका हूँ, और पुराने माडल में भी। मुझे पूरा अनुभव है आप बेफिकर रहो। बताओ कब करवाना है साफ्टवेर डाउनलोड?"

टीना- मुझे अपना मोबाइल नंबर दे दो। जब मैं फोन करूं तब।

रोहित-जी मेडम, ये लीजिए मेरा नंबर। आप बस एक बार फोन करना। मैं घर भी आकर डाउनलोड कर दूंगा.."

तभी अजय भी आ जाता है। अजय तीन टिकेट लेकर आया था।

नेहा- पापा ये तीन टिकेट कैसे?

अजय- क्या मैं नहीं देख सकता तुम्हारे साथ?

नेहा- “ओहह... पापा क्यों नहीं?”
टिकटें बिल्कुल पिछली सीट की थीं। अजय कार्नर वाली सीट पर बैठा था बीच में टीना फिर नेहा। मूवी स्टार्ट हो
गई।

नेहा बड़े गौर से मूवी देख रही थी। थोड़ी देर बाद नेहा को टीना की हल्की सी सिसकने की आवाज आई, तो नेहा ने टीना की तरफ देखा। नेहा चकित हो गई। पापा का हाथ टीना की सलवार में था। नेहा मन ही मन- “बड़ी ही कुतिया है ये टीना, जरा भी शर्म नहीं यहां भी... कम से कम मेरी तो शर्म करती..." और फिर नेहा मूवी देखने लगी, मगर बार-बार नजरें टीना की तरफ चली जाती।

तभी नेहा को एक झटका और लगा। इस बार जो देखा, टीना का एक हाथ पापा की पैंट के उभार पर था।

नेहा मन ही मन- "ओह माई गोड... ये लड़की पूरी पागल है। ये जरूर मुझे भी फँसवा देगी..” और नेहा ना चाहते हए भी बार-बार ये नजारा देखती रही। नेहा को ये सब अच्छा नहीं लग रहा था। टीना को आज ऐसा नहीं करना
चाहिये था। थोड़ी देर बाद इंटर्वल हो जाता है।

लाइट जलने से पहले ही पापा और टीना एकदम से अलग हो जाते हैं।
 
लाइट जलने से पहले ही पापा और टीना एकदम से अलग हो जाते हैं।

अजय- “मैं कुछ खाने के लिए लेकर आता हूँ..” और अजय बाहर चला जाता है।

नेहा- ये सब क्या कर रही है तू?

टीना- मैं क्या कर रही हूँ?

नेहा- तूने पापा का वो नहीं पकड़ा?

टीना- क्या हो गया तो? किसको नजर आ रहा है यहां? तू भी देख ले पकड़कर कितना मजा आता है।

नेहा- तू पागल तो नहीं है? कम से कम यहां तो ये सब मत कर। अगर किसी ने देख लिया तो?

टीना- क्यों डर रही है? यही तो जिंदगी के मजे हैं मेरी जान, जितना लूट सको लूट लो।

तभी अजय कोल्ड ड्रिंक और पोपकार्न ले आया। तीनों कोल्ड ड्रिंक पीने लगे।

नेहा को आज पापा के साथ मूवी देखना बड़ा अजीब लग रहा था, और मूवी फिर स्टार्ट हो गई।

थोड़ी देर बाद फिर अजय ने फिर से पैंट की चेन खोलकर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया, और धीरे से टीना का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। टीना धीरे-धीरे अजय का लण्ड अपने हाथों से सहलाती रही।

नेहा कनखियों से दोनों की रासलीला देखती रही। नेहा का मन अब मूवी में नहीं था। फिर अजय दुकान पर रुक गया और दोनों घर आ गई।

टीना- कैसा रहा?

नेहा- अगर किसी को पता चल जाता तो?

टीना- अंधेरे में कैसे पता चलता? तू इतना मत डरा कर।

नेहा- हाँ बस रहने दे, किसी दिन जरूर पिटवायेगी।

टीना- चल ये बात छोड़.. ये बता तुझे कैसा लगा?

नेहा- हाँ सही था। लेकिन यार बहुत डर लग रहा था।

टीना- “एक बार तूने चुसवा लिया ना... तेरा सारा डर खतम हो जायेगा..."

और यूँ ही बातें क कब रात हो गई पता ही नहीं चला। अभी तक टीना के मम्मी पापा भी नहीं थे। समीर और अजय भी आ गये। सबने मिलकर खाना खाया।

समीर अपने रूम में जाते हए टीना को इशारा करता है आने का और ऊपर चला जाता है। नेहा और टीना भी ऊपर अपने रूम में चली गई।

टीना- तेरा भाई बुला रहा है।

नेहा- पागल मत बन, पापा मम्मी ने देख लिया तो?

टीना- मुझे पेशाब आ रहा है पहले मैं टायलेट जा रही हूँ।

नेहा हँसते हुए- “अब टायलेट में उंगली मत करने लगना..."

टीना- “दरवाजा खुला रखूगी आकर देख लियो." और टीना बाथरूम में चली गई। तभी टीना के मोबाइल की मेसेज टोन बजती है।

नेहा ने बेड पर रखा टीना का मोबाइल उठाया, देखा तो समीर का मेसेज था।

समीर- बस दो मिनट को आ जा।

नेहा मन ही मन- “भइया और पापा.. कैसे दोनों टीना के पीछे पड़े हैं? ये टीना भी तो पूरी कुतिया है, इसी ने दोनों को बढ़ावा दिया है...”

तभी नीचे किरण और विजय आ गये। अजय छत पर टहल रहा था।

अंजली- आओ किरण भाभी, कैसे हैं अब तुम्हारे भइया?

किरण- हाँ शुकर है ज्यादा चोट नहीं आई। ठीक है अब। टीना कहां है?"

अंजली- ऊपर नेहा के रूम में। मैं बुलाती हूँ।

किरण- "भाभी आप बैठो मैं बुलाती हूँ.” और किरण नेहा के रूम में पहुँचती है- “अरें.. बेटा टीना कहां है."

नेहा- “हेलो आँटी.. तभी नेहा को एक शरारत सूझती है। उसने कहा- “यहां तो नहीं है। शायद समीर के रूम में होगी..."

किरण समीर के रूम की तरफ जाती है। इधर समीर टीना का इंतजार कर रहा था। समीर को टीना के आने की आहट होती है तो समीर दरवाजे के पीछे छुप जाता है। जैसे ही किरण रूम में घुसती है पीछे से समीर किरण को अपनी बाँहो में जकड़ लेता है।
 
किरण सोचती है की ये अजय ने पकड़ा हुआ है, और समीर को भी टीना लगती है। दोनों दो पल ऐसे ही लिपटे
थे। तभी किरण बोलती है- "ये क्या कर रहे हो, कोई देख लेगा?"

समीर किरण की आवाज पहचान गया। एक झटके से अपनी गिरफ़्त छोड़ दी, और कहा- “आँटी

किरण भी चकित थी, कहा- “समीर तू?"

समीर- आँटी तुम किसे समझ रही थी?

किरण- पहले ये बता तूने किसे समझकर बाँहो में भरा मुझे?

अब समीर किसका नामे ले? फंस गया बेचारा। समीर बोला- "अरे... आँटी मैं किसे समझता? आप हैं ही इतनी खूबसूरत। आज मुझसे रहा नहीं गया और तुम्हें बाँहो में भर लिया। आपको बुरा लगा हो तो सारी..."

किरण- समीर तू तो बहुत बड़ा हो गया है।

समीर- वैसे आँटी आपने किसे समझा था?

किरण अब क्या कहती अजय का नाम भी नहीं ले सकती थी। किरण बोली- “जब तेरे रूम में आई हँ तो किसे समझूगी?"

समीर- “आहह... मेरी आँटी..." और समीर ने एक बार और किरण को अपनी बाँहो में भर लिया।

किरण- “अब छोड़ कोई आ जायेगा...” फिर किरण टीना को लेकर अपने घर चली गई।

किरण आँटी के जाने के बाद समीर बेड पर लेटा सोच रहा था- “आँटी क्या सचमुच मुझे ही समझ रही थी? फिर एकदम चकित क्यों हुई थी? वैसे आँटी में हुश्न सागर की तरह भरा हुआ है, और अगर बिना कपड़ों के मेरे सामने आ जाय तो बिना डुबकी लगाये चेन ना मिले..."

तभी दरवाजे पर आहट होती है। समीर की नजर दरवाजे पर पड़ती है।

नेहा दरवाजे पर समीर को देख रही थी।

समीर- क्या हुआ नेहा, वहां क्यों खड़ी है? अंदर आ जा।

मगर नेहा फिर भी वही खड़ी रहती है। समीर को बड़ा अजीब सा लगा नेहा का यँ उदासी भरा चेहरा देखकर। समीर बेड से उतरकर नेहा के पास जाता है।

समीर- "क्या बात है, क्यों तेरा चेहरा उतरा है? चल आज मेरे पास सो जाना.."

तभी नेहा भावुक होकर समीर के कंधे पर झुक जाती है।

समीर- ओ मेरी प्यारी बहना .. आज क्यों इतनी सीरियस हो रही है। चल बेड पर मस्ती करते हैं।

नेहा- नहीं भइया।

समीर- क्यों क्या हो गया मेरी नटखट गुड़िया को? तू तो यही चाहती है, तो अब क्यों मना कर रही है? तेरी तबीयत ठीक है?" और समीर नेहा की नब्ज़ देखने लगा।

नेहा- भइया मुझे वो हो गया है।

समीर- क्या हो गया मेरी गुड़िया?

नेहा- मेरी पीरियड हो गई।

समीर- ओहहो... इसीलिए ये चेहरा उतरा हुआ है। कोई बात नहीं, दो-चार दिन की ही तो बात है। फिर तू मेरे पास रोज सो जाना। मैं मना नहीं करूँगा।

नेहा- "भइया, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ। आई लव यू...

समीर नेहा का प्यार देखकर खुद भी भावुक हो गया और नेहा को बाँहो में भर लिया। फिर कहा- “मैं भी तुझसे बहुत प्यार करता हूँ..."

नेहा ने समीर की आँखों में देखा। समीर भी नेहा को निहार रहा था। यूँ ही दोनों ना जाने कब तक एक दूजे की बाँहो में खोए हुए एक दूसरे को देखते रहे।

समीर- चल, कब तक यूँ ही खड़ी रहेगी बिस्तर पर चलते हैं।

नेहा- “भइया ऐसे ही अच्छा लग रहा है..." नेहा के होंठ समीर के होंठों से थोड़े से फासले पर थे। नेहा के होंठों में कंपन सी हो रही थी।

समीर ने जब ये देखा तो समीर से भी रहा नहीं गया और ये दूरी अपने होंठों से मिलाकर दूर की। नेहा भी मचल गई। समीर बोला- "चल नेहा बेड पर चलते हैं."

नेहा- नहीं भइया अब मैं अपने रूम में जा रही हैं। अब ये प्यार आप 5 दिन बाद करना।

समीर- "तुझे इतना प्यार करूँगा की तेरी सारी शिकायत खतम हो जायेगी..." और एक बार दोनों के होंठ मिल गये। फिर नेहा अपने रूम में चली गई, और समीर भी सो गया।
 
सुबह सबने साथ में ही ब्रेकफास्ट किया।

अंजली- मैं और किरण बाबा का कीर्तन सुनने चले जायें?

अजय स्माइल करते हुए- “नेहा को भी ले जाओ..."

नेहा- पापा मुझे नहीं जाना।

अजय- क्यों बेटा, मन को शांति मिलेगी।

नेहा- ओहह... पापा आज मेरा मन नहीं कर रहा जाने को।

अजय- अच्छा बाबा मत जाओ। लेकिन नाराज मत हो,

तभी किरण का फोन आता है अंजली के पास।

अंजली- हेलो।

किरण- हेलो अंजली तुम यहीं आ जाओ, यहां से साथ निकलेंगे।

अंजली- “अभी आती हूँ..” और फोन काट गया।

अंजली- मुझे किरण के घर छोड़ते हुए निकल जाना।

अजय- "चलिये.." और अजय और अंजली निकल गये।

समीर भी कंपनी के लिए निकाल रहा था की नेहा ने समीर का हाथ पकड़ लिया, और कहा- “भइया थोड़ी देर बाद चले जाना..."

समीर- क्या हुआ मेरी बहना?

नेहा- भइया मेरा दिल नहीं लग रहा। मुझे तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं। आज मत जाओ, छुट्टी कर लो।

समीर- देख नेहा काम से ही सब कुछ है, तू रात में खूब बातें करना।

नेहा समीर के बहुत करीब खड़ी थी। नेहा का दिल कर रहा था अपने होंठ समीर के लाबो पे रख दे। फिर नेहा थोड़ा सा और समीर की तरफ झकती है, और फिर दोनों के होंठ मिल गये। अफफ्फ नेहा पागल सी हो गई। समीर के होंठों को काटने लगी।

समीर ने नेहा को नहीं रोका, और खुद भी साथ देने लगा। थोड़ी देर यूँ ही किस करते रहे। तभी समीर हट गया।

समीर- नेहा अब मुझे देर हो रही है, मैं चलता हूँ।

नेहा समीर को जाते हुए देखती रही।
 
समीर ने नेहा को नहीं रोका, और खुद भी साथ देने लगा। थोड़ी देर यूँ ही किस करते रहे। तभी समीर हट गया।

समीर- नेहा अब मुझे देर हो रही है, मैं चलता हूँ।

नेहा समीर को जाते हुए देखती रही।

समीर कंपनी पहँच गया। आज समीर स्टोर में माल की डिटेल चेक कर रहा था। समीर स्टोर कीपर से बोला “कच्चे माल की लिस्ट बनाकर मेरे केबिन में ले आओ.."

तभी संजना का फोन आता है।

समीर- हेलो मेम।

संजना- समीर कहां हो? मेरे केबिन में आ जाओ।

समीर- जी मेम... मैं स्टोर में हूँ बस दो मिनट में आया मेडम।

संजना- एक एक्सपोर्ट आर्डर मिल रहा है आस्ट्रेलिया से। अगर ये आर्डर हमें मिल गया तो हमारी कंपनी कहां से कहां पहुँच जायेगी।

समीर- मेम ये तो बड़ी खुशी की बात है।

संजना- हमें आर्डर लेने आस्ट्रेलिया जाना है, तुम्हें भी मेरे साथ चलना है।

समीर- मगर मेडम मेरा पासपोर्ट?

संजना- वो मैंने बोल दिया है। कल शाम तक मिल जायेगा।

समीर- वैसे हमें जाना कब है?

संजना- कल शाम 7:00 बजे की फ्लाइट है। अपना सामान वगैरह पैकिंग कर लो। 10-12 दिन भी लग सकते है

समीर- जी मेडम।

संजना- तुम अभी घर चले जाओ, और अपनी तैयारी करो।

समीर घर के लिए निकाल पड़ता है। रास्ते में समीर सोचता है- “अब तो 10-12 दिन इंडिया से बाहर गुजरेंगे। नेहा फिर नाराज हो जायेगी। उसे कैसे समझाऊँ? जाने से पहले भी प्यार नहीं कर सकता। बेचारी पीरियड हो गई है। अब क्या करूं जो नेहा नाराज ना हो?” यही सोचते हुए समीर घर की तरफ जा रहा था।

तभी समीर को खयाल आता है टीना का- "अरे... टीना भी तो घर में अकेली होगी। चलो आज उसमें ही डुबकी लगा लें। पता नहीं फिर कब मोका मिले?”

समीर टीना के घर की तरफ निकल पड़ा। थोड़ी देर में टीना के घर पहुँचा। मगर यहां तो ताला लटका हुआ था। मन ही मन समीर- “ये टीना कहां चली गई? कहीं नेहा के पास तो नहीं पहुँच गई? नेहा के पास या कहीं और? फोन करूं टीना को? नेहा के पास हुई और नेहा ने मेरा नंबर देख लिया तो? फिर नेहा को मनाना मुश्किल हो जायेगा। क्या करूं अब?"
 
तभी एक आईडिया आया की क्यों ना नेहा को ही काल कर लूँ। पता चल जायेगा टीना का भी। और समीर ने नेहा को फोन मिलाया।

समीर- हेलो नेहा।

नेहा- जी भइया।

समीर- मैं आज कंपनी से जल्दी घर आ रहा हूँ। बोल तेरे लिए कुछ लाऊँ?

नेहा- जी भइया आइसक्रीम ले आना।

समीर- तू अकेली है घर पर जब से।

नेहा- जी भइया।

समीर- क्या टीना है तेरे पास? उसके लिए भी ले आऊँ आइसक्रीम?

नेहा- नहीं भइया आज नहीं आई वो।

समीर- "चल ठीक है मैं एक घंटे हँ..." समीर सोचता है- "टीना और कहां जा सकती है? उसका नंबर ट्राई करता हूँ.” फिर टीना का नंबर मिलाया- “हेलो टीना कहां हो?"

टीना- हाय समीर भइया, क्या हुआ?

समीर- इस वक्त कहां हो तुम?

टीना- अपने पापा की दुकान पर हूँ।

समीर- ओ तेरी की... अंकल तो नहीं पास में?

टीना- नहीं, मैं अकेली बैठी हूँ। तुम बताओ?

समीर- मैं तुम्हारे घर पर खड़ा हूँ। तुमसे मिलने आया था। कल मैं 10-12 दिन के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ।

टीना- ओहह... तो आज जाने से पहले प्यार करना चाहते हो?

समीर- कितनी देर में आ सकती है?

टीना- मुश्किल है भइया। मैं अकेली हूँ, नहीं आ पाऊँगी। पापा साथ में आयेंगे। अगर मोका मिल गया तो रात में नेहा के पास सोने आ जाऊँगी।

समीर- जरूर आना मैं बेसब्री से तेरा इंतजार करूँगा।

टीना- “रखती हूँ भइया...” और फोन डिसकनेक्ट हो गया।
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समीर बुझे मन से टीना के घर से वापिस मार्केट चला गया और आइसक्रीम ब्रिक लेकर अपने घर की तरफ मुड़ गया, और घर पहुँचकर समीर डोरबेल बजाता है।

नेहा जानती थी समीर आया है, तो भागकर दरवाजा खोलती है। समीर के सामने नेहा खड़ी थी जो समीर को बड़ी प्यारी नजरों से देख रही थी।

समीर- “ऐसे क्या देख रही है? अंदर तो आने दे मुझे। देख मैं तेरे लिए आइसक्रीम भी लाया

समीर अंदर आकर दरवाजे बंद करता है। मगर नेहा को जाने क्यों समीर पर इतना प्यार आ रहा था की समीर को बाँहो में भर लिया

समीर- नेहा, इतना प्यार ना कर की एक पल तुझसे दूर ना जा पाऊँ?

नेहा- भइया ऐसी बात ना करो, कभी मुझसे दूर मत जाना।

समीर- “मेरी प्यारी गड़िया काम के लिए दूर भी जाना पड़ता है। चल आराम से बैठकर बातें करते है और हाँ ये आइसक्रीम दो प्याली में करके ला..."
 
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