Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 11 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

नेहा टीना के पास पहुँचती है, और दोनों बातें करते हुए ब्यूटी पार्लर जा रही थी।

टीना- क्या बात है नेहा, आजकल तेरे में बहुत चेंज लग रहा है?

नेहा- नहीं तो तुझे ऐसा क्यों लगता है?

टीना- कई दिन से देख रही हूँ मुझसे दूर-दूर रहती है। कोई बात है जो तू मुझसे छुपा रही है।
नेहा- नहीं यार, ऐसी कोई बात नहीं है।

टीना- ऐसा नहीं हो सकता, कुछ तो बात है? मेरे तो सारे राज तुझे मालूम हैं, यहां तक की मेरी वर्जिनिटी किसने तोड़ी। पता है तेरा भाई भी घास नहीं डाल रहा मुझे आजकल। कहीं तेरा तो कोई चक्कर नहीं चल गया?

नेहा- कैसी बात करती है यार? अगर मेरे साथ कुछ होगा तो सबसे पहले तुझे ही बताऊँगी। और रही बात तेरी
और समीर भइया की तो यार आज रात तू मेरे घर रुक जाना।

टीना- तुझे तो अब ये भी मालूम नहीं की मेरी पीरियड चल रही है।

नेहा- ओहह... हाँ यार, मैं तो वास्तव में भूल गई। आज तो तेरा चौथा दिन होगा।

टीना- बस रहने दे, मेरा तो हर राज जानती है और अपना सब छुपाती है।

नेहा- भला मैंने क्या छुपाया?

टीना- "चल इस टापिक पर फिर कभी बात करेंगे..." टीना को लगता है समीर और नेहा में चक्कर चल गया है।
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उधर घर पर अजय और अंजली आ जाते हैं।

अंजली- बेटा, नेहा चली गई क्या?

समीर- जी मम्मी।

समीर- मम्मी मैं भी कंपनी निकलता हूँ।

तभी समीर का मोबाइल बज उठता है। ये संजना की काल थी।

समीर- हेलो मेडम।

संजना- समीर अभी तक घर पर हो?

समीर- जी मैं बस निकलता हूँ।

नेहा के रिश्ते की बात करी?

समीर- अभी बोलता हूँ।

संजना- एक काम करो, अंकल को अपने साथ मेरे आफिस ले आओ। यहीं बैठकर बातें कर लेंगे।

समीर- "जी मेडम..." और फोन डिसकनेक्ट कर दिया।

समीर सोचता है- "गई भैंस पानी में। आज तो आंटी की मस्त चुदाई का प्रोग्राम सेट किया था। अब तो प्रोग्राम कैन्सल..."

समीर- पापा, संजना मेम नेहा के लिए लड़का बता रही हैं। आपको मेरे साथ चलना है।

अजय- ये तो बड़ी अच्छी बात है चलो।

अंजली- बेटा ठीक से देख परख लेना। नेहा की जिंदगी का सवाल है।

समीर- मम्मी तुम फिकर ना करो। संजना मेम के अंकल का लड़का है राहुल। शायद तुमने सगाई में देखा होगा।

अंजली- मुझे तो ठीक से याद नहीं, तू एक फोटो ले लेना।

समीर- "जी मम्मी ले आऊँगा.." और दोनों संजना में के आफिस में पहुँचते हैं।

संजना- अरें... अंकल बैठिए। समीर रिसेप्शन पर दो कोल्ड ड्रिंक के लिए बोल दो, और देखो स्टोर में माल आया है, काउंटिंग करवा लो। तब तक मैं अंकल से बात करती हैं।

समीर- "जी मेडम." और समीर चला गया।

संजना- अंकल राहुल बहुत होनहार लड़का है। नेहा और राहुल की जोड़ी खूब जमेगी।

अजय- मेडम ये तो हमारी खुशकिश्मती है। दोनों बच्चे आपके घर में जा रहे हैं।
 
संजना- अंकल आप मुझे सिर्फ संजना बुलाएं।

अजय- ओके संजना जी।

तभी एक लड़की दो ग्लास कोल्ड-ड्रिंक लेकर आती है।

संजना- “लीजिए अंकल, पहले कोल्ड-ड्रिंक लीजिए..." और संजना एक ग्लास अजय की तरफ बढ़ाती है।

तभी जाने कैसे संजना के हाथ से ग्लास स्लिप हो जाता है, और सारी कोल्ड ड्रिंक अजय की पैंट पर गिर जाती है।
संजना बोली- “ओह माई गोड.. ये क्या हो गया? सारी अंकल..." और संजना जल्दबाजी में कुर्सी से उठकर
अपने दुपट्टे से अजय की पैंट साफ करने लगती है।

अजय रोकता रह गया- “कोई बात नहीं संजना जी, मैं कर लूँगा साफ...”

मगर तब तक देर हो चुकी थी। संजना के हाथ के स्पर्श से ही अजय के लण्ड ने विकराल रूप धारण कर लिया था। संजना की आँखों में भी वासना की चमक आ गई। अजय भी संजना की आँखें पढ़ चुका था।

संजना- “ओहह... अंकल रियली सारी। चलिए मेरे साथ मैं आपके कपड़े क्लीन करवाती हँ..."

अजय भी संजना के पीछे-पीछे चल पड़ा, और संजना अजय को लेकर अपने फार्मह बहादुर से- “देखो बाहर का ध्यान रखना, कोई अंदर ना आए."

बहादर- “जी मेम कोई नहीं आयेगा..'

अजय और संजना अंदर पहुँच गये।

संजना- अंकल उतारिये अपनी पैंट।

अजय- आपके सामने?

संजना- तो क्या हुआ अंकल, अंडरवेर तो पहन रखा है।

अजय- हाँ मगर 'वी शेप वाला अंडरवेर पहना है।

संजना- “कोई बात नहीं, लाओ मैं ही आपकी पैंट उतार देती हूँ.." और संजना अजय के पैरों के पास बैठ जाती है
और पैंट की बेल्ट खोलने लगती है।

अजय को अनकंफर्टबल महसूस हो रहा था, संजना का इतना फ्रैंकली पैंट खोलना। अजय भी ऐसा मोका कहां गवाना चाहेगा। अजय सोचता है, समीर का रिश्ता दूसरा नेहा का ये सब संजना की बदौलात ही था। क्या संजना अपना अहसान चुकाना चाहती है? आज खुद इतना खुलकर मेरे सामने। शायद प्यार की भूखी होंगी। क्या करूं मैं? मेम का अहसान चुका हूँ?

अब तक संजना पैंट उतार चुकी थी। अजय का लण्ड अंडरवेर में पूरा नहीं समा रहा था।

अजय- मेडम कोई लवर हो तो ये अंडरवेर भी गीला हो गया है, इसे भी उतार दूं।

संजना की आँखों में चमक दौड़ने लगी, कहा- “कहां से गीला है अंकल?"

अजय अपने अंडरवेर पर हाथ रखता है- “यहां से..."

संजना में जाने कहां से हिम्मत आ जाती है, और वो भी अपना हाथ अजय के अंडरवेर पर रख देती है- “ये तो वास्तव में बहुत गीला है.."

संजना के टच से लण्ड ने एक झटका सा मारा, जो संजना के हाथों में भी कंपन सा कर गया।

संजना- अंकल अंदर क्या फुदक रहा है?

अजय- कुछ नहीं बेटा, चूहा पाल रखा है।

संजना- पाल रखा है, या कैद कर रखा है?

अजय- कुछ भी समझ लो। इसके लिए घर ढूँढ रहा हूँ। कोई अच्छा सा घर मिल जाय तो उसमें छोड़ दूंगा।

संजना- एक घर है मेरे पास भी, अगर इससे पसंद आए तो।

अजय- पहले मुझे पूरे घर का मुआइना करना पड़ेगा। मुझे पसंद आया तब ही इसको छोडूंगा।

संजना- “तो चलिए मेरा घर देख लीजिए..." और संजना अपने कपड़े उतारने लगी।
 
अजय की आँखें बिना पलक झपके संजना को घूर रही थी, और अगले पल संजना का टाप उसके पैरों में पड़ा था। संजना की गोल-गोल चूचियां अजय के सामने थीं।

अजय- “ओहह... मेडम आपका घर तो महल समान है। इसमें जो एक बार चला जाय, तो वापस सारी जिंदगी ना निकले..."

संजना के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है, और फिर अपनी पैंटी भी उतार देती है। अजय की आँखें चौंधिया गईं। क्या हसीन चूत की मालिका थी संजना।

अजय- ओहह... मेडम क्या शानदार घर है। जी करता है इस पूरे घर को चूम लूं।

संजना- हाँ तो रोका किसने है? पहले ठीक से देख लो, उसके बाद ही अपने चूहे को मेरे घर में छोड़ना।

बस फिर क्या था अजय टूट पड़ा संजना पर। सबसे पहले चूचियों पर हाथ साफ किए। एकदम ठोस गुब्बारे समान चूचियां थीं, जैसे हवा ज्यादा भरी हो। निप्पलों की नोक नुकीली थी। जैसे अजय की किश्मत खुल गई हो आज। एकदम बावला हो चुका था, और अपना मुँह खोलकर निप्पल चूसना शुरू कर दिया।

संजना की सिसकियां निकलनी शुरू हो गईं- “सस्स्स... स्स्स्सी ... सीड आअहह... सीईई... ऊहह..”

अजय का लण्ड भी अब तक आजाद हो चुका था। अजय निप्पल चूसते हए नीचे बढ़ रहा था। संजना की तड़प धीरे-धीरे बढ़ने लगी। चूत से पानी का रिसाव भी होना शुरू हो गया। अजय की पोजीशन अब 69 की तरह हो चुकी थी। संजना भी लण्ड चूसना चाहती थी, और दोनों एक दूजे का घर चूम रहे थे चूस रहे थे।

अजय तो मस्त हो गया संजना को पाकर। क्या किश्मत पाई है अजय ने की इतनी बड़ी कंपनी की मालेकिन आज अजय का लण्ड चूस रही थी।

संजना- कैसा लगा मेरा घर?

अजय- लाजवाब शानदार अमेजिंग वंडरफुल। एक्सीलेंट ब्यूटीफुल कितनी तारीफ करूं, वो भी कम है संजना जी आपके घर की। संजना को अजय का यू तारीफ करना बड़ा अच्छा लगता है।

संजना बोली- “तो फिर अपने इस चूहे को मेरे घर में भेज दो."

अजय- “क्यों नहीं... ये तो खुद ही जाने को बड़ा मचल रहा है..." और अजय आगे बढ़कर लण्ड चूत का मिलन करा देता है।

संजना की हल्की से सिसकी के साथ लण्ड चूत के अंदर घुसने लगता है। लण्ड की टोपी ही अंदर गई की संजना की हाय निकलने लगी। अजय साथ-साथ चूचियां भी मसलने लगा। लण्ड आधा अंदर घुस चुका था।

संजना- धीरे भेजो आपका मोटा चूहा, दरवाजा बहुत ही छोटा है।

अजय- कोई बात नहीं मेडम, घुस जायेगा। आप फिकर ना करो। ये चूहा अभी आपकी खिदमत शुरू करेगा। आपको बहत आराम मिलने वाला है।

संजना- “आहह... आहह... अब नहीं उफफ्फ... इसस्स्स्स
... उईईई...” करने लगी।

अजय के धक्कों ने स्पीड पकड़ ली। अब संजना को मजा आने लगा, और अजय की कमर को हाथों में भींचकर धक्कों में साथ देने लगी। संजना सेक्स पूरा मजा लेकर कर रही थी। संजना अपने हाथों से खुद ही अपनी चूचियां मसलने लगी, और अजय के धक्के फुल स्पीड पकड़ चुके थे।

संजना- “आहह... अंकल मजा आ गया..."

अजय- “तुम भी क्या चीज हो.." और अजय का लण्ड आज पूरे जोश में धक्के लगा रहा था।
 
संजना झड़ चुकी थी। मगर अजय था की रुकने का नाम नहीं ले रहा था। संजना अब हाँफने लगी। अजय की स्पीड में कहीं से भी कमी नहीं आई। झड़ी हुई संजना में ताबड़तोड़ धक्के संजना को दोबारा तैयार कर गये, और फिर संजना भी शुरू हो गई नीचे से गाण्ड उठा-उठाकर मारने। अजय का स्टेमीना आज गजब ढा रहा था। संजना की रेल बन चुकी थी। संजना दुबारा झड़ गई थी।

संजना- “बस करो अंकल, अब नहीं..."

अजय ने लण्ड बाहर निकाल लिया, और संजना के हाथों में दे दिया। संजना ने तेजी से हाथों में आगे-पीछे करते हए लण्ड को फारिग किया।

अजय- “आहह... उम्म्म्म
... मजा आ गया संजना जी..."

संजना- हाय अंकल, क्या जोश है आपमें? ऐसा लगता है अभी 24-25 साल के नौजवान हो।

अजय अपने कपड़े पहनता हुआ मुश्कुरा रहा था।

संजना- अंकल, जब भी दिल करे आ जाया करो। ये घर आपका ही है।

अजय- “मुझे इस बात की बहुत खुशी है संजना जी की आपने अपने घर की देखभाल के लिए मुझे चुना.."

संजना भी अब तक अपने कपड़े पहन चुकी थी, और कहा- “हाँ तो नेहा का रिश्ता आपकी तरफ से पक्का है?"

अजय- हाँ जी बिल्कुल।

संजना- तो मैं अंकल आंटी को यहीं बुला लेती हैं। वो नेहा को देख भी लेंगे, और नेहा की गोद भी भर देंगे और तभी शादी की तारीख भी फिक्स हो जायेगी।

अजय- मेरी तरफ से ओके है। आप अपने अंकल से बात कर लो।

संजना फोन मिलाती है, और सारी बातें अंकल को समझाती है। फिर सनडे का प्रोग्राम सेट होता है।

संजना- आज फ्राइडे है, मैंने सनडे का दिन सेट कर लिया। ठीक है अंकल?

अजय- जी मेम, ठीक है।

संजना- फिर मेम।

अजय- ओहह... सारी संजना।

इस वक्त दोपहर के दो बज चुके थे, और दोनों फार्महाउस से निकाल गये।

संजना- “चलो मैं आपको घर तक छोड़ दूं।

अजय- “नहीं संजना जी, मुझे अभी दुकान पर छोड़ दो."

संजना अजय को दुकान पर छोड़कर कंपनी पहुँच गई।
*****
*****
 
शाम के 4:00 बजे ब्यूटी पार्लर से टीना और नेहा भी निकलते हैं।

टीना- नेहा चल तुझे कुल्फी खिलाती हूँ।

दोनों कुल्फी के ठेले पर पहुँचती हैं।

टीना- भइया दो कुल्फी देना।

ठेले वाला- मेडम कौन सी वाली लेंगी?

टीना- कितने वाली है?

ठेले वाला- 10-20-301

टीना- क्या फर्क है तीनों में?

ठेले वाला- ₹10 वाली छोटी है, ₹20 वाली मोटी है, और ₹30 वाली लंबी भी है और मोटी भी।

टीना- मुझे तो लंबी भी चाहिए और मोटी भी, ₹30 वाली दे दो। तुझे कौन सी चाहिए नेहा?

नेहा- ₹20 वाली दे दो।

टीना- खाली मोटी में मजा नहीं आयेगा लंबी भी ले।

उस आदमी को भी ऐसी बातों में मजा आने लगा था, बोला- "हाँ मेडम, ये ही ले लीजिए आप भी। लंबी में ज्यादा मजा आयेगा आपको चूसने में.."

टीना के चेहरे पर सेक्सी स्माइल दौड़ गई, कहा- “कुल्फी में मलाई तो है ना?"

ठेले वाला- जी मेडम... आप चूसिये तो मलाई अपने आप निकल जायेगी।

टीना ₹30 वाली दो कुल्फी ले लेती है। उस ठेले वाले आदमी का बुरा हाल था। सोच रहा था क्या लड़कियां हैं? काश मेरी भी कुल्फी चूस लें।

टीना ने नेहा को इशारा किया आदमी की पैंट की तरफ

नेहा धीरे से- "तू नहीं सुधरेगी."

टीना- एक बार अपनी सील तुड़वा ले फिर बोलना सुधरने को।

नेहा- बस ये काम तू ही करवा।

टीना- मेरी हेल्प चाहिए तो बता?

नेहा- "जब होगी बता दूंगी." और दोनों कुल्फी चूसने लगीं।

टीना तो उस आदमी को देखकर एकदम ब्लो-जोब की तरह चूस रही थी। उस आदमी का कंट्रोल जवाब दे गया,
और उस बेचारे की पैंट गीली हो गई। वो टीना को ललचाई नजरों से देखता रह गया, और दोनों अपने घर की तरफ निकल गये।

नेहा- चल आज रात मेरे पास रुक जा।

टीना- नहीं यार, कल रुकंगी आज आखिरी दिन है पीरियड की।

फिर दोनों अपने-अपने घर पहुँच गईं।

अंजली- आ गई बेटी।

नेहा- जी मम्मी।

अंजली- बेटा तेरा रिश्ता आया है।

नेहा- क्या?

अंजली- हाँ बेटा। संजना के चाचा का बेटा है राहुल, शायद तुझे याद हो?

नेहा- मगर मम्मी, मुझे शादी नहीं करनी।

अंजली- सब ऐसा ही कहते हैं। करनी सबको पड़ती है। समीर और तेरी शादी एक साथ हो जाय तो कितना अच्छा रहेगा।
 
नेहा- "क्या मम्मी, अभी मेरी कोई उमर है शादी की?” और बड़बड़ाते हुए अपने रूम में पहुंच गई।

तभी नेहा को खयाल आता है रबर के लण्ड का, जो नेहा ने बेड के नीचे फेंका था।

नेदा- "बाप रे ये मयासे कैपी का

ये मझसे कैसी भूल हो गई? अगर किसी की नजर पड़ गई तो?" और नेहा जल्दी से बाहर वाले रूम में पहुँचती है, और बेड के नीचे झाँक कर देखा तो अभी तक लण्ड वहीं पड़ा था- “ओह गोड... तेरा शुकर है..." फिर जल्दी से उठाकर अपने रूम में ले गई और अलमारी में छुपा दिया।

शाम को अजय और समीर भी घर पहुँचते हैं। सब एक साथ डिनर करते हुए।

अजय- अंजली, संजना कह रही थी परसों सनडे में आयंगे वो लोग, और तभी हमारी नेहा की गोद भी भर देंगे।

अंजली- ये तो बड़ी खुशी की बात है।

नेहा- पापा मुझे अभी शादी नहीं करनी।

अजय- क्यों बेटा, क्या राहल तुम्हें पसंद नहीं?

नेहा- ये बात नहीं है। पापा अभी मेरी उमर शादी की नहीं है।

अजय हँसने लगता है- “बेटा मालूम है तू 19 साल की हो चुकी और कानूनन 18 साल उमर होती है शादी की।

और एक बात जब तेरी माँ की शादी हुई थी उस वक्त अंजली की उमर *** साल थी..."

नेहा चकित रह गई- “क्या?" अब बेचारी क्या बोलती।

रात के 11:00 बज चुके थे। अजय और अंजली कब के सो चुके थे। समीर भी अपने रूम में लेटा दिव्या से गाने का खेल खेल रहा था।

नेहा एक छोटी नाइटी पहनकर बिस्तर पर लेट गई, और सोने की कोशिश करने लगी। नेहा बिस्तर पर लेटी करवट बदल रही थी। जाने क्यों नींद आँखों से कोसों दूर थी। नेहा बहुत कोशिश कर रही थी सोने की, मगर आज जाने क्यों नेहा को नींद नहीं आ रही थी, और फिर बेड से उठकर समीर के रूम की तरफ चल दी। समीर ने दरवाजा अंदर से बंद किया हुआ था।

नेहा दरवाजा खटखटाती है- “भइया.."

समीर बेड से उठकर दरवाजा खोलता है- “क्या हुआ नेहा?"

नेहा- भइया नींद नहीं आ रही, आपके पास लेट जाऊँ?

समीर- देख रोज-रोज जागने से सेहत खराब होती है। सो जा।

नेहा- “क्या करूं भइया? बहुत कोशिश की पर नींद नहीं आ रही.." और नेहा बेड पर बैठ जाती है।
बेड पर समीर का मोबाइल रखा था।

नेहा- "अरें... भइया मोबाइल में क्या कर रहे थे?" और नेहा मोबाइल देखने लगती है।
दिव्या के बहुत सारे मेसेज पड़े थे।

नेहा मन ही मन- “तो आग उधर भी लगी है...”

समीर- ला मेरा मोबाइल दे।

नेहा- अभी तो सारे मेसेज पढ्गी भइया।
 
समीर आगे बढ़कर मोबाइल नेहा से छीनने लगता है। झीना झपटी में नेहा समीर के नीचे दब जाती है।

नेहा- हाय भइया छोड़ो मुझे।

समीर- ला पहले मेरा फोन दे।

नेहा- नहीं दूंगी भइया, जो करना है कर लो।

समीर- देख मुझे मजबूर ना कर।

नेहा- हाँ हाँ किसे डरा रहे हो? अब में नहीं डरती तुमसे।

समीर- देख ले अभी तक मैंने जो किया प्यार से किया तेरे साथ, अगर अपनी पर उतर गया

नेहा- दिखाओ अपनी? मैं भी आज तुम्हारी देखना चाहती हूँ।

समीर ने नेहा की नाइटी पकड़कर ऊपर खींच दी।

नेहा- “कम से कम कपड़े तो मत फाड़ो..." और नेहा के मन की मुराद पूरी होने लगी।

समीर नेहा की चूचियां बड़ी ही कठोरता से मसलने लगा।

नेहा दर्द में तड़प गई- “आहह... ओहह.."

समीर पर जुनून सा सवार था आज।

नेहा- "अहह... भइया किस चीज का बदला ले रहे हो मुझसे?" और नेहा समीर से अपने को छड़ा लेती है। फिर नेहा समीर का लवर खींच देती है, तो लण्ड फँफनता हआ बाहर निकल आया।

समीर- "तो तुझे लण्ड की तलब लगी है? इसलिए तेरी नींद गायब है।

नेहा- "जी भइया... अब तो इसके बिना नींद कहां आयेगी..." और नेहा लण्ड को हाथों में लेकर सहलाने लगती है।

समीर- “ओहह... नेहा तुझे तो लण्ड की लत लग गई."

नेहा- “हाँ भइया शायद लत ही लग गई.." और नेहा लण्ड को मुँह में भर लेती है।

समीर- हाय नेहा... तू तो कमाल की चुसाई करने लगी। खिलाड़ी बन गई।

नेहा को बड़ा अच्छा लग रहा था समीर का यूँ तारीफ करना, और भी मस्ती में लण्ड को अंदर करके चूसने लगी।

समीर- "ओह... स्स्स्सी ... उम्म्म्म." समीर की सिसकारी निकाल रही थी।

नेहा की चूत में भी चिंगारी भड़कने लगी, और नेहा पलटकर समीर के चेहरे की तरफ अपनी चूत कर देती है, जिससे नेहा के मुँह में लण्ड और समीर के मुँह में चूत होती है, और दोनों की हल्की-हल्की सिसकारियां निकालने लगी। नेहा को ऐसी लत लग चुकी थी लण्ड की की एक रात भी ना मिले तो नींद ना आए।

थोड़ी देर यूँ ही चूसने के बाद समीर नेहा को डोगी स्टाइल में कर देता है, और लण्ड को चूत के छेद पर टिका देता है। नेहा के चेहरे पर विजय स्माइल आ जाती है, और समीर धक्का मारकर लण्ड अंदर घुसा देता है।

एक ही झटके में तिहाई लण्ड घुस जाता है। नेहा की चूत पानी छोड़ रही थी, जिससे लण्ड अंदर-बाहर होते हुए फच-फच की मधुर आवाज निकाल रहा है। नेहा की मनचाही मुराद पूरी हो रही थी। खुद भी पीछे को होकर झटके का जवाब झटके से दे रही थी। नेहा को चुदाई में बड़ा ही मजा आने लगा। लण्ड से प्यार दिन पर दिन बढ़ता जा रहा था। यूँ ही 15 मिनट की चुदाई के बाद दोनों फारिग हुए।

नेहा को संतुष्टि मिल चुकी थी। अब नींद की खुमारी भी नेहा को आने लगी, और नेहा और समीर एक दूजे की बाँहो को लिपटे सो गये।
*****
*****
 
नेहा सुबह 6:00 बजे उठकर अपने रूम में पहुँच गई। 8:00 बजे तक सब लोग नाश्ते की टेबल पर बैठे थे।

अजय- अंजली कल मेहमान आयेंगे। कुछ सामान चाहिए क्या?

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अंजली- हाँ मैंने लिस्ट बना दी है।

अजय-विजय से भी बोल दं, कल मार्निंग में आ जायेंगे।

अंजली- हाँ ठीक रहेगा।

तभी टीना आ जाती है।

अजय- अरे... टीना बेटा नाश्ता कर लो।

टीना- नहीं अंकल, नाश्ता करके आई हैं।

अजय- अच्छा एक केला तो खा ही सकती हो।

टीना मुश्कुराते हुए केला पकड़ लेती है, और बोली- “नेहा ब्यूटी पार्लर नहीं चलना क्या?"

अंजली- बेटा, नेहा आज नहीं जायेगी। सुबह नेहा को देखने वाले आ रहे हैं। तू भी यहीं रुक जा नेहा के पास।

टीना- वाउ... क्या सरप्राइज है?

अजय- मैंने विजय को भी बोल दिया है। समीर ये लिस्ट पकड़ो तम मार्केट चले जाओ।

समीर- जी पापा।

संजना का फोन तभी अजय के पास आता है- “हेलो अंकल, कल के प्रोग्राम में दिव्या भी आना चाहती है।

संजना जी? अब तो दिव्या हमारी बेटी है। उसे जरूर लेकर आना।
संजना- थॅंक यू अंकल।

अजय- "आपका स्वागत है... और फोन डिसकनेक्ट हो गया।

अंजली- मैं तो कहती हूँ कल ही शादी की तारीख भी फिक्स कर दो।

अजय- हाँ, मैं भी यही सोच

नेहा और टीना दोनों चुपचाप बातें सुनती रहती हैं।

अजय- समीर बेटा, तुम ये सामान अभी ले आओ।

समीर- "जी पापा..." और समीर मार्केट निकल गया।

अंजली- “सुनो जी मुझे भी मार्केट जाना है। दिव्या पहली बार घर आयेगी, उसके लिए कुछ कपड़े वगैरह तो चाहिए...'

अजय- "हाँ तो चलिए मेडम, किसने मना किया है आपको?" और अजय और अंजली भी निकाल गये।

टीना- तू तो बड़ी छुपी रुस्तम निकली। शादी की तैयारी चल रही है और हमें खबर तक नहीं।

नेहा- ये सब बहुत जल्दी में हुआ है टीना।

टीना- तो अब तेरी सील टूटने वाली है राहुल से?

नेहा- तुझे कोई और बातें नहीं आती?

टीना- क्या करूं समीर को दिव्या मिलने वाली है, और तुझे लण्ड- राहुल।

नेहा- जा मैं तुझसे बात नहीं करती।

टीना- यार मेरा भी मन करता है मस्ती करने को। चल रूम में चलते हैं। मस्ती किए हुए बहुत दिन हो गये।

नेहा- देख मस्ती करने को रात पड़ी है। दिन में कोई भी आ सकता है।

टीना- “आने दे मैं कोई लड़का थोड़े हूँ जो मुझपे कोई शकए करेगा की मैंने तेरा रेप किया है..” कहकर टीना ने दरवाजा बंद किया, और नेहा का हाथ पकड़कर रूम में पहुँच गई।

नेहा- तू सचमुच मेरा रेप कर रही है।

टीना- “अब तू कुछ भी समझ ले?” और टीना नेहा को चूमने लगती है।

नेहा- तू पागल हो चुकी है।

टीना- "जब राहुल तेरी चूत में लण्ड घुसा देगा तब पूछूगी तुझसे की क्यों पागल बनते हैं?" और टीना नेहा के कपड़े उतारने लगती है।

अब नेहा ने भी हथियार डाल दिए और आगे बढ़कर टीना के होंठों से होंठ मिला दिए।
 
अब नेहा ने भी हथियार डाल दिए और आगे बढ़कर टीना के होंठों से होंठ मिला दिए।

टीना- “अहह... ये हुई ना बात.." और दोनों किसिंग करने लगी। चपर-चपर की आवाज निकल रही थी- ओहह... सस्स्सी ... और टीना नेहा के कपड़े उतार देती है- “वओ... यार तेरी चूचियां मस्त हैं.."

नेहा- क्या पहली बार देख रही है?

टीना- तभी तो बोल रही हूँ की इनका साइज कैसे बढ़ गया? कहीं तो गड़बड़ है?

नेहा- क्या बकवास कर रही है? ऐसा कुछ भी नहीं है।

टीना सोचती है- “मुझे तो पूरा शक हो रहा है... अब तो चूत देखकर ही पता चलेगा..." और टीना बाकी कपड़े भी उतार देती है, और नेहा की टांगें फैलाकर चूत को देखती है।

नेहा अब तक तीन बार चुद चुकी थी। चूत की सूजन अब तक नहीं उतरी थी। टीना के चेहरे पर चूत की हालत देखकर मुश्कान दौड़ गई।

टीना- “हाँ तो मेरी शराफात की देवी, इसका बाजा बजाने वाला कौन है?" और अपनी दो उंगली चूत में घुसा देती
अब नेहा क्या बोलती? चूत ने नेहा की पोल खोलकर रख दी थी।

टीना- देख नेहा, तू मेरे सारे राज जानती है। बता ना कौन है वो?

नेहा एकदम खामोश नजरें झुकाये रहती है।

टीना नेहा के मुँह से सुनना चाहती थी।

नेहा बड़ी धीमी आवाज में समीर का नाम लेती है- “समीर भइया..."

टीना को झटका लगता है- “ओहह... मेरी बन्नो रानी तू तो भाईचोद बन गई.."

नेहा बेचारी झेंप गई, टीना से रिकावेस्ट करती है- "देख यार, ये बात तेरे मेरे बीच में ही रहनी चाहिए...”

टीना- “तू फिकर ना कर यार, तू मुझे सबसे अजीज है तेरा ये राज मेरे जिश्म में दफन रहेगा..."

फिर दोनों की मस्ती अब चूत चुसाई तक पहुँच गई। टीना ने नेहा की चूत पर जीभ लगाई हुई थी, और नेहा भी टीना की चूत चाट रही थी।

टीना- “आहह... आss आss इसस्स्स
... उम्म्म्म

नेहा- हाँ हाँ उम्म्म्म ... इसस्स्स्स ..."
दोनों की मस्ती बढ़ती जा रही थी।

टीना- “अहह... हाईई नेहा कुछ करो... उस्स्स... आअहह... अहह... आआआ.. उम्म्म्म
... मजा आगया आह्ह..”

टीना से अब कंट्रोल नहीं हो रहा था, और नेहा को गोद में खींच लेती है और अपनी चूत नेहा की चूत से भिड़ा देती है। दोनों की भड़की हुई चूत मिलते ही रगड़ शुरू हो गई। नेहा भी बराबर घिस्से मार रही थी।

टीना- हाँ ऐसे ही मार धक्के जोर-जोर से।

दोनों का पानी निकाल जाता है।

टीना- अहह... मेरी जान आज तो कमाल कर दिया तूने?

नेहा- चल अब जल्दी से कपड़े पहन ले कहीं मम्मी पापा ना आ जाय?

टीना- आने दे तेरे पापा को भी।

नेहा- प्लीज़्ज... यार तू फिर शुरू हो गई।

टीना- “अच्छा बाबा सारी..” और दोनों कपड़े पहनने लगते हैं।

नेहा- एक चीज दिखाऊँ तुझे?

टीना- क्या है?

नेहा- "रबड़ का लण्ड..." और नेहा अलमारी से निकालती है।

टीना की आँखों में चमक आ जाती है, और हाथ में लेकर- "ये कहां से मिला तुझे? ये तो बिल्कुल लण्ड ही लग रहा है...'

फिर नेहा टीना को रबड़ का लण्ड कैसे मिला पूरी बात बताती है।

टीना- यार ये समीर की मेडम भी बड़ी पहुँची चीज मालूम होती है।

टीना- यार इस लण्ड को तो मुझे दे दे, तुझे तो असली मिलने वाला है।

नेहा- तू रख ले, मैंने कब मना किया है?

टीना- एक बार ट्राई करके देखू, चूत में कैसे जाता है?

नेहा- अभी रहने दे। रात में करके देख लियो।

टीना- “रात को तो मुझे समीर का असली लण्ड चाहिए। बड़े दिन हो गये चूत में लण्ड गये। आज तो मैं खुद रुकने वाली थी..." और टीना ने फिर अपने कपड़े उतार दिए, ब्रा पैंटी भी उतार दी और धीरे-धीरे प्लास्टिक का लण्ड चूत में डालने लगी।

नेहा खड़ी टीना को आँखें फाड़े देख रही थी कि कैसे मोटा प्लास्टिक का लण्ड चूत में ले रही थी?

नेहा- कैसा लग रहा है टीना?

टीना- तू हेल्प कर ना यार, अंदर नहीं जा रहा।

नेहा- मैं तेरी हेल्प अब रात को करूंगी।

तभी डोरबेल बजती है।
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टीना जल्दी से डिल्डो अलमारी में रखती है और कपड़े पहनने लगती है।

नेहा- "तू अपना हुलिया ठीक कर और बेड की चादर भी। मैं दरवाजा खोलने जाती हूँ.."

नेहा दरवाजा खोलती है तो पापा मम्मी ढेर सारी शापिंग करके लाए थे। मम्मी के दोनों हाथों में बैग संभल नहीं रहे थे। नेहा जल्दी से एक बैग पकड़ लेती है, और कहती है- "क्या मम्मी, इतने सामान की क्या जरूरत थी?"

नेहा दरवाजा खोलती है।

अंजली- मेरी बेटी की सगाई है, खूब धूम-धाम से होगी।

नेहा शर्माकर नजरें झुका लेती है।

तभी टीना भी आ जाती है, और एक बैग टीना पकड़ती है और दोनों किचेन में रख देती हैं।

अंजली- “सुनो जी, किरण को अभी बुला लेती हूँ। मेरी किचेन में हेल्प हो जायेगी और किरण खीर बड़ी सवादिष्ट बनाती है..'

अजय- हाँ बुला लो।

अंजली किरण को फोन करती है- “भाभी तुम अभी आ जाओ, कल की बहुत तैयारी करनी है."

किरण- ठीक है अंजली भाभी। समीर को भेज दो, मैं उसके साथ आ जाऊँगी।

अंजली- “समीर मार्केट गया है। मैं फोन करती हूँ की वापसी में तुम्हें लेता आयेगा..." और फोन काट देती है।
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अंजली समीर को फोन पर किरण को साथ लाने को बोल देती है, और समीर वापसी में किरण आँटी के घर पहुँचता है। मेंनगेट खुला हुआ था। समीर अपना सामान का बैग लेकर अंदर आ जाता है और गेट बंद करके आँटी को देखता है।

समीर- आँटी कहां हो तुम?

घर में एकदम खामोशी छाई थी। तभी पानी के गिरने की आवाज आती है।

समीर मन में- "शायद आँटी नहा रही हैं... और समीर बाथरूम की तरफ जाने लगता है।

समीर की किश्मत शायद आज खुलने वाली थी। बाथरूम का दरवाजा भी खुला था। समीर की नजरें अंदर पहुँचती हैं। क्या मस्त नजारा था। किरण एकदम नंगी अपने जिश्म को साबुन से मल-मल कर नहा रही थी। समीर एकटक किरण को निहारता है और सोचता है की क्या मस्त फिगर है आँटी का, एकदम गोल-गोल चूचियां, फिर ये पतली कमर आह्ह... मेरा तो लौड़ा ही खड़ा हो गया। और समीर बाथरूम के अंदर घुस गया।

किरण इस आहट से एकदम हड़बड़ा जाती है। सामने समीर को देखकर किरण बोली- “शैतान, तूने तो मुझे डरा ही दिया। चल बाहर शर्म नहीं आती तुझे?"

समीर- आँटी कसम से, आपको देखकर ऐसा लगता है जैसे तुम कोई सुंदरता की मूरत हो।

किरण- बदमाश कहीं का, मुझे बहका रहा है।

समीर- नहीं आँटी, रियली कसम से में सच कह रहा हूँ।

किरण- अच्छा जी... तो फिर क्या इरादा है तेरा?

समीर- मुझे भी इस सुंदर से जिश्म से खेलने दो।

किरण- अब कुछ दिन बाद दिव्या से खेलना।

समीर-आँटी दिव्या से खेलने से पहले आपसे कुछ सीख तो लूँ। कहीं पहली बाल पर आउट हो गया तो मेरी तो नाक ही कट जायेगी।

किरण- तो तूने आज तक बैटिंग नहीं की?

समीर- अभी तक सिर्फ बल्ला थामे हूँ, बैटिंग करने को कोई बाल ही नहीं मिली।

किरण- "ये तो वाकई बड़ी गंभीर समस्या है तेरी... चल आज तुझे बैटिंग करना सिखा देती हूँ। दिव्या के सामने तेरी नाक नहीं कटने दूंगी..." और समीर का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लेती है- “पहले जरा अपना बैट दिखाओ... छक्का मारने लायक भी है या बस सिंगल से ही काम चलायेगा?"

किरण समीर के कपड़े उतार देती है। समीर का बैट देखकर किरण बोलती है- "ओह माई गोड... ये तो हर बाल पर सिर्फ छक्का ही मारेगा..." और किरण अपने हाथों से पकड़कर लण्ड का मआइना करती है।

किरण- क्या तूने वाकई आज तक बैटिंग नहीं करी?

समीर- नहीं आँटी। मुझे आज तक बाल के दर्शन नहीं हुए।

किरण समीर को लेकर बेडरूम में आ जाती है- “आज त बाल के दर्शन भी करना, और चाहे तो बाल को चूम भी लेना..."

समीर- सच्ची में?

किरण अब समीर के लण्ड को अपने मुँह के करीब लाती है और एकदम अपने मुँह में भर लेती है। समीर को किरण से इतनी जल्दी की उम्मीद नहीं थी।

समीर- "ओहह... मेरी आँटी आहह... सस्स्सी ... क्या करती हो? ऐसे भी होता है क्या?" समीर किरण के सामने अनाड़ी बनाना चाहता था।
 
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