Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - Page 9 - SexBaba
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Kamukta Story घर की मुर्गियाँ

नेहा- भइया ऐसी बात ना करो, कभी मुझसे दूर मत जाना।

समीर- “मेरी प्यारी गड़िया काम के लिए दूर भी जाना पड़ता है। चल आराम से बैठकर बातें करते है और हाँ ये आइसक्रीम दो प्याली में करके ला..."

नेहा आइसक्रीम लेकर किचेन में चली गई। मगर सिर्फ नेहा के हाथ में एक ही प्याली थी- “लीजिए भइया..."

समीर- अरे... नेहा अपने लिए नहीं लाई?

नेहा- भइया अपने हाथों से खिला दो ना?

समीर- कितनी भोली है चल आ, मैं अपनी गुड़िया रानी को अपने हाथों से खिलता हूँ... अरे... इसमें तो चम्मच
भी नहीं है। तू बैठ मैं लेकर आता है।

नेहा- नहीं मुझे चम्मच से नहीं खानी, अपनी उंगली से खिलाओ।

समीर- "उफफ्फ... उफफ्फ... मुझसे क्या-क्या करायगी तू?" और समीर ने अपने उंगली से आइसक्रीम निकाली
और नेहा के मुँह में डाली।

नेहा ने समीर की उंगली को अपने होंठों में भींच लिया।

समीर- बहुत नटखट गो गई है तू।

नेहा- "भइया आपके प्यार ने सिखा दिया..." फिर नेहा ने अपनी उंगली में आइसक्रीम ली और समीर से कहा “भइया मुँह खोलिए..."

समीर ने मुँह खोल दिया, तो नेहा ने अपनी उंगली समीर के मुँह में डाल दी। समीर ने आइसक्रीम खा ली और नेहा ने उंगली बाहर निकालकर अपने मुँह में डाली। कितना सेक्सी स्टाइल बनाया था नेहा ने। समीर से रहा नहीं गया, और उसने नेहा को अपनी बाँहो में जकड़ लिया।

नेहा- “आहह... भइया पहले आइसक्रीम तो खा लो..."

समीर ने अपने होंठ नेहा के होंठों से लगा लिया और नीचे का होंठ दांतों से काटने लगा।

नेहा- "उईई... क्या करते हो भइया दर्द होता है..."

समीर- “क्यों मजा नहीं आता?"

नेहा- मजा भी आता है।

समीर- "नेहा यहां बैठ, और मेरी बात ध्यान से सुन... और नाराज नहीं होना.."

नेहा- क्या बात है भइया?

समीर- “नेहा, मैं कल आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ 10-12 दिन के लिए। कंपनी को बहुत बड़ा आर्डर मिलने वाला है.."

नेहा एकदम चकित रह गई और बस समीर को घूर रही थी।

समीर- "प्लीज्ज... नेहा ऐसे मत देखो... अगर तू कहेगी तो मैं नहीं जाऊँगा, चाहे मेरी नौकरी भी चली जाय..”

नेहा की आँखों में पानी आ गया। समीर को नेहा से इतने प्यार की उम्मीद नहीं थी।

नेहा भीगी-भीगी पलकों से- "नहीं भइया तुम चले जाओ, 10-12 दिन की ही तो बात है..."

समीर भी बहुत भावुक हो गया और नेहा को गले से लगा लिया- “ओहह... मेरी प्यारी गुड़िया वहां से आकर तुझे इतना प्यार करूँगा तेरे सारे गम भुला दूंगा.." और समीर के होंठ नेहा के होंठों से चिपक गये, जैसे कोई गेम खेल रहे हों। कभी नेहा होंठों को पकड़ती कभी समीर। यूँ ही मस्ती में दोनों एक दूजे के होंठों का जाम पी रहे थे। तभी दरवाजे पर दस्तक होती है।

समीर- “मम्मी आई होगी मैं दरवाजा खोलता हूँ। तू जाकर अपना मुँह साफ कर ले, आइसक्रीम लगी है..." और समीर दरवाजा खोलता है। सामने मम्मी खड़ी थी।

अंजली- बेटा, तू आज कंपनी नहीं गया?

समीर- जी मम्मी गया था। कंपनी को आस्ट्रेलिया से बहुत बड़ा आर्डर मिल रहा है। कल संजना मेडम के साथ 10-12 दिन के लिए आस्ट्रेलिया जा रहा हूँ।

अंजली चकित हो जाती है- “क्या? आस्ट्रेलिया..'

समीर- जी मम्मी, बस तैयारी कर लूँ पैकिंग भी करनी है।

तभी नेहा भी आ जाती है।

अंजली- नेहा अपने भाई की पैकिंग में हेल्प करवा दे। तेरे भाई का कोई सामान रह ना जाये।

नेहा- जी मम्मी।

अंजली- बेटा तेरे लिए खाने में क्या बनाऊँ?

समीर- “मम्मी तेरे हाथ की खीर बहुत याद आयेगी वहां। तू खीर बना दे तब तक मैं मार्केट से लवर और बनियान ले आऊँ.."

अंजली- बेटा जल्दी आना।

समीर- जी मम्मी ।

नेहा- "भइया मुझे भी मार्केट जाना है कुछ सामान लेना है। मैं भी आपके साथ चलती हूँ..” और दोनों मार्केट निकल गये। नेहा बाइक पर दोनों तरफ पैर करके बैठी थी।

समीर- तुझे क्या लेना है मार्केट से?

नेहा- मेरी भी पर्सनल चीजें हैं।

समीर- क्या वो बताने वाली नहीं है?

नेहा- जब आपके साथ आई हैं तो छुप भी नहीं पायेगी।

समीर- तो फिर बता ना क्यों घुमा फिरा के बात कर रही है?

नेहा- मुझे पैड खरीदना है।

समीर- कैसे पैड?

नेहा- भइया तुम्हें मालूम है मुझे पीरियड हो रहे हैं, उसे के लिए पै होते हैं।

समीर- आह्ह... मैं तो समझ रहा था तू वो लेने आई है।

नेहा- वो क्या?

समीर- ब्रा पैंटी।

थोड़ी देर दोनों चुप हो गये।

समीर- नेहा एक बात पूछू?
 
नेहा- हाँ भइया पूछो।

समीर- तेरा साइज कितना है?

नेहा- क्या? साइज... कैसा साइज?

समीर- “तू समझ तो गई बता ना प्लीज़्ज.."

नेहा- क्यों पूछ रहे हो भइया?

समीर- बस ऐसे ही।

नेहा- “32" इंच.."

दोनों बातों-बातों में
समीर ने अपने अंडरगामेंट खरीदे, और नेहा के लिए विश्पर पैड।

समीर- और कुछ चाहिए नेहा तुझे?

नेहा- एक वीट-क्रीम और दिला दो।

समीर ने वीट हियर रिमूवर क्रीम लेकर नेहा को दी।

नेहा- बस भइया चलो घर।

समीर- चल कोल्ड ड्रिंक पीते हैं।

तभी नेहा का मोबाइल बजता है। ये टीना का फोन था।

टीना- हेलो नेहा कहां है?

नेहा- मैं मार्केट में भइया के साथ शापिंग करने आई हूँ। क्या हुआ?

टीना- यार घर में अकेली बोर हो रही हूँ तेरे पास आ जाओ सोने के लिए।

नेहा- यार हमें तो अभी बहुत देर हो जायेगी आने में। तू सुबह आ जाना.." और नेहा फोन डिसकनेक्ट करती है।

समीर नेहा का चेहरा देखता रह गया। नेहा ने कोल्ड ड्रिंक फिनिश की, और दोनों घर के लिए निकल पड़े।

नेहा- भइया आपने बताया नहीं?

समीर- क्या?

नेहा- आपने साइज क्यों पूछा?

समीर- वक्त आने पर बताऊँगा।

नेहा समीर से चिपकी बैठी थी। नेहा की चूचियां समीर की कमर में धंसी हुई थीं, जो समीर की बेचैनी पल-पल बढ़ा रही थीं। ये नेहा भी जानती थी। और यूँ ही दोनों घर आ गये। समीर ने बाइक खड़ी करके अपनी पैंट में लण्ड अड्जस्ट किया, और ऐसा करते हुए नेहा की नजर पहुँच गई। समीर एकदम झेंप गया। मगर नेहा के चेहरे पर बड़ी सेक्सी स्माइल थी।

समीर भी बिना मुश्कुराये नहीं रह सका, कहा- “बहुत शरारती है तू नेहा."

अजय भी आ चुका था। सबने मिलकर खाना खाया। अजय ने भी समीर से आस्ट्रेलिया के बारे में पूछा, और बातें कर त के 10:00 बज गये। समीर ऊपर अपने रूम में चला गया, और बेड पर लेटा टीना के बारे में सोच रहा था। नेहा ने टीना को मना क्यों किया आज?

तभी नेहा रूम में आ गई, एक छोटी सी पारदर्शी नाइटी पहने हुए। नेहा बोली- “लाओ भइया, अपना बैग दो मुझे, आपकी पैकिंग करा दूं.."

समीर ने नेहा का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया, और कहा- “पहले थोड़ा प्यार तो कर लूँ..."

नेहा- “भइया पहले पैकिंग तो कर लो.." और नेहा हाथ छुड़ाने लगी।

समीर के हाथ में नेहा की चूचियां आ गई।

नेहा- “उफफ्फ... भइया छोड़ो ना... क्या करते हो?"

समीर- तूने आज टीना को मना क्यों किया?

नेहा- आपकी पैकिंग जो करनी थी मुझे। क्यों भइया आपको कुछ काम था टीना से?

समीर- नहीं तो... भला मुझे क्या काम होगा?

नेहा- "किसी को तो होगा टीना से काम?" नेहा ने समीर की पैंट की तरफ इशारा कर

समीर- तू तो बहुत चुलबुली हो गई है। ये सब तुझे टीना ने सिखाया है?

नेहा- “नहीं भइया, ये सब मुझे आपके प्यार ने सिखाया है..” और नेहा समीर से लिपट गई, अपने होंठों से समीर के होंठ चूसने लगी।

समीर- नेहा।

नेहा- जी भइया।

समीर- तू बहुत प्यारी है।

नेहा- भइया आप भी तो बहुत अच्छे हो।
 
समीर- बोल तुझे क्या चाहिए अपने भइया से? मैं तेरे लिए लेकर आऊँगा।

नेहा- "बस आपका प्यार चाहिए..." और नेहा बेड से उतर गई। फिर समीर के सामान की पैकिंग कराई। फिर दोनों एक दूजे की बाँहो में लिपटकर सो गये।

सुबह 6:00 बजे समीर की आँख खुली। नेहा लिपटे हुए सो रही थी। समीर ने झुक कर नेहा को किस किया। कितनी मासूम है नेहा? कैसे कर पाऊँगा इसके साथ सेक्स? इसकी एक आड भी निकलते देख नहीं सकता, और समीर नेहा को उठाता है।

नेहा उठते हुए- “गुड मार्निंग भइया..

समीर- गुड मार्निंग। चल अपने कपड़े ठीक कर। कहीं इस हालत में किसी ने हमें देख लिया तो जाने क्या समझेगा?

दोपहर एक बजे समीर को एयरपोर्ट छोड़ने, अजय अंजली नेहा भी साथ गई, और फिर चलते टाइम सबकी आँखें भीगी थी।

नेहा समीर के गले लगते हए- “भइया जल्दी घर आना.."

समीर और संजना सबसे गले मिलकर चले गये

नेहा बुझे मन से मम्मी पापा के साथ वापस घर आ गई

समीर और संजना दूसरे मुल्क में अकेले जाने क्या-क्या गुल खिलाते हैं।
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संजना- कैसा लग रहा है समीर इंडिया से बाहर जाकर

समीर- मुझे बड़ी अजीब सी फीलिंग हो रही है।

संजना- पहली बार ऐसा ही होता है। अगली बार नहीं होगा।

समीर- मेडम आप पहले भी जा चुकी हो?

संजना- आस्ट्रेलिया तो पहली बार जा रही हूँ। वैसे चाइना और दुबई तो कई बार जा चुकी हूँ।

समीर- मेम, एयरपोर्ट आयेगा कोई हमें लेने?

संजना- हाँ मेरी बात हो चुकी है। कंपनी से मैनेजर हमें लेने आयेगा।

हम आस्ट्रेलिया पहुँच गये। मैनेजर हमें एयरपोर्ट से लेकर सीधा होटल पहुँचा।

मैनेजर- "मेडम, आज आप यहां आराम कीजिए। सुबह मैं आपको कंपनी ले जाऊँगा..."

कितना शानदार होटल बना था। रिसिप्शन पर दो लड़किया.. उफफ्फ... इतने शार्ट कपड़े पहने थी की बस लण्ड और चूत ही कवर हो पा रही थी। संजना और समीर देखते रह गये।

संजना- पहले कुछ खाने का आर्डर कर दें।

लड़की- मेम आप रूम में चलिये। हम खाना आपके रूम में भिजवा देंगे।

संजना- “ओके.." और दोनों रूम में पहुँच गये।

खाना खाकर संजना ने समीर के सामने ही अपने कपड़े उतारे, और एक नाइटी पहन ली। ऐसा हाट सीन देखकर समीर का लौड़ा टाइट हो गया, और समीर ने भी अपने कपड़े संजना के सामने ही बदल लिए, और दोनों आकर बेड पर लेट गये।

संजना- समीर कुछ चाहिए?

समीर- जी मेडम।

संजना- क्या?

समीर भी एकदम खुला बोलता है- “आपकी चूत..."

संजना- बड़े बेशर्म हो, कितना गंदा बोलते हो।

समीर- “और क्या कहूँ, जब आपने बोला क्या चाहिए?"

संजना समीर की तरफ मुँह करके लेटी थी। समीर खिसक कर संजना के ऊपर आ गया, और अपने होंठ संजना के होंठों से मिला दिए। समीर भी कई दिन से चूत का प्यासा था। समीर ने संजना को बाँहो में भर लिया और उसका जिश्म चूमने लगा।

संजना तड़प सी गई, और समीर का भी लवर उतार फेंका। अंडरवेर में लण्ड का उभार संजना को साफ दिख रहा था। संजना बोली- “क्या बात है समीर, आज तो लण्ड का साइज डबल लग रहा है?” कहकर संजना से लण्ड अंडरवेर से बाहर निकाल लिया और सहलाने लगी।

समीर- “आहह... इस्स्स्स ... है ओहह... आराम से.." और गप्प से लण्ड मुँह में उतार लिया। बड़े ही प्यार से लण्ड
को अपने अंदर समा रही थी।

समीर- क्यों मेडम, कैसा लग है?

संजना ने लण्ड मुँह से बाहर निकाला, और कहा- "बड़ा ही टेस्टी लग रहा है.."

समीर ने मेडम के सारे कपड़े निकाल दिए और दोनों टाँगें फैलाकर चूत को निहारने लगा। चूत इस वक्त पूरी गीली हो चुकी थी। समीर बोला- “हाय मेडम... क्या मस्त चूत है आपकी... जी चाहता है सारा रस निचोड़ लूँ..."

संजना- "निचोड़ लो समीर..."

समीर के होंठ चूत के बहते रस को चाटने लगी।

संजना के सिसकारियां रूम में गूंजने लगीं। क्या मस्त सिसकियां ले रही थी संजना- “आहह... सस्स्सी ... उम्म्म ...

आss आss आहह... ऐसे ही समीर आहह... उफफ्फ मजा आ रह है उफफ्फ... उईईई...”

अब समीर से रहा नहीं जा रहा था। संजना को डोगी स्टाइल बनाया और लण्ड चूत के छेद से टिकाकर एक हल्का सा धक्का मारा, तो गीली चूत में घुसता चला गया।

संजना- आह्ह... मजा आ गया... क्या मस्त लण्ड है... समीर पूरा घुसा दो जड़ तक.."

समीर भी पूरे जोश में आ चुका था, मगर धक्के धीरे-धीरे मार रहा था।

संजना- “आहह... समीर आहह... समीर हाँ... ऐसे ही जोर से मारो... और जोर से... आहह... उईई आss ओहह... हाँ हान आहह..."

समीर ने संजना को अपने नीचे कर लिया और निप्पल मुँह में भर लिए और चूचियों को चूसने लगा। नीचे से लण्ड भी चूत में घुसा था, धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी।

संजना से अब बर्दाश्त करना मुश्किल था, और ढेर सारे पानी ने समीर का लण्ड भिगो दिया। जिससे लण्ड भी ना टिक सका और झटके मारते हए चूत की गहराई में तीन धार छोड़ी, जिसने संजना को तृप्त कर दिया। और दोनों यूँ ही नंगे लेटे सो गये।

सुबह समीर जल्दी उठ गया। संजना समीर से लिपटी हुई सो रही थी। समीर ने संजना के हाथ हटाये और बेड से उठकर बाथरूम में पहुँचकर फ्रेश हुआ, और अपने रूम से निकलकर रिसेप्षन पर पहँचा।

रिसेप्शनिस्ट लड़की- “गुड मार्निंग सर.."

समीर- “गुड मार्निंग." उफफ्फ... क्या हसीन लड़कियां थीं, वो भी सिर्फ ब्रा पैंटी में दूध जैसी सफेद, आधे से ज्यादा बाहर झाँकती चूचियां। समीर सोचता है- “यहां कितने मजे हैं, ऐसे हसीन नजारे देखने को मिलेंगे."
*****
*****
 
समीर ने नेहा के पास फोन मिलाया। काफी देर घंटी जाने के बाद नेहा ने फोन रिसीव किया।

नेहा- हेलो।

समीर- बड़ी देर से उठाया। \

नेहा- भइया मैं सो रही थी। आप पहुँच गये?

समीर- हाँ पहुँच गया। चल मम्मी से बात करा।

नेहा- इस वक्त?

समीर- 7:00 बज चुके हैं।

नेहा- भइया यहां तो अभी रात के 3:00 बजे हैं।

समीर- “ओह माई गोड... सारी नेहा, चल सो जा बाद में बात करूँगा...” और समीर फोन काटकर रूम ही
संजना अभी भी सो रही थी।

समीर- “उठिये मेडम 7:00 बज चुके हैं..”

संजना अंगड़ाई ले
आहह... समीर आ जाओ.." और संजना ने समीर को अपने ऊपर खींच लिया।

समीर- मेडम आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ, हमें मैनेजर लेने आ जायेगा।

संजना फिर भी समीर से लिपटे हुए समीर के होंठ चूम लेती है।

समीर- ऐसा लगता है में आप यहां पर आर्डर लेने नहीं हनीमून मनाने आई हो?

संजना- “ऐसा ही समझ लो..." और संजना ने समीर को लण्ड पकड़ लिया

समीर- “उफफ्फ... मेडम बस अब नहीं। मैं फ्रेश हो चुका हूँ..” ।

संजना- “अब तो तुम्हें सुबह शाम प्यार करना होगा, हनीमून तो ऐसे ही मनाते हैं.." और संजना समीर की पैंट खोलने लगी।

समीर- मेम, ये दिव्या के साथ धोखा है।

संजना- अभी कोई शादी थोड़े हुई है तुम्हारी। ये तो तुम्हारा ट्रायल चल रहा है।

समीर- आपने पास तो कर दिया मुझे, फिर ये टेस्ट कब तक?

संजना- क्या तुम्हें सेक्स में इंटरेस्ट नहीं आता?

समीर- आता है।

संजना- फिर क्यों झिझकते हो तुम्हें मालूम है यहां पर सेक्स की कितनी आजादी है?

समीर- जी मेम।

संजना ने अब तक लण्ड मुँह भर लिया था। समीर को भी जोश चढ़ गया और संजना के मुँह में धक्के मारने लगा। एक बार और संजना की चूत में लण्ड उतार दिया। सुबह-सुबह की चुदाई में संजना को मजा आ गया।

मजा आ गया समीर... क्या मस्त चुदाई करते हो...” और
संजना- “आहह... आह... आहह... आहह... आह्ह... उम्म्म दोनों एक साथ झड़ गये।

संजना और समीर एक साथ बाथरूम में घुस गये। यहां आस्ट्रेलिया में संजना समीर को शायद इसीलिए लाई थी।
***
**
 
इधर अजय आज सुबह-सुबह दुकान पर पहुँच गया।

विजय भी दुकान पर जा रहा था।

टीना- पापा मैं ब्यूटी पार्लर सीख लूं?

विजय- क्यों नहीं बेटा, ये तो अच्छी बात है।

टीना "मुझे नेहा के पास छोड़ देना, मैं नेहा के साथ चली जाऊँगी..." और टीना अपने पापा के साथ नेहा के घर आ जाती है।

अंजली- "अरे... भाई साहब आप... आइए.."

विजय- नहीं भाभी, बस चलता हूँ ये टीना ब्यूटी पार्लर सीखना चाहती है।

अंजली- ये तो अच्छा है, घर में अकेले बोर भी हो जाती होगी।

विजय- नेहा के साथ चली जायेगी।

अंजली नेहा को आवाज देती है, और टीना और नेहा चले गये।

विजय- "भाभी मैं भी चलता हूँ..." और विजय अपना बैग उठाकर जाने लगता है।

अंजली ने विजय के हाथ से बैग लेकर सोफे पर रख दिया, और कहा- “ऐसे कैसे जा सकते हो? पहले चाय बनाकर लाती हूँ.." और अंजली दो कप चाय बना लाई, और विजय के सामने सोफे पर बैठ गई।

अंजली- इस बैग में क्या ले जा रहे हो?

विजय- भाभी इसमें नाइटी है।

अंजली- मुझे भी दिखाइए।

विजय- “हाँ, क्यों नहीं..." और विजय बैग खोलता है।

अंजली- वाउ कितनी प्यारी है भाई साहब।

विजय- भाभी जो पसंद आये निकाल लो।

अंजली ने 4-5 नाइटी निकाल ली।

विजय- भाभी फिटिंग चेक कर लो।

अंजली- “अभी देखती हँ..." और अंजली नाइटी लेकर अपने रूम में जाने लगती है।

विजय- भाभी हमें भी दिखाना... हम भी तो देखें की हमारी भाभी इन नाइटी में कैसी लगती है?

अंजली- "क्यों नहीं... अभी आई चेंज करके..." और अंजली रूम में चली गई।

विजय बैठा हुआ अंजली को जाता हुआ देखता रहा- “उफफ्फ... क्या गोलाईयां है गाण्ड की एकदम डनलप के गद्दे..” और विजय का लण्ड फूफकर मरने लगा।

तभी अंजली एक नाइटी पहनकर बाहर आती है। विजय मुँह खोले देखता रह गया। अंजली भी विजय को ऐसा देखते हुए झिझकने लगी।

अंजली- ऐसे क्या देख रहे हो भाई साहब?

विजय की तंद्रा टूटती है, और कहता है- "उफफ्फ... भाभी कसम से क्या हाट लग रही हो... अगर तुम मेरी भाभी
ना होती तो आज... ...” |

अंजली- तो क्या करते आज?

विजय- बस भाभी अब तक तो मैं तुम्हें लिपट जाता।

अंजली- बस रहने दो, अब इतनी भी हाट नहीं लग रही।

विजय- भाभी एक बार पलटकर दिखाओ?

अंजली- “क्या देखना है पीछे?" कहकर अंजली पलट जाती है तो गाण्ड की गोलाईयां देख कर विजय तड़प गया
और सोफे से उठकर अंजली को बाँहो में भर लिया।

विजय- "आप पीछे से भी कयामत हो..."

अंजली- अरे... भाई साहब क्या करते हो... कोई आ गया तो?

विजय- अब मुझसे नहीं रुका जायेगा, ऐसा हुश्न है आपका।

अंजली- “भाई साहब अभी और नाइटी भी ट्राई करनी है, तुम तो एक में ही लिपट गये। मैं दूसरी ट्राई करती हूँ..”
 
उधर अजय दुकान पर बैठा सोच रहा था की कई दिन से ना किरण की खबर है ना टीना की। आज तो किरण
का दूसरा रूम भी देख लूं, और अजय किरण को फोन मिलाता है।

किरण- हेलो।

अजय- हेलो भाभी कैसी हो?

किरण- मैं ठीक हूँ, आजकल आप ही बिजी हो।

अजय- आज कुछ नया खाने को मिलेगा क्या?

किरण- भाई साहब हमने आपको कभी मना किया है? जो आप हमसे पूछते हैं।

अजय- अरें.. नहीं, मैं तो ये पूछ रहा था की टीना कहां है? .

किरण- वो तो ब्यूटी पार्लर सीखने गई है।

अजय- अच्छा तो में पहुँचता हूँ, आप मेरे लिए खाना तैयार करें।

किरण- आप आइए खाना तैयार मिलेगा।

अजय दुकान से किरण के घर के लिए निकल पड़ा।
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उधर अंजली दूसरी नाइटी पहनने के लिए रूम में पहुँचती है। मगर दरवाजा खुला रखती है। विजय का मन अंजली को देखने के लिए मचलता है, और वो रूम में झाँकने लगता है। उफफ्फ... क्या नजारा था सामने। विजय से ये नजारा देखकर रुका नहीं गया और अंदर रूम में घुस गया।

अंजली को विजय से ऐसी उम्मीद नहीं थी। जब तक अंजली संभाल पाती विजय ने अंजली को बाँहो में जकड़ लिया।
अंजली बोली- “ओहह... भाई साहब ये क्या कर रहे हो आप?"

विजय- भाभी आपने आग ही ऐसी लगा दी। अब तो ये आग आपको ही बुझानी पड़ेगी।

अंजली- हटिये, मैं पानी लाती हूँ।

विजय- अब ये आग पानी से नहीं बुझेगी।

अंजली- फिर?

विजय ने अंजली की चूचियों के निप्पल मसलते हुए कहा- “अब ये आग इस अमृत से ही बुझेगी। क्या ये अमृत मुझे मिल सकता है?"

अंजली- ये अमृत आपके दोस्त की अमानत है।

विजय- "अरें... भाभी आपके पास तो अमृत का सागर है थोड़ा इस प्यासे को भी पिला दो..” और विजय ने अपने होंठों को निप्पल से लगा दिए।

अंजली- "आss ओहह... स्स्सीईए उम्म्म्म
... आss भाई साहब पहले दरवाजे तो बंद कर आइए..."

विजय भागकर दरवाजे बंद करता है, और आकर अंजली को गोद में उठा लेता है- “ओहह... मेरी प्यारी भाभी
आज अपने देवर की प्यास बुझा दो.." और अंजली को बेड पर लिटा देता है.." फिर विजय ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारे और अंजली के ऊपर कूद पड़ा, और चूचियों को चूसने लगा।

अंजली की सिसकारी निकाल रही थी- “आहह... उईईई... सस्स्सी
आह्ह... अहह..”

विजय को बड़ा मजा आ रहा था- "भाभी बड़ा ही मीठा अमृत है। मजा आ गया..."

अंजली भी सिसक रही थी। विजय चूचियों को चूसते हुए नीचे जाने लगा, और पेट को चूमने लगा। अंजली में कंपन शुरू हो गई- “भाई साहब वहां नहीं."

विजय ने तब तक अंजली को पूरा नंगी कर दिया- “भाभी अमृत के साथ थोड़ा मक्खन भी टेस्ट करा दो..." और विजय ने अपने होंठ चूत के ऊपर टिका दिए।

अंजली तो तड़प गई- "ओहह... उम्म्म्म ... स्स्स्स्सी ... जोर से करो उईई... उफफ्फ... उईई... अहह...” और अंजली के हाथ विजय के बालों को सहलाने लगे।

विजय की जीभ चूत के गहराई नाप रही थी, और अंजली की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। चूत इतना पानी छोड़ रही थी, जिसे विजय मक्खन की तरह चूस रहा था। अंजली भी कब तक रुकती, ढेर सारा पानी एकदम उड़ेल दिया। विजय भी सारा पानी पी गया।

विजय- आहह... भाभी मजा आ गया... आपने तो मेरी प्यास बुझा दी। बस इस मुन्ना की प्यास और बुझा दो..."
और विजय ने अपना खड़ा हआ लण्ड अंजली को दिखाया।

अंजली ने पहली बार विजय का लण्ड देखा था, कहा- “उफफ्फ... कितना बड़ा मन्ना है आपका... अब इसे मन्ना ना कहो..." फिर अंजली ने आगे बढ़कर लण्ड को हाथों में थाम लिया, और कहा- “लाओ आज मैं इसकी भी प्यास बुझा दूं

अंजली ने लण्ड को मुँह में भर लिया। विजय का लण्ड पूरे जोश में था, हल्के-हल्के धक्के विजय भी लगा रहा था। जैसे अंजली संतुष्ट हुई थी, वैसे ही अंजली भी विजय को संतुष्ट करना चाहती थी। इसलिये अपने मुँह में लण्ड को ज्यादा से ज्यादा लेने लगी।

विजय की भी सिसकारी फूट निकली- “हाँ भाभी अहह... ऐसे ही। मजा आ गया...” और विजय के धक्के अंजली के
गले में लग रहे थे।

अंजली की आँखों में पानी भी आ गया। मगर अंजली यूँ ही मस्ती में चूसती रही और विजय कब तक रोकता बस एक पल में झड़ने वाला था, तो विजय लण्ड बाहर खींचने लगा। मगर अंजली ने अपने होंठों में ऐसा दबा रखा था की विजय निकाल नहीं सका और उसकस सारा पानी अंजली के मुँह में छूट गया। अंजली ने बिना झिझके सारा पी गई

विजय- “आहह... मेरी प्यारी भाभी, आज तो मजा आ गया...” कहकर विजय ने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने और
अपनी दुकान के लिए निकाल गया।

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** उधर अजय भी किरण के घर था। अजय डोरबाल बजाता है।

किरण ने दरवाजा खोला, और कहा- “आइए। मैं तो बस आपका ही इंतजार कर रही थी...” और किरण ने दरवाजा बंद किया। अजय और किरण अब बेडरूम में थे।

अजय- भाभी सब्जी तैयार है?

किरण- आपको हेल्प करनी पड़ेगी।

अजय- क्यों नहीं बताइए भाभी क्या-क्या करना है मुझे।

किरण- पहले आपको बैगन साफ करने हैं।

अजय मुश्कुराते हुए- "भाभी, आपके बैगन तो मैं चाटकर साफ करूँगा .."

किरण- जैसे मर्जी करो। बस सब्जी सवादिष्ट बननी चाहिए। खाने में मजा आ जाए।

अजय- "भाभी बैगन तो निकालो मुझे साफ भी करने हैं..."

किरण ने अपनी कमीज ऊपर उठा दी, और कहा- “लीजिए भाई साहब एकदम ताजे बैगन..."

बस फिर किया था अजय ने दोनों बैगन हाथों में भर लिए, और कहा- “ओहह... भाभी क्या मस्त बैगन हैं... ऐसा दिल कर रहा है बस चूसकर ही खा जाऊँ..."

किरण- "जैसे आपकी मर्जी वैसे खाइए..."

अजय ने अपने होंठ निप्पल से लगा लिए और चूसने लगा।

किरण की सिसकी निकलने लगी- “आहह... इसस्स्स.... ओहह... सस्सी..."

अजय ने अब निप्पल में दांत गड़ा दिए।

किरण- "उईईई... क्या करते हो दर्द होता है... धीरे-धीरे साफ करो..."

अजय दूसरे निप्पल को उंगलियों में मसलने लगता है, और बोलता है- "भाभी मेरी हेल्प ठीक चल रही है?"

किरण- जी भाई साहब, अब बैगन तो साफ हो गये। अब चाकू निकालो में उसे भी साफ कर दूं।

अजय- "क्यों नहीं भाभी..." और अजय ने पैंट उतारकर लण्ड बाहर निकाला- "लीजिए चाकू...

किरण- क्या बात है, बड़ी तेज धार लगाकर लाए हो?

अजय- भाभी आज इसे नई सब्जी बनानी है, धार तो तेज होनी ही थी। ये सब्जी आसानी से नहीं कटेगी..."

किरण ने लण्ड को मुँह में भर लिया। .

अजय- “ओहह... भाभी कितनी हाट हो तुम? काश मैं रोज ही आपकी सब्जी खा पाऊँ..." और अजय की सिसकियां निकल रही थी- सस्स्सी ... अहह... उह्ह... अम्म्म्म ..."

किरण थोड़ी देर यूँ ही चूसती रही। फिर अजय ने लण्ड बाहर निकाल लिया।

अजय- "भाभी, नई सब्जी के दर्शन तो करवाओ?"

किरण पलटकर झुक जाती है। अजय का ऐसी गद्देदार गाण्ड देखकर मुँह खुला का खुला रह जाता है।

अजय- “उफफ्फ... भाभी क्या चीज हो तुम..” और अजय ने अपने होंठ किरण की गाण्ड पर लगा दिए।

किरण भी सिहर उठी। आज तक किरण ने कभी गाण्ड नहीं मरवाई थी।

अजय- भाभी तुम इसके लिए तैयार हो?

किरण- भाई साहब देख लो कुछ गड़बड़ ना हो जाय?

अजय- तुम बेफिकर रहो भाभी, आपको कुछ नहीं होगा। बस थोड़ा नारियल तेल मिल जाय।

किरण- "वहां ड्रेसिंग में रखा है...”

अजय नारियल तेल की शीशी उठा लेता है। ढेर सारा तेल किरण की गाण्ड में उंगली से अंदर तक लगाता है

किरण उंगली जाने से ही दर्द में उईई करती है- "भाई साहब मुझे तो डर लगने लगा। आप आगे से कर
लीजिए...”

अजय- "डरने की क्या बात हयै? ऐसा कुछ नहीं होगा..." और अजय ने थोड़ा तेल लण्ड पर भी मला- "भाभी आप तैयार हैं?"

किरण- हाँ जी।

अजय ने लण्ड को गाण्ड के छेद पर छुवाया तो किरण की आह्ह.. निकली गई। नारियल तेल की वजह से लण्ड की टोपी गाण्ड में घुस गई थी। किरण की दर्द भारी चीख निकाल गई।

किरण- "मर गई भाई साहब निकाल लो। मुझसे नहीं होगा ये.."

अजय- "भाभी बस बस हो गया...” और अजय ने अपने हाथ नीचे लेजाकर चूचियों को पकड़ लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगा।

किरण का कछ ध्यान बँट गया। अब किरण की तड़प भी थोड़ी कम लग रही थी। अजय ने ये बात नोट की और एक और धक्का लगा दिया।

किरण बिलबिला उठी- “उईईई मारर दिया अहह... प्लीज़्ज़... निकालो बाहर."

मगर अजय ने दोनों हाथों से किरण की चूचियों को जकड़ रखा था। जरा भी गिरफ़्त ढीली होती तो किरण छूट जाती, और शायद फिर कभी नहीं डलवती। अजय ने किरण पर कोई रहम नहीं किया। नारियल तेल की वजह से लण्ड घुस चुका था। अजय चूचियों को मसलता रहा।
 
कुछ देर में किरण फिर नार्मल हो चुकी थी। अजय अब धक्के लगा रहा था। मगर अब किरण का विरोध समाप्त हो गया था, और किरण भी कूल्हे पीछे करते हुए साथ देने लगी

किरण की सिसकारी पूरे घर में गूंज रही थी- "आईई.. आss आह्ह... ओहह... बस्स मार डाल्ला आज्ज तो आपने...
सस्स्सी ... आआहह... ऊहह..." और अब तो किरण भी मजे में आवाजें निकाल रही थी।

अजय- क्यों भाभी कैसा लग रहा है?

किरण- तुम तो बड़े जालिम हो।

अजय- तभी तो आपको ये मजा मिला आज।

किरण- "सही कह रहो हो भाई साहब... मैं तो अभी तक इससे महरूम थी, कभी सोचा भी नहीं इस तरफ..." और दोनों आनंद में धक्के पर धक्के लगा रहे थे।

अजय- भाभी बस होने वाला है मेरा।

किरण- अंदर ही निकाल दो... देखो कैसा लगता है यहां पर।

अजय ने ढेर सारा वीर्य किरण गाण्ड में भर दिया। आज अजय और किरण ने ये रूप भी देख लिया।

यूँ ही मस्ती में दिन गुजर रहे थे। मगर जिसके दिन नहीं कट रहे थे वो थी बेचारी नेहा। एक-एक पल समीर की यादों में करवट बदलती रहती। आज समीर को गये 8 दिन गजर गये थे। नेहा समीर को काल करती है।

नेहा- हेलो।

समीर- हेलो नेहा।

नेहा- जी भइया कैसे हो आप?

समीर- मैं ठीक हँ तू बता?

नेहा- आप अकेले हो इस वक्त?

समीर- हाँ बोल क्या बात है? मेडम बाथरूम गई हैं।

नेहा- भइया मेरा दिल नहीं लग रहा है, तुम कब आओगे?

समीर- बस हमें आर्डर तो मिल गया है। शायद कल शाम तक आ जाऊँगा।

नेहा- भइया मैंने ब्यूटी पार्लर जायन कर लिया। टीना के साथ जाती हूँ।

समीर- चलो अच्छा है, तुम्हारा दिल तो बहल जायेगा।

नेहा- नहीं भइया, अब ये दिल तो बस आपका ही इंतेजार करता है।

समीर- तू तो बिल्कुल दीवानी हो गई। मजे से रहा कर।

नेहा- भइया दिन तो कट जाता है, पर रात नहीं गुजरती।

समीर- चल आज रात की बात है, कल की रात तो मैं आ ही जाऊँगा।

तभी संजना की आने आहत होती है। समीर बोलता है- “चल मम्मी पापा को मेरा हेलो बोलना, और खुश रहा कर। अब मैं रखता हूँ..."

संजना- “किसका फोन था?" संजना बाथरूम से तौलिया लपेटे हुए आती है।

उफफ्फ... क्या हाट सीन था समीर के मुँह से आवाज नहीं निकली- “नीईईई.. आआ काअ...'

संजना- क्यों हकला रहे हो?

समीर- जब ऐसा हाट सीन सामने होगा, तो आवाज कहां से निकलेगी?

संजना- समीर आज थोड़ी शापिंग कर लें? कल तो हमें इंडिया के लिए निकलना है।

समीर- हाँ, मुझे भी नेहा के लिए कुछ गिफ्ट लेना है।

संजना- बस नेहा के लिए... अपनी होने वाली के लिए कुछ नहीं?

समीर- वो ऐसी कोई बात नहीं।

संजना- चलो इंडिया चलकर तुम्हारी शादी की डेट फिक्स करते हैं।

समीर- नहीं मेडम, पहले नेहा के लिए लड़का तलाश कर लें। मैं चाहत

संजना- हाँ क्यों नहीं। वैसे एक लड़का है मेरी नजर में।
 
समीर- कहां पर है मेडम?

संजना- हमारे अंकल का बेटा राहुल और शायद नेहा ने भी देखा होगा तुम्हारी सगाई में।

समीर- अगर ये रिश्ता हो जाय तो बड़ी अच्छी बात है।

संजना- “ये तुम मुझ पर छोड़ दो। मगर समीर तुम्हारी शादी के बाद मेरा क्या होगा?"

समीर- मेम, आपके इतने अहसान है मुझपर। मैं तो सारी जिंदगी आपको थॅंक यू बोलता रहूँगा।

संजना- “चलो पहले मार्केट चलते हैं, आकर थॅंक यू बोल देना.." फिर समीर और संजना मार्केट पहुँच गई।

तभी संजना को सेक्स टाय की दुकान नजर आती है।

संजना- “समीर ये कैसी दुकान है, चलो देखते हैं?" संजना और समीर दुकान में घुस जाते हैं। अफफ्फ अंदर का नजारा चारों तरफ सेक्सी टाय सजे थे। रबर के लण्ड कोई लम्बा, कोई मोटा, कोई दानेदार।

समीर- अरे... मेम ये सब क्या है? चलो यहां से।

संजना- समीर देखने तो दो, ये सब इंडिया में थोड़े मिलेगा तुम्हें?

समीर- तो क्या ये आपको चाहिए?

संजना- “हाँ, दो-चार तो खरीद ही लो। पता नहीं तुम्हें अपनी वाइफ से टाइम ना मिला तो?” और संजना सेल्सगर्ल से टाय कैसे इश्तेमाल किया जाता है पूछती है।

समीर बस संजना को देखता रहता है। फिर कहा- “मेम मैं बस 5 मिनट में आया..."

समीर संजना को छोड़कर बराबर में लेडीस अंडरगार्मेट की दुकान में पहुँच जाता है। वहां से 32” इंच साइज की ब्रा पैंटी के दो सेट खरीदता है और एक पिंक कलर की नाइटी और गिफ्ट पैक कराकर संजना के पास आ जाता है।

संजना- कहां चले गये थे समीर?

समीर- नेहा के लिये गिफ्ट लिया हूँ।

संजना- क्या लिया?

समीर- शूट। आपकी शापिंग हो गई?

संजना- “हाँ चलो चलते हैं..” फिर बाहर निकालते हुए संजना कहती है- "अपनी होने वाली दुल्हन के लिए कुछ नहीं लिया?"

समीर- "आपके साथ लूँगा..." और समीर ने दिव्या के लिए गले का सेट लिया। मम्मी पापा और टीना के लिए भी एक-एक गिफ्ट लिया और थोड़ी शापिंग करके वापस हो

संजना- “समीर हमारी फ्लाइट सुबह 9:00 बजे की है, और हम इंडिया में भी सुबह के 10:00 बजे तक पहुँच जायेंगे। अपना सामान अभी पैक कर लो.."

समीर- "आपका थॅंक यूँ तो कर लूँ। उसके बाद पैकिंग करेंगे..." और समीर ने संजना को बाँहो में जकड़कर- “अब तो आपको मेरी जरूरत नहीं रहेगी..."

संजना- वो क्यों?

समीर- आप बड़े लंबे-लंबे लण्ड लाई हो मार्केट से। मेरा तो इनके सा है।

संजना- “बस रहने दो, लंबा तो तुम्हारा भी बहुत है। आज भी दर्द हो जाता है.." और संजना ने समीर की पैंट से लण्ड बाहर निकाल लिया।

समीर- “ओहह... मेरी मेडम आपका थॅंक यूँ तो सारी जिंदगी नहीं उतार सकता...'
संजना लोली पोप की तरह लण्ड चूसने लगी।

समीर- “आहह सस्स्सी ... उम्म्म ... मेरी मेडम ऐसे ही चूसो मजा आ रहा है अहह... आहह.."
 
समीर- आप बड़े लंबे-लंबे लण्ड लाई हो मार्केट से। मेरा तो इनके सा है।

संजना- “बस रहने दो, लंबा तो तुम्हारा भी बहुत है। आज भी दर्द हो जाता है.." और संजना ने समीर की पैंट से लण्ड बाहर निकाल लिया।

समीर- “ओहह... मेरी मेडम आपका थॅंक यूँ तो सारी जिंदगी नहीं उतार सकता...'
संजना लोली पोप की तरह लण्ड चूसने लगी।

समीर- “आहह सस्स्सी ... उम्म्म ... मेरी मेडम ऐसे ही चूसो मजा आ रहा है अहह... आहह.."

संजना लण्ड मुँह में से निकालकर सारे कपड़े उतार देती है। समीर भी जल्दी-जल्दी कपड़े उतार देता है। लण्ड तो पूरे शबाब पर था और चूत भी गीली हो चुकी थी। लण्ड चूत से छूते ही अंदर सरकता चला गया। संजना सिसक पड़ती है- "हाय आहह... सस्स्सी ...”

समीर भी तेजी से धक्के लगाता गया, जब तक संजना झड़ ना गई। संजना की झड़ते ही समीर भी संजना पर गिर गया।

समीर- “ओहह... मेडम मजा आ गया.." और यूँ ही दोनों जाने कब तक पड़े रहे।

सुबह 5:00 बजे समीर की आँख खुलती है। समीर ने नेहा को फोन मिलाया- “हेलो नेहा.."

नेहा- जी भइया।

समीर- नेहा मैं सुबह 10:00 बजे तक इंडिया आ रहा हूँ।

नेहा- “सच भइया?” और नेहा की मारे खुशी के नींद उड़ गई।

समीर ने फोन काट दिया। नेहा मन ही मन- “ओह्ह... भइया तुम नहीं जानते ये दिन कैसे गुजरे? और अब ये चाँद घंटे भी कैसे गुजरने वाले हैं?"

समीर मेडम को उठाता है- “मेडम उठिए... अभी तो हमें सामान भी पैक करना है...”

दोनों उठकर साथ में बाथरूम में फ्रेश हुए, और अपना सामान लेकर एयरपोर्ट पहुँच गये।

सुबह 7:00 बजे अंजली और अजय एयरपोर्ट जाने की तैयारी कर रहे थे।

अंजली- नेहा तू भी जल्दी से तैयार हो जा भइया को लेने एयरपोर्ट नहीं चलना क्या?

नेहा- मम्मी आप चले जाओ मेरे सिर में दर्द सा हो रहा है।

अजय- बेटा तो सिरदर्द की गोली खा लो।
 
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