hotaks444
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प्राची शोभा से लिपट गयी "ऐसा मत कहो शोभा, अब मुझे अपने से कभी दूर नही करना. एक बार इस सुख को चखने के बाद मैं तुमसे अलग नही रह पाऊँगी. और तुम जा रही हो? और रूको ना!"
शोभा उस एक बार चूम कर उसे अलग करती हुई बोली "काफ़ी समय हो गया, शाम होने को है, अब मुझे जाना चाहिए. और शाम को कांचुकी मे भी जाना है, तेरे लिए ब्रा और पैंटी लेनी हैं. देखना कैसी सुंदर लगेगी उनमे, बिलकुल दुल्हन जैसी!"
प्राची ने अपने कपड़े पहने और एक बार शोभा से लिपट कर उसे चूम कर उसे विदा किया. कुछ देर आराम करके वह बाहर जाने की तैयारी करने लगी. आज उसके कदम जमी पर नही पड़ रहे थे, उसे ऐसा लग रह था कि वह बादलों पर चल रही है. शोभा के उस मादक रूप को याद करके वह फिर उत्तेजित हो रही थी. अब शोभा के साथ के एकांत के लिए उसे कल दोपहर तक रुकना पड़ेगा यह बात उसे खाए जा रही थी.
एक घन्टे के बाद दोनो शॉपिंग को निकलीं. कांचुकी दुकानमे शोभा ने सेल्सगर्ल को सब तरह की ब्रा और पैंटी दिखाने को कहा. प्राची उन सुंदर अंतर्वस्त्रों को देख कर चकरा गयी कि कौन सी लूँ. सब एक से एक नाज़ुक और खूबसूरत थी. उसकी दुविधा देखकर शोभा उसे चून्टि काटकर उसके कान मे बोली "मेरी पसंद की ले तो ठीक रहेगा, है ना? आख़िर मैं ही तो उन्हे
सबसे ज़्यादा देखूँगी!" प्राची शरमा गयी पर हां कर दी.
शोभा ने चौंतीस बी कप साइज़ की दो सफेद, दो काली और एक एक स्किन कलर की, गुलाबी और मोतिया रंग की ब्रा और पैंटी के सेट लिए. सब एक से एक ब्रांड थे, लवबल, एनामोर, जाकी! वापस आते समय शोभा बोली "प्राची, मेरे पास भी काफ़ी कलर के सेट हैं पर मैं तो बस अधिकतर सफेद ही पहनती हूँ, मेरे इस काले शरीर पर बस वही फबते हैं, मैं क्या करूँ ऐसे सब कलर ले कर. तू गोरी है, तुझ पर कोई भी रंग खिलेगा. और भी रंग आते हैं, ले लेंगे एक एक करके. और तेरा नाप भले ही पैंतीस कप सी हो, मैने चौंतीस कप बी लिए तेरे लिए. एकदम फिट बैठेगि तेरे बदन पर, तेरे इन स्तनों को मस्त ऊँचा करके रखेगी ये ब्रा."
वापस आ कर दोनो प्राची के यहाँ चाय पी रही थी. प्राची को एक दो बार लगा था कि फिर शोभा से लिपट जाए पर शरमा रही थी. शोभा भी पूरी घाघ थी, जान बूझ कर प्राची से दूर ही बैठी थी कि थोड़ा तड़पेगी तो और अच्छे से फँसेगी. कॉलेज से दर्शन के आने का भी समय हो गया था.
शोभा उस एक बार चूम कर उसे अलग करती हुई बोली "काफ़ी समय हो गया, शाम होने को है, अब मुझे जाना चाहिए. और शाम को कांचुकी मे भी जाना है, तेरे लिए ब्रा और पैंटी लेनी हैं. देखना कैसी सुंदर लगेगी उनमे, बिलकुल दुल्हन जैसी!"
प्राची ने अपने कपड़े पहने और एक बार शोभा से लिपट कर उसे चूम कर उसे विदा किया. कुछ देर आराम करके वह बाहर जाने की तैयारी करने लगी. आज उसके कदम जमी पर नही पड़ रहे थे, उसे ऐसा लग रह था कि वह बादलों पर चल रही है. शोभा के उस मादक रूप को याद करके वह फिर उत्तेजित हो रही थी. अब शोभा के साथ के एकांत के लिए उसे कल दोपहर तक रुकना पड़ेगा यह बात उसे खाए जा रही थी.
एक घन्टे के बाद दोनो शॉपिंग को निकलीं. कांचुकी दुकानमे शोभा ने सेल्सगर्ल को सब तरह की ब्रा और पैंटी दिखाने को कहा. प्राची उन सुंदर अंतर्वस्त्रों को देख कर चकरा गयी कि कौन सी लूँ. सब एक से एक नाज़ुक और खूबसूरत थी. उसकी दुविधा देखकर शोभा उसे चून्टि काटकर उसके कान मे बोली "मेरी पसंद की ले तो ठीक रहेगा, है ना? आख़िर मैं ही तो उन्हे
सबसे ज़्यादा देखूँगी!" प्राची शरमा गयी पर हां कर दी.
शोभा ने चौंतीस बी कप साइज़ की दो सफेद, दो काली और एक एक स्किन कलर की, गुलाबी और मोतिया रंग की ब्रा और पैंटी के सेट लिए. सब एक से एक ब्रांड थे, लवबल, एनामोर, जाकी! वापस आते समय शोभा बोली "प्राची, मेरे पास भी काफ़ी कलर के सेट हैं पर मैं तो बस अधिकतर सफेद ही पहनती हूँ, मेरे इस काले शरीर पर बस वही फबते हैं, मैं क्या करूँ ऐसे सब कलर ले कर. तू गोरी है, तुझ पर कोई भी रंग खिलेगा. और भी रंग आते हैं, ले लेंगे एक एक करके. और तेरा नाप भले ही पैंतीस कप सी हो, मैने चौंतीस कप बी लिए तेरे लिए. एकदम फिट बैठेगि तेरे बदन पर, तेरे इन स्तनों को मस्त ऊँचा करके रखेगी ये ब्रा."
वापस आ कर दोनो प्राची के यहाँ चाय पी रही थी. प्राची को एक दो बार लगा था कि फिर शोभा से लिपट जाए पर शरमा रही थी. शोभा भी पूरी घाघ थी, जान बूझ कर प्राची से दूर ही बैठी थी कि थोड़ा तड़पेगी तो और अच्छे से फँसेगी. कॉलेज से दर्शन के आने का भी समय हो गया था.