hotaks444
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अपनी जांघों के बीच मूह डालकर रस चूसाती अपनी जवान बेटी के बालों को प्रेम से सहलाकार शोभा बोली "अरे पगली, अपने कपड़े तो उतार ! मैं यहाँ सूखी सूखी पड़ी हूँ, मैं क्या करूँ? ज़रा ऐसे आ और सिक्सटी नाइन तो करने दे, मैं तो स्वाद ही भूल गयी अपनी लाडली के शहद का" नेहा के ऐसे उतावलेपन की उसे आदत थी, यह नेहा के मन मे उसके प्रति कितनी वासना और प्रेम है, उसकी निशानी थी इसलिए वह इसका बुरा नही मानती थी, बल्कि उसे नेहा की यह ज़बरदस्ती बहुत अच्छी लगती थी.
"तुम ही निकालो मा, मुझे फुरसत नही है, मैं ये अमृत वेस्ट नही करना चाहती, देखो कितनी तेज़ी से बह रह है अब!" नेहा शोभा की चूत मे से मूह निकाल कर बोली और फिर सिर नीचे करके जुट गयी. वह इतनी अधीरता से शोभा की बुर चाट रही थी कि लॅप लॅप लॅप ऐसी आवाज़ आ रही थी. शोभा ने किसी तरह उसका टॉप और स्कर्ट खींच कर निकाले और फिर उसे ज़बरदस्ती उलटा करके उसकी कमर मे हाथ डालकर उसकी जांघे अपनी ओर खींची. नेहा की मखमली चूत के चुंबन लेने को वह उत्सुक थी.
असल मे शोभा का बस चलता तो वह हमेशा की तरह नेहा के कपड़े धीरे धीरे निकाल कर उसके मदमस्त यौवन की सुंदरता को देखती और फिर चखती, इतने दिनों के बाद भी नेहा के बदन की सुंदरता उसे पागल सा कर देती थी, पर आज नेहा इतनी गरम थी कि ऐसा करने का समय ही नही था. शोभा ने अपनी लाडली की टांगे अलग करके उस मुलायम चूत का चुंबन लिया और अपने काम मे जुट गयी. उसके बाद दस मिनिट कमरे मे शांति थी, सिवाय चाटने और चूमने की आवाज़े और वासना भारी सिसकारियों और किलकारियों के.
बाद मे वासना शांत होने पर जब नेहा अपनी मा को लिपट कर पड़ी थी तब उसने पूछा "मम्मी, ये तो बताओ कि अचानक प्राची आंटी मे ऐसा बदलाव कैसे हो गया? कैसी रहती थी पहले, अब एकदम सेक्सी लगने लगी है. मैं तो सोच रही हूँ कि क्या मज़ा आएगा उसके साथ दो दिन रहने मे" शोभा समझ गयी कि प्राची के साथ अकेले रहने की कल्पना से ही नेहा के मन मे गुदगुदी होनी शुरू हो गयी है. वह चुप रही, सिर्फ़ मुस्कराती रही "हां, बड़े अचरज की बात है, है ना नेहा? पर चलो अच्छा हुआ, तू हमेशा कहती थी कि कितनी सुंदर है प्राची आंटी, बस ठीक से रहे तो क्या बात है. पर तू करेगी क्या उसके साथ?"
नेहा ने अपने मन की फेंटसी शोभा को बताई "अरे मम्मी, मैं सब कुछ करूँगी, ज़रूर फँसा लूँगी उसे, आख़िर तुम्हारी ही बेटी हूँ. देखना कैसे प्राची मौसी की चूत से रस निकालती हूँ, पूरा निचोड़ दूँगी, मेरे हाथ आए तो एक बार. उसकी बुर का रस ज़रूर मस्त होगा, मुझे मालूम है. और निकलेगा भी खूब, मैं उसे अच्छी लगती हूँ. देखा जब मैने स्कर्ट ऊपर किया था तो कैसे देख रही थी मेरी तरफ? और मम्मी, उसकी वे चून्चिया, मुझे लगता था कि छोटी है पर कैसे तनी हुई थी उसकी कमीज़ मे? उसके निपल भी ज़रूर खूबसूरत होंगे"
शोभा बिना किसी शिकन के आराम से बोली "बात तो सच है, उसके निपल मस्त है, एकदम मूँगफली जैसे लंबे"
नेहा कोहनी के बल उठकर शोभा की ओर ताकती हुई बोली "तुझे क्या मालूम? तुम ऐसे कह रही हो जैसे देखे है. अब ये भी कहोगी कि उसकी चूत का रस भी चखा है"
शोभा उसकी ओर देखकर निर्विकार चहरे से बोली "हां देखे है, देखे ही नही, चूसे भी है मैने वे प्यारे निपल. और तू सच कह रही है, उसकी बुर का रस भी बड़ा टेस्टी है. पिछले कई दिनों से ताव मार रही हूँ उसपर"
नेहा उठकर उत्तेजना से और नकली गुस्से से उसे घूँसे मारने लगी. "मम्मी, कितनी बदमाश हो तुम! मुझे बताया तक नही, अब धीरे से कहती हो कि उसके निपल चूसे है और चूत चाटती है. वैसे मैं समझ गयी थी तुम्हारे तृप्त चेहरे से की ज़रूर मम्मी ने कोई नयी सहेली चुन ली है और मेरे पीछे खूब मज़े किए है. पर वो प्राची आंटी होगी मैने सपने मे भी नही सोचा
था. इतने दिन से उसके बारे मे बात कर रही थी तू, आख़िर तुमने उस बेचारी का शिकार कर ही लिया. बताओ ना ठीक से"
"अरे शिकार किया है पर इस शिकार को अपना शिकार करवाने मे शिकारी से ज़्यादा मज़ा आया, ये नही सोचती तू?" कहकर शोभा ने उसे विस्तार से पूरी कहानी सुनाई. सुनते सुनते नेहा ऐसी गरमाई की उठ कर झट से अलमारी से वह डिल्डो निकाल लाई और एक भाग अपनी बुर मे डालकर स्ट्रैप बाँधकर शोभा पर चढ़ बैठी. शोभा कुछ कहे इसके पहले ही नेहा ने घच्छ से अपनी सौतेली मा की बुर मे डिल्डो गाढ दिया और हचक हचक कर चोदने लगी. शोभा भी उसकी उत्तेजना देखकर चौंक गयी, उससे कहती रह गयी कि ज़रा रुक, दुखता है, आराम से चोद, पर नेहा कहाँ सुनने वाली थी, आज वह इतनी गरमी मे थी कि मा की बात अनसुनी करके वह उसे अपने पूरे ज़ोर से छोड़ती रही और तभी रुकी जब झाड़ गयी. शोभा ने लस्त पड़ी अपनी बेटी का चेहरा पकड़कर उसे चूम कर कहा "अरे क्या कर रही थी? मुझे लगा कि मेरी चूत फाड़ देगी आज, ऐसे चोदते है मा को? मैने क्या सिखाया है कि कैसे चोदते है?"
"तुम ही निकालो मा, मुझे फुरसत नही है, मैं ये अमृत वेस्ट नही करना चाहती, देखो कितनी तेज़ी से बह रह है अब!" नेहा शोभा की चूत मे से मूह निकाल कर बोली और फिर सिर नीचे करके जुट गयी. वह इतनी अधीरता से शोभा की बुर चाट रही थी कि लॅप लॅप लॅप ऐसी आवाज़ आ रही थी. शोभा ने किसी तरह उसका टॉप और स्कर्ट खींच कर निकाले और फिर उसे ज़बरदस्ती उलटा करके उसकी कमर मे हाथ डालकर उसकी जांघे अपनी ओर खींची. नेहा की मखमली चूत के चुंबन लेने को वह उत्सुक थी.
असल मे शोभा का बस चलता तो वह हमेशा की तरह नेहा के कपड़े धीरे धीरे निकाल कर उसके मदमस्त यौवन की सुंदरता को देखती और फिर चखती, इतने दिनों के बाद भी नेहा के बदन की सुंदरता उसे पागल सा कर देती थी, पर आज नेहा इतनी गरम थी कि ऐसा करने का समय ही नही था. शोभा ने अपनी लाडली की टांगे अलग करके उस मुलायम चूत का चुंबन लिया और अपने काम मे जुट गयी. उसके बाद दस मिनिट कमरे मे शांति थी, सिवाय चाटने और चूमने की आवाज़े और वासना भारी सिसकारियों और किलकारियों के.
बाद मे वासना शांत होने पर जब नेहा अपनी मा को लिपट कर पड़ी थी तब उसने पूछा "मम्मी, ये तो बताओ कि अचानक प्राची आंटी मे ऐसा बदलाव कैसे हो गया? कैसी रहती थी पहले, अब एकदम सेक्सी लगने लगी है. मैं तो सोच रही हूँ कि क्या मज़ा आएगा उसके साथ दो दिन रहने मे" शोभा समझ गयी कि प्राची के साथ अकेले रहने की कल्पना से ही नेहा के मन मे गुदगुदी होनी शुरू हो गयी है. वह चुप रही, सिर्फ़ मुस्कराती रही "हां, बड़े अचरज की बात है, है ना नेहा? पर चलो अच्छा हुआ, तू हमेशा कहती थी कि कितनी सुंदर है प्राची आंटी, बस ठीक से रहे तो क्या बात है. पर तू करेगी क्या उसके साथ?"
नेहा ने अपने मन की फेंटसी शोभा को बताई "अरे मम्मी, मैं सब कुछ करूँगी, ज़रूर फँसा लूँगी उसे, आख़िर तुम्हारी ही बेटी हूँ. देखना कैसे प्राची मौसी की चूत से रस निकालती हूँ, पूरा निचोड़ दूँगी, मेरे हाथ आए तो एक बार. उसकी बुर का रस ज़रूर मस्त होगा, मुझे मालूम है. और निकलेगा भी खूब, मैं उसे अच्छी लगती हूँ. देखा जब मैने स्कर्ट ऊपर किया था तो कैसे देख रही थी मेरी तरफ? और मम्मी, उसकी वे चून्चिया, मुझे लगता था कि छोटी है पर कैसे तनी हुई थी उसकी कमीज़ मे? उसके निपल भी ज़रूर खूबसूरत होंगे"
शोभा बिना किसी शिकन के आराम से बोली "बात तो सच है, उसके निपल मस्त है, एकदम मूँगफली जैसे लंबे"
नेहा कोहनी के बल उठकर शोभा की ओर ताकती हुई बोली "तुझे क्या मालूम? तुम ऐसे कह रही हो जैसे देखे है. अब ये भी कहोगी कि उसकी चूत का रस भी चखा है"
शोभा उसकी ओर देखकर निर्विकार चहरे से बोली "हां देखे है, देखे ही नही, चूसे भी है मैने वे प्यारे निपल. और तू सच कह रही है, उसकी बुर का रस भी बड़ा टेस्टी है. पिछले कई दिनों से ताव मार रही हूँ उसपर"
नेहा उठकर उत्तेजना से और नकली गुस्से से उसे घूँसे मारने लगी. "मम्मी, कितनी बदमाश हो तुम! मुझे बताया तक नही, अब धीरे से कहती हो कि उसके निपल चूसे है और चूत चाटती है. वैसे मैं समझ गयी थी तुम्हारे तृप्त चेहरे से की ज़रूर मम्मी ने कोई नयी सहेली चुन ली है और मेरे पीछे खूब मज़े किए है. पर वो प्राची आंटी होगी मैने सपने मे भी नही सोचा
था. इतने दिन से उसके बारे मे बात कर रही थी तू, आख़िर तुमने उस बेचारी का शिकार कर ही लिया. बताओ ना ठीक से"
"अरे शिकार किया है पर इस शिकार को अपना शिकार करवाने मे शिकारी से ज़्यादा मज़ा आया, ये नही सोचती तू?" कहकर शोभा ने उसे विस्तार से पूरी कहानी सुनाई. सुनते सुनते नेहा ऐसी गरमाई की उठ कर झट से अलमारी से वह डिल्डो निकाल लाई और एक भाग अपनी बुर मे डालकर स्ट्रैप बाँधकर शोभा पर चढ़ बैठी. शोभा कुछ कहे इसके पहले ही नेहा ने घच्छ से अपनी सौतेली मा की बुर मे डिल्डो गाढ दिया और हचक हचक कर चोदने लगी. शोभा भी उसकी उत्तेजना देखकर चौंक गयी, उससे कहती रह गयी कि ज़रा रुक, दुखता है, आराम से चोद, पर नेहा कहाँ सुनने वाली थी, आज वह इतनी गरमी मे थी कि मा की बात अनसुनी करके वह उसे अपने पूरे ज़ोर से छोड़ती रही और तभी रुकी जब झाड़ गयी. शोभा ने लस्त पड़ी अपनी बेटी का चेहरा पकड़कर उसे चूम कर कहा "अरे क्या कर रही थी? मुझे लगा कि मेरी चूत फाड़ देगी आज, ऐसे चोदते है मा को? मैने क्या सिखाया है कि कैसे चोदते है?"