Kamukta Story परिवार की लाड़ली - Page 9 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamukta Story परिवार की लाड़ली

शीतल की आहें तेज़ हो गयी और उत्तेजना की वजह से उसकी आँखें बंद हो गयी. विक्रम का इस बात से साहस बढ़ा और वो अपना एक हाथ जो अपनी माँ की गांड के छेद में व्यस्त था, को उसकी चूत पर फेरने लगा.
शीतल- आ… ह… आह…

विक्रम रुका नहीं और उसने उस हाथ की एक उंगली को अपनी माँ की चूत में पेल दिया और उसको अंदर-बाहर करके अपनी माँ को अपने हाथ से चोदने लगा. शीतल को बहुत ही आनन्द का अनुभव हो रहा था, वो मस्त मजे ले रही थी. विक्रम अपने एक हाथ से अपनी माँ की चूत चोद रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूचियाँ मसल रहा था. यह उसके लिए बड़ा ही आनन्ददायी समय था.
कुछ देर में शीतल की चूत से पानी छूट गया, उसकी सांसें बहुत तेज़ हो चुकी थी.

शीतल अब रुकने के मूड में नहीं थी, वो अपने बेटे की तरफ पलटी और उसने अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए. उसने एक हाथ से विक्रम के लंड को मसलना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक उसके लंड को उसके शॉर्ट्स की अंदर से मसलने के बाद उसने अपने होंठ अपने बेटे के होंठों से अलग किये और नीचे बैठकर उसके शॉर्ट्स को नीचे सरका दिया. जिससे उसका लंड फनफनाता हुआ बाहर निकल कर खड़ा हो गया.
शीतल ने गपक से उसके लंड को अपने मुँह में भर लिया और विक्रम को आनन्द के बागों की सैर कराने लगी.

विक्रम ने पहली बार अपनी माँ के मुँह में अपना लंड दिया था. हालाँकि कल रात को ही उसने उसकी चूत का स्वाद लिया था पर फिर भी अपना लंड पहली बार उसके मुँह में देना उसके लिए बहुत ही ज्यादा रोमांचक था.

शीतल एक अनुभवी खिलाड़िन की तरह अपने बेटे का लंड चूसने लगी. विक्रम भी अपना लंड उसके मुँह में डालकर आगे-पीछे करने लगा और अपनी नंगी माँ के मुँह की चुदाई करने लगा. थोड़ी देर में जब उसके लंड से वीर्य का भंडार छूटा तो माँ ने उसके सारे वीर्य को पी लिया.

आज दो बेटों की माँ शीतल ने अपने दोनों बेटों का लंड चूस लिया था।
 
शीतल ने अपने दोनों बेटों का लंड चूस लिया था। पर इस उसके लिए सब कुछ नहीं था. आज तो वो दोनों का लंड अपनी चूत में लिए बिना मानने वाली नहीं थी.

विक्रम अपनी माँ को पहली बार बाथरूम में नहीं चोदना चाहता था. वो बोला- माँ…
शीतल- हाँ?
विक्रम- आप नहा लो… बाकी का काम यहाँ नहीं.
शीतल- तो कहाँ?
विक्रम- कमरे में चलते हैं… वह आराम से करेंगे… मैं चाहता हूँ कि जब मैं माँ की चूत की चुदाई करूँ तो मेरे पास पूरी जगह हो.
शीतल- तो फिर अभी चलते हैं… मुझे अभी नहीं नहाना… बाद में नहा लूंगी.
विक्रम- पर आपके बदन पर साबुन लगा हुआ है.
शीतल- तो क्या हुआ… आज ऐसे ही चुदाई होगी मेरी! मैं अपने बेटे से पहली बार चुदने जा रही हूँ, कुछ तो अलग होना ही चाहिए.
विक्रम- जैसी आपकी मर्जी माँ…

और विक्रम ने अपनी माँ को अपने दोनों हाथों से अपनी गोद में उठा लिया जो इस समय नग्न है, भीगी हुई है और उसके पूरे शरीर पर साबुन लगा है.
वो बाथरूम से बाहर निकला, विक्रम भी नीचे से बिल्कुल नंगा था क्योंकि थोड़ी देर पहले ही उसकी अपनी माँ ने उसके लंड को चूसने के लिए उसकी शॉर्ट्स को खोल दिया था.

विक्रम जब बाथरूम से बाहर निकला तो हॉल में बैठे रजत की नजर उन दोनों पर पड़ी- क्या बात है भाई… बड़ी जल्दी पटा लिया माँ को?
विक्रम गर्व से- और नहीं तो क्या… अब कमरे में चल… आज तेरी माँ चोद दूंगा… और तू भी बनेगा मादरचोद!
रजत हँसते हुए- हाँ बिल्कुल मादरचोद!

दोनों भाई एक दूसरे को अपनी माँ के सामने ही मादरचोद नाम की गलियां दे रहे थे पर उनकी माँ को जरा भी बुरा नहीं लग रहा था, उल्टा उसको बड़ा मजा आ रहा था.
तीनों लोग शीतल के कमरे में पहुंचे जहाँ पिछली रात को मयूरी ने अपने बाप से खूब चुदवाया था. और यही बिस्तर आज इस घर में माँ-बेटों की चुदाई का भी प्रत्यक्ष गवाह बनने वाला था.

विक्रम ने अपनी माँ को बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया. रजत अपनी माँ से बिना पूछे ही उसकी भीगी चूचियों की मसलने लगा जो साबुन से भीगी हुई थी और इसी कारण वहां बहुत ज्यादा फिसलन भी थी. रजत को बड़ा मजा आ रहा था.

विक्रम अपनी माँ की चूत चाटने लगा तो शीतल बोली- आ… हह… आह… मेरे बेटो!
रजत- माँ… आज तो हम दोनों भाई तुझे खूब चोदेंगे.
शीतल- मैं भी यही चाहती हूँ मेरे बेटो… कि तुम दोनों मुझे खूब चोदो… तुम्हारा हक़ मेरे पर!

थोड़ी देर बाद विक्रम और रजत ने अपने कपड़े उतार फेंके और घर में अब तीनों लोग बिल्कुल नंगे हो गए.
फिर रजत ने अपनी माँ से पूछा- माँ… क्या हम दोनों तुम्हारी चुदाई करना शुरू करें?
शीतल- हाँ मेरे लाडलों… चोद दो अपनी माँ को… एक साथ!
रजत- माँ… पहले मैं तुम्हारी गांड मारूंगा. तुम्हें कई बार देखा है पापा से गांड मरवाते… आज मेरा तुम्हारी गांड मारने का सपना पूरा होगा.
शीतल- हाँ बेटे… देर ना कर… मैं भी तुम्हारा यह मोटा लंड अपने गांड में लेने के लिए मरी जा रही हूँ. तुम्हारा लंड तुम्हारे पापा से थोड़ा ज्यादा मोटा है. आज बहुत मजा आएगा.

रजत उठा और अपना लंड अपनी माँ की गांड पर सेट करने लगा. विक्रम अपनी माँ की चूत को चाटना छोड़ कर उस पर अपना लंड सेट करने लगा और दोनों भाइयों ने एक साथ अपनी माँ की गांड और चूत में एक एक जोरदार झटका दिया.
शीतल को अपनी गांड और चूत दोनों में एक साथ दर्द हुआ, वो चीख पड़ी- आह… मर गई… तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है कुत्तो… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
विक्रम- साली कुतिया… नाटक करती है? इतने साल से पापा से चुद रही है और मेरा लंड लेने में नाटक कर रही है?

और उसने अपने लंड का एक और जोरदार झटका माँ की चूत में दिया. विक्रम का लंड जैसे तैसे शीतल की चूत में पूरा घुस गया.
 
शीतल दर्द से कराहते हुए- आ… ह… आह… अरे मादरचोदों, तुम्हारे बाप का लंड इतना मोटा नहीं है… आह… आ…ए… इसलिए मुझे तुम्हारा ये गधों जैसा लंड अपनी चूत में लेने में दर्द हो रहा है… आ… ह… पर तुम अपना काम जारी रखो… थोड़ी देर में ये चूत और गांड तुम्हारे लंड के मोटाई के हिसाब से खुल जायेगा और फिर दर्द नहीं होगा… सिर्फ मजा आएगा… आह…

विक्रम ने अब माँ की चुदाई करनी शुरू की. शीतल की चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ दिया था जिससे चिकनाहट हो गयी थी और उसकी चूत अपने बड़े बेटे का लंड आराम से अंदर लेने लगी.
पर उसका छोटा बेटा रजत, उसको अपनी माँ की गांड मारने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी. वो उठा और रसोई से जाकर तेल ले आया और अपने लंड और अपनी माँ की गांड पर बहुत सारा तेल लगा दिया और एक जोरदार झटका मारा. इससे उसका लंड आधा अपनी माँ की गांड के अंदर चला गया.

शीतल फिर चीखने लगी- हाय माँ… मर गई… मेरी गांड फाड़ देगा क्या मादरचोद.
रजत अपनी माँ के मुँह से गालियां सुन के और उत्तेजित हो उठा और वो भी गालियां देने लगा- हाँ साली… तेरी गांड में आज अपना ये लंड पेल के इसको फाड़ दूंगा… रंडी कहीं की… आज से तू मेरी माँ नहीं, रंडी है रंडी… और अब आज के बाद तू रोज़ मुझसे अपनी गांड मरवायेगी… समझी?

इतना कहते हुए रजत एक और जोरदार झटका दिया जिससे उसका लंड शीतल के गांड में लगभग पूरा ही चला गया. लंड और उसकी माँ की गांड में बहुत तेल होने के कारण यहाँ भी बहुत चिकनाई हो गयी थी. तो अब रजत ने भी जोरदार झटके देने शुरू कर दिए.

अब शीतल के दोनों बेटे एक साथ अपनी माँ की गांड और चूत की बहुत ही जोरदार चुदाई कर रहे थे.

शीतल के लिए यह एकदम नया अनुभव था. उसने अभी तक अपनी गांड और चूत तो बहुत बार चुदवाई थी पर एक साथ दोनों और वो भी दोनों नए लंड से … यह अनुभव उसे बहुत ही नया और निराला लग रहा था. शीतल का दर्द अब लगभग ख़त्म हो गया था क्योंकि अब उसकी चूत और गांड दोनों चौड़ी हो गयी थी अपने बेटों के लंड के अनुसार.

कमरे में ठप-ठप और फच-फच की आवाज़ें आ रही थी. शीतल की आहें और दोनों जवान बेटों की घमासान चुदाई के कारन पलंग की हिलने की भी आवाज़ें आ रही थी. पूरे कमरे में कई तरह की आवाज़ों का मिला-जुला शोर हो रहा था जो माहौल को और भी ज्यादा चुदाईनुमा बना रहा था.

घर में दोनों बेटे अपनी माँ को खूब चोद रहे थे और तीनों सदस्य एक दूसरे को खूब सारी गन्दी-गन्दी गालियां भी दे रहे थे पर इन सब चीज़ों से उनको बहुत ही ज्यादा आनन्द और उत्तेजना हो रही थी.
करीब पंद्रह मिनट की घमासान चुदाई के बाद तीनों लोग एक साथ झड़ गए. शीतल के दोनों बेटे एक साथ माँ की गांड और चूत में झड़ गए.
 
फिर थोड़ा सा आराम करने के बाद दोनों लड़कों का लंड फिर से खड़ा हो गया और दोनों बेटे एक साथ अपना लंड अपनी माँ के मुँह के पास लेजाकर उससे चुसवाने लगे. शीतल कभी अपने बड़े बेटे का लंड चूसती तो कभी अपने छोटे बेटे का … क्योंकि दोनों का लंड बहुत मोटा था और एक साथ उसके मुँह जा नहीं सकता था.
जब वो एक लंड चूसती तो दूसरे का लंड अपने दूसरे हाथ से आगे-पीछे करके हिलाती. शीतल सच में अपने दोनों बेटों के सामने रंडियों जैसे व्यव्हार कर रही थी और उनसे वैसे ही चुदवा भी रही थी.
रजत ने थोड़ी देर बाद अपना लंड शीतल की चूत पर सेट किया और विक्रम ने उसकी गांड का रुख किया. दोनों बेटों ने फिर से अपनी माँ को एक साथ चोदा और फिर नंगे ही बिस्तर पर गिर गए और आराम करने लगे!

शीतल दोनों बेटों के बीच में लेटी हुई थी और अपने दोनों हाथों से उनका लंड धीरे-धीरे सहला रही थी. उसके दोनों बेटे भी उसकी चूचियों से धीरे-धीरे खेल रहे थे और उसकी जांघों को सहला रहे थे. फिर तीनों में बातचीत शुरू हुई:

रजत- माँ…
शीतल- हाँ बेटे?
रजत- क्या अब तुम रोज़ हमसे ऐसे ही चुदवाओगी?
शीतल- हाँ मेरे लाल…
रजत ख़ुशी से- कितना मजा आएगा… अब हम रोज़ तुम्हें अलग अलग जगह पर चोदेगे… इस घर का हर कोना हम माँ-बेटों की चुदाई का गवाह बनेगा.
शीतल- हाँ मेरे लाल… अब हम खूब चुदाई करेंगे.

विक्रम- सही कहा छोटे… माँ, तुमको हमसे चुदना अच्छा लगा?
शीतल- हाँ मेरे बेटे… आज मुझे चुदाई को जो अनुभव हुआ है वो पहले कभी नहीं हुआ… तुम्हारे पापा भी मुझे खूब चोदते हैं… लगभग रोज़ और वो भी अलग-अलग तरीके से… पर तुम दोनों से एक साथ चुदने में जो मजा आया… वो एकदम अलग है.
विक्रम- हमें भी बहुत अच्छा लगा माँ… हम तो पहले से ही तुम्हें चोदना चाहते थे… पर कभी बता नहीं पाए.

रजत- वैसे माँ… एक बात पूछूँ?
शीतल- हाँ मेरे बेटे… पूछो.
रजत- क्या तुमने पापा के सिवा किसी और मर्द से कभी नहीं चुदवाया?
शीतल- नहीं मेरे बेटे, अभी तक मैं एकदम पतिव्रता औरत थी पर अब पुत्रव्रता भी हो गयी… अब मैं तुम दोनों की भी पत्नी हूँ आज से… तुम दोनों जब चाहो मुझे आकर चोद सकते हो.
रजत- जब भी हमारा मन करे?
शीतल- हाँ मेरे बेटे… जब भी तुम्हारा मन करे!

रजत- और पापा को पता चल गया तो?
शीतल मुस्कुराती हुई- तुम उसकी चिंता मत करो… उसका इंतज़ाम भी कर लिया है मैंने.
रजत हैरानी से- मतलब?
शीतल- वो तुम्हें बाद में बताऊँगी.
रजत जिद करते हुए- अभी बताओं ना माँ… प्लीज!

विक्रम- हाँ माँ… बताओ ना… मुझे भी जिज्ञासा हो रही है. आपने पहले ही पापा को अपने बता दिया है या पापा ने खुद ही आपको हमसे चुदवाने के लिए कहा है?
रजत- वाओ… अगर ऐसा है तो क्या हम पापा के सामने भी आपकी चुदाई कर सकते हैं और पापा भी हमारे साथ आपकी चुदाई करेंगे?
शीतल हँसती हुई- अरे नहीं… ना पापा को मैंने अभी तक बताया है और ना ही उन्होंने मुझे तुमसे चुदने के लिए भेजा है… कैसी बात करते हो? कोई पति अपनी बीवी को अपने बेटों से चुदने के लिए कहेगा क्या?
विक्रम- फिर अपने क्या इंतजाम किया है?
शीतल- बाद में बताऊँगी.
विक्रम- बताओ ना माँ… मुझे बहुत एक्साइटमेंट हो रही है.
शीतल- देखो… मैंने कुछ ऐसा इंतजाम किया है कि अगर तुम्हारे पापा को हमारे चुदाई के बारे में पता चल भी गया या हम लोगों को आपस में सेक्स करते हुए देख भी लिया तो वो कुछ बोल नहीं पाएंगे.
विक्रम- क्यूँ माँ?
शीतल- वो बाद में बताऊँगी.
 
रजत- अच्छा चलो ठीक है… कोई बात नहीं… पर हम खुश हैं कि हमें पापा से पकडे जाने को कोई डर नहीं है.
शीतल- अब अगर मुझे इजाजत हो तो मैं अपना स्नान पूरा कर लूँ?
रजत- हाँ बिल्कुल… पर उसके पहले तुम्हें मेरा लंड चूसना पड़ेगा.
शीतल- ठीक है… पर तुम्हें मुझे नहलाना पड़ेगा.
विक्रम- फिर चलो… सीधा बाथरूम में चलते हैं.
शीतल- ठीक है.

मां और उसके दोनों बेटे आपस में चुदाई करने के बाद बाथरूम में गए और नहाने के बहाने फिर से कई बार अलग-अलग मुद्रा में चुदाई की. फिर सब कपड़े पहनकर सामान्य माँ-बेटों की तरह तैयार हो गए क्योंकि मयूरी के घर आने का वक्त हो चला था. थोड़ी देर में मयूरी घर आई और अपने कमरे में चली गयी. कमरे में वो और उसके दोनों भाई अकेले थे. और थकान के कारन शीतल अपने कमरे में आराम कर रही होती है. मयूरी अकेले में अपने भाइयों से पूछती है:

मयूरी- फिर… आज हुआ कुछ?
रजत- हाँ दीदी.. आज तो हम बहनचोद से मादरचोद भी बन गए.
मयूरी- अच्छा? चलो… फिर इधर आओ और मेरी गांड चाटो… मुझे तुमसे अपनी गांड चटवाने में बड़ा आनद आता है.
विक्रम- हाँ… और अब तो घर में हमारे अलावा सिर्फ माँ है… और उनसे डरने की कोई जरूरत नहीं है.
मयूरी- फिर भी… जब तक उनको अपने आप पता नहीं चलता… हम लोग नहीं बताएँगे.
रजत- पर क्यूँ दीदी… बड़ा मजा आएगा अगर हम चारों आपस में एक साथ चुदाई करेंगे.
मयूरी- करेंगे मेरे भाई… पर तू थोड़ा सब्र रख… मेरा जन्मदिन आ रहा है… तुझे ये तोहफा मैं उसी दिन दूंगी.
विक्रम- अरे हाँ… कल तो तुम्हारा जन्मदिन भी है न… वाओ!

फिर तीनों भाई-बहन ने आपस में खूब चुदाई की.

शाम को शीतल के जागने के बाद मयूरी उससे मिली और शीतल ने पूरे विस्तार से उसे अपने दोनों बेटों से चुदने की गाथा बताई और दोनों माँ बेटी बहुत खुश हुई क्योंकि दोनों ने अपनी जंग जीत ली थी. शीतल को अब डर नहीं था कि अगर उसके पति उसको अपने बेटों से चुदवाती हुई अवस्था में देख भी लेता है तो वो उसको अपनी बेटी से चुदाई की दुहाई देकर चुप करा सकती है.

पर मयूरी के दिमाग में तो अलग ही खेल चल रहा था. वो चाहती थी कि पूरा परिवार एक साथ चुदाई करे, कोई किसी को भी चोदे वो भी बिना रोक-टोक के. ये सब उसने अकेली प्लान किया था और उसने सारी बात अपने परिवार में किसी को भी बताई नहीं थी. वो सब को सरप्राइज कर देना चाहती थी और इसीलिए उसने सबको एक दूसरों से चुदवा भी दिया था पर फिर भी किसी को अपने सिवा किसी और की चुदाई के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी, जैसे कि विक्रम और रजत को मयूरी और शीतल की बीच हुई चुदाई और मयूरी और अशोक के बीच हुई चुदाई के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. वैसे ही शीतल को मयूरी और विक्रम-रजत के साथ हुए चुदाई की कोई जानकारी नहीं थी.
 
पर ये सारे राज़ वो जल्दी ही सबके सामने खोलने वाली थी. खैर जैसे-तैसे शाम हुई, अशोक घर आया और अपने कमरे में आराम करने चला गया. तब तक शीतल ने खाना बनाने का काम लगभग ख़त्म कर लिया था.
तभी मयूरी रसोई में पहुँची और पीछे से शीतल की दोनों चूचियों को जोर से दबाते हुए पूछने लगी- और मेरी चुड़क्कड़ माँ… खाना बन गया?
शीतल- हाँ मेरी चुड़क्कड़ बेटी… खाना बन गया.

मयूरी- फिर जाओ और आराम से अपने बेटों से चुदवाओ.
शीतल- अरे पर तुम्हारे पापा तो अभी घर में हैं… कैसे जाऊँ?
मयूरी छेड़ते हुए- क्यूँ? अपने पति की लंड की याद आ रही है?
शीतल- अरे नहीं… नहीं… पर उन्होंने देख लिया तो?
मयूरी- देख लिया तो क्या? तुम डरती क्यूँ हो? वो भी तो बेटीचोद बन चुके हैं.
शीतल- हाँ… पर मुझे अच्छा नहीं लगता.
मयूरी- ओह… मेरी सती-सावित्री माँ… अपने दो-दो जवान बेटों का लंड अपने चूत और गांड में एक साथ ले रही हो और कहती हो कि अच्छा नहीं लगता?
शीतल- अरे वो बात नहीं है पर मैं… तुम समझो ना?
मयूरी- अच्छा ठीक है… मैं समझ गयी… एक तुम एक अच्छे घर की औरत हो, रंडी नहीं हो… इसलिए तुम्हें अपने पति के सामने अपने बेटों से चुदवाने में अच्छा नहीं लगता.
शीतल- हाँ… बिल्कुल!
मयूरी- कोई बात नहीं… तुम घबराओं नहीं… तुम्हें जल्दी ही रंडी बना देंगे और ये सारी शर्म-हया चली जाएगी तुम्हारी… पर अभी के लिए तुम जाओ और निश्चिन्त होकर अपने बेटों के लंड और उनकी जवानी का मजा लो… तुम्हारे पति को मैं देखती हूँ.
शीतल- हाय मेरी प्यारी बेटी…

और ऐसा कहकर शीतल के होंठों पर एक प्यारा सा चुम्बन देकर अपने बेटों के कमरे में चली गयी और मयूरी ने अशोक के कमरे का रुख किया.

शाम के करीब साढ़े-सात या आठ बज रहे होंगे. मयूरी अशोक के कमरे में घुसते ही दरवाजा अंदर से बंद करके अपने कपड़े उतारकर फेंकने लगी. उसको देखकर अशोक ने भी बिना वक्त गंवाए अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए.

मयूरी ने बड़े जोश में आकर अपने एकदम आदमजात नंगे बाप को जाकर एक जोरदार चुम्बन दिया. दोनों के बीच कोई वार्तालाप नहीं हुआ पर जैसे दोनों को पता था कि आगे क्या करना है. चुम्बन के साथ-साथ मयूरी अपने पापा का लंड अपने हाथ में लेकर उसको मसलने और आगे पीछे करने लगी. अशोक भी कहाँ पीछे रहने वाला था, वो भी उसकी चूचियों और दूसरे हाथ से कभी उसकी कोमल गांड तो कभी माखन जैसी जांघें तो कभी मलाई जैसी चूत को मसलता रहा.
 
दोनों एक-दूसरे को उत्तेजित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे. करीब दस मिनट तक एक दूसरे पर इसी तरह प्रहार करने के बाद दोनों ने 69 की पोजीशन ली और अब मयूरी अपने पापा का लंड चूस रही थी और अशोक अपनी जवान बेटी की चूत को जोर-जोर से चाट रहा था. इसी तरह लगभग बीस मिनट तक एक-दूसरे को जोर जोर से चूसने और चाटने के बाद अशोक ने अपना लोहे जैसा खड़ा लंड अपने जवान बिनब्याही बेटी की चूत में डाला और जोर-जोर से पेलने लगा.

काफी देर तक दोनों बाप बेटी के बीच बहुत जोर को चुदाई चली. दोनों के मुँह से आवाज़ें निकल रही थी और दोनों बेपरवाह होकर एक दूसरे को चोदने में व्यस्त थे. फिर अंत में अशोक ने अपने लंड से निकले वीर्य को अपने बेटी की चूत में ही गिरा दिया और उसी वक्त मयूरी के चूत ने भी पानी छोड़ दिया.

दोनों बिस्तर पर तेज़-तेज़ हाँफते हुए गिर पड़े. फिर मयूरी ने बातचीत शुरू की- पापा…
अशोक- हाँ बेटा?
मयूरी- आपको अफ़सोस है ना कि मैं आपको मेरी कुंवारी चूत के साथ नहीं मिली… और आप मेरी चूत का सील नहीं तोड़ पाए?
अशोक- ऐसी बात नहीं है… पर हाँ, अगर ऐसा होता तो मुझे और मजा आता.

मयूरी- फिर आपके लिए एक खुशखबरी है पापा.
अशोक- और वो क्या है?
मयूरी- मेरी चूत तो आपको सील तोड़ने को नहीं मिली पर आप मेरी गांड का सील तोड़ सकते हैं… उसमें आज तक किसी का लंड नहीं गया.
अशोक ख़ुशी से- क्या सच में?
मयूरी- हाँ मेरे चोदू पापा… सच में!
अशोक- क्या बात है!

मयूरी- फिर कब तोड़ेंगे आप अपनी बेटी की गांड की सील पापा?
अशोक- बेटा नेकी और पूछ-पूछ? अभी तोडूंगा… पर तुम्हें थोड़ा दर्द होगा… लेकिन बाद में बहुत मजा आएगा… ये मैं वादा करता हूँ.
मयूरी- पापा… आपकी ख़ुशी के लिए आपकी ये बेटी कुछ भी कर सकती है.
अशोक- फिर ठीक है… जा और जाकर तेल ले आ!
मयूरी- ओके पापा!

और मयूरी वहीं टेबल पर पड़े कटोरी में रखा तेल ले आई. वापिस आकर उसने अपने बाप का लंड देखा तो वो फिर से खड़ा हो चुका था. अशोक ने अपने बेटी को बिस्तर पर झुकाया और उसकी गांड को अपने जीभ से खूब चाटा. मयूरी को अपने गांड चटवाने में बड़ा मजा आया.

फिर अशोक ने उसकी गांड के छेद पर बहुत सारा तेल लगाकर अपनी उंगली से उसकी गांड की छेद को थोड़ा चौड़ा किया. थोड़ी देर तक उसने अपनी उंगली से मयूरी की गांड को चोदा जिससे उसकी गांड का छेद थोड़ा खुल गया. मयूरी को अभी तक ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था.
फिर अशोक ने फिर से उसकी गांड और अपने लंड पर बहुत सारा तेल लगाया और अपना लंड अपने बेटी की मखमल जैसी गांड पर रखकर सेट करके पूछा- बेटी, तुम तैयार हो?
मयूरी- कब से पापा… मैं तो हमेशा से चाहती थी कि आप मेरी गांड उसी तरह मारें जैसे आप मम्मी की मारते हो.
अशोक- ठीक है फिर… थोड़ा दर्द होगा…
मयूरी- आप डाल दो पापा… मैं सारे दर्द बर्दाश्त कर लूंगी… अगर मैं रोऊँ भी तो आप रुकना मत… आज मेरी गांड को अपने लंड से चोद दो पापा.
 
अशोक ने अपने दोनों हाथों से मयूरी की कमर पीछे से पकड़ कर एक जोरदार झटका उसकी गांड पर मारा. उसका लंड चिकनाई की वजह से झट से लगभग आधा मयूरी की गांड में चला गया. मयूरी दर्द के मारे बिलबिला उठी, उसकी आंखों से आंसुओं की धारा निकल पड़ी.
पर अशोक अभी रुकने के मूड में नहीं था, उसने एक और झटका मारा और बाप का लंड जड़ तक बेटी की गांड के अंदर चला गया. मयूरी को और दर्द हुआ और वो रो पड़ी.

पर अशोक तो जैसे निर्दयी हो चुका था, उसने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से एक जोरदार झटका दिया. मयूरी दर्द कर मारे कराहती रही और अशोक झटके पर झटका देता रहा.
करीब पांच मिनट के बाद मयूरी की गांड अब चौड़ी हो चुकी थी और उसका दर्द कम चुका था. अब मयूरी को अपनी गांड मरवाने में मजा आने लगा और उसका दर्द आनन्द की आहों में परिवर्तित हो गया- आ… ह… आह… पापा…
अशोक झटके मारते हुए- हुम्म्म… हुम्म्म… हुम्म्म…
मयूरी- मजा आ रहा है पापा… आह… मुझे पता नहीं था कि गांड मरवाने में इतना मजा आता है… आह.

पर अशोक तो जैसे कोई बात सुनने ही नहीं वाला था, वो जोरदार झटके पर झटके मयूरी की गांड पर तब तक मारता रहा जब तक उसके लंड से वीर्य नहीं निकलने की स्थिति में आ गया. लगभग 15 मिनट तक अपने बेटी की कुंवारी मखमल जैसी कोमल गांड को बड़ी ही निर्दयता के साथ चोदा. चोद कर थकने के बाद जब उसका लंड पानी छोड़ने वाला था तो उसने अपना लंड उसकी गांड से निकाला और मयूरी को पलट कर सीधा किया और अपना लंड सीधा अपने बेटी के मुँह में जबरदस्ती डाल दिया.

मयूरी को अब अपनी गांड की महक और स्वाद के साथ अपने बाप का लंड का स्वाद आने लगा. थोड़ी ही देर में अशोक के लंड से वीर्य की बाढ़ निकली और मयूरी का मुँह उससे भर गया.
फिर दोनों बाप बेटी बिस्तर पर फिर से हांफते हुए गिर गए.

इस बार अशोक ने बातचीत शुरू की- बेटी मजा आया… अपनी गांड मरवाकर?
मयूरी- हाँ पापा… बहुत मजा आया… पर दर्द भी बहुत हुआ.
अशोक- वो तो मैंने पहले ही कहा था… कि दर्द होगा.
मयूरी- पर पापा… आप पर तो जैसे भूत सवार हो गया था… आपको मेरा दर्द दिखाई ही नहीं दे रहा था.
अशोक- बेटा… पहले बार गांड की चुदाई की वक्त थोड़ा बेरहम होना पड़ता है नहीं तो काम को अंजाम नहीं मिल पाता.
मयूरी- अच्छा… तो आपको मजा आया पापा… अपनी बेटी की गांड मारकर?
अशोक- हाँ बेटा… बहुत ज्यादा मजा आया… इतना मजा तो तुम्हारी माँ की गांड मारकर भी कभी नहीं आया.
मयूरी- थैंक यू पापा… आई लव यू.

और मयूरी अपने नंगे बाप से लिपट गयी.
 
मयूरी ने अपने बाप से गांड मरवाने के बाद उसका लंड मुंह में लिया तो उसे अपनी गांड की महक और स्वाद के साथ अपने बाप का लंड का स्वाद आने लगा. थोड़ी ही देर में अशोक के लंड से वीर्य की बाढ़ निकली और मयूरी का मुँह उससे भर गया.
फिर दोनों बाप बेटी बिस्तर पर फिर से हांफते हुए गिर गए. और मयूरी अपने नंगे बाप से लिपट गयी.

फिर थोड़ी देर बाद ऐसे ही चिपके रहने के बाद मयूरी बोली- पापा…
अशोक- हाँ बेटा?
मयूरी- आपको याद है ना कि कल मेरा जन्मदिन है?
अशोक- हाँ बेटा… ये मैं कैसे भूल सकता हूँ?

मयूरी- तो फिर इस बार आप क्या तोहफा देने वाले है मुझे जन्मदिन पर?
अशोक- आपको क्या चाहिए बेटा?
मयूरी- मैं जो बोलूंगी वो दिलाओगे आप?
अशोक- हाँ बेटा… आप जो बोलोगे वो दिला देंगे आपको!
मयूरी- सोच लोग पापा, कहीं मुकर ना जाना फिर बाद में?
अशोक- अरे आप बोलो तो सही… दिला देंगे आपको.

मयूरी बच्चों की तरह जिद करती हुई- पहले आप प्रॉमिस करो कि मैं जो बोलूंगी आप दिलाओगे.
अशोक बड़े प्यार से उसका सर सहलाते हुए- अच्छा प्रॉमिस… अब बताओ?
मयूरी- तो मुझे अपने जन्मदिन पर…
अशोक- हाँ… बोलो… बोलो…
मयूरी- अपने जन्मदिन पर घर के तीनों मर्दों का लंड एक साथ लेना है… एक का मुँह में, एक का चूत में और एक अपने गांड में…
अशोक आश्चर्य से- क्या?
मयूरी शरारती मुस्कान के साथ- हाँ…
अशोक- तू पागल हो गयी है क्या?
मयूरी- क्यूँ? क्या हुआ?
अशोक- मैं तुम्हें ये कैसे दिला सकता हूँ? वो दोनों तेरे अपने भाई हैं… और तू उनसे चुदवाना चाहती है?
मयूरी- पापा… आप कैसी बात कर रहे हो? आप तो मेरे पिता हो… और देखो अपने आप को… अभी मेरी गांड मारी है और नंगे चिपके पड़े हो मेरे साथ… और कह रहे हो कि अपने भाई से कैसे चुदवा सकती हूँ?

अशोक को अपने गलती का अहसास हुआ. वो अपने शब्दों को सँभालते हुए आगे बोला- अरे पर हमारी बात अलग है… आप हमसे से चुदवाना चाहती थी और हम आपको बड़े दिनों से चोदना भी चाहते थे. तभी ये मुमकिन हो पाया कि आपके इस चूत में मेरा लंड गया… नहीं तो कैसे होता बताओ?
मयूरी- वो मुझे नहीं पता… आप उनसे बात करो और मुझे उनका लंड दिलवाओ… बस.
अशोक- मतलब मैं उनको जाके क्या बोलूं? कि चलो अपनी बहन को चोदना है तुम्हें… वो भी एक साथ… मैं भी चोदूँगा साथ में… और ये तुम्हारी बहन के जन्मदिन का तोहफा है?
मयूरी- हाँ… एकदम सही.
अशोक- तुम सच में पागल हो गयी हो.
मयूरी- पर अपने वादा किया था?
अशोक- पर ये कैसे? मुझे लगा कि तुम कुछ महँगा सामान मांगोगी तो दिला दूंगा.

मयूरी मुस्कुराते हुए- अच्छा एक बात सुनो आप…
अशोक- हाँ बोलो?
मयूरी- आपको याद है मैंने बताया था कि मैं पहले से अपनी चूत चुदवा चुकी हूँ वो भी दो लोगों से.
अशोक- हाँ… याद है… अब क्या उनको भी बुलाना है आपको चोदने के लिए?
मयूरी- आप बात तो सुनो… आज आपको बहुत सारी बातों का पता चलेगा और ये सारे आपके जीवन के बड़े रहस्य हैं… जो आपको जरूर पता होना चाहिए.
अशोक- अच्छा? बताइये.

मयूरी- क्या आप जानना नहीं चाहते कि वो कौन लोग हैं जिन्होंने आपकी बेटी की जवान चूत का भेदन किया और उसकी सील तोड़ दी?
अशोक- हाँ… जरूर जानना चाहूंगा… बताइये… कौन हैं वो लोग?
मयूरी- वो दो लोग आपके अपने दोनों बेटे हैं.
अशोक आश्चर्य से- क्या…????
मयूरी- हाँ… मैंने पहली बार अपने दोनों भाइयों से ही चुदवाया था… वो भी एक साथ.
अशोक- कैसे?
 
फिर मयूरी ने अशोक को अपने और रजत एवं विक्रम के साथ हुई चुदाई की सारी बात बताई, बस बताया कुछ इस तरह कि लगे कि सब अपने आप हुआ हो और इसमें मयूरी की कोई प्लानिंग नहीं थी.
अशोक ने मयूरी की अपने भाइयों से चुदाई की पूरी कहानी बड़े ध्यान से सुनी; उसको अपने बच्चों की आपसी चुदाई की कहानी सुनने में बड़ा रोमांच और आनन्द महसूस हुआ.

पूरी बात सुनने के बाद अशोक के आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं था, उसने मयूरी से पूछा- तो मेरे घर में मेरे तीनों बच्चे मेरी नज़रों के नीचे चुदाई कर रहे थे और मुझे पता भी नहीं चला?
मयूरी- आपको तो कुछ भी पता नहीं चलता पापा!
अशोक- मतलब?
मयूरी- आपकी नज़रों के नीचे इस घर में और क्या क्या हुआ और आपको कुछ भी नहीं पता!
अशोक- और क्या-क्या हुआ?

मयूरी- बताती हूँ… जब मैंने अपने दोनों भाइयों में अपना हुस्न रोज़ बाँट रही थी तो एक दिन मैंने सोचा कि ये मैं क्यूँ कर रही हूँ?
अशोक- फिर?
मयूरी- फिर मुझे बहुत सोचने पर यह समझ आया कि शायद यह मेरी उम्र और शरीर की मांग है… और आपकी और आपके इस घर-परिवार की इज्जत को बाहर नीलाम नहीं कर सकती थी, इसलिए मैंने अपने घर में ही अपने लिए लंड का इंतजाम किया… और मेरे भाइयों के साथ भी शायद ऐसा ही हुआ हो.

अशोक बड़ी ही उत्सुकता से- हाँ फिर?
मयूरी- फिर मुझे लगा कि अगर ऐसा है तो फिर तो मेरे इस खूबसूरत शरीर पर आपका भी हक़ होना चाहिए और उस मायने में आपको भी ये शरीर और ये हुस्न मिलना चाहिए.
अशोक- अच्छा?
मयूरी- हाँ…
अशोक- फिर?
मयूरी- फिर मैंने ये निश्चय किया कि मैं आपको आपका हक़ जरूर दूंगी अगर आप की मर्ज़ी हुई तो.
अशोक- अच्छा… फिर?

मयूरी- और फिर मुझे लगा कि अगर मैंने ऐसा किया तो माँ के साथ बड़ी नाइंसाफी हो जाएगी.
अशोक- कैसे?
मयूरी- देखो… मेरे दोनों भाइयों को मेरी चूत मिल रही थी?
अशोक- हाँ…
मयूरी- मैं आपको अपनी चूत देने वाली थी?
अशोक- हाँ…
मयूरी- और मुझे घर के दो लंड पहले से ही मिल रहे थे और एक और मिलने वाला था और वो लंड मेरी माँ के सुहाग का था?
अशोक- हाँ…
मयूरी- मतलब घर में सबको चुदाई के लिए कुछ ना कुछ नया मिलने वाला था सिवाय माँ के?
अशोक- फिर?
मयूरी- फिर मैंने सोचा की क्यूँ ना माँ के लिए भी नए लंड का बंदोबस्त किया जाये?

अशोक- फिर… क्या किया तुमने?
मयूरी- अरे… घबराओ नहीं पापा… आपकी इज्जत घर के अंदर ही है… घर के बाहर जब मैंने अपनी चूत नीलाम नहीं की तो माँ की कैसे करवा देती?
अशोक- मतलब?
मयूरी- माँ को अपने दोनों बेटों का लंड दिलवा दिया?
अशोक- क्या????
मयूरी- हाँ मेरे चोदू पापा… माँ अपने बेटों से चुदवा रही है.
अशोक- क्या बक रही हो?
मयूरी- क्यूँ? आप अपनी बेटी को चोद सकते हो तो वो अपने बेटों से नहीं चुदवा सकती?
अशोक- म… मतलब वो कैसे?
मयूरी- माँ ने तो एक बार मेरे साथ भी सेक्स किया था… लेस्बियन…
अशोक- मतलब त… तुम माँ-बेटी?
मयूरी- हाँ पापा…
 
Back
Top