hotaks444
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शीतल के मुँह से आह निकल गयी पर विक्रम ने इस पर जरा भी ध्यान नहीं दिया, वो अपने काम में लगा रहा अपने होंठ और जबान से अपनी माँ की चूत का रसपान करने में!
शीतल के हाथ विक्रम के सर पर थे, उसने उत्तेजना की वजह से विक्रम के सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया.
इधर रजत शीतल के सीने पर पड़े पड़े अपने एक हाथ को शीतल के पीछे ले जाकर उसकी गांड को धीरे-धीरे सहलाने लगा. जब शीतल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसका साहस और बढ़ गया, वो उसकी गांड को जोर जोर से दबाने लगा.
फिर थोड़ी ही देर में उसने अपने एक हाथ से शीतल के एक हाथ को अपने लंड के ऊपर रख दिया. शीतल शॉर्ट्स के ऊपर से ही रजत के लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी.
शीतल इस समय अपने दोनों बेटों को प्यार करने के बहाने अपनी हवस मिटाने में लगी हुई थी. विक्रम अब जोर-जोर से अपनी माँ की चूत को चाट रहा था. इस अवस्था में बहुत देर तक तीनोंमाँ-बेटों ने खूब मजा लिया. शीतल की चूत ने इतने देर में 1-2 बार पानी छोड़ दिया था. विक्रम ने जितना हो सका, अपनी माँ की चूत से निकला हुआ पानी चाट लिया और बाकी वहीं बिस्तर पर गिर गया था.
रजत ने इस बीच में अपने एक हाथ से अपनी माँ की चूचियों को भी काफी देर तक दबाया.
फिर एक लम्बी ख़ामोशी के बाद शीतल को लगा कि अब अगर वो थोड़ी देर और रुकी तो या तो उसके बेटे उसको अभी पटक कर चोद देंगे या वो खुद ही उनको पकड़कर उनको चोद देगी.
फिर उसने अपनी भावनाओं पर पता नहीं क्यूँ नियंत्रण किया और अपने बेटों को कहा- विक्रम, रजत…
रजत- हाँ माँ?
विक्रम अभी भी अपनी माँ की चूत चाटने में व्यस्त था और उसकी जबान शीतल के चूत के अंदर था इसलिए वो जवाब भी नहीं दे पाया. वही रजत एक हाथ से शीतल की गांड को और दूसरे हाथ से उसकी एक चूची को दबाने में व्यस्त था. शीतल अपने एक साथ से विक्रम का सर सहला रही थी और दूसरे हाथ से रजत का लंड.
शीतल- तुम लोगों को भूख नहीं लगी क्या? खाना तैयार है.
रजत- हाँ माँ… थोड़ी देर और बैठो न.. फिर खाना खाने चलते हैं… आप बड़े दिनों बाद हमारे साथ बैठी हो… बहुत अच्छा लग रहा है.
शीतल- अरे.. मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ… अब रोज़ ऐसे तुम दोनों के साथ बैठूंगी… चलो अब खाना खा लो.
शीतल के हाथ विक्रम के सर पर थे, उसने उत्तेजना की वजह से विक्रम के सर को अपनी चूत पर जोर से दबा दिया.
इधर रजत शीतल के सीने पर पड़े पड़े अपने एक हाथ को शीतल के पीछे ले जाकर उसकी गांड को धीरे-धीरे सहलाने लगा. जब शीतल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो उसका साहस और बढ़ गया, वो उसकी गांड को जोर जोर से दबाने लगा.
फिर थोड़ी ही देर में उसने अपने एक हाथ से शीतल के एक हाथ को अपने लंड के ऊपर रख दिया. शीतल शॉर्ट्स के ऊपर से ही रजत के लंड को धीरे धीरे सहलाने लगी.
शीतल इस समय अपने दोनों बेटों को प्यार करने के बहाने अपनी हवस मिटाने में लगी हुई थी. विक्रम अब जोर-जोर से अपनी माँ की चूत को चाट रहा था. इस अवस्था में बहुत देर तक तीनोंमाँ-बेटों ने खूब मजा लिया. शीतल की चूत ने इतने देर में 1-2 बार पानी छोड़ दिया था. विक्रम ने जितना हो सका, अपनी माँ की चूत से निकला हुआ पानी चाट लिया और बाकी वहीं बिस्तर पर गिर गया था.
रजत ने इस बीच में अपने एक हाथ से अपनी माँ की चूचियों को भी काफी देर तक दबाया.
फिर एक लम्बी ख़ामोशी के बाद शीतल को लगा कि अब अगर वो थोड़ी देर और रुकी तो या तो उसके बेटे उसको अभी पटक कर चोद देंगे या वो खुद ही उनको पकड़कर उनको चोद देगी.
फिर उसने अपनी भावनाओं पर पता नहीं क्यूँ नियंत्रण किया और अपने बेटों को कहा- विक्रम, रजत…
रजत- हाँ माँ?
विक्रम अभी भी अपनी माँ की चूत चाटने में व्यस्त था और उसकी जबान शीतल के चूत के अंदर था इसलिए वो जवाब भी नहीं दे पाया. वही रजत एक हाथ से शीतल की गांड को और दूसरे हाथ से उसकी एक चूची को दबाने में व्यस्त था. शीतल अपने एक साथ से विक्रम का सर सहला रही थी और दूसरे हाथ से रजत का लंड.
शीतल- तुम लोगों को भूख नहीं लगी क्या? खाना तैयार है.
रजत- हाँ माँ… थोड़ी देर और बैठो न.. फिर खाना खाने चलते हैं… आप बड़े दिनों बाद हमारे साथ बैठी हो… बहुत अच्छा लग रहा है.
शीतल- अरे.. मैं कहीं भागी थोड़ी ना जा रही हूँ… अब रोज़ ऐसे तुम दोनों के साथ बैठूंगी… चलो अब खाना खा लो.