Kamukta Story परिवार की लाड़ली - Page 3 - SexBaba
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Kamukta Story परिवार की लाड़ली

अब चोदने की बारी मोहन लाल की थी. पर वो पहले अपनी बहू मयूरी को चोदना चाहता था, उसने मयूरी को कहा- बहू.. मेरी जान.. अब तुम्हारी चुदाई मैं करूँगा.
मयूरी- जी बाबूजी.. मैं बड़ी ही खुशनसीब हूँ, जो आपसे मुझे अपने पापा जैसा प्यार मिल रहा है.
मोहन लाल- मतलब तुम भी अपने बाप से चुदती थीं?
मयूरी- जी पापा… और अपने भाइयों से भी.
मोहन लाल- अच्छी बात है.. अब अपने ससुर से बिल्कुल अपने बाप जैसे प्यार लो. आओ और मेरा लंड अपनी चूत में ले लो.
मयूरी- बिल्कुल पापा.
मोहन लाल- काजल, जा अपने भाइयों से चुदाई करवा ले, जब तक मैं बहू की चूत की कुटाई कर रहा हूँ.
काजल- जी पापा.

मयूरी सोफे पर लेट गई और मोहन लाल ने अपना लंड उसकी चूत पर सैट करके एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. यहाँ से ससुर और बहू की घनघोर चुदाई शुरू हो गई.
मयूरी- बाबूजी.. आह.. चोदो.. और जोर से चोदो बाबूजी..
मोहन लाल- ले मेरी जान.. मेरे सपनों की परी.. आज मेरा लंड सच में ले ले. अपने सपने में मैंने तुमको बहुत चोदा है. आज वास्तव में तुझे चोदने का मौका मिला है. आज तो तेरी चूत की चटनी बना दूंगा.

इधर काजल ने रमेश और सुरेश को अपनी सेवा का फिर से मौका दे दिया. इस बार उसकी चूत में रमेश का लंड था और मुँह में सुरेश का लंड था.
दोनों भाई मिल कर अपनी बहन को चोदने लगे.

करीब 20 मिनट की लगातार चुदाई के बाद झड़ कर फिर से सब लोग आराम करने लगे.. पर आज आराम वाला दिन ही नहीं था. इस शाम को तो जैसे बस चुदाई ही होनी थी. थोड़ी देर में फिर से सब गरम हो गए.

अब मोहन लाल ने काजल को अपने पास बुलाया और कहा- बेटी, अपने बाप का लंड अपने चूत में लेगी न?
काजल- पापा, आज आप पूरी तरह से बेटीचोद बन जाओ.. और मैं इस घर की रंडी बन जाना चाहती हूँ. मैं चाहती हूँ कि जिसको जब भी मन करे, मुझे आके चोद दे. आओ पापा.. कूट दो मेरी इस चूत को अपने इस मूसल जैसे लंड से..

अब काजल को नीचे लिटा कर मोहन लाल अपनी बेटी को चोदने लगा. इधर रमेश और सुरेश मिलकर मयूरी की चोदने वाले थे.. पर रमेश ने अचानक से कहा- मयूरी.. अब मैं तेरी गांड और सुरेश तेरी चूत मारेगा.
मयूरी- आओ मेरे राजा.. मैं तो कई दिनों से ऐसे नहीं चुद पाई हूँ.. अपने मायके में मैं अपने दोनों भाइयों से ऐसे ही चुदती थी. आज तुमने मेरे भाइयों की याद दिला दी.

फिर रमेश ने मयूरी को खड़ा करके उसकी एक टांग सोफे पर रखा और खड़े-खड़े ही उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया. आगे से सुरेश ने भी अपनी भाभी की चूत में 
 
घर में फिर से सब लोग चुदाई में लगे हुए थे. ये किस्मत का खेल ही था, जो एक सामान्य घर के सामान्य से रिश्तों को कुछ ही घंटों में इतना विशेष बना दिया. इस घर में पिछले 2-3 घंटों में बहुत सारे रिश्ते बदल गए. सब लोगों के मन से एक-दूसरे को लेकर शर्म-हया जैसी कोई चीज़ खत्म हो गई थी, पर प्यार और गहरा हो गया था. साथ ही साथ कई सारे रहस्यों से पर्दा भी उठ चुका था.

घर के सरे सदस्यों के बीच का सामान्य सम्बन्ध एकदम परिवर्तित ही हो गया था. अब परिवार में भाई-बहन, पति-पत्नी, पिता-पुत्र, पिता-पुत्री, बहु-ससुर सबके बीच का सम्बन्ध बिल्कुल बदल चुका था. अब सब एक दूसरे को चोद और एक-दूसरे से चुदवा रहे थे, वो ख़ुशी-ख़ुशी. कोई विरोध नहीं, और सबको एक दूसरे की सहमति थी.

इस के साथ-साथ घर के कुछ लोगों के जीवन के कुछ बहुत ही पुराने राज़ भी खुल गए थे और सब एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे हो चुके थे, पर आश्चर्य की बात यह थी कि कोई भी लाज-हया नहीं दिखाई दे रही थी इतने बड़े बड़े रहस्यों के खुलने के बाद भी … सब उत्साहित होकर एक-दूसरे को अपनी कहानियाँ बता रहे थे.

मयूरी ने वादा किया था कि वो सबको अपने घर में हुए दोनों भाइयों और पिता के साथ चुदाई की कहानी बताएगी.

तो उस हसीं शाम की घनघोर चुदाई के बाद भी रात को चुदाई का सिलसिला चलता रहा. पार्टनर बदल-बदल का चुदाई चली और बहुत ज्यादा चली. फिर अगली सुबह रमेश और सुरेश अपने ऑफिस चले गए और घर में मोहनलाल ने अपनी बहू मयूरी और बेटी काजल को अकेले में फिर से बहुत चोदा. उसका तो जैसे सपना पूरा हो रहा था. दो-दो जवान लड़कियां वो भी अपने घर की. एक अपनी सगी बेटी तो एक अपने ही घर की बड़ी बहू. उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी और वो इसकी व्याख्या शब्दों में नहीं कर सकता था.
 
शाम को जब रमेश और सुरेश भी घर आ गए तो चुदाई के कई और दौर चले. घर के हर मर्द के लंड ने घर की दोनों चूत की खूब सेवा की और मजे दिए. फिर जब सब लोग थक कर बैठ गए तो कोमल के आग्रह पर मयूरी ने अपने मायके में हुई चुदाई की शुरुआत की कहानी शुरू की.

तो बात आज से करीब 6 साल पहले की है यानि की मयूरी की शादी के लगभग 5 साल पहले. मयूरी अपना स्नातक (ग्रेजुएशन) पूरा करने वाली थी. वो उस समय लगभग 19-20 साल की रही होगी. घर में उसके पिता अशोक (45 साल), माता जिनका नाम शीतल (41 साल), बड़ा भाई विक्रम (21 साल) और छोटा भाई रजत (18 साल) जैसे सदस्य थे. अशोक की सरकारी नौकरी थी, वो देखने में एकदम साधारण व्यक्ति लगता था पर हमेश व्यायाम करता था इसलिए बहुत ही स्वस्थ था.

शीतल थी तो वैसे 41 साल की पर बहुत ही खूबसूरत…! उसको देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता था कि जवानी में इसने कितनों के सपनो में आकर उनकी की नींदें हराम की होंगी. वो बहुत पतली नहीं थी और मोटी भी नहीं थी, देखने में ज्यादा से ज्यादा 35 की लगती थी. माँ बेटी को एक साथ देखकर लगता था की जैसे दोनों बहने हों. अशोक से उसकी शादी उसके सरकारी नौकरी के वजह से ही हुई थी.

मयूरी बिल्कुल अपने माँ पर गयी थी, छरहरा बदन, खूबसूरत होंठ, नशीली कमर, जवानी की उठान, भारी-भारी चूचियां और उतनी ही बड़ी बड़ी गांड। जिस जगह से गुजरे उस तरफ के लोगो का लंड अपने आप ही खड़ा हो जाता था.

मयूरी के भाई विक्रम और रजत भी गठीले शरीर के मालिक थे. दोनों नियमित रूप से जिम जाते थे, देखने में बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक लगते थे. विक्रम किसी कम्पटीशन की तैयारी कर रहा था और रजत अभी सेकंड ईयर में था. विक्रम और रजत में पिछले 4-5 महीनों से बातचीत बंद थी. कारण थी एक लड़की … जिससे दोनों भाई प्यार करते थे और उसने दोनों को बेवकूफ बना कर मजे ले लिए.
 
मयूरी अपने घर की लाड़ली थी. उसको अपने पिता, माँ और दोनों भाइयों से खूब सारा प्यार मिलता था. सब कुछ सामान्य चल रहा था. एक बार ग्रुप स्टडी के लिए मयूरी अपने एक सहेली पूजा के घर गयी. वहाँ उसकी 2 और सखियाँ आयी हुई थी – रुचिका और हीना.
एक-डेढ़ घंटे की लगातार पढ़ाई के बाद सबने एक ब्रेक लेने की सोची और रिलैक्स करने लगी. इधर-उधर की बातचीत करते-करते सेक्स के बारे में बात करने लगे. चारों आपस में पक्की सहेलियाँ थी और कई सालों से एक दूसरे को जानती थी.

बातों-बातों में हीना ने बताया कि वो सेक्स कर चुकी है. बाकी लड़कियों ने पूछा- किसके साथ?
तो वो थोड़ा शर्माने लग गयी और बात को टालने लगी. फिर बहुत जोर देने पर उसने बताया कि उसके अब्बा ने ही उसकी सील तोड़ी और अब घर में रोज़ खूब चुदाई चलती है.
उसने बताया कि यह बात उसकी अम्मी को भी पता है और तीनों लोग साथ में भी सेक्स करते हैं.

पूजा ने कहा- इसमें क्या बड़ी बात है, मैंने भी अपने छोटे भाई को पटा रखा है. हम दोनों करीब 1 साल से रोज़ ही चुदाई करते हैं. घर में किसी और पता नहीं है इसलिए कोई शक भी नहीं करता. हम दोनों एक ही कमरे में सोते हैं तो रोज़ चुदाई का काम बहुत ही आसान हो जाता है.

उसने बताया कि ग्रुप स्टडी के 2 घंटे पहले ही इसी कमरे में वो फिर से चुदी थी अपने भाई से. आज उसने उसको डॉगी स्टाइल में चोदा और उसके पहले दोनों ने 69 भी किया था.

फिर सबने रुचिका से पूछा- क्या तुमने कभी सेक्स किया है?
तो उसने बताया- हाँ, मगर किसी आदमी के साथ नहीं किया है.
हीना ने पूछा- मतलब?
तो उसने बताया कि पिछले पांच छह महीने से उसके और उसकी माँ के बीच में सेक्स सम्बन्ध बन गए हैं. दोनों एक दूसरे के साथ लेस्बियन सेक्स का अनुभव लेती हैं.

आज चारों सहेलियाँ अपना राज़ एक दूसरे के सामने खोल रही थीं. फिर सबने जब मयूरी से पूछा- तुम अपनी चुदाई की कहानी बताओ?
तो वो एक पल को चुप सी रह गयी. फिर एक बड़ी सी आह भरते हुए उसने कहा कि उसकी जमीन अभी भी सूखी है, अभी तक चुदाई का मौका नहीं मिल पाया है. बॉयफ्रेंड कोई है नहीं और घरवालों से ऐसी उम्मीद कभी की नहीं.

हीना ने कहा- यार, कोशिश करनी पड़ती है, फिर सब हो जाता है. देखो अंत में सब होते औरत-मर्द ही है. और माशाल्लाह, तुम तो हूर की परी हो, ऊपर वाले ने इतना बढ़िया हुस्न दिया है कि कोई भी मर-मिटेगा.
मयूरी ने कहा कि उसकी किस्मत में शायद शादी के बाद ही लंड लिखा है.

फिर सबने ठहाकों के बाद पढ़ाई फिर से शुरू की. एक और घंटे की पढ़ाई के बाद सब अपने अपने घर को चल दी.
 
पर आज जब मयूरी अपने घर जा रही थी तो उसके दिमाग में कुछ नयी तरंगों ने कब्ज़ा कर रखा था. वो अपने सहेलियों की चुदाई के बारे सोचे जा रही थी और कितनी भी कोशिश करने पर अपने आप को रोक नहीं पा रही थी. उसने महसूस किया कि सोचने मात्र से ही उसकी चुत में बहुत सारा पानी आ गया है. वो फटाफट घर गयी और बाथरूम जा की अपने उंगलियों को अपनी चुत में डाल कर अंदर-बाहर करने लगी. फिर थोड़ी देर बाद जब उसकी चुत से काफी सारा कामरस निकला तो उसको इतना चैन मिला कि जैसे ऐसा पहले कभी हुआ ही नहीं हो.

इसके बाद उसने फैसला किया कि अब वो किसी ना किसी से चुदाई करवा के ही मानेगी।
उसने बहुत सोचा कि सबसे आसान है कि किसी लड़के को पटाओ और खूब चुदाई करवाओ.
पर उसमें रिस्क बहुत ज्यादा था क्यूँकि अगर यह बात किसी को पता चल गयी तो बहुत बदनामी होगी. और ऐसी बातें किसी ना किसी तरह दोस्तों यारों से सबको पता चल ही जाती हैं.

फिर अब उसने घर में लोगों के बारे में सोचना शुरू किया. उसने सबसे पहले अपने पापा के बारे में सोचा पर वो बहुत ही मुश्किल काम लगा. फिर उसने सोचा कि अपने भाइयों को टारगेट करती हूँ, पर किस भाई को, छोटे को या बड़े को … यह फिर बहुत मुश्किल सवाल था, बहुत सोचने के बाद उसने फैसला किया कि दोनों पर लाइन मारी जाये, जो पट गया उसी का लंड अपनी चुत में डलवा लूंगी, पर चुदाई तो होकर रहेगी.

पर वो कुछ भी जल्दी में नहीं करना चाहती थी. तो उसने बड़े आराम से सब कुछ सुयोजित किया और भाई बहन सेक्स की योजना के मुताबिक सबसे पहले उसने बड़े भाई पर लाइन मारना चालू किया.
वैसे बता दूँ कि तीनों भाई बहन आपस में काफी खुले हुए थे. चुदाई की बातें तो नहीं होती थी पर एडल्ट जोक्स आपस में बहुत किया करते थे.
अगर वाटसऐप्प पर कोई भी एडल्ट जोक आये तो तीनों आपस में फॉरवर्ड करने में देर नहीं लगाते थे. खुले में तो नहीं, पर तीनों को पता था कि पोर्न मूवी लैपटॉप के किस ड्राइव में कहाँ रखी है.
तीनों ही उस फोल्डर में नयी नयी मूवीज डालकर अपडेट भी करते रहते थे. पर इतना सब के बावजूद भी, कभी भी तीनों में से किसी ने एक दूसरे को गन्दी नज़र से नहीं देखा था. मतलब रिश्ते अभी तक बिल्कुल पवित्र थे.

पर मयूरी ने ठान लिया था कि अब ये सब ऐसे नहीं रहने वाला था.
 
शाम को विक्रम घर जल्दी आ गया लगभग आठ बजे के आस पास. जबकि रजत अपने दोस्त के साथ मूवी देखने गया था तो वो दस बजे तक आने वाला था। यह बात सबको घर में पता थी. सबने 8:30 बजे तक खाना खाया और मयूरी और विक्रम अपने कमरे में आ गए. अशोक टीवी पर समाचार देख रहा था और शीतल किचन में बर्तन वगैरह कर रही थी.

सरकारी क्वार्टर होने की वजह से घर में ज्यादा जगह नहीं थी. एक कमरे में अशोक और शीतल सोते थे और दूसरा कमरा थोड़ा बड़ा होने की वजह से तीनों भाई-बहन को दिया गया था. तीनों का अलग-अलग बेड था और बीच में आने जाने की थोड़ी-थोड़ी जगह थी, इतनी कि जैसे कोई जैसे-तैसे ही आ-जा सकता था.

मयूरी बीच में सोती थी क्योंकि पिछले कुछ महीनों से दोनों भाइयों में बातचीत बंद थी. विक्रम अपने बिस्तर पर गया और किताब खोलकर बैठ गया. वो शायर सामान्य ज्ञान की कोई किताब पढ़ रहा था. विक्रम ने इस समय हाफ पेंट और टी-शर्ट पहना हुआ था जबकि मयूरी ने भी एक छोटा सा शॉर्ट्स और एक झीना सा टॉप डाला हुआ था जिसके अंदर से उसकी ब्रा लगभग नज़र आ रही थी. मयूरी की चूचियां बहुत ही भारी-भारी थी जिससे अगर कोई गलती से भी उधर एक बार देख ले तो बार-बार देखे.

मयूरी ने अपने योजना का पहला कदम रखने का सोचा, यह उसके लिए एकदम सही समय था. उसने दरवाज़ा को अंदर से बंद किया और अपने हल्के नीले रंग के टॉप के गले को थोड़ा बड़ा करते हुए अपने कंधे तक खींचा जिससे विक्रम की नज़र उसकी छातियों पर जाये.

फिर वो उसके पास गयी और बोली- भैया, अपने कमरे में जाले बहुत हो गए हैं. मैं साफ कर दूँ क्या?
विक्रम- हाँ, कर दे.
मयूरी- ठीक है, मैं पंखा थोड़ी देर के लिए बंद करुँगी.
विक्रम- ठीक है.

मयूरी ने पंखा बंद किया और जाले साफ़ करने के लिए झाड़ू ले आयी. फिर वो तीनों के बिस्तर पर चढ़ कर उछल-उछल कर जाले साफ करने लगी. उसके ऐसे उछलने की वजह से उसके बड़ी-बड़ी चूचियां जोर जोर से हिलने लगी. वास्तव में मयूरी की मंशा भी यही थी. वो और उछल-उछल कर नाटकीय अंदाज़ में अपनी विशाल चूचियां हिला-हिला कर विक्रम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास करने लगी.

थोड़ी देर में कमरे में गर्मी बढ़ी और इस कारण विक्रम ने अपना टी-शर्ट निकाल दिया. अब वो सिर्फ बनियान में था और उसकी मांसल शरीर पसीने में तर-बतर हो रहा था.
मयूरी ने देखा कि विक्रम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में वो असफल हो रही है तो उसने एक दूसरा दांव मारा.
वो बोली- गर्मी कितनी बढ़ गयी है न? मैं भी अपना टॉप निकाल दूँ क्या अगर तुम्हें कोई ऐतराज़ ना हो तो?

विक्रम ने उसको प्रश्न भरी निगाहों से देखा।
मयूरी फिर बोली थोड़ा समझते हुए नाटकीय अंदाज़ में- भैया…? ऐसे क्या देख रहे हो? मैंने अंदर ब्रा पहन रखी है?
विक्रम- ह..हाँ… फिर ठीक है.
मयूरी- फिर ठीक है मतलब? तुम्हें क्या लगता है, ये बिना ब्रा के संभल जायेंगे?
विक्रम- ये…ये कौन?
मयूरी- भैया, तुम भी ना? ब्रा से कौन सम्भलता है ? तुम क्या…? ये…

और उसने अपनी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चूचियों की ओर इशारा किया.
विक्रम थोड़ा सकुचा-सा गया. माना कि वो आपस में खुले हुए थे पर अपने प्राइवेट पार्ट्स के बारे में ज्यादा बात नहीं करते थे.
फिर विक्रम झेंपता हुआ सा बोला- हाँ, मुझे पता है!
मयूरी थोड़ा छेड़ते हुए- क्या पता है?
विक्रम- तू अपना काम करेगी? गर्मी लग रही है बहुत? जल्दी से जाले साफ कर और पंखा चला!
मयूरी- अरे सॉरी, गुस्सा मत हो तुम… अभी करती हूँ.
 
ऐसा कहते हुए उसने फट से अपना टॉप निकाल दिया जिससे उसकी विशाल चूचियां लगभग नंगी नुमाया हो गयी. मयूरी की चूचियां इतनी बड़ी थी कि वो ब्रा में बस जैसे-तैसे ही कैद रहती थी. अगर टॉप ना पहना हुआ हो तो आधी से भी ज्यादा दिखाई देती थी.

और टॉप उतरते ही विक्रम की नजर उसकी गोल-गोल भारी-भारी चूचियों पर पड़ गयी.
मयूरी ने देखा कि कैसे उसका भाई ललचायी नजर से उसकी चूचियों को देख रहा है पर वो अनजान बनने का नाटक करती रही और जाले साफ करने में फिर से लग गयी.

पर अब विक्रम का ध्यान अपनी बहन की चूचियों से हट ही नहीं रहा था. एक तो वे बड़ी-बड़ी थी और ऊपर से मयूरी उछल-उछल कर उनको हिला-हिला कर विक्रम का ध्यान आकर्षित कर रही थी. विक्रम की जगह अगर कोई मुर्दा भी होता न, तो वो भी इस दृश्य को देख कर जाग जाता! और विक्रम तो फिर भी इंसान था, वो भूल गया ये गोल-गोल चूचियां उसकी अपनी सगी छोटी बहन की है. और भी एकटक उनको देखता रहा.

थोड़ी देर बाद मयूरी ऐसे नाटक करती है जैसे उसको अभी-अभी पता चला हो कि विक्रम उसकी चूचियों को ताड़ रहा है. विक्रम इस समय अपने बिस्तर पर बैठा हुआ था. मयूरी उसके एकदम पास उसके बिस्तर पर खड़ी हो गयी, जिससे उसकी चूचियां ठीक विक्रम के चेहरे पर हों.
उसने अपने भाई से थोड़ा नखरे-भरे अंदाज में पूछा- देख लिया?
विक्रम का जैसे मोह भंग होता है, तन्द्रा टूटती है और वो हकलाते हुए बोला- ह.. हाँ… म.. मेरा मतलब है क्या…?
पर इसके वावजूद भी वो अपनी नजरें मयूरी की चूचियों पर से हटा नहीं पाया.
मयूरी- वही जो देख रहे हो?

अब वो बहुत ही शर्मिंदा-सा महसूस करने लगा और इधर-उधर देखते हुए बोला- म…मैं कुछ नहीं देख रहा था?
पर मयूरी इस मौके को जाने नहीं देना चाहती थी, उसने कहा- झूठ मत बोलो भैया… मैंने अपनी आँखों से तुम्हें इनको घूरते हुए देखा है!
विक्रम जैसे चोरी करते पकड़ा गया और अपनी गलती कबूल करते हुए बोला- सॉरी मयूरी… वो गलती से नज़र पड़ गयी और मैं अपनी नज़र हटा नहीं पाया.
मयूरी- अरे सॉरी मत बोलो भैया… कोई बात नहीं.. तुम्हारी कोई गलती है इसमें…
विक्रम आश्चर्य से- मतलब?

मयूरी- अरे देखो भैया … मुझे पता है ये बड़ी हैं और आकर्षक हैं … तो नजर चली भी गयी तो क्या हो गया? और वैसे भी तुम मेरे भाई हो … मुझे बचपन से देखते आ रहे हो … इसमें मैं क्यूँ बुरा मानूँ अगर तुमने आज फिर से देख लिया?
विक्रम को जैसे राहत मिली हो. वो बोला- थैंक्स बहना.. मुझे लगा तुम बुरा मान गयी होगी.
मयूरी ने माहौल को थोड़ा लाइट किया, उसके सामने बैठ गयी और बोली- कोई बात नहीं भैया… आप मेरे भाई हो और मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ. अगर आपकी ऐसी छोटी-छोटी बात का बुरा मानने लग गयी तो कैसे चलेगा?

और फिर वो धीरे से हंस दी… पंखा अभी भी बंद है और गर्मी अभी भी लग रही है. फिर वो अपना अगला कदम रखते हुए बोली- वैसे… कैसी लगी तुम्हें ये?
विक्रम ने इतने सीधे सवाल की उम्मीद नहीं की थी, वो फिर घबरा गया और हकलाते हुए बोला- क.. क.. क्या??
मयूरी- अरे यही जो तुम देख रहे थे?
और अपनी मनमोहक चूचियों की तरफ देखा.
 
विक्रम थोड़ा हड़बड़ाता हुआ सा बोला- ये कैसा सवाल है?
मयूरी- अरे तुम इतनी देर से इनको देख रहे थे तो मैं पूछ रही हूँ कि ये कैसे लगती हैं?
फिर मयूरी उसको थोड़ा समझाते हुए बोली- देखो, मैं एक लड़की हूँ और मेरा मन करता है कि मैं भी अच्छी लगूँ. अब मेरा कोई लड़का दोस्त तो है नहीं, और ना ही कोई बॉयफ्रेंड है. तुम मेरे भाई हो पर तुम एक लड़के भी तो हो. तो मैं तुमसे अपने बारे में तुम्हारा नजरिया जानना चाहती हूँ बस… कि ये तुमको कैसी लगीं?
यह बोलते हुए मयूरी ने अपनी चूचियों के नीचे अपने दोनों हाथ रकः कर उन्हें ऊपर को उठा दिया था.

विक्रम जैसे उसकी बातों को समझते हुए- अच्छी हैं.
मयूरी- अच्छी हैं मतलब?
विक्रम- मतलब अच्छी हैं.
मयूरी- अरे मतलब क्या अच्छा लगा?
विक्रम- क्या बताऊँ मैं… बता तो रहा हूँ कि अच्छी हैं.

मयूरी- मेरा मतलब है कि जैसे तुमको इनकी शेप अच्छी लगी या साइज? या दोनों? और ये बीच का क्लीवेज अच्छी बनती है या नहीं?
विक्रम- देखो… ये वाकयी कमाल की हैं. इनकी शेप भी अच्छी है और साइज भी. एकदम गोल-गोल हैं और बड़ी बड़ी भी… और क्लीवेज तो बहुत ही ज्यादा अट्रैक्टिव है.
मयूरी- मैं अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड या बीवी होती तो क्या तुमको मैं पसंद आती?
विक्रम- तुम इतनी खूबसूरत हो कि अगर तुम मेरी बीवी या गर्लफ्रेंड होती तो मैं इस दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान होता…

इस बातचीत के बीच दोनों भाई-बहन एक दूसरे के बिल्कुल आमने-सामने बैठे थे, मयूरी ने ऊपर में सिर्फ ब्रा पहन रखी थी जिसमें से उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां दिखाई दे रही थी और उसने नीचे सिर्फ एक शॉर्ट्स पहना हुआ है जिनसे उसकी गोरी टांगें और जांघें बिल्कुल साफ़ दिखाई दे रही थी.
माहौल में अब थोड़ी-थोड़ी खुमारी छा रही थी.

मयूरी थोड़ी भावुक होते हुए बोली- मैं तुमको इतनी अच्छी लगती हूँ भैया?
विक्रम थोड़ा प्यार जताते हुए उसके गालों को सहलाते हुए बोला- हाँ मेरी बहना… तू मुझे इतनी प्यारी लगती है.
मयूरी- तो और क्या अच्छा लगता है तुम्हें मुझ में?
विक्रम- बताया ना, तू मुझे पूरी की पूरी अच्छी लगती है, और बहुत ही ज्यादा अच्छी लगती है. बल्कि ये कहूंगा कि तू दुनिया के किसी भी मर्द को बहुत अच्छी लगेगी. बहुत खुशनसीब होगा वो इंसान जिसे तू मिलेगी.
 
मयूरी- भाई, थोड़ा डिटेल में बताओ कि क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हें मुझे में?
और यह कहते हुए मयूरी खड़ी होकर गोल-गोल घूम गयी और पोज़ मारने लगी, जैसे अपना प्रदर्शन कर रही हो.

विक्रम- देख, तेरा चेहरा बहुत प्यारा है… तेरे होंठ बहुत खूबसूरत है… तेरी ये (चूचियों की तरफ इशारा करते हुए) भी बहुत प्यारी हैं, तेरी कमर भी पतली और आकर्षक है.
मयूरी (जिज्ञासा भरे लहजे में)- और-और?
विक्रम- और क्या बताऊँ?
मयूरी (थोड़ा मायूस होते हुए)- बस इतनी ही अच्छी लगती हूँ मैं तुमको?
विक्रम- अरे नहीं… नहीं… तू तो बिल्कुल परी-जैसी लगती है मेरी बहना!
मयूरी- तुम ना अभी मुझे बहन मत बुलाओ तो शायद और विस्तार से बता पाओगे!
विक्रम- ऐसी बात नहीं है…

मयूरी- तो और बताओ ना कि क्या-क्या अच्छा लगता है तुम्हें मेरे बारे में?
विक्रम- तुम्हारे ये पैर भी बहुत ही प्यारे हैं और ये गोरी-गोरी जांघें भी… तुम्हारी कमर के नीचे ये पीछे का पार्ट भी बहुत आकर्षक है.
मयूरी- भैया इसको बट्ट बोलते हैं या फिर गांड भी बोलते हैं.
विक्रम थोड़ा गुस्सा सा दिखाते हुए- मुझे पता है कि इसको गांड बोलते हैं.

मयूरी इठलाते हुए- अच्छा? और इसको क्या बोलते हैं?
यह बोलते हुए मयूरी ने अपनी चूचियों की तरफ इशारा करते हुए शरारती मुस्कान डाली और फिर से विक्रम के सामने बैठ गयी. पर इस बार वो अपने पैर फैला कर बैठी जिससे विक्रम उसकी चुत के आस पास की जांघ को अच्छे से देख सके.
साथ ही साथ मयूरी ने नोटिस किया कि अब विक्रम के मन में सिस्टर सेक्स के विचार घर कर चुके थे और उसका लंड खड़ा होकर उसके शॉर्ट्स के अंदर तम्बू बना चुका है.

विक्रम- इनको चूचियां बोलते है, समझी? सब पता है मुझे…
मयूरी- अच्छा…? बहुत पता है तुम्हें? कभी किसी की चूचियाँ देखी हैं?
विक्रम शरारती मुस्कान के साथ- देख तो रहा हूँ… तुम्हारी!
मयूरी- अरे ये तो बंद हैं ब्रा में… पूरी खुली देखी हैं कभी?
विक्रम- हाँ… सपना की… पर उसकी छोटी थी… इतनी बड़ी नहीं थी जितनी तुम्हारी हैं.

मयूरी- और क्या क्या देखा था उसका?
विक्रम- और कुछ नहीं देख पाया था… बात आगे बढ़ ही रही थी धीरे-धीरे कि छोटे से उसके सम्बन्ध के बारे में पता चला मुझे!

सपना वही लड़की थी जिसकी वजह से मयूरी के दोनों भाइयों के बीच बातचीत नहीं होती थी.
मयूरी- तो तुमने सिर्फ देखा था या और भी कुछ किया था?
विक्रम- तू क्या जानना चाहती है?
मयूरी- यही की बात आगे बढ़ी?
विक्रम- ज्यादा नहीं… मैंने उसकी चूचियां दबायी थी, चूसे भी थे एक बार उसकी पैंटी में हाथ भी डाला था बस!
 
मयूरी- ओह… तब तो बहुत बुरा लगता होगा कि हसरत पूरी नहीं हो पायी?
विक्रम- हो जाती, पर छोटे ने सब काम ख़राब कर दिया.
मयूरी- या फिर बात तो यह भी हो सकती है कि तुमने उसका काम ख़राब कर दिया?
विक्रम- तुम उसका साइड लेना बंद करोगी?
मयूरी- अच्छा सॉरी…

विक्रम- कोई बात नहीं… अब अगर तुम्हारे जाले साफ हो गए हों तो पंखा चला दोगी? गर्मी में हालत ख़राब हो रही है.
मयूरी उठती हुई- ये गर्मी कही मेरी वजह से तो नहीं?
मयूरी जब उठ रही थी तो उसने अपनी चूचियों को जान बूझकर उसके चेहरे में सटा दिया और ऐसे नाटक करने लगी जैसे गलती से हुआ हो… विक्रम को मयूरी की चूचियों की वो मुलायम सी छुअन बेचैन कर गयी और जाते वक्त मयूरी ने अपनी गांड को भी उसके चेहरे पर सटा दिया।

विक्रम मयूरी के इन आघातों से पूरी तरह घायल हुआ जा रहा था. अब उससे खुद पर नियंत्रण रखना नामुमकिन हो रहा था.

खैर मयूरी ने पंखा तो चला दिया पर अपना टॉप नहीं पहना. वो कमरे में अब भी सिर्फ ब्रा और शॉर्ट्स में थी. अब दोनों भाई बहन के बीच थोड़ा खुलापन आ गया था. विक्रम को भी उसका चूचियों का प्रदर्शन अब अजीब नहीं लग रहा था, बल्कि वो इसका आनन्द ले रहा था.

मयूरी थोड़ा इठलाती हुई- अगर इतनी ही अच्छी लग रही है तो नजदीक से एक बार अच्छे से देख लो.
और ये कहते हुए वो अपनी चूचियों को विक्रम के एकदम चेहरे के भाई एक इंच की दूरी पर ले गयी. विक्रम इस वार से संभल नहीं पाया और हड़बड़ाहट में उसने मयूरी की चूचियों को दोनों हाथों से पकड़ लिया… फिर उसको अपनी गलती का एहसास हुआ और अपना हाथ जल्दी से पीछे हटाते हुए बोला- सॉरी… सॉरी… वो तुम अचानक से आ गयी तो गलती से मैंने जल्दी-जल्दी में पकड़ ली!
मयूरी- कोई बात नहीं भाई!
विक्रम हकलाते हुए)- ह.. हाँ.. ओके…

मयूरी- पर अगर तुम इनको पकड़ना चाहते हो तो पकड़ सकते हो.
विक्रम आश्चर्य से- सच्ची?
फिर उसको अपनी गलती का एहसास हुआ और बोला- म… मेरा मतलब है… नहीं…
मयूरी- अरे कोई बात नहीं… सच्ची…
और ऐसा बोलते हुए मयूरी ने खुद ही विक्रम का हाथ पकड़ कर अपने चूचियों पर रखवा लिया.

विक्रम को जैसे विश्वास नहीं हुआ, वो ख़ुशी और उत्साह के मारे उसकी गोल-गोल बड़ी चूचियों को पकड़कर हल्के-हल्के से दबाने लगा.
 
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