Kamukta Story परिवार की लाड़ली - Page 5 - SexBaba
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Kamukta Story परिवार की लाड़ली

फिर रजत ने मयूरी को उठाया और उसके गुलाबी रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिए. रजत को उसके मुँह से अपने ही वीर्य का स्वाद आ रहा था पर वो इस समय हर उस चीज़ का आनंद ले रहा था जिसको वो अब तक गन्दा समझता रहा था.

थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे के होंठ और जबान को चाटते रहे कि अचानक घर के दरवाजे की घंटी बजी.

मयूरी- लगता है मम्मा आ गयी.
रजत- हाँ… शायद!
मयूरी- अब?
रजत- अब तो बाकी का काम बाद में करना पड़ेगा.
मयूरी- ठीक है मेरे राजा… अपनी दीदी की चूत को एक बार प्यार से अलविदा कहो और जाकर दरवाजा खोलो… मुझे कपड़े पहनने में थोड़ा वक्त लगेगा.
रजत- ठीक है मेरी जान!

ऐसा कहते हुए रजत ने मयूरी की चूत पर एक लम्बा सा चुम्बन दिया और अपने कपड़े पहनता हुआ बाहर चला गया. बाहर जाते समय उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था ताकि मयूरी आराम से अपने कपड़े पहन सके.

मयूरी ने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने और मुस्कुराती हुई अपने बिस्तर पर लेट गयी. बाहर से उसको शीतल (उसकी माँ) की रजत से बातचीत की आवाज़ आ रही थी तो वो समझ गयी कि माँ आ गयी है.

अब वो अपने आगे के योजना के बारे में सोचने लगी. अब तक उसने अपने दोनों भाइयों को ट्राई कर लिया था और दोनों उसके चंगुल में फंस चुके थे. उसने दोनों को अपने चुत का स्वाद चखा दिया था और दोनों के लंड का स्वाद चख चुकी थी. अब वो ये सोच रही थी कि आगे किस भाई से अपने चुत चुदवायेगी।

फिर उसको ख्याल आया कि क्यूँ ना दोनों से एक साथ सेक्स का मजा लिया जाये?
पर यह कठिन काम था… क्योंकि दो बड़े कारण थे – एक तो यह कि दोनों सगे भाई थे और दोनों को एक दूसरे के साथ मयूरी के सम्बन्धों के बारे में पता नहीं था. दूसरा यह कि दोनों की कुछ महीनों से आपस में बनती नहीं थी.

फिर मयूरी ने निश्चय किया कि यही सही मौका है दोनों भाइयों को मिलाने का… इसी बहाने दोनों में सुलह भी हो जाएगी और उसको दोनों के लंड से एक साथ चुदवाने का मौका भी मिल जायेगा. अब वो अपने आगे की योजना पर काम करने लगी.
 
दिन भर सब कुछ सामान्य रहा. शाम को अशोक घर आया तो उसने बताया कि उसके बड़े भाई यानि के मयूरी के बड़े चाचा की तबियत अचानक ख़राब हो गयी है तो उसको देखने जाना है. उसने शीतल को कहा- आज रात पैकिंग कर लो, कल सुबह की ट्रेन से हम निकलेंगे.
उसने बताया कि उन लोगों को वापिस आने में दो-तीन दिन लग जायेंगे. घर में माहौल काफी गंभीर था.

लेकिन इधर मयूरी के कामनावशित दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था. मयूरी को ये एक अच्छा मौका लगा जब वो अपनी अगली चाल चल सकती थी. अब घर में सिर्फ वो और उसके दो भाई रहने वाले थे जिसमें से एक को उसने कल शाम में अपनी चूत का स्वाद चखाया था और एक को आज सुबह ही अपनी चूत के साथ-साथ अपनी गांड का भी स्वाद चखा चुकी थी. वो अपने आगे की योजना को पुख्ता करने की सोच में लग गयी.

अगली सुबह अशोक शीतल को लेकर स्टेशन चला गया अपने भाई को देखने के लिए. विक्रम उनको छोड़ने स्टेशन गया. तब तक मयूरी और रजत घर में बिल्कुल अकेले थे. मयूरी रसोई में कुछ काम कर रही थी की रजत ने अचानक से पीछे से जाकर उसकी चूचियों को दबोच लिया.
मयूरी चिल्लायी- क्या कर रहे हो रजत?
रजत थोड़ा डरते हुए- क्या हुआ दीदी?
मयूरी थोड़ी झल्लाहट के साथ- ये तुम क्या कर रहे हो?

रजत अब सहम गया था. वो समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या हो रहा है? अभी सुबह ही तो उसने अपनी इस क़यामत जैसी दिखने वाली दीदी को अपना लंड चुसाया था. उसकी चूचियों को उसने उमेठ दिया था, उसने अपनी बहन की चूत के रस का एक-एक बून्द अमृत की तरह चाट लिया था और अब वो ऐसे व्यवहार कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो. फिर भी वो डरते हुए थोड़ी हिम्मत जुटाकर बोला- मैं तो बस आपको छेड़ रहा था… सॉरी…

मयूरी समझ गयी थी कि उसके ऐसे व्यवहार से रजत डर गया है. पर ये मयूरी के चाल का अगला कदम था. उसको पता था कि वो क्या कर रही है. वो बिल्कुल अनजान बनते हुए बोली- आगे से ध्यान रखना…
और यह बोलकर मयूरी अपने काम में लग गयी. रजत भी वापिस हॉल में आकर टीवी देखने लगा.

लगभग एक घंटे बाद विक्रम स्टेशन से वापिस आया.
रजत ने दरवाजा खोला और बिना कुछ बोले वापिस आकर हॉल के सोफे पर बैठ गया और टीवी देखने लगा. वो अब भी परेशान था कि यह उसके साथ क्या हो रहा है. अभी अच्छा मौका था जब अपनी बड़ी बहन को चोद सकता था पर मयूरी के अचानक से बदले ऐसे व्यवहार से वो परेशान था. वो सोच रहा था कि कहीं ऐसे तो नहीं कि मयूरी को अपनी सुबह की घटना पर पछतावा हो रहा हो और वो अब आगे ऐसा कुछ नहीं करने देगी.
रजत ने सोचा कि अगर ऐसा है तो वो उससे बात करेगा और इस बात को यही ख़त्म कर देगा.
 
विक्रम ने घर में आते ही अपने कमरे का रुख किया और वो अंदर चला गया. इधर मयूरी ने रसोई का काम ख़त्म किया और अपने कपड़े बदले. उसने आप एक छोटी सी स्कर्ट पहनी और ऊपर में एक काले रंग का टॉप जो बहुत ही ज्यादा ढीला था. टॉप के नीचे उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी पर उसकी बड़ी-बड़ी और गोल-गोल चूचियों के उभारों को आराम से देखा जा सकता था. मयूरी की चूचियां इतनी बड़ी थीं कि वो इन ढीले कपड़ों में कहाँ छुपने वाली थी.

फिर मयूरी हॉल में आयी और टीवी के सामने एक कामुक मुद्रा में खड़ी हो गयी. उसने विक्रम को आवाज़ लगायी- भैया?
विक्रम- हाँ…
मयूरी- जरा बाहर आना…
विक्रम- क्या हुआ?
मयूरी- एक जरूरी बात करनी है… प्लीज जल्दी बाहर आओ…
विक्रम (बाहर आते हुए)- क्या हुआ मयूरी?
मयूरी- इधर सोफे पर बैठ जाओ, एक जरूरी बात करनी है.

विक्रम रजत के साथ सोफे पर थोड़ी दूरी बनाकर बैठ गया. अब दोनों भाइयों के दिल में धक्-धक् हो रही थी कि मयूरी पता नहीं क्या बोलने वाली है. क्योंकि कल से लेकर आजतक इस घर में काफी कुछ हो चुका था.

विक्रम- हाँ बोलो…
मयूरी- देखो… तुम दोनो को मैं एक सरप्राइज देने वाली हूँ.
विक्रम- क्या सरप्राइज?

मयूरी अब दोनों भाइयों के सामने राज का पर्दा खोलने वाली थी- तुम दोनों को अभी तक लग रहा होगा कि तुमने मेरी चूचियों के साथ खेल लिया, मेरी चूत का स्वाद चख लिया तो अपना लौड़ा मेरी चूत में डाल के मेरी इस कंवारी चूत मजा ले लोगे?
विक्रम और रजत एक साथ- कककक… क्या????

विक्रम और रजत… दोनों भाइयों की आँखें फ़टी की फ़टी रह गयी. उनको अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ कि उनकी बहन ये क्या कह रही है. दोनों अभी तक ये समझ रहे थे कि ये खूबसूरत और हसीं वाकया सिर्फ उनके साथ ही हुआ है पर यहाँ तो बात कुछ और थी. उस से भी ज्यादा, उनकी अपनी बहन दोनों भाइयों के सामने ऐसे खुले में चूत, चूचियां और लौड़ा जैसे शब्दों का उपयोग कर रही थी वो भी बेधड़क.
दोनों एक दूसरे को देखते रह गए और कुछ पल तक बातों को समझने का प्रयास करते रहे.

फिर उनकी इस ख़ामोशी को मयूरी ने तोड़ते हुए बात को साफ़ किया- हाँ… तुम दोनों ज्यादा आश्चर्यचकित मत होओ… मैंने तुम दोनों को अपनी इस प्यारे से शरीर के दर्शन भी कराये हैं और बहुत हद तक मजा भी दिया है.
विक्रम और रजत एक साथ- कककक… क्या????
मयूरी- हाँ… तुम दोनों बिल्कुल सही सोच रहे हो. भैया, कल शाम को तुम्हें बहुत मजा आया ना जब तुम मेरी चूत को जोर-जोर से चाट रहे थे और अपना लंड तुमने मेरे मुँह में पेल दिया?
विक्रम हकलाते हुए- मम… मैं… मैं… वो… वो…
मयूरी- कोई बात नहीं, मुझे भी बहुत मजा आया… और तुम रजत, तुम्हें तो मेरी गांड का छेद बहुत प्यारा लगता है न? आज सुबह ही तुमने पहले अपनी उँगलियों से फिर अपनी जीभ से… बहुत मजा लिया?

ऐसा कहते हुए मयूरी ने अपना टॉप निकाल फेंका और उसको हवा में लहराते हुए रजत के मुँह पर फेंक दिया.
 
फिर वो आगे बोली- रजत, जब तुम मेरी चूचियों को जोर-जोर से उमेठ रहे थे तो सच कह रही हूँ कि मुझे भी बहुत मजा आया… तुम्हारे लंड से निकले हुए पानी के एक-एक बून्द का स्वाद मुझे तृप्त कर रहा था.
रजत और विक्रम अब भी बात को समझ नहीं पा रहे थे. वो कभी मयूरी को देखते तो कभी एक-दूसरे को.

मयूरी ने फिर आगे बात की- मैं यह साफ़ कर देना चाहती हूँ कि अभी तक मेरा तुम दोनों के साथ जो भी हुआ, उसके लिए मैं एकदम शर्मिंदा नहीं हूँ, बल्कि मुझे इस बात का बहुत ख़ुशी है कि मेरी इस जवानी को कोई बाहर वाला लूटे, इससे पहले मेरे अपने भाई इस का मजा लें और मुझे भी मजा दें. पर मैंने इस विषय में बहुत सोचा, और फिर इस निर्णय पर आयी कि मैंने तुम दोनों से हमेशा एक जैसा प्यार किया है. तुम दोनों मुझे अपनी जान से भी ज्यादा प्यारे हो… मैंने हर साल राखी भी तुम दोनों की कलाई पर एक-साथ बाँधी है…

विक्रम और रजत मूक बने बस मयूरी की बात को सुन रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थी कि वो आखिर चाहती क्या है?

मयूरी ने अपनी बात पूरी की- तो बहुत विचार-विमर्श के बाद मैंने यह निर्णय लिया है कि तुम दोनों अगर चाहो तो मेरी चूत का आधा ही नहीं, बल्कि पूरा मजा ले सकते हो… अपना लंड इसमें डालकर मेरी चूत को निहाल कर सकते हो और अपनी इस बहन का जीवन तृप्त कर सकते हो. पर एक शर्त होगी!
विक्रम और रजत फिर एक साथ थोड़ी ख़ुशी और थोड़े आश्चर्य के साथ- क्या शर्त?
मयूरी- अगर तुम दोनों मेरी इस चूत का आगे कभी भी मजा लेना चाहते हो तो…
विक्रम और रजत ने उसकी बात को बीच में काटते हुए उत्साह से पूछा- तो?

मयूरी थोड़ा मुस्कुराती हुई- अरे धैर्य रखो… बता रही हूँ… बता रही हूँ… मैं देख रही हूँ कि तुम दोनों भाई अपनी बहन को चोदने के लिए उतावले हुए जा रहे हो.
विक्रम और रजत एक दूसरे की तरफ देखते हुए झेंप से जाते हैं.

मयूरी आगे बोली- तो, अगर तुम दोनों मेरे इस जिस्म का पूरा मजा लेना चाहते हो, मेरी इन गोल-गोल भारी-भारी चूचियों को पकड़कर मसल देना चाहते हो, मेरी गांड के छेद पर फिर से अपनी जबान को फेरना चाहते हो, मेरी चूत को अगर चोदना चाहते हो तो तुम दोनों को ये एक साथ करना पड़ेगा.
विक्रम गुस्से से- मतलब?
मयूरी- मतलब कि मैं तुम दोनों पर एक-साथ अपनी जवानी लुटाना चाहती हूँ.
विक्रम- यह नहीं हो सकता?
मयूरी- क्यूँ नहीं हो सकता?
विक्रम- इसने मेरी गर्लफ्रेंड के साथ…

मयूरी- अरे भैया… तुम पागल हो क्या? रजत भी तो यही बोल सकता है? पर तुम दोनों समझ क्यूँ नहीं रहे कि सपना ने तुम दोनों का चूतिया बनाया है वो भी एक साथ… रजत ने जो भी किया उसकी मर्जी से ही किया न? उसके साथ को जबरदस्ती तो नहीं की न?
विक्रम- वो जो भी है? पर मैं इस धोखेबाज के साथ कुछ शेयर नहीं कर सकता.
 
मयूरी अपना फैसला सुनाती हुई बोली- तो एक बात मेरी भी सुन लो… अगर तुम लोग एक साथ नहीं आओगे तो मेरे शरीर को हाथ लगाने के बारे में भी मत सोचना… अगर मैं अपनी चूत तुम्हें दूंगी तो एक साथ … नहीं तो मैं अपना कोई और इंतज़ाम कर लूंगी. और कान खोलकर सुन लो, अगर मैं चाहूँ तो मेरे लिए लंड की लाइन लग जाएगी… ऐसा हुस्न है मेरे पास… पर क्या तुम्हें कभी ऐसा हुस्न मिलेगा, वो भी अपने घर में? ये तुम सोचो? तुम जब चाहो तब मुझे चोद सकते हो और अपना लंड मेर शरीर के हर छेद में डाल सकते हो… पर ये तुम्हें साथ में ही करना होगा. ये मेरा अंतिम फैसला है… तुम चाहो तो अपने कमरे में जाकर आपस में बातचीत कर के सुलह कर सकते हो… मैं यही तुम्हारा इंतज़ार करुँगी.

ऐसा कहते हुए बड़े ही कामुक अंदाज़ में अपना हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपने चूत को छेड़ने लगी.
पर दोनों में से कोई भी उठा नहीं.

मयूरी ने फिर से जोर देते हुए कहा- अब तुम दोनों अंदर जाओगे या मैं अपने हाथ से ही अपने आपको सुखी कर लूँ. और अगर ऐसा हुआ तो यह बात तो पक्की है कि मेरे इस सुन्दर से जिस्म का सुख कोई और ही भोगेगा क्योंकि अब मैं बिना चुदाई के नहीं रह सकती. अगर तुम नहीं तो कोई और सही, पर मुझे चुदाई तो चाहिए… अब जाओ और जल्दी से बातचीत कर के अपना मामला ठीक करो. अगर बात बनती है तो दोनों वापिस आकर मेरे एक-एक चूचियों को मसलना शुरु करो.

और ऐसा कहते हुए उसने अपने चूचियों को अपने हाथों से जोर जोर से दबाना शुरू कर दिया और अपने गीले लाल-लाल होंठों की अपने सफ़ेद दांतों से बड़े ही कामुक अंदाज़ में काटने लगी.

इधर दोनों भाई उठे और अपने कमरे में चले गए. दोनों भाइयों में लगभग छह महीने से बातचीत बंद थी और इतने दिन के बाद वो आपस में बातचीत करने वाले थे. दोनों को थोड़ा अजीब लग रहा था पर अब बात करना इतना जरूरी हो गया था कि क्या कहें. अगर वो बात कर के आपस में सुलह नहीं करते तो उनकी वो कामदेवी बहन उन्हें अपना चूत तो क्या … एक चुम्बन भी नहीं देने वाली थी.
 
अंदर जाते ही रजत ने बातचीत की पहल की:

रजत- भैया… मुझे सच में नहीं पता था कि आपका सपना के साथ कुछ चक्कर चल रहा है? और जिस दिन मुझे पता चला उसी दिन से मैंने उस से बातचीत करना बंद कर दिया. कसम से…
विक्रम- मैं अब समझ गया छोटे… ये मेरी ग़लतफहमी थी… मयूरी सच कह रही है, सपना ने हम दोनों का चूतिया काटा है… पर मैं यह बात समझ नहीं पाया… मुझे माफ़ कर दे…

और ऐसा कहते हुए विक्रम रजत के गले लग गया… फिर रजत ने कुछ महसूस किया और बोला शरारती अंदाज में- भैया… आपका लंड तो अभी से खड़ा है?
विक्रम झट से उसके लंड को पकड़ते हुए- और ये क्या है? तेरा खड़ा नहीं है क्या?
रजत हँसते हुए- पर भैया… अपने अपनी छोटी बहन की चूचियां दबायी… चूत चाटी और उसको अपना लंड भी चुसाया? छी… छी… आपको शर्म नहीं आयी?
विक्रम- और तूने…? अपनी बड़ी बहन की चूचियों को मसला? उसकी चूत तो चाटी ही, उसकी गांड भी चाटी? और अब तेरा ये लंड उसकी चूत फाड़ने को बेताब है?

रजत- हाँ भैया… जिसकी बहन इतनी धमाकेदार माल हो, वो अपनी बहन को चोदे बिना कैसे रह सकता है? पता नहीं अब तक कैसे मैंने अपने आपको कण्ट्रोल में रखा… जब भी इसकी भारी-भारी चूचियों और बड़े-बड़े गांड को देखता तो तो बस मुठ मार के रह जाता था. पर आज ईश्वर ने ये मौका दिया है… चलो… दोनों भाई पक्का बहनचोद बन जाते हैं… और उसकी चूत के चीथड़े उड़ाते हैं.
विक्रम- हाँ मेरे भाई… सपना ने अपनी चूत मारने नहीं दी, पर इसकी तो मैं छोडूंगा नहीं… चल!

दोनों भाई कमरे से बाहर आये और मयूरी के पास पहुंचे. बाहर आते ही दोनों ने मयूरी की ब्रा को निकाल फेंका और उसकी एक एक चूची को अपने हाथ में भर लिया.
फिर विक्रम बोला- मयूरी, तू यही चाहती है ना कि हम दोनों भाई एक साथ तुझे चोदें… तो तेरी ये ख्वाहिश हम जरूर पूरी करेंगे… हमने अपनी पुरानी बातों पर सुलह कर ली है… और अब तुझे एक-साथ अपने दोनों भाइयों का लंड का मजा मिलेगा… अब तो तू खुश है न?

मयूरी को पक्का पता था कि यही होने वाला है. इतनी अच्छी चूत चटाई और लंड चुसाई के बाद मयूरी के शरीर का भोग करने से तो स्वयं भगवान् भी मना नहीं कर सकते थे, ये तो फिर भी दो सामान्य इंसान थे.
विक्रम की बात सुन लेने के बाद ख़ुशी से अपने दोनों भाइयों का लंड अपने एक-एक हाथ में भरते हुए मयूरी बोली- हाँ मेरे भाइयो… मुझे पता था… तुम दोनों मेरी जवानी की प्यास को ऐसे तड़पने के लिए नहीं छोड़ोगे… मुझे पता था कि तुम मेरी राखी का कर्ज जरूर उतारोगे. आओ मेरे बहनचोद भाइयो… चोद दो अपनी बहन को… और इतना चोदो कि मैं तृप्त हो जाऊँ… मेरी जवानी की प्यास बुझ जाये.
 
रजत- हाँ दीदी… आज हम दोनों भाई तुम्हें इतना चोदेंगे कि तुम्हें अपनी जवानी की प्यास बुझाने के लिए किसी और का चेहरा और लंड देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी. हम दोनों भाई मिलकर तुम्हारी चूत के चीथड़े-चीथड़े कर देंगे.

और ऐसा कहते हुए रजत ने मयूरी की पैंटी उतार कर फेंक दी. अब मयूरी अपने दोनों भाइयों के सामने एकदम आदमजात नंगी खड़ी थी, उसके शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं था. उसकी आँखों के सामने उसके दोनों भाई उसके इस कामुक शरीर से खेल रहे थे और वो उन हर एक छुअन का आनन्द ले रही थी.

वो उन दोनों का लंड पकड़कर टीवी के पास से चलकर सोफे तक ले आई और दोनों भाइयों को सोफे पर बैठाया पर खुद खड़ी रही. और फिर बहन ने अपना सीना आगे कर दिया जिससे दोनों उसकी चूचियों से खेल सकें.

दोनों भाई उसकी एक-एक चूची को अपने हाथ से मसलना शुरू कर चुके थे और एक-एक हाथ से उसकी गांड के एक-एक भाग का जायजा लेने में लग गए थे.
थोड़ी देर में रजत अपना एक साथ मयूरी की जांघों से होते हुए उसकी चूत तक ले गया और उसकी चिकनी चूत जो पहले से ही गीली हो चुकी थी, को धीरे धीरे अपने उँगलियों से छेड़ने लगा.

इसी बीच विक्रम अपना एक हाथ गांड से होते हुए गांड की छेद पर ले गया और अपनी उँगलियों से मयूरी की गांड की दरार और छेद को छेड़ने लगता है.
अब मयूरी के आनन्द की सीमा नहीं थी. वो बस सिसकारियां और आहें भर रही थी.

मयूरी- आह… आ… माँ… आह… मुझे बहुत… मजा आ रहा है मेरे बहनचोद भाइयो… तुम मुझे स्वर्ग की सैर करा रहे हो.

मयूरी खड़ी थी और उसके दोनों भाई सोफे पर बैठ कर उसके जिस्म के साथ खेल रहे थे. उनकी हरकतों की वजह से मयूरी को अब खड़ा नहीं हुआ जा रहा था, उसकी टाँगें जवाब दे रही थी, मदहोशी के उस आलम में वो एकदम बेजान हुई जा रही थी. वो इस समय बस आहें भर पा रही थी… उसको और किसी चीज़ का कोई होश नहीं था.

थोड़ी देर तक ऐसे ही उसके जिस्म के साथ खेलने के बाद रजत उठा और मयूरी के रसभरे कम्पकपाते होंठों पर अपने होंठ रख दिए. और वो उसके होंठों के साथ अपनी जबान और होंठों से कलाकारी दिखाने लगा… मयूरी को रजत की यह अदा बहुत जी ज्यादा पसंद आयी. वो कुछ बोल नहीं पा रही थी, बस आनन्द ले रही थी.

इधर विक्रम ने मयूरी की एक टांग को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और अपने चेहरे का रुख मयूरी की चूत की ओर कर दिया… उसने देखा कि गुलाब की पंखुड़ियों की तरह मयूरी की चूत एकदम गुलाबी-सी है… उसकी चूत के आस-पास बाल को कोई नामो-निशान तक नहीं था.
 
मयूरी की चूत गीली हो चुकी थी… उसने अपने होंठ और जीभ से मयूरी के चूत का स्वाद लेना शुरू कर दिया.
मयूरी इस दोतरफे हमले से एकदम विचलित हो गयी … उसकी सिसकारियां तेज़ हो रही थी… पर रजत उसने मुँह को बंद कर रहा था अपने मुँह से… मयूरी के होंठों पर रजत के होंठों का ताला इतना गहरा था की उसके मुँह से बस ऐसी आवाज़ ही आ पा रही थी.

मयूरी- ममम… आ… मम… ..म … ऊ… म…

रजत ने अपने हाथ से मयूरी की मखमल जैसी कोमल गांड पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे उसके हाथ की उंगलियाँ मयूरी की गांड की दरार में चलने लगी. मयूरी के आनन्द की चरमसीमा आ चुकी थी… वो इतनी देर में कम-से-कम पांच बार झड़ चुकी थी. अब उसका अपनी टांगों पर खड़ा रहना मुश्किल हो रहा था. उसने अपने होंठों का ताला रजत से जबरदस्ती खुलवाया और धप्प से सोफे पर बैठ गयी.
अब विक्रम खड़ा हो गया. रजत तो पहले से ही खड़ा था. अब उसके दोनों भाई उसके सामने खड़े थे और वो अपने मादक-मदमस्त नग्न शरीर के साथ उनके सामने बैठी थी.

उसने दोनों भाइयों को अपने कपड़े उतरने का इशारा किया. दोनों ने बिना वक्त गंवाए अपने कपड़े निकाल फेंके. अब वो दोनों भाई अपनी बहन के सामने एकदम नंगे खड़े थे और दोनों का लंड एकदम जैसे उफान मारता हुआ खड़ा था. मयूरी ने दोनों के लंड को बड़े प्यार से देखा और अपने दोनों हाथों से उनको पकड़ लिया. उसने नोटिस किया कि दोनों का लंड साइज और मोटाई में लगभग एक जैसा ही है. दोनों लंड मोटे थे और लम्बे-तगड़े थे.

उसने पहले अपने बड़े भाई विक्रम के लंड को अपने मुँह में लिया और रजत के लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी. फिर थोड़ी देर बाद वो रजत के लंड को अपने मुँह में डालकर विक्रम के लंड को हाथ से हिलाने लगी.

इस तरह से मयूरी बारी-बारी से कभी एक का लंड चूसती और दूसरे का लंड अपने हाथ से हिलाती, फिर अगले ही क्षण दूसरे का लंड चूसती और पहले का लंड अपने हाथ से हिलाती. इस तरह से वह दोनों के लंड से बहुत देर तक खेली और फिर थोड़ी देर बाद दोनों के लंड से एक साथ अमृत की बरसात हुई… दोनों के लंड से जो वीर्य का ज्वालामुखी फटा, वो मयूरी के चेहरे पर फ़ैल गया और ढलते हुए उसकी चूचियों पर गिरने लगा.
मयूरी ने बड़े प्यार से जितना हो सके उनके अमृतरस को चाट लिया और बाकी अपने बदन पर मलने लगी.

अब तक सब लोग थक चुके थे, रजत और विक्रम भी अब सोफे पर बैठ गए.

फिर थोड़ी ही देर में दोनों का तूफानी लंड फिर से उफान मारता हुआ खड़ा हो गया तो विक्रम ने पूछा- तो मयूरी बहन, अपनी चूत की सील किससे तुड़वाना पसंद करोगी?
मयूरी- तुम दोनों में जिस की मर्जी जो… मेरी चूत की सील खोल सकता है… मुझे कोई ऐतराज़ नहीं…
विक्रम- रजत तुम्हारा क्या कहना है?
रजत- भैया… जो भी दीदी की इस प्यारी सी चूत का सील तोड़ेगा वो बहुत ही खुसनसीब होगा… पर मैं ये मौका आपको देना चाहता हूँ… समझ लो सपना के बदले में मेरी तरफ से आपको तोहफा…
विक्रम- धन्यवाद मेरे भाई… तुम्हारा ये मुझ पर एहसान रहा… जो मैं जिंदगी भर कभी भूल नहीं पाऊँगा.
 
रजत- तो फिर देर किस बात की? तोड़ दो इस रंडी की चूत का सील…
विक्रम- ठीक है फिर… आज मैं वो खुशनसीब भाई बनने जा रहा हूँ अपनी सगी बहन की चूत का सील तोड़ेगा… बहन भी ऐसी-वैसी नहीं… एक अप्सरा जैसी बहन… तुम्हें कभी बताया नहीं मैंने … पर तुम्हारी जवानी को देखकर कई बार मुठ मारी है मैंने… आज मुझे उसी लंड से तुम्हारे चूत का चोदने का मौका मिल रहा है… तो ठीक है फिर… मयूरी?
मयूरी- हाँ भैया?

विक्रम- थोड़ा दर्द होगा… देखो ये मेरे लिए भी पहली बार है… तो मुझे भी सील तोड़ना तो दूर, चूत चोदने का भी अनुभव नहीं है… पर मैं कर लूंगा… तुम थोड़ा बर्दाश्त करना मेरी बहन… क्योंकि थोड़े से दर्द के बाद बहुत मजा आने वाला है.
मयूरी- तुम चिंता मत करो भैया… मैं इस दर्द के लिए कई सालों से तड़प रही हो… आज चाहे जो भी हो, तुम रुकना मत… मैं कितना भी रोऊँ, चिलाऊँ, तुम मेरी चूत की चुदाई चालू रखना… आज मुझे लड़की से औरत बना दो भाई और खुद मर्द बन जाओ… मेरे इस कौमार्य को भंग करो.
 
विक्रम ने फिर अपनी बेहेन मयूरी की चूत पर थोड़ा थूक लगाया और थोड़ा थूक अपने लंड पर भी लगाया.
अब इस घर में चुदाई की आंधी आने वाली थी… इस घर के सारे बच्चे आपस में खूब चुदाई करने वाले थे. विक्रम ने मयूरी की टांगों को फैलाकर एक टाँग को सोफे एक पीछे वाले हिस्से जो सहारा देने के लिए होता है, उस पर रखा और एक अपने कंधे पर… फिर अपने लंड को मयूरी की चूत पर सेट किया और धीरे धीरे अपने लंड को मयूरी की चूत के मुहाने पर रगड़ने लगा. मयूरी की चूत से इतने में ही ढेर-सारा पानी निकल गया.

विक्रम को अपनी बेहेन की चूत के गीलेपन का अहसास हुआ उसने मयूरी की तरफ देखा जो आनन्द के मारे आहें भरी जा रही थी- आह… आ… आह…
विक्रम- तो खेल शुरू किया जाए?
मयूरी- भैया… अब और मत तरसाओ, डाल दो अपना ये मोटा सा लौड़ा मेरी इस कँवारी चूत में और तोड़ दो मेरा सील… बना दो मुझे लड़की से औरत… जल्दी करो भैया… अब बर्दाश्त नहीं होता… आआह…

विक्रम मयूरी की ऐसी बातों से उत्साहित हो गया और एक जोरदार झटका मारा, उसका लंड लगभग आधा मयूरी की चूत में घुस गया और मयूरी दर्द के मारे बिलबिला उठी… उसकी आँखों से आंसू निकलने लगे.
रजत ने इतनी देर में मयूरी के मुँह में अपना मुँह जोड़ दिया और वो उसको प्रगाढ़ चुम्बन करने लगा… साथ ही साथ उसकी विशाल चूचियों को धीरे धीरे दबाने लगा.

विक्रम पहले झटके के बाद थोड़ी देर रुका … दर्द उसको भी हो रहा था क्योंकि मयूरी की चूत बहुत ही ज्यादा टाइट थी. उसके लंड पर बहुत दबाव पड़ रहा था, पर अब वो वापिस मुड़ने की स्थिति में बिल्कुल नहीं था. थोड़ी देर के बाद उसने लंड से एक और झटका मारा और लंड लगभग तीन चौथाई तक मयूरी की चूत के अंदर चला गया.

अब मयूरी का दर्द और बढ़ गया. विक्रम रुक गया पर उसने लंड बाहर नहीं निकाला. कुछ देर बाद वो धीरे धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा. विक्रम की नजर अपने लंड पर पड़ी जिस पर थोड़ा खून लगा था. वो समझ गया कि अब उसकी प्यारी बेहेन कंवारी नहीं रही, उसने उसको लड़की से औरत बना दिया था.

विक्रम ने देखा कि अब मयूरी का दर्द थोड़ा कम हो रहा है और उसकी आवाज़ में दर्द की जगह आनन्द की सिसकारियां ले रही हैं. वो धीरे-धीरे अपना लंड आगे-पीछे करता रहा और अपनी चोदन गति थोड़ी बढ़ा दी.

मयूरी- आह… ह… भ… भैया… मेरे प्यार भैया… मेरे सैंया.. चोद दो मेरी चूत को मेरे भाई… आह…
विक्रम- हाँ मेरी बेहेना… आज से मैं तेरा भैया और सैयां दोनों हो गया… अब तेरी चूत को मैं खुद चोदूँगा.
ऐसा कहते हुए वो थोड़ा और तेज अपनी बहन की चूत चोदने लगा.
 
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