Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से - Page 5 - SexBaba
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Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से

अगर उसने काल बैक कर दी तो? अभी रूबी सोच ही रही थी के प्रीति की काल बैक आ गई।

रूबी ने हिम्मत करे फोन उठा लिया, मऔर काँपती आवाज में- “ह-हेलो..."

प्रीति- अरे भाभी क्या हाल है? अपने मिस काल मरके फोन काट दिया था?

रूबी- नहीं वैसे ही ग-गलती से लग गया था।

प्रीति छेड़ने के अंदाज में- “गलती से या मेरी याद आ रही थी?" और हँस पड़ती है।

रूबी- “नहीं, मैं मायके आई हूँ। वैसे लग गया था..” उसे समझ में नहीं आ रहा की वो बात कहां से शुरू करे।

प्रीति- ओहह... तो आप मायके हो। हमें बताया नहीं की आप जाने वाले हो। प्लान कब बना?

रूबी- प-पहले सोचा था।

प्रीति- भाभी आपकी आवाज कुछ बदली-बदली लग रही है।

रूबी घबरा जाती है- “आ। आ। अरे नहीं..."

प्रीति- नहीं कुछ तो है। आज आपकी आवाज में वो जान नहीं है। क्या हुआ भाई, बताओ मुझे?

रूबी- “अ-अरे कुछ भी तो नहीं..” उसका दिल कर रहा था की वो प्रीति को बता दे। पर डर भी रही थी।

प्रीति को लगता है की भाभी उसे घर बुलाना चाहती हैं और चूत की प्यास मिटाना चाहती हैं, पर शायद वो झिझक रही है। उसकी भाभी थोड़ी सी शर्मीली भी तो है। तो प्रीति खुद ही एक अच्छे दोस्त की तरह उससे बात शुरू कर लेती है।

प्रीति- भाभी क्या घर आऊँ दोबारा से?

रूबी- किसलिए?

प्रीति- वोही सब करने, जो हमने किया था।

रूबी- नहीं, यह बात नहीं है।

प्रीति- तो भाभी क्या बात है। आप कुछ उखड़े-उखड़े से लग रहे हो। मैं आपकी दोस्त हूँ आप मुझे नहीं बताओगे
तो किसे बताओगे?

रूबी कुछ नहीं बोलती और चुप रहती है।
 
रूबी कुछ नहीं बोलती और चुप रहती है।

प्रीति उसकी चुप्पी देखकर उससे अगला सवाल करती है- “भाभी एक बात पुडूं?"

रूबी- हाँ।

प्रीति- क्या कोई पसंद है?

रूबी- “क्या?” रूबी को लगता है प्रीति उससे राम की बात निकलवा ही लेगी लेकिन फिर भी अंजान बनती है।

प्रीति- भाभी प्लीज बताओ। मैं आपकी दोस्त हूँ, आपकी हालत समझती हूँ। बताओ आपको कोई भा गया है?

रूबी चुप रहती है। उसकी चुप्पी प्रीति को कन्फर्म कर देती है की उसकी भाभी किसी पे लटू हो गई है। उसे इस बात की खुशी हई की शायद भाभी अपने जिश्म की प्यास बुझा सकती है, और उसे इस बात से फरक नहीं पड़ता अगर उसकी भाभी किसी गैर मर्द के साथ मिलन करती है।

प्रीति- भाभी आपकी चुप्पी हाँ का इशारा दे रही है।

रूबी अभी भी चुप रहती है और डर रही है कहीं प्रीतिटी गुस्सा ना करे।

प्रीति- भाभी मैं खुश हूँ अगर आपको कोई भा गया है। मुझे अच्छा लग रहा है।

इस बात से रूबी की जान में जान आती है की शूकर है प्रीति ने गुस्सा नहीं किया।

प्रीति- भाभी बताओ ना कौन है वो?

रूबी- आ आ अरे कोई नहीं। तुम ग-ल-त सोच रही हो।

प्रीति- भाभी अपनी दोस्त से तो झूठ मत बोलो। मैं आपकी शुभचिंतक हूँ। मैं आपसे गुस्सा भी नहीं हूँ। मुझे तो अच्छा लग रहा है यह जानते हुए। बताओ ना भाभी कौन है वो खुशनसीब? आपको मेरी कसम बताओ ना?

रूबी रूबी को लगा अब छिपाना ठीक नहीं। वैसे भी प्रीति को शक तो पूरा है और आज नहीं तो कल बात निकलवा के रहेगी। उसने बड़ी हिम्मत इकट्ठी की, और कहा- “प्रीति तुम बुरा तो नहीं मनोगी ना?"

प्रीति- भाभी बुरा किस बात का? आप बताओ तो सही उसका नाम?

रूबी- प्रीति वो हमारे लेवेल का नहीं है तो डर लग रहा है।

प्रीति- अरे भाभी मेरी जान। आप उसे पसंद करती हो?

रूबी- हाँ।

प्रीति- तो बस बात खतम। अब नाम बताओ। आपकी जो भी पसंद हो, मेरी तरफ से सहमति है।

रूबी- हाँ।

प्रीति- तो बताओ ना उसका नाम?

रूबी अपनी पूरी हिम्मत इकट्ठी करके कहती है- “रा-मू..."

प्रीति- क्या? अपना रामू?

रूबी- तुम नाराज तो नहीं हो ना प्रीति? प्लीज... नाराज मत होना। तुम्हारे इलावा मैं किससे बात करती?

प्रीति- “ओहह... मेरी प्यारी भाभी, मैं नाराज नहीं हूँ। तो हमारी अप्सरा का दिल रामू पे आया है। अरे भाभी पिछले हफ्ते जब मैं घर आई थी तब तो अपने कुछ नहीं बताया। अब क्या हो गया? बताओ बताओ?"

रूबी एक-एक करके उससे सारी घटनाएं, राम को नहाते देखने से लेकर उसकी चोट तक, सब बता देती है। प्रीति भी ध्यान से बातें सुनती है।

प्रीति- हाँ तो भाभी। अब आप क्या चाहती हो?

रूबी- पता नहीं।

प्रीति- अरे बाबा क्या पता नहीं? कुछ तो सोचा होगा की अब क्या करना है? आगे बढ़ना है या यही पे सब खतम करना है?

रूबी- मुझे नहीं पता क्या करूं?
 
प्रीति- भाभी आप बहुत अच्छी हो। आपको कोई भी मर्द ना नहीं बोल सकता। पर बात यह है की आप किसी में इंट्रेस्टेड नहीं हो, रामू के इलावा। तो आपके पास सिर्फ रामू ही आप्षन है।

रूबी- तो क्या करूं?

प्रीति- आप बताओ? आप यह काली रातें अकेले कैसे काटती है?

रूबी- नहीं।

प्रीति- भाभी मेरे विचार से आपको अपनी अंदर की औरत को शांत करने का पूरा हक है।

रूबी- पर मैं लखविंदर को चीट नहीं करना चाहती।

प्रीति- अरे भईया मर्द हैं। मर्द ज्यादा देर तक सेक्स से दूर नहीं रह सकते। आपको क्या लगता है की वो दुबई में सेक्स वर्कर के पास नहीं जाते होगे? वैसे ही आपको अपना हक मिलना चाहिए, और इसमें चीटिंग की बात नहीं है। अगर भईया यहां पे होते तो मुझे पूरा विश्वाश है की मेरी प्यारी भाभी कभी किसी और मर्द के बारे में नहीं सोचती।

रूबी- तो तुम क्या सलाह देती हो?

प्रीति-भाभी, आपको अपने दिल की बात सुननी चाहिए। मेरी तरफ से तो कोई प्राब्लम नहीं है। अगर राम आपको संपूर्ण औरत होने का एहसास दे सकता है तो आपको यह एहसास लेना चाहिए। बाकी जो आपको ठीक लगे वो करना। और अगर आप आगे बढ़ने का डिसाइड करते हो तो धीरे-धीरे संभाल के आगे बढ़ना। राम को एहसास करवाओ की उसे जो चाहिये वो मिलेगा, पर उसे थोड़ा सबर रखना होगा।

रूबी- मैं कैसे बात करूं उससे इस बारे में? अब तो डाक्टर ने उसे आराम करने को बोला है, और वो काम भी नहीं करेगा। और 3 दिन में सीमा वापिस काम पे आ जाएगी तो राम का घर के अंदर आना भी बंद हो जाएगा फिर से।

प्रीति- अरे भाभी आप बहत भोली हो। ऐसा करो आप फोन कर लो। आप उससे सारी कर लो, जो आपने उसे चोट पहुँचाई है बस।

रूबी- तब?

प्रीति- फिर क्या वो मर्द है? इतनी खूबसूरत औरत को नहीं छोड़ेगा इतनी जल्दी। आप फोन करना और फिर देखना वो खुद ही आगे बढ़ेगा। लेकिन आप खुद संभाल संभाल कर आगे बढ़ना। अच्छा रखती हूँ भाभी, सासू माँ बुला रही हैं कब से।

रूबी- ओके थैक्स प्रीति।

प्रीति- “अरे बैंक्स किस बात का भाभी? आई लोव यू। और हाँ हरजीत की कल से छुट्टियां हो रही हैं स्कूल में तो हम घूमने जा रहे हैं हफ्ते के लिए। अगर इस मामले में आपको कोई हेल्प चाहिए तो मैं हमेशा तैयार हूँ।
बाइ...”

रूबी- “बाइ डियर..." और फोन कट जाता है।

प्रीति से बात करने से रूबी को राहत मिलती है। उसके मन का बोझ कम हो गया था। उसने डिसाइड किया की वो राम के साथ के लिए आगे बढ़ेगी, और शाम को अपना बैग लेकर वापिस ससुराल आ जाती है।

कमलजीत- अरे बहू, तुम वापिस इतनी जल्दी आ गई?

रूबी- मम्मीजी राम ठीक नहीं है तो आपको काम करना पड़ता है। इसलिए मैं वापिस आ गई।

कमलजीत- अरे तो क्या हुआ, अगर दो चार दिन में काम कर लेती?

रूबी- कोई बात नहीं मम्मीजी। अब मैं काम संभाल लूंगी।

रात को खाना खाने के बाद सभी बातें करने लगे और रूबी का ध्यान राम की तरफ था। तभी उसने हरदयाल के फोन से राम का नंबर चोरी कर लिया, और अपने फोन में सेव कर लिया।
 
कमलजीत- अरे तो क्या हुआ, अगर दो चार दिन में काम कर लेती?

रूबी- कोई बात नहीं मम्मीजी। अब मैं काम संभाल लूंगी।

रात को खाना खाने के बाद सभी बातें करने लगे और रूबी का ध्यान राम की तरफ था। तभी उसने हरदयाल के फोन से राम का नंबर चोरी कर लिया, और अपने फोन में सेव कर लिया।

इधर रामू अपने कमरे में था और उसे नहीं पता था की रूबी वापिस आ गई थी। उसको खाना भी कमलजीत उसके अमरे में दे आई थी।

रात को जब सब सो गये तो रूबी भी अपने कमरे में कम्बल लिए हए बेड पे लेटी थी। बार-बार उसका दिल रामू से बात करने को कर रहा था, पर हिम्मत नहीं हो पा रही थी। उसे डर था की अगरा कोई गड़बड़ हो गई तो? फिर उसने सोचा की अगर कोई गड़बड़ हुई तो वो बोल देगी के रामू हालचाल पूछने के लिए फोन किया था। बड़ी मुश्किल से हिम्मत करने के बाद रूबी ने रामू को फोन लगा दिया।

फोन रिंग से रामू चौंक गया। इतनी रात को किसका फोन आ सकता है? कहीं गाँव से तो नहीं आया था। उसने देखा अननोन नंबर था। इधर रूबी की दिल की धड़कन बढ़ गई थी। पता नहीं वो कैसे बात कर पाएगी राम से। क्या वो काट दे फोन? तभी राम ने फोन पिक कर लिया।

रामू- हेलो।

उधर से कोई आवाज नहीं आई।

रामू- हेलो।

फिर कोई आवाज नहीं आई। रामू ने दो-चार बार दुबारा हेलो बोला पर कोई फायदा नहीं। रूबी की हिम्मत जवाब दे रही थी। रामू फोन काट देता है। रूबी की जान में जान आती है। कुछ देर बाद उसका दिल फिर से उसे फोन पे बात करने के लिये जोर देता है। दिल से मजबूर रूबी फिर फोन लगा देती है।

रामू- हेलो।

रूबी का गला सुख रहा था, और कुछ नहीं बोल पाती।

रामू- हेलो। अरे कोई बोलेगा?

रूबी- र-र-राम्मू।

रामू रूबी की आवाज पहचान लेता है- “अरे बीवीजी आप?

रूबी- हाँ। पहचान लिया।

राम- अरे बीवीजी आपकी आवाज को कैसे नहीं पहचानते। आपके होंठों से जब अपना नाम सुनते हैं तो अजीब सा करेंट दौड़ने लगता है जिश्म में।

रूबी- मैंने माफी मांगने के लिए फोन किया था।

राम- किस बात की माफी?

रूबी- हमने तुम्हें चोट पहुँचाई थी ना। हमें अच्छा नहीं लगा।
 
राम- बीवीजी आपकी गलती नहीं है। आप माफी माँग कर हमें छोटा कर रहे हैं। आप हमारी मालेकिन हो। ऐसे माफी मत मांगिए। गलती हमारी थी। आप हमें माफ कर दो। हमने आपका दिल दुखाया है।

रूबी कुछ नहीं बोलती। कुछ देर चुप रहने के बाद रामू आगे बात बढ़ाता है। उसे लगता है की रूबी ने जो फोन किया है तो उसके दिल में उसके लिए प्रेम है। पर अब उसे थोड़ा सा सबर करना होगा और धीरे-धीरे लोहा गरम करना होगा।

रामू- बीवीजी आप नाराज तो नहीं हैं ना हमसे?

रूबी- नहीं राम्।

राम- बीवीजी आप बहुत अच्छी हो।

रूबी के दिल का डर अब कम हो रहा था। धीरे-धीरे दोनों नार्मल बातें करने लगे। राम खुश था की रूबी अब उससे नार्मल बात कर रही थी। तभी राम ने अपनी बातों का रुख उन दोनों के समन्धों की तरफ मोड़ लिया। रूबी को प्रीति की बात याद आई की उसे सिर्फ फोन करना है, बाकी काम रामू खुद संभाल लेगा।

रामू- बीवीजी एक बात बोलूँ?

रूबी- हाँ।

रामू- बुरा तो नहीं मानोगे?

रूबी- नहीं मानती।

रामू- आप वैसे तो काफी नाजुक सी हो। पर गुस्से में पता नहीं आप में इतनी ताकत कहां से आ जाती है?

रूबी हँसते हुए- तुम्हें कैसे पता?

रामू- आपने उस दिन दिखा तो दिया था। सच में बहुत जोर से मारा था।

रूबी- उसके लिए मैं माफी माँग चुकी हूँ। राम- “बीवीजी आप माफी मत मांगिए| आप हमारी मालेकिन है...” कहकर राम रूबी के एमोशन्स से खेल रहा था। उसे पता था अगर वो रूबी को रेस्पेक्ट देगा तो वो उसका दिल जीत पाएगा।

रूबी- यह मालेकिन मालेकिन और बीवीजी बीवीजी क्या लगा रखा है? मैं तुम्हें पगर देती हूँ क्या?

रामू- तो और क्या बोलूँ? आप इस घर की बहू हैं तो हमारी मालेकिन ही हुई।

रूबी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। राम ठीक ही तो कह रहा था, है तो उसकी वो मालेकिन ही। तो क्या उन दोनों में नौकर मालिक की दीवार टूटेगी नहीं?
 
रूबी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। राम ठीक ही तो कह रहा था, है तो उसकी वो मालेकिन ही। तो क्या उन दोनों में नौकर मालिक की दीवार टूटेगी नहीं?

राम- बताओ ना बीवीजी।

रूबी हँसते हुए- “क्या बात है, कभी मालेकिन कभी बीवी जी? एक बार सोच लो मुझे क्या बनाना है?

रामू- हम तो दोस्त बनाना चाहते हैं।

रूबी- अच्छा जी। अभी तो मालेकिन मानते थे और अब दोस्ती पे आ गये?

राम- बताओ ना बीवीजी आप दोस्त बनोगे।

रूबी को उसकी बातों में मासूमियत झलक रही थी। बिहार से आया लड़का जो पंजाब में काम कर रहा था। उसकी परिवार भी बिहार में ही थी, तो उसका तो दोस्त तो हआ नहीं कोई भी यहां पे। उसका भी तो दिल करता होगा दोस्त बनाने को, किसी से बात करने को।

रूबी कुछ सोचते हुए- “ठीक है। दोस्त बन सकते हैं। लेकिन एक शर्त है.."

रामू- आपकी हर शर्त मंजूर। बताओ क्या करना है?

रूबी- तुम ऐसा कोई काम नहीं करोगे जिससे मेरी लाइफ में परेशानी आए।

राम देखता है की मछली फँस रही है और वो एक और तीर छोड़ देता है- "तो आपके कहने का मतलब हम गवार है और आपको लगता है की हम ऐसा कोई काम करेंगे जिससे आपको नुकसान हो?”

रूबी- रामू गँवार की बात नहीं है। तुम बहुत अच्छे हो। पर तुम्हें यह भी समझना चाहिए के हम किसी की बीवी हैं, किसी की बहू हैं। हमारे लिए किसी गैर मर्द से मिलना ठीक नहीं माना जाएगा।

राम- ठीक है बीवीजी। हम अपनी दोस्त को बचन देते हैं की हम उसकी मर्जी के बिना कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे उसको कोई तकलीफ हो।

रूबी- पक्का ... बचन देते हो।

रामू- हाँ। यह रामू की जुबान है बीवीजी। दुनियां इधर से उधर हो सकती है पर हम अपनी जुबान पे खड़े रहेगे।

रूबी- अच्छा देखते हैं रामूजी।

राम- तो हमारी दोस्ती पक्की?
 
रूबी- हाँ शायद।

राम- तो दोस्ती में तो मालेकिन या बीवीजी नहीं बुला सकते ना आपको।

रूबी- तो क्या बुलाओगे?

रामू- रूबी जी।

रूबी मुश्कुराते हुए- “ठीक है पर किसी के सामने नहीं। वरना परेशानी खड़ी हो सकती है.."

राम- हम समझते हैं बीवीजी।

दोनों ऐसी ही नार्मल बातें करते रहे। तभी दीवार की घड़ी की आवाज आई और रूबी ने देखा की रात के 12:00 बज गये हैं। बातों-बातों में पता ही नहीं चला की इतना टाइम भी हो गया है।

इधर राम धीरे-धीरे अपने मकसद की ओर बढ़ने लगा और रूबी से उसकी पर्सनल बातें करने लगा। उधर रूबी सोचती है की रामू खुद ही आगे बढ़ रहा है धीरे-धीरे। वो भी तो यही चाहती थी की रामू खुद ही आगे बढ़े।

रामू- बीवी जी ओहह... माफ करना रूबी जी एक बात पुडूं?

रूबी- हाँ।

राम- आपको अपने पति की याद नहीं आती क्या?

रूबी- क्यों पूछ रहे हो?

राम- वैसे ही। नहीं बताना तो आपकी मर्जी पर नाराज मत होना।

रूबी- नहीं होती नाराज बाबा। आती है याद।

रामू- तो आप क्या करते हो?

रूबी- क्या करते हो मतलब?

राम- मेरा मतलब आपका दिल नहीं करता की आपके साथ हों आपके पति।

रूबी- करता तो है, पर क्या कर सकते हैं?

रामू- एक बात बोलूँ?

रूबी- बोलो।

राम- आप बुरा मन जाओगे। रहने दो।

रूबी- नहीं मानती राम्। बताओ क्या बोलना है?

रामू- नहीं हमें डर है आप कहीं हमारी दोस्ती ना तोड़ दो।

रूबी- नहीं तोड़ती, पूछ लो।

राम- मेरी कसम खाकर बोलो आप नाराज नहीं होंगे और दोस्ती नहीं तोड़ोगे।

रूबी को राम की कसम खाने की बात अपनी शर्म का पर्दा हटाने पे मजबूर कर रही थी, पता नहीं क्या बोलना
था उसने। लेकिन कहा- "नहीं नाराज होती मैं..."

रामू- मेरी कसम खाओ पहले की आप दोस्ती नहीं तोड़ोगे और गुस्सा नहीं करोगे।

रूबी हार मानते हुए- "ठीक है तुम्हारी कसम... ।

रामू- “क्या हम दोनों एक हो सकते हैं?" और रामू ने सीधा ही पूछ लिया था।

रूबी कुछ नहीं बोलती और चुप रहती है।
 
रूबी को राम की कसम खाने की बात अपनी शर्म का पर्दा हटाने पे मजबूर कर रही थी, पता नहीं क्या बोलना
था उसने। लेकिन कहा- "नहीं नाराज होती मैं..."

रामू- मेरी कसम खाओ पहले की आप दोस्ती नहीं तोड़ोगे और गुस्सा नहीं करोगे।

रूबी हार मानते हुए- "ठीक है तुम्हारी कसम... ।

रामू- “क्या हम दोनों एक हो सकते हैं?" और रामू ने सीधा ही पूछ लिया था।

रूबी कुछ नहीं बोलती और चुप रहती है।

रामू- मैंने बोला था रूबी जी आप नाराज नहीं होंगे। प्लीज बताइए ना?

रूबी अभी भी चुप रहती है। वो सोचती है की रामू के इस सीधे सवाल का कैसे जवाव दूं?

राम- हम मानते है की हम अनपढ़ और गँवार है। पर क्या हमें आपसे प्यार करने का हक नहीं है?

रूबी- रामू प्लीज ऐसा मत बोलो। तुम बहुत अच्छे हो।

राम- तो बीवीजी बताओ ना। हमें पता है आप भी हमसे प्रेम करते हो। तो क्या हम दोनों ऐसी ही तड़पते रहेंगे?

रूबी- पता नहीं।

रामू- रूबी जी हम आपसे बहुत प्रेम करते हैं। आप के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अपनी जान भी दे सकते हैं।

रूबी- चुप करो राम्... जान देने की बात मत करो।

रामू- तो बताओ ना रूबी जी। क्या आपको पाने का हमारा सपना इस जनम में पूरा नहीं हो सकता?

रूबी- पता नहीं राम्।

रामू- हमारी कसम खाकर बोलिए रूबी जी आप हमसे प्रेम नहीं करते क्या?

रूबी- रामू अपनी कसम मत खिलवाया करो।

रामू- बताइए ना बीवीजी।

रूबी- करते हैं।

राम- तो फिर हमारी बात का क्योंब नहीं देते?

रूबी- कौन सी बात?

रामू- हमर मिलन कब होगा?

रूबी- क्या यह सब होना जरूरी है हमारे बीच?

राम- रूबी जी प्रेम की आखिरी मंजिल दो जिस्मों का एक होना होता है। और मैं अपनी आखिरी मंजिल पाना चाहता हूँ।

रूबी- जरूरी तो नहीं है ऐसा हो। प्रेम तो दो दिलों का मेल होता है।

राम- दो दिलों का मेल जरूर होता है। लेकिन यह दो दिल मर्द और औरत होते हैं। दोनों के दिल आपस में इसीलिए मिलते हैं ताकी वो अपनी-अपनी मंजिल हासिल कर सकें।

रूबी कुछ देर चुप रहने के बाद- “बातें तो बड़ी ज्ञान वाली करते हो तुम..."

रामू- जो सच है रूबी जी वही बातें करता हूँ। आप अपने मन से पूछिये क्या आप अपनी मंजिल पाने के लिए तड़प नहीं रही?

रूबी को समझ में नहीं आता वो क्या बोले?
 
राम- बताओ ना रूबी जी। हम दोनों अपनी मंजिल कब पा सकते हैं। प्लीज बताओ ना आपको मेरी कसम है।

रूबी- पता नहीं राम। अभी जैसे चलता है चलने दो। मुझे नहीं पता क्या होना है आगे? वैसे भी मम्मीजी घर पे होती हैं तो ऐसा कुछ नहीं हो सकता। मुझे वो कभी भी अकेला नहीं छोड़ती।

रामू- तो इसका मतलब हमारा कभी मिलन नहीं होगा?

रूबी- शायद।

राम- नहीं रूबी जी, मैं अपने प्रेम को ऐसे खतम नहीं होने दे सकता।

रूबी- “रामू, लाइफ में हरेक काम करने को टाइम होता है। जब हमारा टाइम आएगा तब देखेंगे। अभी तो कुछ नहीं हो सकता..."

रामू- अगर कुछ नहीं तो थोड़ा सा तो हो सकता है ना। मैं कल को फिर से सफाई करने घर आ रहा हूँ।

रूबी- नहीं रामू ऐसा मत करो। और थोड़ा सा क्या मतलब? अभी तुम आराम करो।

रामू- नहीं रूबी जी। मैं कल आऊँ और मुझे आपका साथ चाहिए।
....
रूबी- कैसा साथ? प्लीज... ऐसा कोई काम ना करना जिससे मैं किसी मुसीबत मेंस जाऊँ। देखो तुमने प्रामिस किया था और अब तुम इसे तोड़ रहे हो।

राम- घबराइये मत रूबी जी। मैं आपकी मर्जी की बिना कोई ऐसा वैसा काम नहीं करूंगा। बस आप कल सफाई के टाइम हमारा साथ दीजिएगा।

रूबी- ठीक है। अगर तुम अपना वादा कायम रखते हो तो हमें कोई प्राब्लम नहीं है।

रामू- आप बहुत अच्छी हो रूबी जी।
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*****
 
रूबी- तुम भी। अच्छा अब मैंने सोना है। मुझे नींद आ रही है।

राम- अच्छा ठीक है सो जाओ। पर एक बात का जवाब दे दो पहले। मेरी तो जान निकल रही है आपके बिना। आपको पता नहीं कैसे नींद आ रही है।

रूबी- क्या पूछना है जल्दी बोलो?

रामू- मालिक का क्या साइज है?

रूबी- साइज? क्या मतलब?

रामू- आपको पता है की मैं क्या पूछ रहा हूँ।

रूबी- सच में नहीं पता। शर्ट की बात कर रहे हो?

रामू- लण्ड की बात कर रहा हूँ। कितना साइज है मालिक का?

रूबी शर्मा जाती है।

रामू- बताओ ना?

रूबी- शट-अप राम्।

राम- रूबी जी यह तो हम दोनों के बीच की बात है। इससे तो आपकी लाइफ में कोई मुश्किल नहीं आएगी।

रूबी- पता नहीं।

राम- बताओ ना रूबी जी। मेरी कसम... मैंने भी सोना है।

रूबी- तुम यह क्यों पूछ रहे हो?

राम- वो इसलिए क्योंकी हरेक तगड़े मोटे लण्ड के मालिक को अपने लण्ड पे मान होता है। वैसे ही मेरे को है।

रूबी हँसते हुए- “तुम्हें क्यों मान है?"

राम- वो इसलिए क्योंकी मुझे नहीं लगता हमारे गाँव में किसी का मेरे साइज का लण्ड होगा।

रूबी- तुम कितनी गंदी बातें करते हो। तुम्हें शर्म नहीं आती एसे शब्द इस्तेमाल करते हुए?

राम- शर्म की क्या बात है? बताओ ना मालिक का क्या साइज है?

रूबी हिचकचाते हुए- “5°s इंच..."

रामू- क्या सिर्फ पाँच इंच?

रूबी- सिर्फ का क्या मतलब?

रामू- “अच्छा हुआ उस दिन आपने मुझे घायल कर दिया। वर्ना उस दिन आपकी सिसकियां पूरे घर में गूंजती.." रामू को अपने लण्ड पे मान महसूस हो रहा था। उसका 9" इंच का लण्ड तो रूबी की चूत को फाड़ ही देगा। अच्छा हुआ उस दिन रूबी को चोद नहीं पाया, वर्ना मुसीबत गले पड़ जाती।

रूबी- ऐसा क्या है जो बोल रहे हो?

रामू- मेरी जान क्या तुम सच में इतनी भोली हो जो तुम्हें कुछ भी नहीं पता है

रूबी रामू के मुँह से जान शब्द सुनकर शर्मा जाती है- “मुझे नहीं पता क्या बोल रहे हो?"

राम- अच्छा यह बताओ उस दिन आपने अपने चूतरों पे मेरे लण्ड को महसूस तो किया ही होगा।

रूबी- हाँ।

राम- तो आपको इसका अंदाजा नहीं है की मेरा साइज आपके पति से बड़ा है?

रूबी- पता नहीं।

रामू- बताओ ना... शर्माओ मत। आपको मेरा लण्ड आपके चूतरों पे महसूस हुआ था ना?

रूबी- हाँ।

रामू- तो आपको क्या साइज लगता है इसका?

रूबी- श-श-शायद 6" इंच।

रामू रूबी की मासूमियत पे हँस पड़ता है- “आपको कुछ नहीं पता.."

रूबी- तो?

राम- तो कुछ नहीं मेरी जान। मेरा लण्ड तो आपके बारे में सोचकर टाइट हो गया है। सच में अगर आपने एक बार इसका स्वाद चख लिया तो कभी इसे भूल नहीं पाओगी।

रूबी- इतना गरूर है अपनी मर्दानगी पे?

रामू- सच में रूबी जी। मर्द हूँ और अपने ऊपर गरूर भी है। जब आप चुदवाओगी तब खुद जान जाओगी। अभी आप पूरी तरह औरत नहीं बनी हो। मैं आपको औरत होने का पूरा एहसास दिलाऊँगा। यह मेरा बचन है।

रूबी- पता नहीं

हवा में बातें करते हो या फिर पक्के खिलाड़ी हो। इससे पहले किसी के साथ किया है क्या?

रामू- सच बताऊँ जा झूठ?

रूबी- एक-दोस्त होने के नाते सच सुनना चाहती हूँ।

राम- मैंने पंजाब में तो नहीं किया कुछ। पर हमारे गाँव में मैंने 12 को भोगा है। जिसमें लड़कियां और भाभियां भी है।
 
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