desiaks
Administrator
- Joined
- Aug 28, 2015
- Messages
- 24,893
रूबी ने आज तो अपनी पैंटी भी उतार दी थी। हालांकी कमरे में डिम लाइट जल रही थी पर फिर भी राम को उसकी गाण्ड के अच्छे से दीदार नहीं हो रहे थे। रामू के लण्ड ने उसे पागल कर दिया था, भले ही उसे लण्ड की झलक भर ही मिली थी।
इधर राम ने भी अपना लण्ड हाथ में लिया और उसे रगड़ने लगा। रूबी के ठंडी पड़ने के बाद राम ने भी अपना पानी निकाल दिया और अपने कमरे में आ गया।
रामू अब किसी भी कीमत पर रूबी को पाना चाहता था। उसने अब रूबी से बोल्ड होने का इरादा कर लिया था। इतना तो उसे पक्का था की रूबी अपनी चूत की आग को ठंडी करने के लिए तड़प रही है, और वो इस मौके का फायदा उठना चाहता था। वैसे भी आज और कल की घटनाओं के बारे में रूबी ने मालिक और मालेकिन को नहीं बताया था। अगर बताया होता तो अभी तक तो उसका बोरिया बिस्तर गोल गया होता। तो क्या यह समझा जाए की रूबी राम का विरोध ना करते हए उसे आगे बढ़ने का न्योता दे रही थी? क्या वो इस कमसिन जवानी को भोग पाएगा? रूबी के नितंबों के बारे में सोचते हए रामू के मुँह में पानी आ रहा था। क्या वो रूबी के विशाल चूतरों में अपना लण्ड रगड़ पाएगा? इन सवालों के जवाव ढूँढते-ढूंढते रामू की आँख लग गई।
उस दिन से रूबी का राम को देखने का नजरिया बदल गया। अब उसकी आँखें रामू को ही ढूँढती रहती थी। रामू जो की लड़कियों के मामले में निपुण था। अपने गाँव में उसने काफी औरतों से समंध बनाए थे। उसने रूबी की नजरों को पढ़ लिया था। उसे इतना तो पता चल गया था की रूबी के लिए वो कोशिश कर सकता है। पर उसके पास टाइम नहीं होता था रूबी से बात करने का। एक सफाई वाला टाइम होता था, जब वो रूबी के साथ होता था। पर उस टाइम पे बड़ी मालेकिन भी घर पे होती थी। अगर उसने रूबी से अपने दिल की बात बोलने की कोशिश की तो पता नहीं वो कैसी प्रतिक्रिया देंगी। कहीं बात बिगड़ ना जाए?
कुछ दिन ऐसे ही निकल गये। रूबी भी आजकल ज्यादा टाइट चूड़ीदार सलवार पहनने लगी या फिर लेगिंग ओर ट्रैक सूट में रहती थी जिससे रामू को उसके सुडौल नितंबों की झलक मिलती रहे। आखीरकार, रामू इसका तो ही दीवाना था। रूबी और रामू में आजकल स्माइल भी पास होने लगी थी, और सफाई करते-करते रूबी को राम के हाथों का स्पर्श अपने नितंबों पर महसूस भी हुआ था।
रूबी यह सब इग्नोर कर देती थी। रूबी खुद आगे नहीं बढ़ना चाहती थी। आखीरकार, वो उसकी मालेकिन थी। वो चाहती तो सीधाधा राम से अपनी दिल की बात बोल सकती थी, पर वो औरत थी। राम उस जैसी हसीन औरत को कैसे मना कर सकता था। अगर वो ऐसा करती तो रामू उसको चीप औरत समझता। वैसे भी पहल तो मर्द को ही करनी होती है। अब यह तो राम पे था की वो कब हिम्मत करता है। वो रामू से उम्मीद कर रही थी की वो आगे बढ़े।
इधर राम ने भी अपना लण्ड हाथ में लिया और उसे रगड़ने लगा। रूबी के ठंडी पड़ने के बाद राम ने भी अपना पानी निकाल दिया और अपने कमरे में आ गया।
रामू अब किसी भी कीमत पर रूबी को पाना चाहता था। उसने अब रूबी से बोल्ड होने का इरादा कर लिया था। इतना तो उसे पक्का था की रूबी अपनी चूत की आग को ठंडी करने के लिए तड़प रही है, और वो इस मौके का फायदा उठना चाहता था। वैसे भी आज और कल की घटनाओं के बारे में रूबी ने मालिक और मालेकिन को नहीं बताया था। अगर बताया होता तो अभी तक तो उसका बोरिया बिस्तर गोल गया होता। तो क्या यह समझा जाए की रूबी राम का विरोध ना करते हए उसे आगे बढ़ने का न्योता दे रही थी? क्या वो इस कमसिन जवानी को भोग पाएगा? रूबी के नितंबों के बारे में सोचते हए रामू के मुँह में पानी आ रहा था। क्या वो रूबी के विशाल चूतरों में अपना लण्ड रगड़ पाएगा? इन सवालों के जवाव ढूँढते-ढूंढते रामू की आँख लग गई।
उस दिन से रूबी का राम को देखने का नजरिया बदल गया। अब उसकी आँखें रामू को ही ढूँढती रहती थी। रामू जो की लड़कियों के मामले में निपुण था। अपने गाँव में उसने काफी औरतों से समंध बनाए थे। उसने रूबी की नजरों को पढ़ लिया था। उसे इतना तो पता चल गया था की रूबी के लिए वो कोशिश कर सकता है। पर उसके पास टाइम नहीं होता था रूबी से बात करने का। एक सफाई वाला टाइम होता था, जब वो रूबी के साथ होता था। पर उस टाइम पे बड़ी मालेकिन भी घर पे होती थी। अगर उसने रूबी से अपने दिल की बात बोलने की कोशिश की तो पता नहीं वो कैसी प्रतिक्रिया देंगी। कहीं बात बिगड़ ना जाए?
कुछ दिन ऐसे ही निकल गये। रूबी भी आजकल ज्यादा टाइट चूड़ीदार सलवार पहनने लगी या फिर लेगिंग ओर ट्रैक सूट में रहती थी जिससे रामू को उसके सुडौल नितंबों की झलक मिलती रहे। आखीरकार, रामू इसका तो ही दीवाना था। रूबी और रामू में आजकल स्माइल भी पास होने लगी थी, और सफाई करते-करते रूबी को राम के हाथों का स्पर्श अपने नितंबों पर महसूस भी हुआ था।
रूबी यह सब इग्नोर कर देती थी। रूबी खुद आगे नहीं बढ़ना चाहती थी। आखीरकार, वो उसकी मालेकिन थी। वो चाहती तो सीधाधा राम से अपनी दिल की बात बोल सकती थी, पर वो औरत थी। राम उस जैसी हसीन औरत को कैसे मना कर सकता था। अगर वो ऐसा करती तो रामू उसको चीप औरत समझता। वैसे भी पहल तो मर्द को ही करनी होती है। अब यह तो राम पे था की वो कब हिम्मत करता है। वो रामू से उम्मीद कर रही थी की वो आगे बढ़े।