"हेलो..",सुरेन जी ने फाइल पे लिखते हुए मोबाइल उठाके कान से
लगाया,"..अरे वीरेन..कैसे हो?कितने दिन बाद फोन किया!"
देविका ने गर्दन उठाके पति को देखा,".हां-2..अच्छा..तो यहा क्यू नही
आए..ह्म..हां-2 मैं सब साफ करवा दूँगा...ओके.",फोन कट गया.
"वीरेन का फोन था?"
"हां."
"क्या कह रहा था?"
"पंचमहल आया हुआ है.."
"क्या?",देविका चौंकी.
"हां.कल यहा आएगा..कह रहा था की सोच रहा कि अब यही रहे."
सुरेन जी ने कलम नीचे रख दी थी & उनके चेहरे पे थोड़ी चिंता दिख रही थी.
"क्या हुआ?",देविका उनके सामने मेज़ के दूसरी ओर बैठी थी,वो वाहा से उठी
& उनके बगल मे आके खड़ी हो उनके सर पे हाथ फेरने लगी.
"देविका,पिताजी ने कोई वसीयत तो छ्चोड़ी नही थी अब अगर वीरेन अपना हिस्सा
माँगेगा तो..?"
"तो क्या होगा.दे देंगे."
"देविका,मैने ये सब कैसे खड़ा किया है तुम जानती हो..सब उसे दे दू."
"ओफ्फो..आप तो मज़ाक को भी सच मान लेते हैं!मैं मज़ाक कर रही थी.",उसने
झुक के उनके माथे को चूम लिया,"..ठीक से बताइए क्या कहा उसने?"
"कह रहा था की अब उसका वाहा दिल नही लगता..यही रहना चाहता है.."
"तो ये तो नही कहा कि उसे उसका हिस्सा चाहिए."
"कहा नही मगर इस तरह अचानक बिना बताए यहा आने का क्या मतलब है?"
"आप फिर परेशान हो रहे हैं..",देविका अब उनकी गोद मे बैठ
गयी,"..देखिए,अगर वीरेन आपसे हिस्सा माँगता है तो आप बस इतना कहिएगा कि
क्या उस से ये कारोबार संभाल जाएगा..उसका जवाब नही ही होगा..बस फिर आप
कहिएगा की वो ये समझे की उसने हमे अपना हिस्सा बेच दिया है..हम उसे
हिस्से किए बराबर की रकम किश्तो मे दे देंगे..",उसने उनके माथे को
चूमा,"..लेकिन मुझे लगता है की आप बेकार परेशान हो रहे हैं..",उसने उनके
सर को अपने सीने से लगा लिया,"..वीरेन ऐसा आदमी नही है.",अपने पति के सर
को सीने मे दफ़्न करते हुए देविका ने सामने की दीवार को देखते हुए
कहा.उसके चेहरे पे पता नही कितने रंग आ के गुज़र गये थे.
सुरेन जी को अब तसल्ली हो गयी थी मगर देविका के दिल मे तूफान मचा हुआ
था..क्यो यहा आ रहे हो वीरेन आख़िर क्यो?सुरेन जी उसके जिस्म की मादक
खुश्बू से उसके ब्लाउस के उपर से दिख रहे क्लीवेज मे सर घुसाए मदहोश हो
रहे थे & उनके सर को थामे उनकी गोद मे बैठी देविका इस नयी मुश्किल के
बारे मे सोच रही थी.
कामिनी चंद्रा साहब के यहा से सीधी क्लब पहुँची,आज बड़े दिन बाद वो
षत्रुजीत सिंग से मिलने वाली थी.वो कल ही बाहर से लौटा था & दोनो ने तय
किया था की इस वीकेंड को साथ ही गुज़रेंगे.
"अरे...ऑफ...ऑश...!",तेज़ी से क्लब के कामन रूम मे दाखिल होती कामिनी
किसी से टकराई & उस आदमी के ग्लास की ड्रिंक उसकी ड्रेस पे छलक गयी.
"सॉरी!",उस शख्स ने भारी आवाज़ मे कहा & आगे बढ़ गया.कामिनी ने देखा वो
वीरेन सहाय था....इतना बदतमीज़ इंसान उसने शायद ही कभी पहले देखा था!ये
दूसरी बार वो उस से टकराया था & फिर सॉरी भी ऐसे बोला था मानो एहसान कर
रहा हो.
कामिनी ड्रेस ठीक करने की गरज से वॉशरूम की ओर बढ़ गयी कि तभी उसे
शत्रुजीत दिखाई दिया,"हाई!कामिनी..देर कर दी तुमने..& ये क्या हुआ?"
"1 बदतमीज़ टकरा गया था.",कामिनी वॉशरूम मे गयी तो शत्रुजीत भी उसके
पीछे-2 वाहा चला आया.
"अरे,तुम यहा क्या करने आ रहे हो?",कामिनी ने वॉशबेसिन के बगल मे रखे
नॅपकिन्स मे से 1 उठाया & ड्रेस सॉफ करने लगी,"..ये लॅडीस वॉशरूम है."
"तुम्हारी मदद करने आया हू.",उसके हाथ से नॅपकिन लेके शत्रुजीत उसकी
ड्रेस को सॉफ करने लगा.वीरेन की ड्रिंक कामिनी के सीने पे छल्कि थी &
शत्रुजीत सॉफ करने के बहाने उसकी गोलाईयो को दबा रहा था.
कामिनी सब समझ रही थी,"..ये मदद हो रही है!",उसने उसके हाथ से नॅपकिन
लिया & उसे धकेल के वॉशरूम से बाहर निकाला,"..अरे मैं तो बस सॉफ कर रहा
था.."
"हां-2 पता है क्या कर रहे थे..चलो बाहर खड़े रहो.",कामिनी ने वॉशरूम का
दरवाज़ा बंद किया & ड्रेस ठीक करने लगी,बीवी के क़त्ल के बाद से शायद
पहली बार उसने शत्रुजीत को पुराने अंदाज़ मे देखा था.
कामिनी के वॉशरूम से बाहर निकलते ही षत्रुजीत सिंग ने उसे बाहो मे भर
लिया,"क्या कर रहे हो?!कही कोई आ गया तो!..",उसे अनसुना करते हुए
शत्रुजीत ने उसके गाल को चूम लिया.तभी किसी के उधर आने की आहट हुई तो
शत्रुजीत उस से अलग हो गया मगर उसका दाया हाथ अभी भी उसकी कमर पे ही था.
"अरे वीरेन जी!वॉट ए प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!",शत्रुजीत ने कामिनी की कमर
से हाथ खींच के उधर आ पहुँचे वीरेन सहाय से हाथ मिलाया,"आप कब आए?"
"बस कुच्छ ही दिन हुए,शत्रु.तुम्हारा क्या हाल है?"
"बढ़िया है.",वीरेन सहाया ने कामिनी की ओर देखा,"ओह्ह..आइ'म सॉरी मैने आप
दोनो का परिचय नही कराया....ये हैं वीरेन सहाय जाने-माने पेनिंटर & ये
हैं कामिनी शरण,हमारे शहर की मशहूर वकील."