hotaks444
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बिन बुलाया मेहमान-4
गतान्क से आगे……………………
"एक बार कॉसिश की थी मैने इसकी गान्ड में डालने की पर बहुत कॉसिश करने पर भी नही गया था."बब्बन ने कहा.
"आज जाएगा तू चिंता मत कर. देखता हूँ ये गान्ड मेरे लंड को रास्ता कैसे नही देती." मैने फिर से ज़ोर से चाँटा मारा कोयल की गान्ड पर.
"तू इधर आ और इसकी गान्ड को फैला मेरे लंड के लिए."मैने बब्बन से कहा.
बब्बन ने पास आकर कोयल की गान्ड को मेरे लिए फैला दिया.
"तू इसके छेद पर थूक गिरा दे जितना हो सके. मैं अपने लंड को चिकना करता हूँ." मैने कहा.
बब्बन ने ढेर सारा थूक गिरा दिया कोयल की गान्ड के छेद पर. मैने भी अपने लंड को खूब चिकना कर लिया.
अपने चिकने लंड को मैने कोयल की गान्ड के चिकने छेद पर रख दिया और ज़ोर से धक्का मारा.
"ऊओय्य्यीई माई मर गयी निकालूऊओ बाहर इसे." कोयल चिल्लाई.
"चुप कर अभी तो तुझे पूरा लंड लेना है" मैने एक और धक्का मारते हुए कहा.
कोयल चिल्लाति रही और मैं लंड अंदर घुसाता रहा. जब अंडकोस तक लंड उसकी गान्ड में उतर गया तो मैने कहा, "अरे वाह कोयल. तूने तो पूरा ले लिया गान्ड में हहेहहे."
"ऊओह मुझे ही पता है कैसे लिया है."कोयल ने कहा.
"बब्बन तू फैला कर रख इसकी गान्ड अब मैं इसे मारने जा रहा हूँ हहेहहे." मैने कहा
मैने कोयल की गान्ड मारनी सुरू कर दी. पूरा निकाल कर मैं वापिस अंदर डाल रहा था. कोयल अब मस्ती मे झूम रही थी. उसकी सिसकिया खेत में गूँज रही थी. बहुत देर तक मैं यू ही मारता रहा कोयल की गान्ड.
"अब बस भी कर मेरे हाथ थक गये हैं."बब्बन ने कहा.
"तू हट जा. अब मेरे लंड ने अच्छा रास्ता बना दिया है." मैने कहा और अपने लंड के धक्के लगाता रहा.
मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. ये मज़ा किसी मायने में भी चूत से कम नही था. उस दिन मुझे आश्चर्य हुआ कि गान्ड मारने में भी इतना मज़ा आता है. कोयल की गान्ड बहुत टाइट थी. लंड बहुत मुस्किल से घुसा था उसमे और वो मेरे लंड को बहुत अच्छे से पकड़ रही थी. भीड़े रास्ते में लंड को घुमाने का अपना ही मज़ा है ये मैं जान गया था.
जब मज़ा बर्दस्त से बाहर हो गया तो मैने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी और तेज तेज धक्के लगाते हुए कोयल की गान्ड को अपने पानी से भर दिया. जब मेरा पानी छूटा तो मैने पाया कि बब्बन बड़ी ललचाई नज़रो से कोयल की गान्ड को निहार रहा है. मैने कोयल की गान्ड से लंड बाहर निकाल लिया. मेरे निकालते ही बब्बन ने एक ही झटके में अपना लंड कोयल की गान्ड में डाल दिया. उसने भी थोड़ी देर में अपना पानी कोयल की गान्ड में छ्चोड़ दिया.
इस तरह मुझे पहली बार गान्ड मारने का मोका मिला. पहली गान्ड की चुदाई मुझे हमेशा याद रहेगी.
...............................
मैं डाइयरी पढ़ कर हटी तो मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी. कब मेरी योनि गीली हो गयी थी मुझे पता ही नही चला था. मैं शरम और ग्लानि से भर गयी थी.
"वहाँ से सेक्स करता है क्या कोई छी. ये देहाती सच में बहुत गंदा है."
मैं फॉरन बिस्तर से उठी और उठ कर डाइयरी को वापिस टाय्लेट में रख आई.
मैं वापिस कमरे में आई तो अंजाने में ही मेरे हाथ मेरे नितंबो पर चले गये. "क्या इन्हे सेक्स के लिए यूज़ कर सकते हैं. गगन से बात करूँगी इस बारे में. मुझे तो ये बहुत गंदी और भद्दी बात लगती है"
...........चाचा की डाइयरी में अनल सेक्स के बारे में पढ़ कर मन में अजीब सी हलचल हो रही थी. अचानक मन में ख्याल आया कि अगर गगन ने कभी मेरे साथ अनल सेक्स करने की कॉसिश की तो क्या मैं उन्हे करने दूँगी?
मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नही था. गगन सेक्स के दौरान मेरे नितंबो के गुम्बदो से खूब खेलते थे और उन्हे भरपूर मसल्ते थे मगर अभी तक उन्होने कभी भी वहाँ अपना लिंग डालने की कॉसिश नही की थी. मगर जब भी गगन मेरे नितंब के गुम्बदो को मसल्ते थे तो मुझे बहुत अच्छा लगता था.
रात को मैने गगन से बातो बातो में पुछा,"गगन क्या कोई अनल सेक्स भी करता होगा"
"हां मेरा दोस्त राजीव खूब अनल सेक्स करता है अपनी बीवी के साथ उसकी मर्ज़ी के बिना और खुश हो कर बताता भी है इस बारे में.मुझे बिल्कुल पसंद नही अनल सेक्स क्योंकि वो मुझे गंदा लगता है और लड़कियों को पसंद भी नही आता क्योंकि बहुत पेनफुल रहता है. वैसे तुम ये सब क्यों पूछ रही हो."
"यू ही पूछ रही थी." मैने कहा.
"तुम डरो मत तुम्हे वो सब नही सहना पड़ेगा. मुझे अनल सेक्स बिल्कुल पसंद नही है." गगन ने कहा.
आगे मैने इस बारे में कोई बात नही की.
चाचा को 2 हफ्ते हमारे साथ ही रुकना था. डॉक्टर ने उन्हे 2 हफ्ते बाद फिर से बुलाया था. ये खबर मेरे लिए बहुत दुखदायी थी. मैं जल्द से जल्द चाचा को घर से दफ़ा कर देना चाहती थी. गगन के जाने के बाद मुझे उसकी हवस भरी निगाहों का सामना करना पड़ता था.
डाइयरी वो रोज टाय्लेट में ही छोड़ने लगा था. 3 दिन में मैने पूरी डायरी पढ़ ली. डायरी आधी भरी हुई थी. चौथे दिन जब मैने उत्सुकता में डाइयरी उठाई तो मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. मेरा सर घूमने लगा. चाचा ने मेरे बारे में लिख रखा था.
गतान्क से आगे……………………
"एक बार कॉसिश की थी मैने इसकी गान्ड में डालने की पर बहुत कॉसिश करने पर भी नही गया था."बब्बन ने कहा.
"आज जाएगा तू चिंता मत कर. देखता हूँ ये गान्ड मेरे लंड को रास्ता कैसे नही देती." मैने फिर से ज़ोर से चाँटा मारा कोयल की गान्ड पर.
"तू इधर आ और इसकी गान्ड को फैला मेरे लंड के लिए."मैने बब्बन से कहा.
बब्बन ने पास आकर कोयल की गान्ड को मेरे लिए फैला दिया.
"तू इसके छेद पर थूक गिरा दे जितना हो सके. मैं अपने लंड को चिकना करता हूँ." मैने कहा.
बब्बन ने ढेर सारा थूक गिरा दिया कोयल की गान्ड के छेद पर. मैने भी अपने लंड को खूब चिकना कर लिया.
अपने चिकने लंड को मैने कोयल की गान्ड के चिकने छेद पर रख दिया और ज़ोर से धक्का मारा.
"ऊओय्य्यीई माई मर गयी निकालूऊओ बाहर इसे." कोयल चिल्लाई.
"चुप कर अभी तो तुझे पूरा लंड लेना है" मैने एक और धक्का मारते हुए कहा.
कोयल चिल्लाति रही और मैं लंड अंदर घुसाता रहा. जब अंडकोस तक लंड उसकी गान्ड में उतर गया तो मैने कहा, "अरे वाह कोयल. तूने तो पूरा ले लिया गान्ड में हहेहहे."
"ऊओह मुझे ही पता है कैसे लिया है."कोयल ने कहा.
"बब्बन तू फैला कर रख इसकी गान्ड अब मैं इसे मारने जा रहा हूँ हहेहहे." मैने कहा
मैने कोयल की गान्ड मारनी सुरू कर दी. पूरा निकाल कर मैं वापिस अंदर डाल रहा था. कोयल अब मस्ती मे झूम रही थी. उसकी सिसकिया खेत में गूँज रही थी. बहुत देर तक मैं यू ही मारता रहा कोयल की गान्ड.
"अब बस भी कर मेरे हाथ थक गये हैं."बब्बन ने कहा.
"तू हट जा. अब मेरे लंड ने अच्छा रास्ता बना दिया है." मैने कहा और अपने लंड के धक्के लगाता रहा.
मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था. ये मज़ा किसी मायने में भी चूत से कम नही था. उस दिन मुझे आश्चर्य हुआ कि गान्ड मारने में भी इतना मज़ा आता है. कोयल की गान्ड बहुत टाइट थी. लंड बहुत मुस्किल से घुसा था उसमे और वो मेरे लंड को बहुत अच्छे से पकड़ रही थी. भीड़े रास्ते में लंड को घुमाने का अपना ही मज़ा है ये मैं जान गया था.
जब मज़ा बर्दस्त से बाहर हो गया तो मैने अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी और तेज तेज धक्के लगाते हुए कोयल की गान्ड को अपने पानी से भर दिया. जब मेरा पानी छूटा तो मैने पाया कि बब्बन बड़ी ललचाई नज़रो से कोयल की गान्ड को निहार रहा है. मैने कोयल की गान्ड से लंड बाहर निकाल लिया. मेरे निकालते ही बब्बन ने एक ही झटके में अपना लंड कोयल की गान्ड में डाल दिया. उसने भी थोड़ी देर में अपना पानी कोयल की गान्ड में छ्चोड़ दिया.
इस तरह मुझे पहली बार गान्ड मारने का मोका मिला. पहली गान्ड की चुदाई मुझे हमेशा याद रहेगी.
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मैं डाइयरी पढ़ कर हटी तो मेरी हालत बहुत खराब हो रही थी. कब मेरी योनि गीली हो गयी थी मुझे पता ही नही चला था. मैं शरम और ग्लानि से भर गयी थी.
"वहाँ से सेक्स करता है क्या कोई छी. ये देहाती सच में बहुत गंदा है."
मैं फॉरन बिस्तर से उठी और उठ कर डाइयरी को वापिस टाय्लेट में रख आई.
मैं वापिस कमरे में आई तो अंजाने में ही मेरे हाथ मेरे नितंबो पर चले गये. "क्या इन्हे सेक्स के लिए यूज़ कर सकते हैं. गगन से बात करूँगी इस बारे में. मुझे तो ये बहुत गंदी और भद्दी बात लगती है"
...........चाचा की डाइयरी में अनल सेक्स के बारे में पढ़ कर मन में अजीब सी हलचल हो रही थी. अचानक मन में ख्याल आया कि अगर गगन ने कभी मेरे साथ अनल सेक्स करने की कॉसिश की तो क्या मैं उन्हे करने दूँगी?
मेरे पास इस सवाल का कोई जवाब नही था. गगन सेक्स के दौरान मेरे नितंबो के गुम्बदो से खूब खेलते थे और उन्हे भरपूर मसल्ते थे मगर अभी तक उन्होने कभी भी वहाँ अपना लिंग डालने की कॉसिश नही की थी. मगर जब भी गगन मेरे नितंब के गुम्बदो को मसल्ते थे तो मुझे बहुत अच्छा लगता था.
रात को मैने गगन से बातो बातो में पुछा,"गगन क्या कोई अनल सेक्स भी करता होगा"
"हां मेरा दोस्त राजीव खूब अनल सेक्स करता है अपनी बीवी के साथ उसकी मर्ज़ी के बिना और खुश हो कर बताता भी है इस बारे में.मुझे बिल्कुल पसंद नही अनल सेक्स क्योंकि वो मुझे गंदा लगता है और लड़कियों को पसंद भी नही आता क्योंकि बहुत पेनफुल रहता है. वैसे तुम ये सब क्यों पूछ रही हो."
"यू ही पूछ रही थी." मैने कहा.
"तुम डरो मत तुम्हे वो सब नही सहना पड़ेगा. मुझे अनल सेक्स बिल्कुल पसंद नही है." गगन ने कहा.
आगे मैने इस बारे में कोई बात नही की.
चाचा को 2 हफ्ते हमारे साथ ही रुकना था. डॉक्टर ने उन्हे 2 हफ्ते बाद फिर से बुलाया था. ये खबर मेरे लिए बहुत दुखदायी थी. मैं जल्द से जल्द चाचा को घर से दफ़ा कर देना चाहती थी. गगन के जाने के बाद मुझे उसकी हवस भरी निगाहों का सामना करना पड़ता था.
डाइयरी वो रोज टाय्लेट में ही छोड़ने लगा था. 3 दिन में मैने पूरी डायरी पढ़ ली. डायरी आधी भरी हुई थी. चौथे दिन जब मैने उत्सुकता में डाइयरी उठाई तो मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. मेरा सर घूमने लगा. चाचा ने मेरे बारे में लिख रखा था.