hotaks444
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नजीबा मेरी बगल में लेट गयी….उसने अपना सर मेरी चेस्ट पर रख लिया….और मेरी चेस्ट को सहलाते हुए बोली….”समीर कोई गड़बड़ तो नही होगी…? “
मेने फेस घुमा कर नजीबा की तरफ देखा….”क्या गड़बड़….”
नजीबा मेरी बात सुन कर शरमाने लगी…..”यही कि अगर मैं पेट से हो गयी तो….” मेने नजीबा की तरफ करवट बदली और उसके होंठो को चूमते हुए बोला….”कुछ नही होगा…मेरे पास प्रेगॅनेन्सी रोकने वाली टॅबलेट है….खा लेना”
नजीबा मेरी बात सुन कर फिर से शरमाने लगी….”अच्छा जी अगर टॅबलेट फैल हो गयी तो….” मेने उसकी तरफ करवट बदली और उसे अपनी बाहों में भर कर बोला… “तो क्या फिर मेरे बच्चे को जनम दे देना….” नजीबा ने मेरी चेस्ट पर मुक्का मारते हुए कहा…..”अच्छा जी अम्मी को क्या कहूँगी….”
“कह देना के समीर का बच्चा है…” नजीबा मेरी बात सुन कर फिर से शरमाते हुए मुस्कुराने लगी….हम एक दूसरे की तरफ मूह किए करवट के बल लेटे हुए थी….
मेरा मुरझाया हुआ लंड नजीबा की थाइस के बीच में रगड़ खा रहा था…जिसे महसूस करके नजीबा का बदन बीच-2 में कांप जाता…नजीबा की फुद्दि की गरमी से मेरा लंड कुछ ही पॅलो में फिर से खड़ा हो चुका था…पर में वैसे ही नजीबा को अपनी बाहों में लिए हुए लेटा रहा….नजीबा मुझसे ऐसे चिपकी हुई थी….कि हम दोनो के बीच में से हवा के गुजरने की भी जगह नही थी…नजीबा का बदन भट्टी की तरह दहक रहा था….नजीबा के बदन में कोई भी हलचल नही हो रही थी….मैं सोच रहा था कि, शायद नजीबा सो चुकी है…पर अचानक से नजीबा ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए मेरे लंड को मुट्ठी में भर लिया….और अपनी एक टाँग उठा कर मेरी कमर पर रखते हुए, मेरे लंड की कॅप को अपनी फुद्दि के सूराख पर सेट कर दिया…
जैसे ही मेरे लंड का कॅप नजीबा की फुद्दि के सूराख पर लगा, तो नजीबा की कमर ने जबरदस्त झटका खाया…..”उंह समीरर…..” नजीबा के मूह से मस्ती भरी आह निकल गये….उसने धीरे-2 अपनी कमर को मेरी तरफ पुश करते हुए, अपनी फुद्दि को मेरे लंड की कॅप पर दबाना शुरू किया तो, मेरे लंड का कॅप नजीबा की फुद्दि के सूराख को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा…मेने भी अपनी कमर को आगे की तरफ पुश क्या, तो नजीबा एक दम से मस्ती से सिसकते हुए मुझसे पागलो की तरह लिपट गयी….और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिलने लगी….मेरा लंड नजीबा की फुद्दि के अंदर बाहर होने लगा था….“आह, आह, आह, आह, ओह, समीर…..फक, आपका ये तो मुझे पागल कर देगा…..” नजीबा ने अब और तेज़ी से कमर हिलाते हुए सिसकारियाँ भरना शुरू कर दिया था….
और में भी अपनी कमर को और तेज़ी से हिलाते हुए उसके लय में लय मिला रहा था…” आइ’म सो हॅपी समीर, आइ’म सो हॅपी, आइ’म सो हॅपी, ओह फक मी… ओह मेरे खुदा… नजीबा एक दम मदहोश होकर सिसकारियाँ भर रही थी….उसकी सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी…
“नजीबा तुम सच में बहुत सेक्सी हो…..मुझे यकीन नही हो रहा….कि तुम मेरी बाहों में हो….”
मैं: ओह्ह्ह नजीबा…..प्लीज़ अपनी फुद्दि के पानी को मेरे लंड पर छोड़ो….…
नजीबा: रूको ख़ान सहाब, ये लो…जितना मरज़ी लो….ये फुद्दि भी आपकी है…और इसका पानी भी आपका है….
मैं: आहह नजीबा मेरा होने वाला है…..
नजीबा: हां कर लो ख़ान सहाब…….आपको नही पता आपको पाने के लिए मैं कितना तरसी हूँ….. मुझे और कस्के जफ्फि डालो ख़ान सहाब….मेरे जिस्म के हर हिस्से को रगाडो….मेरे जिस्म को प्यार करो समीर…ओह समीरररर आपकी बीवी ओह्ह आपकी नजीबा का काम भी होने वाला है…. सीईईईईई ओह समीर…
नजीबा का बदन बुरी तरह कँपने लगा….और वो तेज साँसे लेते हुए धीरे-2 शांत पड़ गयी….मेरा लंड भी दूसरी बार अपना लावा उगल चुका था…हम दोनो सर्द दिन में भी पसीने से तरबतर हो चुके थे….पर हम अभी भी एक दूसरे के होंठो को पागलो के तरह चूस रहे थे….करीब 10 मिनिट बाद हम नॉर्मल हुए तो, नजीबा बेड से नीचे उतर कर बाथरूम में चली गयी…और फिर थोड़ी देर बाद आकर अपने कपढ़े पहन कर मेरे पास आई और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली….”समीर अब में जाउ….?” नजीबा की आँखो में प्यार ही प्यार भरा हुआ था….मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया..और उसकी गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ते हुए बोला….
मैं: जाना ज़रूरी है क्या…..?
नजीबा: जाना तो पड़ेगा ही…स्कूल का टाइम ख़तम हो रहा है…अगर मुझे देर हुई तो कहीं मामी अम्मी को फोन नही कर दें….प्राब्लम हो जाएगी…..
मेने फेस घुमा कर नजीबा की तरफ देखा….”क्या गड़बड़….”
नजीबा मेरी बात सुन कर शरमाने लगी…..”यही कि अगर मैं पेट से हो गयी तो….” मेने नजीबा की तरफ करवट बदली और उसके होंठो को चूमते हुए बोला….”कुछ नही होगा…मेरे पास प्रेगॅनेन्सी रोकने वाली टॅबलेट है….खा लेना”
नजीबा मेरी बात सुन कर फिर से शरमाने लगी….”अच्छा जी अगर टॅबलेट फैल हो गयी तो….” मेने उसकी तरफ करवट बदली और उसे अपनी बाहों में भर कर बोला… “तो क्या फिर मेरे बच्चे को जनम दे देना….” नजीबा ने मेरी चेस्ट पर मुक्का मारते हुए कहा…..”अच्छा जी अम्मी को क्या कहूँगी….”
“कह देना के समीर का बच्चा है…” नजीबा मेरी बात सुन कर फिर से शरमाते हुए मुस्कुराने लगी….हम एक दूसरे की तरफ मूह किए करवट के बल लेटे हुए थी….
मेरा मुरझाया हुआ लंड नजीबा की थाइस के बीच में रगड़ खा रहा था…जिसे महसूस करके नजीबा का बदन बीच-2 में कांप जाता…नजीबा की फुद्दि की गरमी से मेरा लंड कुछ ही पॅलो में फिर से खड़ा हो चुका था…पर में वैसे ही नजीबा को अपनी बाहों में लिए हुए लेटा रहा….नजीबा मुझसे ऐसे चिपकी हुई थी….कि हम दोनो के बीच में से हवा के गुजरने की भी जगह नही थी…नजीबा का बदन भट्टी की तरह दहक रहा था….नजीबा के बदन में कोई भी हलचल नही हो रही थी….मैं सोच रहा था कि, शायद नजीबा सो चुकी है…पर अचानक से नजीबा ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए मेरे लंड को मुट्ठी में भर लिया….और अपनी एक टाँग उठा कर मेरी कमर पर रखते हुए, मेरे लंड की कॅप को अपनी फुद्दि के सूराख पर सेट कर दिया…
जैसे ही मेरे लंड का कॅप नजीबा की फुद्दि के सूराख पर लगा, तो नजीबा की कमर ने जबरदस्त झटका खाया…..”उंह समीरर…..” नजीबा के मूह से मस्ती भरी आह निकल गये….उसने धीरे-2 अपनी कमर को मेरी तरफ पुश करते हुए, अपनी फुद्दि को मेरे लंड की कॅप पर दबाना शुरू किया तो, मेरे लंड का कॅप नजीबा की फुद्दि के सूराख को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा…मेने भी अपनी कमर को आगे की तरफ पुश क्या, तो नजीबा एक दम से मस्ती से सिसकते हुए मुझसे पागलो की तरह लिपट गयी….और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिलने लगी….मेरा लंड नजीबा की फुद्दि के अंदर बाहर होने लगा था….“आह, आह, आह, आह, ओह, समीर…..फक, आपका ये तो मुझे पागल कर देगा…..” नजीबा ने अब और तेज़ी से कमर हिलाते हुए सिसकारियाँ भरना शुरू कर दिया था….
और में भी अपनी कमर को और तेज़ी से हिलाते हुए उसके लय में लय मिला रहा था…” आइ’म सो हॅपी समीर, आइ’म सो हॅपी, आइ’म सो हॅपी, ओह फक मी… ओह मेरे खुदा… नजीबा एक दम मदहोश होकर सिसकारियाँ भर रही थी….उसकी सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी…
“नजीबा तुम सच में बहुत सेक्सी हो…..मुझे यकीन नही हो रहा….कि तुम मेरी बाहों में हो….”
मैं: ओह्ह्ह नजीबा…..प्लीज़ अपनी फुद्दि के पानी को मेरे लंड पर छोड़ो….…
नजीबा: रूको ख़ान सहाब, ये लो…जितना मरज़ी लो….ये फुद्दि भी आपकी है…और इसका पानी भी आपका है….
मैं: आहह नजीबा मेरा होने वाला है…..
नजीबा: हां कर लो ख़ान सहाब…….आपको नही पता आपको पाने के लिए मैं कितना तरसी हूँ….. मुझे और कस्के जफ्फि डालो ख़ान सहाब….मेरे जिस्म के हर हिस्से को रगाडो….मेरे जिस्म को प्यार करो समीर…ओह समीरररर आपकी बीवी ओह्ह आपकी नजीबा का काम भी होने वाला है…. सीईईईईई ओह समीर…
नजीबा का बदन बुरी तरह कँपने लगा….और वो तेज साँसे लेते हुए धीरे-2 शांत पड़ गयी….मेरा लंड भी दूसरी बार अपना लावा उगल चुका था…हम दोनो सर्द दिन में भी पसीने से तरबतर हो चुके थे….पर हम अभी भी एक दूसरे के होंठो को पागलो के तरह चूस रहे थे….करीब 10 मिनिट बाद हम नॉर्मल हुए तो, नजीबा बेड से नीचे उतर कर बाथरूम में चली गयी…और फिर थोड़ी देर बाद आकर अपने कपढ़े पहन कर मेरे पास आई और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली….”समीर अब में जाउ….?” नजीबा की आँखो में प्यार ही प्यार भरा हुआ था….मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया..और उसकी गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ते हुए बोला….
मैं: जाना ज़रूरी है क्या…..?
नजीबा: जाना तो पड़ेगा ही…स्कूल का टाइम ख़तम हो रहा है…अगर मुझे देर हुई तो कहीं मामी अम्मी को फोन नही कर दें….प्राब्लम हो जाएगी…..