hotaks444
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मैने वेटर को बिल दिया….और हम दोनो बाहर आ गये….”शाह जी आज तो सच में बहुत ज़यादा हो गयी….” अहमद ने लड़खड़ा कर चलते हुए कहा…तो मैने उसे सहारा देकर रोड क्रॉस करवाई और फिर हम दोनो उस कोठी की तरफ चल पड़े… वहाँ पहुँच कर मैने धीरे से गेट खोल और फिर अंदर दाखिल होकर गेट बंद किया और कोठी के हॉल के मेन डोर पर पहुँचे तो, अहमद ने मुझे अपनी जेब से डोर की चाबी निकाल कर दी….क्योंकि अहमद इतने ज़यादा नशे मे था कि, वो चाबी भी नही लगा सकता था…मैने धीरे डोर खोला और हम दोनो अंदर दाखिल हुए….मैने अहमद को दीवार के साथ खड़ा किया और डोर को लॉक किया…
.”अब कहाँ जाना है…?” मैने अहमद को सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…तो अहमद ने सीढ़ियों की तरफ देख कर इशारा किया….मैं अहमद को सहारा देकर ऊपेर ले आया….”वो उस रूम में चलिए शाह जी..” अहमद ने धीरे से कहा…तो मैं उस रूम के पास पहुँचा और रूम खोल कर हम दोनो अंदर दाखिल हुए….मैने लाइट ऑन की और रूम का जायज़ा लिया…अंदर एक चारपाई पड़ी हुई थी….
जिस पर बिस्तर बिछा हुआ था…मैने अहमद को चारपाई पर बैठाया और धीरे से बोला.. “तुम कहाँ सोते हो….?” तो अहमद ने नशे में चूर आँखो से मुझे देखा और मुस्कुराते हुए बोला…”आप यहाँ सो जाओ….मेरा रूम वो वाला है….” अहमद ने डोर से बाहर एक रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा….” अच्छा तो क्या तुम्हारी मालकिन ऊपेर उस रूम में आती है तुम्हारे पास….”
मेरी बात सुन कर अहमद ने मुस्कुराते हुए हां में सर हिलाया और चारपाई पर लेट गया….उसकी आँखे नशे में बंद होती जा रही थी….मुझे पता था कि, अब वो जल्द ही सो जाएगा…..मैने अहमद के ऊपेर रज़ाई डाल डी….और गर्माहट मिलते ही थोड़ी देर में अहमद को गहरी नींद आ गयी….
तभी मुझे सीढ़ियों से किसी के ऊपेर चढ़ने की आवाज़ आई….तो मैने जल्दी से लाइट ऑफ की और रूम से बाहर आकर उस रूम को बाहर से लॉक कर दिया….अब ऊपेर हॉल में बेहद अंधेरा था…मैं वहाँ लगे हुए एक टेबल के पीछे छुप कर बैठ गया…और फिर मुझे अंधेरे मे एक साया सीढ़ियों से ऊपेर आता नज़र आया….सबीना ऊपेर आ चुकी थी…और ये वही वक़्त था….जब मुझे अपनी जिंदगी का सबसे बेखोप फैंसला लेना था…सबीना अंधेरे में बढ़ती हुई उसी रूम की तरफ जाने लगी….जिस तरफ अहमद ने इशारा किया था….मैने चेहरे पर रुमाल बाँधा…
और फिर जैसे ही सबीना उस रूम मे दाखिल हुई…मैं तेज़ी से टेबल से पीछे से निकल कर उस रूम में पहुँचा….इससे पहले कि सबीना को कुछ समझ आता.. मैने पीछे से उसे अपने बाज़ुओं में पकड़ लिया…और एक हाथ उसके मूह पर रख दिया… “मूह से आवाज़ बाहर नही आनी चाहिए…नही तो अंज़ाम बहुत बुरा होगा….” मैने धीरे से सरगोशी में सबीना के कान के पास अपने होंटो को लेजाकर कहा…और दूसरे हाथ से उसके नाइट गाउन के ऊपेर से उसके लेफ्ट मम्मे को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा…जो उसने उस वक़्त पहना हुआ था…
मेरी बात सुन कर सबीना ने मुझे हैरत से भरी नज़रों से देखा….और लड़खड़ाती हुई ज़ुबान में बोली…”आख़िर तुम हो कॉन….?” अब उसके चेहरे के हाव भाव बदल चुके थे…अब उसे इस बात की परवाह नही थी कि, मैं उसके मम्मों को बेदर्दी मसल रहा हूँ…अब वो इस सोच में डूबी हुई हैरानी और खोफ़ज़दा नज़रों से मेरी तरफ देख रही थी…और ये सोचने की कॉसिश कर रही थी कि, आख़िर मैं हूँ कॉन….मैने उसकी इस हालत का फ़ायदा उठाते हुए उसके मम्मे को दबाते हुए अपने रुमाल को चेहरे से हटा लिया….जैसे ही मैने अपने रुमाल को उतारा तो, मेरे चेहरे को देखते ही उसके चेहरे का रंग और उड़ गया…..
सबीना: समीर तुम….
मैं: हां मैं….तुमने क्या सोचा था कि, तुम अब्बू और मुझे बेवकूफ़ बनाती रहोगे और हम बनता रहेंगे…..
सबीना: ये क्या बदतमीज़ी है….छोड़ो मुझे….और तुम ये सब क्या कह रहे हो…अहमद कहाँ है….और तुम तुम यहाँ कैसे आए….
मैं: चुप साली सब बताता हूँ….पहले ये देख…..
मैने सबीना को छोड़ कर अपने जेब से अपना मोबाइल निकाला और वही वीडियो प्ले करके उसको दिखाए…जो उस दिन मैने उसके घर में बनाए थे…वीडियो देखते ही सबीना का रंग पीला जर्द पड़ गया….”अब बोल ये सब क्या है…तू अब्बू को धोखा दे रही है…और साली तुम उनसे निकाह करने के खवाब देख रही हो…अपने नौकर के साथ ये सब करते हुए तुम्हे शरम नही आती……
सबीना: लिसन समीर आइ आम वेरी सॉरी….मैने तुम्हारे अब्बू के साथ जो कुछ भी किया…मैं उसके लिए माफी मांगती हूँ….पर प्लीज़ समीर ये बात अपने अब्बू को ना बताना…मैं कही की नही रहूंगी….
मैं: मेरे हिसाब से ग़लती की सज़ा मिलती है….माफी नही….सबीना जी….(मैने रूम की लाइट ऑन करते हुए कहा…रूम की लाइट ऑन होते ही पूरे रूम में रोशनी फेल गयी..
मैने सबीना को कंधो से पकड़ घुमा कर दीवार से लगा दिया….”आख़िर तुम चाहते क्या हो…...”सबीना ने हैरत और खोफ़ज़दा नज़रों से मुझे देखते हुए कहा….तो मैने उसके नाइट गाउन के रिब्बन को खोलना शुरू कर दिया…जिसको पेट पर बाँधा जाता है….और जैसे ही मैने उसके गाउन के रिब्बन को खोला तो, उसके नाइट गाउन के दोनो तरफ के पल्ले उसके मम्मों से हट गये….और उसके 38 साइज़ के बड़े-2 मम्मे बाहर मेरी नज़रों के सामने आ गये….”रुक जाओ समीर अहह तुम आह क्या कर रहे हो….मैं कहती हूँ अभी भी वक़्त है छोड़ दो प्लीज़ जाने दो समीर…..कही तुम्हारे अब्बू ऊपेर ना आ जाएँ…” सबीना ने अपने आप को मुझसे छुड़ाने की कॉसिश करते हुए कहा….
मैने वेटर को बिल दिया….और हम दोनो बाहर आ गये….”शाह जी आज तो सच में बहुत ज़यादा हो गयी….” अहमद ने लड़खड़ा कर चलते हुए कहा…तो मैने उसे सहारा देकर रोड क्रॉस करवाई और फिर हम दोनो उस कोठी की तरफ चल पड़े… वहाँ पहुँच कर मैने धीरे से गेट खोल और फिर अंदर दाखिल होकर गेट बंद किया और कोठी के हॉल के मेन डोर पर पहुँचे तो, अहमद ने मुझे अपनी जेब से डोर की चाबी निकाल कर दी….क्योंकि अहमद इतने ज़यादा नशे मे था कि, वो चाबी भी नही लगा सकता था…मैने धीरे डोर खोला और हम दोनो अंदर दाखिल हुए….मैने अहमद को दीवार के साथ खड़ा किया और डोर को लॉक किया…
.”अब कहाँ जाना है…?” मैने अहमद को सरगोशी से भरी आवाज़ में कहा…तो अहमद ने सीढ़ियों की तरफ देख कर इशारा किया….मैं अहमद को सहारा देकर ऊपेर ले आया….”वो उस रूम में चलिए शाह जी..” अहमद ने धीरे से कहा…तो मैं उस रूम के पास पहुँचा और रूम खोल कर हम दोनो अंदर दाखिल हुए….मैने लाइट ऑन की और रूम का जायज़ा लिया…अंदर एक चारपाई पड़ी हुई थी….
जिस पर बिस्तर बिछा हुआ था…मैने अहमद को चारपाई पर बैठाया और धीरे से बोला.. “तुम कहाँ सोते हो….?” तो अहमद ने नशे में चूर आँखो से मुझे देखा और मुस्कुराते हुए बोला…”आप यहाँ सो जाओ….मेरा रूम वो वाला है….” अहमद ने डोर से बाहर एक रूम की तरफ इशारा करते हुए कहा….” अच्छा तो क्या तुम्हारी मालकिन ऊपेर उस रूम में आती है तुम्हारे पास….”
मेरी बात सुन कर अहमद ने मुस्कुराते हुए हां में सर हिलाया और चारपाई पर लेट गया….उसकी आँखे नशे में बंद होती जा रही थी….मुझे पता था कि, अब वो जल्द ही सो जाएगा…..मैने अहमद के ऊपेर रज़ाई डाल डी….और गर्माहट मिलते ही थोड़ी देर में अहमद को गहरी नींद आ गयी….
तभी मुझे सीढ़ियों से किसी के ऊपेर चढ़ने की आवाज़ आई….तो मैने जल्दी से लाइट ऑफ की और रूम से बाहर आकर उस रूम को बाहर से लॉक कर दिया….अब ऊपेर हॉल में बेहद अंधेरा था…मैं वहाँ लगे हुए एक टेबल के पीछे छुप कर बैठ गया…और फिर मुझे अंधेरे मे एक साया सीढ़ियों से ऊपेर आता नज़र आया….सबीना ऊपेर आ चुकी थी…और ये वही वक़्त था….जब मुझे अपनी जिंदगी का सबसे बेखोप फैंसला लेना था…सबीना अंधेरे में बढ़ती हुई उसी रूम की तरफ जाने लगी….जिस तरफ अहमद ने इशारा किया था….मैने चेहरे पर रुमाल बाँधा…
और फिर जैसे ही सबीना उस रूम मे दाखिल हुई…मैं तेज़ी से टेबल से पीछे से निकल कर उस रूम में पहुँचा….इससे पहले कि सबीना को कुछ समझ आता.. मैने पीछे से उसे अपने बाज़ुओं में पकड़ लिया…और एक हाथ उसके मूह पर रख दिया… “मूह से आवाज़ बाहर नही आनी चाहिए…नही तो अंज़ाम बहुत बुरा होगा….” मैने धीरे से सरगोशी में सबीना के कान के पास अपने होंटो को लेजाकर कहा…और दूसरे हाथ से उसके नाइट गाउन के ऊपेर से उसके लेफ्ट मम्मे को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा…जो उसने उस वक़्त पहना हुआ था…
मेरी बात सुन कर सबीना ने मुझे हैरत से भरी नज़रों से देखा….और लड़खड़ाती हुई ज़ुबान में बोली…”आख़िर तुम हो कॉन….?” अब उसके चेहरे के हाव भाव बदल चुके थे…अब उसे इस बात की परवाह नही थी कि, मैं उसके मम्मों को बेदर्दी मसल रहा हूँ…अब वो इस सोच में डूबी हुई हैरानी और खोफ़ज़दा नज़रों से मेरी तरफ देख रही थी…और ये सोचने की कॉसिश कर रही थी कि, आख़िर मैं हूँ कॉन….मैने उसकी इस हालत का फ़ायदा उठाते हुए उसके मम्मे को दबाते हुए अपने रुमाल को चेहरे से हटा लिया….जैसे ही मैने अपने रुमाल को उतारा तो, मेरे चेहरे को देखते ही उसके चेहरे का रंग और उड़ गया…..
सबीना: समीर तुम….
मैं: हां मैं….तुमने क्या सोचा था कि, तुम अब्बू और मुझे बेवकूफ़ बनाती रहोगे और हम बनता रहेंगे…..
सबीना: ये क्या बदतमीज़ी है….छोड़ो मुझे….और तुम ये सब क्या कह रहे हो…अहमद कहाँ है….और तुम तुम यहाँ कैसे आए….
मैं: चुप साली सब बताता हूँ….पहले ये देख…..
मैने सबीना को छोड़ कर अपने जेब से अपना मोबाइल निकाला और वही वीडियो प्ले करके उसको दिखाए…जो उस दिन मैने उसके घर में बनाए थे…वीडियो देखते ही सबीना का रंग पीला जर्द पड़ गया….”अब बोल ये सब क्या है…तू अब्बू को धोखा दे रही है…और साली तुम उनसे निकाह करने के खवाब देख रही हो…अपने नौकर के साथ ये सब करते हुए तुम्हे शरम नही आती……
सबीना: लिसन समीर आइ आम वेरी सॉरी….मैने तुम्हारे अब्बू के साथ जो कुछ भी किया…मैं उसके लिए माफी मांगती हूँ….पर प्लीज़ समीर ये बात अपने अब्बू को ना बताना…मैं कही की नही रहूंगी….
मैं: मेरे हिसाब से ग़लती की सज़ा मिलती है….माफी नही….सबीना जी….(मैने रूम की लाइट ऑन करते हुए कहा…रूम की लाइट ऑन होते ही पूरे रूम में रोशनी फेल गयी..
मैने सबीना को कंधो से पकड़ घुमा कर दीवार से लगा दिया….”आख़िर तुम चाहते क्या हो…...”सबीना ने हैरत और खोफ़ज़दा नज़रों से मुझे देखते हुए कहा….तो मैने उसके नाइट गाउन के रिब्बन को खोलना शुरू कर दिया…जिसको पेट पर बाँधा जाता है….और जैसे ही मैने उसके गाउन के रिब्बन को खोला तो, उसके नाइट गाउन के दोनो तरफ के पल्ले उसके मम्मों से हट गये….और उसके 38 साइज़ के बड़े-2 मम्मे बाहर मेरी नज़रों के सामने आ गये….”रुक जाओ समीर अहह तुम आह क्या कर रहे हो….मैं कहती हूँ अभी भी वक़्त है छोड़ दो प्लीज़ जाने दो समीर…..कही तुम्हारे अब्बू ऊपेर ना आ जाएँ…” सबीना ने अपने आप को मुझसे छुड़ाने की कॉसिश करते हुए कहा….