Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 28 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

तभी मुझे अहसास हुआ कि आसिफ़ अब सो चुका है….उसके मूह से मेरा निपल बाहर आ चुका था….पर मैं हवस मे इतनी जल रही थी कि, मेने उसको अपने ऊपेर से उतारे बिना ही अपनी फुद्दि मे उंगली को अंदर बाहर करना जारी रखा…मैं धीरे-2 फारिघ् होने की ओर बढ़ रही थी….मेरी सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी….तभी आसिफ़ जो मेरे ऊपेर लेटा हुआ था….एक दम से लूड़क कर बेड पर गिर गया…..और उसकी आवाज़ सुन कर और बेड हिलने के कारण जो आवाज़ हुई उससे हस्शाद एक दम से जाग गया..

और जागते ही उसने रोना शुरू कर दिया….बेड काफ़ी हिला था….मैं हड़बड़ा गयी…जब मुझे हालात का अहसास हुआ तो, देखा कि हस्शाद रो रहा था….मैं बहुत ज़्यादा फ्रस्टरेटेड हो गये…..मैं हस्शाद की तरफ गयी…और उसे दूध पिला कर सुला दिया….मैं सुलग रही थी जल रही थी….पर अब मैं कुछ भी नही कर सकती थी…..सारी रात करवटें बदल-2 कर गुज़ारी…
 
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अगली सुबह उठ कर मैने घर के सारे काम किया रीदा आसिफ़ और बसीर को तैयार करके स्कूल भेजा….और फिर से घर के कामो मे लग गये…घर के सारे काम निपटा कर मैं अपने रूम मे आकर बैठी ही थी कि, मेरी सास मेरी रूम मे आई…और मुझसे बोली..कि चलो पीसीओ से फोन करके मेरी जेठानी के अम्मी के खबर सार ले लेते है… मैने हस्शाद को उठाया और अपनी सास के साथ पीसीओ पर चली गयी…जब फोन किया तो, और जेठानी से मेरी बात हुई तो पता चला कि, अब उसकी अम्मी की तबीयत पहले से बहतर है…और परसो तक वापिस आ जाएँगी…

जेठानी से बात करने के बाद हम घर वापिस आ गये….दोपहर को आसिफ़ रीदा और बसीर स्कूल से वापिस आ गये…मैने उनको खाना खिलाया और फिर स्कूल का होम वर्क करने के बाद तीनो सहन मे खेलने लगे…मैं अपने रूम में आकर लेट गयी.. फिर पता नही चला कब आँख लग गयी….शाम के 4 बजे मुझे मेरी सास ने आकर उठाया और भैंसो का दूध निकालने का कहा…तो मैने हस्शाद को अपने सास को पकड़ाया और उठ कर भैंसो वाले कमरे की तरफ चली गयी…जो हमारे घर मे एक साइड पर थोड़ा फाँसले पर था…उस तरफ जाते हुए मेरी नज़र आसिफ़ पर पड़ी,….

जो कमरे से आँखे मलता हुआ बाहर निकल रहा था…शायद वो अभी अभी सो कर उठा था…मैने उसकी तरफ देख कर मुस्कराते हुए कहा…”हो गयी नींद पूरी….” तो उसने मुस्करा कर हां मे सर हिला दिया…और मेरे हाथ मे पानी की बालटी देख कर बोला..”चाची जी कहाँ जा रही हो….?’

मैं: दूध निकालने जा रही हूँ आजा..

आसिफ़ भी मेरे पीछे आ गया….मैने बालटी नीचे रखी और दूसरी बालटी उठाई जिसमे भैंस को पानी पिलाते थी….मैने उस बालटी को भर कर भैंस के सामने रखा और आसिफ़ को बोला कि वो भैंस के बछड़े को खोल दे…जैसे ही आसिफ़ ने भैंस के बछड़े को खोला और बछड़ा रस्सी छुड़वा कर सीधा भैंस के थनो के नीचे आ गया… और दूध पीने लगा….मैने देखा कि आसिफ़ बड़े गोर से बछड़े को दूध पीता हुआ देख रहा था…”हूँ क्या देख रहे हो….” मैने मुस्कराते हुए पूछा….तो आसिफ़ ने चोंक कर मेरी तरफ देखा और ना मे सर हिला दिया…पर बोला कुछ नही….

“तुमने भी पीना है दूध….” मैने फिर से आसिफ़ को छेड़ते हुए कहा….तो आसिफ़ ने फिर से ना मैं हिला दिया…मैं आसिफ़ के पास गयी और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली….”हुम्म्म मुझे अब तुम्हे अपना दूध नही पिलाना….” आसिफ़ ने मेरी बात सुन कर फिर से चोंक कर मेरी तरफ देखा और एक दम से बोला….”क्यों….” 

मैं: वो इस लिए कल तुमने पूरा दूध नही पिया था…दूध पीते-2 सो गये थे….

आसिफ़: नही चाची जी आज नही सोउन्गा…

उसने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा..”तुम्हारा दिल कर रहा है दूध पीने का…” मैने आसिफ़ के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा….तो उसने मेरी तरफ देखते हुए हां मैं सर हिला दिया….मैने बछड़े की रस्सी पकड़ कर उसने खेंच कर फिर से बाँध दिया….और फिर कमरे के दरवाजे पर जाकर बाहर का ज़ायज़ा लिया…और फिर से अंदर आ गयी….”रीदा और बसीर कहाँ है…” मैने आसिफ़ के नज़दीक जाकर पूछा… “वो सो रहे है….” आसिफ़ ने जैसे ही मुझे बताया कि वो दोनो सो रहे है तो, मुझे इतमीनान हो गया….मैने जल्दी से अपनी कमीज़ ऊपेर की और अपने एक मम्मे को अपनी ब्रा से बाहर निकाला और आसिफ़ के सर को पकड़ कर जल्दी से उसके फेस को अपने मम्मे के करीब करते हुए कहा…”चलो जल्दी करो आसिफ़ कोई आ ना जाए…”

आसिफ़ तो जैसे मेरे ही ऑर्डर के वेट कर रहा था….उसने फॉरन ही मेरे मम्मे को मूह में लेकर सक करना शुरू कर दिया….उसके गरम मूह और ज़ुबान को अपने निपल पर महसूस करके मैं एक दम मदहोश होने लगी थी…अभी कुछ देर ही हुई थी कि, मुझे बाहर से किसी चीज़ के गिरने की आवाज़ आई….जिसे सुन कर मैं एक दम से घबरा गयी….मैने जल्दी से आसिफ़ को पीछे किया और अपने मम्मे को ब्रा के अंदर करके कमीज़ नीचे की…और फिर मैने दरवाजे पर जाकर देखा तो, बाहर बहुत तेज हवा चल रही थी….और बाहर सहन में पड़ी प्लास्टिक की बालटी गिरी हुई थी….तभी मुझे मेरी सास अपने रूम से बाहर निकल कर अपनी तरफ आती हुई नज़र आई…

मैं जल्दी से वहाँ से हट कर दूध निकालने लगी….सास भी वही आ गयी… और उसके बाद कुछ ख़ास ना हुआ….शाम ऐसे ही ढल गयी….शाम से ही बड़ी तेज हवा चल रही थी….बादलो ने आसमान को घेर रखा था….हस्शाद को मेरे ससुर ने पकड़ रखा था…और मैं और मेरी सास रात का खाना बना रहे थे….सब को खाना खिलाने के बाद मैं खुद किचन में ही बैठ कर खाना खाने लगी…अभी मैने खाना शुरू ही किया था की, बसीर हस्शाद को उठाए हुए किचन मे दाखिल हुआ और मुझसे बोला….”चाची हस्शाद रो रहा है….” मैने बसीर से हस्शाद को लिया और उसे दूध पिलाते हुए खाना खाने लगी….बसीर बाहर चला गया…

और थोड़ी देर बाद सारे झूठे बर्तन उठा कर वापिस ले आया…बर्तन रख कर वो कुछ पल वही खड़ा रहा…तभी अचानक मेरा ध्यान बसीर की तरफ पड़ा….जो एक टक मेरे मम्मे को घुरे जा रहा था…बसीर आसिफ़ से उम्र मे 4 साल बड़ा था…उस वक़्त वो 8थ क्लास मे था….जब मैने ये बात नोट की तो, तब उसे भी अहसास हो गया कि, मैने उसके चोरी पकड़ ली है..तो वो इधर उधर देखने लगा…खाना खाने के बाद मेने बसीर को कुछ देर हाशिद के साथ खेलने के लिए कहा…क्योंकि हाशिद भी उस समय जाग रहा था….और मुझे बर्तन सॉफ करने थे….

उस रात अचानक से ठंड और बढ़ गयी थी….किचन मे भी ठंड लग रही थी….“बसीर बाहर बहुत ठंड है….तुम हाशिद को रूम मे लेजाओ….और उसके साथ रज़ाई मे बैठो….” मेने किचन से आवाज़ लगाते हुए कहा…”जी चाची…..” बसीर हाशिद को लेकर मेरे रूम मे चला गया…मेने जल्दी से बर्तन धोए….और जैसे ही मैं किचन से बाहर जाने लगी तो…

बाहर तेज बारिश शुरू हो गये थी….तभी लाइट भी चली गयी…..बाहर तेज हवा चलने और बारिश होने की आवाज़ आ रही थी….मेने लालटेन जलाई और जल्दी से अपने सास ससुर के रूम मे गये….और आसिफ़ को कहा कि वो कहानी सुन कर मेरी रूम मे आकर सो जाए……जब मैं रूम मे पहुँची तो देखा बसीर बेड पर पीठ के बल लेटा हुआ था….और हाशिद सो चुका था…मुझे देखते ही बसीर रज़ाई से बाहर निकला और बेड से नीचे उतर गया….”चाची जी मैं अब जाउ…” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा…

मैं: हां जाओ बसीर…..

मेने टेबल पर लालटेन रखी, और बेड पर बैठ गयी….

मैं रज़ाई मे घुस्स गयी….अभी थोड़ी देर ही हुई थी कि डोर पर नॉक हुई…मेने उठ कर डोर खोला तो सामने आसिफ़ खड़ा था…वो अंदर आकर बेड पर बैठ गया…
 
मैने डोर को अंदर से कुण्डी लगाई और बेड पर लेट गयी…..”आसिफ़ लालटेन बंद कर दो….” मैने आसिफ़ की ओर देखते हुए कहा….तो आसिफ़ ने उठ कर लालटेन बंद कर दी….और फिर बेड पर आकर लेट गया….बाहर बारिश बंद हो गयी थी…आसिफ़ खामोशी से लेटा हुआ था….और रूम मे एक दम घुप अंधेरा छाया हुआ था.. “आसिफ़….” जब काफ़ी देर तक आसिफ़ कुछ ना बोला तो, मैने उसका नाम पुकारा…

आसिफ़: जी चाची जी….

मैं: आज दूध नही पीना….

आसिफ़: पीना है…(आसिफ़ ने धीरे से कहा….)

मैं: अच्छा तो मेरे करीब आओ..इतनी दूर होकर क्यों लेटे हो…..

आसिफ़: चाची मुझे पेशाब करने जाना है…

मैं: आसिफ़ तुम भी ना फिर लालटेन क्यों बंद कर दी….पहले कर आते…अब लालटेन जलाने के लिए किचन मे जाना पड़ेगा….

आसिफ़: नही चाची जी मैं ऐसे ही चला जाउन्गा….

मैं: अच्छा जा कर आओ….

आसिफ़ उठ कर बाहर चला गया….रूम मे घुप अंधेरा था….बाहर फिर से बादल गरजे और बारिश शुरू हो गयी….मेरा मन बड़ा बेचैन सा हो रहा था… थोड़ी देर बाद मुझे कदमो की आहट सुनाई दी…”आ गये आसिफ़….चलो डोर को अंदर से लॉक कर दो….” मेने बेड पर रज़ाई के अंदर लेटते हुए कहा….जैसे ही मुझे डोर बंद होने की आवाज़ आई….मेने बेड पर लेटे -2 ही अपनी कमीज़ को ऊपेर करके अपने दोनो मम्मों को बाहर निकाल लिया…

आसिफ़ के बेड पर चढ़ने से पहले ही मैने अपनी टाँगो को उठा कर अपनी शलवार के इलास्टिक को पकड़ कर अपनी टाँगो से निकाल कर रख दिया था..…ताकि आसिफ़ को अपने मम्मों को चुस्वाते हुए मैं अपनी फुद्दि को मसल सकूँ….फिर जैसे ही वो बेड पर आया…मेने उसे रज़ाई के अंदर लेते हुए, उसे अपने ऊपेर लेटा लाया….फिर उसके सर को दोनो हाथों से पकड़ते हुए अपनी मम्मों पर झुका दिया….और अगले ही पल उसने मेरे मम्मों को मूह मे भर कर सक करना शुरू कर दिया….

“अहह श्िीीईईईईईई उंह……” मुझे आज आसिफ़ के होंटो का दबाव अपनी मम्मों पर पहले से कही ज़्यादा महसूस हो रहा था…जैसे ही उसने मेरे मम्मे को चूसना शुरू किया….मेरा पूरा बदन एक दम से थरथरा गया….मुझे थोड़ा अजीब तो लगा…..पर फिर ये सोचा शायद अब आसिफ़ पहले की तरह झिझक नही रहा है….इसकी वजह से आसिफ़ कुछ ज़यादा ही ज़ोर से मेरे मम्मे को चूस रहा था…

पर जो भी था….मुझे पहले से कई गुना ज़्यादा मज़ा आ रहा था….मेने उसके बालो को सहलाते हुए, उसके माथे को चूमा…वो पूरे जोश के साथ मेरे मम्मे को चूस रहा था….और मुझे अपने निपल से पूरी रफ़्तार से दूध बाहर निकलता हुआ महसूस होने लगा…मैं एक दम मदहोश हो चुकी थी…तभी मुझे अहसास हुआ कि, आसिफ़ ने अपना एक हाथ मेरे दूसरे मम्मे पर रख दिया है…

मेरी तो मस्ती का कोई ठिकाना ही नही रहा….जब उसने मेरे एक मम्मे को चूस्ते हुए दूसरे मम्मे को मसलना शुरू कर दिया….क्योंकि पिछले कल से मैं खुद ही उसके हाथ को पकड़ कर अपने मम्मे पर रख कर दबवाने लगती थी….इसीलिए मेने कुछ ज़्यादा ना सोचा…नीचे मेरी फुद्दि इस कदर पानी बहा रही थी….जैसे किसी नदी मे बाढ़ आ गयी हो….मेने अपने हाथ को नीचे लेजाते हुए, अपनी फुद्दि के लिप्स के बीच मे रख कर देखा तो….मेरी फुद्दी लैस्दार पानी से भीगी हुई थी….

मेने अपनी फुद्दि को लिप्स को तेज़ी से मसलना शुरू कर दिया…मैं इतनी मदहोश हो चुकी थी….मुझे कुछ पता नही चल रहा था कि, क्या हो रहा है…आसिफ़ ने मेरे दूसरे मम्मे को मूह मे भर लिया था…और पहले वाले मम्मे को दबाना शुरू कर दिया था….तभी उसका हाथ मेरे उस हाथ से टकराया…जिससे मैं अपनी फुद्दि को मसल रही थी…मैं एक पल लिए रुक गयी…फिर सोचा कि शायद मैं अपनी फुद्दि को मसलते हुए कुछ ज़्यादा ही हिल रही हूँ….तो शायद इस लिए आसिफ़ ने अपना हाथ नीचे कर के देखना चाहा हो कि मैं इतना हिल क्यों रही हूँ…

और फिर जैसे ही उसके नरम हाथों ने मेरी फुद्दि लिप्स को छुआ, तो मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे बदन मे करेंट दौड़ गया हो….मैने वासना की आग मे आकर उसके हाथो को पकड़ लिया और उसके हाथ को अपनी फुद्दि पर रगड़ने लगी…उसने भी मेरी फुद्दि के लिप्स को मसलना शुरू कर दिया….मैं एक दम मस्त हो चुकी थी… मैं सोच रही थी, कि काश हाशिद के पापा यहाँ होते तो, मैं आज सारी रात उनके लंड को अपनी फुद्दि से बाहर ही ना निकालने देती….

मेने अपने हाथ को ऊपेर किया और दोनो हाथों से उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया….उसका हाथ पूरी तेज़ी से मेरी फुद्दि के लिप्स को मसल रहा था….मैं मस्ती के सागर मे गोते खाते हुए, सिसकारियाँ भर रही थी…”अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह आसिफ़ मेरे बच्चे अहह श्िीीईईईईईई हाई…..तभी कोई गरम सी चीज़ मेरी फुद्दि को लिप्स को फेलाते हुए मेरी फुद्दि के सूराख पर आ लगी…मेरे पूरे बदन मे तेज सनसनी दौड़ गयी…..दिल की धड़कने एक दम से बढ़ गयी….और अगले ही पल उसने एक जबरदस्त धक्का मारा…मेरा पूरा बदन उसके धक्के के साथ हिल गया…
 
Mera pyaar meri souteli maa our behan
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और वो सख़्त से मोटी गर्म रोड के जैसी चीज़ मेरी फुद्दि के सूराख को फेलाती हुई अंदर घुस गयी…इससे पहले कि मैं कुछ सोच या समझ पाती…”हहान की आवाज़ के साथ उसने एक और ज़ोर दार धक्का मारा…और वो चीज़ मेरी फुद्दि की दीवारो को रगड़ती हुई फुद्दि की गहराइयों मे उतर गयी…मस्ती की तेज लहर मेरे जिस्म को झींझोड़ गयी…अब तब तक मैं समझ गयी थी कि, वो ऊपेर लेटा हुआ लड़का आसिफ़ नही बसीर है…

पर उसके लंड की रगड़ को अपनी फुद्दि की अन्द्रूनी दीवारों पर महसूस करके मैं इतनी गरम हो गयी थी कि, मैं कुछ बोलने की कॉसिश भी नही कर पा रही थी…वो कुछ पलों के लिए रुका….और फिर मेरे मम्मे को मूह से बाहर निकाल कर मेरी नेक पर अपने होंटो को रगड़ने लगा……”क क कॉन बसीर तुम हो क्या….” मैं अजीब से हालात मे फँस गयी थी…..”हां चाची जी मैं हूँ…..” उसने उखड़ी हुई सांसो से कहा…..”ये ये तुम क्या आह ओह बसीर ओह नही ये ये ये ग़लत है आह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” मेने जैसे ही उसे रोकना चाहा….उसने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….मेरी गीली फुद्दि मे उसका लंड फिसलता हुआ अंदर बाहर होने लगा था….उसके लंड की रगड़ को अपनी फुद्दि की दीवारो मे महसूस करके मैं एक दम से मदहोश होती चली गयी….

करीब एक साल बाद फुद्दि मे लंड लेने के कारण मैने अपने हथियार डाल दिए…बसीर ने अपनी दोनो बाहों को नीचे लेजाते हुए, मेरी टाँगो के घुटनो के नीचे से डालते हुए मेरी टाँगो को ऊपेर उठाने की कॉसिश करना शुरू कर दिया… “अह्ह्ह्ह चाची जी प्लीज़ अपनी टाँगे थोड़ा उठा लो ना….” ये सब करते हुए भी वो अपना लंड लगतार मेरी फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था….भले ही उसके लंड की लंबाई मेरे शोहार के लंड के बराबर ही थी….

पर उसके लंड की मोटाई मेरे शोहार के लंड से कही ज़यादा थी…जिसके कारण मुझे अपनी फुद्दि उसके लंड पर बेहद कसी हुई महसूस हो रही थी….और उसके लंड की रगड़ मुझे अपनी फुद्दि पर उससे कही ज़्यादा महसूस हो रही थी….जब हाशिद के पापा मुझे चोदते थे…..शायद इसी कारण मैं बेहद गरम हो गयी थी….”ना नही बसीर ये ये ये सब ठीक नही है…..” मेने उखड़ी हुई काँपती आवाज़ मे कहा….उसने एक ज़ोर दार धक्का मार कर अपना लंड जड तक मेरी फुद्दि मे घुसा दिया…और वही रुक कर बोला….” तो जो आप आसिफ़ के साथ कर रही थी वो ठीक है क्या….? बसीर की बात सुन कर मैं एक दम घबरा गयी…..”क क क्या मैने उसके साथ क्या किया है….”

बसीर: बनो मत चाची मैने आज शाम को खुद भैंस वाले कमरे मे तुम्हे आसिफ़ को अपने मम्मे चुस्वाते हुए देखा था…जब मैने आसिफ़ से पूछा तो उसने मुझे डर के मारे सब कुछ बता दिया है…. अब उसे अपने पास सुलाने के बहाने उसे अपना दूध पिलाना चाहती हो….”

मैं: पर आसिफ़ कहाँ है…

बसीर: वो अब्बा जी के पास सो गया है….

आसिफ़: चाची प्लीज़ कुछ नही होता अपनी टाँगे उठा लो….और मज़े करो….

मैं: नही बसीर नही मुझसे नही होगा ये सब ग़लत है….(मेने अपनी आख़िर कॉसिश करते हुए कहा….)

बसीर: देखो चाची मैं जानता हूँ कि, तुम्हे लंड चाहिए…जो मेरे पास है…ये बात हम दोनो के बीच मे रहेगी….आसिफ़ तो अभी बहुत छोटा है…इसीलिए वो आपका ये राज़ छुपा ना रख सका..नादान है वो….प्लीज़ उठा लो ना…..

उसने अपने लंड को कॅप तक मेरी फुद्दि से बाहर निकाला और कस कस के तीन चार शॉट ऐसे लगाए कि, मेरा पूरा बदन हिल गया….थप-2 की आवाज़ पूरे रूम मे गूँज गयी….इतने जबरदस्त धक्के हाशिद के अब्बू ने भी कभी नही लगाए थी….सेक्स क्या होता है चुदाई क्या होती है…ये तो आज मुझे पता चल रहा था….उसके इन तीन-2 चार धक्कों ने तो जैसे मेरी फुद्दि मे सुरंग ही खोद डाली थी…इतना पानी मेरी फुद्दि से निकल रहा था कि,

मुझे अपनी बुन्द के द्वार मे वो लैस्दार चिप चिपा पानी सॉफ महसूस हो रहा था….”अह्ह्ह्ह अब्ब्ब उठा भी लो चाची जान…..” उसने फिर से धीरे-2 अपने लंड को फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा…मैं भी अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी…मेरी टाँगे खुद ब खुद ऊपेर उठने लगी थी….उसने मेरी टाँगो को घुटनो से मोड़ दिया…अब मेरी टाँगो के घुटने मेरे मम्मों पर दबाए हुए थी….

बसीर ने मेरे घुटनो को पकड़ कर धक्के लगाने शुरू कर दिए….उसका लंड कॅप तक मेरी फुद्दि से बाहर आता और फिर से मेरी फुद्दि की गहराइयों मे समा जाता…उसका लंड भी मेरी फुद्दि के पानी से भीग चुका था…हर बार जब उसका लंड मेरी फुद्दि मे घुसता तो मेरी फुद्दि से निकले लैस्दार पानी की वजह से पक-2 की आवाज़ आती….

मुझे यकीन नही हो रहा था कि, मैं अपने इस छोटे से भतीजे से कैसे अपनी फुद्दि चुदवा रही हूँ….तभी अचानक से रूम मे चारो ओर रोशनी फेल गयी…बसीर अपने साथ टॉर्च लेकर आया था….जो मेरे जेठ जी आर्मी के कॅंप से लेकर आए थी…..अब मैं उसकी आँखो के सामने अपनी टाँगे उठाए हुए लेटी थी…और जैसे ही मुझे इस बात का अहसास हुआ तो मैं एक दम से शरामशार हो गयी….मेने अपनी बाहों से अपनी मम्मों को ढक लिया और बसीर की तरफ देखा….वो मेरी तरफ देखते हुए, मेरी फुद्दि मे अपने लंड को अंदर बाहर करता हुआ मुस्करा रहा था…..
 
आसिफ़: अह्ह्ह्ह चाची जी आपकी फुद्दि तो बहुत टाइट है….बहुत मज़ा आ रहा है आपकी फुद्दि मारने मे…..मुझे बसीर की नज़रें अपने जिस्म पर चूबती हुई महसूस हो रही थी.... रोशनी मे खुद को उसके सामने इस तरह नंगी पा कर मैं शरम से मरी जा रही थी....उसने अपने लंड को मेरी फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए, मेरे हाथों को पकड़ कर मेरे मम्मों के आगे से हटाना शुरू कर दिया. मेरे तो जिस्म मे पहले से ही जदोजेहद करने की ताक़त नही बची थी...

उसने मेरे हाथों को हटा कर मेरे सर के पास बेड पर सटा दिया....और मेरे ऊपेर झुकते हुए अपने होंटो को मेरे होंटो की तरफ बढ़ाने लगा...भले ही मेरी आँखे उस समय बंद थी....पर मुझे महसूस हो गया था कि, अब वो मेरे होंटो को किस करने वाला है....इसीलिए मेने शरमाते हुए, दूसरे तरफ मूह घुमा लिया....."आह चाची आप मेरे लंड को अपनी फुद्दि मे लिए हुए बहुत सेक्सी लग रही हो.....देखो ना ऐसा लग रहा है....जैसे आपकी फुद्दि मेरे लंड के साइज़ के हिसाब से बनी है....."

उसने अपने लंड को कॅप तक फुद्दि से बाहर निकाला और एक जबरदस्त शॉट लगा कर फिर से मेरी फुद्दि की गहराइयों मे उतार दिया..."अह्ह्ह्ह शियीयीयियीयियी सा........" मेने सिसकते हुए अपने होंटो को दाँतों मे दबा लिया....मैं शरम से मरी जा रही थी....कि मैं कैसे अपने भतीजे के लंड को अपनी फुद्दि मे लिए हुए मस्ती मे सिसक रही हूँ.....उसने मेरे फेस को पकड़ कर सीधा किया..और मेरे होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसना शुरू कर दिया....

तभी बाहर फिर तेज आवाज़ के साथ बदल गरजे.....एक पल के लिए उस जोरदार आवाज़ को सुन कर मैं डर गये...”बसीर प्लीज़ इसे बंद कर दो….कही तुम्हारे अब्बा जी ने देख लिया तो क्या सोचेंगे कि हम इस वक़्त टॉर्च जला कर क्या कर रहे है…” बसीर ने मेरी बात मान ली और टॉर्च बंद कर दी….मेने बसीर को अपनी बाहों मे कस लिए...मेरे हाथ उसके पीठ पर कसते चले गये... इससे जोश मे आकर बसीर ने अपने लंड को पूरी रफ़्तार से मेरी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....

बसीर: (मेरे होंटो से अपने होंटो को अलग करते हुए) अह्ह्ह्ह चाची मज़ा आ रहा है ना....अहह बोलो ना......तुम्हे मेरे लंड कैसा लग रहा है चाची ओह्ह्ह्ह तुम्हारी फुद्दि आहह.....

मैं अब बेहद मदहोश हो चुकी थी...."अह्ह्ह्ह शीईइ उंह हां बसीर बहुत मज़ा आ रहा है....ओह सीईईईई....

मेने मदहोश होकर अपने होंटो को उसके कंधो पर रगड़ते हुए कहा....अब वो पूरी रफतार के साथ मेरी फुद्दि मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था.....हर बार उसकी राने मेरी बुन्द से टकरा कर थप की आवाज़ करती....मेरी बुन्द भी बिस्तर से ऊपेर उठी हुई थी....मुझे आज करीब एक साल बाद लग रहा था…जैसे मैं आज पहली बार फारिघ् होने जा रही हूँ….

और धीरे-2 मैं फारिघ् होने के करीब बढ़ रही थी….जैसे जैसे मेरी पीक पर जाकर फारिघ् होने का वक़्त नज़दीक आ रहा था…वैसे-2 मेरे हाथ बसीर की पीठ से सरक कर उसके हिप्पस पर आ चुके थे.,…और मैं अपनी बूँद को ऊपेर की ओर उठाते हुए, उसकी हिप्स को नीचे की तरफ पुश कर रही थी….”श्िीीईईईई उंह बसीर आह ओह अहह……” शायद बसीर भी फारिघ् होने के बेहद करीब था…उसके धक्कों की रफ़्तार अब तूफ़ानी रूप ले चुकी थी….यहाँ तक हमारा बेड भी हिलने लग गया था…..

फिर वो पल जिसका मुझे अरसे से इंतजार था….मेरा बदन एक दम से अकड़ने लगा….फुद्दि मे सरसराहट हद से ज़्यादा बढ़ गया…..और फिर मैं लगभग चीखते हुए फारिघ् होने लगी….मस्ती की लहरें, मेरे जिस्म को अंदर तक हिला चुकी थी…मस्ती और मदहोशी के कारण जो मज़ा आ रहा था…उससे मेरा बदन रह-2 कर झटके खा रहा था…फुद्दि के फारिघ् होने के असर से मेरी कमर रह -2 कर झटके खा रही थी…और अगले ही पल बसीर भी मेरी फुद्दि मे अपना लंड जड तक घुसा कर फारिघ् होने लगा….

उसके लंड से उबलता हुआ गरम लावा मुझे अपनी फुद्दि मे उगलता हुआ महसूस हो रहा था….जिसे महसूस करते ही मेरी फुद्दि ने और पानी छोड़ना शुरू कर दिया…..हम दोनो एक दम से लूड़क गये….और बदहवास सी अपनी सांसो पर काबू पाने की कॉसिश करने लगी….सेक्स करने मे कितना मज़ा आता है….वो आज मुझे पता चल रहा था…बसीर का लंड ढीला होकर कर मेरी फुद्दि से बाहर आ गया….और कुछ देर बाद बसीर उठ कर डोर खोल कर बाहर पेशाब करने चला गया…

बस उस दिन के बाद से मेरे और बसीर के बीच जो रिस्ता बना था…वो आज भी जारी है…..फिर उसके दो साल बाद मैने एक दिन गर्मियों की दोपहर को भैंसो वाले कमरे मे बसीर को रीदा से अपने लंड के चुप्पे लगवाते हुए देख लिया….मैने उसी वक़्त उसे पकड़ कर उसे पीटना शुरू कर दिया….जब मैने उससे कहा कि, आने दो तुम्हारे अब्बू को उनको बताती हूँ…तो फिर रीदा ने जो मुझे कहा….उसे सुन कर मेरे तो पैरो के नीचे से ज़मीन ही खिसक गयी…पता नही कब रीदा ने किसी रात को मुझे बसीर से चुदवाते हुए देख लिया था…वो तो उल्टा मेरी ही शिकायत फ़ारूक़ को करने जा रही थी….

मैं बेहद डर गयी थी…फिर मैने उसे किसी तरह समझा कर राज़ी किया…पर फिर उसके बाद से मेरे लिए एक नया रास्ता खुल गया….जब फ़ारूक़ रात को फन्सलो की रखवाली के लिए खेतो में रुकते तो, बसीर हमारे ही रूम में सो जाता…रीदा भी साथ में ही होती थे…..इस लिए ना तो मेरी जेठानी और ना ही मेरी सास मुझ पर शक करती थी….क्योंकि रीदा भी साथ होती थी…..ये सिलसिला तब से चला आ रहा है… फिर एक दिन फ़ारूक़ ने बसीर के अब्बू से बात करके रीदा और बसीर का रिस्ता पक्का कर दिया…मैं चाहते हुए भी मना ना कर सकी…..

सुमेरा: देखो नाज़िया अब तो मैने तुम्हे सब कुछ बता दिया है…अब प्लीज़ किसी को कुछ ना कहना….

नाज़िया: चाची जी आसिफ़ तो ना समझ था..मैं कोई बच्ची थोड़े ना हूँ…आप बेफिकर हो जाए…..

सुमेरा: अच्छा अब मैं चलती हूँ….बहुत देर हो गयी है….

जैसे ही मुझे अहसास हुआ कि, सुमेरा उठ कर बाहर आने वाली है….मैं वहाँ से निकल कर बाहर आ गया…और गली के मोड़ तक चला गया….
 
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थोड़ा आगे घूमने के बाद जैसे ही मैं घर पहुँचा तो, देखा कि अब्बू भी वापिस आ चुके थे….मैं बरामदे मे चारपाई पर बैठ गया…और अब्बू भी मेरे पास बैठ कर मुझसे मेरी स्टडी के बारे मे पूछने लगी….ऐसे ही रात हो गयी…. खाना खाते वक़्त मैने महसूस किया कि नाज़िया का मूड कुछ अपसेट था….और उसके और अब्बू के दरमियान कोई बात चीत नही हो रही थी….खैर अब्बू के सामने मैं नाज़िया से कोई बात ना कर सका….और उठ कर अपने रूम मे आ गया…..

अगली सुबह उठ कर मैं तैयार हुआ और नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गया…आज छुट्टियों के बाद कॉलेज का पहला दिन था….जब कॉलेज पहुँचा तो पता चला कि, एंटल एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट नोटीस बोर्ड पर लगे है…मैं रिज़ल्ट देखने के लिए गया तो, मेरे सभी यार दोस्त वही मज़ूद थे….सिर्फ़ आज़म को छोड़ कर….खैर मैने रिज़ल्ट देखा तो पता चला कि मे 70 % मार्क्स के साथ पास हुआ हूँ….उसके बाद कॉलेज मे कोई ख़ास बात ना हुई…कॉलेज में भी स्टडी पर आज कोई ख़ास तवज्जो नही दी गयी… जैसे तैसे कॉलेज बंद होने का वक़्त आया…

तो मुझे मेरे मोबाइल पर कॉल आई….ये सबीना की कॉल थी….मैने अकेले मैं जाकर कॉल पिक की तो, दूसरी तरफ सबीना की आवाज़ आए….”हेलो कॉन…..?”

मैं: मैं समीर बोल रहा हूँ….

सबीना: अच्छा समीर तो फिर आ रहे हो ना….?

मैं: हां मैं पहुँच जाउन्गा….

सबीना: कब तक पहुँचोगे…

मैं: जब तुम कहो…..

सबीना: मैं तो पहुँच चुकी हूँ…ऐसा करो तुम वहाँ से सीधा यहाँ के लिए बस पकड़ लो…और जब यहा पहुँच जाओ तो मुझे कॉल कर देना…मैं गेट खोल दूँगी…

मैं: ठीक है….

कॉलेज से छुट्टी के बाद मैने बस स्टॅंड पर जाकर सीधे वही जाने के लिए बस पकड़ी. और आधे घंटे मैं मे वहाँ पहुँच गया….वहाँ बस से उतर कर मैने मेन रोड से सबीना को कॉल करके बता दिया था कि, मैं पहुँच चुका हूँ…जैसे ही मैं उस कोठी के सामने पहुँचा तो देखा सबीना गेट के बाहर ही खड़ी थी..मुझे . देख वो अंदर हो गयी….बाहर उस वक़्त कोई भी नही था….मैं जैसे ही अंदर गया तो, सबीना ने जल्दी से गेट बंद कर दिया….और फिर हम हॉल रूम में फुँछ गये….सबीना ने हॉल रूम का डोर भी अंदर से लॉक किया और मुझे सीधा बेड रूम मे ली गयी…और मुझे बेड पर बैठने को कहा…

मैं बेड पर बैठ गया….”तुम आराम से बैठो मैं अभी आती हूँ….” सबीना ने रूम हीटर ऑन करते हुए कहा….और फिर रूम का डोर बंद करके बाहर चली गयी…थोड़ी देर बाद जब सबीना रूम मे आई तो, उसने हाथ में एक ट्रे पकड़ी हुई थी….जिसमे स्नॅक्स और चाइ रखी हुई थी….सबीना ने ट्रे को टेबल पर रखा और मेरी तरफ देखा कर मुस्कराते हुए बोली…..

सबीना की आँखो मे अजीब सी खुमारी छाई हुई थी….” सीधा कॉलेज से आ रहे हो ना….” सबीना ने चाइ का कप मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा…तो मैने हां मे सर हिला दिया…”लो पहले कुछ खा लो….” सबीना ने मेरे सामने स्नॅक्स की ट्रे रखते हुए कहा…और फिर बाहर चली गयी….मैने चाइ पी और कुछ स्नॅक्स खाए और फिर ट्रे और कप को टेबल पर रख दिया… 

थोड़ी देर बाद सबीना फिर से रूम मे आई…मैं उसको देख कर एक दम से चोंक गया… सबीना ने ब्लॅक और रेड कलर की शॉर्ट नाइटी पहनी हुई थी….और उसके ऊपेर से गाउन पहना हुआ था….अंदर आकर उसने रूम का डोर बंद किया और मेरे पास आते हुए बोली….

सबीना: क्या हुआ मैं इस ड्रेस मे अच्छी नही लग रही हूँ….?

मैं: नही नही ऐसी बात नही है….तुम बहुत अच्छी लग रही हो….

सबीना: सिर्फ़ अच्छी लग रही हूँ…हॉट ना….?(सबीना ने मेरे पास आते हुए कहा….)

सबीना ने मेरी बेल्ट की बकल को पकड़ते हुए कहा….मैं बेड पर अपनी टाँगे नीचे लटका कर बैठा था…. सबीना ने नीचे बैठते हुए मेरी पेंट को खोलना शुरू कर दिया…और जैसे ही उसने मेरी पेंट खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाला….उसने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया…मेरे लंड को मुट्ठी मे भर कर अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और मेरे लंड के गुलाबी कॅप के चारो तरफ घूमाते हुए फेरने लगी….

"समीर......" उसने मेरे लंड को देख कर गरम होते हुए कहा.....और अगले ही पल उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी ज़ुबान बाहर निकालते हुए मेरे लंड के एक साइड से लंड को चाटना शुरू कर दिया.... सबीना एक दम गरम हो चुकी थी....जैसे ही सबीना की गरम और गीली ज़ुबान मेरे लंड की फूली हुई नसों पर लगी तो मेरे बदन और लंड मे करेंट सा दौड़ गया. मुझे अपने लंड की नसों मे खून का दौरा एक दम तेज होता हुआ महसूस हो रहा था....

सबीना अपनी गरम ज़ुबान को मेरे लंड पर रगड़ रही थी….और उसके गरम साँसे इस बात का सबूत थी कि, वो किस कदर गरम हो चुकी है….सबीना ने मेरे लंड को जड से लेकर कॅप तक चाटा…..और फिर मेरे लाल कॅप को वासना भरी नज़रो से देखते हुए मेरी आँखो मे देखा… और फिर से नज़रें लंड की कॅप पर टिकाते हुए, अपने होंटो को लंड के कॅप पर झुकाना शुरू कर दिया…और अगले ही पल मेरे लंड का लाल दहाकता हुआ कॅप सबीना के होंटो के बीच मे था….
 
सबीना अपने रसीले होंटो मे मेरे लंड की कॅप को दबाए हुए बहुत हॉट लग रही थी…..उसे देख कर कोई कह नही सकता था कि, ये सबीना कुछ देर पहले ऐसी शरमा रही होगी कि, जैसे आज तक इसने पराए मर्द की तरफ आँख उठा कर नही देखा होगा…और अब किसी रंडी की तरह मेरे लंड की कॅप को अपने होंटो के बीच मे दबा-2 कर चूस रही थी…सबीना के दोनो हाथ मेरी रानो को सहला रहे थे…और मैं सबीना के सर को पकड़ कर अपने लंड की कॅप को उसके मूह के अंदर बाहर करता हुआ मस्ती मे सिसक रहा था……सबीना ने मेरे लंड के चुप्पे लगाते हुए अपने गाउन और नाइटी को उतार फेंका…अब सबीना एक दम नंगी हो चुकी थी…. 

सबीना अब पूरे रंग मे आ चुकी थी….और अब मेरे लंड को 4 इंच तक अपने मूह के अंदर बाहर करते हुए चूस रही थी….मेरे लंड की नसें और फूल चुकी थी…मेने सबीना के मूह से अपना लंड बाहर निकाला और अपनी पेंट उतार कर उसे डॉगी स्टाइल मे करके उसके पीछे आ गया. सबीना ने अपने दोनो हाथों को बेड के ऊपेर रख लिया….मैं सबीना के पीछे आया, और नीचे घुटनो के बल बैठते हुए, उसकी बुन्द को पकड़ कर फेला दिया. और फिर उसकी फुद्दि जो कि पहले से पानी से लबलबा रही थी…उसके लिप्स को फेलाते हुए उसकी फुद्दि के सूराख पर अपना मूह रख दिया…..

जैसे ही मेने सबीना की फुद्दि के गुलाबी सूराख को अपनी ज़ुबान निकाल कर रगड़ा सबीना एक दम से सिसक उठी….उसने बेड शीट को कस्के दोनो हाथों से पकड़ लिया… “उंह ओह समीर सीईईईईईईई उंह “ सबीना ने सिसकते हुए पीछे की तरफ अपना फेस घुमा कर देखा….सबीना की आँखो मे अब वासना का नशा और मस्ती के लाल डोरे तैर रहे थे….जिसे देख कर लग रहा था कि, वो हवस से बहाल हो चुकी है… मेरी गरम ज़ुबान को अपनी फुद्दि के सूराख पर महसूस करते ही, उसने अपनी रानो को और फेला दिया, और पीछे से अपनी बुन्द ऊपेर की तरफ उठाते हुए अपनी फुद्दि को और बाहर की तरफ निकाल लिया…..

सबीना की फुद्दि का दाना किसी अंगूर की तरह मोटा और फूला हुआ था…. जिसे देख मैं अपने आप को रोक ना सका और सबीना की फुद्दि के दाने को अपने होंटो मे भर कर दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया…… “ओह सीईईईईई उंह सीईईई आह आह अह्ह्ह्ह अहह उंघह ओह समीरर ओह …..ओह्ह्ह्ह समीर हां चूस्सो मुझे ओह……” सबीना की सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी…और उसकी कमर तेज़ी से झटके खा रही थी…जैसे वो अपनी फुद्दि मेरे होंटो पर खुद ही रगड़ रही हो….”ओह्ह्ह्ह समीर ब्स्स्स अह्ह्ह्ह अब डालो ना अंदर अह्ह्ह्ह……”

मैं एक दम से घुटनो के बल सीधा बैठा और अपने लंड को पकड़ कर कॅप को सबीना की फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ा तो मोटे कॅप का दबाव पड़ते ही, सबीना की फुद्दि के लिप्स फेल गये…और मेरे लंड का मोटा दिखता हुआ कॅप सबीना की फुद्दि के सूराख पर जा लगा….लंड की कॅप की गरमी को अपनी लबलबाती फुद्दि के सूराख पर सबीना एक दम से सिसक उठी……”ओह्ह समीररर चोद दे मुझे…..” 

मेने सबीना के खुले हुए बालो को पकड़ कर अपनी कमर को आगे की ओर दबाना शुरू कर दिया….मेरे लंड का कॅप सबीना की फुद्दि के सूराख को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा तो, सबीना ने भी मस्ती मे आकर अपनी बुन्द को पीछे की ओर दबाते हुए, अपनी फुद्दि को मेरे लंड की कॅप पर दबाना शुरू कर दिया…लंड का कॅप सबीना की फुद्दि से निकले उसके कामरस से चिकना होकर अंदर की ओर घुसने लगा. और जैसे ही मेरे लंड का कॅप सबीना की फुद्दि के सूराख मे घुसा तो, सबीना का बदन एक दम से अकड़ गया…

उसने पीछे की ओर देखते हुए अपनी बुन्द को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया…और अगले ही पल मेने सबीना के खुले हुए बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचा तो सबीना ने अपनी गर्दन किसी हीट मे आई हुई घोड़ी की तरह ऊपेर उठा ली…और अपनी बुन्द को पीछे की ओर ज़ोर से धकेला….मेरा आधे से ज़्यादा लंड सबीना की फुद्दि मे घुस गया….और फिर मेने अपने लंड को एक ज़ोर दार धक्का मार कर सबीना की फुद्दि की गहराइयों मे उतार दिया…..”ओह्ह्ह्ह अहह येस्स्स्स्स समीर ओह फक मी डियर…” मेरा लंड सबीना की फुद्दि मे जड तक घुस कर फँसा हुआ था….

और सबीना मस्ती मे आकर अपनी बुन्द को गोल गोल घुमा रही थी…..जिससे मेरा लंड सबीना की फुद्दि की दीवारों पर रगड़ खाने लगा….मेने सबीना के बालो को पकड़ते हुए, तेज़ी से अपना लंड उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....मेरे जबरदस्त धक्कों से सबीना हीट मे आई हुई घोड़ी की तरह हिना हिना रही थी....और सिसकारियाँ भरते हुए अपनी बुन्द को पीछे की तरफ धकेल रही थी.....मेरे मोटे लंड ने सबीना की फुद्दि के लिप्स को बुरी तरह से खोल रखा था.....और मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि की दीवारों से रगड़-2 कर अंदर बाहर हो रहा था.....

जिस जोश और वहशी पन के साथ मैं सबीना को चोद रहा था, उससे कई गुना जोश के साथ सबीना अपनी बुन्द पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि की गहराइयों मे ले रही थी....."अह्ह्ह्ह समीर हाआँ और ज़ोर से पूरा अंदर डाल दो ओह्ह्ह्ह समीर उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह येस्स्स्स ईसस्सस्स ओह फक मी और ज़ोर से चोदो मुझे….आह जैसे उस दिन चोदा था अहह......

मैं बेड पर घुटनो के बल बैठा हुआ था....मैं एक दम से अपने पैरो पे आया और लघ्भग सबीना की बुन्द के ऊपेर सवार हो गया....सबीना ने एक बार फिर से पीछे मूड कर देखा और मुस्कराते हुए अपनी बुन्द को और तेज़ी से पीछे की ओर धकेलने लगी......मैने भी फिर से अपने लंड को सबीना की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....इस पोज़िशन मे मेरे धक्कों की रफ़्तार सच मे किसी एंजिन के पिस्टन की तरह हो गयी थी.....

सबीना: अहह ओह समीर उफ़फ्फ़ धीरे ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह

सबीना ने सिसकते हुए अपने दोनो हाथों को पीछे लाते हुए मेरी दोनो टाँगो की पिंदलियों को पकड़ लिया, उसके मम्मे बेड पर दबे हुए थे... अब मेने सबीना के बालो को एक हाथ से पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से सबीना के एक कंधे को....सबीना की फुद्दि से उसका पानी बह कर नीचे की तरफ रिस रहा था.....

सबीना: अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह समीर ओह समीर मेरा तो होने वाला है…ओह्ह्ह फक मी डियर ओह्ह्ह यीस्स्स्स येस्स्स्स ओह्ह्ह बेबी ओह समीर.....

और फिर सबीना का बदन एक दम से काँपने लगा.....उसने अपनी बुन्द को पीछे की ओर दबाते हुए, मेरी रानो से पूरी तरह दबा लिया....और अगले ही पल उसकी फुद्दि मे मेरे लंड ने भी उलटी करनी शुरू कर दी... मैं एक दम से निढाल होकर उसके ऊपेर गिर गया....सबीना की फुद्दि ने पूरे ज़ोर से मेरे लंड को अपने अंदर दबा लिया....जैसे उसकी फुद्दि अंदर ही अंदर मेरे लंड को निचोड़ रही हो.....

मैं सबीना के ऊपेर से उठा और बेड पर पीठ के बल लेट गया.....मेरी टांगे बेड से नीचे लटक रही थी....सबीना थोड़ी देर बाद सीधी हुई, और मेरी रानो पर लंड के पास अपने गालों को लगा कर अपना सर रख लिया...और फिर मेरे लंड जिस पर उसकी फुद्दि से निकला हुआ पानी लगा हुआ था....उसे पकड़ कर ऊपेर से नीचे सहलाने लगी....फिर लंड की कॅप पर लगे हुए अपनी फुद्दि के पानी को अपने अंगूठे से सॉफ करते हुए, लंड की कॅप को मूह मे भर कर चूसना शुरू कर दिया....मेरे लंड का कॅप सॉफ होकर चमकने लगा…थोड़ी देर बाद सबीना ने मेरे लंड को मूह से बाहर निकाला और उठ कर बैठते हुए बोली…
 
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सबीना: समीर तुम्हे कुछ दिखाऊ….

मैं: हां दिखाओ….

सबीना: तुम रूको मैं अभी आती हूँ….

सबीना बेड से नीचे उतरी और नीचे फर्श पर पड़ा अपना गाउन उठा कर पहना और फिर रूम से बाहर चली गयी….मैं भी बेड से उठ कर रूम के अटॅच बाथरूम मे पेशाब करने चला गया….और फिर जैसे ही मैं पेशाब करके बाथरूम से बाहर आया तो, तो सामने का मंज़र देख कर एक दम हैरान हो गया….रूम मे अहमद बेड पर पीठ के बाल एक दम नंगा लेटा हुआ था….उसके पैर बेड से नीचे लटक रहे थे…उसका सर बेड के बिकुल बीच मे था….उसकी आँखो पर पट्टी बँधी हुई थी… और उसके हाथ उसकी पीठ के पीछे बँधे हुए थे… मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, आख़िर ये सब हो क्या रहा है….मैं हैरत से भरी नज़रों से कभी अहम्द तो कभी सबीना की तरफ देख कर हालात का ज़ायज़ा लेने की कॉसिश कर रहा था.

मैने सबीना की तरफ देखा तो, वो मेरी तरफ देख कर मुस्करा रही थी…. अभी मैने कुछ बोलने के लिए मूह खोला ही था…कि सबीना ने अपने होंटो पर उंगली रखते हुए मुझे चुप रहने का इशारा किया….और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए उसने अपने गाउन को खोल कर बेड पर एक साइड पर फेंक दिया…अब उस रूम मे हम तीनो एक दम नंगे थे….सबीना बेड पर चढ़ि और फिर उसने अपने पैरो को अहम्द के दोनो साइड पर रखा और उसके सर के ठीक ऊपेर आते हुए, 

उसने धीरे-2 अपनी मोटी बुन्द को अहम्द के चेहरे के ऊपेर झुकाना शुरू कर दिया…और फिर जैसे ही उसकी मोटी और चौड़ी बुन्द अहम्द के चेहरे पर आई तो, अहम्द का पूरा चेहरा सबीना की बुन्द से ढक गया…."ओह सीईईईई अहह चल मेरे पालतू कुत्ते चाट अपनी मालकिन की बुन्द..." सबीना ने अहम्द के चेहरे के ऊपेर अपनी बुन्द को रगड़ना शुरू कर दिया…"चल चाट अपनी ज़ुबान फिर मेरी बुन्द के सूराख पर कुत्ते के बच्चे….चाट मेरी बूँद के सूराख को…..तुझे बड़ा शॉंक था ना मेरी बुन्द मारने का…हां चाट इसे अब….साले आज तेरा लंड इतनी सख्ती से खड़ा ही नही हुआ कि, मेरी बूँद मार सके….”

सबीना ने अपनी बुन्द को तेज़ी से अहम्द के चेहरे के ऊपेर रगड़ते हुए कहा….देखने से ऐसा लग रहा था कि, जैसे अहम्द ने बहुत ज़यादा पी रखी है….वो अपने होश मे नही था….और वो नशे की हालत मे सबीना की बुन्द के सूराख पर अपनी ज़ुबान को रगड़ रहा था….सबीना अहम्द के ऊपेर से उठी…और उसने अहम्द को बेड पर सीधा करके घुटनो के बल बैठाया…और खुद उसके सामने आकर उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी…..सबीना ने अपने सर को दीवार के साथ टिका कर अपनी अपने दोनो हाथो को पीछे लेजा कर अपनी बुन्द के दोनो पार्ट्स को अलग -2 पकड़ा और फिर अपनी बुन्द के पार्ट्स को खोल कर झुक कर खड़ी हो गयी…

“चल आ अपनी मालकिन की बूँद के पीछे….” आहम्द जिसकी आँखो पर पट्टी बँधी हुई थी…वो किसी तरह घुटनो के बल आगे बढ़ता हुए सबीना के पीछे पहुँचा और जैसे ही उसने सबीना की बूँद पर अपना चेहरा झुकाया तो, सबीना एक दम से सिसकते हुए बोली..”सीईईईईईईई हट गश्ती के बच्चे…..फुद्दि चाट मेरी….” सबीना का हुकम सुनते ही अहम्द ने झुक कर अपने होंटो को सबीना की फुद्दि पर लगा दिया….”सीयी ओह हाआँ चाट मेरी फुद्दि साले हराम खोर तुम हो इसी लायक….आह चाट मुझे…..” सबीना ने सिसकते हुए मेरी तरफ देखा….और पीछे गर्दन घुमा कर अहम्द की तरफ इशारा करते हुए बोली….”इसके हाथ खोल दो….” मैने चोंक कर सबीना की तरफ देखा….तो सबीना ने फिर से सिसकते हुए कहा…..

सबीना: मैने कहा ना इसके हाथ खोल दो…..घबराने की ज़रूरत नही….

मैं बेड पर चढ़ा और अहम्द के हाथ को खोल दिए….और फिर पीछे हट कर बैठ गया….”हां अब मेरी बुन्द के सूराख मे अपनी एक उंगली डाल कुत्ते जल्दी कर….” सबीना ने अपनी बुन्द को अहम्द के चेहरे पर गोल-2 घूमाते हुए कहा….तो अहमद ने अपनी एक उंगली सबीना की बुन्द मे डालनी शुरू कर दी…शुरू मे सबीना की हलकी चीख निकली….पर उसने कंट्रोल कर लिया….”हां ऐसे ही सबाश….अच्छी नसल कुत्ते ऐसे ही अपने मालिकों का हुकम मानते है….”

आहम्द सबीना की फुद्दि चाटते हुए लगतार उसकी बुन्द मे उंगली को अंदर बाहर कर रहा था…”हान्ंनणणन् आब्ब्ब दूसरी भी साथ मे डाल….” सबीना ने सिसकते हुए कहा तो, अहम्द ने अपनी दूसरी उंगली भी सबीना की बुन्द के सूराख मे डाल दी…. सबीना ने सिसकते हुए फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा…और फिर एक दम से सीधी खड़ी हो गयी….अहम्द की उंगलियाँ उसकी बुन्द के सूराख से बाहर आ गयी…सबीना मुस्कराते हुए मेरी तरफ बढ़ी और मेरी पास आते हुए सरगोशी भरी आवाज़ मैं बोली… “लेट जाओ….” जैसे ही मैं लेटा….

सबीना मेरी टाँगो को फेला कर उसके बीच मे बैठ गयी…और फिर झुक कर डॉगी पोज़िशन मे हो गयी.... सबीना ने वैसे ही डॉगी स्टाइल मे ही मेरे लंड को मूह मे लेकर उसके चुप्पे लगाने शुरू कर दिए...और फिर एक दम से मेरे लंड को मूह से बाहर निकाल कर गर्दन घुमा कर अहम्द की तरफ देखा और चीखते हुए बोली….”ओये गश्ती की औलाद उधर बैठ कर क्या अपनी अम्मी चुदवा रहा है….इधर आ मेरी बुन्द के पीछे….और अपना काम जारी रख….” अहमद हाथो से टटोलता हुआ सबीना के पीछे आ गया….और फिर झुक कर सबीना की फुद्दि के सूराख पर अपना मूह लगा दिया…और उसकी बुन्द के सूराख मे अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा….

जैसे ही अहम्द की उंगलियाँ उसकी बुन्द के सूराख मे फिर से घुसी तो, सबीना ने एक दम से सिसकते हुए, मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए फिर से मेरे लंड को मूह मे लेकर चुप्पे लगाने शुरू कर दिए….सबीना भी पूरी गरम हो चुकी थी....शायद अब उसकी बुन्द मे कीड़े कुलबुलाने लगे थे....वो अपने होंटो को मेरे लंड की कॅप पर दबा दबा कर सर हिलाते हुए चुप्पे मार रही थी....कभी वो मेरे लंड को मूह से बाहर निकाल कर मेरे लंड के बेस पर अपनी ज़ुबान रगड़ना शुरू कर देती तो, कभी मेरे टट्टों को मूह मे लेकर चूसना शुरू कर देती…

तकरीबन 5-6 मिनिट मेरा लंड चूसने के बाद सबीना ने लंड को मूह से बाहर निकाला…जो उसके थूक से एक दम गीला होकर चमक रहा था….”चल अब पीछे हाथ और नीचे फर्श पर घुटनो के बल बैठ जा….” सबीना ने अहम्द की तरफ देखते हुए कहा…”और हां अगर आँखो से पट्टी हटाने की कॉसिश भी की तो, मुझसे बुरा कोई ना होगा….” सबीना की बात सुन कर अहम्द चुप चाप जाकर नीचे फर्श पर घुटनो के बल बैठ गया…मैं सबीना के पीछे आ गया....सबीना ने सोफा की पुस्त के ऊपेर अपना सर टिकाया और अपने दोनो हाथो को पीछे लेजाते हुए, अपनी बुन्दो को पकड़ कर दोनो तरफ फेला दिया.....
 
सबीना की बुन्द का भूरा सूराख जैसे ही मेरी आँखो के सामने आया...मेरे लंड ने एक जोरदार झटका खाया.....अगले ही पल मेने अपने लंड को पकड़ कर कॅप को सबीना की बुन्द के सूराख पर टिका दिया....और अगले ही पल किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह सबीना ने धीरे-2 अपनी बुन्द को पीछे की ओर धकेलना शुरू कर दिया...."श्िीीईईईई ओह समीर.....उंह येस फक....." 

सबीना एक दम मदहोश हो चुकी थी....मेने सबीना की कमर को पकड़ते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा....तो लंड का कॅप सबीना की बुन्द के सूराख को फेलाता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर जा घुसा....और मेने बिना रुके ही अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया....अहम्द ने सबीना की बूँद के सूराख मे उंगलियाँ डाल कर उसे एक दम नरम कर दिया था…मैं पूरी रफतार के साथ सबीना की बुन्द के सूराख मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था….सबीना मज़े और दर्द दोनो से सिसक रही थी..,. पर उसने मुझे एक बार भी ना रोका…और खुद अपनी बुन्द को पीछे के तरफ पुश करती रही…

“अह्ह्ह्ह ओह रूको एक मिनिट….” सबीना ने सिसकते हुए पीछे फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा….तो मैने शॉट लगाने बंद कर दिए…”अपना लंड बाहर निकाओ…” मैने अपने लंड को सबीना की बूँद के सूराख से बाहर निकाला तो, सबीना एक दम से उठी.... बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी….”चल कुत्ते नीचे लेट….” सबीना ने अहम्द के कंधो को पकड़ कर पीछे की तरफ किया तो, अहम्द नीचे फर्श पर लेट गया….सबीना ने बेड के ड्रॉयर मे से एक रुमाल निकाल कर मुझे दिया और मुझसे सरगोशी भरी आवाज़ में कहा…”इसे अपने फेस पर बाँध लो…मैं इसके आँखे खोलने जा रही हूँ….”

सबीना उसके ऊपेर आई….उसके सर के दोनो तरफ अपने पैरो को फेला कर बेड पर झुक गयी...." मैने सबीना की तरफ हैरत भरी नज़रों से देखा तो, सबीना ने मुस्कराते हुए मेरी मिन्नत करने वाले अंदाज़ मे कहा…”प्लीज़ जैसे मैं कहती हूँ वैसे करो…सिर्फ़ आज के लिए…उसके बात तुम भी जो भी कहोगे वो मेरे लिए तुम्हारा हुकम होगा….तुम जो बोलगे जो कहोगे मैं करूँगी….तुम्हे जो चाहिए तुम्हे मिलेगा…चलो पीछे आ जाओ…....” मैने अपने फेस पर रुमाल बाँधा…और उसके पीछे आ गया… सबीना ने झुक कर उसकी आँखो से पट्टी हटा दी….और फिर वो वैसे ही बेड पर झुक कर खड़ी हो गयी….”आज मुझे इसके सामने चोद कर दिखा इसको कि किसी औरत की बुन्द कैसे मारी जाती है...."

मैं: (बेड से उतर कर सबीना के पीछे जाता हुआ.....) पर….

सबीना: अहह हाँ जानती हूँ....दिल मे बहुत दिनो से ख्वाहिश थी कि, तुम्हारे लंड को ऐसे ही अपनी बुन्द मे लूँ...जब ये कुत्ता नीचे नीचे लेटा हो....और तुम्हारे लंड को मेरी बुन्द फाड़ता हुआ देखे....साला हराम खोर....ना मर्द कही का.....

मेने सबीना के पीछे आते हुए, अपने लंड की कॅप को उनकी बुन्द के सूराख पर सेट करते हुए एक जोरदार धक्का मारा....झटका इतना जबरदस्त था कि, लंड का कॅप एक ही बार मे सबीना की बुन्द के दीवारो को चीरता हुआ आधे से ज़यादा अंदर घुस गया......."ओह अहह....." सबीना एक दम से चीख उठी...."अहह उंघह आह चोद मुझे इस मदर्चोद के सामने चोद मुझे अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अहह हाईए मेरी बुन्द फाड़ दे फाड़ दे अपनी इस गश्ती की बुन्द को अहह...."

सबीना: अह्ह्ह्ह देख कंजर देख ये कैसे मेरी बुन्द मे अपना लंड ठोक रहा है अह्ह्ह्ह उंह हाई....उफफफफफफफफ्फ़ ओह्ह्ह येस्स्स फक मी.....आहह चोद मुझीईईई गश्ती की तरह....

मैं सबीना की बात सुन कर बहुत जोश मे आ चुका था....और सबीना की कमर को थामे ताड़-2 सबीना की बुन्द मे अपने लंड को ठोक रहा था.. सबीना के मम्मे आगे पीछे झूल रहे थे....सबीना की जांघे काँपने लगी थी.....नीचे लेटा अहमद खोफ़ज़दा और हैरत से हमारी तरफ देख रहा था…

सबीना: हाई स्वाद लया दिता तूँ तां.....आह होर ठोक हां पूरा ठोक मेरी बुन्द मे लंड....अहह देख कुत्ते देख तेरी मालकिन की ख्वाहिश आज इसके लंड से पूरी हो गयी है...देख अह्ह्ह्ह......

मेने सबीना की बात सुन कर और ज़ोर-2 से शॉट लगाते हुए, अपने लंड को सबीना की बुन्द के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...."ओह्ह्ह्ह समीर येस्स अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मेरे जान ओह्ह्ह आह उंह येस्स्स ओह्ह्ह्ह....आह ओह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि गयी समीर....ले मेरा पानी आया फुद्दि मे ओह्ह्ह आह आह आह अहह......सबीना ने एक हाथ बेड से हटा कर उसकी उंगलियों को अपनी फुद्दि मे घुसा कर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…."

सबीना एक दम से काँपते हुए फारिघ् होने लगी.....वो थोड़ा सा नीचे झुकी, तो मेरा लंड उसकी बुन्द से बाहर आ गया....और फारिघ् होते हुए, एक दम से सबीना की फुद्दि से मूत की तेज मोटी धार सीटी जैसी आवाज़ करती हुई, नीचे फर्श पर और नीचे लेटे अहमद के फेस के ऊपेर गिरने लगी....सबीना ने अपनी फुद्दि के लिप्स को हाथ से मसलते हुए, और तेज़ी से झटके खाने शुरू कर दिए…"ओह्ह्ह्ह अहह देख साला ये कुत्ता मेरे मूत के ही काबिल है.....अहह ओह...." 

सबीना ने नीचे बैठते हुए, साथ मेरे लंड को पकड़ कर अपने मूह मे लेकर तेज़ी से चुप्पे मारने शुरू कर दिए....ये सब देख कर मैं बहुत गरम हो चुका था...मेने थोड़ी देर मे ही सबीना के मूह से अपने लंड को बाहर निकाला और सबीना के बालों को एक हाथ से पकड़ कर उसके चेहरे को ऊपेर उठाया और दूसरे हाथ से अपने लंड के मूठ मारते हुए, उनके फेस पर अपना माल गिराना शुरू कर दिया.....फारिघ् होने के बाद जैसे ही मुझ कुछ होश आया तो, मैने जल्दी से अपने कपड़े उठाए और बाथरूम मे घुस्स गया…..मैने शवर ऑन करके शवर लिया….और फिर जब बाहर आया तो, देखा कि, सबीना बेड पर बैठी हुई थी…..

उसने अपने कपड़े पहन रखे थे…..शायद उसने भी दूसरे रूम मे जाकर नहा लिया था…”वो अहम्द कहाँ है….” मैने सबीना की तरफ देखते हुए कहा… “उसका हिसाब करके उसे निकाल दिया है….और कहा कि, यहाँ से बस पकड़ कर सीधा अपने घर चला जाए….अगर ज़ुबान खोलने की कॉसिश की तो, उसके सारे परिवार को यहाँ उठा लाउन्गी….” सबीना का चाहे जितना भी रसूख था..पर मुझे अब थोड़ी घबराहट होने लगी थी….सबीना को मेरा फेस देख कर इस बात का अंदाज़ा भी हो गया…

सबीना बेड से उतर कर मेरी पास आई….और मुझे जॅप्फी डालते हुए बोली..”तुम घबराओ नही समीर…मैने उसे अच्छी तरह समझा दिया है….अब वो हमारी लाइफ मे कोई दखल नही देगा…वैसे आज तुम्हे कैसा लगा….क्या मैं तुम्हे खुश कर पाई… या फिर कोई कमी रह गयी……” मैने मुस्कराते हुए सबीना की तरफ देखा और बोला…”मैं खुश हूँ….” सबीना आइ थिंक कि अब हमे चलना चाहिए….” वैसे भी बॅंक ऑफ होने का टाइम हो रहा है..और तुम्हारे अब्बू और नाज़िया वहाँ घर पहुँचने वाले होंगे….”

मैं: हां तुम ठीक कह रही हो;……

उसके बाद हम वहाँ से बाहर आए…सबीना ने मुझे अपनी कार मे गाँव के बाहर छोड़ दिया था….
 
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उस दिन जब शाम को नाज़िया और अब्बू वापिस घर आए तो, मैने देखा कि, आज भी नाज़िया कुछ अपसेट लग रही थी…अब्बू की वजह से मैं नाज़िया से बात ना कर सका…3-4 दिन इसी तरफ गुजर गये….एक दिन जब शाम को जब कॉलेज के बाद घर आया तो, उस दिन नाज़िया 6 बजे अकेली घर आई….जैसे ही मैने गेट खोला तो, नाज़िया सीधा अपने रूम मे चली गयी…..मैने गेट को बंद करके कुण्डी लगाई और नाज़िया के रूम मे गया…तो वो अपने रूम मे बेड पर बैठी हुई थी….मुझे देख कर वो एक दम से खड़ी हो गयी….”क्या हुआ समीर….क कुछ चाहिए….?”

मैं: वही तो मैं पूछने आया हूँ…आख़िर हुआ क्या है…मैं पिछले कुछ दिनो से नोट कर रहा हूँ कि, तुम कुछ परेशान हो..आख़िर वजह क्या है….?

नाज़िया: कुछ नही समीर….तुम जाओ…

मैं: क्या मुझसे नाराज़ हो….?

नाज़िया: नही समीर…भला मैने तुमसे क्यों नाराज़ होना….

मैं: फिर बात क्या है…तुम अब मुझसे बात करना तो दूर मेरी तरफ देखती भी नही हो…कुछ तो है जो तुम मुझे बताना नही चाहती…..

मैने आगे बढ़ कर जैसे ही नाज़िया के करीब जाना चाहा…तो नाज़िया ऐसे पीछे हटी जैसे मैं कोई बहुत हूँ….”नही समीर….वही रुक जाओ…” नाज़िया ने मुझसे नज़रें चुराते हुए कहा…”क्या मुझसे कोई ग़लती हो गयी है….? “ मैने नाज़िया के फेस की तरफ देखते हुए कहा….”नही समीर ऐसी बात नही है….” 

मैं: तो फिर क्या अब्बू ने कुछ कहा है तुम्हे….

मेरी बात सुन कर नाज़िया ने चोंक कर मेरी तरफ देखा और फिर से अपने सर को झुका लिया….उसकी आँखो से उसके चोन्कने से मुझे अंदाज़ा हो गया था कि, हो ना हो नाज़िया की ज़रूर अब्बू से कोई बात हुई है….जिसकी वजह से वो अपसेट है… “नाज़िया मुझे बताओ क्या कहा अब्बू ने…”

नाज़िया: तुम जान कर क्या कर लोगे….

मैं: पहले तुम बताओ तो सही….

नाज़िया: समीर आज तक जो हमारे बीच हुआ उसे भूल जाओ…

मैं: क्या मैं वजह जान सकता हूँ या नही…

नाज़िया: तुम्हारे अब्बू अब दूसरी शादी करना चाहते है….जिस दिन वो आए थे…उस दिन उन्होने मुझसे बात की थी….

मैं: तो उसकी सज़ा मुझे क्यों दे रही हो….?

नाज़िया: देखो समीर मेरे पास ज़्यादा वक़्त नही है….और ना ही मैं ज़्यादा दिन यहाँ रहने वाली हूँ…तुम्हे अब जो हमारे बीच हुआ उसे भूल कर अपने फ्यूचर पर ध्यान देना चाहिए….डाइवोर्स के बाद हमारे रास्ते अलग-2 हो जाएँगे….”

मैं: वाह तुमने ये सब कितनी आसानी से कह दिया….आख़िर तुमने साबित कर ही दिया ना कि, तुम्हे आज तक मुझसे मुहब्बत हुई ही नही….. अगर तुम्हारे सीने मे दिल होता तो, तुम मुझे कभी ऐसा ना कहती…तुम सिर्फ़ अपनी जिस्मानी ज़रूरतों और जिस्मानी सुख के लिए आज तक मेरे साथ वो सब करती रही हो….सही कह रहा हूँ ना…. 

इससे पहले के मैं कुछ और कह पाता….नाज़िया ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर दे मारा….”क्या बक रहे हो….” नाज़िया ने रुआंसी आवाज़ मे कहा….और उसकी आँखे नम हो गयी….”सही कह रहा हूँ….तुम्हे लंड चाहिए था….अब जब तुम्हे ये पता चल रहा है कि, अब तुम यहाँ नही रहोगी तो तुम मुझसे पीछा छुड़वा रही हो…”

नाज़िया: समीर……(नाज़िया चिल्लाति हुई मेरे ऊपेर टूट पड़ी….और दो तीन थप्पड़ और मुझे दे मारे…मैं भी पीछे नही हटा…और आख़िर कार नाज़िया मुझसे लिपट कर रो पड़ी….) समीर मुझे इतना दुख तो तब भी नही हुआ था…जब तुम्हारे अब्बू ने मुझे आकर मुझसे कहा था कि, वो अब मेरे साथ नही रहना चाहते…जितना आज तुम्हारी बातों की वजह से हो रहा है….तुम बहुत बुरे हो…बहुत बुरे इंसान हो….और मैं भी कैसी पागल हूँ….जो तुमसे दिल लगा बैठी….

मैं: अब पता चला ना दुख क्या होता है….सोचो जब तुम मुझसे नाराज़ होती हो तो मुझे कितना दुख होता है….

मैने नाज़िया को अपनी बाजुओं मे कसते हुए कहा….तो नाज़िया ने अपने फेस को ऊपेर उठा कर मेरी तरफ देखा और रुआंसी आवाज़ मे बोली… “समीर मुझे नही पता कि तुम मुझसे मुहब्बत करते हो या नही…पर समीर अब हमारे रास्ते यहा से अलग-2 होते है…..ना चाहते हुए भी मुझे तुमसे दूर जाना होगा…..”

मैं: नही मैं तुम्हे अपने आप से कभी दूर नही होने दूँगा…मैं वादा करता हूँ तुमसे…तुम हमेशा मेरे करीब रहोगी….मेरे दिल के करीब….मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा…चाहे मुझे ये घर ही क्यों ना छोड़ना पड़े….

नाज़िया: नही समीर….अभी तुम्हारा पूरा फ्यूचर तुम्हारे सामने है….इस घर से निकल कर क्या करोगे….कहाँ रहोगे कैसे रहोगे….

मैं: जहा तुम रहोगी….मैं भी वही रह लूँगा….

नाज़िया: नही समीर ये पासिबल नही है…..लोग क्या कहेंगे….दुनिया क्या कहेगी… कि शोहार को तलाक़ देके उसके बेटे को अपने पास रख लिया…समीर तुम इस जमाने को नही जानते…ना वो तुम्हे चैन से जीने देंगे और ना मुझे…समीर अब कुछ नही हो सकता….सब कुछ ख़तम हो चक्का है….अब और कोई रास्ता नही…..
 
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