सबीना की बुन्द का भूरा सूराख जैसे ही मेरी आँखो के सामने आया...मेरे लंड ने एक जोरदार झटका खाया.....अगले ही पल मेने अपने लंड को पकड़ कर कॅप को सबीना की बुन्द के सूराख पर टिका दिया....और अगले ही पल किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह सबीना ने धीरे-2 अपनी बुन्द को पीछे की ओर धकेलना शुरू कर दिया...."श्िीीईईईई ओह समीर.....उंह येस फक....."
सबीना एक दम मदहोश हो चुकी थी....मेने सबीना की कमर को पकड़ते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा....तो लंड का कॅप सबीना की बुन्द के सूराख को फेलाता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर जा घुसा....और मेने बिना रुके ही अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया....अहम्द ने सबीना की बूँद के सूराख मे उंगलियाँ डाल कर उसे एक दम नरम कर दिया था…मैं पूरी रफतार के साथ सबीना की बुन्द के सूराख मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था….सबीना मज़े और दर्द दोनो से सिसक रही थी..,. पर उसने मुझे एक बार भी ना रोका…और खुद अपनी बुन्द को पीछे के तरफ पुश करती रही…
“अह्ह्ह्ह ओह रूको एक मिनिट….” सबीना ने सिसकते हुए पीछे फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा….तो मैने शॉट लगाने बंद कर दिए…”अपना लंड बाहर निकाओ…” मैने अपने लंड को सबीना की बूँद के सूराख से बाहर निकाला तो, सबीना एक दम से उठी.... बेड से नीचे उतर कर खड़ी हो गयी….”चल कुत्ते नीचे लेट….” सबीना ने अहम्द के कंधो को पकड़ कर पीछे की तरफ किया तो, अहम्द नीचे फर्श पर लेट गया….सबीना ने बेड के ड्रॉयर मे से एक रुमाल निकाल कर मुझे दिया और मुझसे सरगोशी भरी आवाज़ में कहा…”इसे अपने फेस पर बाँध लो…मैं इसके आँखे खोलने जा रही हूँ….”
सबीना उसके ऊपेर आई….उसके सर के दोनो तरफ अपने पैरो को फेला कर बेड पर झुक गयी...." मैने सबीना की तरफ हैरत भरी नज़रों से देखा तो, सबीना ने मुस्कराते हुए मेरी मिन्नत करने वाले अंदाज़ मे कहा…”प्लीज़ जैसे मैं कहती हूँ वैसे करो…सिर्फ़ आज के लिए…उसके बात तुम भी जो भी कहोगे वो मेरे लिए तुम्हारा हुकम होगा….तुम जो बोलगे जो कहोगे मैं करूँगी….तुम्हे जो चाहिए तुम्हे मिलेगा…चलो पीछे आ जाओ…....” मैने अपने फेस पर रुमाल बाँधा…और उसके पीछे आ गया… सबीना ने झुक कर उसकी आँखो से पट्टी हटा दी….और फिर वो वैसे ही बेड पर झुक कर खड़ी हो गयी….”आज मुझे इसके सामने चोद कर दिखा इसको कि किसी औरत की बुन्द कैसे मारी जाती है...."
मैं: (बेड से उतर कर सबीना के पीछे जाता हुआ.....) पर….
सबीना: अहह हाँ जानती हूँ....दिल मे बहुत दिनो से ख्वाहिश थी कि, तुम्हारे लंड को ऐसे ही अपनी बुन्द मे लूँ...जब ये कुत्ता नीचे नीचे लेटा हो....और तुम्हारे लंड को मेरी बुन्द फाड़ता हुआ देखे....साला हराम खोर....ना मर्द कही का.....
मेने सबीना के पीछे आते हुए, अपने लंड की कॅप को उनकी बुन्द के सूराख पर सेट करते हुए एक जोरदार धक्का मारा....झटका इतना जबरदस्त था कि, लंड का कॅप एक ही बार मे सबीना की बुन्द के दीवारो को चीरता हुआ आधे से ज़यादा अंदर घुस गया......."ओह अहह....." सबीना एक दम से चीख उठी...."अहह उंघह आह चोद मुझे इस मदर्चोद के सामने चोद मुझे अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह अहह हाईए मेरी बुन्द फाड़ दे फाड़ दे अपनी इस गश्ती की बुन्द को अहह...."
सबीना: अह्ह्ह्ह देख कंजर देख ये कैसे मेरी बुन्द मे अपना लंड ठोक रहा है अह्ह्ह्ह उंह हाई....उफफफफफफफफ्फ़ ओह्ह्ह येस्स्स फक मी.....आहह चोद मुझीईईई गश्ती की तरह....
मैं सबीना की बात सुन कर बहुत जोश मे आ चुका था....और सबीना की कमर को थामे ताड़-2 सबीना की बुन्द मे अपने लंड को ठोक रहा था.. सबीना के मम्मे आगे पीछे झूल रहे थे....सबीना की जांघे काँपने लगी थी.....नीचे लेटा अहमद खोफ़ज़दा और हैरत से हमारी तरफ देख रहा था…
सबीना: हाई स्वाद लया दिता तूँ तां.....आह होर ठोक हां पूरा ठोक मेरी बुन्द मे लंड....अहह देख कुत्ते देख तेरी मालकिन की ख्वाहिश आज इसके लंड से पूरी हो गयी है...देख अह्ह्ह्ह......
मेने सबीना की बात सुन कर और ज़ोर-2 से शॉट लगाते हुए, अपने लंड को सबीना की बुन्द के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...."ओह्ह्ह्ह समीर येस्स अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह मेरे जान ओह्ह्ह आह उंह येस्स्स ओह्ह्ह्ह....आह ओह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि गयी समीर....ले मेरा पानी आया फुद्दि मे ओह्ह्ह आह आह आह अहह......सबीना ने एक हाथ बेड से हटा कर उसकी उंगलियों को अपनी फुद्दि मे घुसा कर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…."
सबीना एक दम से काँपते हुए फारिघ् होने लगी.....वो थोड़ा सा नीचे झुकी, तो मेरा लंड उसकी बुन्द से बाहर आ गया....और फारिघ् होते हुए, एक दम से सबीना की फुद्दि से मूत की तेज मोटी धार सीटी जैसी आवाज़ करती हुई, नीचे फर्श पर और नीचे लेटे अहमद के फेस के ऊपेर गिरने लगी....सबीना ने अपनी फुद्दि के लिप्स को हाथ से मसलते हुए, और तेज़ी से झटके खाने शुरू कर दिए…"ओह्ह्ह्ह अहह देख साला ये कुत्ता मेरे मूत के ही काबिल है.....अहह ओह...."
सबीना ने नीचे बैठते हुए, साथ मेरे लंड को पकड़ कर अपने मूह मे लेकर तेज़ी से चुप्पे मारने शुरू कर दिए....ये सब देख कर मैं बहुत गरम हो चुका था...मेने थोड़ी देर मे ही सबीना के मूह से अपने लंड को बाहर निकाला और सबीना के बालों को एक हाथ से पकड़ कर उसके चेहरे को ऊपेर उठाया और दूसरे हाथ से अपने लंड के मूठ मारते हुए, उनके फेस पर अपना माल गिराना शुरू कर दिया.....फारिघ् होने के बाद जैसे ही मुझ कुछ होश आया तो, मैने जल्दी से अपने कपड़े उठाए और बाथरूम मे घुस्स गया…..मैने शवर ऑन करके शवर लिया….और फिर जब बाहर आया तो, देखा कि, सबीना बेड पर बैठी हुई थी…..
उसने अपने कपड़े पहन रखे थे…..शायद उसने भी दूसरे रूम मे जाकर नहा लिया था…”वो अहम्द कहाँ है….” मैने सबीना की तरफ देखते हुए कहा… “उसका हिसाब करके उसे निकाल दिया है….और कहा कि, यहाँ से बस पकड़ कर सीधा अपने घर चला जाए….अगर ज़ुबान खोलने की कॉसिश की तो, उसके सारे परिवार को यहाँ उठा लाउन्गी….” सबीना का चाहे जितना भी रसूख था..पर मुझे अब थोड़ी घबराहट होने लगी थी….सबीना को मेरा फेस देख कर इस बात का अंदाज़ा भी हो गया…
सबीना बेड से उतर कर मेरी पास आई….और मुझे जॅप्फी डालते हुए बोली..”तुम घबराओ नही समीर…मैने उसे अच्छी तरह समझा दिया है….अब वो हमारी लाइफ मे कोई दखल नही देगा…वैसे आज तुम्हे कैसा लगा….क्या मैं तुम्हे खुश कर पाई… या फिर कोई कमी रह गयी……” मैने मुस्कराते हुए सबीना की तरफ देखा और बोला…”मैं खुश हूँ….” सबीना आइ थिंक कि अब हमे चलना चाहिए….” वैसे भी बॅंक ऑफ होने का टाइम हो रहा है..और तुम्हारे अब्बू और नाज़िया वहाँ घर पहुँचने वाले होंगे….”
मैं: हां तुम ठीक कह रही हो;……
उसके बाद हम वहाँ से बाहर आए…सबीना ने मुझे अपनी कार मे गाँव के बाहर छोड़ दिया था….