hotaks444
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माँ मेरे नजदीक आतेहि पण्डितजी ने मुझे इंस्ट्रक्शन दिया कि आगे के कार्यक्रम के लिये. उनके कहे मुताबिक में पूरी तरह माँ की तरफ घूम गया. अब माँ मेरे नजदीक खडी है दुल्हन के भेष में, और में देख नहीं पा रहा हु, यह चीज़ मुझे बहुत तड़पा रही थी. मैं उनकी तरफ देखतेहि, पण्डितजी के एक आदमीने मुझे एक फूलों का हार थमा दिया और पण्डितजी वरमाला एक्सचेंज करने का निर्देश दिया. तभी वह दो आदमी धीरे धीरे वह पर्दा हटाया, जो मेरे और माँ के बीच में दृष्टि रोक रखा था. अब जैसे ही वह नीचे जाने लगा तभी सभी औरतें जोर जोर से हर्षा ध्वनि देणे लगी. नानी अपने चेहरे पे ख़ुशी की हसि लेकर माँ को एकदम नज़्दीक पकङी. और में माँ का चेहरा दिदार कर पाने लगा. उनके सर के ऊपर चुनरी घूँघट बनकर रखा हुआ है. बालों को एक अच्छी तरह डिज़ाइन करके पीछे बांधा हुआ है. सर पे सोने की बिंदिया मांग के ऊपर है. चेहरे पे नयी दुल्हन का मेक उप. माँ की स्किन हमेशा से मख़्खन जैसी मुलायम और गोरी है. पर आज वह इस साज में एकदम कोई अप्सरा जैसी लग रही है. वह बस एक २० साल की जवान लड़की लगने लगी. शादी के स्पर्श से जिसका रूप और निखरने लगा है. दोनों ऑय ब्रोव्स के बीच एक लाल बिंदी है. आँख झुकाके रखी है पर उनकी आखों में काजल और हलकी सी एक मेक अप किया हुआ है. नाक में सोने का नोज रिंग उनके चेहरे को पहले से एकदम अलग बना दिया है. शादी की ख़ुशी का अनुभव, शर्म और एक अनजानी उत्तेजना के कारन उनका नाक का अगला भाग सांस के साथ साथ थोड़ा थोड़ा काँप रहा है. और मेरे अंदर का वह अन्जान अनुभव बढ़कर चरम सीमा पे गया जब में उनके दो पतले गुलाबी होंठो को देखा. उनके दो नरम होठ ऐसे ही गुलाबी है , उसके ऊपर लिपस्टिक लगने के कारन वह और भी लोभनीय बन गयी है. मुझे इतने नज़्दीक से वह दो होठो को देख के लगा की वह रस में भरा हुआ संत्रा का दो मीठा फांके है. उन होठो में एक ख़ुशी की मुस्कराहट लगी हुई है. मुझे बस मेरे अंदर वह दोनों होठो को अपने होठो से मिलाके उसके अंदर भरा हुआ रस पीने का मन करने लगा. मैं अंदर ही अंदर काँप ने लगा. में माँ को बचपन से जानता हु, बचपन से उनको हर रूप में देखते आ रहा हु. इस लिए शायद मेरे अंदर शादी के टेंशन से ज़ादा उनको पाने की चाहत मेरे अंदर ज़ादा दौड़ने लगी. उनके साथ मिलन का इंतज़ार में इतना साल कटा है मैंने. आज बस मेरा मन उनको पूरी तरह से मेरी बाँहों में चाहने लगा. मैं उनकी तरफ कुछ पल ऐसे देख के खुद सब के सामने शर्मा गया. मेरी नज़र हट ते ही नानी से नज़र मीली. वह बस एक ख़ुशी और ममता भरी निग़ाहों से मुझे देखने लगी. वह चाहती है आज उनकी बेटी को अपनी हाथो से अपने ही पोते के हाथ में समर्पण करके उनकी बेटी और पोते को एक नये रिश्ते में जोड दे और वह हम सब को लेकर बाकि ज़िन्दगी ख़ुशी और शान्ति से जी पाये. पर्दा पूरा हटा लिया गया है. माँ मेरे सामने सर को थोड़ा झुका क़, नज़र नीचे करके कड़ी है. उनके हाथ में भी मेरे जैसे एक फूलों की वरमाला है. उनके दोनों मेहँदी किये हुये हाथ उनके दुल्हन रूप को खुबसुरती से बढा दिया है, उनकी गले में सोने का डिज़ाइन किया हुआ चौड़ा नेकलेस और कान में सोने का सुन्दर झूमका है. हाथों में सोने का अलग अलग डिज़ाइन का बँगलस. उनकी रंगीन शादी का जोड़ा उनकी मन को भी पहली बार इतने सालों बाद आज रंगीन बना दिया है, और वह उनकी पूरी शरीर के भाषा से पता चल रहा है. वह आज मन से अपने बेटे को अपने पति का अधिकार देणे के लिए दुल्हन के भेष में मेरे सामने शर्मा के खड़ी है. सब औरते एक ख़ुशी और आनंद का माहौल बनाकर रखी है. मेरे पास नानाजी और माँ के पास नानीजी खड़ी होकर हमे अपने बच्चों की तरह पूरी तरह से सहयोग देणे लगी है. हवन की पवित्र आग के सामने हम माँ बेटे खड़े होकर पण्डितजी के मंत्र उच्चारण के बीच हम एक दूसरे को पहली बार सब के सामने नज़र उठाकर हमारी चारों आँखें एक करने लगे. मैं माँ को देख रहा हु. वह बस अपनी नज़र थोड़ा थोड़ा उठाकर फिर झुका रही है. मुझे मालूम है वह एक कुवारी दुल्हन के जैसे मेहसुस कर रही है. उनकी आखों की पलके बस ऊपर आरही है और फिर नीचे ले जाकर मेरी से नज़र मिलाने में शर्मा रही है अपनी मम्मी पापा के सामने. पण्डितजी का मंत्र चल रहा है. पवित्र आग की आभा ने उनके गालों को और लाल कर दिया है. और तभी माँ अपनी नज़र उठाकर मेरे साथ नज़र मिलाया. सभी लोग क्लैप करके और ख़ुशी की आवाज़ से इस मुहूर्त को एक खास मुहूर्त बनाने लगे. माँ की नज़र में मेरे प्रति उनका प्यार, केअर, खुद को मेरे पास सोंपने की चाहत ..सब कुछ झलक रहा था. उनके चेहरे पे आज जो भावनाओं का साया छाया हुआ है, वह बस एक पत्नी का होता है अपने पति के लिये. हम एक दूसरे को देखकर अपनी आँखों की भाषा से, ख़ामोशी की भाषा से कसम खा लिया उस पवित्र अग्नि के सामने उसी कुछ पलों मे. वह पल हमारे ज़िन्दगी का सब से अहम पल था. पण्डितजी वरमाला बदल ने का निर्देश डीये. और तभी माँने अपनी नज़र झुका लि. मैं अपनी माला ऊपर ले गया धीरे धीरे , मेरा हाथ थोड़ा थोड़ा काँप रहा था. मैं मेरी माला बस उनके सर के ऊपर उनकी घूँघट के ऊपर से डालकर उनके गले में पहना दिया. और में हाथ नीचे कर लिया. फिर माँ भी अपने हाथ को ऊपर करके मेरे गले में मला ड़ालने के लिए लेकर आई. मैं हाइट में माँ से ज़ादा हु, इस लिए उनको हाथ को बहुत ऊपर करके ड़ालना पड़ेगा, इस लिए में माँ को हेल्प करने के लिए मेरा सर थोड़ा झुका के उनके हाथ के पास लाया. तभी माँ धीरे धीरे मेरे गले में वह माला डाल दि अपनी नजर झुकि रख के. मुझे अब बस जो मेहसुस होने लगा यह दुनियाका कोई भाषा से ब्यक्त नहीं कर सकता. केवल जो इस को मेहसुस किया कभी, केवल वहि समझ सकता है. मेरा मन माँ के प्रति प्यार से भारी होने लगा.
माँ मेरे नजदीक आतेहि पण्डितजी ने मुझे इंस्ट्रक्शन दिया कि आगे के कार्यक्रम के लिये. उनके कहे मुताबिक में पूरी तरह माँ की तरफ घूम गया. अब माँ मेरे नजदीक खडी है दुल्हन के भेष में, और में देख नहीं पा रहा हु, यह चीज़ मुझे बहुत तड़पा रही थी. मैं उनकी तरफ देखतेहि, पण्डितजी के एक आदमीने मुझे एक फूलों का हार थमा दिया और पण्डितजी वरमाला एक्सचेंज करने का निर्देश दिया. तभी वह दो आदमी धीरे धीरे वह पर्दा हटाया, जो मेरे और माँ के बीच में दृष्टि रोक रखा था. अब जैसे ही वह नीचे जाने लगा तभी सभी औरतें जोर जोर से हर्षा ध्वनि देणे लगी. नानी अपने चेहरे पे ख़ुशी की हसि लेकर माँ को एकदम नज़्दीक पकङी. और में माँ का चेहरा दिदार कर पाने लगा. उनके सर के ऊपर चुनरी घूँघट बनकर रखा हुआ है. बालों को एक अच्छी तरह डिज़ाइन करके पीछे बांधा हुआ है. सर पे सोने की बिंदिया मांग के ऊपर है. चेहरे पे नयी दुल्हन का मेक उप. माँ की स्किन हमेशा से मख़्खन जैसी मुलायम और गोरी है. पर आज वह इस साज में एकदम कोई अप्सरा जैसी लग रही है. वह बस एक २० साल की जवान लड़की लगने लगी. शादी के स्पर्श से जिसका रूप और निखरने लगा है. दोनों ऑय ब्रोव्स के बीच एक लाल बिंदी है. आँख झुकाके रखी है पर उनकी आखों में काजल और हलकी सी एक मेक अप किया हुआ है. नाक में सोने का नोज रिंग उनके चेहरे को पहले से एकदम अलग बना दिया है. शादी की ख़ुशी का अनुभव, शर्म और एक अनजानी उत्तेजना के कारन उनका नाक का अगला भाग सांस के साथ साथ थोड़ा थोड़ा काँप रहा है. और मेरे अंदर का वह अन्जान अनुभव बढ़कर चरम सीमा पे गया जब में उनके दो पतले गुलाबी होंठो को देखा. उनके दो नरम होठ ऐसे ही गुलाबी है , उसके ऊपर लिपस्टिक लगने के कारन वह और भी लोभनीय बन गयी है. मुझे इतने नज़्दीक से वह दो होठो को देख के लगा की वह रस में भरा हुआ संत्रा का दो मीठा फांके है. उन होठो में एक ख़ुशी की मुस्कराहट लगी हुई है. मुझे बस मेरे अंदर वह दोनों होठो को अपने होठो से मिलाके उसके अंदर भरा हुआ रस पीने का मन करने लगा. मैं अंदर ही अंदर काँप ने लगा. में माँ को बचपन से जानता हु, बचपन से उनको हर रूप में देखते आ रहा हु. इस लिए शायद मेरे अंदर शादी के टेंशन से ज़ादा उनको पाने की चाहत मेरे अंदर ज़ादा दौड़ने लगी. उनके साथ मिलन का इंतज़ार में इतना साल कटा है मैंने. आज बस मेरा मन उनको पूरी तरह से मेरी बाँहों में चाहने लगा. मैं उनकी तरफ कुछ पल ऐसे देख के खुद सब के सामने शर्मा गया. मेरी नज़र हट ते ही नानी से नज़र मीली. वह बस एक ख़ुशी और ममता भरी निग़ाहों से मुझे देखने लगी. वह चाहती है आज उनकी बेटी को अपनी हाथो से अपने ही पोते के हाथ में समर्पण करके उनकी बेटी और पोते को एक नये रिश्ते में जोड दे और वह हम सब को लेकर बाकि ज़िन्दगी ख़ुशी और शान्ति से जी पाये. पर्दा पूरा हटा लिया गया है. माँ मेरे सामने सर को थोड़ा झुका क़, नज़र नीचे करके कड़ी है. उनके हाथ में भी मेरे जैसे एक फूलों की वरमाला है. उनके दोनों मेहँदी किये हुये हाथ उनके दुल्हन रूप को खुबसुरती से बढा दिया है, उनकी गले में सोने का डिज़ाइन किया हुआ चौड़ा नेकलेस और कान में सोने का सुन्दर झूमका है. हाथों में सोने का अलग अलग डिज़ाइन का बँगलस. उनकी रंगीन शादी का जोड़ा उनकी मन को भी पहली बार इतने सालों बाद आज रंगीन बना दिया है, और वह उनकी पूरी शरीर के भाषा से पता चल रहा है. वह आज मन से अपने बेटे को अपने पति का अधिकार देणे के लिए दुल्हन के भेष में मेरे सामने शर्मा के खड़ी है. सब औरते एक ख़ुशी और आनंद का माहौल बनाकर रखी है. मेरे पास नानाजी और माँ के पास नानीजी खड़ी होकर हमे अपने बच्चों की तरह पूरी तरह से सहयोग देणे लगी है. हवन की पवित्र आग के सामने हम माँ बेटे खड़े होकर पण्डितजी के मंत्र उच्चारण के बीच हम एक दूसरे को पहली बार सब के सामने नज़र उठाकर हमारी चारों आँखें एक करने लगे. मैं माँ को देख रहा हु. वह बस अपनी नज़र थोड़ा थोड़ा उठाकर फिर झुका रही है. मुझे मालूम है वह एक कुवारी दुल्हन के जैसे मेहसुस कर रही है. उनकी आखों की पलके बस ऊपर आरही है और फिर नीचे ले जाकर मेरी से नज़र मिलाने में शर्मा रही है अपनी मम्मी पापा के सामने. पण्डितजी का मंत्र चल रहा है. पवित्र आग की आभा ने उनके गालों को और लाल कर दिया है. और तभी माँ अपनी नज़र उठाकर मेरे साथ नज़र मिलाया. सभी लोग क्लैप करके और ख़ुशी की आवाज़ से इस मुहूर्त को एक खास मुहूर्त बनाने लगे. माँ की नज़र में मेरे प्रति उनका प्यार, केअर, खुद को मेरे पास सोंपने की चाहत ..सब कुछ झलक रहा था. उनके चेहरे पे आज जो भावनाओं का साया छाया हुआ है, वह बस एक पत्नी का होता है अपने पति के लिये. हम एक दूसरे को देखकर अपनी आँखों की भाषा से, ख़ामोशी की भाषा से कसम खा लिया उस पवित्र अग्नि के सामने उसी कुछ पलों मे. वह पल हमारे ज़िन्दगी का सब से अहम पल था. पण्डितजी वरमाला बदल ने का निर्देश डीये. और तभी माँने अपनी नज़र झुका लि. मैं अपनी माला ऊपर ले गया धीरे धीरे , मेरा हाथ थोड़ा थोड़ा काँप रहा था. मैं मेरी माला बस उनके सर के ऊपर उनकी घूँघट के ऊपर से डालकर उनके गले में पहना दिया. और में हाथ नीचे कर लिया. फिर माँ भी अपने हाथ को ऊपर करके मेरे गले में मला ड़ालने के लिए लेकर आई. मैं हाइट में माँ से ज़ादा हु, इस लिए उनको हाथ को बहुत ऊपर करके ड़ालना पड़ेगा, इस लिए में माँ को हेल्प करने के लिए मेरा सर थोड़ा झुका के उनके हाथ के पास लाया. तभी माँ धीरे धीरे मेरे गले में वह माला डाल दि अपनी नजर झुकि रख के. मुझे अब बस जो मेहसुस होने लगा यह दुनियाका कोई भाषा से ब्यक्त नहीं कर सकता. केवल जो इस को मेहसुस किया कभी, केवल वहि समझ सकता है. मेरा मन माँ के प्रति प्यार से भारी होने लगा.