Maa Sex Story आग्याकारी माँ - Page 16 - SexBaba
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Maa Sex Story आग्याकारी माँ

सतीश- "अरे इसे प्यार करो.. चूमो-चाटो.. तब बात बन जाये...!
सतीशने भी शिला का दायां स्तन दबा दिया.. जिसके लिए वो तैयार न थी,

उसके इस वहले से उसके मुँह से एक दर्द भरी आह निकल गई और शिलाने भी जवाब में उसके लंड को कस कर दबा दिया.. जिससे उसके भी मुख से एक आह निकल गई,

फिर शिलाने अपने होंठों से उसके गाल पर किस किया और उसके लंड के टोपे पर अपने होंठों को टिका कर उसे चूसने लगी,

उसकी इतनी मादक चुसाई से सतीशके शरीर में कम्पन होने लगा.. उससे अब गाड़ी चलाना मुश्किल हो रहा था.. तो सतीशने वहीं एक तरफ गाड़ी खड़ी कर दी और एसी ऑन रखा.. हेड-लाइट बंद कर दी.. ताकि कोई समझ न सके कि क्या हो रहा है और रात के समय वैसे भी भीड़ कम ही रहती है और जो होती भी है वो सिर्फ गाड़ी वालों की होती है.. तो कोई डरने वाली बात भी न थी,

फिर सतीशने सीट थोड़ा पीछे को मोड़ दिया ताकि शिला और वह आराम से मज़े ले सकें,

फिर शिला ने अपनी जुबान और होंठों से उसके टोपे को थूक से नहलाते हुए दूसरे हाथ से हिलाने लगी,

उसे इतना आनन्द आ रहा था कि वह बता नहीं सकता.. ऐसा लग रहा था, जैसे वह किसी जन्नत में सैर कर रहा हो,

फिर शिलाने धीरे-धीरे उसके टोपे पर अपनी जुबान चलाई.. जैसे कोई बिल्ली दूध पी रही हो..

उसकी यह हरकत इतनी कामुक थी कि सतीशने भी उसके स्तनों को हाथ में थाम कर दबाने लगा,

शिला की भी चूत गीली हो गई थी,
शिला- प्लीज़ सतीश मुझे यहीं चोद दो.. अब और नहीं रहा जाता मुझसे.. प्लीज़ बुझा दो मेरी आग..
करीब 8.30 हो चुके थे और हम हमारे घर से करीब १०० KM दूर थे. अभी भी भारी बरसात हो रही थी और बहार बहुत अँधेरा हो गया था और हमारी कार चली जा रही थी. शिला ने सतीश से कह अब, जबकि मौसम ऐसा है तो क्यों न कार में ही चुदाई की जाए.

सतीश मान गया फिर कार में चोदने को क्यों कि वह भी फिर कार में चोदने का अनुभव लेना चाहता था. उसे हमेशा अलग अलग पोजीसन में, अलग अलग जगह में चोदने में बहुत मज़ा आता था.

शिला- "क्या हम फिर हाइवे पर कार में चुदाई करने वाले है..?
तो सतीश मुस्करा दिया,

सतीश- ”अगर मैं तुम को फिर हाइवे पर कार में चोदूंगा तो इस मौसम और अँधेरे में कोई मेरी कार की पीछे से गांड मार देगा.”

शिला उसकी बात सुन कर हंस पड़ी.

कोई 2 / 3 किमी आगे आने के बाद उस ने कार हाइवे से नीचे उतार कर पेड़ों के झुण्ड की तरफ बढाई. आखिर सतिश ने कार वहां खड़ी की जहाँ चारों तरफ घने पेड़ थे. शिला ने देखा की उनकी कार दो बड़े पेड़ों के बीच खड़ी थी.
वह हाइवे से ज्यादा दूर भी नहीं थे. बाहर चारों तरफ पानी भरा था. बड़े बड़े पेड़ों के बीच उनकी ग्रे रंग की कार को इस मौसम में और अँधेरे में हाइवे से देख पाना संभव नहीं था.
ये एक बहुत महफूज़ जगह थी कार में चुदाई करने के लिए. भारी बरसात लगातार हो रही थी और वह बड़ी बड़ी पानी की बूंदों को उनकी कार की छत पर गिरते हुए सुन सकते थे.

सतीश- ”डार्लिंग! क्या तुम इस सेक्सी मौसम में बीअर पीना चाहोगी? ”

शिला- ”जरूर, क्या कार में है बीअर.. ?.

सतीशने पिछली सीट से एक थैली उठाई जिसमे कुछ FOSTER BEER CANS थे. उस ने एक कैन खोल कर शिला को दिया और एक अपने लिए खोल लिया.

“चीअर्स” दोनो ने एक साथ बोला और धीरे धीरे बीअर पीने लगे.

शिला- "कार में कैसे करेंगे ? पिछली सीट पर...?

सतीश– "पिछली सीट पर कर सकतें है पर इस कार में जगह बहुत कम है. मैं सोच रहा हूँ की क्यों न आगे की सीट पर किया जाए जिस पर तुम बैठी हो. हम सीट को पीछे करके जगह बना सकतें है..!

शिला- "इस सीट पर? कैसे होगा इतनी कम जगह में...?

सतीश– "वैसे ही जैसे कुछ देर पहले किया था. हम यहाँ शुरू करतें है. अगर जरूरत हुई तो पिछली सीट पर चले जायेंगे. मैं कुछ बता नहीं सकता क्यों की मैंने कार में आज से पहले नहीं किया है, आज दूसरी बार है...

शिला- "मेरा भी तो दूसरी बार है. ठीक है. हम फिर ट्राई करतें हैं...!

वह बीअर पी रहे थे और बाहर का बरसाती मौसम उनके तन बदन में आग लगा रहा था. एक तो वह दोनों वैसे ही स्वभाव से सेक्सी है और ऊपर से ये मौसम. वह दोनों ही जानते है की समय और जगह का कैसे सही इस्तेमाल किया जाता है. वह लोग सेक्सी बातें कर रहे थे और कार में, हाइवे के पास और बरसात के मौसम में एक मजेदार चुदाई के लिए तैयार हो रहे थे.

वहां, पेड़ों के बीच कार में बैठे बैठे हम को हाइवे पर आती जाती गाड़ियों की रौशनी दिखाई दे रही थी पर हमें पता था की कोई भी हम को देख नहीं पायेगा. हमने बीअर का एक एक कैन ख़तम किया और फैसला किया की चुदाई होने के बाद, वापस जाते समय बीअर पीने का दूसरा दौर चलाएंगे. जगह बनाने के लिए उस ने मुझे मेरी सीट पीछे करने को कहा. मैंने सीट पेचे की तो वो करीब करीब पीछे की सीट को छू गई. अब मेरी सीट के सामने काफी जगह हो गई थी.
 
मैं अभी भी सोच रही थी की इस सीट पर वो मुझे कैसे चोदेगा. अब मैंने सीट की पीठ को पीछे धकेला तो मैं अधलेटी पोजीसन में हो गई.

सतीश– "डार्लिंग! हम केवल अपने नीचे के कपड़े ही उतारेंगे ताकि हम आराम से चुदाई कर सकें. अगर अचानक कोई आ गया तो ऊपर के कपड़े पहने होने की वजह से हम नंगे नहीं दिखेंगे...!

शिला सतीश की बात समझ कर मान गई, हालांकि चुदवाते समय उसे शरीर पर कपड़े बिलकुल भी पसंद नहीं है. पर वह मौके की नजाकत को समझ रही थी, इस लिए ऊपर के कपड़े बदन पर रख कर चुदवाने को राज़ी हो गई.

उसने अपनी जीन्स और जॉकी उतार कर पिछली सीट पर फ़ेंक दी. अब केवल वो अपनी शर्ट पहने हुए था. शिला ने देखा की उस का लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था जैसे उस में हवा भरी जा रही थी. उसका लंड लम्बा होता जा रहा था, मोटा होता जा रहा था और ऊपर की और उठ रहा था.

शिला ने भी अपनी जीन्स और पेंटी उतार कर पिछली सीट पर उस के कपड़ों पर फ़ेंक दि. अब वह भी ऊपर केवल अपना टॉप पहने हुए थी और नीचे से दोनों नंगे थे. उसने कार की ड्राइविंग सीट भी पीछे करदी ताकि थोड़ी और जगह हो जाए. शिला का बहुत मन हो रहा था की सतीश उसके स्तनों को चूसे, पर वह समझ रही थी की वह किसी बंद कमरे में नहीं है. और वह अपनी चूत, अपनी गांड और अपनी स्तन किसी और को नहीं दिखाना चाहती थी.

सतीश ने उसकी आँखों को पढ़ लिया था.

सतीश- ”शिला, एक काम करो. मैं जिस तरह चुदाई करने की सोच रहा हूँ, उस में मैं तुम्हारे स्तन चोदते वक़्त नहीं चूस पाऊँगा, पर मैं तुम को चुदाई का पूरा पूरा मज़ा देना चाहता हूँ और साथ ही खुद भी पूरा मज़ा लेना चाहता हूँ, तुम अपनी ब्रा का हुक खोल लो और अपने टॉप के नीचे के दो बटन भी खोल लो. इस तरह तुम्हारे स्तन नंगे भी रहेंगे और ढके हुये भी रहेंगे, मौके का फायदा उठा लेंगे. ”

शिला सतीश की बात सुन कर खुश हो गई, वह दोनों ही जानते है की चुदवाते समय उसे अपने स्तन और निप्पल चुस्वाना बहुत पसंद है. शिला वैसा ही किया जैसा सतीश ने कहा, शिला के स्तन अब उसके टॉप के नीचे से चुसवाने को तैयार थे.

अब तक सतीशका गरम लंड पूरी तरह तन कर चूत से मिलने को तैयार हो गया था. शिला जान गयी थी की उसकी चुदाई बहुत देर तक होने वाली है क्यों की सतीश चुदाई के मामले में बहुत मज़बूत है और बहुत देर चोदने के बाद ही उस के लंड का पानी निकलता है.

और ऊपर से उसने अभी कुछ देर पहले चुदायी कर के दो बार उसके लंड रस को निकाल दिया था तो और भी ज्यादा वक़्त तक चोदने वाला है उसे...

खैर, अब वक़्त आ गया था असली चुदाई का. शिला ने उस के खड़े हुए लंड को पकड़ा तो वो बहुत गरम था, शिला खुद को भाग्यशाली मानने लगी की उसके प्रेमी का लंड इतना मज़बूत, इतना लम्बा, इतना मोटा और इतना गरम है.

शिला जान गयी थी की ये लंड नहीं, चोदने की मशीन है. चुदाई की शुरुआत उन्होंने होठो के किस से की. दोनो एक दुसरे के गरम, रसीले होंठ चूसने लगे. होठों के किस से चुदाई की आग और भी भड़क गई.

सतीश ने शिला को अपने ऊपर खींच लिया तो शील के हाथ सतीश की गर्दन के पीछे और उस के हाथ शिला की गोल गोल, कड़क गांड पर फिरने लगे. शिला की चूत में खुजली होने लगी और वो गीली होने लगी.

सतीश उसकी गांड दबा रहा था और अपनी उँगलियाँ उसकी गांड की गोलाईयोंके बीच की दरार में घुमा रहा था. शिला और भी गरम होने लगी.

सतीश ये अच्छी तरह जानता है की कम समय में औरत को कैसे गरम किया जाता है और वो वही काम एक बार फिर कर रहा था. उसकी जीभ को अपने मुंह में ले कर उसने आइस क्रीम की तरह चूसा, चुभलाया.

उसके हाथ लगातार शिला की नंगी गांड पर घूम रहे थे. सतीश की उंगली शिला गांड पर घुमती हुई थोड़ी सी उसकी गांड में घुसी तो शिला उछल पड़ी. जब उस ने अपनी ऊँगली शिला की गांड में अन्दर बाहर हिलाई तो उसे मज़ा ही आ गया.

हाइवे पर गाड़ियाँ आ जा रही थी और कोई भी उनको को देख नहीं सकता था. उनकी कार पेड़ों के बीच में थी और वह दो जवान प्रेमी उसमे चुदाई का मज़ा ले रहे थे, बिना किसी की नज़र में आये.

इस से पहले शिला ने चलती हुई कार में अपने हाथ और मुंह का कमाल उसके लंड पर दिखाया था, बिना किसी की नज़र में आये और ये दूसरा मौका था जब वह चुदाई कार में करने वाले थे, उसी तरह, बिना नज़र में आये. शिला ने सतीश का तना हुआ, चुदाई के लिए तैयार लंड पकड़ कर उसके मुंह की चमड़ी नीचे की तो उसके लंड का गुलाबी सुपाडा बाहर आ कर चमक उठा.

उन्होंने किस ख़तम किया और शिला अपनी सीट पर बैठ कर लम्बी लम्बी साँसे लगी. सतीशके हाथ पकड़ कर शिला ने उनको अपने स्तनों पर रखा तो सतीश उसके स्तनों को टॉप के ऊपर से दबाने लगा.

सतीश का लंड अभी भी शिला की पकड़ में था.
 
सतीशने अपना मुंह उसके स्तनों तक लाने के लिए अपनी पोजीसन बदली और उसके टॉप के नीचे का भाग ऊपर किया तो उसके तने हुये दोनों सेक्सी स्तन सतीशके चेहरे के सामने थे.

शिला के गहरे भूरे रंग के निप्पल तन कर खडे थे, एक निप्पल को अपने मुंह में लिया और दूसरी को अपनी उँगलियों के बीच में.सतीश एक निप्पल को किसी भूखे बच्चे को तरह चूस रहा था और दूसरी निप्पल को मसल रहा था.

शिला की चुत अब तक पूरी गीली हो चुकी थी और उस में चुदवाने के लिए खुजली हो रही थी. इस पोजीसन में वह सतीश के लंड को देख नहीं पा रही थी पर वो अभी भी उसके हाथ में था और शिला ने उस को थोड़ा पानी छोड़ते हुए महसूस किया.

यानि वो शिला की चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा था. वह अपने अलग ही, चुदाई के संसार में थे और उनका पूरा धयान चुदाई पर ही था,

दोनो चुदाई में ही मगन थे. सतीशने उसके दूसरी स्तन को चूसने के लिए फिर अपनी पोजीसन बदली. जो निप्पल पहले मसली जा रही थी वो अब चुसी जा रही थी और जो पहले चुसी जा चुकी थी वो अब मसली जा रही थी.

उस कार में चुदाई का तूफ़ान उठ रहा था और बाहर बरसात हो रही थी. किसी को पता नहीं था की वहां एक कार है और कार में वह चुदाई- चुदाई खेल रहे थे.

सतीश का एक हाथ शिला के पैरों के जोड़ की तरफ बढ़ा तो शिला ने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वह उसकी सफाचट, चिकनी चूत पर आराम से हाथ फिरा सके.

हात फिराते फिराते सतीश की बीच की ऊँगली शिला की गीली चुत के बीच की दरार में घुस गई. सतीश अपनी ऊँगली उसकी चूत के बीच में ऊपर नीचे उसके चूत के दाने को मसलता हुआ घुमा रहा था.

स्तन चुसने से और चूत में ऊँगली करने से शिला के मुंह से सेक्सी आवाजें निकलने लगी. सतीश के मुंह में उसके निप्पल और शिला के हाथ में उस का लंड, दोनों और कड़क हो गए.

शिला भी उस का लंड चुसना चाहती थी और 69 पोजीसन के बारे में सोचा मगर कार में ये संभव नहीं था. शिला की चूत में सतीश की ऊँगली लगातार घूम रही थी और वह संतुष्टि के स्टेशन की तरफ बढ़ने लगी.

सतीश की ऊँगली अब शिला की चूत में घुस कर चुदाई कर रही थी. उसकी चुत को सतीश की ऊँगली चोद रही थी. जैसे ही सतीश को पता चला की शिला झड़ने वाली है, उसने चूत की चुदाई अपनी ऊँगली से जोर जोर से करनी शुरू करदी. चूत को अपनी ऊँगली से इतनी अच्छी तरह से, सेक्सी अंदाज़ में चोद रहा था की वह झड़ने वाली थी और उसकी नंगी गांड अपने आप ही हिलने लगी. उसके मुंह से जोर से संतुष्टि की आवाज निकली और वह झड़ गई. शिलाने सतीश की ऊँगली को अपने पैर, गांड और चूत टाईट करके अपनी चूत में ही जकड़ लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी.

शिला- मैं लंड को चूसना चाहती हूँ...

शिला उस को इतना गरम करना चाहती की उस के लंड का पानी उसकी चूत में जल्दी ही बरस जाए. वह उसको भी अपने अगले झड़ने के साथ झाड़ना चाहती थी. इस के लिए जरूरी था के शिला उस को चुदाई के आधे रास्ते पर चूत की चुदाई शुरू करने के पहले ही ले जाये.

दोनोने फिर अपनी पोजीशन बदली और सतीश कार की पेसेंजर सीट पर अधलेटा हो गया और शिला ड्राइविंग सीट पर आ गई. सतीश का गरम, लम्बा, मोटा और पूरी तरह तना हुआ चुदाई का सामान लंड कार की छत की तरफ मुंह कर के खड़ा हुआ था जिस का नीचे का भाग शिला ने अपने हथेली में पकड़ा. सतीश के लंड का सुपाडा पहले से ही बाहर था जिस को उसने सीधे अपने मुंह में ले कर चुसना शुरू कर दिया.

शिला- (दिल मे) "हे भगवान्, कितना गरम लंड है सतीश का....

शिला ने सतीश के लंड से बाहर आते प्रिकम को चखा और अपनी जीभ सतीशके लंड के सुपाड़े पर घुमाने लगी. उसका हाथ उसके लंड को पकड़ कर धीरे ऊपर नीचे होने लगा. शिला ड्राईवर सीट पर अपने घुटनों के बल बैठ कर, झुक कर उस के लंड को चूस रही थी, और उसकी नंगी गांड ऊपर हो गई थी. ये सतीश को खुला निमंत्रण था.

सतीश ने अपना हाथ उसकी गोल नंगी गांड पर घुमाते हुए फिर से उसकी टाईट गांड में अपनी ऊँगली डाल दी. शिला सतीश का लंड चूस कर, मुठ मार कर गरम कर रही थी और सतीश उसकी गांड में अपनी ऊँगली धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के गरम कर रहा था.

सतीश को गांड मारना बहुत पसंद था और लड़की की गांड में ऊँगली करना उस को हमेशा अच्छा लगता था, और शिला को भी बहुत अच्छा लग रहा था. सतीश की शिला की गांड में घूमती ऊँगली उसे चुदवाने के लिए बेचैन कर रही थी.

शिला का अब लंड धीरे धीरे चुसना और धीरे धीरे मुठ मारना अब तेज हो चला था. उसके दोनों स्तन हवा में लटक रहे थे और आगे पीछे हिल रहे थे, उसकी गांड में सतीश की ऊँगली भी बराबर घूम रही थी.

जब शिला ने महसूस किया की उसने सतीश को उसका लंड चुसकर और मुठ मार कर आधे रास्ते तक ले आई है और अब चूत और लंड की चुदाई में वह दोनो साथ साथ झड़ सकतें है, तो शिला ने उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला.
सतीश पेसेंजर सीट पर उसी तरह अधलेटा था और उसने शिला को उसी पोजीसन में अपने ऊपर आने को कहा. शिला उस पर लेट गई. उसकी पीठ सतीश की छाती पर थी और सतीश का खड़ा हुआ चुदाई का औजार, उस का लंड शिला की गांड के नीचे था. सतीश के दोनों परों को शिला ने अपने दोनों परों के बीच में ले कर चुदाई की पोजीसन बनाई. एक हात से शिला ने कार के दरवाजे के ऊपर के हँडल का सहारा और saport लिया और उसका दूसरा हाथ ड्राईवर सीट के ऊपर था. वह अब सतीश के लंड पर सवारी करने को तैयार थी. अपने दोनों हाथो के support से शिला ने अपनी गांड ऊपर की तो सतीश का लंड उसकी गीली, गरम और चिकनी चूत के नीचे आ गया.
 
वह इस तरह की अधलेटी पोजीशन में चुदाई करने जा रहे थे और वो भी फिर से कार में. ये एक यादगार चुदाई होने वाली थी.

सतीशके लंबे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए, शिला को अपनी गांड काफ़ी ऊपर उठानी पड़ी..

सतीशने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर, शिला की चूत के दरवाजे पर सही जगह लगाया..

अब ये शिला की ज़िम्मेदारी थी की वह उस को अपनी सुविधा के अनुसार, अपनी चूत में डाले,

शिला ने अपनी गांड थोड़ी नीचे की तो सतीश के गरम लंड का अगला भाग, उसकी चूत में घुस गया…

ये चुदाई के लिए, एक मुश्किल पोज़िशन थी..

अब ज़रूरत थी, उन दोनों को अपनी चुदाई की क़ाबलियत दिखाने की ताकि वह एक अच्छी चुदाई का मज़ा ले सकें,

ऐसा लग रहा था की शिला उसके तने हुए लंड के डंडे के ऊपर बैठी है..

शिला ने अपनी पकड़ दरवाजे के हैंडल पर ढीली की तो उसकी गांड थोड़ी और नीचे आई और सतीश का चुदाई का औज़ार उसकी चूत के अंदर की दीवारों को रगड़ता हुआ और थोड़ा, उसकी चूत में घुस गया..

शिलाने अभी भी दरवाजे से अपने हाथों का सहारा ले रखा था और उसकी गांड हवा में थी,

शिला थोड़ा ऊपर हुई तो सतीश का लंड करीब करीब उसकी चूत से बाहर आ गया, सिर्फ़ उसके लंड का सुपाड़ा ही उसकी चूत के अंदर था,

शिलाने अचानक अपने हाथों का सहारा छोड़ दिया और झटके के साथ, अपनी गांड नीचे की,

शिला की चूत में झटके के साथ, सतीशके लंबे लंड के पूरे घुसने से उसकी चूत में थोड़ा दर्द हुआ.. पर, उसका पूरा का पूरा लंड शिला की चूत ने खा लिया था..

सतीशका पूरा लंड, अपनी चुत में लिए वह उसके लंड पर, उसकी गोद में बैठी हुई, लंबी लंबी साँसे ले रही थी,

शिला नीचे देखा, सतीश के लंबे लंड का मुँह, उसकी चूत के अंदर से उसके पेट तक पहुँच रहा था..

चुदाई करने के लिए, धक्के लगाने के लिए उन्होंने पोज़िशन बनाई और शिला ने फिर से अपनी गांड ऊपर की..

अब सतीश नीचे से अपनी गांड, ऊपर नीचे करके अपने लंड को शिला की चूत में अंदर बाहर कर के, आसानी से उसे चोद सकता था और शिला भी ऊपर से चोद सकती थी और चुदवा सकती थी…

सतीश ने एक धक्का, चूत में अपने लंड का अपनी गांड उठा कर लगाया तो उसका लंड, फिर शिला की चूत में घुस गया..

जब सतीशने, अपनी गांड नीचे की तो फिर उसका लंड थोड़ा बाहर आया,

शिला भी हैंडल और सीट पकड़े हुए, चुदाई और धक्के लगाने में साथ देने लगी,

जब सतीश की गांड नीचे होती तो वह अपनी गांड, ऊपर करती और जब उसकी गांड ऊपर होती तो शिला अपनी गांड, नीचे करती.. ..

इस तरह, सतीश लंड उसकी चूत मे अंदर बाहर करते हुऐ चोदने लगा और शिला चुदवाने लगी…

दोनों को ही चुदाई की इस नई पोज़िशन में, मज़ा आने लगा,

सतीश ने अपने हाथ उसकी गांड के नीचे रख कर उसे सहारा दिया और साथ ही साथ उसकी गांड दबाता भी जा रहा था..

उनकी चुदाई का ये कार्यक्रम हाइवे के पास, नीचे जंगल मे खड़ी कार में चलने लगा और किसी को भी पता नहीं चल रहा था की वहाँ उन दोनों के बीच चुदाई हो रही है…

दो चुड़क्कड़, एक दूसरे को पूरी ताक़त से, पूरी क़ाबलियत से और पूरे मज़े से चोद रहे थे…

मज़ा ले रहे थे, मज़ा दे रहे थे…

उनका धक्के मारना, चोदना और चुदवाना लगातार जारी था और ज़रूरत के अनुसार, उनकी गति बढ़ती गई..

शिला की चूत की अंदर की दीवार, सतीश के लंड की रगड़ खा कर मस्त हो रही थी..

चुदाई की गरमी, कार के अंदर बढ़ती गई और बाहर लगातार बरसात होती रही,

उनके चोदने और चुदवाने की गति ज़ोर ज़ोर से, लंड चूत के धक्कों के साथ बढ़ती गई..

शिला का सर आगे पीछे हो रहा था और उसकी गांड, ऊपर नीचे हो रही थी…

सतीश उसकी गांड पकड़े, उसको दबा रहा था और बीच बीच में उसके स्तन भी मसल देता था…

बाहर, बरसात का संगीत था..

पानी की बूँदें, कार की छत पर गिर कर आवाज़ कर रही थी तो अंदर कार में सतीश का मोटा, ताज़ा, लंबा लंड, शिला की चूत को रगड़ता हुआ, अंदर बाहर होता हुआ, फ़चा फक… फ़चा फक… फ़चा फक… की आवाज़ कर रहा था..

शिला के हाथों में अब दर्द होने लगा तो उसने थोड़ा नीचे झुक कर, अपने दोनों हाथ उसकी जांघों पर रख लिए.. जिस से, उसे थोड़ा आराम मिला..

चुदाई, बिना रुके लगातार जारी थी..

सतीश का मज़बूत लंड, उसकी चूत को चोदते जा रहा था… चोदते जा रहा था… …

शिला चुदवाते हुए झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी और उसे लग रहा था की सतीश के लंड का रस भी उसके झड़ने के साथ ही निकलेगा क्यों की उस के लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में फूल रहा था और उसके चोदने की रफ़्तार, लगातार तूफ़ानी होती जा रही थी…
 
शिला के बदन मे ऐंठन होने लगी.. जो, उसके झड़ने के करीब होने का सबूत था..

मज़े के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर ली और वह करीब करीब चिल्ला ही उठी,

शिला- "आहहह..आहह..उउउहह… सतीशशश..मैय्य्य्य गईईईई...!!!

वह झड़ चुकी थी… … …

उसका हो गया था… …

शिला ने चुदाई की मंज़िल, पा ली थी…

शिला ने सतीशके धक्के मारते लंड को, अपनी चूत मे जकड़ने की कोशिश की,

सतीश- "शिलाआअअअ… मेरारारा... भी निकल ने वाला है…!!

शिला ने सतीश के लंड पर अपनी चूत की पकड़ ढीली की तो सतीश उसे फिर से चोदने लगा और कोई 10-12 धक्कों के बाद वो भी आनंद के कारण चिल्लाया

सतीश- "शिलालालाला … आआ ह ह ह ह ह ह ह हहह…!!

एक जोरदार धक्के के साथ, सतीश के लंड ने अपने प्रेम रस की बरसात शिला की चूत के अंदर करनी शुरू कर दी..

उस का लंड, चूत को अंदर से अपने प्रेम रस से भरने लगा…

सतीश ने उसे कस कर पकड़ लिया और उसका लंड, नाच नाच कर शिला की चूत में अपने पानी का फव्वारा छोड़ रहा था..

शिला ने उसके लंड को, अपनी चूत में कस कर जकड़ लिया और पीछे हो कर, उसकी छाती पर अपनी पीठ टीका कर, उसके ऊपर उसकी तरह, लेट गई…

दोनों ही खुश थे की घर जाने से पहले, वह एक शानदार और यादगार चुदाई कर चुके थे…

वह कुछ देर यूँही पड़े रहे और थोड़ी देर बाद, जब सतीश का लंड शिला की चूत में नरम पड़ने लगा और उसके लंड का उसकी चूत में छोड़ा हुआ पानी उसकी चूत से बाहर आने लगा तो शिला ने शरारत से अपनी गांड हिलाई और सतीश का लंड उसकी चूत से बाहर आ गया…

साथ ही, उसके लंड का काफ़ी सारा पानी भी उसकी चूत से निकल आया..

शिला उठ कर ड्राइवर सीट पर आ गई और उसने अपनी चूत और उसका लंड टिश्यू पेपर से साफ़ किया,

साथ ही साथ, शिलाने लंड से उसकी चूत में निकाला गया पानी जो बाहर कार में गिरा था, उसको भी साफ़ किया…

इतनी देर चुदवाने के बाद, अब शिला मूतना चाहती थी..

बाहर, अभी भी बरसात ही रही थी,

शिला- "मुझे मूतना है… क्या कार में, छतरी है… ??

सतीश- "छाता तो नहीं है, यार… बाहर जाओगी तो, भीग जाओगी…?

सतीश- "मूतना तो मैं भी चाहता हु...!!

वह दोनों ही, हंस पड़े,

सतीश- "मैं कार के बाहर जाए बिना ही, कार के अंदर से ही बाहर मूत सकता हु…!!

एक मर्द होने का, ये एक बड़ा फायदा है,

सतीशने अपनी तरफ का कार का दरवाजा थोड़ा खोला, अपने लंड को पकड़ कर ऊपर किया और उसके लंड से मूत की धार निकलने लगी.. जो, बाहर काफ़ी दूर तक जा रही थी..

बिना कार में मूत की एक भी बूँद गिराए, सतीश ने अपना मूतना पूरा किया और कार का दरवाजा वापस बंद किया..

सतीश- "बरसात अपने पूरे ज़ोर में है… वापस जाते समय, रास्ते में जो भी पहला होटेल आएगा, वहाँ आराम से मूत लेना…

शिला- "नहीं… मैं भी यहाँ तुम्हारी तरह, मूतने की कोशिश करती हूँ…!!

सतीश हँसने लगा,

सतीश- "चलो ठीक है… कोशिश करो… लेकिन, कार में ही मत मूत देना…!!

शिला ने कार का दरवाजा खोला, अपने पैर बाहर की तरफ कर के बैठी..

उसने अपनी गांड ऊपर करके चूत को बाहर की तरफ किया और चूत के दोनों तरफ अपनी दो उंगलियाँ रख कर दबाया और मूतने के लिए ज़ोर लगाया..

शिला खुश हो गई की उसकी चूत से भी मूत की धार निकलने लगी और वो कार के बाहर गिरने लगी…

शिला ने भी मर्दों की तरह, मूत कर दिखा दिया..

शिला ने फिर से टिश्यू पेपर ले कर, अपनी चूत पर लगा मूत साफ़ किया,

उसने अपनी जीन्स और पेंटी पहनी,

सतीशने पीछे से उसकी ब्रा का हुक लगाया और शिला ने अपने टॉप के खुले हुए बटन बंद किए,

अब वह, घर जाने के लिए तैयार थे…

दोनों ही, चुदाई बाहर होती बरसात में, कार के अंदर कर चुके थे और वो भी हाइवे के पास, बिना किसी को पता चले..

ये बहुत ही रोमांचक और याद रहने वाली, चुदाई थी…

दोनों घर की तरफ, बियर पीते हुए चल पड़े…
करीब 50 मिनट में हम शालू के अपार्टमेंट पहुँच गए..
सतीश ने शालू को किस किया ओर उससे जाने की इजाजत मांगी फिर मिलते रहने का वादा लेकर शालू ने इजाजत दी,सतीश ने अपनी कार अपने घर की और मोड़ दी,यह मुम्बई से पुणे का सफर सतीश को हमेशा याद रहेगा, जब वह घर पहुंचा तो10 बज रहे थे गाड़ी पार्क करके उसने डोर बेल बजायी...

 
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