Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई - Page 8 - SexBaba
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Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई

राधा- “ठंडे पानी से नहाने के बावजूद भी मेरा शरीर तो जला जा रहा है। पूरे शरीर में जैसे आग सी लग गई है। विजय बेटे, तेरे मूत में ऐसा क्या मिला हुआ था की जब से उसे पिया है तब से एकाएक मेरे शरीर में जलन होने लगी है। देखो ना मेरी चूत में चींटियां सी रेंग रही हैं। पूरी चूत भीतर से जल रही है। तुम लोग खड़े-खड़े देख क्या रहे हो? मेरा कोई इलाज करो ना... नहीं तो मैं जलकर राख हो जाऊँगी..." ऐसा कहकर माँ ने मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिए और उनपर हल्के दाँत गड़ाती हुई अत्यंत कामातूर होकर मेरे होंठ चूसने लगी। काफी देर मेरे होंठ चूसने के बाद माँ अजय के भी होंठ उसी तरह चूसने लगी।

विजय- "माँ वही हालत मेरी हो रही है। तेरे मूत का स्वाद चखने के बाद तो ऐसी मस्ती चढ़ी है जैसी की आज तक नहीं चढ़ी। मैं तो आज तेरी गाण्ड मारूंगा। आज मुन्ने की बारी है चूत चोदने की। वो जिंदगी में पहली बार एक औरत की चूत चोदेगा और वो भी अपनी माँ की। माँ मुन्ने को अपनी चूत बहुत मस्त होकर देना। उसको चूत का ऐसा चस्का लगा दे की चूत का कीड़ा बन जाय। क्यों मुन्ना माँ की चूत लेगा ना? खूब मस्त होकर माँ को चोदना। तू बहुत नशीब वाला है की जिंदगी की पहली चूत तू अपनी माँ की चोदने जा रहा है...”

अजय- “हाँ भैया... आप दोनों का मूत पीने से जो मस्ती चढ़ी है, वैसी तो आज तक नहीं चढ़ी। मेरे लण्ड की नसें फट रही हैं। आज तो खूब मस्ती करते हुए, मजा लेते हुए मैं अपनी इस मस्तानी माँ को चोदूंगा। इसको जब मैं खेतों में मूतते हुए देखता था, तब इसे चोदने की इच्छा नहीं हुई। लेकिन इस साली का मूत पीकर तो ऐसी इच्छा हो रही है की एक झटके में ही पूरा लण्ड इसकी चूत में जड़ तक पेल दें, इसे एक रंडी की तरह चोदूं और चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा बना हूँ..” यह बोलकर अजय माँ की चूत के सामने घुटनों के बाल बैठ गया और उसमें पूरी जीभ घुसाकर उसे चाटने लगा। माँ की चूत का दाना जो पूरा तना हुआ था, उसपर दाँत गड़ाने लगा।

राधा- “हाँ... मैं अपने इस देवर राजा को खूब प्यार से अपनी चूत देंगी, इससे खूब मजा ले लेकर चुदवाऊँगी। अपने इस देवर को मेरे पर बोल-बोलकर चढ़ाऊँगी। आ जा मेरे देवर राजा तू जब कहेगा तेरे लिए टाँगें चौड़ी करके तेरे लण्ड के लिए चूत का फाटक खोल देंगी। तेरी जब इच्छा हो मेरी साड़ी ऊपर उठा दिया करो, मेरी चूत

में अंगुली दे दिया करो, मेरी टाँग उठाकर अपना लण्ड मेरे में पेल दिया करो, तेरे लिए कोई रोक नहीं है। देख मेरी चूत ठीक से देख। ये तेरे लण्ड के लिए तरस रही है। तू पहली बार चूत चोदने जा रहा है ना तो तू भी क्या याद रखेगा की औरत के टाँगों बीच वाले इस छेद का क्या मजा होता है? आ मेरे राजा आ... मुझे मनचाहे ढंग से चोद, खूब गंदी-गंदी बातें करते हुए चोद, मुझे हुमच-हुमच कर चोद...”

विजय- “आज हम दोनों भाई तुझे एक साथ दो-दो लण्डों का स्वाद चखाएंगे। चल मुझे अपनी मस्त गाण्ड दिखा।
मैं तेरी गाण्ड का बाजा बजाऊँगा और मुन्ना तेरी चूत का कबाड़ा करेगा...”

राधा- “आज तो इतनी मस्ती चढ़ी हुई है की मैं एक साथ दो-दो ऐसे मस्ताने लण्ड भी झेल लँगी। तू तो गाण्डों का दीवाना ज्यादा है। तुझे गाण्ड ही पसंद है तो देख मेरी फूली-फूली गाण्ड देख। मेरी गाण्ड का गोल छेद देख...”

यह कहते-कहते माँ ने एक पैर सिंगल सीटर सोफे पर रख दिया और सोफे पर झुक कर अपनी विशाल गाण्ड पीछे उभार दी। उसने अपने दोनों हाथ अपनी गाण्ड पर रख लिए और बहुत ही सेक्सी पोज में गाण्ड के छेद को फैलाते हुए अपनी गाण्ड दिखाने लगी। तभी वो अपनी एक अंगुली से अपनी गाण्ड खुद खोदने लगी और मुझे न्योता देने लगी की देख इसी छेद का तू दीवाना है, तू अपना लण्ड इसी में देना चाहता है।

राधा- “ले चाट इसे। ठीक से चिकनी कर ले इसे। खूब वैसेलीन चुपड़ के मस्त होकर मेरी गाण्ड मारना। तेरे लण्ड पर यह मस्तानी गाण्ड पटक पटक के तुझसे मरवाऊँगी..."

माँ की बात सुनकर मैं माँ की गाण्ड पर झुक गया और उसकी गाण्ड के गोल छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा। जीभ की नोक से उसपर सुरसुरी देने लगा। धीरे-धीरे माँ की गाण्ड का गुलाबी भूरा छेद खुलने लगा और उस छेद में जहाँ तक जीभ जा सकती थी वहाँ तक घुसाकर कामवासना से जलती हुई उसकी गाण्ड को चाटने लगा।
*
 
तभी माँ ने अजय को अपने सामने सोफे पर बैठा लिया और बोली- “ले तू मेरी चूत देख। देख कैसी काले-काले बालों से भरती है? ले मेरी चूत की फाँक चौड़ी करके देख। देख भीतर से कितनी गहरी और पूरी लाल है? ले। इसमें अंगुली डालकर देख। भीतर से कितनी गरम है? जब तुम इसमें अपना लण्ड डालेगा तो यह तेरे लण्ड को सेंक देगी। यह मैं माँ ही हूँ जो तुझे इतने प्यार से चूत दिखा रही हूँ और इतने ही प्यार से तेरा लण्ड इसमें डलवाऊँगी। देख तेरा बड़ा भाई तो मेरे पिछवाड़े पर पिला हुआ है पर मैं अपने राजा छोटे बेटे को आज अपनी चूत चखाऊँगी...”


माँ की बात सुनकर अजय भी पूरा मस्त हो गया और वो चूत में पूरी जीभ घुसा-घुसाकर उसे चाटने लगा। तभी मैंने अपने लण्ड पर कंडोम चढ़ा ली और सोफे पर पैर रखकर झुकी हुई माँ की गाण्ड पर और अपने लण्ड पर। अच्छी तरह से वैसेलीन मल ली। मैं अजय के चोदने के कुछ देर पहले माँ की गाण्ड मारना चाहता था की जिसे देखकर अजय और मस्त हो जाय और मेरे झड़ने के बाद भी अजय काफी देर तक माँ को चोदता रहे।

माँ की गाण्ड को अच्छी तरह से चिकनी करकर मैंने खड़े-खड़े माँ की गाण्ड से अपना सुपाड़ा भिड़ा दिया। सोफे पर बैठे हुए अजय ने दोनों हाथों के जोर से माँ की गाण्ड का छेद कस के फैला दिया और मैंने जोर लगाकर लण्ड माँ की गाण्ड में ठेला। पूरे कई लण्ड का सुपाड़ा उस खुली गाण्ड के छेद में एक ही बार में समा गया। मैंने 3-4 बार सुपाड़ा निकाला और वापस गाण्ड में डाला जिससे गाण्ड अंदर से अच्छी तरह से चिकनी हो गई।

फिर मैं अपना लण्ड धीरे-धीरे अंदर ठेलने लगा। जब तीन चौथाई लण्ड अंदर चला गया तब मैंने माँ की चूचियां कस के पकड़ ली और उन्हें दबाते हुए बहुत तेजी से अपना लण्ड गाण्ड के बाहर-भीतर करने लगा। कुछ ही धक्कों के बाद पूरी चिकनी गाण्ड में लण्ड जड़ तक जाने लगा। माँ और ज्यादा झुक गई और अपनी गाण्ड पीछे ठेल-ठेलकर मुझसे मस्त होकर मरवाने लगी। मैं इस पोज में काफी देर गाण्ड मारता रहा।


विजय- “मेरी राधा रानी तेरी गाण्ड अभी भी बहुत टाइट है। इसे मारने में तो किसी कुंवारी लड़की को चोदने जैसा मजा आता है। चल अब पलंग पर चल और अपने छोटे बेटे के ऊपर चढ़ और उसका लण्ड चूत में ले। साथ ही में तेरी गाण्ड भी मारूंगा...”


मेरी बात खतम होते ही हम तीनों किंग साइज पलंग पर आ गये। अजय चिटत्त लेट गया और माँ ने घुटनों के बल उसकी जांघों के दोनों ओर आसन जमा लिया। मैंने नीचे झुक के अजय के लण्ड का सुपाड़ा माँ की चूत के छेद से सटा दिया और माँ धीरे-धीरे उसपर बैठकर अपने शरीर का बोझ लण्ड पर डालने लगी। माँ की रस छोड़ती चूत में अजय का लण्ड धीरे-धीरे समा रहा था। माँ की हौदे सी गाण्ड पीछे उभरी हुई थी और मैं माँ पर पीछे से चढ़ गया। मैंने गाण्ड के खुले छेद से अपना लौड़ा भिड़ाया और एक ही झटके में आधा लण्ड उसमें पेल दिया।


इस झटके से अजय का पूरा तना हुआ लण्ड फच्छ से माँ की चूत में पूरा समा गया। माँ छोटे बेटे का पूरा लण्ड अपनी चूत में समाए उससे चिपकी रही और इधर मैं ताबड़तोड़ उसकी गाण्ड में करारे शाट मारने लगा। मेरा लण्ड वापस गाण्ड में जड़ तक जाने लग गया था।


राधा- “हाँ... कस-कस के मार मेरी गाण्ड। देखो अब मैं अपने इस छोटे बेटे को कैसे चोदती हैं। इसका पूरा लण्ड मैंने अपनी चूत में पिलवा लिया है। इसका लौड़ा भी तेरे वाले से किसी भी मायने में कम नहीं है। अरे मैं तो दोदो ऐसे मस्त लण्ड पाकर निहाल हो गई। तुम लोगों के लिए मेरे सब छेद गाण्ड, चूत और मुँह हरदम खुले हैं। जब भी तुम्हारे लण्ड खड़े हों मेरे किसी भी छेद में दे दिया करो...”
 
यह कहते-कहते माँ हुमच-हमच कर अजय को चोदने लगी और फलस्वरूप साथ-साथ मेरे से उसकी गाण्ड भी । मरवा रही थी। माँ पीछे होते हुए जब अजय का लण्ड अपनी चूत से निकालती उस समय मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में चला जाता और फिर एक झटके से माँ आगे होकर अजय का पूरा लण्ड वापस अपनी चूत में ले लेती।


मैं माँ की चूचियां मसल रहा था और मुन्ना माँ के रसीले होंठों का पान कर रहा था। अब मैं झड़ने की बिल्कुल कगार पर था और मैंने अपना लण्ड माँ की गाण्ड से निकाल लिया और कंडोम भी निकाल दी। मेरे नीचे उतरते ही अजय ने माँ को चित कर दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। ऊपर आ उसने एक ऐसा करारा शाट चूत में मारा की उसका लण्ड जड़ तक अंदर चला गया। इस भीषण धक्के से माँ कराह के हाय हाय करने लगी। यह एक धक्का मारकर अजय रुका नहीं और उसी प्रकार के जोरदार धक्के मार-मार माँ को कस के चोदने लगा।


अजय- “ले झेल मेरे धक्के। तेरे में बहुत गर्मी है ना, तेरी चूत में बहुत ताकत है ना, आज मैं तेरी सारी गर्मी झाड़ दूंगा, चोद-चोदकर तेरी चूत छितरा दूंगा। तू बहुत चुदसी है ना तो ले चुदा अब अपनी भैया से मारी हुई गाण्ड उछाल-उछाल के...” अजय प्रचंड तरीके से माँ को चोद रहा था।

मैंने अजय का ऐसा जोश पहले नहीं देखा। वो जिंदगी में पहली बार चूत चोद रहा था और आज उसके जोश के सबर का सारा बाँध टूट गया था और उसका जोश उफान मारते हुए माँ को चोद रहा था। माँ ने दोनों हाथ कस के अजय की पीठ पर जकड़ रखे थे और अपनी गाण्ड उछाल-उछालकर अजय के धक्कों से ताल मिला रही थी। अजय माँ के होंठ भी चूस रहा था और फचा-फछ फचा-फछ चूत चोदे जा रहा था।


तभी मैंने अपना लण्ड माँ और अजय दोनों के होंठों से लगा दिया। अजय ने मेरा सुपाड़ा मुँह में ले लिया और
माँ मेरे लण्ड की जड़ को और गोटियों को चूसने लगी। कुछ देर ऐसे लण्ड चूसने से मैं झड़ने के बिल्कुल कगार पर आ गया।
विजय- “चूस मुन्ना, भैया का लण्ड रस छोड़ने वाला है। मेरे लण्ड का रस पूरा पीकर ताकत वाला बन जा और इस रंडी माँ की चूत के परखच्चे उड़ा डाल। मेरा रस पीकर इसे दुगुने जोश से चोदना। ले मेरा रस पी। हाय... मैं
झड़ रहा हूँ। देख आज मेरा लण्ड कितना रस छोड़ रहा है...” यह कहते-कहते मैं मुन्ना के मुँह में झड़ने लगा।


मेरे लण्ड से गाढ़ा वीर्य तूल तूल करता बह रहा था। अजय के मुँह से चू चू कर मेरा वीर्य माँ के मुँह को भी पूरा लपेट रहा था। तभी अजय जीभ से माँ के गाल और होंठ पर पड़े मेरे रस को चाटने लगा। मेरे लण्ड से अभी भी रुक-रुक कर वीर्य टपक रहा था जिसे मैं कभी माँ के चेहरे पर गिर रहा था और कभी मुन्ना के चेहरे पर। उधर माँ भी अजय के चेहरे पर गिरे हुए मेरे रस को चाटने लगी। थोड़ी ही देर में मैं पूरा खलास हो गया और अजय की गाण्ड के नीचे आकर अजय का लण्ड माँ की चूत में पिस्टन की तरह जाते हुए देखने लगा। बीच-बीच में मैं माँ की चुदती चूत पर जीभ भी फिरा रहा था।


राधा- “हाय अजय, तूने तो पहली ही बार में मेरी नस-नस ढीली करके रख दी। उन्ह... मुझसे और बर्दास्त नहीं हो रहा है। चोद मुझे... खूब चोद रे... मैं भी झड़ रही हूँ। मेरी चूत से कुछ बह रहा है। हाय मेरे प्यारे देवर राजा अपनी इस मस्त भाभी को चोद। मैं तेरे भैया की लुगाई तो हूँ ही अबसे तेरी भी जोरू बन गई हूँ..” यह कहतेकहते माँ कुछ ढीली पड़ने लगी।


पर अजय बिल्कुल नहीं रुका और वो उसी प्रचंड तरीके से माँ को चोद रहा था। अब वो पूरा लण्ड चूत से निकाल कर एक ही धक्के में जड़ तक वापस पेल रहा था। माँ में उसके धक्कों को बर्दास्त करने की और ताकत नहीं । बची थी। वो अजय की पीठ को जकड़ी हुई निश्चल पड़ी थी। अजय उसे करीब 5 मिनट तक और चोदता रहा
और वो भी झड़ने लगा।


अजय- “माँ मेरा रस तेरी चूत में गिर रहा है। माँ तूने मुझे झड़ा दिया। भैया ऐसा मजा तो मुझे आज तक नहीं
आया। मैं तो लोगों को लण्ड चुसा चुसा और उनसे मुट्ठी मरवाकर आज तक अपना माल बर्बाद कर रहा था। माँ की चूत में झड़कर तो बहुत मजा आ रहा है। माँ ले अपने छोटे बेटे का रस। हाय मेरी रानी। अब मैं तेरी चूत में ही अपना रस छोडूंगा। तू तो मेरी भी बीवी हो गई। तू हम दोनों भाइयों की लुगाई है। देख इस उमर में तुझे दोदो जवान पति मिल गये हैं...”
 
अजय के लण्ड से रस बह रहा था और चूत से जो भी रस बाहर आ रहा था उसे मैं अपनी जीभ से चाटे जा रहा था। मेरा प्यारा भाई किसी औरत की चूत में पहली बार झड़ रहा था और मैं उसे इतने करीब से देखता हुआ उस अमृत रस का पान कर रहा था।

राधा- “आज तो इस छोटे बेटे ने मुझे पूरा निढाल कर दिया। मेरी भी चूत से रस बह रहा है। हाय... जालिम मार दे रे। अपनी माँ को चोद-चोदकर मार दे रे। इसने एक ही चुदाई में मुझे दो-दो बार झड़ा दिया है, मेरे शरीर की सारी ताकत, इसके लण्ड ने... निचोड़ ली है...” यह कहते-कहते माँ बेसुध सी पलंग पर लुढ़क गई।

अजय भी माँ की बगल में लुढ़क गया। मैंने भी आँखें मूंद ली और ना जाने कब मुझे नींद आ गई। सुबह 4:00 बजे के करीब एक बार नींद खुली तो माँ बेड पर नहीं थी और अजय वैसे ही नंगा पड़ा गाढ़ी नींद में था।

दूसरा दिन रविवार का था। आज हम तीनों ने बाहर का प्रोग्राम बनाया। शाम के शो में हम एक मल्टीप्लेक्स में पिक्चर देखने गये। पिक्चर खतम होते ही हम लवर्स पार्क में आ गये और पार्क का एक चक्कर लगाया। फिर मस्ती भरी बातें और छेड़छाड़ करते हुए हमने चाट और पाव भाजी का मजा लिया। फिर आइसक्रीम चूसी और चाटी। इसके बाद सुगंधित पान का एक-एक बीड़ा हमने एक दूसरे को खिलाया। घर वापस पहुँचते-पहुँचते रात के 11:00 बज गये थे।

माँ आधा घंटे में फ्रेश होकर नाइटी में मेरे कमरे में आ गई। तब तक हम दोनों भाई भी फ्रेश हो चुके थे और सार्टस और बनियान पहने अपनी चुदासी माँ का इंतजार कर रहे थे। पिछले दो-तीन दिनों में ही हम तीनों आपस में पूरे खुल चुके थे। मैं बेड पर बैठा हुआ था और मुन्ना भी मेरे बगल में बेड पर ही बैठा हुआ था। जैसे ही माँ बेड पर बैठने को हुई मैंने माँ का हाथ पकड़ लिया और खींचकर उसे अपनी गोद में बैठा लिया।

विजय- “अरे मेरी राधा रानी। मेरी गोद के होते हुए पलंग पर क्यों बैठ रही हो? तूने तो दो ही दिनों में हमें
अपने पर लट्टू कर लिया है। मुन्ना तो तेरी एक ही चुदाई में तेरा दीवाना हो गया है, तेरी चूत का रसिया बन गया है। जब तक इसने तुझे चादा नहीं था तब तक तो यह पक्का गान्डू था और तेरे चुदाने से भी ज्यादा मस्त होकर अपनी गाण्ड मरवाता था। अब यह अपनी मस्तानी गाण्ड शायद ही मुझे मारने दे, क्योंकी अब यह भी तेरी चूत का दीवाना बन गया है। क्यों रे मुन्ना ठीक कह रहा हूँ ना, क्या अब भी अपने बड़े भैया को अपनी गाण्ड दोगे?"


अजय- “भैया आप भी कैसी बातें कर रहे हो? आप जब भी इशारा करेंगे आपके लिए तो मैं फौरन मेरी पैंट नीचे सरका लँगा। आप कहें तो अभी यह सार्टस नीचे सरका हूँ। मेरे भैया के लिए मेरी गाण्ड हरदम हाजिर है। क्या भैया आप माँ के सामने मेरी गाण्ड अभी मारेंगे?”
 
अजय- “भैया आप भी कैसी बातें कर रहे हो? आप जब भी इशारा करेंगे आपके लिए तो मैं फौरन मेरी पैंट नीचे सरका लँगा। आप कहें तो अभी यह सार्टस नीचे सरका हूँ। मेरे भैया के लिए मेरी गाण्ड हरदम हाजिर है। क्या भैया आप माँ के सामने मेरी गाण्ड अभी मारेंगे?”


राधा- “अरे अजय... एक पूरा मर्द होकर तुम्हें यह गान्डू शौक कैसे लग गया, जो मर्दो के लण्ड के आगे अपनी पैंट नीची करते फिरते हो? तुम मर्दो को छेद में डालने के लिए बनाया गया है और हम औरतों को छेद में लेने के लिए बनाया गया है, पर तुम तो उल्टी रीत चला रहे हो और हम औरतों की तरह अपना छेद उघाड़-उघाड़कर दिखाते फिरते हो। कल तूने एक ही चुदाई में मेरी नस-नस ढीली करके रख दी थी और मुझे दो-दो बार झड़ा । दिया था। किसी भी औरत को अपनी दीवानी बना लेने की तुम में पूरी ताकत है पर फिर भी तेरा यह पिछवाड़े
में पिलवाने का शौक, सोचकर ही मुझे तो शर्म आती है...” ।


अजय- “माँ गाँव में मैं जरूर दो दोस्तों के साथ यह मजा लेता था, पर जब से भैया के 11” के केले का मजा लिया है मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ की ना तो मैंने किसी भी दूसरे मर्द की तरफ झाँका है और ना ही कभी जिंदगी में झाँकूगा। हाँ भैया चाहेंगे तो मेरा ना करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। तू क्यों जल रही है? तू भी तो मेरे प्यारे भैया का लौड़ा पिलवाने की इस उमर में आकर जब इतनी शौकीन है तो मैं भी भैया के लण्ड की थोड़ी मस्ती ले लेता हूँ तो तुझे क्या? जैसे तू खुद चुदाने की और अपनी गाण्ड मरवाने की शौकीन है वैसे ही मैं भी अपने बड़े भैया के लौड़े का दीवाना हूँ, उनसे गाण्ड मरवाने का शौकीन हैं। अपने बड़े भाई से गाण्ड मरवाने में मुझे कोई शर्म नहीं है...” ।


राधा- “हाँ... भैया का तो तू पूरा दीवाना है और तेरे भैया भी तो तेरे कम दीवाने नहीं है। आज जरा मैं भी तो तुम दोनों की यह लीला देखें। मैं भी तो देखू की एक मर्द दूसरे मर्द की कैसे गाण्ड मारता है और दूसरा गान्डू कैसे मरवाता है?” माँ मेरी गोद में बैठी हुई अजय से बातें कर रही थी।

माँ की भारी गाण्ड की गर्मी पाकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। मैंने माँ की चूची नाइटी के ऊपर से ही पकड़ रखी थी और बहुत ही हल्के -हल्के दबा रहा था। बीच-बीच में मैं अपनी प्यारी माँ के गालों की पुच्चियां भी ले रहा था। तभी मैंने बगल में बैठे अजय को आगे झुका दिया। अजय मेरा इशारा समझ गया और उसने अपनी गाण्ड मेरे और माँ के आगे उभार दी। मैंने अजय की औरतों जैसी गाण्ड पर कई जोर-जोर की थपकियां दी और उसका सार्टस उसकी टाँगों से बाहर निकालकर उसकी गाण्ड नंगी कर ली। फिर मैं मुन्ना की गाण्ड के गोल छेद को फैलाते हुए खोदने लगा।


विजय- “देख माँ अपने छोटे बेटे की गाण्ड का मस्त गोल छेद, जिसका तेरा बड़ा बेटा पूरा शौकीन है और तेरा
छोटा बेटा भी देख कितने शौक से अपने बड़े भाई के लिए यह मजा देने वाला छेद पेश कर रहा है। अरे माँ तेरे पास तो खाली छेद ही छेद हैं, एक भी इंडा नहीं है, नहीं तो तू भी इसे छोड़ती नहीं। ऐसे शौकीन लौंडे की गाण्ड मारने का मजा तुम क्या जानो, क्योंकी तेरे पास मेरे जैसा लौड़ा नहीं है। नहीं तो तू भी ऐसे शौकीन लौंडे को छोड़ती नहीं..."
 
मेरी बातें सुन-सुनकर धीरे-धीरे माँ भी मस्त हो रही थी और उसने जोर से मेरे होंठों का एक चुंबन ले लिया। अब मैंने पलंग की साइड टेबल की दराज में पड़े वैसेलीन के जार से अंगुली में काफी वैसेलीन लगा ली और उसे मुन्ना के छेद पर ठीक से मल दिया। फिर मैंने धीरे-धीरे एक अंगुली पूरी मुन्ना की गाण्ड में घुसेड़ दी और वो अंगुली गाण्ड में बाहर-भीतर करने लगा।

यह नजारा देख माँ पूरी मस्त हो गई और ना जाने उसे क्या सूझी की वो मेरी गोद से उठकर मुन्ना की गाण्ड के पीछे घुटनों के बल बैठ गई। उसने नाइटी सिर के ऊपर से बाहर निकाल दी और नीचे कुछ भी ना पहने हुए होने की वजह से पूरी नंगी हो गई। उसने अपनी दाहिनी चूची दोनों हाथों से पकड़ी और उसका तना हुआ निपल मुन्ना की गाण्ड के खुले छेद से लगा दिया। माँ छाती का पूरा जोर लगाकर वो निपल गाण्ड में ठेलने लगी। माँ बेटे का बहुत ही सेक्सी नजारा था। एक मदमस्त माँ अपने गान्डू बेटे की गाण्ड अपनी चूची से मार रही थी।


राधा- “ले तुझे गाण्ड मराने का बहुत शौक है ना तो मरा मेरे से। मेरे पास लण्ड नहीं है तो क्या हुआ यह चूची तो है ना? मैं इसे ही पूरी तेरी गाण्ड में ठूस देंगी..." यह कहकर माँ ने चूची बदल ली और अपनी बॉईं चूची का चूचुक अजय की गाण्ड में ठेलने लगी।


माँ चूची को थामे हुए उसकी गाण्ड में धक्के भी मार रही थी। माँ मुन्ना की गाण्ड पर झुकी हुई थी इसलिए माँ की गाण्ड पीछे उभरी हुई थी। मैंने काफी वैसेलीन माँ की गाण्ड के छेद में मली और अपनी पूरी अंगुली उसकी गाण्ड में दे दी और माँ की गाण्ड अंगुली से मारने लगा।

विजय- “मुन्ना माँ से गाण्ड मरा के कैसा लग रहा है? ऐसी गाण्ड मराने के बारे में तो तूने आज तक सोचा भी
नहीं होगा। माँ का भी यह आइडिया क्या मस्त कर देने वाला है...” माँ द्वारा मुन्ने की गाण्ड मारा जाना देखकर मैं पूर्ण रूप से उत्तेजित हो गया। मैंने सारे कपड़े खोल दिए, लण्ड पर कंडोम चढ़ा ली और उसे वैसेलीन से अच्छे से चिकना कर लिया।


अजय- “भैया बहुत ही मजा आ रहा है। माँ का चुचुक गाण्ड में सुरसुरी दे रहा है। माँ की बड़ी सी गरम और मुलायम चूची गाण्ड पर बहुत ही मजेदार महसूस हो रही है। माँ मारती रहो, तुमसे गाण्ड मरा के तो एक नये तरीके का मजा आ रहा है...” अब अजय भी माँ की चूची पर अपनी गाण्ड दबाने लगा था।


माँ कुछ देर इसी प्रकार मुन्ना की गाण्ड में अपनी चूची ठूसती रही, फिर हाँफती हुई अलग हो गई।

मैं- “माँ तू हम भाइयों की लीला देखना चाहती थी ना तो अब देख तेरे सामने यह मेरा लाड़ला छोटा भाई अपनी गाण्ड कैसे मरवाता है?”

मेरी बात सुनकर अजय उठा और मुझे भी खड़ा कर लिया। फिर उसने एक टाँग ठीक माँ के बगल में बेड पर रख ली और झुक कर ढेर सारी वैसेलीन मेरे लण्ड और अपने गाण्ड के फैले हुए छेद पर मली और अपनी फूली हुई गाण्ड मेरे आगे उभार दी। फिर वो मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड दबाते हुए बोला।।

मुन्ना- “हाय मेरे राजा देखो मैंने अपनी गाण्ड कैसे चिकनी कर ली है। अब मैं अपने सैंया भैया का पूरा 11” का हलब्बी लौड़ा अपने गाण्ड के छेद में खुद पेलवाऊँगा..."

मेरे लण्ड और अपनी गाण्ड को अच्छी तरह से चिकनी कर लेने के बाद वो एक टाँग बेड पर रखकर मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड दबाने लगा। फिर उसने अपना एक हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ा और लण्ड के सुपाड़े को अपनी गाण्ड के छेद पर टिका लिया। फिर वो अपनी गाण्ड खोलते हुए अपनी गाण्ड कस के मेरे लण्ड पर दबाने लगा। माँ आँखें फाड़े अपने छोटे बेटे की सारी करतूत देख रही थी।
 
तभी अजय ने कहा- “भैया आज इस छिनाल माँ के सामने मेरी ऐसी धुवांधार तरीके से गाण्ड मारिए जैसी की
आपने आज तक नहीं मारी। अपने हलब्बी लौड़े से मेरी गाण्ड के परखचे उड़ा दीजिए...”

अजय की बात सुनकर मैं दुगुने जोश में आ गया और भाई के निमंत्रण देते गाण्ड के छेद में अपने लण्ड को चांपने लगा। उधर मुन्ना भी एक मजे हुए गान्डू की तरह अपनी गाण्ड का छेद खुला छोड़ रहा था। फलस्वरूप मेरा लण्ड धीरे-धीरे गाण्ड में सरकने लगा। कुछ ही देर में मेरा 11' का लण्ड पूरी तरह से उसकी गाण्ड में समा गया।

मुन्ना- “क्यों भैया मजा आ रहा है ना? ऐसा छोटा भाई नहीं मिलेगा जो अपने बड़े भैया का मूसल सा लौड़ा पूरा का पूरा इतने शौक से अपनी गाण्ड में ठुकवा लेता है। आप ऐसे ही मेरी गाण्ड में अपना लण्ड चांपते रहिए। आज आप मेरी गाण्ड माँ के सामने बहुत मस्त होकर मारिएगा, मुझे बोल-बोलकर आपसे मरवाने में बहुत मजा आता है। देख माँ मैं कैसे भैया से गाण्ड मरवा रहा हूँ? मैं भैया के लण्ड का पक्का शौकीन हूँ। भैया मेरे सैंया है। और मैं अपने जानू भैया की लुगाई हूँ। देख मैं अपने प्यारे भैया से गाण्ड मरवा कर कितना खुश हूँ...”




मैं मुन्ना का जोश देखकर पूरा उत्तेजित हो गया और मैंने अजय की कमर दोनों हाथों से जकड़ ली। मैंने उसकी पीठ अपनी छाती से दबानी शुरू कर दी। मैं माँ के सामने गान्डू भाई की गाण्ड ताबड़तोड़ तरीके से मार रहा था। अब मुन्ना रह-रह गाण्ड कुछ आगे खींचता जिससे तीन चौथाई लण्ड बाहर आ जाता और फिर पीछे कस के जोर का धक्का देता जिससे मेरा लण्ड जड़ तक वापस उसकी गाण्ड में समा जाता। इस प्रकार वो काफी देर मरवाता । रहा और मैं भी उसकी गाण्ड में लण्ड चांपता रहा। तभी मैंने भाई के होंठ अपने होंठों में कस लिए और सिसकते हुए बहुत कामातुर होकर भाई का चुंबन लेने लगा। मैंने अपनी जुबान भाई के मुँह में डाल दी जिसे अजय चूसने लगा। उधर मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में एक पिस्टन की तरह आगे-पीछे हो रहा था।

माँ हम दोनों भाइयों की यह लीला बहुत ही आश्चर्यचकित होकर देख रही थी।

कुछ देर इस प्रकार तेजी से गाण्ड मरवाने के बाद अजय बेड पर घुटनों के बल चोपाया बन गया और अपनी गाण्ड मेरे लण्ड के सामने उभार दी। उसकी फूली हुई बड़ी सी गोरी गाण्ड मेरे सामने पूरी उभरी हुई बड़ी मस्त लग रही थी। गाण्ड का बड़ा सा गोल छेद बिल्कुल खुला हुआ साफ दिख रहा था। मैं भी अब घुटनों के बल बेड पर मुन्ना के पीछे बैठ गया। तब मुन्ना ने वापस अपनी गाण्ड का छेद मेरे लण्ड से भिड़ा दिया और अपनी गाण्ड जतब तक मेरे लण्ड पर दबाता चला गया जब तक की वापस मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में ना समा गया। एक बार फिर सटासट गाण्ड मरवाने की क्रिया शुरू हो गई।

मुन्ना- “हाय मेरे गान्डू भैया, आपसे गाण्ड मरा कर मुझे बहुत मजा आ रहा है। आप अपने छोटे भाई की फूलीफूली गाण्ड मारने के शौकीन हैं, तो आपका यह छोटा भाई भी अपने भैया के हलब्बी लौड़े का दीवाना है। भैया मैं तो तेरी रखैल हूँ। तुझसे अपनी गाण्ड की खुजली मिटाने में मुझे बहुत मजा आता है...”
 
मुन्ना- “हाय मेरे गान्डू भैया, आपसे गाण्ड मरा कर मुझे बहुत मजा आ रहा है। आप अपने छोटे भाई की फूलीफूली गाण्ड मारने के शौकीन हैं, तो आपका यह छोटा भाई भी अपने भैया के हलब्बी लौड़े का दीवाना है। भैया मैं तो तेरी रखैल हूँ। तुझसे अपनी गाण्ड की खुजली मिटाने में मुझे बहुत मजा आता है...”

विजय बेड पर घुटनों के बल चोपाया बने भाई पर सांड़ की तरह चढ़ा हुआ था और उसकी गाण्ड में दनादन लण्ड पेल रहा था- “अरे भाई तू मेरे लण्ड का शौकीन है तो मैं भी तेरी गाण्ड का दीवाना हूँ। मैं माँ जैसी मस्त और कड़क औरत को चोदता हूँ, पर जब तक तेरी गाण्ड नहीं मार लेता, तब तक ऐसा लगता है जैसे की कहीं कुछ कमी रह गई है। देखो माँ मैं कैसे तेरे छोटे बेटे की तेरे सामने ही गाण्ड मार रहा हूँ और तेरा छोटा बेटा कैसे। खुशी-खुशी मेरे से मरवा रहा है? यह तेरा देवर है क्योंकी तू मेरी लुगाई है और साथ ही तेरी सौत भी है क्योंकी जैसे तुम मेरे से चुदवाती है वैसे ही यह मेरे से मरवाता है."

मुन्ना- “माँ तुम हम दोनों भाइयों की गाण्ड मारा-मारी देखना चाहती थी ना तो देख। हाँ मैं तेरी सौत हूँ और रहूँगा। जब तक भैया मेरी गाण्ड मारना चाहेंगे मैं उनसे मरवाता रहूँगा। तू जलती हो तो जलती रहना, पर मैं तो
अपने राजा भैया से मस्त होकर मरवाऊँगा।

माँ- “यह छोटा तो पक्का गान्डू है। देख तो तेरा हलब्बी लौड़ा कितने आराम से बिना चू चपड़ किए इसने पूरा अपनी गाण्ड में ले लिया है। जितना मस्त होकर आज यह अपनी मरा रहा है कल इतना ही मस्त होकर इसने मेरी चौड़ी भी थी...” यह कहकर माँ उठी और अजय के खड़े लण्ड के सामने डागी स्टाइल के पोज में आ गई।

माँ ने अपनी गाण्ड पीछे उठा दी और अपनी रस छोड़ती चूत उसके लण्ड से सटाने लगी। अजय माँ की मनसा को समझ गया और उसने हाथ के सहारे से लण्ड ठीक चूत के छेद पर टिका दिया। उसने अपनी बाँहें माँ की कमर में कस ली और चार-पाँच करारे धक्के मारकर पूरा लण्ड माँ की चूत में दे दिया। अब अजय आराम से अपनी चुदासी माँ को डागी स्टाइल में चोदने लगा।

मैंने भी वापस अजय की गाण्ड में अपना लण्ड दे दिया। उधर अजय माँ को पीछे से चोद रहा था और इधर मैं अजय की गाण्ड मार रहा था। हम तीनों पूरे जोश में थे। माँ अपनी चूत अजय के लण्ड पर दबाती हुई बहुत । मस्त होकर चुदा रही थी। अब अजय ने माँ की दोनों लटकती चूचियां थाम ली और उन्हें रसीले आमों की तरह दबाने लगा। अजय बहुत ही जोरदार धक्के चूत में मार रहा था। चूत में धक्का मारने से सुपाड़े तक मेरा लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर निकल जाता और उसके फौरन बाद अजय माँ की चूत से लण्ड वापस बाहर खींचते हुए। अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पर दबा देता जिसके कारण मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में समा जाता। यह प्रक्रिया एक लय बद्ध तरीके से हो रही थी और हम तीनों अपना-अपना पार्ट बखूबी निभा रहे थे।

जब माँ की चूत में अजय का पूरा लण्ड होता तब गाण्ड से मेरा लण्ड लगभग निकल जाता और जब मेरा पूरा लण्ड गाण्ड में होता तब अजय का लण्ड चूत से लगभग बाहर आ जाता। यह सिलसिला काफी देर यूँ ही चलता रहा और आखिरकार, मैं झड़ने की कगार पर आ गया।

विजय- “मुन्ना आज तो तेरी गाण्ड मारकर बहुत ही मजा आ रहा है। भाई मैं तो अब झड़ने वाला हूँ। देखना तू
माँ को पूरी झड़ा कर ही झड़ना...” यह कहकर मैंने अपना लण्ड मुन्ना की गाण्ड से निकाल लिया।

मैं चिट होकर माँ की चूत के नीचे अपना मुँह ले आया। माँ की चूत में मुन्ना का लण्ड एक पिस्टन की तरह बहुत तेजी से आगे-पीछे हो रहा था। मैं जीभ से रस से लथफथ चूत की दीवारें चाटने लगा। उधर मेरा खड़ा लण्ड माँ के सामने था। माँ उसपर झुक गई और उसे अपने मुँह में लेने लगी। माँ पूरी मेरे लण्ड पर झुक के मेरे पूरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और पीछे उसने अपनी गाण्ड पूरी उभार दी। इससे उसकी चूत पूरी खुल गई और अजय का लण्ड फछ-फछ करता हुआ चूत के अंदर-बाहर होने लगा।
 
तभी मैंने माँ के मुँह में अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया- “ले लण्ड की भूखी माँ अपने बेटे का रस पी। हाँ... मैं माँ के मुँह में झड़ रहा हूँ। ले चूस इसे और गटागट मेरा पूरा जूस पी जा। हाय... मेरा माल बह रहा है। इसकी एक बूंद भी बर्बाद मत होने देना। हाय मेरी राधा रानी चूस अपने बेटे का लौड़ा। हाय मेरी राधा जानू... हाय मेरी लुगाईईऽऽ...” यह कहते-कहते मैं माँ के मुँह में झड़ रहा था और माँ भी मेरा सारा रस गटक रही थी।

उधर में माँ के मूत्र-छिद्र पर अपनी जीभ की नोक फिरा रहा था जिससे माँ दुगनी मस्ती में आ गई। मेरा लण्ड
का सारा रस पीकर माँ ने मेरा लण्ड मुँह से निकाल दिया।

राधा- “हाँ... विजय बेटे चाटो मेरे मूतने के छेद को चाटो। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैं भी झड़ रही हूँ। मेरी
भी चूत से कुछ बहने लग गया है। देख आज भी यह छोटा तेरी माँ को कैसे कस-कस के चोद रहा है। इसमें और इसके लण्ड में बहुत ताकत है। जितनी ताकत इसकी गाण्ड में बड़ा से बड़ा लण्ड झेलने की है उतनी ही ताकत इसके लण्ड में, चुदक्कड़ से चुदक्कड़ औरत को झड़... देने की है। मैं तो ऐसे दो-दो मस्त बेटों से मस्ती
करके पूरी निहाल हो गई...”

अजय- “हाँ... माँ मैं एक नंबर का गान्डू हूँ तो देख मैं एक नंबर का चोदू भी हूँ। देख मैंने कैसे तुझ जैसी चुदक्कड़ और लण्डखोर औरत को झड़ा कर रख दिया है। ले झेल मेरे धक्के। मैं तेरी चूत को भाड़ सी भोसड़ी। बनाकर चोद दूंगा। ले अब तो मैं भी झड़ रहा हूँ। मैं तो सारा माल तेरी चूत में ही गिराऊँगा। नौ महीने बाद मेरे माल से अपने जैसी एक चुदक्कड़ बेटी पैदा कर देना। जब तुम बूढ़ी हो जाओगी तब वो हम दोनों भाइयों के काम आएगी। भैया देख मैं माँ की चूत में झड़ रहा हूँ...” यह कहते-कहते अजय भी माँ की चूत में झड़ने लग गया। मैं माँ की चूत और भाई के लण्ड का मिलाजुला रस जो भी चूत से बाहर आ रहा था उसे चाट रहा था। कुछ देर बाद यह सारा तूफान बिल्कुल शांत पड़ गया और हम तीनों बिस्तर पर निढाल हो गये।

मेरी नींद सुबह के समय ही खुली। माँ अपने कमरे में जा चुकी थी और अजय नंगा पड़ा गहरी नींद में सो रहा था। हम तीनों माँ बेटों में आपस में कोई पर्दा और भेद भाव नहीं रहा। दिन में सबकी दिनचर्या सामान्य रहती और रात में नये-नये तरीके से बिल्कुल बेबाक होकर एक दूसरे से बिल्कुल बेशर्म होकर खुलकर मस्ती करते।

THE ENDES
 
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