hotaks444
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राधा- “ठंडे पानी से नहाने के बावजूद भी मेरा शरीर तो जला जा रहा है। पूरे शरीर में जैसे आग सी लग गई है। विजय बेटे, तेरे मूत में ऐसा क्या मिला हुआ था की जब से उसे पिया है तब से एकाएक मेरे शरीर में जलन होने लगी है। देखो ना मेरी चूत में चींटियां सी रेंग रही हैं। पूरी चूत भीतर से जल रही है। तुम लोग खड़े-खड़े देख क्या रहे हो? मेरा कोई इलाज करो ना... नहीं तो मैं जलकर राख हो जाऊँगी..." ऐसा कहकर माँ ने मेरे होंठ अपने मुँह में ले लिए और उनपर हल्के दाँत गड़ाती हुई अत्यंत कामातूर होकर मेरे होंठ चूसने लगी। काफी देर मेरे होंठ चूसने के बाद माँ अजय के भी होंठ उसी तरह चूसने लगी।
विजय- "माँ वही हालत मेरी हो रही है। तेरे मूत का स्वाद चखने के बाद तो ऐसी मस्ती चढ़ी है जैसी की आज तक नहीं चढ़ी। मैं तो आज तेरी गाण्ड मारूंगा। आज मुन्ने की बारी है चूत चोदने की। वो जिंदगी में पहली बार एक औरत की चूत चोदेगा और वो भी अपनी माँ की। माँ मुन्ने को अपनी चूत बहुत मस्त होकर देना। उसको चूत का ऐसा चस्का लगा दे की चूत का कीड़ा बन जाय। क्यों मुन्ना माँ की चूत लेगा ना? खूब मस्त होकर माँ को चोदना। तू बहुत नशीब वाला है की जिंदगी की पहली चूत तू अपनी माँ की चोदने जा रहा है...”
अजय- “हाँ भैया... आप दोनों का मूत पीने से जो मस्ती चढ़ी है, वैसी तो आज तक नहीं चढ़ी। मेरे लण्ड की नसें फट रही हैं। आज तो खूब मस्ती करते हुए, मजा लेते हुए मैं अपनी इस मस्तानी माँ को चोदूंगा। इसको जब मैं खेतों में मूतते हुए देखता था, तब इसे चोदने की इच्छा नहीं हुई। लेकिन इस साली का मूत पीकर तो ऐसी इच्छा हो रही है की एक झटके में ही पूरा लण्ड इसकी चूत में जड़ तक पेल दें, इसे एक रंडी की तरह चोदूं और चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा बना हूँ..” यह बोलकर अजय माँ की चूत के सामने घुटनों के बाल बैठ गया और उसमें पूरी जीभ घुसाकर उसे चाटने लगा। माँ की चूत का दाना जो पूरा तना हुआ था, उसपर दाँत गड़ाने लगा।
राधा- “हाँ... मैं अपने इस देवर राजा को खूब प्यार से अपनी चूत देंगी, इससे खूब मजा ले लेकर चुदवाऊँगी। अपने इस देवर को मेरे पर बोल-बोलकर चढ़ाऊँगी। आ जा मेरे देवर राजा तू जब कहेगा तेरे लिए टाँगें चौड़ी करके तेरे लण्ड के लिए चूत का फाटक खोल देंगी। तेरी जब इच्छा हो मेरी साड़ी ऊपर उठा दिया करो, मेरी चूत
में अंगुली दे दिया करो, मेरी टाँग उठाकर अपना लण्ड मेरे में पेल दिया करो, तेरे लिए कोई रोक नहीं है। देख मेरी चूत ठीक से देख। ये तेरे लण्ड के लिए तरस रही है। तू पहली बार चूत चोदने जा रहा है ना तो तू भी क्या याद रखेगा की औरत के टाँगों बीच वाले इस छेद का क्या मजा होता है? आ मेरे राजा आ... मुझे मनचाहे ढंग से चोद, खूब गंदी-गंदी बातें करते हुए चोद, मुझे हुमच-हुमच कर चोद...”
विजय- “आज हम दोनों भाई तुझे एक साथ दो-दो लण्डों का स्वाद चखाएंगे। चल मुझे अपनी मस्त गाण्ड दिखा।
मैं तेरी गाण्ड का बाजा बजाऊँगा और मुन्ना तेरी चूत का कबाड़ा करेगा...”
राधा- “आज तो इतनी मस्ती चढ़ी हुई है की मैं एक साथ दो-दो ऐसे मस्ताने लण्ड भी झेल लँगी। तू तो गाण्डों का दीवाना ज्यादा है। तुझे गाण्ड ही पसंद है तो देख मेरी फूली-फूली गाण्ड देख। मेरी गाण्ड का गोल छेद देख...”
यह कहते-कहते माँ ने एक पैर सिंगल सीटर सोफे पर रख दिया और सोफे पर झुक कर अपनी विशाल गाण्ड पीछे उभार दी। उसने अपने दोनों हाथ अपनी गाण्ड पर रख लिए और बहुत ही सेक्सी पोज में गाण्ड के छेद को फैलाते हुए अपनी गाण्ड दिखाने लगी। तभी वो अपनी एक अंगुली से अपनी गाण्ड खुद खोदने लगी और मुझे न्योता देने लगी की देख इसी छेद का तू दीवाना है, तू अपना लण्ड इसी में देना चाहता है।
राधा- “ले चाट इसे। ठीक से चिकनी कर ले इसे। खूब वैसेलीन चुपड़ के मस्त होकर मेरी गाण्ड मारना। तेरे लण्ड पर यह मस्तानी गाण्ड पटक पटक के तुझसे मरवाऊँगी..."
माँ की बात सुनकर मैं माँ की गाण्ड पर झुक गया और उसकी गाण्ड के गोल छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा। जीभ की नोक से उसपर सुरसुरी देने लगा। धीरे-धीरे माँ की गाण्ड का गुलाबी भूरा छेद खुलने लगा और उस छेद में जहाँ तक जीभ जा सकती थी वहाँ तक घुसाकर कामवासना से जलती हुई उसकी गाण्ड को चाटने लगा।
*
विजय- "माँ वही हालत मेरी हो रही है। तेरे मूत का स्वाद चखने के बाद तो ऐसी मस्ती चढ़ी है जैसी की आज तक नहीं चढ़ी। मैं तो आज तेरी गाण्ड मारूंगा। आज मुन्ने की बारी है चूत चोदने की। वो जिंदगी में पहली बार एक औरत की चूत चोदेगा और वो भी अपनी माँ की। माँ मुन्ने को अपनी चूत बहुत मस्त होकर देना। उसको चूत का ऐसा चस्का लगा दे की चूत का कीड़ा बन जाय। क्यों मुन्ना माँ की चूत लेगा ना? खूब मस्त होकर माँ को चोदना। तू बहुत नशीब वाला है की जिंदगी की पहली चूत तू अपनी माँ की चोदने जा रहा है...”
अजय- “हाँ भैया... आप दोनों का मूत पीने से जो मस्ती चढ़ी है, वैसी तो आज तक नहीं चढ़ी। मेरे लण्ड की नसें फट रही हैं। आज तो खूब मस्ती करते हुए, मजा लेते हुए मैं अपनी इस मस्तानी माँ को चोदूंगा। इसको जब मैं खेतों में मूतते हुए देखता था, तब इसे चोदने की इच्छा नहीं हुई। लेकिन इस साली का मूत पीकर तो ऐसी इच्छा हो रही है की एक झटके में ही पूरा लण्ड इसकी चूत में जड़ तक पेल दें, इसे एक रंडी की तरह चोदूं और चोद-चोदकर इसकी चूत का भोसड़ा बना हूँ..” यह बोलकर अजय माँ की चूत के सामने घुटनों के बाल बैठ गया और उसमें पूरी जीभ घुसाकर उसे चाटने लगा। माँ की चूत का दाना जो पूरा तना हुआ था, उसपर दाँत गड़ाने लगा।
राधा- “हाँ... मैं अपने इस देवर राजा को खूब प्यार से अपनी चूत देंगी, इससे खूब मजा ले लेकर चुदवाऊँगी। अपने इस देवर को मेरे पर बोल-बोलकर चढ़ाऊँगी। आ जा मेरे देवर राजा तू जब कहेगा तेरे लिए टाँगें चौड़ी करके तेरे लण्ड के लिए चूत का फाटक खोल देंगी। तेरी जब इच्छा हो मेरी साड़ी ऊपर उठा दिया करो, मेरी चूत
में अंगुली दे दिया करो, मेरी टाँग उठाकर अपना लण्ड मेरे में पेल दिया करो, तेरे लिए कोई रोक नहीं है। देख मेरी चूत ठीक से देख। ये तेरे लण्ड के लिए तरस रही है। तू पहली बार चूत चोदने जा रहा है ना तो तू भी क्या याद रखेगा की औरत के टाँगों बीच वाले इस छेद का क्या मजा होता है? आ मेरे राजा आ... मुझे मनचाहे ढंग से चोद, खूब गंदी-गंदी बातें करते हुए चोद, मुझे हुमच-हुमच कर चोद...”
विजय- “आज हम दोनों भाई तुझे एक साथ दो-दो लण्डों का स्वाद चखाएंगे। चल मुझे अपनी मस्त गाण्ड दिखा।
मैं तेरी गाण्ड का बाजा बजाऊँगा और मुन्ना तेरी चूत का कबाड़ा करेगा...”
राधा- “आज तो इतनी मस्ती चढ़ी हुई है की मैं एक साथ दो-दो ऐसे मस्ताने लण्ड भी झेल लँगी। तू तो गाण्डों का दीवाना ज्यादा है। तुझे गाण्ड ही पसंद है तो देख मेरी फूली-फूली गाण्ड देख। मेरी गाण्ड का गोल छेद देख...”
यह कहते-कहते माँ ने एक पैर सिंगल सीटर सोफे पर रख दिया और सोफे पर झुक कर अपनी विशाल गाण्ड पीछे उभार दी। उसने अपने दोनों हाथ अपनी गाण्ड पर रख लिए और बहुत ही सेक्सी पोज में गाण्ड के छेद को फैलाते हुए अपनी गाण्ड दिखाने लगी। तभी वो अपनी एक अंगुली से अपनी गाण्ड खुद खोदने लगी और मुझे न्योता देने लगी की देख इसी छेद का तू दीवाना है, तू अपना लण्ड इसी में देना चाहता है।
राधा- “ले चाट इसे। ठीक से चिकनी कर ले इसे। खूब वैसेलीन चुपड़ के मस्त होकर मेरी गाण्ड मारना। तेरे लण्ड पर यह मस्तानी गाण्ड पटक पटक के तुझसे मरवाऊँगी..."
माँ की बात सुनकर मैं माँ की गाण्ड पर झुक गया और उसकी गाण्ड के गोल छेद पर अपनी जीभ फिराने लगा। जीभ की नोक से उसपर सुरसुरी देने लगा। धीरे-धीरे माँ की गाण्ड का गुलाबी भूरा छेद खुलने लगा और उस छेद में जहाँ तक जीभ जा सकती थी वहाँ तक घुसाकर कामवासना से जलती हुई उसकी गाण्ड को चाटने लगा।
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