Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई - Page 6 - SexBaba
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Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई

मुन्ना- “भैया आप बहुत गंदे तो हो ही, साथ ही पूरे बदमाश और बेशर्म भी हो। भला कोई अपनी माँ को इस नजरिए से देखता है? आपने तो मुझे अपनी जोरू बना ही लिया। जैसे लोग अपनी लुगाई के साथ करते हैं वैसे ही आप अपनी इस बिना व्याही जोरू के साथ करते हो। क्या मेरी गाण्ड से आपका मन नहीं भरा जो माँ को चोदना चाहते हैं और उसकी गाण्ड मारना चाहते हैं..."


विजय- “अरे तुम तो मेरी इतनी प्यारी लुगाई हो, जिसे मैं दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ। तुमसे मैं। अपना कुछ भी छिपाकर नहीं रखेंगा, जो तेरे साथ करूंगा सब बताकर करूंगा और खूब प्यार से करूंगा। मैं तो तुमसे पूरा खुल गया हूँ इसलिए मन में कुछ भी ना छिपाकर तुझसे दिल की बात कर रहा हूँ। मैं जिससे प्यार करता हूँ उससे कुछ नहीं छिपाता और सच्चे प्यार में कुछ छिपाया भी नहीं जाता। जानता है तेरी गाण्ड पर मेरा दिल क्यों आया हुआ था? दर्शल मुझे माँ की उभरी हुई फूली-फूली गाण्ड बहुत प्यारी लगती थी। हाल में जब मैं सोफे पर बैठा होता था और वो अपनी भारी-भरकम गाण्ड मटका-मटकाकर इधर से उधर फुदकती रहती थी तब अक्सर मेरा दिल करता रहता था की इसे यहीं कार्पेट पर पटक-पटक कर और ससड़ी कमर तक ऊँची उठाकर इस पर पीछे से चढ़ जाऊँ और अपना 11" लंबा और 4” मोटा हलब्बी लौड़ा एक ही बार में इसकी गाण्ड में जड़ तक उतार दूं। तुम्हारी गाण्ड भी माँ की गाण्ड जैसी बहुत मस्त है। अब मुझे माँ की गाण्ड तो मिलने वाली नहीं थी, पर जब मुझे पता चला की तू अपनी गाण्ड का मजा लेने का शौकीन है तो मैंने फौरन मन में ठान लिया की अपने प्यारे कमसिन मुन्ने को क्यों ना अपना लौंडा बना लिया जाय? अच्छा मुन्ना तुम तो गाँव में इतने वर्षों से हो, तूने तो वहाँ कई लड़कियां चोदी होंगी? खाली लोगों को अपनी गाण्ड देकर ही मजा लेते हो या किसी लड़की या औरत की ली भी है?”


अजय- “भैया मुझे तो लड़कियों और औरतों से बात करने में और उनकी ओर आँख उठाकर देखने में ही शर्म
आती है, उन्हें चोदना तो बहुत दूर की बात है। मैंने इस रूप में आज तक किसी भी औरत की कल्पना तक नहीं की है...”


विजय- “तो क्या तूने आज तक किसी जवान औरत की चूत भी नहीं देखी? पर तू माँ के साथ तो हमेशा रहता था। माँ की चूत तो तूने किसी भी तरह जरूर देखी होगी? माँ के सोते समय, नहाते समय कभी तो मौका मिला होगा। बता ना अपनी प्यारी राधा देवी की मस्तानी चूत कैसी दिखती है?”


अजय- “हाँ भैया, कई बार देखी पर ठीक से नहीं देखी। माँ खेत में बैठकर मूतती थी तब एक बार यूँ ही नजर पड़ गई। इसके बाद जब भी माँ मूतने बैठती मैं छुप जाता और माँ को मूतते हुए देखने लगा। दूर से माँ की दोनों जांघों के बीच काले-काले बालों का बड़ा सा झुरमुट भर दिखता था और उसके बीच से छूर की आवाज से मूत की धार निकलती हुई दिखती थी। भैया माँ का मूतने का वो दृश्य बहुत ही गजब का होता था। माँ का मूत बहुत वेग से निकलता था...”


विजय- “मुन्ना तेरी यह बात सुनकर तो मेरा मन मस्ती से भर गया है, लण्ड अकड़ने लगा। मैं कामवासना से जलने लगा हूँ। जी तो करता है की माँ के उस बहते झरने के आगे मुँह खोल दें और उस मस्तानी धार को। गटागट पी जाऊँ। क्या माँ की वो झांटदार चूत देखकर तेरा लण्ड खड़ा नहीं होता था?”


अजय- “होता था भैया। तभी तो जब भी मौका मिलता था मैं जरूर देखता था। मैं इतना मस्त हो जाता था की मेरे पाँव आपने आप किसी ऐसे दोस्त की तलाश में मुड़ जाते थे जिसके साथ मस्ती कर सकें..."
 
विजय- “इसका मतलब माँ की नंगी चूत तेरे लण्ड को भी आकर्षित करती थी, नहीं तो तेरा लण्ड खड़ा नहीं होना चाहिए था। मेरा लण्ड भी माँ की झांटदार चूत के बारे में सोचकर, माँ की फूली मटकती गाण्ड के बारे में। सोचकर खड़ा होता है, पर तेरे में और मेरे में फर्क यह है की तूने उस चीज को पाने की कभी कोशिश नहीं की, जिसे देखकर तेरा लण्ड खड़ा होता था। वहीं मैं किसी दूसरे से मस्ती झड़वाने की बजाय उसी चीज को यानी की माँ की चूत या गाण्ड को पाने का जी जान से प्रयास करता हूँ, और जब मिल जाती है तो एकदम खुल्लम खुल्ला उस चीज का पूरा मजा लेता हूँ...” यह कहकर मैंने गोद में बैठे लौंडे भाई के होंठ अपने होंठ में जकड़ लिए और मस्ती से उन्हें चूसने लगा।


मेरा खड़ा लण्ड नीचे भाई की गाण्ड का छेद ढूँढ़ रहा था और उस बिल में समा जाने के लिए छटपटा रहा था। मेरी गोद में बैठे अजय का लण्ड भी बिल्कुल तना हुआ था और उसकी आँखें लाल हो उठी थीं। मैं भी वासना से पूरा जल रहा था और अपने मस्त भाई के होंठ चूस रहा था और उसके गाल खा रहा था।


अजय- “भैया आपकी बातें सुनकर बहुत मस्ती आ रही है। आप भी सब कुछ खोलकर पूरे नंगे हो जाइए। आज हम दोनों भाई मिलकर जवानी का खूब मजा लूटेंगे."


अजय की बात सुनकर मैं उठा और सारे कपड़े उतारकर बिल्कुल नंग धडंग हो गया। अजय की भी गंजी खोलकर उसे भी अपनी तरह पूरा नंगा कर लिया। हम दोनों जवान भाई बिल्कुल नंग धड्ग खड़े-खड़े एक दूसरे से चिपकने लगे, नीचे हमारे खड़े लण्ड आपस में टकरा रहे थे, हमारी छातियां आपस में पिस रही थीं, और हमारे होंठ बिल्कुल चिपके कुए थे। हम दोनों भाई अत्यंत कामातुर होकर एक दूसरे के जवान मर्दाने शरीर का पूरा मजा ले रहे थे। एक दूसरे के चूतड़ों को दबा-दबाकर दो शरीर एक शरीर बना लेना चाह रहे थे। कुछ देर इस मुद्रा में मस्ती लेने के बाद मैं बेड पर आकर बैठ गया और अजय भी मेरे पास बैठ गया।


विजय- “मुन्ना आज मैं रह-रहकर माँ की चूत और गाण्ड के बारे में ही सोच रहा हूँ, मुझे तेरी मस्त गाण्ड में भी
माँ की ही गाण्ड दिखाई दे रही है। देख माँ पूरी शहर के रंग में रंग गई है ना?”


अजय- “लेकिन भैया जरूर आपने ही माँ को मजबूर करके शहर के रंग में रंगा है और अब उसके दीवाने हो रहे हैं। आपने ही माँ को शहरी रंग ढंग अपनाने के लिए उकसाया होगा..."


विजय- “लो विधवा होते हुए भी माँ की खुद की भीतर से ऐसा बनने की इच्छा नहीं होती तो मैं क्या माँ के साथ जबरदस्ती कर सकता था? माँ शुरू से ही रंगीन तबीयत की औरत है। वो तो पिताजी की बीमारी की वजह से और गाँव के दकियानूसी माहौल की वजह से मन मार के बैठी थी। मेरी उसे थोड़ी हवा देने की और छूट देने की देर थी की पट्टी की रंगीन तबीयत मचल गई और सारे शौक जाग गये। देखना जिस तरह एक बार कहते ही माँ ब्यूटी पार्लर में जाकर लौंडिया जैसी बन गई है ना.. वैसे ही थोड़ी सी कोशिश करते ही वो हम दोनों के सामने नंगी भी हो जाएगी। बता, तुम जो दूर से ही माँ की चूत देखकर मस्त हो जाते थे, जब वो खुद पास से । तुमको अपनी चूत चौड़ी करके दिखाएगी तब तुम्हारी क्या हालत होगी? तूने माँ के मूतते समय माँ की चूत ठीक से देखी थी ना?”


अजय- “एक-दो बार माँ मूतते समय नीचे झुक के अपने दोनों हाथों से चूत को चौड़ी करती थी तब भीतर की लाल झलक देखी थी। पर आपको लगता है की माँ हम लोगों के साथ यह सब करने के लिए राजी हो जाएगी? । यदि हमारी ऐसी कोशिश से उसके दिल को थोड़ी भी ठेस लगी तो मुझे तो बहुत दुख होगा और मैं फिर कभी भी माँ से आँख नहीं मिला सर्केगा। मैं माँ का दिल दुखाकर बिल्कुल भी उसके साथ मस्ती करना नहीं चाहता...”
 
विजय- “मुझे लगता नहीं है, बल्कि पूरा विश्वश है की जितने हम दोनों उसकी जवानी का स्वाद चखने को उतावले हैं, उससे ज्यादा वो अपनी जवानी लुटाने को उतावली है। माँ तेरे से भी ज्यादा मस्त और सेक्सी है। अब बता तुझे मेरे सामने पैंट खोलने में शर्म आती है, मैंने जब पहली बार तेरी गाण्ड अंगुली से खोदी थी तो तूने थोड़े नखरे दिखाए थे। वैसे ही माँ हम लोगों के साथ ऐय्याशी करने को राजी है, पर अपनी ओर से झिझक रही है। तुम मेरा थोड़ा साथ दो तो देखना फिर मैं तुझे माँ से कैसे-कैसे मजे करवाता हूँ। एक बार माँ की जवानी चख लेगा और तुझे औरत का स्वाद मिल जाएगा ना तो फिर तुझे गाण्ड मरवाने से ज्यादा मजा चूत चोदने में आएगा। और फिर माँ का झांटदार बड़ा सा फुद्दा, सोचकर ही लण्ड फुफ्कार मारने लग जाता है...”


अजय- “अच्छा भैया, माँ यदि राजी भी हो जाय तो क्या आप माँ को भी वैसे ही चोद पाएंगे जैसे की आपने खुलकर अपने छोटे भाई की गाण्ड मार ली...”


विजय- “यह तभी संभव है जब माँ खुद मटक-मटक कर अपनी जवानी मुझे दिखाए और कहे की मैं सेक्स की आग में जल रही हूँ बेटे, अपनी माँ की आग ठंडी करो तो बात और है। मैं अपनी तरफ से तो थोड़ी भी कोशिश नहीं कर सकता। पर एक बात तो है माँ जैसी औरत मस्ती तो पूरी करवाएगी। उसकी एक बार मुझसे चुदने की देर है, फिर तो वो मेरे हलब्बी लौड़े की रखैल बन जाएगी और बोल-बोलकर अपनी चूत और गाण्ड मुझे देगी। पर माँ के साथ मैं पहल नहीं कर सकता...”


हालांकी मैं बिल्कुल खुलकर माँ को चोद चुका था और उसकी मस्तानी गाण्ड भी मार चुका था पर भाई के सामने नादान बनने की आक्टिंग कर रहा था।


मुन्ना- “तो भैया, माँ यदि राजी-राजी दे तो आप क्या माँ को चोद सकेंगे? भैया आप भी क्या चीज हो। माँ यदि पूरी नंगी होकर मेरे सामने आ जाय तो मेरा खड़ा होना तो दूर मेरी तो घिग्गी बंध जाएगी और यदि पहले से खड़ा भी होगा तो माँ को उस रूप में देखकर बेचारा मारे चूहे सा सुस्त हो जाएगा...”


मुन्ना की बात से मैं हँस पड़ा, और कहा- “तू चिंता मत कर। तेरे बड़े भैया तेरे साथ रहकर तेरी हिम्मत बढ़ाते रहेंगे, और तू अपनी मस्त माँ को आराम से चोद सकेगा। मुझे एक बार बस पता लग जाय की माँ मेरे से चुदना चाहती है? फिर तो मैं उसकी उसी तरीके से ताबड़तोड़ चुदाई करूँगा जैसी मैंने तेरी गाण्ड मारी थी। जब मैं अपने प्यारे से छोटे भाई को पटाकर उसकी गाण्ड मार सकता हूँ तो अपनी माँ को एक रंडी की तरह क्यों नहीं चोद सकता?”


मुन्ना- “भैया आप भले ही माँ को चोद लें, पर आखिरकार, वो अपनी माँ है उसे रंडी तो मत बनाइए। फिर तो हम दोनों रंडी की औलाद हो गये ना?”

विजय- "मैंने तुम्हें बताया ना की पहले तो माँ खुद मस्त होकर तथा बोल-बोलकर अपनी चूत और गाण्ड मुझे दिखाए। फिर मेरे से चोद देने के लिए भीख माँगे, तभी मैं उसे चोद पाऊँगा। इतना यदि माँ कर सकेगी तो भला मैं उसे एक रंडी की तरह क्यों नहीं चोदूंगा? मैं तो उसे गाली दे देकर चोदूंगा। पहले तो उसी की तरह मैं भी पूरा नंग धडंग हो जाऊँगा। तब उससे कहूँगा अरे बहन की लौड़ी तू अपने बेटे से चुदने के लिए आई है? क्या मेरा वो बाप साला हिजड़ा था जो तेरी भोसड़ी की आग ठंडी नहीं कर सकता था। अरे हरामजादी रंडी तू मेरी रंडी बनेगी तभी मैं तुझे चोदूंगा। खाली चोदकर ही तुझे नहीं छोड़ दूंगा, मैं तेरी फूली-फूली गाण्ड भी मारूंगा, तेरे मुँह में लौड़ा पेलूंगा साली कुतिया। तुझे मैं कुतिया बनाकर तेरे ऊपर पीछे से चढ़कर तुझे चोदूंगा। भोसड़ी की, तेरी चूत में बहुत आग है ना.. आज मैं अपने 11” के लौड़े से तेरी सारी आग ठंडी कर दूंगा...”

मुन्ना- “भैया आपकी ऐसी बातें सुनकर तो मेरे में भी आग लग गई है। आप बहुत सेक्सी बातें कर रहे हैं। भैया बहुत मस्ती चढ़ी है..”

विजय- "अरे तू चिंता क्यों करता है। माँ का स्वाद मैं अकेले थोड़े ही चबूंगा, तुझे भी तो उसे चोदने का, उसकी गाण्ड मारने का पूरा मौका देंगा। मैं उससे कहूँगा तू मेरी जोरू है तो मेरे प्यारे छोटे भाई की भाभी है और तू मेरे छोटे भाई के भी लण्ड की प्यास अपनी चूत और गाण्ड देकर बुझा। फिर देखना अपनी यह माँ दोनों भाइयों की जोरू बनकर रहेगी.”
 
मुन्ना- “भैया माँ तैयार भी हो जाएगी तो उसे नंगी देखकर मेरी तो सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाएगी और मेरा तो शायद माँ के सामने खड़ा तक नहीं होगा तो मैं उसे कैसे चोद पाऊँगा?”

विजय- “मैं चूसकर तेरा लण्ड खड़ा करूंगा और अपने हाथ से माँ की चूत में डालूंगा तू तो बस आँख मूंद कर धक्के लगाते रहना। अब तू मेरे साथ यह खेल खेलने लग गया है अब आगे-आगे देखते रहना मैं तुझे कितनी मस्ती करवाता हूँ। अरे तू तो मेरा सबसे प्यारा लौंडा है। तेरे मस्त चिकने बदन का तो मैं दीवाना हूँ। तू तो मेरा खास मक्खन सा चिकना लौंडा है। बता मेरा लौंडा है या नहीं?”


मुन्ना- “जब आपसे अपनी गाण्ड मरवाता हूँ तो आपका लौंडा तो हूँ ही...”

उसकी यह बात सुन मैंने छोटे भाई को अपने सामने खड़ा कर लिया। फिर अपनी उंगली से उसकी गाण्ड का खुला छेद खोदते हुए मैंने कहा- “मैं तो तेरे जैसे चिकने और गुदगुदे छोकरे के इसी छेद का दीवाना हूँ, इस छेद का मेरे से जी खोलकर मजा लेते रहना। आज भैया तुझे इस छेद का ऐसा मजा देंगे की अपने भैया को अपना सैंया बना लेगा। अरे तू तो मेरी रानी है रानी। तभी तो मैं अपनी माँ, मेरे दिल की रानी राधा रानी का मजा तेरे साथ बाँटना चाहता हूँ...”


अजय- "भैया आपके तो मन में माँ पूरी बस गई है। मैं तो पूरा आपके साथ हूँ, ठीक है मैं तो माँ को कल ही। कह दूंगा की या तो मेरे लिए अपने जैसी कोई भाभी खोजकर ले आए या खुद ही मेरी भाभी बन जाए। भैया । आज आप कुछ भी मत करिएगा सब कुछ मैं करूंगा। आप खाली यह सोचते रहिएगा की मेरी जगह माँ आपके साथ ये सब कर रही है...”


विजय- “ठीक है पर तुझे भी मेरी तरह बिल्कुल खुलकर एकदम खुली-खुली बातें करते हुए मुझसे मजा लेना होगा। चुपचाप रहने में मुझे मजा नहीं आता है। क्यों ठीक है ना? मैं आज चुप रहूँगा और अपने आपको तेरी । मर्जी पर छोड़ देंगा पर तुझे वैसी ही खुली-खुली बातें करते हुए मेरा मजा लेना होगा जैसा की मैं तेरा मजा लेता


मुन्ना- “ठीक है भैया तो आप मुझे अपने जैसा बेशर्म बनाना चाहते हैं। ठीक है जब बड़ा भैया चाहता है तो छोटा भाई भी पीछे क्यों रहे? खैर, मैं आपके जैसा तो नहीं बन सकता क्योंकी मैं तो आपकी गाण्ड मारने से रहा, मरानी तो आखिर मुझे ही है। मेरे सैंया तो आप ही रहेंगे, मैं तो हरदम आपकी लुगाई ही रहूँगा...”


मैं- “अरे तुझे मेरी मारनी है तो एक बार बोलकर तो देख। में तेरे से इतने प्यार से मरवाऊँगा की तू भी क्या याद रखेगा। बोल ना मेरे राजा, क्या अपने भैया की मस्तानी गाण्ड मारोगे?”



मुन्ना- “नहीं भैया, मुझे नहीं मारनी आपकी गाण्ड। आप ही रोज मेरी गाण्ड मारा कीजिए.." यह कहकर अजय उठा और आमिरा से कंडोम का पैकेट और वैसेलीन का जार निकाल लाया। उसने एक कंडोम मेरे लण्ड पर चढ़ा दी और मेरे लण्ड को वैसेलीन से अच्छे से चुपड़ने लगा। लण्ड को चुपड़ कर उसने मुझे हाथ पकड़कर बेड से उठा लिया और रूम की दीवार के सहारे मेरी गाण्ड टिकाके मुझे खड़ा कर दिया। फिर वो सिंगल सीटर सोफा मेरे सामने ले आया। उसने एक टाँग सोफे पर रखी और मेरे सामने झुक कर अपनी गाण्ड के छेद पर वैसेलीन । लगाने लगा। मैं पक्के गान्डू छोटे भाई की यह हरकत देखकर वासना से भर उठा, पर चुपचाप खड़ा-खड़ा इस दृश्य का मजा लेता रहा।
 
तभी अजय अपनी गाण्ड का छेद फैलाकर मुझे दिखाते हुए बोला- “हाय भैया देखिए ना मेरी गाण्ड का यह मस्ताना गोल छेद देखिए ना। देखिए इस छेद पर मैं खुद वैसेलीन चुपड़ रहा हूँ। आप जानते हैं ना की मैं इस गाण्ड के बड़े से छेद पर वैसेलीन क्यों चुपड़ रहा हूँ? भैया में आपके लण्ड का दीवाना हूँ। आज मैं खुद अपने हाथ से आपका लौड़ा अपनी गाण्ड में पेलूंगा। हाय मेरे राजा जानी। अपने राजा भैया का मस्ताना लौड़ा आज खुद आपका छोटा भाई अपनी गाण्ड में पिलवाएगा...”


जब गाण्ड कुछ चिकनी हो गई तो उसने जोर लगाकर आधी के करीब अपनी वो अंगुली अपनी गाण्ड में पेल ली। फिर उसने वो अंगुली बाहर निकाल ली और मेरी ओर मुड़ा। उसने दूसरे हाथ की इंडेक्स उंगली और अंगूठे की सहायता सा गोला बनाया और 3-4 बार वो वैसलीन लगी अंगुली मुझे बाहर-भीतर करके दिखाई। छोटे भाई की इस अदा ने तो मुझे पूरा मस्त कर दिया। मेरा लौड़ा टनटना कर पूरा सीधा खड़ा हो गया।


मुन्ना- “भैया आपका साँप तो आज बहुत जल्दी फुफ्कार मारने लगा। देखिए ना इसको मेरी गाण्ड का बिल क्या दिख गया उसमें जाने के लिए कैसे मचल रहा है? देखिए ना मैं इसी के लिए तो अपनी गाण्ड चिकनी कर रहा हूँ और यह है की थोड़ा भी सब्र नहीं कर रहा है। भैया थोड़ी देर इसे काबू में राखिया ना...” मुन्ना यह बात कहकर हँसने लगा।

मैं- “अरे मुन्ना तू तो गाँव जाकर आने के बाद मेरी वाली भाषा बोलने लग गया। गाँव के दोस्तों से सीख कर आया है क्या?”


अब मुन्ना मेरे खड़े लौड़े पर ठीक से वैसेलीन मथने लगा। मेरे लण्ड और अपनी गाण्ड को अच्छी तरह से चिकनी कर लेने के बाद वो अपनी टाँगें चौड़ी करके मेरे सामने खड़ा हो गया और थोड़ा झुक गया। उसने अपना एक हाथ पीछे करके मेरे लण्ड को पकड़ा और लण्ड के सुपाड़े को अपनी गाण्ड के छेद पर टिका लिया। फिर वो अपनी गाण्ड खोलते हुए अपनी गाण्ड कस के मेरे लण्ड पर दबाने लगा। मेरा सुपाड़ा उसकी गाण्ड में अटक चुका था, पर भीतर नहीं जा रहा था। तब एक झटके से उसने गाण्ड आगे खींच ली और बोतल से कार्क जैसे निकलता है वैसे ही मेरा सुपाड़ा उसकी गाण्ड से निकल गया। तब उसने वापस ढेर सारी वैसेलीन मेरे लण्ड और अपने छेद पर मली और वापस झुक कर मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड दबाने लगा।


इस बार जैसे ही उसने गाण्ड खोलते हुए एक झटके से गाण्ड पीछे ठेली तो मेरा पूरा सुपाड़ा उसकी गाण्ड में समा गया। मैंने अपनी गाण्ड दीवार पर जोर से दबा दी और मुन्ना की मस्ती के साथ चुपचाप मजा लेने लगा। अब अजय धीरे-धीरे आगे-पीछे होकर मेरे लण्ड की अपनी गाण्ड में जगह बना रहा था। तब उसने अपने दोनों हाथ पीछे अपने चूतड़ों पर रख लिए और अपने चूतड़ों को फैलाते हुए अपनी गाण्ड कस के मेरे लण्ड पर दबाने लगा।


उसकी इस क्रिया से मेरा लण्ड धीरे-धीरे उसकी गाण्ड में सरकने लगा। थोड़ी ही देर में पढ़े ने अपने आप मेरा 11' का मूसल सा लौड़ा पूरा अपनी गाण्ड में ले लिया। मेरे लण्ड को उसी प्रकार पूरा गाण्ड में पिलवाए वह सीधा खड़ा हो गया और उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया और विजयी भाव से उसने मेरे से आँखें मिलाई।


अजय- “क्यों भैया माँ होती तो क्या ऐसे ही आपसे मरवाती? आप ऐसे ही खड़े रहिएगा। आज आप मत मारिएगा, मैं खुद मरवाऊँगा..” अजय मेरी ओर देखते हुए कह रहा था।


मैंने अजय के होंठ अपने मुँह में ले लिए और अपनी जुबान उसके मुँह में डाल दी जिसे अजय चूसने लगा। मैंने अपने दोनों हाथ अजय के कुछ उभरे स्तनों पर रख दिए और जोश में उन्हें ही दबाने लगा। इसी मुद्रा में अजय रह-रहकर गाण्ड कुछ आगे खींचता जिससे तीन चोथाई लण्ड बाहर आ जाता और फिर पीछे कस के जोर का । धक्का देता जिससे मेरा लण्ड जड़ तक वापस उसकी गाण्ड में समा जाता। इस प्रकार वो काफी देर मरवाता रहा और मैं उसे चूमता रहा। फिर वो सोफे के दोनों हैंडल पकड़कर झुक गया और तेजी से आगे-पीछे होकर सटासट तेजी से गाण्ड मरवाने लगा।


शौकीन भाई के इस शौक का मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।
 
शौकीन भाई के इस शौक का मुझे बहुत ही मजा आ रहा था।

कुछ देर इस प्रकार तेजी से गाण्ड मरवाने के बाद उसने सोफा कुछ और आगे खींच लिया और अपने दोनों घुटने सोफे पर टिका दिए और अपनी गाण्ड मेरे लण्ड के सामने उभार दी। उसकी फूली हुई बड़ी सी गोरी गाण्ड मेरे सामने पूरी उभरी हुई, बिल्कुल माँ की गाण्ड जैसी मस्त लग रही थी। गाण्ड का बड़ा सा गोल छेद बिल्कुल खुला हुआ साफ दिख रहा था। तब अजय ने वापस अपनी गाण्ड का छेद मेरे लण्ड से भिड़ा दिया और अपनी गाण्ड तब तक मेरे लण्ड पर दबाता चला गया जब तक की वापस मेरा पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में ना समा गया। एक बार फिर सटासट गाण्ड मरवाने की क्रिया शुरू हो गई।

मैं- “मुन्ना तू तो इस खेल का पक्का खिलाड़ी है। वो भाई आज तो तूने तबीयत खुश कर दी। क्या मस्त होकर तूने अपनी गाण्ड का मजा दिया है। मैं अब और ज्यादा बर्दास्त नहीं कर सकेंगा...”


मेरी बात सुनकर अजय ने मेरा लण्ड अपनी गाण्ड से निकाल दिया और खड़ा हो गया। उसने मेरे लण्ड से कंडोम निकाल दी और हाथ से रगड़कर लण्ड पूरा चमका दिया। फिर उसने मुझे करवट के बल बेड पर लिटा दिया और 69 के पोज में खुद लेट गया। हम दोनों भाई एक दूसरे के लण्ड जड़ तक अपने-अपने मुँह में ले चुके थे और चुभला-चुभलाकर चूसने लगे। हम चूसते रहे और चूसते रहे जब तक की दोनों एक दूसरे के मुँह में पूरे झड़कर खलास नहीं हो गये। हम दोनों भाई काफी देर ऐसे ही बेड पर पड़े रहे। कुछ देर बाद मैंने अजय के सामने अपना मुँह कर लिया और मुन्ना के गाल प्यार से चूम लिए। अजय ने भी आँखें खोल ली और बड़े प्यार से मुझे देखने लगा। हम दोनों भाई ऐसे ही एक दूसरे को देखते हुए सो गये।


दूसरे दिन रात 9:00 बजे के करीब हम दोनों भाई साथ-साथ घर पहुँचे। माँ भोजन बनाकर हम लोगों का इंतजार ही कर रही थी। 10:00 बजे तक भोजन का काम निपट गया। भोजन के बाद हम दोनों भाई अपने कमरे में आ गये। थोड़ी देर बाद माँ भी वहाँ नाइटी पहनकर आ गई। अजय ने माँ को पहली बार नाइटी में देखा था सो वो माँ को आँखें फाड़-फाड़कर देखने लगा।


माँ- “ऐसे क्या घूर-घूर के देख रहा है? यहाँ शहर में तो औरतें नाइटी पहनकर बाजार तक में निकल जाती हैं...” हम दोनों के पास बिस्तर पर बैठते हुए माँ ने कहा।


अजय- “माँ पहले तो मुझे विश्वाश ही नहीं हुआ की यह तुम हो। मैंने तो सोचा की भैया की जान पहचान की कोई गर्लफ्रेंड होगी। वो माँ, तुम तो ऐसे लग रही हो जैसे आसमान से कोई परी नीचे उतर आई हो...”


मैं- “माँ, इन माडर्न हल्के फुल्के कपड़ों में तुम बहुत स्मार्ट लगती हो। देखो तुमको इस रूप में देखकर मुन्ना भी लाइन मारने लगा..."

अजय- “मैं तो ये लाइन साइन मारना जनता नहीं, पर मेरे जाने के बाद भैया ने माँ पर अपना पूरा जादू चला दिया है। देखो कैसे माँ को पूरा अपने रंग में रंग लिया है। बताओ ना मेरे जाने के बाद आप लोगों ने क्या-क्या किया? कैसे कैसे मस्ती ली?”


अजय की बात सुन मैंने चटखारे ले ले माँ के साथ सिनेमा जाने की, होटेलों में खाने की, पार्क की सैर करने की और माँ को मिसेज कपूर के ब्यूटी पार्लर में भेजने की और खूबसूरत' पिक्चर की स्टोरी के साथ माँ को अपनी गर्लफ्रेंड बनाने की बात बताई, पर माँ की चुदाई वाला पूरा चप्टर गोल कर गया।


अजय ने शिकायत करते हुए कहा- “जब तक मैं यहाँ था, तब तो आप हम दोनों को लेकर एक दिन भी कहीं बाहर नहीं गये, और मेरे जाते ही आप तो माँ पर लाइन मारने लगे...”


राधा- “नालायकों, क्या मैं तुम दोनों की लाइन मारने की चीज हूँ? लाइन तो मेरा यह शहरी बेटा उस ब्यूटी पार्लर वाली मिसेज कपूर की मारता है। जब से यह मुझे कपूर के पार्लर में ले गया है तब से एक ही रट लगाए हुए है की मैं भी उस कपूर की तरह बर्दू और दिखें..” माँ ने मेरा गाल चीटी में पकड़ते हुए कहा।
 
अजय- “हाँ माँ... भैया को मिसेज कपूर जैसी और तुम्हारे जैसी बड़ी उमर की औरतें ही पसंद हैं, तभी तो अब तक मेरे लिए कोई प्यारी सी भाभी नहीं लाए। क्यों भैया माँ को गर्लफ्रेंड बनाते-बनाते कहीं मेरी भाभी बनाने का तो इरादा नहीं है?” अजय ने माँ से नजर बचाकर मेरी ओर आँख दबाते हुए कहा।


राधा- “क्या कहा? मैं तेरी भाभी बनँगी यानी की इसकी लुगा... लुगाई? मैं तुझे भाभी जैसी दिखती हूँ? विजय तो कह रहा था की शहर में आकर तू बहुत समझदार हो गया है पर अभी भी तू गाँव जैसा ही भोलाभाला है...” माँ । ने इसे अजय की भोलेपन भरी बात समझकर हँसते हुए कहा।।


अजय- “पहले तो भाभी जैसी नहीं दिखती थी पर अब भैया ने तुझे मेरी भाभी जैसा बना लिया है। माँ तुम । बिल्कुल वैसी हो, जैसी दुल्हन की भैया कल्पना करते हैं और रही सही कसर भैया ने मेरे जाने के 6-7 दिनों में पूरी कर दी। जरा तुम दोनों अगल बगल में सटकर तो बैठो..”


कहकर अजय ने मेरे को और माँ को अगल बगल में सटा कर बैठा दिया और कहा- “देखो कैसी राधा और श्याम की सी प्यारी जोड़ी है। माँ तुम तो बिल्कुल भैया की उमर की लगती हो और तुम दोनों को देखकर कोई नहीं कहेगा की ये पति पत्नी नहीं है..”

अजय अपनी ओर से मेरे लिए माँ को पटाने में पूरा जोर लगा रहा था पर उस नादान को यह नहीं मालूम था की मैंने जैसे उसे अपने मस्त लण्ड का स्वाद चखाया है वैसे ही माँ को भी चखा चुका हूँ।


राधा- “तो तुम मुझे भाभी बनाना चाहता है पर पहले अपने भैया से तो पूछ लो। वो कहीं पीछे हट गये तो तू क्या करेगा?” अब माँ भी अपनी जान में शरारत पर उतर गई और अजय के भोलेपन में शामिल हो गई।


अजय- “भैया अपनी शादी व्याह के मामले में खुद क्या बोलेंगे? जब मैंने कह दिया तो हमारी तरफ से बात पक्की है। तुम शादी का जोड़ा पहन के आ जाओ, चट मॅगनी पट व्याह करा देंगे...” अजय ने गाँव के बड़े बूढ़ों जैसी बात कही।


मैं- “अब भाई शादी व्याह की बात मैं खुद तो करने से रहा। मुन्ना की पसंद मेरी पसंद है और मुन्ना जो बात पक्की कर देगा वो मेरी तरफ से भी बिल्कुल पक्की है। मैंने तो मुन्ना को बता दिया है की मुझे तो माँ जैसी ही पति की सेवा करने वाली भरी पूरी सुंदर पत्नी चाहिए। अब मुन्ना जाने और उसका काम जाने...”


अजय- “लो माँ भैया ने भी हामी भर दी। भैया के हरी झंडी देते ही अब माँ तू तो मेरी भाभी हो गई। माँ अब तू मुझे अपना देवर माने या ना माने पर मैं तो अब तुझे भाभी ही मानूंगा..."


राधा- “यह तुम दोनों की अच्छी मिली भगत है। वाह... ‘मान ना मान मैं तेरा मेहमान' वाली बात है यह तो। अब मैं तो चली सोने; एक मेरा लुगाई के रूप में सपना देखो और दूसरा भाभी के रूप में..." यह कहकर माँ अपने कमरे में चली गई।


माँ के जाते ही अजय ने कमरा बंद कर लिया और मेरे बगल में बिस्तर पर लेट गया।

मैं- “मुन्ना आज तो तूने कमाल कर दिया। तूने वो काम कर दिखाया जो मैं सोच भी नहीं सकता था। तूने तो सीधे-सीधे माँ से मेरी बात ही चला दी। मेरे प्यारे छोटे भाई अब किसी तरह इस मस्तानी औरत से मेरा टांका भिड़वा दे। तेरी कसम खाकर कहता हूँ की मैं तेरे साथ मिल बाँटकर ही इसका मजा लूंगा। माँ जैसी 46 साल की पूरी खेली खाई भरी पूरी औरत हम दोनों भाइयों को एक साथ पूरा मजा दे सकती है। तुझे औरतों की पूरी पहचान नहीं है, माँ जैसी मस्त औरतों को जब इस उमर में जवानी का शौक चढ़ता है ना तो वे भला बुरा कुछ भी नहीं देखती। एक बार खुल गई तो खुद भी मस्त होकर हम दोनों के लण्डों का मजा लेगी और अपनी चूत और गाण्ड हमारे लण्डों पर न्योछावर कर देगी..."


अजय- “भैया मुझे पता है की आपकी तबीयत माँ पर आ गई है और मैं जी जान से चाहता हूँ की आपको माँ मस्ती करने के लिए मिल जाय। इसके लिए मैं हर कोशिश करूंगा। मेरे को यह लालच बिल्कुल भी नहीं है की भैया के साथ-साथ मुझे भी माँ से मस्ती करने का मौका मिलेगा। मैं तो कभी-कभी आपसे ही गाण्ड मरवाके खुश


विजय- “एक बार तू माँ की चूत और गाण्ड का स्वाद चख लेगा ना तब देखना उस मजे का पक्का लोभी बन जाएगा। ऐसी गुदाज औरत को अपनी गोद में खड़े लण्ड पर बिठाकर उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां मसलना, तब । देखना तुझे कैसी मस्ती आती है। एक बार वो तेरे सामने अपनी चूत का फाटक खोल देगी, तब देखना तेरी जीभ उसे चाटने के लिए लपलपाने लगेगी। और यदि तेरे सामने अपनी हौदे सी गाण्ड उठा देगी तब तेरे लिए चुपचाप बैठे रहना क्या संभव हो पाएगा? तू सांड़ की तरह उसपर चढ़ दौड़ेगा। मैंने तो जब से तेरे से माँ के मूतने की बात सुनी है तब से उस धार के लिए मेरा हलक सुख रहा है। आज तो माँ के बारे में सोच-सोचकर ही गर्मी चढ़ रही है। मैं तो खूब अच्छे से शावर में नहाऊँगा। क्या तू भी मेरे साथ नहाने चलेगा?” मैंने बेड पर से उठाते हुए कहा।
 
फिर मैंने ब्रीफ को छोड़कर सारे कपड़े खोल दिए। माँ के बारे में सेक्सी बातें करने से मेरा लण्ड पूरा खड़ा था।
और इस वजह से आगे से ब्रीफ फूल गया था। मुन्ना अभी भी बेड पर बैठा था। मैंने ब्रीफ पर से फूले लण्ड को पकड़कर हिलाते हुए अजय को दिखाया।


मैं- “मुन्ना देख माँ की चूत और गाण्ड के बारे में सोचकर मेरा लण्ड कपड़े फाड़कर बाहर आने के लिए मचल रहा है। अब तो इसे माँ की झाँटों भरी चूत और फूली हुई गाण्ड मिले तभी यह ठंडा होगा। चाल उठ, तू भी अपने कपड़े खोल, जरा देखें तो सही की तेरे लण्ड की क्या हालत है?"


मेरी बात सुनकर अजय ने भी एक-एक करके ब्रीफ को छोड़कर सारे कपड़े उतार दिए। अजय का भी ब्रीफ मेरी तरह आगे से पूरा फूला हुआ था। मैंने अजय का लण्ड ब्रीफ पर से पकड़ लिया और कहा- “देख मुन्ना तेरा लण्ड भी माँ की चूत और गाण्ड के लिए तरस रहा है...”


अजय- “हाँ... भैया, आपकी इतनी गरम-गरम बातें सुनकर पूरी मस्ती आ रही है...”


विजय- "तो फिर चल हम दोनों भाई शावर में नंगे होकर नहाते हैं और आज बाथरूम में मस्ती करेंगे...” यह
कहकर हम दोनों मेरे कमरे के विशाल बाथरूम में आ गये।


बाथरूम में बड़ा सा बाथटब लगा था और प्लास्टिक का पार्टीशन पर्दा भी था। बाथरूम में आकर मैंने अपना ब्रीफ
भी उतार दिया और अजय का भी अपने हाथ से ब्रीफ उतारकर उसे भी पूरा नंगा कर लिया।

मैंने अपने मस्त नंगे भाई को बाँहों में भींचकर जोर से जकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा। हमारे लण्ड नीचे पूरे खड़े आपस में टकरा रहे थे और दोनों भाई एक दूसरे के चूतड़ अपनी ओर दबा रहे थे। तभी मैंने फुल फोर्स में शावर खोल दिया और ठंडे पानी की फुहारें बड़े वेग से हमारे नंगे जिश्म पर गिरने लगीं। मैं अपना चेहरा भाई के चेहरे पर रगड़ने लगा और एक दूसरे के अंग रगड़-रगड़कर एक दूसरे को नहलाने लगे। हम काफी देर इसी तरह नहाते रहे।


इसके बाद मैं अजय के सामने बाथरूम के फर्श पर बैठ गया और उसके मस्ताने लण्ड से खिलवाड़ करने लगा। कभी उसकी दोनों गोटियों को टटोलते हुए हल्के-हल्के दबाता, तो कभी उसके लण्ड का सुपाड़ा खोलता और बंद करता। मुझे छोटे भाई के लण्ड से बहुत प्यार था और होता भी क्यों नहीं क्योंकी उतने ही प्यार से वो मुझे अपनी गाण्ड भी तो मारने के लिए देता था। फिर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और आइसक्रीम की तरह चूसने लगा। मैं लण्ड को अपने थूक से पूरा तरबतर कर लिया और लण्ड को मुख से बाहर-भीतर करते हुए काफी देर तक चूसता रहा। अजय का शरीर अकड़ने लगा। वो भी अपनी गाण्ड ठेल-ठेलकर कर मेरे मुँह में अपने लण्ड को पेलने लगा।


इसके बाद मैं वहीं बाथरूम के मार्बल के फर्श पर लेट गया और अजय को घुटनों के बल पर ठीक अपने मुँह पर ले लिया। इस पोज में अजय का लण्ड ठीक मेरे मुँह के सामने था। मैंने भाई के लण्ड के लिए वापस मुँह खोल दिया। मैं कुछ देर फिर उसके लण्ड को चूसता रहा।


तभी मैंने कहा- “अजय आज अपने लण्डखोर भाई का मुँह उसी तरह चोद जैसे की मैं तेरी गाण्ड को अपने लण्ड से चोदता हूँ। अबे साले देखता क्या है? हुमच-हुमच कर अपने भाई के मुँह में अपना लौड़ा पेल। देख मैंने तेरे । लण्ड के लिए अपना मुँह खोल रखा है। आज अपना सारा माल मेरे मुँह में ही झड़ना। तू मेरे से जितने प्यार से अपनी गाण्ड मरवाता है तेरे बड़े भैया उतने ही प्यार से अपना मुँह तेरे लण्ड से चुदवाते हैं। मेरे मुँह में लण्ड का रस छोड़। रस नहीं निकलता है तो मादारचोद भोसड़ी के मेरे मुँह में मूत। मेरे मुँह में मू की धार छोड़, नहीं तो मैं तेरे लण्ड को काट खाऊँगा...”
 
मेरी बात सुनकर अजय के शरीर में एक बार ऐंठन हुई और दूसरे ही पल उसके लण्ड से गरम मूत मेरे मुँह में बहने लगा। मैंने उसका लण्ड जड़ तक अपने हलक में ले लिया और भाई का मूत्रपान मस्त होकर करने लगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड से मूत्र की धार निकलनी बंद हो गई, पर मैंने लण्ड को मुँह से बाहर नहीं निकाला। अगले ही पल भलभला कर उसका लण्ड मेरे मुँह में झड़ने लगा। भाई का गाढ़ा वीर्य मेरे मुँह को भर रहा था। कुछ वीर्य तो मैं गटक रहा था और कुछ उसके खड़े लण्ड में लपेटकर लण्ड को तेजी से मेरे मुँह में बाहर-भीतर कर रहा था।


फिर हम दोनों भाई शावर के नीचे खड़े हो गये और मैंने शावर वापस चालू कर दिया। हम दोनों नंगे भाई ठंडे पानी से काफी देर तक नहाते रहे। तभी मैंने शावर बंद कर दिया। हम दोनों के नंगे जिश्म से पानी टपक रहा था। फिर एक बड़े तौलिया से हम दोनों ने एक साथ अपने भीगे जिश्म पोंछे। बड़े तौलिया को दोनों के शरीर पर एक साथ लपेटकर आपस में टकराते हुए हमने अपने शरीर अच्छी तरह पोंछ लिए। फिर मैं कमरे में आ गया और अपनी नाइट ड्रेस पहन ली और बिस्तर पर लेट गया। अजय भी नाइट ड्रेस चेंज करके चुपचाप रोज की तरह मेरे साथ एक ही बिस्तर पर सो गया। आज मैं अपने भाई को तृप्त करके खुद एक अवर्णनीय तृप्ति महसूस कर रहा था और उसी की कल्पना में मुझे नींद आ गई।

आज मैं घर कुछ जल्दी आ गया। माँ किचेन में खाना बनाने का काम कर रही थी। मैं अपने रूम में आ गया और फ्रेश हो
पुंज करके वापस टीवी के सामने बैठ गया। थोड़ी देर में माँ भी किचेन का काम खतम करके मेरे पास आकर बैठ गई।


मैं- “क्यों माँ, मुन्ना के आ जाने से अब तुझे नींद नहीं आ रही होगी। कैसे काम चलाती हो? रात भर बिस्तर पर पड़ी इधर से उधर करवट बदलती रहती होगी और अपनी चूत में अंगुली पेलती रहती होगी। तेरे से ज्यादा तो तेरी चूत की चिंता अब मुझे है। ऐसा करना की आज तुम वापस सज-धज कर पूरे दुल्हन वाले रूप में आना। देखना मुन्ना तुम्हें जब इस रूप में देखेगा तो हक्का बक्का हो जाएगा। वैसे भी दुल्हन के रूप में तो तू कयामत ढाती हो। याद है ना तेरी पहली बार तो मैंने दुल्हन वाले रूप में ही ली थी। कैसे मैंने तेरे एक-एक करके कपड़े उतारे थे और तुझे पूरी नंगी करके तेरी क्या जबरदस्त चुदाई की थी...


माँ- “चल बेशर्म कहीं का। जब तक अजय यहाँ है, ऐसी बातें बिल्कुल नहीं। अजय को थोड़ी भी भनक नहीं लगनी चाहिए..."


मैं- “तुझे बताया तो था की अजय की तुम बिल्कुल चिंता मत करो। अजय तो अपने भैया का तेरे से भी ज्यादा दीवाना है। वो तो मेरी खुशी के लिए हरदम तैयार रहता है। तुझे मालूम है? मेरा पक्का लौंडा है वो...” यह बात मैंने माँ की आँखों में झाँक कर कही।


राधा- “तो क्या तूने यह भी शुरू कर रखा है? तभी अजय आजकल गहरी-गहरी बातें करता है। कल मुझे अपने भैया की दुल्हन बनाने के लिए कितना जोर लगा रहा था? मैं तो इसे उसकी नादानी समझ रही थी, अब पता चला की वो नाटक तुम दोनों की मिलीभगत का नतीजा था। क्या सचमुच में तुम अजय के साथ लौंडेबाजी करते हो? कहाँ तो मेरा भोला सा सीधा साधा छोटा बेटा और कहाँ तुम एक नंबर का चालू। तो तूने अपने चिकने भाई को भी नहीं छोड़ा? यह तो मुझे शक था की गाँव में उसकी संगत कुछ लौंडेबाज किस्म के मर्दो से थी, पर तेरे साथ वो इस हद तक खुल जाएगा, विश्वाश नहीं होता। तेरी तो वो भगवान जैसी इज़्ज़त करता है। जरूर तूने उसके साथ जबरदस्ती की होगी और शर्म के कारण अजय कुछ बोलता नहीं होगा। बेचारा मेरा मासूम बेटा... वो तेरा गधे सा मूसल कैसे झेलता होगा? बहुत ही शर्मीले किस्म का लड़का है ना, तेरे काम निपटाने तक चुपचाप पड़ा रहता होगा बेचारा...”


मैं- “अरे माँ ऐसी बात बिल्कुल नहीं है। जानती हो अजय एक नंबर का गान्डू है। तुझे चुदवाने का शायद जितना शौक नहीं होगा, उससे ज्यादा शौक उसे गाण्ड मरवाने का है। मैं तो एक दिन सोया हुआ था तभी उसने मेरे लण्ड से अपनी गाण्ड भिड़ा दी और मेरे लण्ड पर अपनी गाण्ड दबाने लगा। एक तो मुन्ना एकदम मक्खन सा चिकना है, लड़कियों जैसा कमसिन है, औरतों जैसी मस्त भरी और फूली हुई गाण्ड है और ऊपर से गाण्ड मरवाने का पक्का शौकीन है। अब तू ही बता ऐसा मस्त लौंडा जब खुद अपनी गाण्ड मेरे लण्ड पर दबाए तो मैं क्या ब्रह्मचारी बना रह सकता था? मैंने तो तेरी मस्त जवानी देखकर तुझे नहीं छोड़ा और आखीर में तुझे अपने साथ सुला ही लिया। फिर अजय तो मेरे साथ सोता ही है, उसे कैसे छोड़ देता? लेकिन मुन्ना भी ठीक तुम्हारी तरह मस्ती लेने का पूरा शौकीन है, भैया से खुलकर मजा लेता है और भैया को भी पूरा मजा करवाता है...”


राधा- “अभी तो तू कह रहा था की तुम्हें मेरे से ज्यादा मेरी चूत की चिंता है। मेरी फिकर लगी हुई थी की मैं एक बार तेरा लण्ड लेने के बाद अब रात कैसे काटती होऊँगी। पर तेरे लण्ड को तो छोटे भाई की गुदाज गाण्ड मारने को मिल रही है। तुझे मेरी चूत की कहाँ फिकर है? वो तो अपने भाई की गाण्ड के आगे तुझे याद भी नहीं आती होगी। तो तुम दोनों भाइयों की यह रासलीला कब से चल रही है?”


विजय- “देखो माँ इस मामले में तो मुन्ना ने तुमसे बाजी मार ली। तुम तो इतनी मस्तानी चूत और गाण्ड लेकर अंगुली करती ही रह गई थी। यह तो भला हो की मैंने ही अपनी तरफ से कोशिश की की माँ को भी मुन्ना की तरह बड़े से लण्ड की जरूरत है और जब मेरे पास यह है तो क्यों ना माँ को दे दिया जाय? तेरी खुशी के लिए मुझे अपना लण्ड देने में भी कितने पापड़ बेलने पड़े, तब कहीं जाकर मैं तुझे अपना लण्ड दे पाया। वहीं मुन्ना ने तो खुद मेरे लण्ड को अपनी गाण्ड का रास्ता दिखा दिया और बेचारे लण्ड का क्या दोष? उसे तो बिल दिखेगा तो वो तो उसमें जाएगा ही...”


राधा- “तो आज वापस मुझे दुल्हन के रूप में अपने कमरे में बुलाकर तुम दोनों भाई एक साथ मेरे साथ सुहागरात मनाओगे? तो क्या तूने अजय को अपने बीच की सारी बातें बता दी?”
 
मैं- “नहीं माँ तेरी मेरी पर्सनल चुदाई के बारे में मैंने मुन्ना को कुछ भी नहीं बताया है और ना ही आगे बताऊँगा। तू भी उसे मत बताना। उसके सामने हम दोनों इस तरह पेश आएंगे की जैसे सब कुछ पहली बार हो। रहा है। इसमें वापस नये के जैसा मजा आएगा। दूसरी बात मुन्ना और मेरे बीच अब कोई पर्दा नहीं रहा है।


मुन्ना को मैं बहुत प्यार करता हूँ और मुन्ना भी मेरी उतनी ही इज़्ज़त करता है। यह समझ लो की हम दोनों । भाई दो जिश्म एक जान हैं। जो कुछ भी मेरा है वो सब मुन्ना का है। इसलिए मुन्ना के बारे में बिल्कुल भी मत सोचो और हम दोनों भाइयों को अपनी मस्त जवानी का खुलकर मजा दो। एक बात तुझे और बताता हूँ की । मुन्ना को यह गान्डूपने का शौक गाँव से लगा हुआ है। वैसे तो मुन्ना मेरी ही तरह एक पूरा मर्द है, मस्ताना लण्ड है, जोश है, जवानी है पर अभी तक उसने औरत की चूत का स्वाद नहीं चखा है और गाँव में ना कभी इसे चखने की उसके मन में आई। उसे चूत का मजा देना जरूरी है, नहीं तो कई गान्डुओं को खाली गाण्ड मरवाने में ही मजा आता है और औरत की चूत देखते ही उनका लण्ड मुरझा जाता है। आगे शादी व्याह करके उसका घर भी तो बसाना है..”


तभी घर की घंटी बज उठी। माँ ने उठकर दरवाजा खोला तो अजय था।

माँ- “विजय बेटा तो आज जल्दी ही घर आ गया था, तेरा कब से खाने के लिए इंतजार हो रहा है। चल तू भी। तैयार हो जा, मैं दोनों भाइयों का खाना लगाती हूँ.." यह कहकर माँ किचेन में चली गई और अजय मेरे रूम में।

थोड़ी देर में हम तीनों खाने की टेबल पर थे। तीनों ने रोज की तरह हँसी मजाक और बातों में खाना खाया। खाना खतम होने पर माँ अपने कमरे में चली गई और हम दोनों भाई टीवी के सामने बैठे रहे। थोड़ी देर बाद माँ ने कहा की वो नहाने जा रही है। हम दोनों भाई भी अपने कमरे में आ गये। मैं भी शावर लेने बाथरूम में चला गया। मैं काफी देर बाद बाथरूम से निकला तो अजय बिस्तर पर लेट हुआ था। मैं भी बिस्तर पर आकर बैठ गया। हम दोनों भाई इधर-उधर की बातों में खो गये।

करीब 45 मिनिट यूँ ही बीत जाने के बाद 10:30 बजे के करीब माँ हमारे कमरे में आई। माँ की आज की सजधज देखने लायक थी। वही शादी का जोड़ा, सिर पर चुनर, माथे पर बिंदिया, गले में सोने का हार, हाथों में । कंगन और साथ ही दुल्हन वाली नजाकत और शर्म। अजय एकटक माँ को देखे जा रहा था। माँ धीरे-धीरे चलती हुई आकर हमारे साथ बिस्तर पर बैठ गई।

राधा- “लो पंडितजी महाराज दुल्हन भी तैयार होकर शादी का जोड़ा पहनकर आ गई। चलिए ‘चट मॅगनी पट व्याह' वाला काम शुरू कीजिए..” माँ ने अजय की तरफ देखते हुए हँसते हुए कहा।

अजय- “माँ, तू तो सचमुच में मेरी भाभी बनने के लिए दुल्हन बनकर तैयार होकर आ गई। हाँ, भैया जैसा दूल्हा बड़े नशीब वालियों को मिलता है। कहीं लड़के वालों का इरादा ना बदल जाय तो तुझे तो जल्दी दिखानी ही थी।

क्यों भैया, आपसे ज्यादा तो आपकी दुल्हन को जल्दी है, तैयार हैं ना?” अजय ने मेरी ओर देखते हुए कहा।

मैं- “ऐसी मस्त और सुंदर दुल्हन को देखकर कोई फूटे नशीब वाला ही ना कर सकता है। मैंने तो कल ही कह दिया था की तुम्हारी पसंद मेरी पसंद है। आगे अब तुम जानो और तुम्हारा काम...”

मेरी बात सुनकर अजय ने कुछ देर पंडितों जैसा मंत्र पढ़ने का नाटक किया और घोषणा कर दी की हम दोनों पति पत्नी बन गये।

अजय- “भाभी आप कितनी प्यारी लग रही हो। आप जैसी सुंदर पत्नी पाकर मेरे भैया की तो तकदीर खुल गई है। भाभी आप सज-धज के भैया के साथ सुहागरात मनाने तो आ गई हैं, पर मैं यहाँ से हिलने वाला नहीं। भाभी मैं तो रात भर यहीं बैठा-बैठा आपको देखता रहूँगा...” अजय माँ को बार-बार भाभी कहकर संबोधित कर रहा था
और छेड़ रहा था।

राधा- “तू यहाँ से क्यों हिलेगा? तू तो पहले ही मेरी सौत बनकर बैठा हुआ है। मैं तेरी सारी लीला गाँव से ही जानती हूँ। वहाँ हरदम लौंडेबाजों की संगत में रहता था। यहाँ भी जब ऐसे गबरू जवान भैया के साथ सोता है तो सुहागरात तो तूने बहुत पहले से ही मना ली होगी। चुद गया होगा अपने भैया से। आजकल भैया का तो तू । खासमखाश बना हुआ है। भैया की हर बात में हाँ में हाँ मिलाते रहता है। साथ में तेरा सैंया भैया भी तुझे ज्यादा ही हवा दे रहा है। मैं सब समझ रही हूँ। गाँव में तो तेरे मुँह से बोली तक नहीं निकलती थी। यहाँ तो तू ऐसे खिल गया है, जैसे लड़की शादी के कुछ दिनों बाद खिल जाती है। तुम मुझे कितना ही भाभी भाभी बोलो और देवर बनने की कोशिश करो, पर तू मेरी सौत है मेरी सौत। समझ रहे हो ना सौत का मतलब?” माँ ने सौत शब्द पर बार-बार जोर देकर कहा।

अजय जो इतनी देर से शेर बना हुआ था और माँ पर हाबी था, माँ की बात सुनकर उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और वो बुरी तरह से झेंप गया। उसने शर्म से गर्दन झुका ली।
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