hotaks444
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नीतु प्रीति से
आप यहाँ अराम कर लो अरुन आएगा तो। बता दुँगी।
प्रीति: चलती हूँ उसी के रूम मैं वेट करती ही तेरे फुफाजी का और हँस देती है।
नीतू: अच्छा जी फुफा जी ।
प्रीति: हाँ जब बॉय फ्रेंड बनाना है तो तेरे फुफाजी हुए ना।
और नीतू बाहर आ जाती है और प्रीति अरुन के बेड पे लेट जाती है।
और सोचती है अरुन कितना हॅंडसम है काश ये मेरा पति होता।
चलो बॉय फ्रेंड बना कर ही मज़े लेती हु उनके बस का तो कुछ है नहीं ५० साल के हो गये है अब तो उनका खड़ा भी नहीं होता।
कितने साल हो गये चुत में लुंड लिए हुए और
सोचते २ सो जाती है।
बाहर नीतू आकर सरला को प्लान समझाती है।
और दोनों अरुन के आने का वेट करते है।
अपने टाइम पे अरुन गेट पे
नीतू: माँ पापा आ गये आप जाओ अपने रूम में और सरला चलि जाती है।
और नीतू गेट खोलती है ।
अरुन नीतू से नज़र नहीं मिलाता।
माँ कहा है।
नीतू : आप के रूम में।
अरून सीधे अपने रूम में आ जाता है।
और रूम की लाइट ऑफ़ थी इसलिए वो ये नहीं देख पता बेड पे सरला है या प्रीति है।
और यही प्लान था नीतू और सरला का।
और अरुन धीरे से बेड के पास जाता है और प्रीति के पीछे लेट जाता है और अपना हाथ से प्रीति के मम्मे मसलने लगता है ।
मम्मे मसलने की बजह से प्रीति की आँख खुल जाती है।
पर प्रीति कुछ बोलति नहीं है।
तभी अरुन को एहसास होता है ये सरला नहीं है
और वो पीछे है जाता है।
अरुन के रुकने की बजह से प्रीति भी परेशान हो जाती है इसे क्या हुआ।
अरून बेड से उठता है तब प्रीति अरुन को आवाज़ देती है।
प्रीति: अरुन ।
अरुण कुछ नहीं बोलता।
प्रीति: अरुन क्या हुआ।
अरुण: कुछ नहीं बुआ।
प्रीति: ये क्या कर रहे थे।
अरुण: वो सॉरी बुआ मैं वो ।
प्रीति:मैं वो क्या तू किसी का वेट कर रहे थे।
अरुण: नहीं ऐसी बात नहीं है।
प्रीति: तो जो तुम ने शुरु किया उसे रोक क्यों दिया।
अरुण: वो मुझसे गलती हो गई।
प्रीति: मैंने कहा क्या की गलती हो गई
अरुण: पर आप मेरी बुआ हो।
प्रीति: मैंने कुछ कहा क्या ।
और अरुन के सर को पकड़ कर अपनी ओर खींचती है और अपने होठ अरुन के होंठो पे रख देती है।
और किस करने लगती है।
और बाहर सरला और नीतू सब देख रही थी।
सरला को पूरा यकीन था की उसका पति उसे धोखा नहीं देगा पर ये सब को देख कर सरला का ट्रस्ट हिलने लगता है और सोचती है जैसे प्रीति ने रमेश को उससे शुरु में अलग किया था अब उसके बेटे को भी छीन लेगी।
और उसकी आँखों में ऑंसू आ जाते है।
नीतू: सरला को देख कर- माँ क्या आप को भाई पे यकीं नहीं है।
सरला: है पर अपनी किस्मत पे नहीं ।
नीतू: पर माँ आप तो यही चाहती थी
सरला: चाहती थी पर अपने तरीके से ना की प्रीति की मर्ज़ी से।
आप यहाँ अराम कर लो अरुन आएगा तो। बता दुँगी।
प्रीति: चलती हूँ उसी के रूम मैं वेट करती ही तेरे फुफाजी का और हँस देती है।
नीतू: अच्छा जी फुफा जी ।
प्रीति: हाँ जब बॉय फ्रेंड बनाना है तो तेरे फुफाजी हुए ना।
और नीतू बाहर आ जाती है और प्रीति अरुन के बेड पे लेट जाती है।
और सोचती है अरुन कितना हॅंडसम है काश ये मेरा पति होता।
चलो बॉय फ्रेंड बना कर ही मज़े लेती हु उनके बस का तो कुछ है नहीं ५० साल के हो गये है अब तो उनका खड़ा भी नहीं होता।
कितने साल हो गये चुत में लुंड लिए हुए और
सोचते २ सो जाती है।
बाहर नीतू आकर सरला को प्लान समझाती है।
और दोनों अरुन के आने का वेट करते है।
अपने टाइम पे अरुन गेट पे
नीतू: माँ पापा आ गये आप जाओ अपने रूम में और सरला चलि जाती है।
और नीतू गेट खोलती है ।
अरुन नीतू से नज़र नहीं मिलाता।
माँ कहा है।
नीतू : आप के रूम में।
अरून सीधे अपने रूम में आ जाता है।
और रूम की लाइट ऑफ़ थी इसलिए वो ये नहीं देख पता बेड पे सरला है या प्रीति है।
और यही प्लान था नीतू और सरला का।
और अरुन धीरे से बेड के पास जाता है और प्रीति के पीछे लेट जाता है और अपना हाथ से प्रीति के मम्मे मसलने लगता है ।
मम्मे मसलने की बजह से प्रीति की आँख खुल जाती है।
पर प्रीति कुछ बोलति नहीं है।
तभी अरुन को एहसास होता है ये सरला नहीं है
और वो पीछे है जाता है।
अरुन के रुकने की बजह से प्रीति भी परेशान हो जाती है इसे क्या हुआ।
अरून बेड से उठता है तब प्रीति अरुन को आवाज़ देती है।
प्रीति: अरुन ।
अरुण कुछ नहीं बोलता।
प्रीति: अरुन क्या हुआ।
अरुण: कुछ नहीं बुआ।
प्रीति: ये क्या कर रहे थे।
अरुण: वो सॉरी बुआ मैं वो ।
प्रीति:मैं वो क्या तू किसी का वेट कर रहे थे।
अरुण: नहीं ऐसी बात नहीं है।
प्रीति: तो जो तुम ने शुरु किया उसे रोक क्यों दिया।
अरुण: वो मुझसे गलती हो गई।
प्रीति: मैंने कहा क्या की गलती हो गई
अरुण: पर आप मेरी बुआ हो।
प्रीति: मैंने कुछ कहा क्या ।
और अरुन के सर को पकड़ कर अपनी ओर खींचती है और अपने होठ अरुन के होंठो पे रख देती है।
और किस करने लगती है।
और बाहर सरला और नीतू सब देख रही थी।
सरला को पूरा यकीन था की उसका पति उसे धोखा नहीं देगा पर ये सब को देख कर सरला का ट्रस्ट हिलने लगता है और सोचती है जैसे प्रीति ने रमेश को उससे शुरु में अलग किया था अब उसके बेटे को भी छीन लेगी।
और उसकी आँखों में ऑंसू आ जाते है।
नीतू: सरला को देख कर- माँ क्या आप को भाई पे यकीं नहीं है।
सरला: है पर अपनी किस्मत पे नहीं ।
नीतू: पर माँ आप तो यही चाहती थी
सरला: चाहती थी पर अपने तरीके से ना की प्रीति की मर्ज़ी से।