Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना - Page 4 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ-बेटा:-एक सच्ची घटना

मैं मेरे मुह को अब उनके दूसरे कान के पास लेके जाके चूमा तो वह उनके सर को घुमाके मेरे दूसरे कंधे के ऊपर लेके गई. और गर्दन को थोड़ा हिलाकर मुझे और जगह बना दि. मैं मेरा हाथ उनके कमर को छोड़के उनके पीठ पे लाया और मेरी उँगलियाँ उनके ब्लाउज के नीचे से अंदर घुस गई. मुझे मेरी उँगलियाँ को उनके ब्रा का स्पर्श मिला. मैं पागल हो गया. और मेरा मुह खोलके उनके गोरे और मुलायम कंधे पे एक हल्का बाईट कर दिया. माँ तभी एक तेज सिसकी के साथ उनके जननांग को खुद मेरे लिंग के ऊपर प्रेस कर दिया.में समझ गया अब वह क्या चाहती है. मैं झट से मेरा मुह और नीचे करके फ़ाटक से उनके क्लीवेज में मेरा नाक डूबो दिया और जोर से एक सांस लिया. तभी उनके हाथों की उँगलियाँ मेरे पीठ के ऊपर ज़ोर से दबके बैठ गई. मेरे गले में उनके नरम नरम बूब्स का हल्का हल्का टच लग रहा है दोनों तरफसे. ऐसे होनेसे लग रहा है मेरे पाजामे के अंदर ही में झर जाऊंगा. लेकिन में यह नहीं चाहता था. में उनके अंदर झरना चाहता हु. मैं खुद को थोड़ा कण्ट्रोल करके सीधा होकर खड़ा हो गया और दोनों हाथ से उनकी पीठ पकड़ के उनके चेहरे को देखा अब मेरे आँखों में नशा उतर गया. मैं उसी नशीली नज़र से उनके चेहरा को देख रहा था. उनके नरम नरम पतले गुलाबी होठ काँप रहे थे. वह भी आंखे खोलकर मुझे देखि. उनको भी नशा हो गया. हम दोनों एक दूसरे की आँखों के अंदर देख रहे है. दोनों की सांस तेजी से बह रही है. मैं मेरे बॉल्स के अंदर की खलबली को कण्ट्रोल करने के लिये, मेरे होठो को धीरे धीरे नीचे ले जाकर उनके माथे के पास ले गया और उनके माथे को चुमा. फिर उनके नाक को धीरे से चुमा. फिर उनके ठोड़ी को. हर चुम्बन के टाइम वह कुछ पल के लिए अपनी आँख मूंद के मेरे प्यार को महसुस कर रही है. दोनों की गरम साँसें दोनों के चेहरे के ऊपर महसुस कर रहे थे. उनके गुलाबी होठ अब मुझे अपनी तरफ खीच रहे है. मैं मदहोश होकर मेरी आँखे बंद करके धीरे धीरे मेरे होठ उनके होंठो के ऊपर ले गया. मेरे होठ टच हो गये . वह एरिया बहुत नरम और गरम है.. मैं और अच्छी तरह से महसुस करने के लिए मेरे होंठो को हल्का खोलते ही अचानक मेरे दिमाग में कुछ संकेत गया. मैं तुरंत आंख खोला. और देखा की मेरे होठ और माँ के होंठो के बीच उनका हाथ रखा हुआ है और में उनकी नरम हथेली पर चूम रहा था उनसे नज़र मिलतेही उनके आँखों में एक शर्म और मुस्कराहट दिखाइ दिया. मैं रुक गया. समज नहीं आया अचानक उन्होंने ऐसा क्यों कर दिया. मैं अपनी सांस को कण्ट्रोल करते करते फुसफुसाकर कहा
“क्या हुआ!??
वो अपनी हथेली को वैसेही रखकर अपना चेहरा आधा छुपाके नज़र झुका ली और फुसफुसाकर बोलि
??और नही...बस??
मै थोड़ा निराश हो गया. अचानक ऐसे रुक ने के कारन मुझे थोड़ा गुस्सा भी आ रहा था मेरा लिंग उसकी पसन्दीदा जगह पे घूसने के लिए बेताब हुआ है. फिर भी धीरे से पुछा
??क्यों!!??
वो अब नज़र उठाके मेरी तरफ देखा और रुक रुक के बोली
??आप को....मैं..आपके पास चाहिए थी ना!! पास ही तो आगयी...??
मैन शाम को जो एसएमएस किया था ?? मुझे मेरी बीवी मेरे पास चाहिए??, उसी बात को लेकर यह कही है. पर मुझे और रुका नहीं जारहा है. मैं उनके अंदर घुसाकर मेरे लिंग के फुले हुये बडे कैप को डीप में ले जाकर मेरे बॉल्स का सारा बीर्य उनके अंदर छोड़ के शांत होना चाहता हु. मैं आवाज़ में और प्यार और पैशन लेकर फिसफिसाया
??नही....और पास चाहिए??
बोलके मेरे दोनों हाथों से उनको मेरी तरफ खिचता. हु अपनी हथेली वैसे ही हम दोनों के होंठो के बीच रख़कर, थोड़ा नट्खट सा बनके आँखों में और मुस्कराहट लेकर एक दम फुसफुसाकर बोली
??तो?? और टाइम आने दीजिये....??
मै समझ गया अब हु किसी भी हालत में कुछ करने के लिए तैयार नहीं है. शायद उनको खुद को और वक़्त चाहिए उनके बेटे के पास जो अब उनके पति बनने जारहा है, उसके पास खुद को पूरी तरह सोपनेके लिये. मैं उनकी इच्छा के खिलाफ कुछ भी कदम उठाके उनको दुःख नहीं पहुचाना चाह्ता था वह अपना तन मन पिछले १८ सालों से और किसी को दिया नही. नाहीं और किसी को अपने दिल में पति के रूप में बिठाना चाहा. लेकिन आज वह अपनी सब चीज़ें मुझे??..केवल मुझे देनेके लिए तैयार है. मेरी पत्नी बनने के लिए तैयार है. और मुझे इसका सम्मान देना चहिये. मुझे मालूम है वह तो अब बस मेरी है. ज़िन्दगी भर उन्हें प्यार करने को मिलेगा. और में भी केवल उनको ही प्यार करना चाहता हु. अपनी बीवी के रूप में पाना चाहता हु, केवल इस जनम में नही, अगले सात जनम तक.
 
ट्रेन में सब लाइट ऑफ करके सोगये. मैं भी अपने सीट पर एक बेड शीट बिछाके और दुसरेवाला ओढ़कर आंख बंध करके सोया हु. गर्मी का टाइम है लेकिन अंदर का माहौल एकदम ठण्डा है. मैं आखरी बार इस तरह यानि की एक बैचलर आदमी की तरह एमपी में वापस जा रहा हु. अगली बार जब वापस जाउँगा तब में एक मैरिड मैन बनके जौंउगा, अपनी बीवी के साथ वापस लौटुंगा.
पर में तभी भी जानता नहीं था की यह सप्ताह मेरे लाइफ का सबसे बिजी हप्ता बन जाएगा. ऑफिस के काम का प्रेशर सँभालने के साथ साथ मेरा ज़िन्दगी का नया सफर सुरु करने के लिए सारे इन्तेज़ाम में लग पडा मैं घर की सारी जरुरी चीज़ें को एक एक करके अरेंज करके लाकर रख रहा हु. अभी तक में एक सिंगल बेड पे सोता था अब हम दोनों के लिए एक डबल बेड भी ख़रीदा. मुझे एक अच्छा पलंग जैसा बेड पसंद था उसके दोनों साइड में ऊँचा ऊँचा लकड़ी के पैनल में सुन्दर सुन्दर डिज़ाइन किया हुआ. और चारों कोनो में स्टैंड लगा हुआ है . उसमे मच्छर दानी लगाने के लिये. मुझे पसंद था मैंने माँ को फ़ोन करके बताया तो माँ ने बोला की उस टाइप पलंग स्पेसियस घर के लिए अच्छा है. छोटे साइज के घर पर तोवो इन कोने टाइप बेड ज़ादा काम का होता है. मुझे एक्चुअली यह सब मालूम नहीं था तो माँ ने बताया की जब हमारा बड़ा घर होगा तब वह ख़रीदेंगे. लेकिन अब के लिए बॉक्स खाट लेना ठीक रहेगा. सो मैंने उनके कहने पर एक बॉक्स खाट ख़रीदा.उसके नीचे कैबिनेट बना हुआ है. उसमे सामान रखने के लिए अच्छी तरह से बना हुआ है. साथ में नए गद्दे और पिल्लोस वगेरा सब डीप कलर में लिया. और वह छोटा बेड को बाहर हॉल में रख दिया.

मै एक दुविधा में था मुझे शादी के लिए कम से कम तीन चार दिन का छुट्टी चाहिए थी मैंने ऑफिस में नया नया ज्वाइन भी किया. काम का प्रेशर भी है . और मुझे दिखाने के लिए जो रीज़न है वह में कह नहीं सकता. ऑफिस में ज़ादा लम्बा छुट्टी का अप्लाई करूँगा तो मेरा टीम मेम्बर्स कलीग्स तोह पुछेंगे ही में किस लिए छुट्टी ले रहा हु. और में उनको कैसे बताऊँ की में शादी करने जार रहा हु. अगर यह बता दिया तो उनसब को इनवाइट करना पडेगा. और अगर उनमे से कोई मेरी शादी अटेंड करना चाहे तो फिर सब गड़बड़ है. मुझे यह सब छीजें क़ायदे से सम्भालना है. शादी के बाद जब आउँगा तब तो मालूम पड़ेगा की में शादी करके बीवी लेके आया. पर तब में कुछ भी बता के मैनेज कर सकता हु. यह बोल सकता हुन की मुझे जबरदस्ती लड़की दिखाने लेके गये और वहां लड़की पसंद आगयी तो तुरंत एक दिन के अरेंजमेंट में शादी करवा दिये मेरे घरवाले. यह सब बोलके उनलोगों को एक छोटा रिसेप्शन दे दूँगा. बस झमेला खतम. इस लिए में केवल ३ दिन अप्लाई किया . और अगर एक दिन एक्स्ट्रा लगे तो फ़ोन पे बताके लीव ले लुंगा.

नानाजी से जब फ़ोन पे बात हो रही थी तब वह यह सुनके बोल रहे थे अगर कुछ दिन ज़ादा छुट्टी मिलति तो अच्छा होता. पर अब क्या करे. फिर उन्होंने मुझे रिसोर्ट बुकिंग के बारे में सब बताया. ऐसे कम लोगों का शादी सुनके रिसोर्ट वाले चोंक गये. बाद में नानाजी अपने हिसाब से एक स्टोरी बनाके तो बोल दिया था , लेकिन वह लोग पैसे ज़ादा मांगे. रजिस्टर्ड साहब, पण्डितजी, दुल्हन सजाने के लिए ब्यूटीशियन, शादी का समान वग़ैरा, स्टेइंग एंड लॉजिंग..सब मिलाकर ज़ादा लिया. नानाजी मुझे कुछ बोलने के लिए झिझक रहे थे. मैं समझ गया वह कुछ बोलना चाहते है. लेकिन बोल नहीं पा रहे है. मैंने पूछा की क्या हुआ नानाजी , क्या वह लोग और कुछ मांगते है. तो नानाजी बोले नहीं पर, वह लोग तो ऐसा सुन्सान शादी देखके संमझा शायद हम लड़की भगाकर लाक़े शादी करवा रहे है. कोई गेस्ट या रिलेटिव्स अटेंड नहीं कर रहा शादी. इस लिए वह लोग जान बुझके सब ज़ादा रेट लगाया. और भी बहुत कुछ अवेलेबिलिटी है रिसोर्ट मे. वह लोग बोलना चाह रहे थे . पर मैंने तो यह सब सुनके ही और आगे बात नहीं बढाया. फिर वह लोगों ने कहा की अगर दूल्हा या दुल्हन से एकबार बात होता तो वह लोग कुछ एमेनिटीज के बारे में बात कर सकते है. हो सके तो तुम पता करलो. क्या कहना चाहते है या क्या कुछ है. मैं नंबर. एसएमएस कर देता हु.
थोड़ि देर बाद नानाजी का एसएमएस आया तो मैंने रिसोर्ट के नम्बर में कॉल किया. मेरा परिचय दिया की अगले ट्यूसडे को एक शादी बुकिंग हुआ. हम बस ४ लोग आयेंगे. मैं ही दूल्हा हु. आप लोग कुछ एमेनिटीज के बारे में बोलना चाहते है. वह लोग मुझे विश किया पहले. फिर मेरे लाइफ का ऐसा एक महतपूर्ण अध्याय उन लोगों के रिसोर्ट से सुरु हो रहा है, इस लिए भी अभिनन्दन जताया. फिर बताया वह लोग शादी के सब बंदोबस्त के साथ शादी के बाद का कुछ फैसिलिटीज भी प्रोवाइड करते है. उन लोगों का रिसोर्ट मुंबई में एक खाड़ी के पास है. जो खाड़ी आगे जाकर अरब सागर में मिला. यह लोग शादी के बाद दूल्हा दुल्हन के सुहागरात के लिए सुन्दर सुन्दर स्टीमरप्रोवाइड करता है. यह स्टीमर रिसोर्ट के पास खाड़ी में एक जेति बनाया प्रायवेट, वहां है. पार्टी चाहे तो रात भर वहां खड़ा रख सकते है, या तो खाड़ी में उनलोगों का आदमी चला सकता है. छोटा छोटा प्राइवेट स्टीमर. ऊपर के डेक में छोटा सिटींग अरेंजमेंट. और एक कमरा. चारों तरफ से हवा आने के लिए बडी बड़ी ओपन खिड़कियाँ है. और डेक से सीधा एक सीडी नीचे गया. वहाँ नीचे एक रूम है. अच्छा बेड, टॉइलेट, टीवी, फ्रीज, कपबोर्ड़, का बंदोबस्त है. इसी रूम को वह लोग सुहागरात के रूम जैसा फूलोसे सजाके देते है. नीचे जाकर ऊपर का डोर लॉक करदेने में से, और कोई डिस्टर्ब नहीं कर सकता. रात भर अपने हिसाब से सुहागरात मनाव. मैंने फ़ोन पर ऐसे सब खबर लिया और रेट भी पूछ लिया था
 
अपडेट 33

लंच ऑवर में माँ का फ़ोन आया. वह मुझे पूछि की में मकान मालिक से मिलके आया की नही पर मैं बिलकुल भूल गया था एक्चुअली पिछले हप्ते में जो पर्दा ख़रीदा था , वह अभी तक लगा नहीं पाया. मैं जिस घर पे रहता हु, वह नया बना हुआ घर है. पार्टीशन करके दिवार वगेरा बनाया. पर विंडोज और दरवाजे पे पर्दा लगाने का बंदोबस्त नहीं किया. सो में जब दुकान से लोग बुलाये पर्दा लगाके फिट कर देणे के लिए तो वह लोग बताया की सारे खिड़की और डोर के ऊपर प्यानल बनाना पड़ेगा . फिर पाइप लगाके पर्दा फिट करना पडेगा. पर में मकान मालिक को बताया था जब घर लिया था की में उनका घर पर कोई कील या कुछ नहीं ठोकूंगा. या तो उनकी नयी पार्टीशन वाली दीवार ख़राब नहीं करुन्गा. सो मुझे उनके पास जाके उनको बताना है और परमिशन लेके आना है. फ़ोन पे कर सकता था पर एकबार सामने जाकर सब प्रॉब्लम सोल्व करना बेटर समझा. और इस बात को लेके काल रात माँ से बात हुआ था आज मुझे जाना था पर गया नही सो उन्होंने अभी फ़ोन पे याद दिलाया. मैं बोला की आज घर लौट ते वक़्त मिलके आउंगा.

ओर उस चक्कर मे मैं रात को लौटने में भी लेट हो गया. वह मकान मालिक आदमी अच्चा है. पर बोलता ज़ादा है. वह मुझे देख के ही बोलने लगा की मेरे नानाजी कैसे है, कब आएंगे यहां, वह कितने अच्छे इंसान है. उनसे दोबारा मिलना चाहते है वगेरा वग़ैरा. मैं यह भी बताया की में शादी करके बीवी को लेकर आ रहा हु, इस लिए घर का यह सब ठीक करना चाहता हु. मेरी शादी सुनके हज़ारों सवाल सुरु किये. मुझे किसी प्रकार से वहां से छुटकारा मिला. रात में डिनर के बाद फिर माँ को फ़ोन किया. मैं दिन भर माँ से उस रिसोर्ट के बारे में बात करना चाह रहा था पर सही तरह से मौका नहीं मिला. इसलिए अभी में उस बात को छोड़ दिया. रिसोर्ट वालो से क्या क्या बात हुआ सब बताया. वह सब सुन के चुप हो गई. उनकी सांस की आवाज़ मिल रही है. मैं थोडे टाइम बाद चुप्पी तोड़के पूछा की क्या वह उसदिन रात में वहां रहना पसंद करेगी? वह यह बात सुनके फ़ोन के उपर ही शर्मा गई. मैं मेहसुस कर पा रहा था वह कितनी शरमाई हुई है. यह सुनके भी जवाब नहीं दिया. मैं फिर पुछा. वह धीरे से, शर्म के साथ बोली की वहां उनके मम्मी पापा के सामने शर्म आयेगा. वह सीधा मेरे साथ हमारे नये घर पे आना चाहती है. मैं समझ गया की वहां नाना नानी के रह्ते हुए, मेरे साथ यानि की उनके खुद के बेटे के साथ सुहागरात मनाने में शर्म और लाज उनको घिरके रखेगी. इस लिए वह यहाँ आ जाना चाहती है. इसी घर पर, जो बस हम दोनों का घर बनेगा, वहां से हमारे नए रिश्ते में कदम रखना चाहती है. मैं उनकी हर खवाइश पूरा करना चाहता हु. वह ऐसे चुप होकर रह गई. मेरा मन ख़ुशी से काँप रहा है. मैं मन में कुछ शक्ति एकठ्ठा करके धीरे से पूछ
??ठीक है. हम मुंबई से दोनों यहाँ आजायेंगे??.
फिर में थोड़ा रुक के बोला
??मैं एक बात पुछ सकता हूँ?????
वह- धीरे से बोली
??पूछिए??
मैने प्यार से एकदम धीरेसे पुछा
??तुम हनीमून नहीं जाना चाहती हो???
मुझे लगा यह बात सुनके वह थोड़ा काँप उठि. शायद अंदर से वह हिल गई. क्यूँ की उन्होंने मुझे जिस तरह कंपकंपाती हुई आवाज़ से जवाब दिया, उसमे से मालूम करना कठिन नहीं की शायद एक दो आँसू भी गिर गया होगा. उन्होंने काँपती हुई आवाज़ से फुसफुसाकर बोली
??मैंने कभी सोचा नहीं था ??की मुझे ज़िन्दगी में दोबारा इतना सुख, इतनी ख़ुशी मिलने का सौभाग्य मिलेगी. मुझे इतना प्यार मिलेगा ??.??
बोलके माँ रुक गई. वह चुपके से रो रही है. मेरे छाती में एक कस्ट होने लगा. मैं उनको रोते हुए नहीं देख सकता. वह ख़ुशी के आँसू हो या दुःख के में उनकी आँखों से एक भी बून्द आँसू निकलने नहीं देना चाहता हु. वह फिर खुदको थोड़ा कण्ट्रोल करके बोली
??मैं जानती थी , कोई भी लड़की आप को पति के रूप में पाएगी तो वह दुनियाकी सबसे ज़ादा खुश नसीब होगी. आप का प्यार पाकर , मेरा यह जनम स्वार्थक हो गया. यह प्रार्थना करती हु, की में आप को हमेशा खुश रख पाऊँ . आप की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है. आप मुझे आप के साथ अगर पेड़ की छाओं में घर बसा ने के लिए भी कहेंगे तोह में वहां भी मेरा प्यार देके आप को सारी खुशियां देना चाहती हु. ज़िन्दगी की आखरि सांस में भी मैं आप की बाँहों में रहना चाहती हु. मैं आप का दिया हुआ सिन्दूर मांग मैं लेकर मरना चाहती हुं.....??
बोलकर माँ फिर रो पडी मैं बिचलित हो गया. मैं उनको कैसे सान्तवना दूंगा वह समझ नहीं पाया. मेरी सारी बातें, सारा कहना, सारा प्यार उठके आकर गले में अटका हुआ है. मैं भी भाबुक हो गया. मैं धीर से उनको बोला
?? अरे??.दुनियाकी सबसे ज़ादा खूबसूरत और प्यारी लड़की जब रोती है, तब मुझे सबसे ज़ादा कस्ट होता है और वह लड़की अगर मेरी बीवी है तोह उसी कस्ट से मेरा दिल टूट पडता है. फिर भी तुम रोओगी???
मेरी इन बातों से वह थोड़ा खुद को कण्ट्रोल करके बोली
 
अपडेट 34

मैं जानती थी , कोई भी लड़की आप को पति के रूप में पाएगी तो वह दुनियाकी सबसे ज़ादा खुश नसीब होगी. आप का प्यार पाकर , मेरा यह जनम सार्थक हो गया. यह प्रार्थना करती हु, की में आप को हमेशा खुश रख पाऊँ . आप की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है. आप मुझे आप के साथ अगर पेड़ की छाव में घर बसा ने के लिए भी कहेंगे तोह में वहां भी मेरा प्यार देके आप को सारी खुशियां देना चाहती हु. ज़िन्दगी की आखरि सांस में भी आप की बाँहों में रहना चाहती हु. मैं आप का दिया हुआ सिन्दूर मांग लेकर मरना चाहती हुं.....??
बोलकर माँ फिर रो पडी मैं बिचलित हो गया. मैं उनको कैसे सान्तवना दूंगा वह समझ नहीं पाया. मेरी सारी बातें, सारा कहना, सारा प्यार उठके आकर गले में अटका हुआ है. मैं भी भाबुक हो गया. मैं धीर से उनको बोला
?? अरे??.दुनियाकी सबसे ज़ादा खूबसूरत और प्यारी लड़की जब रोती है, तब मुझे सबसे ज़ादा कस्ट होता है और वह लड़की अगर मेरी बीवी है तोह उसी कस्ट से मेरा दिल टूट पडता है. फिर भी तुम रोओगी???
मेरी इन बातों से वह थोड़ा खुद को कण्ट्रोल करवाया. और फिर सिसकि लेके थोड़ा हास्के सिचुएशन को हल्का करने लगी खुद ही. प्यार भरी आवाज़ में थोड़ा फेक गुस्सा दिखाके बोली
??बस ..हमेशा झुट बोलके मुझे खुश करने की जरुरत नही मैं जानती हु.. में इतनी खूबसूरत नहीं हु. और में अभी भी आप की बीवी नहीं बनी????
मैन समझ गया वह धीरे धीरे सहज हो रही है. हालां की अभी भी थोड़ा थोड़ा सिसकि की आवाज़ आ रही है , फिर भी खुद को संभाल रही है. मैं भी सिचुएशन को लाइट करने लगा. मेरे दिल की बात, मेरी अन्तरात्मा की बात आसान तरीके से बताने लगा, मैंने कहा
??मैं सच मुच लकी हु..ऐसी सुन्दर प्यारी लड़की को खुद के बीवी के रूप में पाकर. क्या तुम खुद की छाती पे हाथ रख के कह पाओगी की तुम मेरी बीवी नहीं हो????
इस बार वह थोड़ा ज़ादा हास् पडी. और शरमा भी गई. फिर एक सिसकि लेके रोना एकदम बंध करके धीरे से बोलि
?? अगर में आप की बीवी होती तो आप मुझे मेरे नाम से बुलाते??.
मै इस बात पर खुद ही हस पडा मैं माँ से बात करते वक़्त कुछ नहीं बुलाता हु. इस लिए कभी कभी एक अजीब सिचुएशन में पड़ जाता हु और वह लेकर माँ मुझे हमेशा बोलती है. वह नहीं चाहति की में उनका बेटा बनके रहू. वह चाहती है में उनका पति बनके खुद को उनके पति के रूप में स्वीकार कर लु. मैं उन्हें कहा
??मुझे नाना नानी के सामने नाम से बुलाने में शर्म आएगी??.
वह बोली
??तो ठीक है . मम्मी पापा के सामने न बोलिये, लेकिन जब वह लोग नहीं है, तब तोह कह सकते है.??
मैने थोड़ा रुक रुक कर कहा
??हाँ ??वह कह सकता हु??????
बोलके दोनों चुप हो गये, एक दूसरे को फ़ोन के उस तरफ रहके प्यार जताने लगे खामोश बनके. थोडे टाइम बाद में धैर्यपूर्वक बोला
??तो अब बताओ??.??
वह गले में एक मिठास और प्यार लेकर धीरे से कहि
??क्या??????
मै आँख बंध करके फुसफुसाकर बोला
??मेरी मंजु कहाँ जाना पसंद करेगी हमारे हनीमून पे???
उनको पहली बार नाम से बुलाके खुदको एक अलग नशे में डुबा हुआ मेहसुस कीया. वह भी मेरे जैसे प्यार के नशे में बंध होकर फुसफुसाकर बोली
??आप जहाँ लेकर जाएंगे, आप की मंजु आप के साथ जाने के लिए तैयार है????
ऐसे ही एक इमोशनल मोमेंट्स से में उनको नाम से बुलाना चालू किया. और पिछले दो दिन से ऐसे ही चल रहा है. और अब माँ खुद को ज़ादा मेरी पत्नी महसुस कर रही है, और में भी उनको ज़ादा मेरी पत्नी मेहसुस कर रहा हु.
 
अपडेट 35

मैने मेरी होनेवाली बीवी के लिए कुछ गिफ्ट ख़रीदे. मैं जितने दिन से जॉब कर रहा
हु तब से मेरे सारा पैसा बैंक में जमा हो रहा है. मुझे सैलरी भी अच्छी मिलति है. पिछले कुछ महीनो से मेरे अकाउंट में काफी पैसा भी जमा हुआ है. हा..मुझे मालूम है की में अब फॅमिली स्टार्ट करने जारहा हु तो मुझे पैसे की जरुरत है. फिर भी में माँ के लिए कुछ अच्छे अच्छे गिफ्ट परचेस किया.. एक नेकलेस लिया. आज कल की ट्रेंड में जैसे सब लड़कीया एक पैर में पतली चेन जैसी पायल पहनती है, वैसे में एक पायल ख़रीदी. उनके गुलाबी पैरों में वो एक पायल बँधेगी तो वह उनको और सेक्सी बना देगी. फिर में कुछ साड़ी भी लिया. सब में हमारी नई स्टील की अलमारी में रख दिया उनके लिये. वह यहाँ आकर जब आलमारी खोलेगि, तब यह सरप्राइज उनके लिए है.

इन सब व्यस्तता के बीच पूरा हप्ता कैसे निकल गया मालूम नहीं पडा शायद शादी का दिन जितना आगे आ रही था , मन उतना चंचल हो रही था इस लिए शायद मेरे मन ने समय का ख्याल ही नहीं किया. मुझे बस यहाँ एमपी में माँ आने से पहले सब कुछ ठीक करके रखना था वह अब हो गया. अब उनका मैयका और ससुराल दोनों ही एक है. इस लिए में एमपी के घर को उनके ससुराल जैसा बनाने की कोशिश किया. यही उनके पति का घर होगा.

मैं ऑफिस में सिग्नेचर करके घर जाकर बैग वगेरा उठाया और दौड के स्टेशन जाकर ट्रैन पक़डी. हालां की मैं टिकट पहले से बुक करके रखता हु. मैं मेरे कुछ कपडे और जरुरी कुछ सामान लेकर बैग पैक किया. मुझे तीन चार दिन रहना है. मुंबई में भी जाना है. शादी का शेरवानी तो बन गया. बाकि में कुछ नये कपडे भी ख़रीदे थे. शादी में माँ के लिए जो भी चाहिए सब नाना नानी खरीद रहे है. मुझे बस जाना है, शादी करनी है और अपनी बीवी को लेकर आना है. और इस बात पे मैं माँ दुल्हन के भेष में कैसी लगेगी यह सोच के आँख बंध करके उनको सोचने लगा. आज तक मैं केवल उनका खूबसूरत प्यारा चेहरा, लम्बा गला , सूडोल गर्दन, गोलगोल हाथ, गुलाबी मुलायम छोटे छोटे पैर, और फ्लैट सेक्सी पेट ही देखा. बार बार उन सब की झलक भी दिमाग में आने लगी. मुझे उन सब में प्यार भरा चुम्बन लेने के लिए तरस रही हु. मैं पिछले ६ साल से उनको कितनी बार मेरी बाँहों में, मेरे पास, मेरे शरीर के साथ मिलाकर कल्पना कि है. और आज हमारा नसीब हम दोनों को पति पत्नी बना के ज़िन्दगी गुज़ार ने का एक सुनहरा मौका दे रही है. मेरे मन इस लिए ज़ादा माँ को प्यार करने लगा क्यों की वह भी यह चाहती है अपनी मन से. वह भी अपनी ज़िन्दगी केवल मेरी पत्नी बनके ही गुज़ारना चाहती है. हम दोनों के नसीब में यह लिखा हुआ था. और इस वजह से क़ुदरत ने भी उनको शायद ऐसे बनाया है. आज भी उनको देखके लगता है वह एक कुवारी जवान लड़की हो उनका शरीर का गठन ही ऐसा करके भेजा क़ुदरत ने. देख के कोई नहीं बोल सकता की वह मेरी माँ है. और वह अब ३६ साल की है. मैं २० का होकर भी मेरे गठन और शरीर का मजबूत गठन मुझे उमर से ज़ादा म्याचुर्ड लगता है. माँ जब मेरे साथ होती है, तब आजतक कोई कभी भी बोल नहीं पाया की वह मेरी माँ है. कोई कोई उनको मेरी बहन समझता है. अब हमें यह एक फ़ायदा क़ुदरत ने दे के रखा है. शादी के बाद हमारी उमर का जो फरक है, वह लेके किसीके मन में कोई सवाल पैदा होनेवाला नहीं है. यहाँ नई जगह पे नए लोग और ऑफिस कलीग में से कोई भी कुछ नहीं समझ पाएँगे. यह एक बड़ा भार छाती के ऊपर से निकल गया.

क़ुदरत ने सब तोह ठीक से दिया, लेकिन एक चीज़ से में हमेशा मन ही मन परेशान रहता हुं.

स्कूल लाइफ से आज तक जितने सारे फ्रेंड थे, वह लोग हमेशा लड़किओं के बारे में बात करते थे मुझे मालूम नहीं वह लोग कैसे और कहाँ से यह सब जान के आते थे पर वह लोग बोलते थे की जिस लड़की की हिप्स चौड़ी होती है और पेट के नीचे वाला हिस्सा यानि की कोख और ग्रोइन एरिया चौडा होता है, वह लड़की को गर्भ धारण करने के बाद पेट् में बच्चा धरण करने में आसान होता है. और उन लड़किओं की पुसी भी बडी होते है. मैं आज तक कोई लड़की से कोई सम्बन्ध नहीं बनाया. सो मुझे प्रक्टिकली कुछ पता नहीं था इस लिए मन में डर था माँ का बदन मध्यम स्ट्रक्चर की है. फ्लैट पेट के बाद पतली कमर है. और उनके नीचे ऊँचा ऊँचा हिप्स के साथ उनका वह पूरा एरिया पर्फेक्ट्ली शेप्ड है. ज़ादा चौड़ी या ज़ादा पतला नही उसदिन फ़ोन पर माँ उन की उमर के वजह से दोबारा माँ बनने के बारे में अपनी दुविधा जतायी थी. मैं जानता हु उनके पास भी कम टाइम है. इस लिए हमें शादी के बाद ही बेबी के लिए कोशिश करनी पडेगी. अगर नसीब में है तो ठीक है. अगर नसीब साथ न दे तो माँ के प्रति मेरे प्यार में कोई कमी नहीं आएगी. मैं उनसे प्यार करता हु. मैं उनको खुश रखना चाहता हु. इस लिए मालूम है की वह अगर फिर से माँ बनी तो वह बहुत बहुत खुश होंगी. मुझे उनकी ख़ुशी के लिए सब कुछ करना है. पर एक चीज़ जो मेरे मन को काटे जा रही है की क्या में उनके साथ ठीकसे शारीरिक सम्बन्ध बना पाउँगा!! क्या में उनको परिपूर्ण संतुस्टि दे पाउँगा!! क्यूँ की में जानता हु मेरे लिंग बाकि लोगों से मोटा और थोड़ी लम्बा तो है हि, पर प्रॉब्लम मेरे लिंग कैप को लेकर. उत्तेजना से वह फूल के एक गोल बॉल जैसा बन जाता है और बहुत बड़ा हो जाता है. क्या में माँ के नरम और छोटे शरीर के अंदर उनको बिना कस्ट देकर मेरे यह लिंग ठीक से अंदर डाल पाउँगा!! यहि सब बातें मेरे मन को काट ता है. क़ुदरत ने न जाने क्या रखा है हमारे नसीब मे.
 
अपडेट 36

अहमदाबाद पहुंच कर घर पहुँचने तक मेरे छाती में एक अजीब तरीके से एक अनुभुति खेल रही थी ख़ुशी भी हो रही थी थोड़ी शरम, थोड़ी अन्जान चिन्ता..सब सब मिलके शरीर में एक हल्का हल्का कम्पन फील करने लगा. डोर बेल बजाते टाइम शायद मेरे हाथ थोडा काँप गया. अन्दर जो लोग है सबके साथ बस दो दिन बाद से रिलेशन चेंज हो जाएगा. नाना नानी मेरे साँस ससुर बन जाएंगे, में उनका एक लौता दामाद, माँ मेरी पत्नी और में उनका पति बन जाऊंगा. नानी इस बार एकदम खुश होकर और चौड़ी स्माइल के साथ मुझे अंदर स्वागत किया. नानाजी भी एक कुरता और पाजामे पहनके मुह पे चौड़ी हसि लेके मेरी तरफ हाथ फैलाके आये और गले लगाया. मैं उनलोगों के पैर पड़कर ड्राइंग रूम में जाके बैठा. एक तो गर्मी , साथ में एक अनजान अजीब टेंशन . पसिनेसे एकदम गिला हो गया था पंखा खोल के नानाजी भी सोफ़े पर बैठ गया. माँ तभी पानी लेके आई. मैं माँ को एक झलक देखा . इस बार अचानक माँ को चेंज लगा. हालां की उनके अंदर वहि पुराणी शर्म , लाज थी फिर भी आज थोड़ी अलग लगी. जैसे की एक ग्लो उनके चारो तरफ से निकल रही है. पहले से थोड़ी सहज तो हो गयी नाना नानी के सामने, तभी भी उनका चेहरा भी ज़ादा ख़ुशी से भरा लगा. जैसे कोई कुंवारी नवजवान लड़की अपनि शादी से पहले हो जाती है, और होनेवाले पति के सामने एक शरम, संकोच और दबी हुई चाहत से पेश होती है, वैसे माँ आज लग रही है. पिछले वीकेंड में लास्ट देखा था. पर अब वह और सुन्दर , खूबसूरत और सेक्सी लगने लगी. मेरा मन अचानक एक दम ख़ुशी से पिघलने लगा . और माँ के लिए एक अलग फीलिंग्स से मेरे अंदर में तोड़ फोड़ होने लगी. आज यह बिस्वास मेरे मन में गाँठ कर गया की दुनिया में और भी खूबसूरत लड़कियां हो सकती है, पर मेरे नज़र में माँ से ज़ादा कोई खूबसूरत हो नहीं सकती. और में बचपन से ऐसे ही एक लड़की को मेरी बीवी बनके पाना चाहता था और दो दिन में यह खूबसूरत और सेक्सी लड़की मेरी पत्नी बनके मेरी बाँहों में होगी.

आज शाम को एक अलग माहोल मिला घर पर. हमेशा वही टीवी देख के , काम कि बात करके , डिनर करके बस सैटरडे नाईट ख़तम होती था पर आज सब अलग मूड में थे. नाना नानी बहुत सारी हसि की बात बता रहे थे. हम सब हस रहे थे. माँ भी कभी कभी कुछ काम के लिए ड्राइंग रूम में आति थी तो उनके होठ पे भी चौड़ी स्माइल दिखाइ देता था हालां की माँ अभी तक एक बार भी डायरेक्टली नहीं देख रही है मेरी तरफ. फिर भी दो चार बार हमारी नज़र मीली. और वह तुरंत शर्माके नज़र घुमा लि. कल हम शाम को मुंबई के लिए निकल जाएंगे. रात की ट्रैन ले रहे है और एकदम सुबह सुबह बांद्रा टर्मिनस पे पहुच जाएंगे. फिर वहां से टैक्सी लेके रेसोर्ट. वहाँ जाके फ्रेश होकर , ब्रेकफास्ट वगेरा कर लेंगे और उसके बाद हम रेस्ट करेंगे. फिर शाम को एक रसम होगी. पण्डितजी भी रहेंगे. और रात को डिनर करके सब जल्दी सो जाएंगे. क्यूँ की नेक्स्ट डे यानि की मंगलवार सुबह शादी का मुहूर्त है. यहाँ यह लोग अपना अपना पैकिंग वगेरा कर लिया है. एक अलग सूटकेस में मेरी शेरवानि, माँ का शादी का जोडा, और भी शादी का बहुत सारा सामान अलग से पैक करलिया. बात करते वक़्त में नानी को ??नानीजी?? ही बुला रहा था अचानक एक जगह पे बात करते करते नानी मेरे तरफ देख के चुप हो गई. कुछ पल मेरे तरफ नज़र टिकाके रखि. और फिर हास पडी. मैं समझ नहीं पाया. नानीजी नानाजी को देखा तो नानाजी भी हास रहे थे. फिर नानाजी बोले ?? हो जायेगा सुजाता धीरे धीरे सब ठीक हो जायेगा??.
मैन संमझा नहीं वह लोग किस बारे में बात कर रहे है. मेरे आँखों में वह सवाल पढलिया नानीजी. और फिर मुझे देख के हस्ते हस्ते बोलि
?? मुंबई जाकर फिर ऐसा मत करना बेटा. वहाँ और भी लोग होंगे??.
मै चुप होकर सुन रहा था मेरे दिमाग में माँ ऐसी छाई हुई है की में हमेशा उनको लेकर बहुत सारे सपने देखने लगा. इस लिए यहाँ बात के बीच में में लिंक खो बैठा. मेरी हालत देख के नानीजी फिर बोली
?? अब तो मुझे नानीजी मत बुलाओ. मम्मी बोलना सुरु कर दो. नहीं तो रिसोर्ट में नानी बोल दिया तो सब गड़बड़ हो जायेगा??.
बोलके नानीजी जोर जोर से हॅसने लगी. नानाजी हास रहे थे पर नानी जैसा जोर जोर से नही में इन सिचुएशन में थोडा अजीब फील करने लगा. साथ ही साथ शर्म भी . क्यों की बचपन से इन लोगों को नाना नानी बुलाता आया हु. आब मुझे मम्मी पापा बुलाना पडेगा. पर करना तो पडेगा. नहीं तो हमारे लाइफ में बहुत सारे अनवांटेड प्रॉब्लम आ सकते है चारों तरफ से. मैं भी तय कर लिया में मम्मी पापा ही कहुंगा. पर सुरु कैसे करें यहि प्रॉब्लम था पर अभी नानीजी सीधा बोल दि और जो बोली वह सच मुच ठीक भी है. शादी में नानाजी माँ को सम्प्रदान करेंगे और नानीजी मेरे तरफ से जितनी सारी रसम है वह सब सम्पन्न करेंगेमैं बस हास के गरदन झुका के इस परिस्थिति को सहज करने लगा. फिर और बहुत सारी इधर उधर की बात होने के बाद हम सब ने डिनर कर लिया. आज माँ थोड़ी सहज तो है पर सामने थोड़ी कम आरही है. और चुराके देख भी नहीं रही है. मेरी नज़र चारों तरफ घूम रही थी शायद माँ कहीं दिख जाये मेरी तरफ नज़र देते हुये. पर वह आज पूरी शाम बस खाना पकाने में जूटी रही और किचन से बाहर कम निकली. मुझे उनको देखणे, उनको पास में पाने की चाहत एकदम चरम सीमा पे था पर में भी मन को दबाके सब के सामने सहज होकर बैठा था खाना खाकर हम सब अपने अपने रूम में चले गये. मैं थोडा एक्ससायटेड हो रहा था अगर आज रात माँ एक बार एकांत में मेरे पास आने के लिए चाहे तो में सब बाधा सब संकोच तोड़के उनको प्यार करना चाहता हु. जब मन में हम एक दूसरे को पति पत्नी मान लिया है और एक दूसरे के पास हम सरेंडर कर दिए पूर्ण निष्ठा के साथ , जब मानसिक तरीके से एक दूसरे को ग्रहण कर चुके है तो शारीरिक तरीके से क्यों न मिल पाये. मैं इस के लिए तैयार हु, मेरे मन में कोई दुविधा नहीं रही.
 
अपडेट 37

सो मैं मेरे रूम में पहुचकर माँ को तुरंत एसएमएस किया .
" फिर से भूल गई!!!!"
उनका भी तुरंत रिप्लाई आया
" क्या?"
मैने थोड़ी शरारत करके लिखा
" अरे .. तुम को मालूम हैना रात में जब तक गरम दूध नहीं पिता हु और मेरे सर के बालों में तुम्हारा हाथ का छूना जब तक न मिले, तब तक मुझे ठीक से नीद नहीं आती है !!"
मेसेज सेंड करने के बाद सोचा की आज माँ आयेगी क्या? शाम को जिस तरीके से नज़र घुमा घुमा के चल रही थि, वह सोच के मैं पकड़ नहीं पाया उनके मन में क्या विचार है. अगर आयी तो आज मुझे रोकना मुस्किल हो जाएग. शादी का मुहूर्त जितना नज़्दीक आ रहा है, उतना ही बेताब हो रहा हु, उनको पाने के लिये. मेरे ख़ुद का बनाके पाने के लिये. मेरे प्यार भी जैसे दिन ब दिन बढे जा रहा है, वैसे उनके लिए मेरे अंदर आग भी बढ़ रही है. टाइम निकल रहा है पर माँ का रिप्लाई नहीं आया. मैं भी समझ नहीं पाया माँ आज क्या रिप्लाई देगी. क्या उनके अंदर भी मेरे जैसी चाहत बढ़ नहीं रही है क्या? क्या मेरे बारे में सोचके वह आसक्त होती है या नहीं ? अचानक यह सब के बीच बीप बीप करके एसएमएस आया. उन्होंने लिखा है
" वह में जानती हु...लकिन मुझे आप का ईरादा मालूम है"
पढके मेरे होठ पे एक स्माइल खील गया. माँ मुझे सही तरीके से हमेशा जान जाती थि, और आज भी वह मेरे मन का ईरादा पकड़ लि. फिर भी में भोला बनके लिखा
"क्या?"
उनका अब तुरंत रिप्लाई आया
" आप बहुत बदमाश बन गए हो".
अच्छा ..इस लिए पूरी शाम मेरे से दूर दूर रह रही थी. मैं लिखा
" ओहः.. इस लिए यहाँ आ नहीं रही हो!! तुम्हे मेरी बदमाशी पसंद नहीं है?"
उनहोने जल्दी लिख के भेजा
"उन्ह ह...एक दम नहि"
मुझे अब बस उनके मन की बात जानने का भूत सवार हो गया. मैं लिखा
"ईस लिए मेरे से दुर रह रही हो?"
बस फ़टाक से बीप बीप करके रिप्लाई आगया.
" हमं..इसी लिए तो."
मेरे सर पे शरारत चढ़ गया. और में धीरे धीरे टाइप किया
" दो दिन बाद से क्या करोगी? तभी भी मेरे से दुर रहोगी?"
सेंड करके सोच रहा हु अब वह क्या रिप्लाई देगी. हालां की वह अब पहले से सहज हो गई. स्पेशली हम जब अकेले होते है. मैं उनको नाम लेकर बुलाता हु. वह एक प्यारी पत्नी जैसा मेरे से बात करती है. तो में अब उनका रिप्लाई का इंतज़ार कर रहा हु. अचानक मेरे चिंता का लिंक तूट गया बीप बीप आवाज़ से. उन्होंने लिख के भेजा
"वह सोचना पडेगा".
मै समझ गया माँ मेरी परीक्षा ले रही है. और इसमें उनको आनंद भी मिल रही होगी. मैं भी उसी तरह उनको रिप्लाई दिया
" है राम...अभी भी सोचोगी?"
फटाफ़ट रिप्लाई किया
"ह्म्म.."
मैन फिर थोड़ी सोच के लिखना चालू किया.
" लेकिन मुझे मेरी बीवी .. मेरी मंजु हमेशा..ज़िन्दगी भर मेरे पास , मेरी बाँहों में चहिये".
इस बार तुरंत रिप्लाई नहीं आया, पर इंतज़ार भी ज़ादा करना नहीं पडा उन्होंने लिखा
" ओके. वह में उसको बता दूंगी"
इस जवाब से में थोड़ी रुक गया, माँ क्या लिख के भेजीं है. वह तो और किसीसे एसएमएस ही नहीं करति. ऐसा लगा और किसीके लिए टाइप किया , लेकिन मेरे फोन पर सेंड हो गया. मैं समझ नहीं पाया. क्या वह टाइपिंग गलत कर दि!! मैं एक दुवीधा के साथ लिखके भेजा
"किस्को?"
उनका तुरंत रिप्लाई आया.
" क्यूं...आप की बीवी को".
यह पढ़ के मेरे चेहरे पे फिर से स्माइल आगया. मेरे मन में एक ख़ुशी का तूफ़ान दौडने लगा. में फ़टाफ़ट टाइप किया
" ओहः..तो उनको यह भी बताना की उनका होनेवाला पति उनको बहुत?? बहुत?? प्यार करता है. उनके बिना ज़िन्दगी एक पल भी नहीं जी पाएगा."
" ठीक है. मैं उसको बता दूंगी.ओके"
" और हा...उनको यह भी बताना की उनके पतिके दिल में हमेशा एक ही खूबसूरत लड़की थी, अब है और रहेगी. दुनिया की सबसे खूबसूरत प्यारी लड़की को बीवी के रूप में पाके उनका पति खुद को भाग्यवान मानता है"
" मैं बता दूंगी . और वह यह बात याद रखेगी".
यह पढ़के मुझे मालूम हो गया की माँ बहुत इमोशनल हो गयी और अपनी दिल की बात लिख दिया. उस को पकड़ के में उन्हें परेशान करने के लिए लिखा
" तुमको कैसे मालूम की वह याद रखेगी या नहि"
काई रिप्लाई आया नही माँ शायद समझ गयी की पिछले एसएमएस में वह एक ग़लती कर दि, शायद वह वहि फिर से पड़ रही होगी और सोच रही होगी की कैसे फिर से बात को घुमाया जाए. थोड़ी देर में इंतज़ार करने के बार उनका रिप्लाई मिला
"क्यूं की में उससे पूछ लुंगि".
मैन तुरंत लिख के सेंड किया
"तो अब पुछो ना".
मा बस अब थोड़ी अपनी ही बातों से फस गई. वह समझ नहीं पा रही है की क्या रिप्लाई करे. लेकिन फिर भी लिख के भेजी
" अब वह बिजी है".
मैन हास के टाइप करने लगा
" ठीक है उनको फ्री होने के लिए बोलो और उनको बता दो".
मै यह सेंड कर दिया और कुछ न लिखके मोबाइल पकड़ के बैठा हु. बहुत टाइम कोई रिप्लाई आया नही वह क्या कर रही है अब!! मैं जो बोला उसका जवाब क्या देगीजब कुछ टाइम बाद भी कोई रिप्लाई नहीं आया तो में फिर से एसएमएस टाइप किया
" उनसे बात हुआ".
अब रिप्लाई आया.
"ह्म्मम्".
"तुमने पुछा वह यह सब याद रखेगी या नहि"
"हा...पूछ लिया".
"क्य बोली उन्होंने".
??वह यह सब बातें उसके दिल में सजाकर ज़िन्दगी भर याद रखेगी".
मेरे मन में माँ के लिए प्यार भर गया. अब वह इतनी प्रतिबद्ध और समर्पित हो रही है, मुझे उनके इस भावनाओं की कदर करना है ज़िन्दगी भर. मैं उनके दिल की बात और जानना चाह रहा था मैं लिखा
"और कुछ नहीं बोलि"
उनहोने थोडा टाइम लिया और लिखके भेजि
"वोह भी उसके होनेवाले पति को बहुत. बहुत ..प्यार करती है. पूरी जिंदगी उनके साथ, उनको प्यार करके गुज़ारना चाहती है".
मै भी इमोशनल हो गया. मुझे माँ के लिए जो आसक्ति हुई थी , अब इन सब प्यारी बातों में वह धीरे धीरे कम होने लगी. मेरे मन में उनको पाने के लिये, शारीरिक रूप से उनके पास आने के लिए मन छटफट कर रहा था पर अब भावूक होने लगा. मुझे मालूम पड़ रहा है की मेरे ऊपर एक रेस्पॉन्सिबिलिटी धीरे धीरे बढ़ रही है. माँ को खुश रख के उनका हर इच्छा पूरी करके , उनको सारे सुख , आनंद देकर उनकी ज़िन्दगी को रंगीन बना के रखना चाहता हु. वह ज़िन्दगी भर पति के प्यार के लिए तरसी होगी, अपनी फॅमिली पाने के लिए चाहत दिल में छुपाके रखी होगी, एक प्यारी पत्नी बनके ज़िन्दगी गुजारने का सपना दिल में दफ़न करदी होगी. पर आज उनको सब कुछ देना चाहता हु. इन सब भावनाओं के बीच मेरे फोन पर फिर से एसएमएस आया और उनको मजाक करते हुए लिखा
??और कुछ नहीं बोला उन्होंने??.
मा समझ नहीं पाई में और क्या पूछना चाहता हु, वह रिप्लाई में वहि लिखके भेजि
??और क्या!!??.
मैने लिखा
??दो दिन बाद से भी क्या वह मेरे से दुर रहेगी???
थोड़े टाइम चुप्पी रही फिर उनका रिप्लाई आया
??वह इसका जवाब अब नहीं बतायेगी. और टाइम आने दीजिये. आप को इसका जवाब मिल जाएगा??.
मुझे मालूम है माँ अब मुह से न कुछ बतायेगि, ना आज मेरे पास आयेगी. मैं बस उस दो दिन गुज़रने का इंतज़ार करने लगा.
 
अपडेट 38

नेक्स्ट डे यानि की संडे सुबह सुबह उठना पडा घर पे एक पूजा था मैं एक बार बिमार पड़ा था हॉस्पिटल में भी था तब नानी मेरे नाम का एक मन्नत रखी हुई थी. सब लोग यह कहते है की शादी जैसे एक पवित्र बंधन में बाधा पड़ने से पहले सारा उधार चुका देना चहिये. इस लिए आज वह पूजा हुआ. पण्डितजी हमारे ही फॅमिली के पण्डितजी थे उनको मेरे शादी के बारे में कुछ मालूम नही वह केवल मेरे नाम का उधार रखा हुआ पूजा करने के लिए आये थे. ड्राइंग रूम में पूजा हो रही थी मैं पण्डितजी के सामने बैठा था नाना मेरे पीछे राईट साइड में, नानी उनके बगल में और माँ नानी के पास यानि की मेरे पीछे बैठि हुई थी. पंडित जी पूजा ख़तम होने के बाद मुझे नाना नानी और माँ को प्रणाम करने को कहा. मैं मेरे आसन से उठके नानाके पास गया और उनके पैर छुयै. नानी के पास जाके झुक के उनके भी पैर छुए . मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था की माँ को अब प्रणाम करना चाहिए या नही क्यूँ की वह मेरी माँ है. हालां की दो दिन में वह मेरी पत्नी बन जाएगी. लेकिन फिर भी में उनका ज़िन्दगी भर पैर छु सकता हु. पर नानी को लगा की शायद में दुविधा में हु की माँ का पैर अब छु यानही इस लिए जैसे ही में उनका पैर छूकर खड़ा होने गया, वह मेरे सर पर हाथ रखके अशीर्वाद करने लगी और में झुक के उनके सामने रह गया. तब नानी मुझे बोला " अब जाओ माँ का पैर छु लो". शायद उन्होंने मुझे और माँ को.. दोनों को यह कहना चाहती है की शादी न होने तक अब हम माँ बेटे ही है. मैं माँ के पास गया और झुक के उनके पैर छुये. माँ सर झुका के बैठि थी. मुझे हमेशा उनके उन गुलाबी पैरों को चूमने का मन करता है. पर अब इस परिस्थिति में में मेरे मन से , एक बेटा उसकी माँ का पैर जैसे छुता है, वैसे में उनके पैर छुयै.
पूजा थोड़ी लेट ही ख़तम हुआ था हम सब लंच करके थोड़ी रेस्ट करने लगे . क्यों की शाम को निकल के ट्रैन पकडना है. और रात भर जर्नी करना है. मैं बस अब कुछ सोचने का मौका नहीं पा रहा हु. सब ऐसा इतना जल्दी हो रहा है. मैं भी तैयार होकर हमारी सब का लगेज वगेरा लेकर टैक्सी करके स्टेशन पहुच गया. और टाइम होते ही हम ट्रैन में चढ़ गये. माँ आज एक पिंक कलर की साड़ी पहनी हुई है. उस साड़ी से और उनके चेहरे से जो ग्लो दे रही है , वह सब मिलकर बहुत ही खूबसूरत लग रही है. और मेरे मन में एक ख़ुशी का हवा का झोका जैसे आगया. मैं सोच रहा था की यह प्यारी, सुन्दर, खूबसूरत सेक्सी लड़की बस और कुछ टाइम के बाद मेरी बीवी बन जाएगी. .. और वह मेरी..केवल मेरी ही होजाएगी. मैं उनको देखते रहा और वह बस सब का सोने का इन्तेज़ाम करनेलगी. नाना नानी नीचे के बर्थ में सो गये . और में और माँ ऊपर के बर्थ मे. मैं मेरे बर्थ में सोके उनके तरफ घूमके केवल उनके ऊपर नज़र टिकाके रखी है. वह कुछ टाइम यह महसुस किया और फिर मेरी तरफ देख के ,एक स्माइल देकर शर्मा के घूम गयी और मेरी तरफ पीठ करके सो गई. मैं उनके पीठ के तरफ देखते देखते बहुत उत्तेजित होने लगा. मेरा लिंग फिर से कठिन होने लगा. उनकी पतली कमर और हिप्स के ऊपर नज़र गया. फिर ऊपर जाकर उनके सुडौल गर्दन पे नज़र पड़तेहि में उत्तेजना के चरम सीमा पे पहुच गया. और अनजाने में मेरा हाथ मेरे पाजामे के अंदर जाके मेरे लिंग को छु लिया. मैं बस एकबार मुठ्ठी पकड़ के मेरे लिंग को पकड़ा और फिर थोड़ी टाइम बाद छोड़ दिया. मैं खुद को कण्ट्रोल करते करते सोचने लगा की बस और दो दिन. उसके बाद मेरा लिंग जहाँ दुनियाका सबसे ज़ादा आनंद मेहसुस करेगा, वहां होगा.
 
अपडेट 39


हम सुबह ५.३० बजे बांद्रा टर्मिनस पे उतर गये. गर्मी का मौसम था सुबह की नरम शीतल हवा से बहुत अच्चा लग रहा है. नाना नानी मुंबई आकर थोडे उदासीन भी हो गये. नाना की शादी के बाद वह लोग कुछ दिन मुंबई में थे. यहाँ नानाजी बिज़नेस सुरु किया था बाद में शिफ़्ट होकर अहमदाबाद चले गये. वहाँ माँ का जनम हुआ. और आज तक वह लोग वहि अपना घर बना लिया . आज यहाँ फिर पूरा फॅमिली के साथ आकर वह लोग थोडे भावूक बन गये. नाना उनके जवानी की बहुत सारी पुराणी बाते बताने लगे. हम स्टेशन से टैक्सी लेकर उसमे सारे लगेज लोड करके रिसोर्ट के लिए चल पडे क़रीब देड घंटे का रास्ता है. माँ सुबह से चुप चाप है. केवल नानी के साथ कुछ बात चित कर रही है. मैं नज़र चुराके दो चार बार उनको देख लिया. मेरा मन अब ख़ुशी से हस रहा है. माँ के अंदर भी एक खुशी की उत्तेजना फैली हुई है, और वह उनका चेहरा देखके, आँखों की हलचल देख के और शारीरिक हलचल देख के पता चलता है. वह नानी के ही आस पास घूम रही है. नानी के साथ ही चल रही है. वह मेरे तरफ देख ही नहीं रही है. मैं सोचता हु की माँ के मन में क्या मेरे लिए , मेरे प्यार के लिए कोई तूफ़ान हो नहीं रहा है!! केवल मेरे अंदर ही है !!! आज बहुत दिन बाद हम पूरी फॅमिली घर से एकसाथ बाहर आकर सब को अच्चा लग रहा है. मैं भी माँ के साथ बहुत दिन ऐसा दुर कहीं आया नहीं था इस लिए आज इस मुंबई शहर में हम एकसाथ आकर हमारे बीच का बॉन्डिंग सब को मेहसुस होने लगा. हम एक फॅमिली है. सब एक दूसरे के लिए ही है. और अब तो और भी नज़्दीक रिलेशन पे जुड़ने जा रहे है. कोई अन्जान लड़की नहि, इस घर की बेटी ही इस घर की बहु बन के आरही है. इसी घर का बेटा इसी घर का दामाद बन के ज़िन्दगी भर एक दूसारे से जुड़े रहने का संपर्क बांध ने जा रहै है. टैक्सी में में ड्राइवर के पास बैठा हु. पीछे नाना, नानी और नानी के पास माँ बैठि हुई है. नानी बीच बीच में माँ को पकड़के रख रही है. माँ के पीछे से हाथ घुमाके उनके दूसरे बाजु पकड़ के अपने पास, अपने दिल के और पास संभाल के रख रही है. एक लौती बेटी. सारा सुख-दुःख उनको घिरके ही है. और आज ऐसा लग रहा है की जैसे उनकी बेटी शादी करके दुर चले जायेगी उनका घर खाली करके, और इस लिए जितना टाइम मिले माँ बेटी एक साथ रहके अपना मन का प्यास मिटा पाई. नानाजी जाते जाते एक एक जगह दिखा रहे है और वह यहाँ क्या क्या किया है वह सब बता रहे है. नानी जी भी बीच बीच में उनका साथ देकर बातों का लिंक जोड़नेलगी. मैं आगे बैठके पीछे नाना का बात सुनने के लिए बीच बीच में पीछे मुड़के देख रहा हु. और तभी एक झलक माँ को देख ले रहा हु. माँ बस बाहर की तरफ नज़र टीका के रखी है . पर मालूम पड़ रही है की उनका मन हमारे बीच में ही है. वह हम सब के बीच होकर भी अकेली हो रही है. उनके होंठो पे हलकी सी स्माइल और आँखों के लाज और शरम की जो छांया दिख रही है, उसमे पता चलता है की वह मन में एक ख़ुशी की अनुभुति मेहसुस कर रही है. पर एक बार भी मुझसे नज़र नहीं मिला रही है. बाहर से हवा आकर माँ के माथे के ऊपर का कुछ बाल उडाके उनके चेहरे पे फेंक रही है. माँ बार बार हाथ से उन बालो को हटाके अपने कान के पीछे ले जाके समेट नेकी कोशिश कर रही है. उनके इस तरह हलकी हलकी मुस्कुराती हुई चेहरे से बाल हटाने का स्टाइल देख के मेरे मन में उनके लिए प्यार और सेक्स दोनों ही जग रही है. एक ओर्गिनेस्स मुझे घिरके रखा है. और उसका पता चलता है मेरे जीन्स के अंदर मेरे लिंग का छटफटानेसे . मैं लिंग को दबाके पैर के उपर दूसरे पैर चढाके , पीछे घुमने के लिए राईट हैंड को हेड रेस्ट के ऊपर रखके तेढा बैठा हुआ हु. नानाजी की बात सुनने से ज़ादा मुझे माँ को चुरा के देखने का ज़ादा ईरादा है. पर में इस तरह पीछे मुड़के बैठा हु, और वह माँ का विज़न एरिया में उनको पता चल रहा है. मेरे तरफ ना देख के भी, वह उनके आय साइड के अंदर हल्का हल्का मेहसुस कर रही है की में उनको भी देख रहा हु बीच बीच मे. और इसलिये वह और भी नज़र बाहर से अंदर के तरफ नहीं कर रही है. लास्ट वीकेंड में घर आकर उनको छु के मेहसुस करने का एक मौका मिला था पर इस बार तो वह मेरे नज़्दीक ही नहीं आई है. मुझे एकबार उनको मेरे बाँहों में भरके मेरे छाति के ऊपर मेहसुस करने का मन कर रही है. और उनके वह उड़ने वाले बालो के अंदर मेरी नाक डूबो के उनके बालो की खुशबू लेने का मन कर रहा है. पर शायद वह हमारे शादी से पहले मुझे मेरी खवाइश पूरी नहीं होगी. और फिर सुहागरात में उनको प्यार और सिर्फ प्यार से उनका पूरा तन मन भर देना चाहता हु. हम सुबह का खाली रोड पकड़ के जल्दी जल्दी रिसोर्ट पहुच गये.
 
अपडेट 40

यहाँ हमारे लिए दो आदमी वेट कर रहे थे. हमारे आने का पूरा प्लान उनलोगो ने चेक आउट किया हुआ था जैसे ही टैक्सी पहुंची, वह लोग आगे आकर हमसे परिचय किया और में दूल्हा और माँ को दुल्हन जानके हम दोनों को विश किया. फिर हमें सब बता बता के हमारे रहने की जगह पे ले जाने लगे. टोटल ४ सूटकेस था एक मेरा,दूसरा नाना नानी का, तीसरा शादी का सामान भरा हुआ और चौथा माँ का. माँ यहाँ से सीधा मेरे साथ एमपी जानेवाली है. तोह उनका कुछ सामान, जो वह शादी के बाद भी उसे रखना चाहती है, वह सब सामान, कुछ कपडा वगेरा भरके लायी है. वह लोग रिसोर्ट का दो बॉय को बुलाके हमारा सामान हमारे रूम पे ले जाने के लिए कहा. रिसोर्ट बाहर से देखने में छोटा है. पर अंदर जाते ही बहुत बड़ा एरिया का पता चलता है. लेफ्ट साइड में रेस्टॉरंट, डिस्को और पुलसाइड पब है. सीधा जाके एक बिल्डिंग है. दो मंजिला. और राईट में पूरा एरिया खाली है. घास को मेन्टेन करके रखा है. यहाँ उनलोगों का ओपन मैरिज या और कोई पार्टी होता है. और गेट के बाहर एक पार्किंग एरिया देख के आया हु. हम जैसे थोडे आगे जाकर राईट मुडे, वहां उस बिल्ड़िंग के पीछे विशाल एरिया लेकर बहुत सारे छोटा छोटा टेंट जैसा कॉटेज बना हुआ है. बीच में एक लम्बा नैरो वाटर पूल है. उसमे से फुआरा उठ रही है. और उसके चारों तरफ वह कॉटेज है. वह लोग हमें वहि ले जाकर बताया की वह लोग सारे मैरिज में आने वाले गेस्ट्स और फॅमिली मेंबर्स को यही रुकवाते है. और वह दो मंजिला बिल्डडीग केवल इनसाइड बुफे और शादी के लिए हॉल बना हुआ है. जहाँ पार्टी भी हो सकती है. बाकि एडमिनिस्ट्रेटिव सेक्शन और पीछे किचन और कैटर्रिंग का इंतेजाम. अब फिलहाल दो शादी का अरेंजमेंट चल रहा है. वेडनेस्डे को एक बड़ा शादी का बुकिंग है. उसके कुछ मेहमानआचुके है. और कल की शादीके लिए बस हम लोग. हमारा छोटा प्रोग्राम है. इस लिए वह सब कुछ सामने वाले बिल्डिंग के अंदर ही अरेंज किया हुआ है.

हमारे लिए केवल दो कॉटेज बूक है. दोनों फॅमिली कॉटेज है. एक में माँ और नानी चली गयी और दूसरे में में और नानाजी. उन दो आदमी में से एक आदमी हमारी बुकिंग का हेड है. उनके देख भाल से यह शादी का प्रोग्राम होगा. हम जैसे ही कॉटेज के अंदर घूसे तो चौंक गये. बाहर से पता नहीं लगता की अंदर इतना सुन्दर और सुब्यबस्था है. स्पेसियस एरिया में दो डबल बेड रूम के दोनों साइड पे लगा हुआ है. दो कपबोर्ड है. बैठने का अरेंजमेंट में सोफा और सेंटर टेबल रखा हुआ है. दिवार पे बड़ा एलसीडी टीवी लगा हुआ है. एक फ्रिज है. और अपोजिट वाल पे एक बड़ा विन्डौ. जिसके बाहर पेड़ की सारी लाइन है. और उसके पार खाड़ी है, जहाँ प्राइवेट ज्याट बनाके वह लोग प्राइवेट स्टीमर सुहागरात के लिए देते है. मैं बाथरूम चेक करने गया. और बड़ा बाथरूम में सब मॉडर्न फैसिलिटीज का इन्तेज़ाम है. बाथरूम से बाहर आतेहि वह मैनेजर साहब नानाजी को बताने लगा की क्या क्या और कैसे प्रोग्राम सेट किया हुआ है. एक प्रिंटेड पेपर दिया उन्होंने. उसमे सब डिटेल्ड लिखा हुआ है टाइम के साथ. कब हल्दी का रसम, कब रिंग सेरोमनी, कब रजिस्ट्री सिग्निंग, कब शादी वैगेरा वैगेरा सब कुछ लिखा हुआ है. हमारे गेस्ट नहीं है इस लिए रिसेप्शन और फ़ूड के जगह पे क्रॉस किया हुआ है. मैं उनसे वह लेकर देख रहा था आज दो रसम सेट किआ हुआ है. दोपहर को हल्दी है और शाम को रिंग सरमोनी. वह आदमी बता रहे थे की यहाँ के पण्डितजी के मुताबित , उनका दिया हुआ टाइम मेन्टेन करके हम यह चार्ट बनाते है. सब पूरा रसम और तरीका प्रॉपरली मेन्टेन करके , शास्त्र सम्मत से यहाँ शादी का इन्तेज़ाम होता है. उन्होंने उनका मोबाइल नम्बर भी दिया. कोई भी प्रॉब्लम होगा तो उनको सीधा कॉल कर सकते है. दोपहर में हल्दी रसम ठीक टाइम पे सब रेडी हो जायेगा और हमें लेने के लिए वह आएंगे. वह मैनेजर अब हमें फ्रेश होने को कहा और बताया की रूम पे ही ब्रेकफास्ट भेज देंगे. बोलके वह फिर से और एकबार स्वागत और विश करके निकल गये. नानाजी मुझे फ्रेश होने के लिए कह्के वह एक कॉपी प्रिंटेड चार्ट लेके निकल गए नानी के रूम पे. नानी को भी पूरा चीज़ बतानी है. माँ भी जान जायेंगे कब और कैसे क्या क्या होगा. मैं फ्रेश होने के लिए बाथरूम में चला गया.

जब फ्रेश होकर बाथरूम से निकला तब नानाजी रूम पे वापस आगये. उनके हाथ में कुछ कपडे है. वह नानीजी के रूम में रखी हुई उनके सूटकेस से यह लेके आये है. मुझे बाहर निकलते हुए देखके वह बोले की अब तो सोने को ज़ादा टाइम नहीं मिलगा. ११.३० को हल्दी का रसम है. सो में तुम्हारा नानी को भी बता दिया. वह लोग भी फ्रेश होकर ब्रेकफास्ट करके बस थोड़ी रेस्ट कर लेगी और फिर तैयार हो जायेगी हल्दी के लिये. मैं यह सुन के थोड़ी शर्म और ख़ुशी मेहसुस किया. नाना नानी खुद मेरे और माँ का यह रिश्ता चाहते है. वह लोग अपने हाथों से हमारे इस नये रिश्ते को जोड रहे है और हमें हमारे नए रिश्ते में कदम रखने के रास्ते में हर मोड़ पे हमारा साथ देते हुए आरहे है. वह लोग भी चाहते है की उनकी एक लौती बेटी ज़िन्दगी भर जो दुःख और अकेलेपन के सहारे जी है, अब वह ख़ुशी के पलों में बदल जाये और उनकी ज़िन्दगी हर लड़की की तरह अपने पति के साथ गुजार ने में जो सुख और शान्ति मिलती है, वह पा ले. और फिर में उनका इकलौता पोता भी हु. बचपन से उनका सारा प्यार और ममता मेरे ऊपर ही बरसाया उन्होंने. सो आज वह लोग भी चाहते है की अपना ही पोता अपने ही घर पे दमाद बनके रहेगा और सब मिलके एक ख़ुशी के महल में जिन्दगी गुजरेंगे. इस लिए वह इस शादी को शास्त्र अनुसार सब रसम प्रक्रिया पूरा करके करना चाहते है.
 
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