Mastaram Stories हवस के गुलाम - Page 4 - SexBaba
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Mastaram Stories हवस के गुलाम

सलीम ने अंजलि को बोला कि आप प्लीज़ मेरे लिए थोड़ा सा पानी ले आएँ ये कहानी बताते बताते मेरा गला सुख गया है...

अंजलि: कुछ सोचते हुए हाँ में गर्दन हिलाती है और पानी लेने चली जाती है..

तभी सलीम एक और प्लान बनाता है...

अंजलि को लगभग 5 से 7 मिनिट लगी होंगी किचन से पानी लाने में तब तक सलीम अपना काम कर चुका था..

अंजलि: काका लो पानी..

सलीम: जी. हम लाइए.. सलीम अंजलि के हाथ से पानी का ग्लास लेकर पी जाता है.. फिर अंजलि के तरफ देख कर ग्लास उसे वापस दे देता है..

अंजलि पास ही टेबल.पर ग्लास रख कर वापस सलीम की ओर मुड़ती है.

अंजलि: काका अब बताओ क्या हुआ था..

सलीम: माफ़ कीजिएगा अंजलि जी.. लेकिन बोला नहीं जा रहा अगर आप बुरा ना माने तो में कामया जी के साथ थोड़ा बहुत करके बता देता हूँ.. तो आप समझ जाएँगी..

अंजलि;: व्हाट.. काका आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने की... आप ऐसा सोच भी कैसे सकते है..

सलीम: अरे शांत हो जाइए.. आप यही हैं ना मेरे सामने तो में आपके सामने क्या ग़लत कर सकता हूँ.. जो भी करूँगा.. सब आपके सामने होगा... मेरो हद में रहकर होगा..

अंजलि: लेकिन...
 
तभी सलीम अंजलि की बात सुने बिना ही..

सलीम : लेकिन वेकीन कुछ नहीं मुझसे बोला नहीं जा रहा.. इस लिए बोल रहा हूँ आपको..

अंजलि: ठीक है लेकिन अपनी हद में रह कर..

सलीम:अपनी शैतानी मुस्कान दिखाते हुए.. हाँ हाँ बिल्कुल.. क्यूँ नहीं...

सलीम अब कामया की ओढी हुई चादर खींच कर अलग करने लगता है..

अंजलि सलीम की हरकत देखती रहती है..

अंजलि सलीम की हरकत और कामया का जिस्म देख कर एक पल को समझ ही नहीं पाती कि वो क्या करे.. वही दूसरी ओर जैसे ही सलीम कामया की चादर हटा ता है.. कामया का कामसीँ जिस्म सामने आने लगता है..
मासूम चेहरा, उसपर एक मासूम मुस्कान, उसके थोड़ा नीचे आएँ तो दूध और गेहूँ का मिक्स स्किन कलर, और नीचे आएँ तो वो कच्चे आम, और उन पर अंगूर..

सलीम को तो ऐसा लगता है जैसे उसने जन्नत को देख लिया हो.. सलीम कामया के जिस्म को देख ता ही रह जाता है और उसके मूह से निकल जाता है
सलीम: माशा अल्लाह.. क्या हुष्ण है..

अंजलि: ये ये ये क्या कर रहे हो काका.. उसे वापस सही करो..

सलीम : उफ्फ अंजलि जी आपको क्या बताऊं वो अंजलि इस से ज़्यादा सुंदर थी.. देखिए देखिए इसके आम.. मेरा मतलब वो आप क्या बोलते है इन्हे..

कामया की चूंचियो की तरफ इशारा करके सलीम बोलता है..

अंजलि के मूह से अचानक निकल जाता है जोकि बाद वो शरमा जाती है कि उसने ये क्या बोल दिया..
अंजलि: बूब्स..

सलीम: हाँ वही लेकिन में तो इन्हे चूंचिया बोलता हूँ.. क्या मस्त चूंचिया है कामया जी की देखिए ना..

तभी कामया पीठ के बल लेट जाती है नशे के आलम में उसे कोई होश नहीं रहता की उसका जिस्म इस वक़्त चार आंकों के सामने नुमाइश का समान है..
सलीम कामया के सीधा होते ही उसकी पूरी चादर अलग करके कामया की दोनो टाँगो को खोल देता है..

सलीम: सुभान अल्लाह.. क्या चीज़ है आपकी ननद अंजलि जी.. और वो कमीने इनकी चूंचिया चूस रहे थे और इनकी चूत चाट रहे थे..

अंजलि: व्हाट, दे आर. सकिंग हर बूब्स आंड पुसी..

सलीम:नहीं अंजलि जी आप समझ नहीं रही है..वो लोग कामया जी के ये ऐसा बोल कर कामया के बूब्स को दबाने लगता है इन्हे चूस रहे थे और इसे भी चूसे रहे थे ऐसे.. सलीम अपना मूह ठीक कामया की चूत के उपर ले जाता है और एक गहरी साँस लेता है..
सलीम:क्या खुश्बू है वल्लाह..

अंजलि: सलीम के कंधे पर हाथ रख कर उसे पीछे खींचती है..
काका अपनी हद में रहो तुम मेरे सामने मेरी ननद को एक तो फुल न्यूड कर दिए उपर से गंदी हरकते कर रहे हो..

सलीम: अरे नहीं नहीं अंजलि जी आप ग़लत समझ रही है में तो सिर्फ़ बता रहा था कि वहाँ क्या हुआ..

अच्छा ठीक है.. उसके बाद उनलोगो ने कामया जी को छोड़ दिया और अंजलि के पीछे पड़ गये..

अंजलि: व्हाट मेरे.. (एक पल को अंजलि खुद को समझने लगी)
 
अंजलि: व्हाट मेरे.. (एक पल को अंजलि खुद को समझने लगी)

सलीम: कमीनी मुस्कान के साथ नहीं नहीं आपके नहीं वो जो उनके साथ थी..

अंजलि: अच्छा ओके फिर क्या हुआ..

सलीम: उसके बाद सलीम ने अपना हथियार निकाला..

अंजलि: हथियार ?

सलीम: अरे वो ... वो होता है ना औज़ार हाँ औज़ार निकाला..

अंजलि: व्हाट अंजलि को मार डाला..

सलीम: नहीं नहीं ऐसा तो मेरे सामने कुछ नहीं हुआ जब तक में था उन्होने अंजलि को मारा नहीं था वो तो बस अंजलि की मार रहे थे..

अंजलि;: क्या मतलब अंजलि को मारा नहीं था अंजलि की मार रहे थे..

सलीम:अब कैसे समझाऊ.. एक तो में बोल नहीं पा रहा उपर से जो बोल रहा हूँ वो आप समझ नहीं पा रही और प्रॅक्टिकल कर के समझाऊ तो आपको उसमे भी परेशानी.. में जा रहा हूँ देव साहब को ही बता दूँगा सब में..

अंजलि: अच्छा अच्छा सॉरी सॉरी सॉरी.. काका आप समझाइये मुझे इस बार समझ जाउन्गी..

सलीम: नहीं आप नहीं समझ पाओगे मुझ जाहिल की बात..

अंजलि: शरमाते हुए तो प्रॅक्टिकल करके ...

सलीम:हां ये सही रहे गा..
लेकिन फिर आप मना करेंगी तो..

अंजलि: गॉड प्रॉमिस इस बार नहीं करू गी लेकिन प्लीज़ हद में रह कर..

सलीम: माँ कसम ज़ुबान दी ना आपको अपनी हद में कभी क्रॉस नहीं करूगा..

अंजलि: शरमाते हुए ओके बताओ..

तभी सलीम अपनी पेंट खोलता है

अंजलि;: ये क्या कर रहे हो..

सलीम: अपना औजार निकाल रहा हूँ जो सलीम ने निकाला था..
 
अंजलि सोचती है जैसे मकेनिक स्क्रूड्राइवर वग़ैरा पेंट में रखते है वैसे शायद सलीम काका भी .. तो वही निकाल रहे होंगे.. तभी सलीम पेंट खोल कर अपना अंडरवेर भी निकाल देता है.. ऐसा नज़ारा देख कर अंजलि के पसीने छूट जाते है..
अंजलि के होश गुम हो जाते है.. उसे कुछ समझ नहीं आता कि कैसे रिक्ट करे..

सलीम के अंडरवेर खोलते ही उसका मॉन्स्टर कॉक.. बोले तो सुलेमानी लोड्‍ा बाहर निकल कर एक दम खड़ा था..

अंजलि एक टक सलीम के लंड को देखती रह जाती है जैसा उसने सपने में देखा था उस से भी बड़ा था सलीम का लंड

अंजलि की चूत एक दम गीली हो गई थी..

सलीम: सलीम ने अपना हथियार निकाल लिया..

अंजलि: ये ये आप काका..

सलीम: बोला था ना आप मना करोगी..

अंजलि कोई रिक्ट नहीं करती..

सलीम:ठीक है में चलता हूँ देव साहेब..

अंजलि: नहीं नहीं कोई बात नहीं आप बताओ. आगे क्या हुआ..

सलीम: मन में सोचता है.. साली छिनार आगे कुछ नहीं हुआ. जो बोला वो भी नहीं हुआ.. मुझे तो लोड्‍ा दिखाना था अब क्या करूँ इस भोसड़ी की को क्या बताऊं.. मादर चोद बाल की खाल निकालने पर तुली है.. तुझे चोदने के लिए क्या क्या करना पड़ेगा अंजलि..
सलीम: के दम से मूह से निकल पड़ता है तुझे चोदने के लिए क्या क्या करना पड़ेगा अंजलि..

अंजलि: एक दम से सलीम की तरफ देखती है..

तब तक सलीम को भी एहसास हो जाता है कि उसके मूह से क्या निकल गया

अंजलि एक दम से सलीम के मूह की तरफ देखने लगती है... अंजलि के होश गुम हो जाते है सलीम के मूह से ऐसी बात सुनकर..
वो सलीम को गुस्से से देखने लगती है...लेकिन सलीम वो अब ये सोच रहा था कि जो बोल दिया सो बोल दिया अब इस से बाहर कैसे निकला जाए..

तभी अंजलि गुस्से से उबल पड़ती है..

अंजलि: हराम जादे... बुड्ढे तेरी बुरी नज़र मुझ पर थी ... अब तो सच बोल.ही दिया ना फिर क्यूँ गर्दन नीचे करके बैठा है..
 
सलीम: एकदम से उठ खड़ा होता है... अब सलीम भी अपनी आँखों में गुस्सा लाते हुए अंजलि के एक जोरदार चाँटा मारता है...
साली रांड़ मुझे हरामी बोलती है... तेरे बच्चे होंगे हराम के...में पैदा करूँगा तुझसे हराम के बच्चे .. बेहन की लोडी. मुझे हरामी बोलती है..

(दोस्तो आप सब लोग ये ना सोचे कि सलीम खेल को ख़त्म कर रहा है अब तो वो खेल शुरू करेगा..)

सलीम: अंजलि तुमने ये गाली दे कर मेरे ईमान और ज़ुबान दोनो को ललकारा है. अब जो में नहीं करना चाहता था मुझे वो भी करना पड़ेगा..

अंजलि: एक टक सलीम की ओर देखने लगती है. इस वक़्त अंजलि असमंजस में थी कि एक तो सलीम ने वो सब बोला उपर से मुझे मारा .. ये सोच कर अंजलि कुछ समझ नहीं पाती और सलीम से सवाल ही पूछ लेती है..

फिर वो सब क्या था सलीम. का... का... एक दम टॉंट मार के सवाल पूछती है.

सलीम: एक दम अंजान बन कर.. क्या क्या था?

अंजलि: झुंझला कर.. वही कि अंजलि तुम्हे चोदने के लिए वग़ैरा. (अंजलि अपनी ज़ुबान से आख़िर चोदना जैसा शब्द बोल ही चुकी थी लेकिन जब तक उसे एहसास होता तीर कमान से निकल चुका था)

सलीम: अच्छा वो.. वो में नहीं वो एमएलए का लड़का बोल रहा था गाड़ी में बैठा...
आपको क्या लगा में..... वो सब.. आपके ..लिए....

अंजलि:नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है..लेकिन वो जब आपने एक दम से बोला तो..

सलीम: सलीम अंजलि की बात काट कर ठीक है जाने दे.. (बदतमीज़ी से बोलते हुए) तो आगे की कहानी बताऊ या फिर देव साहब को बताऊं..
 
अंजलि;: नहीं ये सब यही ख़त्म करो ना तो मुझे बताओ ना ही देव को बताना..

सलीम: क्या मेड्म आप दोनो को नहीं बताया तो मेरे पेट में बात नहीं पचेगी.. कहीं बाहर वाले को बोल दिया तो.. इस से बढ़िया तो आप ही सुन लो.. अपनी कमीनी मुस्कान के साथ सलीम बोल पड़ता है..

अंजलि: मन ही मन सोचती है क्या मुसीबत है...

अच्छा ठीक है आगे क्या हुआ..

सलीम: अंजलि जी अभी वाली ग़लतफहमी ना हो इस लिए आप अपने आपको यहाँ समझो और में खुद को.. ताकि फिर से कहानी बीच में ना अटके. वो माँ कसम मुझे इस बार डिस्टर्ब ना करें वरना आपको वो सब करना पड़ेगा. मंजूर है

अंजलि;: कुछ देर सोचती रहती है फिर.. अच्छा ठीक है.. मंजूर है..

सलीम: मन ही मन मुस्काता हुआ सोचता है ये साली बीच में टोके गी ज़रूर.. और फिर इस माकी लोडी का पकड़ लूँगा.. मुझे हरामी बोलती है.. बड़ा गुरूर है इसे अपने खून पर.. अब ये मेरा खून पीएगी.. मादर चोद..
अब सलीम अपनी कहानी आगे बढ़ाता है...

हां तो मेड्म में कहाँ था..

अंजलि: वो एमएलए का लड़का

सलीम: क्या कहा था उसने

अंजलि;: वो वो.. वो अंजलि से पूछता है कि अंजलि तुझे चो.... सेक्स करने के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा..'

सलीम: हाहाहा सेक्स नहीं रे चोदने के लिए क्या करना पड़ेगा..
तो अंजलि तैयार हो तुम..

अंजलि: क्या मतलब..

सलीम: बोला था ना अब तुम अंजलि का रोल निभाओगी..

अंजलि: नहीं ये मुझसे नहीं होगा

सलीम:ठीक है कोई बात नहीं.. में ही बताता हूँ
 
सलीम अपना लोड्‍ा अंजलि की तरफ करता है जो एक दम भयानक रूप में आ चुका था.. सलीम बोलता है अंजलि.. इसे मूह में लेकर चूसो... यही है वो हथियार जो तेरी चूत को भोसड़ा बनाएगा.. उसके बाद तेरी ये कामया का भोसड़ा बनाएगा..चल चूस मादर चोद..

अंजलि एक टक सलीम की ओर देखती रहती है...

सलीम: चल आ ना...

सलीम अब खुल कर अंजलि को अपनी ओर बुला रहा था...

अंजलि: काका ये क्या बद तमीज़ी है...

सलीम:अभी तो बताया था ये सब एमएलए का लड़का बोल रहा था जैसे में आपको बुला रहा हूँ वैसे ही..

अंजलि को कुछ समझ नहीं आता कि सलीम कहानी बता रहा है या एक नयी कहानी बना रहा है..

सलीम: तू सोचती रहेगी और में तेरी चूत मार लूँगा बेहन की लोडी चल इसे पकड़ तो सही. सलीम अब कामया का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख देता है.. फिर चल अब चूस इतना कह कर सलीम कामया के मूह की तरफ जा कर अपना लंड कामया के मूह में ठूंस देता है जो नशे की हालत में थी..

अंजलि ये सब देख कर डर जाती है..

अंजलि: काका.. ये ये आप क्या कर रहे है.. हटिए वहाँ से..

अब सलीम कामया के मूह में लंड डाल कर उसकी चूंचिया भी दबा रहा था और हल्के से मसाज भी कर रहा था..

अंजलि एक पल को रुक कर देखती है कि कामया के मूह में बड़ी मुश्किल से सलीम का लोड्‍ा जा रहा था.. अंजलि ये सब देख कर गरम भी हो रही थी और साथ ही डर रही थी.. क्यूँ कि अब हालात उसके काबू के बाहर जा चुके थे..

सलीम: अंजलि जी.. कुछ भी कहिए. आपकी ननद है बहुत गरम...

अंजलि सलीम की ओर एक टक देखती रहती है..

अचानक सलीम अपना लोड्‍ा कामया के मूह से बाहर निकाल लेता है..

अंजलि के लिए ये दृश्य किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं था...

अंजलि एक टक सलीम के काले चिकने बड़े लोड्‍े को देख रही थी..

सलीम: अंजलि जी याद है आपको आपने एक बार पूछा था कि मेरी बीवी ने मुझे क्यूँ छोड़ा था..

अंजलि अब सलीम के लोड्‍े को नहीं बल्कि सलीम की ओर देखने लगी उसकी आँखों में सॉफ देखा जा सकता था कि वो जान ना चाहती है कि क्यूँ...

सलीम: उस दिन मेने जवाब दिया था ना कि मेरा हथियार बड़ा है... आप खुद देख लीजिए कितना बड़ा है...

अंजलि एक टक सलीम के लोड्‍े को देखे जा रही थी... अचानक बोल उठी...
अंजलि: माइ गॉड.. लेकिन काका ये इतना बड़ा.. कैसे...

सलीम: ये अपना सुलेमानी हथियार है मेड्म..

अंजलि: तुम्हारी बीवी कैसे लेती थी..

सलीम: हराम जादि लेती तो मेरी भी औलाद होती ना.. उसकी चूत में जब भी लंड डालता तो ऐसे चिल्लाती थी जैसे कुँवारी लड़की की चूत मार रहा हूँ और वो रो रो कर मुझे दुहाईयाँ दे रही हो कि बस रहने दो..

अंजलि: काका इतना बड़ा..

सलीम: क्यूँ क्या देव साहेब का नहीं है..

अंजलि: इतना बड़ा? नो वे..

सलीम: मेड्म आप इसे लेकर देखना.. माँ कसम जो मज़ा बड़े से है वो छोटे में नहीं..

अंजलि: ह्म हाँ.. व्हाट? नो वे.. मुझे तो मार ही डालेगा..
अंजलि खुली आँखों से ख्वाब देख रही थी कि सलीम उसकी चूत मार रहा है..वो अपना पूरा लोड्‍ा उसकी चूत में डाल कर धक्के मार रहा है..

ऐसा सोचते ही अंजलि की पेंटी पूरी गीली हो जाती है और पानी.. वो तो पेंटी से हो कर उसके घुटनो के नीचे पिंडलियों तक आ पहुँचा था..

सलीम: मेड्म उसके बाद वो सलीम ने अपना लोड्‍ा अंजलि की चूत पर रखा और पूछा.. बोल डाल दूं..

 
तभी वहाँ पर बाबू आगया कुछ लड़को को लेकर जिसे मेने ही कहा था.. और हम ने कामया जी को बचा लिया.. लेकिन अंजलि की चुदाई तो सलीम से पक्का हुई है समझ लो..

अंजलि: वो क्यूँ..

सलीम हाहहहाहा हम ने कामया जी को बचाया है अंजलि को नहीं.. अंजलि की चूत तो मेने मारी है और मारूँगा भी.. अंजलि तुम तो मेरी हो तुम्हारी चूत अब सिर्फ़ मेरी है उसे सिर्फ़ ओर सिर्फ़ में मारूँगा..

अंजलि: क्या मतलब ..

सलीम: अंजलि की आँखों में देख कर..
एक बात बताओ मेरा लोड्‍ा कैसा लगा..

अंजलि : नहीं पता मुझे..

सलीम: सोचो मेड्म आगे की बहुत सी बाते है जो मेने नहीं बताई..

अंजलि: सलीम की आँखो में देखती है... उसे एहसास हो जाता है कि जवाब सुने बिना वो कुछ नहीं बताएगा इस लिए अंजलि जवाब देती है..
भयानक.....!!

सलीम: क्या भयानक... वो तो है.. लेकिन आपको कैसा लगा..

अंजलि: एक बार उसके लोडे की तरफ देखती है और वो फिर से ख्वाबो में खो जाती है..
अच्छा है..

सलीम: बस अच्छा है...? या..

अंजलि: सलीम की आँखों में आँखें डाल कर.. मस्त है...!
अब आप आगे क्या हुआ ये बताओ..

सलीम : नहीं अगर ये मस्त है तो पहले इसे एक चुम्मा दो...

अंजलि: शॉक हो जाती है व्हाट..? में ये नहीं कर सकती... आप जानते है आप क्या बोल रहे है.. वैसे ही मेने बहुत सी मर्यादाओं को लाँघ दिया है.. एक बंद कमरे में अपनी ननद के नंगे जिस्म के साथ आपको नंगे देख रही हूँ खड़े खड़े और आपके भद्दे सवाल और भाषा उपर से आप ये सब करने को बोल रहे हैं.. अंजलि की आँखो में आँसू आ जाते है..

क्यूकी अब अंजलि को अपना पति , परिवार , और संस्कार याद आ रहे थे..

सलीम: अंजलि के आँसू पोन्छते हुए.. अंजलि जी मुझे आप पसंद हो.. प्यार करता हूँ आपसे तबसे जब आपसे पहली बार मिला था.. अपनी बनाना चाहता हूँ आपको.. वो क्या बोलते है.. गर्ल फ्रेंड...

अंजलि: शट अप...

सलीम: देखो अंजलि जी आपको किस कर के इसे हल्का सा चूसना होगा... वरना ये सारी बाते में देव साहेब को बताऊंंगा..

अंजलि एक टक सलीम को देखती रहती है..

डरते डरते अंजलि को ख्याल आता है कि अगर देव को इन सब बातों का पता चला तो कामया की तो वो जान ही ले लेगा...
अंजलि धीरे से हाथ बढ़ाती है सलीम के लंड को पकड़ने के लिए..

लेकिन सलीम पीछे हट जाता है..

अंजलि फिर सलीम की ओर देखती है और कहती है..
अंजलि: क्या हुआ.. अब कर तो रही हूँ जो आप चाहते है..

सलीम: मेने कब कहा हाथ लगाओ मेरे लोडे को. मेने तो किस करके इसे चूसने के लिए बोला..

अंजलि: व्हाट..

सलीम: चलो जल्दी करो..

अंजलि के पास सलीम जाता है..अंजलि धीरे से अपना मूह सलीम के लोड्‍े तक ले जाती है तो उसे सलीम के लोड्‍े और कामया के थूक की हल्की सी भीगी भीनी गंध आती है...

 
अंजलि अपना मूह बिगाड़ कर किस करने के लिए आगे बढ़ती है.. अभी 1 या 1.5 इंच की दूरी ही थी अंजलि के होंटो और सलीम के लोड्‍े के बीच की अंजलि की सास अंजलि को आवाज़ देती है..

सुलोचना: अंजलि..... बेटा अंजलि.... कहाँ हो..

अंजलि तुरंत पलट कर दरवाजे की तरफ देखती है और ज़ोर से बोलती है..

अंजलि: जी माँ जी.. आई

सुलोचना: सलीम कहाँ है...

अंजलि;: जी वो कमरा सॉफ कर रहे है..

सुलोचना: उसे भी नीचे बुला..

सलीम जल्दी से कपड़े पहन ने लगा 1 मिनिट में सलीम रेडी हो जाता है..

उधर एक नाइटी उठा कर अंजलि कामया को पहना ने लगती है..

सुलोचना: जल्दी करो.. पूरा दिन नहीं है मेरे पास..

अंजलि: जल्दी से कामया को नाइटी पहना देती है...

अंजलि और सलीम दोनो साथ नीचे आते है..

सुलोचना दोनो को देखती है.. और थोड़ा सा गुस्से में..

सुलोचना: क्या कर रहे थे उपर.. और यूँ पसीने में क्यूँ भीगे हो..

सलीम: माँ जी वो

सुलोचना: अपना हाथ दिखा कर सलीम को चुप करा देती है..
और अंजलि से बोलती है.. तुम बोलो..

अंजलि: माँ जी वो ... वो बोला था ना... पीछे कमरे की ओर देख कर.. हम कमरा सॉफ कर रहे थे.. वहाँ कामया भी सो रही है..

सुलोचना : अच्छा कोई बात नहीं... सुनो अंजलि तुम चाय बना कर लाओ मेरे लिए.. और सलीम मुझे तुमसे कुछ काम है.. तुम यही रूको..

सलीम: जी माँ जी

सुलोचना: सलीम मुझे लगता है कि अब तुम इस घर को अच्छे से संभाल लोगे...

सलीम: चोन्कते हुए... क्या मतलब मालकिन. में कुछ समझा नहीं?

सुलोचना: देखो अभी देव भी घर पर नहीं है और में भी मेरी मंदिर की सहेलियों के साथ हरिद्वार जा रही हूँ. कल सुबह निकल जाउन्गि. और फिर तुम्हे भी अब घर पर काफ़ी दिन हो गये है काम करते हुए उपर से घर में सबसे बड़े हो उम्र में तो तुम अपने अनुभव से इस घर को संभाल सकते हो. जब तक कि देव या में नहीं आजाते वापस.
 
सलीम: जी मालकिन आप बे फिक़र रहे. भगवान की दुआ से ये नाचीज़ घर में किसी को भी किसी भी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने देगा..

सुलोचना: मुस्कुराते हुए.. तुम आदमी बहुत अच्छे हो सलीम. ये लो 10 दिन पहले ही अपनी महीने की तनख़्वाह. और हाँ ये कोई अड्वान्स नहीं है ये इसी महीने की है. अगर देव ने पेरेंट कर भी दिया हो तो भी रखलो घर चलाने में काम आएँगे.

सलीम: चुप चाप पैसे ले लेता है..

तभी अंजलि किचन से चाय लेकर आ जाती है..
अंजलि: माँ जी चाय..

सुलोचना: लाओ दो..

अंजलि टेबल पर चाय रखने लगती है कि सुलोचना बोलने लगती है

सुलोचना: अंजलि बेटा.. देखो में कल सुबह हरिद्वार के लिए जा रही हूँ. जब तक में लोटू घर का ध्यान रखना. वैसे तो सलीम को सब समझा दिया है लेकिन घर की बहू होने के नाते बेटा ये फ़र्ज़ तुम्हारा बनता है..

अंजलि: जी माँ जी लेकिन .. आप यूँ अचानक हरिद्वार?क्यूँ?

सुलोचना: मुस्कुराए हुए.. अब भगवान से अपने पोते पोतियों को माँगने जा रही हूँ.

और दो दामाद भी दे दे तो सोने पर सुहागा हो जाए..

तभी सलीम बीच में बिना सोचे समझे बोल पड़ता है..

सलीम: लेकिन माजी उसके लिए आपको तीर्थ करने की ज़रूरत नहीं है आपको पोते पोती तो आपके बेटे की मेहनत से मिलेंगे..

अंजलि सलीम की ये बात सुन कर शरमा जाती है और भाग कर कमरे में चली जाती है. और
सुलोचना वो तो एक टक सलीम को देखने लगती है ऐसी बात सुनकर लेकिन फिर अपनी बहू के शरमा कर भागने के कारण सुलोचना भी मुस्कुराने लगती है और उसे अंजलि की टाँग खींचने का मोका भी तो मिल गया था..

सुलोचना: अरे कहाँ जाती है... यूँ शरमाने से कुछ नहीं होगा.. अब सारी मेहनत देव ही थोड़े ही करेगा कुछ तो तुझे भी करना पड़ेगा.. हे हहहे ऐसा कह कर सुलोचना हँसने लगती है ये बात सुनकर सलीम भी हँसने लगता है..सलीम को हँसता देख कर सुलोचना सलीम से कहती है..
सुलोचना: तू इतना बड़ा हो गया, चेहरे पर सफेद बाल आ रहे है और सर पूरा सफेद होगया लेकिन तुझे इतनी भी समझ नहीं कि औरतों से कैसे बात की जाती है..

(सलीम मन ही मन हंसता है.. साली मेरी समझ तो तेरे से 1000 गुना आगे है बस तू देखती जा..)
 
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