hotaks444
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करण ने अपने भाई को संभाला और उसे उसके कपड़े पहनाए. दोनो को पिच्छली रात का कुछ नही याद था. फिर करण अर्जुन को अपने और निशा के बीच ग़लतफहमियो के बारे मे बताने लगा जिसे सुन कर अर्जुन भी सन्न रह गया.
इधर निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो अपने किस्मत को कोस रही थी कि उसने आख़िर क्यू करण जैसे धोके बाज से प्यार किया, जो अपनी बीवी को छोड़कर एक बाजारू रंडी के साथ हमबिस्तर हो रहा था. उसे लगा कि उसे अपने माँ बाप का कहा मान कर अमेरिका के लड़के से शादी कर लेनी चाहिए थी.
निशा गम मे इतना डूब गयी थी कि उसने सोचा कि वो स्यूयिसाइड कर लेगी क्यूकी अब उसके पास कहने को पति भी नही था और माँ बाप ने उसे पहले ही ठुकरा दिया था. वो जिस होटेल मे ठहरी थी उसी की छत से कूद कर जान दे देना चाहती थी.
लेकिन स्यूयिसाइड करने से पहले वो करण को ताक़त दे देना चाहती थी. वो अब करण से इतना नफ़रत करने लगी थी कि अपने साथ उसका नाम भी जोड़ना नही चाहती थी.
उसने अपने आँसू पोछे और जयपुर मे ही उसके एक वकील दोस्त को फोन लगाकर तलाक़ के कागज तय्यार करवा लिए. वो तुरंत लौट कर वापस करण के होटेल मे पहुचि जहाँ उसे रात के अंधेरे मे चुपके से मोहिनी घूँघट करते भागती दिखी.
“इस औरत ने मेरी खुशिया छीन ली....मेरे पति को मुझसे छीन लिया....मैं मरते मरते कम से कम इसे तो जान से मार ही डालूंगी...” कहते हुए निशा गुस्से मे तिल मिलाई मोहिनी का पीछा करने लगी.
जब काफ़ी देर पीछा करने के बाद निशा को मोहिनी एक पास के खंडहर मे जाती दिखी तो वो उसके पीछे लग गयी.
“मालिक आपने जैसा कहा था मैने वो कर दिया....मैने करण और अर्जुन को अपने काले जादू से अपने वश मे कर लिया और उनसे संभोग किया....फिर अपनी चुचि का ज़हरीला दूध उन्हे पिलाया जिससे वो अपनी बहन काजल के बारे मे पूरी तरह से भूल चुके है....यहाँ तक कि मैने करण और उसकी पत्नी के बीच ग़लतफहमिया डाल कर उनके रिश्तो मे दरार पैदा कर दी है..” मोहिनी अपने असली चुदैल वाली रूप मे आती हुई तन्त्र साधना से त्रिकाल के साथ मानसिक संपर्क बनाए हुए थी.
दीवार के पीछे छुपि निशा अपनी आँखो से एक अप्सरा जैसी मोहिनी को एक बुढ़िया चुड़ैल मे बदलते देखती रही और उसकी त्रिकाल से कही हर बात सुनने लगी. उसे तो अपनी आँखो पर यकीन ही नही हो रहा था.
“जी मालिक मैं अभी आस पास ही रहूंगी और यह सुनिश्चित करूँगी कि अगली अमावस्या से पहले वो रामपुरा तक पहुच कर वो त्रिशूल ना ले पाए....” चुड़ैल मोहिनी त्रिकाल से मानसिक तरंगो से बात करते हुए बोली.
निशा वहाँ से चुपके से खिसक ली. वो दौड़ कर वापस करण के होटेल पर आई और करण का कमरा खोलकर भागकर उसके गले लग गयी और उसके पूरे चेहरे को चूमती हुई बोलने लगी, “आइ लव यू करण....मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी जी नही सकती...”
करण को यह देख बहुत हैरानी हुई की अभी निशा गुस्से मे तलाक़ तक देने को तय्यार है और अभी उसपर अपना पूरा प्यार लूटा रही है.
निशा ने करण को तलाक़ के कागज दिखाए और उसके सामने कागज को फाड़ कर उसके बाँहो मे समा गयी. “मैं कुछ समझा नही निशा...मुझे तो लगा था कि अब मैं तुमसे कभी नही मिल पाउन्गा....मैने तो स्यूयिसाइड तक करने का मन बना लिया था.”
निशा ने करण के होंटो पर उंगलिया रखते हुए बोली, “ष्ह्ह्ह्ह.....स्यूयिसाइड जैसे शब्द को कभी भूल कर भी अपने होंठो पर मत लाना....वरना मैं भी नही जी पाउन्गि....”
करण को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था. उसने झुक कर निशा के होंटो को चूम लिया. आज का चुंबन मे दोनो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रहे थे.
“वो मोहिनी कोई औरत नही बल्कि एक चुड़ैल है....” निशा ने करण को समझाते हुए कहा.
“पर वो तो हमे तांगा चलाते हुए मिली थी....ना जाने हम कहाँ जा रहे थे....और आज सुबह हमारे सर मे तेज़ दर्द था और वो हम से ज़बरदस्ती चिपकती जा रही थी...” करण बोला.
फिर जो भी निशा ने खंडहर मे देखा वो करण और अर्जुन को बता दिया. निशा के बताते ही दूध का असर ख़त्म हो गया और उन्हे सब कुछ याद आ गया. करण और अर्जुन ने भी अपनी माँ, अपनी बहन से लेकर त्रिकाल तक की पूरी बात निशा को बता दी. करण और अर्जुन को आचार्य के बारे मे भी उनके सेवको से पता चला.
“करण भाई तुम जा कर नीचे गाड़ी निकलवाओ मैं भी जल्दी से तय्यार हो कर आता हू...हमे आज किसी हाल मे रामपुरा पहुचना है...” अर्जुन बोला और अपना सब समान समेटने लगा.
इधर निशा का रो रो कर बुरा हाल था. वो अपने किस्मत को कोस रही थी कि उसने आख़िर क्यू करण जैसे धोके बाज से प्यार किया, जो अपनी बीवी को छोड़कर एक बाजारू रंडी के साथ हमबिस्तर हो रहा था. उसे लगा कि उसे अपने माँ बाप का कहा मान कर अमेरिका के लड़के से शादी कर लेनी चाहिए थी.
निशा गम मे इतना डूब गयी थी कि उसने सोचा कि वो स्यूयिसाइड कर लेगी क्यूकी अब उसके पास कहने को पति भी नही था और माँ बाप ने उसे पहले ही ठुकरा दिया था. वो जिस होटेल मे ठहरी थी उसी की छत से कूद कर जान दे देना चाहती थी.
लेकिन स्यूयिसाइड करने से पहले वो करण को ताक़त दे देना चाहती थी. वो अब करण से इतना नफ़रत करने लगी थी कि अपने साथ उसका नाम भी जोड़ना नही चाहती थी.
उसने अपने आँसू पोछे और जयपुर मे ही उसके एक वकील दोस्त को फोन लगाकर तलाक़ के कागज तय्यार करवा लिए. वो तुरंत लौट कर वापस करण के होटेल मे पहुचि जहाँ उसे रात के अंधेरे मे चुपके से मोहिनी घूँघट करते भागती दिखी.
“इस औरत ने मेरी खुशिया छीन ली....मेरे पति को मुझसे छीन लिया....मैं मरते मरते कम से कम इसे तो जान से मार ही डालूंगी...” कहते हुए निशा गुस्से मे तिल मिलाई मोहिनी का पीछा करने लगी.
जब काफ़ी देर पीछा करने के बाद निशा को मोहिनी एक पास के खंडहर मे जाती दिखी तो वो उसके पीछे लग गयी.
“मालिक आपने जैसा कहा था मैने वो कर दिया....मैने करण और अर्जुन को अपने काले जादू से अपने वश मे कर लिया और उनसे संभोग किया....फिर अपनी चुचि का ज़हरीला दूध उन्हे पिलाया जिससे वो अपनी बहन काजल के बारे मे पूरी तरह से भूल चुके है....यहाँ तक कि मैने करण और उसकी पत्नी के बीच ग़लतफहमिया डाल कर उनके रिश्तो मे दरार पैदा कर दी है..” मोहिनी अपने असली चुदैल वाली रूप मे आती हुई तन्त्र साधना से त्रिकाल के साथ मानसिक संपर्क बनाए हुए थी.
दीवार के पीछे छुपि निशा अपनी आँखो से एक अप्सरा जैसी मोहिनी को एक बुढ़िया चुड़ैल मे बदलते देखती रही और उसकी त्रिकाल से कही हर बात सुनने लगी. उसे तो अपनी आँखो पर यकीन ही नही हो रहा था.
“जी मालिक मैं अभी आस पास ही रहूंगी और यह सुनिश्चित करूँगी कि अगली अमावस्या से पहले वो रामपुरा तक पहुच कर वो त्रिशूल ना ले पाए....” चुड़ैल मोहिनी त्रिकाल से मानसिक तरंगो से बात करते हुए बोली.
निशा वहाँ से चुपके से खिसक ली. वो दौड़ कर वापस करण के होटेल पर आई और करण का कमरा खोलकर भागकर उसके गले लग गयी और उसके पूरे चेहरे को चूमती हुई बोलने लगी, “आइ लव यू करण....मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी जी नही सकती...”
करण को यह देख बहुत हैरानी हुई की अभी निशा गुस्से मे तलाक़ तक देने को तय्यार है और अभी उसपर अपना पूरा प्यार लूटा रही है.
निशा ने करण को तलाक़ के कागज दिखाए और उसके सामने कागज को फाड़ कर उसके बाँहो मे समा गयी. “मैं कुछ समझा नही निशा...मुझे तो लगा था कि अब मैं तुमसे कभी नही मिल पाउन्गा....मैने तो स्यूयिसाइड तक करने का मन बना लिया था.”
निशा ने करण के होंटो पर उंगलिया रखते हुए बोली, “ष्ह्ह्ह्ह.....स्यूयिसाइड जैसे शब्द को कभी भूल कर भी अपने होंठो पर मत लाना....वरना मैं भी नही जी पाउन्गि....”
करण को अपनी किस्मत पर यकीन नही हो रहा था. उसने झुक कर निशा के होंटो को चूम लिया. आज का चुंबन मे दोनो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित लग रहे थे.
“वो मोहिनी कोई औरत नही बल्कि एक चुड़ैल है....” निशा ने करण को समझाते हुए कहा.
“पर वो तो हमे तांगा चलाते हुए मिली थी....ना जाने हम कहाँ जा रहे थे....और आज सुबह हमारे सर मे तेज़ दर्द था और वो हम से ज़बरदस्ती चिपकती जा रही थी...” करण बोला.
फिर जो भी निशा ने खंडहर मे देखा वो करण और अर्जुन को बता दिया. निशा के बताते ही दूध का असर ख़त्म हो गया और उन्हे सब कुछ याद आ गया. करण और अर्जुन ने भी अपनी माँ, अपनी बहन से लेकर त्रिकाल तक की पूरी बात निशा को बता दी. करण और अर्जुन को आचार्य के बारे मे भी उनके सेवको से पता चला.
“करण भाई तुम जा कर नीचे गाड़ी निकलवाओ मैं भी जल्दी से तय्यार हो कर आता हू...हमे आज किसी हाल मे रामपुरा पहुचना है...” अर्जुन बोला और अपना सब समान समेटने लगा.