hotaks444
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[size=large]ये क्या मज़ाक है,सुमित्रा!",मैं चीखा & चादर खींच कर अपने नंगेपन को ढँक लिया. -'क्यू?ये तुम्हे सुंदर नही लगती?विरेन्द्र क्या कमी है इसमे?'कजरी खूबसूरत थी पर सुमित्रा से अलग किस्म से.जहा सुमित्रा 1 ऊँचे कद की भरे बदन वाली गदराई जवान लड़की थी.वही कजरी छ्होटे कद की बड़ी मासूम दिखने वाली लड़की थी.वो हमेशा घाघरा-चोली पहनती थी & उस वक़्त भी वही पहने थी.सुमित्रा ने हाथ बढ़ा 1 झटके मे उसकी चोली की डोरिया खींच दी & उसे उतारने लगी.. -'मुझे शरम आती है,दीदी.' -'चल,पगली!ये तुझे अच्छे नही लगते क्या & वैसे भी तू कितने दीनो से नही चूदी है.',सुमित्रा ने उसकी चोली उतार दी & मेरी आँखो के सामने कजरी की छातिया चमक उठी.उसकी छातिया सुमित्रा जितनी बड़ी नही थी पर उतनी छ्होटी भी नही थी.सुमित्रा की छातिया अब तोड़ा ढीली हो गयी थी पर उसकी बिल्कुल कसी हुई थी ठीक तुम्हारी तरह.",उन्होने रीमा की चूचिया अपने हाथो मे भर ज़ोर से दबाई. "उम्मह..!",रीमा अपनी तारीफ से खुश हो मुस्कुराइ. "..& उसके निपल्स बिल्कुल काले रंग के थे & उसके भूरे अरेवला का घेरा तो बहुत बड़ा था..कम से कम इतना बड़ा..",उन्होने अपनी उंगलियो से रीमा के अरेवला के बाहर 1 दायरा बनाया तो रीमा ने उनका हाथ पकड़ के चूमा & फिर अपने गाल से लगा उनके लंड को रगड़ते हुए,उन्हे गाल सहलाने का इशारा करने लगी. "..मेरी नज़रे उसके सीने पे चिपक गयी.. -'देखो,विरेन्द्र.कितनी मस्त हैं ये.. ',सुमित्रा ने अपने हाथो मे उसकी छातिया ले दबाई,"तुम्हे इन्हे चूमने का दिल नही करता?",उसने उसकी चूचिया चूम ली. -'आहह.मत करो ना दीदी.अच्छा नही लगता!' सुमित्रा ने उसके घाघरे का नाडा खींच दिया,-'देखो तो झूठी को,विरेन्द्र!चूत पानी छ्चोड़ रही है & ये कह रही है कि अच्छा नही लगता.' उसने उसकी गंद पे 1 ज़ोर की चपत लगाई,-'मस्त है ना गंद!उसने उसकी पीठ मेरी तरफ कर दी.सच मे गंद भी उतनी चूदी नही थी पर क्या मस्त थी.सुमित्रा के थप्पड़ पड़ते तो फांके सिहर जाती.ये देख मेरा लंड खड़ा हो गया था & चादर मे तंबू बना रहा था. -'& ये देखो इसकी चूत.झांते भरी हैं पर कितनी कसी है.',उसने 1 उंगली उसके अंदर डाली तो कजरी कराहने लगी,'अफ!उंगली भी बड़ी मुश्किल से अंदर जा रही है तुम्हारा राक्षस कैसे जाएगा इसके अंदर?!' -'वैसे उसका भी हाल बुरा है.दिखाओ ना कजरी को अपना लंड.मैने बाते तो इसे यकीन नही आ रहा था कि इतना बड़ा भी किसी का हो सकता है.',वो कजरी का हाथ पकड़ बिस्तर पे ले आई & मेरी चादर खींच दी. -'हाअ!है राम...',कजरी की आँखे हैरत से फैल गयी & उसने अपना हाथ मुँह पे रख लिया.उसकी नज़रे मेरे लंड से चिपक गयी.मुझे भी अपनी मर्दानगी पे गर्व महसूस हुआ.",रीमा आँखे बंद किए अपने ससुर की मस्त दास्तान से बस पागल हो गयी थी.कमर हिलाते हुए वो झाड़ गयी & उनके सीने पे गिर गयी,"..ये है ही इतना मस्त.कोई भी लड़की आपकी दीवानी हो जाए.उसने हाथ नीचे ले जाके लंड को च्छुआ,"फिर क्या हुआ?" "-'क्यू विरेन्द्र?अब भी नही चोदोगे इसे?',सुमित्रा ने मुझ से पुचछा तो मैने नज़रे फेर ली.सुमित्रा ने उसे मेरी बगल मे लिटा दिया & उसके उपर सवार हो गयी,-'देखो तो सही मेरे नीचे दबी ये कितनी हसीन लग रही है.',उसने उसकी छातिया दबाते हुए उसके होंठ चूम लिए,नीचे कजरी की फैली टाँगो के बीच उसकी झांतो भरी चूत पे वो अपनी चूत से धक्के लगा रही थी.कजरी भी गरम हो गयी थी & उसे पकड़ दीदी-2 करते हुए उसके साथ अपना बदन रगड़ रही थी.",विरेन्द्र जी ने अपनी बहू के होंठ चूमे & उसका 1 हाथ पकड़ उसे पीछे ले जाके अपने लंड पे रख दिया,"ज़रा इसको इसकी सही जगह तो दिखाओ."[/size]