hotaks444
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"..वो अपनी बाइक से भाग रहा था & मैं 1 कार से उसका पीचछा कर रहा था.जब वो पुल पे पहुँचा तो बाइक थोड़ी स्लो हुई,मैं सही टाइम पे ब्रेक नही लगा पाया & पीछे से कार उसकी बाइक से जा भिड़ी.टक्कर के चलते बाइक उस पुराने पुल की कमज़ोर रेलिंग को तोड़ उसमे अटक गयी.बाइक आधी हवा मे & आधी पुल पे थी & रवि उच्छल कर रेलिंग के उस पार गिर गया था.पर उसने गिरते हुए किसी तरह पुल को पकड़ लिया था & अब उस से लटका हुआ था."
"..अगर वो बच जाता तो मेरा भंडा फूट जाता & साथ ही साथ इनका भी,",उसने अपने पिता की ओर इशारा किया.उसके होठ अब उसके पैरो को छ्चोड़ उपर उसकी गोरी टांग पे आ गये थे,"..मैने इधर-उधर देखा,जगह बिल्कुल वीरान थी.मैने अपना हाथ नीचे बढ़ाया तो उसने सोचा कि मैं उसे उपर खींचुँगा & मेरा हाथ थाम लिया.ऐसा करते ही मैने हाथ छ्चोड़ दिया & वो नीचे नदी मे जा गिरा.1 धक्के के बाद बाइक भी नदी मे थी & थोड़ी देर बाद मैं & इस हादसे से अंजान शंतु प्लेन मे बैठे थे."
रीमा बुत की तरह बैठी थी & दोनो उस से खिलोने की तरह खेल रहे थे,"..तो इस कमीने ने उसके रवि का खून किया था!कैसे घिनोने लोग हैं ये!इन्ही बाप & भाई से बिछदने का गम था बेचारे रवि को!"
"..कजरी राइ रवि की मौत के 2 हफ्ते पहले ही चल बसी थी & उसके वकील ने उसकी वसीयत के मुताबिक उसी दिन सवेरे-जिस दिन रवि की मौत हुई-बॅंगलुर आके सवेरे काग़ज़ात पे उसके दस्तख़त लिए थे & रवि से 1 इंसान को अपना नॉमिनी बनाने के लिए कहा था ताकि अगर रवि की मौत हो जाए तो उसके हिस्से की सारी दौलत उस इंसान को मिल जाए.रवि ने तुम्हे अपना नॉमिनी बनाया था.",शेखर उठ कर बैठ गया था & उसका हाथ रीमा की जाँघो से फिसलता हुआ उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.
"..हमे ये बात पता चली तो तुम्हारा हमारे करीब होना ज़रूरी हो गया & फिर पिताजी तुम्हे यहा ले आए.वकील ने हमे पेपर्स दिखाए,उनमे सॉफ-2 लिखा था कि अगर रवि की अन्नॅचुरल डेथ होती है तो 3 महीने बाद ही तुम्हे सारी दौलत मिलेगी.उन 3 महीनो तक ये ज़रूरी था कि रवि की मौत के पीछे साज़िश होने की बात ना खुले बल्कि सबको ये लगे कि वो 1 रोड आक्सिडेंट था वरना वकील मामले को पोलीस के पास ले जाता.आख़िर करोड़ो रुपयो का सवाल था!"
"..तो ये थी असली बात!ये सारा खेल उसे पोलीस के पास जाने से रोकने & दौलत हड़पने के लिए इन दोनो बाप-बेटे ने खेला था!",रीमा ने सोचा.
"...फिर तुम्हारी जिस्म की भूख ने भी हमारा साथ दिया.हमने तो सोचा भी नही था की तुम खुद हम दोनो के बिस्तर गरम करोगी!",शेखर & विरेन्द्र जी दोनो उसकी चूचिया मसल रहे थे,शेखर 1 हाथ से उसकी चूत भी रगड़ रहा था.
"..वकील ने तुमसे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की पर तुम बंगलोर मे नही मिली तो वो पिताजी के पास आया.पिताजी ने वकील को ये कहा कि तुम अभी भी बहुत दुखी हो & इन सब चीज़ो से तुम्हे कोई मतलब नही है,तो उसने पिताजी को 1 काग़ज़ दिया जिसमे ये लिखा था कि तुम ही रवि की पत्नी हो & उसकी वसीयत के मुताबिक अब सारी दौलत तुम्हे मिलेगी पर इसके लिए तुम्हे 2 महीनो तक इंतेज़ार करना पड़ेगा...& कल 2 महीने पूरे हो रहे हैं.आज जिन काग़ज़ो पे तुमने साइन किया है,उनमे यही लिखा कि तुम्हे रवि की दौलत मिल रही है."
"..पर उसके नीचे 1 पेपर और भी है जिसपे तुमने साइन करके उस दौलत को जैसे चाहे इस्तेमाल करने की पॉवेर ऑफ अटर्नी हम दोनो को दे दी है.",शेखर ने उसकी चूत मारते हुए उसके होठ चूम लिए.
"..फिर शंतु का क्या हुआ?",रीमा ने उसके होठ से अपने होठ अलग किए.
"तुमने वो ब्लॅंक कॉल्स वाली बात बताई तो पता नही क्यू मेरा माथा ठनका कि हो ना हो ये शंतु ही है.बस मैने पता लगाना शुरू किया तो मालूम हुआ कि उसने दुबई के बाद अपनी पोस्टिंग यहा करा ली थी.मैने उस से मुलाकात की & उसे जम के दारू पिलाई.नशे मे धुत शंतु को मैने उसके घर पहुँचाया,जहा वो बेसूध सोने लगा & मैने उसका फ्लॅट छानना शुरू किया.शंतु को 1 गंदी आदत थी-जर्नल लिखने की.दिल मे जो भी ख़याल आते या कोई ऐसी बात सुनता जो उसे अच्छी लगती तो वो उसे उसमे लिख लेता."
"..अगर वो बच जाता तो मेरा भंडा फूट जाता & साथ ही साथ इनका भी,",उसने अपने पिता की ओर इशारा किया.उसके होठ अब उसके पैरो को छ्चोड़ उपर उसकी गोरी टांग पे आ गये थे,"..मैने इधर-उधर देखा,जगह बिल्कुल वीरान थी.मैने अपना हाथ नीचे बढ़ाया तो उसने सोचा कि मैं उसे उपर खींचुँगा & मेरा हाथ थाम लिया.ऐसा करते ही मैने हाथ छ्चोड़ दिया & वो नीचे नदी मे जा गिरा.1 धक्के के बाद बाइक भी नदी मे थी & थोड़ी देर बाद मैं & इस हादसे से अंजान शंतु प्लेन मे बैठे थे."
रीमा बुत की तरह बैठी थी & दोनो उस से खिलोने की तरह खेल रहे थे,"..तो इस कमीने ने उसके रवि का खून किया था!कैसे घिनोने लोग हैं ये!इन्ही बाप & भाई से बिछदने का गम था बेचारे रवि को!"
"..कजरी राइ रवि की मौत के 2 हफ्ते पहले ही चल बसी थी & उसके वकील ने उसकी वसीयत के मुताबिक उसी दिन सवेरे-जिस दिन रवि की मौत हुई-बॅंगलुर आके सवेरे काग़ज़ात पे उसके दस्तख़त लिए थे & रवि से 1 इंसान को अपना नॉमिनी बनाने के लिए कहा था ताकि अगर रवि की मौत हो जाए तो उसके हिस्से की सारी दौलत उस इंसान को मिल जाए.रवि ने तुम्हे अपना नॉमिनी बनाया था.",शेखर उठ कर बैठ गया था & उसका हाथ रीमा की जाँघो से फिसलता हुआ उसकी चूत की ओर बढ़ रहा था.
"..हमे ये बात पता चली तो तुम्हारा हमारे करीब होना ज़रूरी हो गया & फिर पिताजी तुम्हे यहा ले आए.वकील ने हमे पेपर्स दिखाए,उनमे सॉफ-2 लिखा था कि अगर रवि की अन्नॅचुरल डेथ होती है तो 3 महीने बाद ही तुम्हे सारी दौलत मिलेगी.उन 3 महीनो तक ये ज़रूरी था कि रवि की मौत के पीछे साज़िश होने की बात ना खुले बल्कि सबको ये लगे कि वो 1 रोड आक्सिडेंट था वरना वकील मामले को पोलीस के पास ले जाता.आख़िर करोड़ो रुपयो का सवाल था!"
"..तो ये थी असली बात!ये सारा खेल उसे पोलीस के पास जाने से रोकने & दौलत हड़पने के लिए इन दोनो बाप-बेटे ने खेला था!",रीमा ने सोचा.
"...फिर तुम्हारी जिस्म की भूख ने भी हमारा साथ दिया.हमने तो सोचा भी नही था की तुम खुद हम दोनो के बिस्तर गरम करोगी!",शेखर & विरेन्द्र जी दोनो उसकी चूचिया मसल रहे थे,शेखर 1 हाथ से उसकी चूत भी रगड़ रहा था.
"..वकील ने तुमसे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की पर तुम बंगलोर मे नही मिली तो वो पिताजी के पास आया.पिताजी ने वकील को ये कहा कि तुम अभी भी बहुत दुखी हो & इन सब चीज़ो से तुम्हे कोई मतलब नही है,तो उसने पिताजी को 1 काग़ज़ दिया जिसमे ये लिखा था कि तुम ही रवि की पत्नी हो & उसकी वसीयत के मुताबिक अब सारी दौलत तुम्हे मिलेगी पर इसके लिए तुम्हे 2 महीनो तक इंतेज़ार करना पड़ेगा...& कल 2 महीने पूरे हो रहे हैं.आज जिन काग़ज़ो पे तुमने साइन किया है,उनमे यही लिखा कि तुम्हे रवि की दौलत मिल रही है."
"..पर उसके नीचे 1 पेपर और भी है जिसपे तुमने साइन करके उस दौलत को जैसे चाहे इस्तेमाल करने की पॉवेर ऑफ अटर्नी हम दोनो को दे दी है.",शेखर ने उसकी चूत मारते हुए उसके होठ चूम लिए.
"..फिर शंतु का क्या हुआ?",रीमा ने उसके होठ से अपने होठ अलग किए.
"तुमने वो ब्लॅंक कॉल्स वाली बात बताई तो पता नही क्यू मेरा माथा ठनका कि हो ना हो ये शंतु ही है.बस मैने पता लगाना शुरू किया तो मालूम हुआ कि उसने दुबई के बाद अपनी पोस्टिंग यहा करा ली थी.मैने उस से मुलाकात की & उसे जम के दारू पिलाई.नशे मे धुत शंतु को मैने उसके घर पहुँचाया,जहा वो बेसूध सोने लगा & मैने उसका फ्लॅट छानना शुरू किया.शंतु को 1 गंदी आदत थी-जर्नल लिखने की.दिल मे जो भी ख़याल आते या कोई ऐसी बात सुनता जो उसे अच्छी लगती तो वो उसे उसमे लिख लेता."