desiaks
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आंटी की बात सुनकर, निशा को इस तरह सर झुकाते देख, सबको यकीन हो गया था कि, निशा कुछ छुपा रही है. इस बात पर सीरू ने उस से सवाल करते हुए कहा.
सीरत बोली “भाभी, आंटी ये किस बात के बारे मे, बात कर रही है. आपने अज्जि भैया के बारे मे हम सब से क्या बात छुपा कर रखी है.”
सीरू की इस बात का निशा को कोई जबाब नही सूझ रहा था. उसने सीरू को समझाते हुए कहा.
निशा बोली “उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है. मैं वो बात तुम्हे फिर कभी बता दुगी.”
लेकिन निशा की बात सुनकर, आरू ने भड़कते हुए कहा.
अर्चना बोली “कैसे मतलब नही है. जिस बात को सुनकर, आंटी ने अपने बेटे की मौत का ज़रा सा गम तक नही किया. उस बात को आप कैसे कह सकती है कि, उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है. यदि इस सब के बाद भी आप वो बात हमको नही बताती तो, हम ये ही समझेगे कि आपकी नज़रों मे हमारी कोई अहमियत नही है.”
लेकिन आरू की बात सुनने के बाद भी निशा ने बात को टालते हुए कहा.
निशा बोली “मैने कहा ना कि, उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है तो नही है. अब इसके बाद मैं इस बारे मे कोई बात नही करना चाहती. तुम लोगों को जो समझना हो, समझ सकती हो.”
जिस अज्जि के लिए अभी सब मिल कर शिखा के घर आए थे. अब उसी की किसी एक बात के लिए सब आपस मे बहस कर रहे थे. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि, ये सब अचानक क्या होने लगा है. आख़िर ऐसी क्या बात है, जिसे निशा इतना सब होने पर भी किसी को बताना नही चाहती है.
एक तरफ निशा ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था. वही निशा का ये जबाब सुनकर आरू ने और भी ज़्यादा भड़कते हुए कहा.
अर्चना बोली “आप क्या सोचती है. यदि आप हमको नही बताएगी तो, ये बात हमे पता नही चलेगी. यदि आप ऐसा सोचती है तो, आप ग़लत सोचती है. मैं अभी जाकर भैया से पूछती हूँ.”
ये कह कर अर्चना बाहर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन तभी निशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा.
निशा बोली “तुम्हे अज्जि से कुछ पूछने की ज़रूरत नही है. मैं नही चाहती कि, उसके जख्म फिर से ताज़ा हो जाए. मैं तुमको बताती हूँ कि, वो बात क्या है.”
ये कह कर निशा एक बार फिर किसी गहरी सोच मे डूब गयी. सब बेसब्री से निशा के बोलने का इंतजार करने लगे. थोड़ी देर बाद निशा ने अपनी बात बोलना सुरू किया.
अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी….
जिस दिन आरू की दूसरी सर्जरी थी, उसी रात को अज्जि की मिल मे आग लग गयी. ऐसे मे अज्जि को फ़ौरन सूरत के लिए निकलना चाहिए था. लेकिन ये आरू की बड़ी सर्जरी थी. जिस वजह से उसे दर्द भी महसूस हो रहा था. इसलिए अज्जि ने अपने मॅनेजर से कहा कि, वो कल के पहले नही आ सकता है. मगर वो वहाँ के एस.पी. को कॉल कर देता है. वो सब संभाल लेगे.
वहाँ का एस.पी. अज्जि का दोस्त था. इसलिए अज्जि ने उसे कॉल करके अपनी स्तिथि बताई और वहाँ का माहौल संभाल लेने को कह दिया. एस.पी. ने मौके पर पहुच कर सब कुछ संभाल लिया. लेकिन उसने शक़ के आधार पर 5 लोगों को हिरासत मे भी ले लिया.
जब उन 5 लोगों से सख्ती के साथ पूछ ताछ की गयी तो, उन ने कबुल किया कि, ये आग लगी नही बल्कि लगाई गयी थी और इसमे अज्जि की मिल्स के जनरल मॅनेजर धीरू शाह का हाथ था. एस.पी. ने उनको भी हिरासत मे ले लिया.
धीरू शाह अज्जि के पिता जी के समय से उनकी मिल्स के जनरल मॅनेजर थे. लेकिन अज्जि के पिता उनको अपना दोस्त मानते थे और उन पर पूरा विस्वास करते थे. इसलिए अज्जि के घर उनका रोज का आना जाना था और अज्जि के परिवार का भी उनके घर आना जाना था.
दोनो परिवारों के बीच एक दोस्ताना माहौल था. आज्जि उनको अंकल आंटी कह कर पुकारता था और हेतल अज्जि को भैया कहती थी. ये सिलसिला अज्जि के माता पिता की मौत के बाद भी जारी रहा और अज्जि ने भी उनको वो ही सम्मान दिया, जो अज्जि के पिता के समय पर उनका था.यही वजह थी कि, आरू के साथ हुए हादसे के बाद भी, अज्जि को अपने बिज़्नेस की कोई ज़्यादा फिकर नही थी.
इसी बीच एक दिन हेतल ने अज्जि से एक लड़के को नौकरी पर रखने की सिफारिश की तो, अज्जि ने उस लड़के को अपने पापा से मिला देने की बात कही. मगर हेतल ने गुस्से मे अज्जि से कहा कि, क्या आपके लिए मेरी कोई अहमियत नही है. यदि मुझे पापा से ही ये बात करना होती तो, मैं आप से ये बात क्यो कहती.
अब अज्जि हेतल को अपनी बहन ही मानता था. इसलिए उसने हेतल की बात रखते हुए उस लड़के की क़ाबलियत को देखते हुए, उसे अपनी नयी मिल मे सेल्स मॅनेजर की जॉब दे दी. वो लड़का मेहनती होनहार होने के साथ साथ ईमानदार भी था.
कुछ ही दिन काम करने के बाद उस लड़के को अहसास हुआ कि, धीरू शाह मिल के माल मे बहुत गड़बड़ी कर रहा है. लड़के ने अज्जि को आगाह किया कि, आपकी गैर-मौजूदगी मे मिल मे लाखों का हेर फेर किया जाता है.
लेकिन अज्जि इस बारे मे कोई कदम उठा पाता कि, उस से पहले ही इस बात की भनक धीरू शाह को भी लग गयी. उसने अपनी चोरी पकड़े जाने से बचाने के लिए मिल मे आग लगा दी. जब मिल मे आग लगी तो, अज्जि फ़ौरन वहाँ नही पहुच सका था.
दूसरे दिन जब अज्जि वहाँ पहुचा तो, हेतल और उसकी मम्मी रोते हुए अज्जि के पास आई. उन्हो ने बताया कि, हेतल के पापा को रात को पोलीस पकड़ कर ले गयी. आज्जि जब अपने एस.पी. दोस्त से मिला तो, उसने बताया कि, ये लोग तुम्हारी मिल मे हेरा फेरी करते थे और अपनी उसी हेरा फेरी को छुपाने के लिए अब ये मिल मे आग लगा कर उसे हादसे का रूप देना चाहते थे.
ये सब बातें सुन लेने के बाद भी, अज्जि हेतल और उसकी माँ की वजह से, धीरू शाह पर कोई मामला दर्ज नही होने देना चाहता था. जिसकी वजह से वो सब लोग पोलीस की हिरासत से छूट गये. मगर इसके साथ ही अज्जि ने सबको नौकरी से निकाल दिया और धीरू शाह की जगह उस नये लड़के को जनरल मॅनेजर बना दिया.
लेकिन ये सब तो बस बातें तो अज्जि की जिंदगी मे आने वाले तूफान की एक झलक बस थी. असली बात तो, अब अज्जि के सामने आने वाली थी. अगले दिन जब अज्जि वापस सूरत पहुचा तो, उन 5 लोगों मे से एक आदमी अज्जि के ऑफीस मे आया. आज्जि उन पर बहुत गुस्सा था. इसलिए उस ने उस आदमी से मिलने से मना कर दिया.
लेकिन वो आदमी बहुत मुसीबत मे था और अज्जि से मिले बिना जाने को तैयार नही था. तब अज्जि ने अपने नये मॅनेजर को उस से मिलने भेजा. वो जाकर उस आदमी से मिला और फिर आकर, अज्जि को बताया कि, कल उसकी बेटी की शादी है और धीरू शाह ने उसे पैसों का लालच देकर ये काम करवाया था. मगर अब पकड़े जाने के बाद, धीरू शाह ने उसे पैसे देने से मना कर दिया है. इसलिए वो मदद के लिए आपके पास आया है.
अपने मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि ने अपने मॅनेजर से कहा कि, वो जितने पैसे माँग रहा है, उसे दे दो. उसके करमो का फल उसकी बेटी को नही मिलना चाहिए. आज्जि की बात मानकर, मॅनेजर ने उसको पैसे दे दिए. अजय की वापसी की फ्लाइट का समय हो रहा था. इसलिए वो एरपोर्ट जाने के लिए अपने ऑफीस से बाहर आ गया.
आज्जि अपनी कार मे बैठने ही वाला था कि, तभी उस आदमी ने आकर उसके पैर पकड़ लिए. वो पैर पकड़ कर अज्जि से माफी माँगने लगा. लेकिन अज्जि उस से बहुत ज़्यादा नाराज़ था और उसकी शकल तक देखना पसंद नही कर रहा था. आज्जि ने गुस्से मे उस पर भड़कते हुए कहा.
अजय बोला “मैने तुम्हारा क्या बुरा किया था. जो तुमने मुझसे बदला लेने के लिए, हज़ारों मजदूरों की रोज़ी रोटी को जला दिया. एक मिल के जल जाने से मेरा कुछ नही बिगड़ जाएगा. लेकिन उन मजदूरों का क्या. जिनकी रोज़ी रोटी का सहारा सिर्फ़ ये मिल ही थी. मैं तुम्हे इस सबके लिए कभी माफ़ नही करूगा.”
आज्जि को गुस्से मे देख कर भी, वो आदमी अज्जि के पैर छोड़ने को तैयार नही था और उस से अपने किए की माफी माँगे जा रहा था. मगर जब अज्जि ने उसे माफ़ नही किया तो, उसने जो पैसे अपनी बेटी की शादी के लिए थे. उन पैसों को अज्जि के पैरों के पास रखते हुए कहा.
आदमी बोला “साहब जब आप मुझे माफ़ करना नही चाहते तो, मुझ पर ये उपकार किस लिए कर रहे है. मुझे मेरे किए करमो की सज़ा मिलनी ही चाहिए और मेरी सज़ा ये ही है कि, मेरी बेटी की डॉली ही ना उठे.”
ये कह कर, वो आदमी रोता हुआ वहाँ से जाने लगा. लेकिन उस आदमी के आँसू देख और उसकी बातें सुनकर, अज्जि का दिल पिघल गया. उसने उस आदमी को रोकते हुए कहा.
अजय बोला “आए रूको, एक तो ग़लती करते हो और अपनी उस ग़लती की सज़ा अपनी बेटी को देना चाहते हो. वो तुम्हारी बेटी ही नही, मेरी बहन भी है और मेरी बहन की डॉली मेरे होते कोई उठने से नही रोक सकता. ये पैसे लो और खुशी खुशी उसकी शादी करके मुझसे आकर मिलो.”
ये कह कर अज्जि ने ज़मीन से पैसे उठाए और उस आदमी को देने लगा. मगर अज्जि का ये रूप देख कर वो और भी ज़्यादा रोने लगा. आज्जि को अब जाने मे देर हो रही थी. इसलिए उसने उस आदमी को समझाते हुए कहा.
अजय बोला “देखो, मेरी बहन मुंबई के हॉस्पिटल मे भरती है. मैं यदि उसके पास नही पहुँचा तो, वो सारा हॉस्पिटल सर पर उठा लेगी. मैं अब और ज़्यादा देर यहाँ नही रुक सकता. मेरा अभी ही निकलना ज़रूरी है.”
मगर उस आदमी ने अज्जि से उसकी एक बात सुनने को कहा. अपनी बात सुने बिना वो अज्जि से किसी भी हालत मे पैसे लेने को तैयार नही था. आख़िर मे अज्जि ने उस से अपनी गाड़ी मे बैठने को कहा और फिर एरपोर्ट के लिए निकल गया.
रास्ते मे वो आदमी अज्जि को अपनी बात बताने लगा. जिसे सुनकर, अज्जि की आँखों से आँसू छलक गये और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया. कभी उसकी आँखों मे अपने माँ बाप का चेहरा घूम रहा था तो, कभी उसके दिमाग़ मे उस आदमी की कही बातें घूम रही थी.
उस के लिए ये कुछ भी सोच पाना मुस्किल हो रहा था. वो समझ नही पा रहा था कि, वो क्या करे और क्या ना करे. लेकिन तभी अज्जि के सामने आरू का चेहरा आ गया और उसने अपने आपको संभालते हुए उस आदमी को पैसे दिए और मुंबई आ गया.
लेकिन मुंबई आने के बाद भी, उस आदमी की बातों ने अज्जि का पिछा नही छोड़ा था और वो उस बात की वजह से बहुत बेचैन था. उसकी इस बेचैनी को सीरू ने भी महसूस कर लिया था और इसलिए उसने इसकी वजह जानने का फ़ैसला किया था.
अगले दिन जब मेरी और सीरू की बात सुनकर, अमन सूरत पहुचा तो, अज्जि घर मे ही चहल कदमी करता मिल गया. वो शायद किसी के आने का इंतजार कर रहा था. अचानक से अमन को अपने सामने पाकर, वो चौके बिना ना रह सका. अमन ने उसे अपने आने की सारी बातें बता दी.
अमन की बात सुनते, ही अज्जि के दिल मे दबा दर्द बाहर निकल आया. वो अपने आँसुओं को बहने से रोक ना सका और अमन से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगा. आज्जि को इस तरह टूटता हुआ देख, अमन को समझते देर नही लगी कि, अज्जि को बहुत बड़ी बात परेशान कर रही है. उसने अज्जि को दिलासा होते हुए कहा.
अमन बोला “रोता क्यो है. तेरा भाई तेरे साथ है ना. मुझे बता क्या बात तुझे परेशान कर रही है.”
अमन का सहारा पाकर, अज्जि ने अपने दिल का गुबार निकालते हुए उसे सारी बातें बताई और उस से कहा.
अजय बोला “मेरे माता पिता की मौत कोई रोड आक्सिडेंट नही थी. वो एक सोची समझी साज़िश थी. वो एक कत्ल था.”
उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया. उसने अज्जि को पकड़ कर हिलाते हुए कहा.
अमन बोला “तू ये क्या कह रहा है. कौन है वो जिसने ये साज़िश रची थी.”
अजय बोला “वो कोई और नही. हमारा मॅनेजर और पापा का करीबी दोस्त धीरू शाह है.”
आज्जि की ये बात सुनकर, अमन के दिमाग़ मे एक और धमाका हुआ. अमन धीरू शाह को अच्छे से जानता था और उसे एक बहुत अछा इंसान समझता था. आज्जि के परिवार से धीरू शाह के रिश्ते को भी अमन जानता था. इसलिए उसे अब भी अपने कानो पर विस्वास नही हो रहा था.
सीरत बोली “भाभी, आंटी ये किस बात के बारे मे, बात कर रही है. आपने अज्जि भैया के बारे मे हम सब से क्या बात छुपा कर रखी है.”
सीरू की इस बात का निशा को कोई जबाब नही सूझ रहा था. उसने सीरू को समझाते हुए कहा.
निशा बोली “उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है. मैं वो बात तुम्हे फिर कभी बता दुगी.”
लेकिन निशा की बात सुनकर, आरू ने भड़कते हुए कहा.
अर्चना बोली “कैसे मतलब नही है. जिस बात को सुनकर, आंटी ने अपने बेटे की मौत का ज़रा सा गम तक नही किया. उस बात को आप कैसे कह सकती है कि, उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है. यदि इस सब के बाद भी आप वो बात हमको नही बताती तो, हम ये ही समझेगे कि आपकी नज़रों मे हमारी कोई अहमियत नही है.”
लेकिन आरू की बात सुनने के बाद भी निशा ने बात को टालते हुए कहा.
निशा बोली “मैने कहा ना कि, उस बात का इस सब से कोई मतलब नही है तो नही है. अब इसके बाद मैं इस बारे मे कोई बात नही करना चाहती. तुम लोगों को जो समझना हो, समझ सकती हो.”
जिस अज्जि के लिए अभी सब मिल कर शिखा के घर आए थे. अब उसी की किसी एक बात के लिए सब आपस मे बहस कर रहे थे. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि, ये सब अचानक क्या होने लगा है. आख़िर ऐसी क्या बात है, जिसे निशा इतना सब होने पर भी किसी को बताना नही चाहती है.
एक तरफ निशा ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया था. वही निशा का ये जबाब सुनकर आरू ने और भी ज़्यादा भड़कते हुए कहा.
अर्चना बोली “आप क्या सोचती है. यदि आप हमको नही बताएगी तो, ये बात हमे पता नही चलेगी. यदि आप ऐसा सोचती है तो, आप ग़लत सोचती है. मैं अभी जाकर भैया से पूछती हूँ.”
ये कह कर अर्चना बाहर जाने के लिए मूड गयी. लेकिन तभी निशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए कहा.
निशा बोली “तुम्हे अज्जि से कुछ पूछने की ज़रूरत नही है. मैं नही चाहती कि, उसके जख्म फिर से ताज़ा हो जाए. मैं तुमको बताती हूँ कि, वो बात क्या है.”
ये कह कर निशा एक बार फिर किसी गहरी सोच मे डूब गयी. सब बेसब्री से निशा के बोलने का इंतजार करने लगे. थोड़ी देर बाद निशा ने अपनी बात बोलना सुरू किया.
अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी….
जिस दिन आरू की दूसरी सर्जरी थी, उसी रात को अज्जि की मिल मे आग लग गयी. ऐसे मे अज्जि को फ़ौरन सूरत के लिए निकलना चाहिए था. लेकिन ये आरू की बड़ी सर्जरी थी. जिस वजह से उसे दर्द भी महसूस हो रहा था. इसलिए अज्जि ने अपने मॅनेजर से कहा कि, वो कल के पहले नही आ सकता है. मगर वो वहाँ के एस.पी. को कॉल कर देता है. वो सब संभाल लेगे.
वहाँ का एस.पी. अज्जि का दोस्त था. इसलिए अज्जि ने उसे कॉल करके अपनी स्तिथि बताई और वहाँ का माहौल संभाल लेने को कह दिया. एस.पी. ने मौके पर पहुच कर सब कुछ संभाल लिया. लेकिन उसने शक़ के आधार पर 5 लोगों को हिरासत मे भी ले लिया.
जब उन 5 लोगों से सख्ती के साथ पूछ ताछ की गयी तो, उन ने कबुल किया कि, ये आग लगी नही बल्कि लगाई गयी थी और इसमे अज्जि की मिल्स के जनरल मॅनेजर धीरू शाह का हाथ था. एस.पी. ने उनको भी हिरासत मे ले लिया.
धीरू शाह अज्जि के पिता जी के समय से उनकी मिल्स के जनरल मॅनेजर थे. लेकिन अज्जि के पिता उनको अपना दोस्त मानते थे और उन पर पूरा विस्वास करते थे. इसलिए अज्जि के घर उनका रोज का आना जाना था और अज्जि के परिवार का भी उनके घर आना जाना था.
दोनो परिवारों के बीच एक दोस्ताना माहौल था. आज्जि उनको अंकल आंटी कह कर पुकारता था और हेतल अज्जि को भैया कहती थी. ये सिलसिला अज्जि के माता पिता की मौत के बाद भी जारी रहा और अज्जि ने भी उनको वो ही सम्मान दिया, जो अज्जि के पिता के समय पर उनका था.यही वजह थी कि, आरू के साथ हुए हादसे के बाद भी, अज्जि को अपने बिज़्नेस की कोई ज़्यादा फिकर नही थी.
इसी बीच एक दिन हेतल ने अज्जि से एक लड़के को नौकरी पर रखने की सिफारिश की तो, अज्जि ने उस लड़के को अपने पापा से मिला देने की बात कही. मगर हेतल ने गुस्से मे अज्जि से कहा कि, क्या आपके लिए मेरी कोई अहमियत नही है. यदि मुझे पापा से ही ये बात करना होती तो, मैं आप से ये बात क्यो कहती.
अब अज्जि हेतल को अपनी बहन ही मानता था. इसलिए उसने हेतल की बात रखते हुए उस लड़के की क़ाबलियत को देखते हुए, उसे अपनी नयी मिल मे सेल्स मॅनेजर की जॉब दे दी. वो लड़का मेहनती होनहार होने के साथ साथ ईमानदार भी था.
कुछ ही दिन काम करने के बाद उस लड़के को अहसास हुआ कि, धीरू शाह मिल के माल मे बहुत गड़बड़ी कर रहा है. लड़के ने अज्जि को आगाह किया कि, आपकी गैर-मौजूदगी मे मिल मे लाखों का हेर फेर किया जाता है.
लेकिन अज्जि इस बारे मे कोई कदम उठा पाता कि, उस से पहले ही इस बात की भनक धीरू शाह को भी लग गयी. उसने अपनी चोरी पकड़े जाने से बचाने के लिए मिल मे आग लगा दी. जब मिल मे आग लगी तो, अज्जि फ़ौरन वहाँ नही पहुच सका था.
दूसरे दिन जब अज्जि वहाँ पहुचा तो, हेतल और उसकी मम्मी रोते हुए अज्जि के पास आई. उन्हो ने बताया कि, हेतल के पापा को रात को पोलीस पकड़ कर ले गयी. आज्जि जब अपने एस.पी. दोस्त से मिला तो, उसने बताया कि, ये लोग तुम्हारी मिल मे हेरा फेरी करते थे और अपनी उसी हेरा फेरी को छुपाने के लिए अब ये मिल मे आग लगा कर उसे हादसे का रूप देना चाहते थे.
ये सब बातें सुन लेने के बाद भी, अज्जि हेतल और उसकी माँ की वजह से, धीरू शाह पर कोई मामला दर्ज नही होने देना चाहता था. जिसकी वजह से वो सब लोग पोलीस की हिरासत से छूट गये. मगर इसके साथ ही अज्जि ने सबको नौकरी से निकाल दिया और धीरू शाह की जगह उस नये लड़के को जनरल मॅनेजर बना दिया.
लेकिन ये सब तो बस बातें तो अज्जि की जिंदगी मे आने वाले तूफान की एक झलक बस थी. असली बात तो, अब अज्जि के सामने आने वाली थी. अगले दिन जब अज्जि वापस सूरत पहुचा तो, उन 5 लोगों मे से एक आदमी अज्जि के ऑफीस मे आया. आज्जि उन पर बहुत गुस्सा था. इसलिए उस ने उस आदमी से मिलने से मना कर दिया.
लेकिन वो आदमी बहुत मुसीबत मे था और अज्जि से मिले बिना जाने को तैयार नही था. तब अज्जि ने अपने नये मॅनेजर को उस से मिलने भेजा. वो जाकर उस आदमी से मिला और फिर आकर, अज्जि को बताया कि, कल उसकी बेटी की शादी है और धीरू शाह ने उसे पैसों का लालच देकर ये काम करवाया था. मगर अब पकड़े जाने के बाद, धीरू शाह ने उसे पैसे देने से मना कर दिया है. इसलिए वो मदद के लिए आपके पास आया है.
अपने मॅनेजर की बात सुनकर, अज्जि ने अपने मॅनेजर से कहा कि, वो जितने पैसे माँग रहा है, उसे दे दो. उसके करमो का फल उसकी बेटी को नही मिलना चाहिए. आज्जि की बात मानकर, मॅनेजर ने उसको पैसे दे दिए. अजय की वापसी की फ्लाइट का समय हो रहा था. इसलिए वो एरपोर्ट जाने के लिए अपने ऑफीस से बाहर आ गया.
आज्जि अपनी कार मे बैठने ही वाला था कि, तभी उस आदमी ने आकर उसके पैर पकड़ लिए. वो पैर पकड़ कर अज्जि से माफी माँगने लगा. लेकिन अज्जि उस से बहुत ज़्यादा नाराज़ था और उसकी शकल तक देखना पसंद नही कर रहा था. आज्जि ने गुस्से मे उस पर भड़कते हुए कहा.
अजय बोला “मैने तुम्हारा क्या बुरा किया था. जो तुमने मुझसे बदला लेने के लिए, हज़ारों मजदूरों की रोज़ी रोटी को जला दिया. एक मिल के जल जाने से मेरा कुछ नही बिगड़ जाएगा. लेकिन उन मजदूरों का क्या. जिनकी रोज़ी रोटी का सहारा सिर्फ़ ये मिल ही थी. मैं तुम्हे इस सबके लिए कभी माफ़ नही करूगा.”
आज्जि को गुस्से मे देख कर भी, वो आदमी अज्जि के पैर छोड़ने को तैयार नही था और उस से अपने किए की माफी माँगे जा रहा था. मगर जब अज्जि ने उसे माफ़ नही किया तो, उसने जो पैसे अपनी बेटी की शादी के लिए थे. उन पैसों को अज्जि के पैरों के पास रखते हुए कहा.
आदमी बोला “साहब जब आप मुझे माफ़ करना नही चाहते तो, मुझ पर ये उपकार किस लिए कर रहे है. मुझे मेरे किए करमो की सज़ा मिलनी ही चाहिए और मेरी सज़ा ये ही है कि, मेरी बेटी की डॉली ही ना उठे.”
ये कह कर, वो आदमी रोता हुआ वहाँ से जाने लगा. लेकिन उस आदमी के आँसू देख और उसकी बातें सुनकर, अज्जि का दिल पिघल गया. उसने उस आदमी को रोकते हुए कहा.
अजय बोला “आए रूको, एक तो ग़लती करते हो और अपनी उस ग़लती की सज़ा अपनी बेटी को देना चाहते हो. वो तुम्हारी बेटी ही नही, मेरी बहन भी है और मेरी बहन की डॉली मेरे होते कोई उठने से नही रोक सकता. ये पैसे लो और खुशी खुशी उसकी शादी करके मुझसे आकर मिलो.”
ये कह कर अज्जि ने ज़मीन से पैसे उठाए और उस आदमी को देने लगा. मगर अज्जि का ये रूप देख कर वो और भी ज़्यादा रोने लगा. आज्जि को अब जाने मे देर हो रही थी. इसलिए उसने उस आदमी को समझाते हुए कहा.
अजय बोला “देखो, मेरी बहन मुंबई के हॉस्पिटल मे भरती है. मैं यदि उसके पास नही पहुँचा तो, वो सारा हॉस्पिटल सर पर उठा लेगी. मैं अब और ज़्यादा देर यहाँ नही रुक सकता. मेरा अभी ही निकलना ज़रूरी है.”
मगर उस आदमी ने अज्जि से उसकी एक बात सुनने को कहा. अपनी बात सुने बिना वो अज्जि से किसी भी हालत मे पैसे लेने को तैयार नही था. आख़िर मे अज्जि ने उस से अपनी गाड़ी मे बैठने को कहा और फिर एरपोर्ट के लिए निकल गया.
रास्ते मे वो आदमी अज्जि को अपनी बात बताने लगा. जिसे सुनकर, अज्जि की आँखों से आँसू छलक गये और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया. कभी उसकी आँखों मे अपने माँ बाप का चेहरा घूम रहा था तो, कभी उसके दिमाग़ मे उस आदमी की कही बातें घूम रही थी.
उस के लिए ये कुछ भी सोच पाना मुस्किल हो रहा था. वो समझ नही पा रहा था कि, वो क्या करे और क्या ना करे. लेकिन तभी अज्जि के सामने आरू का चेहरा आ गया और उसने अपने आपको संभालते हुए उस आदमी को पैसे दिए और मुंबई आ गया.
लेकिन मुंबई आने के बाद भी, उस आदमी की बातों ने अज्जि का पिछा नही छोड़ा था और वो उस बात की वजह से बहुत बेचैन था. उसकी इस बेचैनी को सीरू ने भी महसूस कर लिया था और इसलिए उसने इसकी वजह जानने का फ़ैसला किया था.
अगले दिन जब मेरी और सीरू की बात सुनकर, अमन सूरत पहुचा तो, अज्जि घर मे ही चहल कदमी करता मिल गया. वो शायद किसी के आने का इंतजार कर रहा था. अचानक से अमन को अपने सामने पाकर, वो चौके बिना ना रह सका. अमन ने उसे अपने आने की सारी बातें बता दी.
अमन की बात सुनते, ही अज्जि के दिल मे दबा दर्द बाहर निकल आया. वो अपने आँसुओं को बहने से रोक ना सका और अमन से लिपट कर फुट फुट कर रोने लगा. आज्जि को इस तरह टूटता हुआ देख, अमन को समझते देर नही लगी कि, अज्जि को बहुत बड़ी बात परेशान कर रही है. उसने अज्जि को दिलासा होते हुए कहा.
अमन बोला “रोता क्यो है. तेरा भाई तेरे साथ है ना. मुझे बता क्या बात तुझे परेशान कर रही है.”
अमन का सहारा पाकर, अज्जि ने अपने दिल का गुबार निकालते हुए उसे सारी बातें बताई और उस से कहा.
अजय बोला “मेरे माता पिता की मौत कोई रोड आक्सिडेंट नही थी. वो एक सोची समझी साज़िश थी. वो एक कत्ल था.”
उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया. उसने अज्जि को पकड़ कर हिलाते हुए कहा.
अमन बोला “तू ये क्या कह रहा है. कौन है वो जिसने ये साज़िश रची थी.”
अजय बोला “वो कोई और नही. हमारा मॅनेजर और पापा का करीबी दोस्त धीरू शाह है.”
आज्जि की ये बात सुनकर, अमन के दिमाग़ मे एक और धमाका हुआ. अमन धीरू शाह को अच्छे से जानता था और उसे एक बहुत अछा इंसान समझता था. आज्जि के परिवार से धीरू शाह के रिश्ते को भी अमन जानता था. इसलिए उसे अब भी अपने कानो पर विस्वास नही हो रहा था.