desiaks
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मेरे पास कीर्ति के मोबाइल से जो मेसेज आया था.
वो मेसेज था "भैया कॉल उठाओ. मैं अमि हूँ."
ये मेसेज पढ़कर मेरे मरने का इरादा तो टल चुका था. लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, कीर्ति के मोबाइल पर अमि कैसे हो सकती है. यदि वो अमि ही है तो, क्या उसने मेरा भेजा हुआ मेसेज पढ़ लिया है. जो वो इस तरह से कॉल लगाए जा रही है. या फिर ये कीर्ति ही मेरे मेसेज को पढ़ कर कोई चाल चल रही है.
इधर मैं ये सब सोचे जा रहा था. उधर कीर्ति के मोबाइल से लगातार कॉल आए जा रहे थे. अचानक मुझे ख़याल आया कि, यदि ये सच मे ही अमि हुई तो, कहीं मेरे कॉल ना उठाने से बात ज़्यादा ना बिगड़ जाए. इस बात के मेरे दिमाग़ मे आते ही मैने कॉल उठा लिया और धड़कते हुए दिल से कहा.
मैं बोला "हेलो."
अमि ने मेरे मेसेज को पढ़ लिया था. इसलिए वो मेरे कॉल उठाते ही रोते हुए कहने लगी.
अमि बोली "भैया आपने कीर्ति दीदी के मोबाइल पर ये कैसा मेसेज भेजा है. मैं अभी जाकर मम्मी से बोलती हूँ कि, भैया कीर्ति दीदी से नाराज़ होकर मरने जा रहे है."
अमि की बात सुनकर मेरे पैरो के नीचे की ज़मीन ही खिसक गयी. मुझे लगा कि ये अभी छोटी माँ को जाकर सब कुछ बता देगी और अभी हंगामा शुरू हो जाएगा. ये ख़याल मन मे आते ही, मैं अपने हर दर्द को भूल कर, अमि को बड़े प्यार से समझाने लगा.
मैं बोला "पागल लड़की, जैसा तू सोच रही है. ऐसा कुछ भी नही है. ये मेसेज तो, यहाँ के मेरे एक दोस्त ने, मेरे मोबाइल से अपनी गर्लफ्रेंड को किया था. मैं उसी को डेलीट कर रहा था. धोके से वो कीर्ति के नंबर पर चला गया. मैने ये बताने के लिए कॉल भी किया था. लेकिन तब मोबाइल बंद था. इसलिए कॉल नही गया."
अमि बोली "यदि ऐसा था तो, फिर आप कॉल क्यों नही उठा रहे थे."
मैं बोला "मैं अंकल के पास बैठा था. अब उनके पास से उठ कर आने मे वक्त तो लगता है ना. यदि मुझे कॉल ना उठाना होता तो, फिर मैं कॉल काटता ही क्यों. कॉल काटने का यही मतलब होता है कि, अभी सामने वाला बिज़ी है. जब तू मोबाइल चलाने लगेगी तो, ये सब बातें खुद तेरे समझ मे आ जाएगी."
अमि बोली "आप सच बोल रहे है ना भैया."
मैं बोला "मुझे किसी पागल कुत्ते ने काटा है. जो मैं अपनी अमि निमी को छोड़ने कर मरने जाउन्गा. मैं तो यहाँ हॉस्पिटल मे अंकल के पास बैठा हूँ, और अभी अंकल सो रहे है. मेरी तो उस से दोपहर के बाद बात ही नही हुई है. फिर भला मैं कीर्ति से किस बात पर नाराज़ रहुगा. मुझे तो लगता है तू निमी से भी ज़्यादा नासमझ है. जो इतनी सी बात भी नही समझती."
मेरी इस बात का अमि पर असर हुआ और वो मेरी बात को समझ गयी. उसने राहत की साँस लेते हुए कहा.
अमि बोली "मैं तो डर ही गयी थी. मुझे लगा कही आप सच मे तो ये सब करने नही चले गये."
मैं बोला "अब तो सब बात समझ मे आ गयी ना. अब ये बता तू इतनी रात को क्यों जाग रही है, और तेरे पास ये कीर्ति का मोबाइल कहाँ से आ गया."
अमि बोली "भैया मैं और निमी तो आपको बर्तडे विश करने के लिए जाग रही थी. मगर निमी आपसे बात होने के थोड़े ही देर बाद सो गयी. लेकिन मैं अभी तक जाग रही हूँ. हॅपी बर्थदे टू यू भैया."
उसकी बात सुनकर मेरी आँखों से आँसू छलक पड़े. ये आँसू खुशी के भी थे, और उस ग़लती के पछतावे के भी थे. जो मैं अभी अभी करने जा रहा था. मुझसे कुछ भी कहते ना बना. मैने सिर्फ़ इतना कहा.
मैं बोला "थॅंक्स बेटू."
लेकिन मेरी इतनी सी बात से ही अमि को अहसास हो गया था कि, मैं रो रहा हूँ. उसे मुझे बर्तडे विश करने से जो खुशी मिली थी. वो खुशी मेरी आँखों के आँसू महसूस करते ही उदासी मे बदल गयी थी. उसने उदासी भरे शब्दों मे मुझसे कहा.
अमि बोली "भैया आप रो क्यों रहे हो. आपको क्या हुआ है. क्या आपको किसी ने कुछ कहा है."
अमि की बात सुनकर मुझे अहसास हुआ कि, मैं ये क्या कर रहा हूँ. अपनी उस भोली भली बहन को बेकार मे दुखी कर रहा हूँ. जो अभी तक सिर्फ़ इसलिए जाग रही थी कि, मुझे बर्तडे विश कर सके. मैने जल्दी से अपने आँसू पोन्छे और अमि को चिड़ाते हुए कहा.
मैं बोला "आमो तू सच मे पागल है. अरे पगली ये आँसू तो इस खुशी के है कि, तुम दोनो को मेरा जनम दिन याद है. मुझे तो याद ही नही था कि, आज मेरा जनम दिन है."
मेरी इस बात से अमि को यकीन हो गया कि, मेरी आँखों मे खुशी के आँसू है. उसने मुझे झुता गुस्सा दिखाते हुए कहा.
अमि बोली "मैं नही, आप पागल हो और बहुत बड़े भुलक्कड़ भी हो. जो आपको कुछ भी याद नही रहता."
मैं उसकी बात का मतलब समझता था. लेकिन मैं चाहता था कि, मेरी बात को लेकर उसके मासूम से दिल पर कोई भी शक़ ना रहे. इसलिए मैने मासूम बनते हुए कहा.
मैं बोला "क्यों मुझे क्या याद नही रहता. मैं क्या भूल गया."
अमि बोली "अरे आप अपना जनम दिन ही भूल गये. ऐसा भी कभी होता है. मुझे और निमी को देखो. हम लोग कभी अपना जनम दिन नही भूलते."
मैं बोला "मैं भूल गया तो क्या हुआ. मेरा जनमदिन याद रखने के लिए मेरी प्यारी प्यारी आमो और निम्मो तो है. अब ये बता मुझे जनम दिन मे क्या गिफ्ट दे रही है."
अमि बोली "मैं कोई कमाने जाती हूँ. जो मैं आपको गिफ्ट दुगी."
मैं बोला "ज़्यादा बातें मत बना. मैं जानता हूँ. तुम दोनो ने मेरे गिफ्ट के लिए छोटी माँ की नाक मे दम कर दिया होगा."
मेरी बात सुनकर अमि खिलखिलाने लगी और बोली.
अमि बोली "मैने तो आपके लिए पर्स खरीदा है."
मैं बोला "और निमी ने क्या खरीदा है."
अमि बोली "वो मैं नही बता सकती. यदि मैने बता दिया तो, वो मुझसे झगड़ा करेगी."
मैं बोला "मैं कौन सा उसे बताने जा रहा हूँ. तू मुझे बता दे. मैं उसे कुछ नही बोलुगा."
अमि बोली "निमी ने आपके लिए मनी बॅंक खरीदा है."
मैं बोला "क्या मेरी उमर उसे मनी बॅंक रखने की लगती है. जो उसने मेरे लिए मनी बॅंक खरीदा है."
अमि बोली "मैने भी यही कहा था. लेकिन वो कहने लगी कि, वो इसमे आपसे पैसे जुडवाएगी और जब ये भर जाएगा. तब वो उन पैसो से आपके लिए एक कार ख़रीदेगी."
मैं बोला "कार तो तब आएगी. जब वो मनी बॅंक भरेगा. लेकिन निमी के रहते वो भर ही नही सकता. उसे तो आए दिन पैसो की ज़रूरत पड़ती रहती है. वो खुद ही उसमे से पैसे निकालती रहेगी."
अमि बोली "यही बात कीर्ति दीदी ने भी उस से कही थी. लेकिन वो कहने लगी कि, इस बार वो ज़रूर उसे भर कर रहेगी."
कीर्ति का नाम सुनते ही मेरे दिल का दर्द ताज़ा हो गया. लेकिन साथ ही साथ ये भी पता चल गया कि, कीर्ति भी ये जानती है आज मेरा जनम दिन है. मगर शायद अपनी सगाई की खुशी मे उसे मुझे बर्तडे विश करने की ज़रूरत ही महसूस नही हुई. मैने अपने दर्द को छुपाते हुए अमि से कहा.
मैं बोला "चल अब ये बातें यही पर ख़तम कर. अब यदि तेरा बर्तडे विश करना हो गया हो तो, ये बता कीर्ति का मोबाइल तेरे पास कैसे आया. क्या कीर्ति घर वापस आ गयी है."
अमि बोली "नही दीदी अभी वापस नही आई है. उनका मोबाइल तो दोपहर से ही हमारे पास था. निमी दोपहर को उनके मोबाइल से आपको कॉल लगाती रही. लेकिन आपने कॉल नही उठाया तो उसने गुस्से मे मोबाइल बंद करके अपने पास ही रख लिया. तब से मोबाइल निमी के पास ही था. दीदी के माँगने पर भी उसने मोबाइल दीदी को नही दिया था. फिर दीदी घर चली गयी तो, मोबाइल हमारे पास ही रह गया."
मैं बोला "ये तो ग़लत बात है बेटू. तुम लोगों को ऐसा नही करना चाहिए था. उसे मोबाइल के बिना कितनी परेशानी हो रही होगी."
अमि बोली "भैया बस एक दिन की ही तो बात थी. यदि दीदी यहाँ रहती तो हम उनका मोबाइल ज़रूर दे देते. लेकिन दीदी घर जा रही थी और हम को रत को आपको बर्तडे विश भी करना था. इसलिए हम दोनो को ऐसा करना पड़ा."
मैं बोला "बेटू तुम दोनो को यदि विश ही करना था तो, तुम छोटी माँ या आंटी का मोबाइल भी ले सकती थी."
अमि बोली "कैसे ले लेते भैया. निमी ने जब से मम्मी के गंदे मोबाइल को साबुन से धोया है. तब से तो वो हमें मोबाइल छूने तक नही देती है. अब आंटी के मोबाइल मे मेहुल भैया के कॉल आते रहते है. ऐसे मे वो अपना मोबाइल हमे क्यों देगी."
मैं बोला "कीर्ति तो है नही. फिर अभी तुम लोगों के साथ कौन सो रहा है."
अमि बोली "हम दोनो अकेले सो रहे है. निमी ने रो रोकर मम्मी और आंटी को नीचे सोने के लिए भगा दिया है. नही तो वो लोग हमे जागने नही देती और जल्दी सुला देती."
मैं बोला "ठीक है. अब तुम्हारा बर्थ'डे विश करना हो गया है. अब कीर्ति का मोबाइल बंद करके रख दो. कल जब वो आए तो उसे दे देना. अब कल से कोई नाटक मत करना. नही तो मैं तुम से नाराज़ हो जाउन्गा. अब तुम भी सो जाओ."
अमि बोली "ओके भैया. कल से हम कोई नाटक नही करेगे. हॅपी बर्थ'डे भैया. गुड नाइट."
मैं बोला "गुड नाइट."
इसके बाद अमि ने कॉल रख दिया. कुछ देर बाद मैने फिर कॉल लगाया तो उसने मोबाइल बंद कर दिया था. मैने राहत की साँस ली और फिर टाइम देखा तो 12:30 बज चुके थे. मैं अजीब कशमकश मे फसा था. ना तो कीर्ति का चेहरा मुझे जीने दे रहा था. ना ही अमि निमी का चेहरा मुझे मरने दे रहा था.
मैं इसी जीने मरने की कशमकश मे फसा हुआ वापस अंकल के पास आ गया. आज मेरा जनमदिन था और कीर्ति ने मुझे ऐसा तोहफा दिया था. जिसे मैं जिंदगी भर नही भुला सकता था. मेरे मन मे जीने की इच्छा ही ख़तम हो गयी थी. मैं रोना चाहता था. अपने आपको ख़तम कर देना चाहता था. लेकिन जीने के लिए मजबूर था.
वो मेसेज था "भैया कॉल उठाओ. मैं अमि हूँ."
ये मेसेज पढ़कर मेरे मरने का इरादा तो टल चुका था. लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, कीर्ति के मोबाइल पर अमि कैसे हो सकती है. यदि वो अमि ही है तो, क्या उसने मेरा भेजा हुआ मेसेज पढ़ लिया है. जो वो इस तरह से कॉल लगाए जा रही है. या फिर ये कीर्ति ही मेरे मेसेज को पढ़ कर कोई चाल चल रही है.
इधर मैं ये सब सोचे जा रहा था. उधर कीर्ति के मोबाइल से लगातार कॉल आए जा रहे थे. अचानक मुझे ख़याल आया कि, यदि ये सच मे ही अमि हुई तो, कहीं मेरे कॉल ना उठाने से बात ज़्यादा ना बिगड़ जाए. इस बात के मेरे दिमाग़ मे आते ही मैने कॉल उठा लिया और धड़कते हुए दिल से कहा.
मैं बोला "हेलो."
अमि ने मेरे मेसेज को पढ़ लिया था. इसलिए वो मेरे कॉल उठाते ही रोते हुए कहने लगी.
अमि बोली "भैया आपने कीर्ति दीदी के मोबाइल पर ये कैसा मेसेज भेजा है. मैं अभी जाकर मम्मी से बोलती हूँ कि, भैया कीर्ति दीदी से नाराज़ होकर मरने जा रहे है."
अमि की बात सुनकर मेरे पैरो के नीचे की ज़मीन ही खिसक गयी. मुझे लगा कि ये अभी छोटी माँ को जाकर सब कुछ बता देगी और अभी हंगामा शुरू हो जाएगा. ये ख़याल मन मे आते ही, मैं अपने हर दर्द को भूल कर, अमि को बड़े प्यार से समझाने लगा.
मैं बोला "पागल लड़की, जैसा तू सोच रही है. ऐसा कुछ भी नही है. ये मेसेज तो, यहाँ के मेरे एक दोस्त ने, मेरे मोबाइल से अपनी गर्लफ्रेंड को किया था. मैं उसी को डेलीट कर रहा था. धोके से वो कीर्ति के नंबर पर चला गया. मैने ये बताने के लिए कॉल भी किया था. लेकिन तब मोबाइल बंद था. इसलिए कॉल नही गया."
अमि बोली "यदि ऐसा था तो, फिर आप कॉल क्यों नही उठा रहे थे."
मैं बोला "मैं अंकल के पास बैठा था. अब उनके पास से उठ कर आने मे वक्त तो लगता है ना. यदि मुझे कॉल ना उठाना होता तो, फिर मैं कॉल काटता ही क्यों. कॉल काटने का यही मतलब होता है कि, अभी सामने वाला बिज़ी है. जब तू मोबाइल चलाने लगेगी तो, ये सब बातें खुद तेरे समझ मे आ जाएगी."
अमि बोली "आप सच बोल रहे है ना भैया."
मैं बोला "मुझे किसी पागल कुत्ते ने काटा है. जो मैं अपनी अमि निमी को छोड़ने कर मरने जाउन्गा. मैं तो यहाँ हॉस्पिटल मे अंकल के पास बैठा हूँ, और अभी अंकल सो रहे है. मेरी तो उस से दोपहर के बाद बात ही नही हुई है. फिर भला मैं कीर्ति से किस बात पर नाराज़ रहुगा. मुझे तो लगता है तू निमी से भी ज़्यादा नासमझ है. जो इतनी सी बात भी नही समझती."
मेरी इस बात का अमि पर असर हुआ और वो मेरी बात को समझ गयी. उसने राहत की साँस लेते हुए कहा.
अमि बोली "मैं तो डर ही गयी थी. मुझे लगा कही आप सच मे तो ये सब करने नही चले गये."
मैं बोला "अब तो सब बात समझ मे आ गयी ना. अब ये बता तू इतनी रात को क्यों जाग रही है, और तेरे पास ये कीर्ति का मोबाइल कहाँ से आ गया."
अमि बोली "भैया मैं और निमी तो आपको बर्तडे विश करने के लिए जाग रही थी. मगर निमी आपसे बात होने के थोड़े ही देर बाद सो गयी. लेकिन मैं अभी तक जाग रही हूँ. हॅपी बर्थदे टू यू भैया."
उसकी बात सुनकर मेरी आँखों से आँसू छलक पड़े. ये आँसू खुशी के भी थे, और उस ग़लती के पछतावे के भी थे. जो मैं अभी अभी करने जा रहा था. मुझसे कुछ भी कहते ना बना. मैने सिर्फ़ इतना कहा.
मैं बोला "थॅंक्स बेटू."
लेकिन मेरी इतनी सी बात से ही अमि को अहसास हो गया था कि, मैं रो रहा हूँ. उसे मुझे बर्तडे विश करने से जो खुशी मिली थी. वो खुशी मेरी आँखों के आँसू महसूस करते ही उदासी मे बदल गयी थी. उसने उदासी भरे शब्दों मे मुझसे कहा.
अमि बोली "भैया आप रो क्यों रहे हो. आपको क्या हुआ है. क्या आपको किसी ने कुछ कहा है."
अमि की बात सुनकर मुझे अहसास हुआ कि, मैं ये क्या कर रहा हूँ. अपनी उस भोली भली बहन को बेकार मे दुखी कर रहा हूँ. जो अभी तक सिर्फ़ इसलिए जाग रही थी कि, मुझे बर्तडे विश कर सके. मैने जल्दी से अपने आँसू पोन्छे और अमि को चिड़ाते हुए कहा.
मैं बोला "आमो तू सच मे पागल है. अरे पगली ये आँसू तो इस खुशी के है कि, तुम दोनो को मेरा जनम दिन याद है. मुझे तो याद ही नही था कि, आज मेरा जनम दिन है."
मेरी इस बात से अमि को यकीन हो गया कि, मेरी आँखों मे खुशी के आँसू है. उसने मुझे झुता गुस्सा दिखाते हुए कहा.
अमि बोली "मैं नही, आप पागल हो और बहुत बड़े भुलक्कड़ भी हो. जो आपको कुछ भी याद नही रहता."
मैं उसकी बात का मतलब समझता था. लेकिन मैं चाहता था कि, मेरी बात को लेकर उसके मासूम से दिल पर कोई भी शक़ ना रहे. इसलिए मैने मासूम बनते हुए कहा.
मैं बोला "क्यों मुझे क्या याद नही रहता. मैं क्या भूल गया."
अमि बोली "अरे आप अपना जनम दिन ही भूल गये. ऐसा भी कभी होता है. मुझे और निमी को देखो. हम लोग कभी अपना जनम दिन नही भूलते."
मैं बोला "मैं भूल गया तो क्या हुआ. मेरा जनमदिन याद रखने के लिए मेरी प्यारी प्यारी आमो और निम्मो तो है. अब ये बता मुझे जनम दिन मे क्या गिफ्ट दे रही है."
अमि बोली "मैं कोई कमाने जाती हूँ. जो मैं आपको गिफ्ट दुगी."
मैं बोला "ज़्यादा बातें मत बना. मैं जानता हूँ. तुम दोनो ने मेरे गिफ्ट के लिए छोटी माँ की नाक मे दम कर दिया होगा."
मेरी बात सुनकर अमि खिलखिलाने लगी और बोली.
अमि बोली "मैने तो आपके लिए पर्स खरीदा है."
मैं बोला "और निमी ने क्या खरीदा है."
अमि बोली "वो मैं नही बता सकती. यदि मैने बता दिया तो, वो मुझसे झगड़ा करेगी."
मैं बोला "मैं कौन सा उसे बताने जा रहा हूँ. तू मुझे बता दे. मैं उसे कुछ नही बोलुगा."
अमि बोली "निमी ने आपके लिए मनी बॅंक खरीदा है."
मैं बोला "क्या मेरी उमर उसे मनी बॅंक रखने की लगती है. जो उसने मेरे लिए मनी बॅंक खरीदा है."
अमि बोली "मैने भी यही कहा था. लेकिन वो कहने लगी कि, वो इसमे आपसे पैसे जुडवाएगी और जब ये भर जाएगा. तब वो उन पैसो से आपके लिए एक कार ख़रीदेगी."
मैं बोला "कार तो तब आएगी. जब वो मनी बॅंक भरेगा. लेकिन निमी के रहते वो भर ही नही सकता. उसे तो आए दिन पैसो की ज़रूरत पड़ती रहती है. वो खुद ही उसमे से पैसे निकालती रहेगी."
अमि बोली "यही बात कीर्ति दीदी ने भी उस से कही थी. लेकिन वो कहने लगी कि, इस बार वो ज़रूर उसे भर कर रहेगी."
कीर्ति का नाम सुनते ही मेरे दिल का दर्द ताज़ा हो गया. लेकिन साथ ही साथ ये भी पता चल गया कि, कीर्ति भी ये जानती है आज मेरा जनम दिन है. मगर शायद अपनी सगाई की खुशी मे उसे मुझे बर्तडे विश करने की ज़रूरत ही महसूस नही हुई. मैने अपने दर्द को छुपाते हुए अमि से कहा.
मैं बोला "चल अब ये बातें यही पर ख़तम कर. अब यदि तेरा बर्तडे विश करना हो गया हो तो, ये बता कीर्ति का मोबाइल तेरे पास कैसे आया. क्या कीर्ति घर वापस आ गयी है."
अमि बोली "नही दीदी अभी वापस नही आई है. उनका मोबाइल तो दोपहर से ही हमारे पास था. निमी दोपहर को उनके मोबाइल से आपको कॉल लगाती रही. लेकिन आपने कॉल नही उठाया तो उसने गुस्से मे मोबाइल बंद करके अपने पास ही रख लिया. तब से मोबाइल निमी के पास ही था. दीदी के माँगने पर भी उसने मोबाइल दीदी को नही दिया था. फिर दीदी घर चली गयी तो, मोबाइल हमारे पास ही रह गया."
मैं बोला "ये तो ग़लत बात है बेटू. तुम लोगों को ऐसा नही करना चाहिए था. उसे मोबाइल के बिना कितनी परेशानी हो रही होगी."
अमि बोली "भैया बस एक दिन की ही तो बात थी. यदि दीदी यहाँ रहती तो हम उनका मोबाइल ज़रूर दे देते. लेकिन दीदी घर जा रही थी और हम को रत को आपको बर्तडे विश भी करना था. इसलिए हम दोनो को ऐसा करना पड़ा."
मैं बोला "बेटू तुम दोनो को यदि विश ही करना था तो, तुम छोटी माँ या आंटी का मोबाइल भी ले सकती थी."
अमि बोली "कैसे ले लेते भैया. निमी ने जब से मम्मी के गंदे मोबाइल को साबुन से धोया है. तब से तो वो हमें मोबाइल छूने तक नही देती है. अब आंटी के मोबाइल मे मेहुल भैया के कॉल आते रहते है. ऐसे मे वो अपना मोबाइल हमे क्यों देगी."
मैं बोला "कीर्ति तो है नही. फिर अभी तुम लोगों के साथ कौन सो रहा है."
अमि बोली "हम दोनो अकेले सो रहे है. निमी ने रो रोकर मम्मी और आंटी को नीचे सोने के लिए भगा दिया है. नही तो वो लोग हमे जागने नही देती और जल्दी सुला देती."
मैं बोला "ठीक है. अब तुम्हारा बर्थ'डे विश करना हो गया है. अब कीर्ति का मोबाइल बंद करके रख दो. कल जब वो आए तो उसे दे देना. अब कल से कोई नाटक मत करना. नही तो मैं तुम से नाराज़ हो जाउन्गा. अब तुम भी सो जाओ."
अमि बोली "ओके भैया. कल से हम कोई नाटक नही करेगे. हॅपी बर्थ'डे भैया. गुड नाइट."
मैं बोला "गुड नाइट."
इसके बाद अमि ने कॉल रख दिया. कुछ देर बाद मैने फिर कॉल लगाया तो उसने मोबाइल बंद कर दिया था. मैने राहत की साँस ली और फिर टाइम देखा तो 12:30 बज चुके थे. मैं अजीब कशमकश मे फसा था. ना तो कीर्ति का चेहरा मुझे जीने दे रहा था. ना ही अमि निमी का चेहरा मुझे मरने दे रहा था.
मैं इसी जीने मरने की कशमकश मे फसा हुआ वापस अंकल के पास आ गया. आज मेरा जनमदिन था और कीर्ति ने मुझे ऐसा तोहफा दिया था. जिसे मैं जिंदगी भर नही भुला सकता था. मेरे मन मे जीने की इच्छा ही ख़तम हो गयी थी. मैं रोना चाहता था. अपने आपको ख़तम कर देना चाहता था. लेकिन जीने के लिए मजबूर था.