desiaks
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बातों-बातों में रात हो गई, पता भी नहीं चला। एक अच्छा सा डिनर करते हुये भी खुशगवार माहौल रहा। अब्बू भी आ गये थे। रात सोने का टाइम आया तो डिसाइड हुआ की मैं और साजिद एक रूम में। अम्मी अब्बू ऑफकोर्स अपने रूम में और एक रूम में भाभी और बाजी जोया।
मुझे मौका नहीं मिल रहा था की किसी तरह बाजी को इशारा करंग आधी रात को मिलने का। अफसोस करते हमें मैं रूम में आ गया और कब आँख लगी पता नहीं चला। देर रात अचानक मेरी आँख खुली, मुझे पेशाब की हाजत हो रही थी। देखा तो साजिद भाई नहीं थे अपनी जगह पे। खैर मैंने ज्यादा गौर नहीं किया और उठकर वाशरूम की तरफ चला गया।
में वाशरूम में पेशाब कर रहा था तो मुझे सीटियों से धीरे-धीरे आवाजें आजे लगी। क्योंकी वाशरूम सादियों के पास ही बना हुआ था। मैं वाशरूम से बाहर निकला। हर तरफ घुप्प अंधेरा था। मैं किसी खयाल से एक तरफ रूक गया तो देखा सीदियों से नीचे आ रहे थे अम्मी और साजिद भाई। दोनों हँस-हँस के बातें कर रहे थे, और उनके लिए भी कुछ ठीक नहीं थे। साजिद ने अम्मी को कमर में हाथ डालकर अपने साथ लगाया हुवा था।
में हैरान परेशान उनको देख रहा था। ये क्या दृश्य है बास? मुझे जब होश आई तो देखा अब वा दोनों सीढ़ियां उत्तर के खड़े हो गये थे। भाई साजिद ने अम्मी को बाहों में लिया और एक किस की।
अम्मी की आवाज आई- "मुझे अब छोड़ भी दो साजिद... क्या कर रहे हो? पहले ही कितनी देर हो गई है और रिस्क लेकर तुमसे मिली हूँ.."
मैं आराम से वहां से खिसका और रूम में आ गया। मैं आँखें बंद करके सोता बन गया। मैं अपनी ही सोचों में गुम हो गया। साजिद भाई भी आकर लेंट चुके थे।
अम्मी का ये रूप देखकर मुझे हैरानगी और गुस्मा आने लगा। लेकिन मुझे चुप रहना था इस मामले में। बोलता तो अपनी ही बदनामी थी।
अब मैं सोचने में लग गया। मतलब भाई साजिद की शादी के वाकिये मुझे याद आने लगे की एक रात जब में मामी जूबिया से मिलने उनकी चारपाई पे गया था। लेकिन सुबह उठा तो मामी से पता चला वहां चारपाई पे अम्मी लेटी हई थी। उस रात चारपाईयां बदल गई और ... और ओह माई गोड... इसका तो मुझे खयाल ही नहीं आया, ना मामी ने हुआ लगने दी मुझे।
मतलब उस रात साजिद भाई अम्मी का समझ के मामी जूबिया को चोदकर चले गये, और मैं मामी का समझ के तब अम्मी की फुद्दी मार बैठा था अंजाने में। लेकिन मामी ने क्यों मुझसे छुपाया? शायद कोई मसला हो इस में भी।
अब मुझे एहसास हो रहा था की साजिद और अम्मी को नहीं पता वो किसी और से सेक्स कर चुके हैं। लोकन मुझे और मामी जूबिया को पता था की क्या हो चुका है। इसका मतलब मामी जूबिया को पता चल चुका था। अब ये तो उनसे मिलने से ही पता चल सकता है। मेरा तो सोच-सोच के दिमाग दुखने लगा था। इतना बड़ा काम हो गया और मुझे अब जाकर हुआ लगी।
लेकिन मैं भी क्या करता। मैं अभी छोटा था। मैं सोच है सकता था, कुछ कर नहीं सकता था। ऐसे ही सोचों में गुम कब नीद आई पता नहीं चला। सुबह दिन चढ़े मेरी आँख खुली।
दस बजे होंगे की साजिद भाई जाने के लिये तैयार हो गये। मैं उनको बाइक पे बस स्टाप छोड़कर आ गया। घर
आया तो खाला और लुबना आई हई थी। सब बैठे गपशप कर रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया। मेरे सामने भाभी फरजाना बैठी हुई थी। भाभी का चेहरा चमक रहा था। मैं बार-बार उसका चेहरा देख रहा था।
मुझे मौका नहीं मिल रहा था की किसी तरह बाजी को इशारा करंग आधी रात को मिलने का। अफसोस करते हमें मैं रूम में आ गया और कब आँख लगी पता नहीं चला। देर रात अचानक मेरी आँख खुली, मुझे पेशाब की हाजत हो रही थी। देखा तो साजिद भाई नहीं थे अपनी जगह पे। खैर मैंने ज्यादा गौर नहीं किया और उठकर वाशरूम की तरफ चला गया।
में वाशरूम में पेशाब कर रहा था तो मुझे सीटियों से धीरे-धीरे आवाजें आजे लगी। क्योंकी वाशरूम सादियों के पास ही बना हुआ था। मैं वाशरूम से बाहर निकला। हर तरफ घुप्प अंधेरा था। मैं किसी खयाल से एक तरफ रूक गया तो देखा सीदियों से नीचे आ रहे थे अम्मी और साजिद भाई। दोनों हँस-हँस के बातें कर रहे थे, और उनके लिए भी कुछ ठीक नहीं थे। साजिद ने अम्मी को कमर में हाथ डालकर अपने साथ लगाया हुवा था।
में हैरान परेशान उनको देख रहा था। ये क्या दृश्य है बास? मुझे जब होश आई तो देखा अब वा दोनों सीढ़ियां उत्तर के खड़े हो गये थे। भाई साजिद ने अम्मी को बाहों में लिया और एक किस की।
अम्मी की आवाज आई- "मुझे अब छोड़ भी दो साजिद... क्या कर रहे हो? पहले ही कितनी देर हो गई है और रिस्क लेकर तुमसे मिली हूँ.."
मैं आराम से वहां से खिसका और रूम में आ गया। मैं आँखें बंद करके सोता बन गया। मैं अपनी ही सोचों में गुम हो गया। साजिद भाई भी आकर लेंट चुके थे।
अम्मी का ये रूप देखकर मुझे हैरानगी और गुस्मा आने लगा। लेकिन मुझे चुप रहना था इस मामले में। बोलता तो अपनी ही बदनामी थी।
अब मैं सोचने में लग गया। मतलब भाई साजिद की शादी के वाकिये मुझे याद आने लगे की एक रात जब में मामी जूबिया से मिलने उनकी चारपाई पे गया था। लेकिन सुबह उठा तो मामी से पता चला वहां चारपाई पे अम्मी लेटी हई थी। उस रात चारपाईयां बदल गई और ... और ओह माई गोड... इसका तो मुझे खयाल ही नहीं आया, ना मामी ने हुआ लगने दी मुझे।
मतलब उस रात साजिद भाई अम्मी का समझ के मामी जूबिया को चोदकर चले गये, और मैं मामी का समझ के तब अम्मी की फुद्दी मार बैठा था अंजाने में। लेकिन मामी ने क्यों मुझसे छुपाया? शायद कोई मसला हो इस में भी।
अब मुझे एहसास हो रहा था की साजिद और अम्मी को नहीं पता वो किसी और से सेक्स कर चुके हैं। लोकन मुझे और मामी जूबिया को पता था की क्या हो चुका है। इसका मतलब मामी जूबिया को पता चल चुका था। अब ये तो उनसे मिलने से ही पता चल सकता है। मेरा तो सोच-सोच के दिमाग दुखने लगा था। इतना बड़ा काम हो गया और मुझे अब जाकर हुआ लगी।
लेकिन मैं भी क्या करता। मैं अभी छोटा था। मैं सोच है सकता था, कुछ कर नहीं सकता था। ऐसे ही सोचों में गुम कब नीद आई पता नहीं चला। सुबह दिन चढ़े मेरी आँख खुली।
दस बजे होंगे की साजिद भाई जाने के लिये तैयार हो गये। मैं उनको बाइक पे बस स्टाप छोड़कर आ गया। घर
आया तो खाला और लुबना आई हई थी। सब बैठे गपशप कर रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया। मेरे सामने भाभी फरजाना बैठी हुई थी। भाभी का चेहरा चमक रहा था। मैं बार-बार उसका चेहरा देख रहा था।