Muslim Sex Kahani खाला जमीला - Page 10 - SexBaba
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Muslim Sex Kahani खाला जमीला

बातों-बातों में रात हो गई, पता भी नहीं चला। एक अच्छा सा डिनर करते हुये भी खुशगवार माहौल रहा। अब्बू भी आ गये थे। रात सोने का टाइम आया तो डिसाइड हुआ की मैं और साजिद एक रूम में। अम्मी अब्बू ऑफकोर्स अपने रूम में और एक रूम में भाभी और बाजी जोया।

मुझे मौका नहीं मिल रहा था की किसी तरह बाजी को इशारा करंग आधी रात को मिलने का। अफसोस करते हमें मैं रूम में आ गया और कब आँख लगी पता नहीं चला। देर रात अचानक मेरी आँख खुली, मुझे पेशाब की हाजत हो रही थी। देखा तो साजिद भाई नहीं थे अपनी जगह पे। खैर मैंने ज्यादा गौर नहीं किया और उठकर वाशरूम की तरफ चला गया।

में वाशरूम में पेशाब कर रहा था तो मुझे सीटियों से धीरे-धीरे आवाजें आजे लगी। क्योंकी वाशरूम सादियों के पास ही बना हुआ था। मैं वाशरूम से बाहर निकला। हर तरफ घुप्प अंधेरा था। मैं किसी खयाल से एक तरफ रूक गया तो देखा सीदियों से नीचे आ रहे थे अम्मी और साजिद भाई। दोनों हँस-हँस के बातें कर रहे थे, और उनके लिए भी कुछ ठीक नहीं थे। साजिद ने अम्मी को कमर में हाथ डालकर अपने साथ लगाया हुवा था।

में हैरान परेशान उनको देख रहा था। ये क्या दृश्य है बास? मुझे जब होश आई तो देखा अब वा दोनों सीढ़ियां उत्तर के खड़े हो गये थे। भाई साजिद ने अम्मी को बाहों में लिया और एक किस की।

अम्मी की आवाज आई- "मुझे अब छोड़ भी दो साजिद... क्या कर रहे हो? पहले ही कितनी देर हो गई है और रिस्क लेकर तुमसे मिली हूँ.."

मैं आराम से वहां से खिसका और रूम में आ गया। मैं आँखें बंद करके सोता बन गया। मैं अपनी ही सोचों में गुम हो गया। साजिद भाई भी आकर लेंट चुके थे।

अम्मी का ये रूप देखकर मुझे हैरानगी और गुस्मा आने लगा। लेकिन मुझे चुप रहना था इस मामले में। बोलता तो अपनी ही बदनामी थी।

अब मैं सोचने में लग गया। मतलब भाई साजिद की शादी के वाकिये मुझे याद आने लगे की एक रात जब में मामी जूबिया से मिलने उनकी चारपाई पे गया था। लेकिन सुबह उठा तो मामी से पता चला वहां चारपाई पे अम्मी लेटी हई थी। उस रात चारपाईयां बदल गई और ... और ओह माई गोड... इसका तो मुझे खयाल ही नहीं आया, ना मामी ने हुआ लगने दी मुझे।

मतलब उस रात साजिद भाई अम्मी का समझ के मामी जूबिया को चोदकर चले गये, और मैं मामी का समझ के तब अम्मी की फुद्दी मार बैठा था अंजाने में। लेकिन मामी ने क्यों मुझसे छुपाया? शायद कोई मसला हो इस में भी।

अब मुझे एहसास हो रहा था की साजिद और अम्मी को नहीं पता वो किसी और से सेक्स कर चुके हैं। लोकन मुझे और मामी जूबिया को पता था की क्या हो चुका है। इसका मतलब मामी जूबिया को पता चल चुका था। अब ये तो उनसे मिलने से ही पता चल सकता है। मेरा तो सोच-सोच के दिमाग दुखने लगा था। इतना बड़ा काम हो गया और मुझे अब जाकर हुआ लगी।

लेकिन मैं भी क्या करता। मैं अभी छोटा था। मैं सोच है सकता था, कुछ कर नहीं सकता था। ऐसे ही सोचों में गुम कब नीद आई पता नहीं चला। सुबह दिन चढ़े मेरी आँख खुली।

दस बजे होंगे की साजिद भाई जाने के लिये तैयार हो गये। मैं उनको बाइक पे बस स्टाप छोड़कर आ गया। घर
आया तो खाला और लुबना आई हई थी। सब बैठे गपशप कर रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया। मेरे सामने भाभी फरजाना बैठी हुई थी। भाभी का चेहरा चमक रहा था। मैं बार-बार उसका चेहरा देख रहा था।
 
दस बजे होंगे की साजिद भाई जाने के लिये तैयार हो गये। मैं उनको बाइक पे बस स्टाप छोड़कर आ गया। घर
आया तो खाला और लुबना आई हई थी। सब बैठे गपशप कर रहे थे। मैं भी वहां बैठ गया। मेरे सामने भाभी फरजाना बैठी हुई थी। भाभी का चेहरा चमक रहा था। मैं बार-बार उसका चेहरा देख रहा था।

ऐसे ही एक बार जब मैं उनको देख रहा था, तो उन्होंने भी मेरी तरफ देखा। हमारी नजरें मिली तो भाभी मुश्कुराई और भौहों के इशारे से पूछा- "क्या है?"

मैंने कंधे उचका के कहा- "कुछ नहीं..."

दो मिनट बाद फिर हमारी आँखें मिली तो भाभी ऐसे मुँह हिलाने लगी जैसे उनको कुछ पता चल गया हो। मैं भी उनकी नकल करते हये वैसे ही मुह हिलाया। सब बातों में बिजी थे इसलिए हमारी तरफ किसी का ध्यान नहीं था। भाभी ने फिर नजर फेर ली। में अब भाभी के मोटे-मोटे मम्में देखने लगा। जिनका बाद में मुझे भाभी से पता चला 36" इच के हैं।

कुछ देर बाद भाभी ने मेरी तरफ देखा तो मुझे अपने मम्मों को ताइते देख लिया। भाभी ने नकली गुस्से में मुझे आँखें दिखाई की बाज आ जाओ। इसी तरह मस्ती करते और बातें करते हुये दो घंटे गुजर गये।

खाला ने कहा- "आज रात को डिनर हमारी तरफ तुम लोगों का। तुम दोनों अभी मेरे साथ चलो बहा और रात वहीं रहना आज..."

सब उठकर बाहर निकाल गये मैं और भाभी रूम में रह गये तो मैं भी उठने लगा। तब भाभी ने आवाज देकर मुझे रोक लिया। मैं भाभी के पास गया तो भाभी ने मेरा कान पकड़कर मरोड़ दिया और कहा- "अब बताओ क्या देख रहे थे तुम मुझे घूर-चूर के हो?"

मैंने तकलीफ होने का ज्यादा नाटक किया तो भाभी ने कान छोड़ दिया। मैंने कहा- "भाभी, अब तुम हो ही इतनी खूबसूरत तो मेरी नजर तुमसे हट ही नहीं रही थी। देखो ना लाल सूट में तुम गुलाब का फूल लग रही हो। मेरा दिल कर रहा है इस फूल की खुश्व संघ ल... ऐसा कहते हय मैंने मुँह आगे किया भाभी के सीने के पास और संघने की आक्टिंग करने लगा।

भाभी मुश्कुराई और कहा- "अली तुम बड़े तेज हो। मैं देख रही हूँ की हो छोटे लेकिन चालक बहुत हो..."

मेरा चेहरा अब भी उनके सीने के पास था और मैंने देखा की लाल कमीज के नीचे ब्रा भी लाल है, मुझे नजर आ रहा था। जिसमें भाभी के सफेद मम्मे कसे हमें थे। फिर हम भी बाहर आ गये। मैं भी भाभी बाजी खाला बगैरा के साथ ही उनके घर चल पड़ा।

जबकी अम्मी ने कहा- "मैं थोड़ी देर बाद आऊँगी.."

खाला के घर जाकर सबने मशरुब पिया। फारिग हये तो मैंने बाजी और भाभी को कहा- "आओं ऊपर मैं आप लोगों को छत दिखाऊँ..."

भाभी ने कहा- "मैं थकी हुई है। मुझे नहीं जाना रात को जाऊँगी.."
 
बाजी जोया ने कहा- "चलो मैं चलती हैं तुम्हारे साथ.."

फिर मैं और बाजी ऊपर चले गये। छत का एक चक्कर लगाकर स्टोररूम के पास खड़े हो गये। मैं झिझक रहा था बाजी से पहल करने में। बाजी में मेरी तरफ हवस भरी नजरों से देखा तो मुझे कुछ हिम्मत हुई। मैं बाजी के करीब हुवा और उनका हाथ पकड़ लिया।

बाजी ने कहा- "आखीर में हम दोबारा मिल रहे हैं..." और बाजी में मुझे झप्पी डाल ली।

मैने बाजी को बाहों में भर लिया। हमारे होंठ करीब आए और आपात में मिल गये। एक जज़बाती किस कर के मुँह हटाया तो हमने एक दूसरे को देखा। मैं बाजी को स्टोर रूम में ले गया। इससे पहले मैं ऊपर के दरवाजे की कुण्डी लगा चुका था। स्टोर रूम में जाते ही मैंने बाजी को दुबारा पकड़ लिया। यहां स्टोर रूम में अंधेरा था, लेकिन थोड़ा नजर आ रहा था।

मॅन बाजी के भारी चूतड़ मुट्ठी में भर लिए तो बाजी में मेरा लण्ड पकड़ लिया जो अभी अच्छी तरह खड़ा भी नहीं हुआ था। बाजी के हाथ में लण्ड आते ही एक मिनट बाद खड़ा हो गया और झटके लेने लगा।

मैंने बाजी के चूतड़ दबाते हुये उनको कहा- "बाजी बहुत याद किया तुमको। याद कर-कर के लण्ड हाथ में पकड़कर तुमको याद करता था..."

बाजी ने कहा- "भली मेरा भी यही हाल था। मेरी फुद्दी बहुत पानी छोड़ती थी जब तुम्हारा टाइट लण्ड याद आता था..' कहकर बाजी में मेरी सलवार नीचे की और नंगे लण्ड पे ऊपर से नीचे तक हाथ को एक खास अंदाज में फेर रही थी, जिससे लण्ड में जोश पैदा हो रही थी।

मैं बाजी के गले से जा जंगी मम्मे नजर आ रहे थे इनको यहां से चूमने लगा। मम्मों का नरम गोस्त मेरे होंठों में भर जाता तो में उनको चूस लेता। मैं और बाजी बहुत गरम हो गये थे। कुछ जल्दी भी थी सेक्स करने की ताकी कोई आ ना जाएग सो देर ना करते हुये बाजी ने सलवार उतार ली और मैंने भी उतार ली।

वहां एक पुराने सोफे पे बाजी को लिटाया और बाजी की गुदाज टाँगें उठाकर चौड़ी कर ली जिसमें बाजी की फुद्दी नुमाया हो गई। मैंने बाजी की टांगें पकड़ी हुई थी। ऐसे ही लण्ड को फुद्दी के करीब किया तो बाजी ने
मेरे लण्ड पे अपना भूक मला और लण्ड को फुद्दी के सुराख पें सेंट किया। मैंने धक्का मारा तो लण्ड फिसलता हुवा अंदर जा घुसा।

बाजी की नरम गरम फुद्दी का एक अलग ही मजा आने लगा। मैंने टांगें छोड़ी और बाजी के ऊपर लेट गया। कमीज उनकी पहले ही ऊपर थी। मैंने मम्मे नंगे किए और उनको चूसते हुये फुदी मारने लगा। फुद्दी के साथ मम्मे चूसना इससे हम दोनों की जोश बढ़ गई। बाजी की सिसकियां निकलने लगी।
 
बाजी की नरम गरम फुद्दी का एक अलग ही मजा आने लगा। मैंने टांगें छोड़ी और बाजी के ऊपर लेट गया। कमीज उनकी पहले ही ऊपर थी। मैंने मम्मे नंगे किए और उनको चूसते हुये फुदी मारने लगा। फुद्दी के साथ मम्मे चूसना इससे हम दोनों की जोश बढ़ गई। बाजी की सिसकियां निकलने लगी।

मैं बाजी को पूरा जोर-जोर से धक्के मार रहा था। फुद्दी पानी छोड़ रही थी जिससे लण्ड स्लिपरी हो गया था। मैं मजे की बुलंदियों में था। बाजी की फुद्दी मेरे लण्ड को जकड़ने लगी थी, जिससे मैं समझ गया बाजी फारिग हो रही हैं। लण्ड जकड़ने से लण्ड फुद्दी पे फस के जाने लगा, और फुद्दी की दीवारों से अच्छी तरह रगड़ खा रहा था। जिस वजह से अब मेरा भी पानी निकलने वाला था। बड़े दिनों से रोका हुआ था। इसलिए जल्दी फारिग हो रहा था।

जब मेरा निकलने लगा तो मैंने बाजी को कहा- "मेरा होने लगा है..."

बाजी ने कहा- "अंदर ही कर दो मेरी जान। बहुत मजा आएगा तुम्हारा गरम पानी फुद्दी में महसूस कर के "

इसके साथ ही लण्ड फुद्दी में पानी छोड़ने लगा। मैं बाजी पें लेट गया। बाजी मुझको चूमने लगी।

बाजी ने कहा- "जान मजा आ गया.. इतने दिनों बाद दोबारा फुद्दी में तुम्हारा लण्ड लेकर..."

मैं उठा और हम अपने कपड़े सेंट करके नीचे आ गये।
***** *****

हम नीचे आए तो भाभी फरजाना ने पूछा"हौं भाई घूम आए?"
बाजी ने कहा- "हौं घूम आए."

फिर मैं और बाजी भी वहीं बैठ गये। खाना भी पास बैठी चावल वगैरा साफ कर रही थी। और लुबना भी किचेन के काम में ही बिजी थी।

बाजी की फुद्दी मार के एक बार तो सकून आ गया था। बहुत दिनों से कोई फुद्दी नहीं मिली थी। फुद्दी मारने की खुशी में मैं बार-बार लण्ड को खुजा रहा था बेखपाली में ही। वरना इतनी औरतें की मौजूदगी में ऐसा करते हये शर्म आती है। लण्ड खुजातं हमें अचानक मेरी नजर भाभी फरजाना में पड़ी तो वो बड़े गौर से वहां देख रही थी, मतलब मेरे लण्ड की तरफ।

मैं एकदम सदमे में आ गया। मैंने फटाफट हाथ खींच लिया। इतने में भाभी ने भी मेरी तरफ देखा और अब भाभी का चेहरा देखकर मुझे और ज्यादा हैरानगी हई। क्योंकी उनके चेहरे में स्माइल थी। मैं भाभी को कान्फिडेन्स में देखकर सपकपा गया। अब में कहा बच्चा और वो एक औरत। मुझे अकल होती उस वक़्त तो यहां से बाजी को लाइन करवा सकता था।
 
लेकिन मैं उल्टा शमिंदा हो रहा था। मैंने दोबारा भाभी की तरफ देखा तो वो अब भी मुझं ही देख रही थी। भाभी ने ना में सिर हिलाया। उनके इशारे का मतलब था दुबारा ऐसा ना करना यहां बैठे हये। ऐसा मुझे बाद में भाभी ने पूछने में बताया था।

खैर, हम लोग दुबारा बातों में बिजी हो गये।

खाला ने कुछ चीजें मुझे बाजार में लाने के लिये भेज दिया। मैं जब वापस आया तो खाला किचेन में थी। मैं सामान रखने किचन में चला गया। खाला भी शायद कुछ लाने या रखने आई थी। क्योंकी किचेन की लाइट
आफ थी। मैंने अंधेरे का फायदा उठाकर खाला के चूतड़ा पे हाथ फेर दिया।

खाला ने मुड़कर मुझे देखा और फिर बाहर देखा। फिर मुझसे कहा- "देख भी लिया करो बेटा, मेहमान आए हुये हैं। किसी ने देख लिया तो क्या सोचेगा?"

मैंने खाला को झप्पी लगा ली और कहा- "नहीं देखता खाला जान अधेरा है। इसीलिए मैंने हाथ लगाया है..."

खाला- क्या बहुत दिल कर रहा है सेक्स करने को?

मैं- "हाँ खाला। जबसे अधूरा सेक्स किया हमने तब से लण्ड है के चैन से ही नहीं बैठ रहा."

खाला- "अच्छा चलो देखती हैं कोई मौका मिल गया तो तुम्हारा पानी निकाल दूंगी..."

हम दोनों किचेन से बाहर आ गये। मैं आइसक्रीम लेकर आया था। लुबना ने डालकर सबको दी। क्योंकी खाना
रात को ही खाना था बाजी और भाभी ने।

अब अम्मी भी आ गई। अम्मी मेरी साथ वाली चैपर पे आकर बैठ गई। दो चारपाई में मेहमान और खाला बैठे हुये थे। बस में और अम्मी चेयर पे बैठे थे। अम्मी ने हाथ चंपर के बाजू पे रखा तो मैंने अपना हाथ उठाकर उनके हाथ में रख दिया। हाथ को अम्मी के हाथ में फेरने लगा। अम्मी ने मेरी तरफ प्यार भारी नजरों से देखा तो मैं मुश्कुरा दिया। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था , हाथ फेरना। अम्मी के साथ इस तरह की छोटी-छोटी हरकतें करने से बहुत मजा आता था।

अचानक अम्मी ने मेरे हाथ में चुटकी काट दी। मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ। अम्मी की तरफ देखा तो वो शरारती स्माइल कर रही थी। मुझे भी शरारत सूझी। मैंने हाथ नीचे किया तो चेयर की बगल से अम्मी के चूतड़ नज़र आ रहे थे, वहां मैंने चुटकी काट दी। बड़े नरम चूतड़ थे। आराम से मेरी उंगलियों में अम्मी के चूतड़ का गोस्त आ गया था।

अम्मी ने मेरा बाज़ पकड़ा और ऊपर कर दिया। मैं भी फिर अच्छे बच्चों की तरह बैठ गया।

शाम हुई तो सब लोग छत पे आकर बैठ गये। खाला और लुबना नीचे ही रही खाने की तैयारी करने के लिये। कुछ देर बाद लुबना ऊपर आ गई और अम्मी को नीचे भेज दिया। क्योंकी खाला बुला रही थी अम्मी को।

भाभी फरजाना हमसे पूछने लगी. "यहां घूमने फिरने के लिये कौन-कौन सी जगह है?"

मैं और लुबना बताने लगे।

फिर भाभी ने कहा- "कल या परसों चलेंगे..."

मैंने कहा- "ठीक है भाभी जान, जब कहोगी चले जाएंगे.."

भाभी इस बक़्त मुझे बड़ी सेक्सी लग रही थी। उनके मम्म कमीज में कसे हये थे। में बार-बार उनके मम्में देखकर अपनी आँखों की प्यास बुझा रहा था। मेरा दिल कर रहा था भाभी के नंगे मम्मे देखू। लेकिन ऐसा मुमकिन नजर नहीं आ रहा था।

कुछ देर बाद खाल वगैरा भी आ गयें तो सबने मिलकर खाना खाया।
 
भाभी इस बक़्त मुझे बड़ी सेक्सी लग रही थी। उनके मम्म कमीज में कसे हये थे। में बार-बार उनके मम्में देखकर अपनी आँखों की प्यास बुझा रहा था। मेरा दिल कर रहा था भाभी के नंगे मम्मे देखू। लेकिन ऐसा मुमकिन नजर नहीं आ रहा था।

कुछ देर बाद खाल वगैरा भी आ गयें तो सबने मिलकर खाना खाया।

अम्मी ने मुझसे पूछा- "किधर सोना है..."

भाभी बोल पड़ी. "आँटी इसको इधर ही सोने दो। यहां अच्छा टाइम पास हो जाएगा."

अम्मी घर चली गई। सब बातों में बिजी हो गये। मैं और भाभी छत की मुंडेर के साथ जाकर खड़े हो गये।

भाभी- "हाँ भाई अली क्या हो रहा है आजकल? कोई गर्लफ्रेंड वगैग है की नहीं?"

मैं- "बस स्टडी हो रही है अब 8वीं क्लास में बैठना है कुछ दिनों बाद। और गर्लफ्रेंड वगेरा मेरी कोई नहीं हैं। मुझे तो कोई लिफ्ट भी नहीं करवाता, ना मुझे बनानी आती है..."

भाभी- ऐसा हो नहीं सकता। स्मार्ट हो कोई तो होगी गर्लफ्रेंड। ऐसा हो नहीं सकता।

मैं- "ता तुम बता दो भाभी मुझं की कैसे बनाते हैं गर्लफ्रेंड? फिर वैसे ही मैं बना लूंगा..."

भाभी हँसते हो- "लो मैं क्या बताऊँ। ये तो खुद ही होता है कोई लड़की पसन्द आए तो इसान उसके साथ दोस्ती की कोशिश करता ही है.."

मैं- "फिर तो भाभी मुझे तुम पसन्द हो। क्या मैं तुमको बना लू गर्लफ्रेंड?'

भाभी- "बदतमीज हो तुम। मैं तुम्हारी भाभी हूँ और तुम उल्टा मुझे ही ऐसे चक्करों में डाल रहे हो..'

भाभी से बातों में इतनी फेंकनेस हो गई मुझे की अब डर नहीं लग रहा था। भाभी मुझसे एक फीट दूर खड़ी थी और जहा हम खड़े थे वहां अंधेरा भी था। खाला और बाजी जोया दूसरी तरफ चारपाई में बैठी बातें कर रही थी। मैंने अब भाभी के मम्में देखने शुरू कर दिमें थे। इतने करीब से भाभी के मम्मे देखने से लण्ड सिर उठाने लगा।
 
भाभी को भी पता चल गया था में उनके मम्मे देख रहा हूँ। भाभी ने मेरे बाज में हाथ मारा और कहा- "बाज आ जाऔ अली। क्या नजर आ रहा है जो आँखें फाइ-फाड़ के देख रहे हो?"

में मुश्कुराते ह- "भाभी बहुत अच्छी चीज नजर आ रही है, इसलिए मेरी आँखें फट रही हैं."

भाभी- "बदतमीज... चलो मैं नहीं खड़ी होती तुम्हारे पास..." बोलकर वहां से चली गई खाला लोगों के पास।

रात को सोने के लिये सब लेट गये रुम में। मैंने सहन में अपना बिस्तर लगा लिया। मुझे इस वक्त नींद नहीं
आ रही थी। सोचते-सोचते कितना टाइम निकाल गया पता है नहीं चला। होश तब आई जब रूम से कोई निकला। देखा तो वो खाला थी। मैंने उनको देखा तो खाला की नजर भी मुझ पे पड़ी।

मैं क्या हुवा खाला, कहा जा रही हो?

खाला- वाशरूम जा रही हूँ।

खाला के बाल खुले हये थे आँखें जींद की जैसी हो रही थी। खाला चलती हुई वाशरूम तक गई। मुझे पीछे से उनके चूतड़ हिलते हुये नजर आ रहे थे। गोल-गोल चूतड़ बाहर का निकले हसे थे। खाला के भारी चूतड़ देखकर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। खाला कोई 5 मिनट बाद वाशरूम में निकली।

खाला मेरे पास आते हुये- "तुम सोए नहीं अभी? तक काफी टाइम हो गया है.."

मैं- खाला नींद नहीं आ रही क्या करूं। तुम ही थोड़ी देर मेरे पास बैठ जाओ। जब नींद आए तुम चली जाना।

खाला- "नहीं बेटा ऐमें ठीक नहीं है। कोई और उठ गया तो खामखाह वो भी पूछने आ जायेगा क्या हुआ?" फित कुछ सोचते हमे खाला ने कहा- "चलो छत पे चलते हैं। वहां जाकर बैठते हैं.."

फिर मैं और खाला छत पे आ गये। एक चारपाई पे में लेट गया जाकर, और खाला बैठ गई पैर लटका कर।
लेकिन में कुछ और ही चाहता था। इसलिए मैंने खाला को खींचकर चारपाई के ऊपर लिटा लिया। खाला ने मना भी किया लेकिन मैं नहीं माना, और आखीर कार, उनको लिटा लिया। वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई। अब मैं और खाला करवट लेकर लेटे हुये थे। खाला को इतने नजदीक करके मुझे बड़ा अच्छा लगा। उनके जिश्म का गरम-गरम स्पर्श मुझे बहुत मजा दे रहा था।

मैंने खाला का कह भी दिया- "मुझं तुम्हारा जिश्म इस वक्त बहुत मजा दे रहा है.."

खाला मुश्कुराते हमें- “हौँ मुझे पता है की मेरा बेटा मुझे बहुत प्यार करता है इसलिए इतनी अच्छी लगती हूँ.."

मैं- खाला तुम में कुछ तो है जो तुम मुझे इतना अच्छा लगती हो?

खाला मुँह बनाते हमें- "सिर्फ अच्छी लगती हैं?"

मैं- "अच्छी के साथ-साथ तुम सेक्सी भी हो खाला। और सैक्सी भी ऐसी की मेरा दिल नहीं भरता..." ऐसे कहते हुये मैंने खाला का एक मम्मा पकड़ लिया। मम्मा दबाते इये मैंने कहा- "खाला बहुत दिल करता है तुम्हारी फुद्दी मारने को। लेकिन तुम अंदर करने नहीं देती..."

खाला- "बेटा, अभी तुम छोटे हो। बड़े हो जाओं फिर कर लेना अंदर भी। अभी दो-तीन साल सबर करो..."

मैं- "खाला बैसे तुम्हारी फुददी है बहुत मजे की। इसके होंठों फूले हमे हैं। इनमें लण्ड ऊपर नीचे करने का बहुत मजा आता है...

खाला अब धीरे-धीरे गरम हो रही थी मेरी बातों से। खाला ने मेरा लण्ड पकड़ लिया। खाला ने कहा- "तुम्हारा लण्ड तो हर वक़्त मुझे देखकर खड़ा हो जाता है। लगता है तुम्हारे लण्ड को भी मेरी फुद्दी बहुत अच्छी लगती है...' कहकर खाला लण्ड पे हाथ चला रही थी।
 
मैंने खाला के होंठों पे किस करते हये कहा- "खाला जब तुम्हारी फुद्दी में लण्ड जाएगा मेरा तो कितना मजा आएगा?"

खाला. "बहुत मजा आएगा तुमको। तब तुमको में और ज्यादा मजा दूंगी। मेरी फुद्दी भी तड़प रही है तुम्हारे लण्ड के लिये..."

मैं और खाला गरम बातों में खुद भी गरम हो गये थे। इसका असर ये हुआ की खाला में मेरी सलवार नीचे करके मेरा लण्ड बाहर निकालकर पकड़ लिया, और मैंने भी खाला की सलवार नीचे कर दी और ऊपर से कमीज भी इतनी ऊपर कर दी की उनके मम्मे नंगे हो गये थे। मैं खाला के नंगे चूतड़ों पे हाथ फेरने लगा। चूतड़ इतेहाई नरम थे। गोस्त मेरे हाथों में फूल पिचक रहा था।

चूतड़ दबाते हुये मैंने उंगली चूतड़ों की लाइन में डाली और ऊपर नीचे फुद्दी तक उंगली को फेरने लगा। फुद्दी के पास उंगली जाती तो फुद्दी का पानी उंगली पे लग जाता। फुद्दी के पानी से चूतड़ों की लाइन चिकनी हो गई जिससे उंगली को गहराई में ले जा रहा था मैं। जब उंगली गाण्ड के सुराख से लगी तो खाला ने अपने चूतड़ दबा लिए, जिससे मेरी उंगली वहीं फंस गई और मैं गाण्ड के सुराख पे उंगली से मसाज करने लगा। खाला की सिमकियां निकाल रही थी मजे से।

खाला- बहुत शौक है तुमको मेरी गाण्ड का भी। मैं देखती रहती हूँ तुम यहां हाथ बहुत लगाते हो।

मैं- खाला तुम्हारे गोल-गोल चूतड़ हैं ही बहुत सेक्सी। मेरा तो दिल करता है इनको काट लू।

खाला के हाथ लण्ड पे तेजी से चल रहे थे। मजे से मेरा भी बुरा हाल था।

मैं- खाला मेरा पानी निकाल दो, अब बर्दाश्त नहीं होता।

खाला- अच्छा निकाल देती हैं थोड़ा सबर रखो।

मजे फिर सोचा पहले खाला को फारिंग कर दूं। मैंने हाच चूतड़ों से हटाया और आगे फुद्दी पे रख दिया। उंगली को फेरते हमें मैंने बड़ी उंगली खाला की चिकनी फुद्दी में डाल दी।

खाला की आअहह... की आवाज निकली और खाला में फुद्दी को मेरे हाथ में दबा दिया। फुद्दी अंदर से पूरा गरम और गीली थी। उंगली आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी।
 
खाला ने कहा "बेटा बहुत मजा आ रहा है। ऐसे ही तेजी से करते रहो उफफ्फ... आह्ह... बहुत मजा आ रहा है।

फुद्दी में उंगली करते हये मैंने मम्मे का निपल मुह में डाला और मम्मा चूसते हये खाला की फुद्दी में उंगली कर रहा था। निपल भी मजे से अकड़ गया था जिसको चूसने में बहुत मजा आ रहा था। खाला के मम्मे और फुद्दी मुझं पागल कर रहे थे। लण्ड अकड़कर लकड़ी जैसा हो रहा था।

जब खाला का पानी निकल गया तो खाला उठी और मुझे भी उठने का कहा। मैं ना समझते हुये उठा, तो खाला में मुझं दीवार के साथ लगकर खड़ा होने को कहा। मैंने ऐसा ही किया। इस दौरान लण्ड जगा ही था जो हुआ में झल रहा था।

फिर खाला मेरे पास आई और नीचे बैठकर लण्ड को जड़ से पकड़ लिया। फिर अपनी जुबान बाहर निकली और लण्ड को गीला करने लगी। खाला की नरम जुबान लण्ड में लगने की देर थी। मजे की एक लहर मेरे जिश्म में दौड़ गई।

लण्ड को गीला करने के बाद खाला ने धीरे-धीरे लण्ड मुँह में लिया और चुप्पा लगाने लगी। लण्ड पे खाला के होंठ कस गये तो लण्ड खाला के मुँह में ही झटके लेने लगा। मुझे लगा अभी निकाल जाएगा मेरा पानी। लेकिन किसी तरह रुका रहा। खाला अब लण्ड चूसते हुयं मेरे टट्टों को सहलाने लगी। मेरा मजे से बुरा हाल था। जब पानी निकलने वाला हुवा तो खाला ने लण्ड छोड़ दिया और खड़ी हो गई।

खाला ने लण्ड को अपनी जांघों में फंसाया और मुझे इशारा किया की अब करो। खाला की नरम जांघों में मेरा लण्ड दो मिनट बाद ही पिघल गया। सारी मनी फुद्दी के ऊपर ही निकाल दी। जब अच्छी तरह पानी निकल गया तो मैंने खाला को छोड़ दिया।

खाला ने मुझसे कहा "तुम जाओ, मैं आती हूँ.."

मैं नीचे आकर सो गया। थोड़ी देर बाद खाला भी आ गई।

सुबह जब मैं उठा फिर नहाया धोया। अपने आपको हल्का फुल्का महसूस कर रहा था। क्योंकी अब आस-पास फुददियां ही फुददियां थी।

खाला ने मुझे नाश्ते का सामान लेने भेज दिया। वो लेकर आया तो बाजी और भाभी भी उठ चुकी थी। मैं वहां से अपने घर आ गया तो अब्बू काम पे जा रहे थे। अम्मी किचेन में बिजी थी। अम्मी ने मुझे नाश्ता करवाया और फिर बर्तन धोने लगी। घर में मेरे और अम्मी के इलावा कोई भी नहीं था। छोटा भाई बाहर खेल रहा था। अम्मी को घर में अकेले पाकर जिस्म में मजे को लहर उठी।

मेरे दिल में खयाल आया, काश कुछ होता तो अम्मी को अभी पकड़कर उनकी फुद्दी मार लूं। अम्मी अपने ध्यान में काम में बिजी थी। मैं अम्मी के पीछे चला गया। इस बढ़त लण्ड खड़ा था मेरा बातें सोच-सोच कर। लण्ड के हाथों मजबूर होकर अम्मी के पीछे आया।

तब अम्मी ने पूछा- "कुछ चाहिए क्या बेटा?"

मैं- "हाँ अम्मी जान... मुझे आप चाहिए..." ऐसा कहते हमें मैंने अम्मी को झप्पी लगा ली पीछे से।

अम्मी- ऊह... इतना प्यार और वो भी मुझसे? क्या बात है बेटा? लगता तुम्हें कोई और नहीं मिला प्यार करने कर लिय?

मैं- "अम्मी अब आप ही मुझे इतना अच्छा लगते हो कि और की तरफ ध्यान ही नहीं जाता."

अम्मी अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हो रही थी। क्योंकी उनके होंठ पूरा मुश्कुराहत की आकार में थे। अम्मी ने कहा- "अच्छा ये बात है तो बदले में मुझे भी अपने बेटे को उत्तना प्यार ता देना चाहिए। बल्की ज्यादा देना चाहिए। आखीरकार, बैटे हो मेरे.
 
अम्मी काम से फारिंग हो गई थी। वो मेरी तरफ घूमी और मेरे गले में बाजू डालकर अपने करीब किया और फिर मेरे चेहरे पे किस करने लगी। अम्मी के नरम होंठ मुझे अपने मुँह पे बहुत मजा दे रहे थे। फिर मैं भी अम्मी को बाहों में कसते हुये उनके गाल में किस करने लगा।

मैं गाल में ऐसे किस कर रहा था जैसे होंठों में की जाती थी। नीचे मेरा खड़ा लण्ड अम्मी की एक जांघ से लग रहा था। मैं डर भी रहा था इसलिए लण्ड को अइजस्ट भी नहीं कर रहा था। गाल पे किस करते हये मैं अपने होंठ अम्मी के होंठों के किनारे पे ले आया, जहां से मुझे अम्मी के होंठ महसूस होने लगे।

अम्मी की आवाज आई- "अब बस भी कर दो बेटा और कितना चूमना है?"

मैंने कहा- "बहुत ज्यादा... अभी तो मेरा दिल भी नहीं भरा."

अम्मी ने कहा "फिर अंदर चलो। मैं थकी हुई हैं। मुझे अब लेटना है। वहां कर लेना और किस जितनी करनी
फिर हम अंदर आ गये। अम्मी बैंड पे लेट गई सीधा। तो मैं उनके साथ लेट गया उनके ऊपर एक टांग रखकर। मेरा घुटना उनकी फुद्दी के पास लग रहा था। मैंने हाथ आगे करके अम्मी का मुँह अपने करीब किया, और दोबारा से उनको चूमने लगा।

मैं- "अम्मी मक्खन के जैसे आपका मुँह लग रहा है खाने को दिल कर रहा है.."

अम्मी - "तो खा लो.... मैं भी तो देखें कैसे खाते हो?"

मैं अम्मी के गाल पे काटने लगा। मेरा लण्ड अम्मी की जांघ से बगल से जुड़ा हुआ था। गाल पे काटते हमें मैंने अचानक अम्मी के एक होंठ में भी काट लिया। उफफ्फ... नरम होंठ एक लम्हे के लिये मेरे मुह में आया तो मजे से मेरा बुरा हाल हो गया। मैं अम्मी के मुँह में कभी किस करता तो कभी काटता।

अम्मी अब अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा रही थी। अम्मी ने कहा- "मैं नहीं दूंगी अब तुमको कुछ करने..." कहकर अम्मी मुझसे मस्ती कर रही थी अभी। मुह दूसरी तरफ जा रहा था अम्मी का।

में भी वहां तक अपना मुँह ले गया। इसके लिये मुझे थोड़ा ऊपर होना पड़ा। इससे ये हुआ कि में अम्मी पे आधा चद गया था। मेरा लण्ड अब अम्मी के जांघ के ऊपरी हिस्से से छू रहा था। किस करते हये मैंने लण्ड को जांघ के ऊपर सीधा कर लिया। अब हिलते हये लण्ड भी हिल रहा था, जिससे अम्मी की मोटी जांघ पे मेरा लण्ड रगड़ खा रहा था। इस दौरान दो-तीन बार में अम्मी के होंठों पे काट लिया था।
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फिर अम्मी पुरसकून हो गई और कहा- "मैं तो थक गई हैं, मुझसे और नहीं हो रहा.."
 
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