desiaks
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अम्मी ने पूछा- "क्या हुवा बेटा, ठीक तो हो ना?"
मैंने कहा- "जी अम्मी जान बहुत अच्छा है मैं। आपसे झप्पी लगाकर भला मुझे कुछ हो सकता है?" और इसके साथ ही मैंने अपना जिश्म हिलाया जिससे मेरा लण्ड एक बार उनकी जांघों से रगड़ खा गया।
मैं अब अम्मी के चेहरा पे अपना हाथ फेरने लगा और होंठों पे उंगली फेर देता। जिसको अम्मी भी बड़ा एंजाय कर रही थी। फिर मैं अम्मी के होंठों के किनारों को चूमने लगा, और अम्मी भी मुझे अपने साथ दबाने लगी। अम्मी के होंठ फड़काने लगे थे।
कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- "चलो बैटा नीचे चलते हैं। काफी टाइम हो गया है और मैं अब ठीक हैं..."
फिर हम दोनों नीचे आ गये। ठंड ज्यादा हो गई थी। इसलिए सबके लिये चाय बनी। जो सबने पी ली। मैं कजनों के साथ बैठ गया। जहां हमने सोजा था वहां गम में बैठे मंगफली खाते हये बातें कर रहे थे। रात के दो बजे सोने के लिये लेट गयें। मैं भी जल्द सो गया क्योंकी थका हुआ था।
सुबह वालिमा था। जब में उठा तो 9:00 बज रहे थे। फ्रेश होकर नाश्ता किया और घर वालों के साथ बालिमा की तैयारी में लग गये। खाने का इंतजाम साथ के हो खाली प्लाट में तंबू बगैरा लगाकर किया गया था। वहीं डेंग पक रही थी। मुझे भी वहां काम पे लगा दिया गया, गास्त साफ करने में।
खैर, इसी तरह टाइम गुजरता रहा और वालिमा भी हो गया। कोई खास बात नहीं हुई। भाभी और कजन चले गये भाभी के घर। अगले दिन हमको मकलावा लेने जाना था। आज कुछ मेहमान भी कम हो गये थे। इसलिए आज रात अपने घर में ही सोना था खाला के साथ ही। हमारे रूम वाली दूसरी औरतें जा चुकी थी। आज हमें अकेले सोना था अपने रूम में।
#####
रात का खाना खाकर फारिग हो गये तो अब औरतें बैठी बातें कर रही थी। आधे मेहमान जा चुके थे।
मैंने कहा- "जी अम्मी जान बहुत अच्छा है मैं। आपसे झप्पी लगाकर भला मुझे कुछ हो सकता है?" और इसके साथ ही मैंने अपना जिश्म हिलाया जिससे मेरा लण्ड एक बार उनकी जांघों से रगड़ खा गया।
मैं अब अम्मी के चेहरा पे अपना हाथ फेरने लगा और होंठों पे उंगली फेर देता। जिसको अम्मी भी बड़ा एंजाय कर रही थी। फिर मैं अम्मी के होंठों के किनारों को चूमने लगा, और अम्मी भी मुझे अपने साथ दबाने लगी। अम्मी के होंठ फड़काने लगे थे।
कुछ देर बाद अम्मी ने कहा- "चलो बैटा नीचे चलते हैं। काफी टाइम हो गया है और मैं अब ठीक हैं..."
फिर हम दोनों नीचे आ गये। ठंड ज्यादा हो गई थी। इसलिए सबके लिये चाय बनी। जो सबने पी ली। मैं कजनों के साथ बैठ गया। जहां हमने सोजा था वहां गम में बैठे मंगफली खाते हये बातें कर रहे थे। रात के दो बजे सोने के लिये लेट गयें। मैं भी जल्द सो गया क्योंकी थका हुआ था।
सुबह वालिमा था। जब में उठा तो 9:00 बज रहे थे। फ्रेश होकर नाश्ता किया और घर वालों के साथ बालिमा की तैयारी में लग गये। खाने का इंतजाम साथ के हो खाली प्लाट में तंबू बगैरा लगाकर किया गया था। वहीं डेंग पक रही थी। मुझे भी वहां काम पे लगा दिया गया, गास्त साफ करने में।
खैर, इसी तरह टाइम गुजरता रहा और वालिमा भी हो गया। कोई खास बात नहीं हुई। भाभी और कजन चले गये भाभी के घर। अगले दिन हमको मकलावा लेने जाना था। आज कुछ मेहमान भी कम हो गये थे। इसलिए आज रात अपने घर में ही सोना था खाला के साथ ही। हमारे रूम वाली दूसरी औरतें जा चुकी थी। आज हमें अकेले सोना था अपने रूम में।
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रात का खाना खाकर फारिग हो गये तो अब औरतें बैठी बातें कर रही थी। आधे मेहमान जा चुके थे।