Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी - SexBaba
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Nangi Sex Kahani नौकरी हो तो ऐसी

hotaks444

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फ्रेंड एक और कहानी पेशेखिदमत है लुफ्त उठाओ और मज़े लो अपना क्या हैं नेट से लिया है नेट पर ही दिया है 


नौकरी हो तो ऐसी --1 


यूनिवर्सिटी से पढ़ के अब मैं ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर चुक्का था. मैं बचपन से ही अनाथ था. मैं 1 छोटे से गाओं मे पला बढ़ा और बाद मे यूनिवर्सिटी से ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर लिया. इसमे मेरे मामाजी का बहुत ही बड़ा हाथ था. उन्ही के कृपा से मैं एक काबिल आदमी बन पाया था. पिछले दो चार महीनो से मामाजी मुझे अक्सर कहते थे कि मेरे एक मित्र घयपुर जिले से आनेवाले है अपनी बहू को लेने के लिए, जिसने तीन महीने पूर्व ही एक बच्चे को जन्म दिया था. 

एक दिन सबेरे सबेरे मुझे उठाते हुए ममाजी बोले "तुम्हे घयपुर जाना होगा सेठ जी के साथ" जब मैने पूछा कि क्यू तो जवाब मिला "उनके यहा पे एक अच्छे और ईमानदार व्यक्ति की उन्हे ज़रूरत है तो मैने तुम्हारा नाम आगे कर दिया और वो तुम्हे अच्छी तनख़्वाह देने के लिए भी राज़ी हो गये है " तो मैने पूछा अब आगे क्या तो ममाजी बोले "तो तुम्हे उनके साथ जाना होगा, 2 दिन का ट्रेन का सफ़र है, ट्रेन कल दोपेहर 2 बजे निकलने वाली है सब तय्यारी कर लो" 

मैं कोई गाव –वाव मे काम नही करना चाहता था परंतु मामा जी का हुक्म था तो मैने सब तय्यारी कर ली और दूसरे दिन ममाजी के साथ स्टेशन पे पहुँच गया. 

स्टेशन पे पहुचते ही ममाजी ने मुझे सेठ जी से मिलवाया. सेठ जी मिड्ल एज्ड लग रहे थे परंतु उनकी चाल ढाल से पता चल रहा था कि बूढ़ा तो बहुत ही ठंडा है, एक बात बोलनेको 10 मिनट लेता है. फिर मामा जी घर के लिए चल दिए. उतने मे ही ट्रेन आ गयी. और कुली ने जल्दी से 2 औरतो के साथ हमारा समान ट्रेन मे चढ़ा दिया. जैसे कि सेठ जी बड़े आदमी थे और बहुत पैसेवाले थे उन्होने 6 लोगो का 1 पूरा एसी कॉमपार्टमेंट ही बुक करवाया था. क्यू कि उनकी बहू और बीवी भी उनके जानेवाली थी जो बहुको लेने आई थी. 

जब मैं अंदर आके बैठा तो मुझे ऐसे लगा जैसे मैं कही जन्नत मे आ गया हू. सेठ के बीवी को देख के ऐसे लग रहा था कि कोई मदमस्त हसीना ट्रेन मे बैठी हो. उसका वो गोल मटोल चेहरा, पुश्त बाहें, बड़ी बड़ी चुचिया जो उनके ब्लाउस से सॉफ दिखाई दे रही थी, बड़ी –लचकीली कमर, और मोटे भारी गांद देख मे मैं दंग रह गया और मैं देखते ही रह गया जब सेठ जी ने बैठ जाओ कहा तब मैं होश मे आया. मैं शेठ जी की बीवी के पास बैठ गया, बैठते ही शेठ जी की बीवी कोमल बाहें मेरे हाथो से टकराई और मेरे शरीर मे करेंट उतर गया. मैं जीवन मे पहली बार ऐसा एहसास कर रहा था. मेरा लंड ऐसे खड़ा हो गया जैसे मानो कोई बम्बू हो. शेठ जी के बीवी मुझे देखकर हस रही थी. और मुझे चिपकने की कोशिश कर रही थी. मेरे सामने शेठ जी की बहू बैठी थी और बच्चे को सुला रही थी और शेठ जी बाहर देखते हुए हवा खा रहे थे. बहू की तरफ देखा तो मैं कतई दंग रह गया, वो अपनी सास से दस्पाट सुंदर थी और हसीन थी, क्या फिगर थी उसकी मानो भगवान ने उसकी एक एक चीज़ घंटो बर्बाद कर कर के बनाई हो. उसकी चुचिया ब्लाउस से बाहर आने के लिए मानो जैसे तरस रही हो. और डेलिवरी के कारण तो और हसीन और कम्सीन दिख रही थी. परंतु थोड़ी उदास उदास दिख रही थी. इधर शेठ जी की बीवी मुझसे चिपके जा रही थी और मेरे हाथ से हाथ घिसने का कोई मौका नही छोड़ रही थी. उतने मे बहू का पैर मेरे पैरो को लगा और मैं चमक उठा. मैने अपना पैर थोड़ा पीछे खिचा, परंतु थोड़ी देर मे वोही घटना हो गई मैं समझ गया कि शेठ जी की बहू नाराज़ नाराज़ क्यू है और ये क्या हो रहा है. इसने बड़े लंबे समय से चुदवाया नही इसी कारण ये गरम हो रही है और पाव पर पाव घिस रही है. थोड़ी देर मे बहू मेरी तरफ देखकर थोड़ा थोड़ा हसने लगी. मैं भी पाव आगे करने लगा थोड़ी हिचखिचाहट थी परंतु अभी हौसला बढ़ रहा था. मैने अपना पैर उसके पंजे से उपर चढ़ाना शुरू किया और मुझे वो नरम नरम चिकने चिकने पैर से प्यार हो गया और मैं पैर ज़ोर ज़ोर से घिसने लगा. उधर बाजू मे शेठ की बीवी ने मेरे दाए साइड के पैर पर हाथ रख दिया और उसपे अपनी सारी सरका दी, ताकि कोई देख ना पाए. मैं थोड़ा नर्वस होने के कारण उधर से उठा गया और बाथरूम की और चल दिया. जैसे ही मैं बाथरूम का दरवाजा बंद करनेवाला था, मैने देखा शेठ की बीवी नेमेरा हाथ पकड़ लिया और चुपके से अंदर घुस आई मैं कुछ समझ पाउ इसके पहले ही उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और अपने शरीर से मुझे जाकड़ लिया. अब तो बस मेरा लंड पूरा के पूरा खड़ा हो गया. उस स्पर्श से मेरा रोम रोम जल उठा रहा था. शेठ जी की बीवीकी चुचिया मेरे छाती से चिपक रही थी और मुझे स्वर्ग मे जाने का आभास हो रहा था. मैने ज़ोर से शेठ की बीवी के मूह मे मूह डाल और ज़ोर से किस करने लगा वो भी मुझे ज़ोर्से किस करने लगी. हम दोनो की जीभ एक दूसरे टकरा रही थी और मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था. शेठ जी की बीवी ने मेरे मूह से थूक चाटनी शुरू की और मेरी थूक अपनी मूह मे ले ली. और मेरे पॅंट की ज़िप खोलने लगी.
 
ज़िप खोलते ही मेरा पहाड़ जैसा लंड बाहर या और सेठानी उसे देखते रह गयी बोली " मुझे माफ़ कर दो मुझे तुम्हारी औकात का पता नही था, मैं जाती हू मुझे जाने दो " मैने सेठानी की सारी पकड़ली चूत के नज़दीक के झाँत बाल सहलाए और हल्केसे खिचे, और वो ज़ोर से कराह उठी. उसकी चूत के बाल मेरे हाथ मे थे और वो मदमस्त दिख रही थी. उसके लाल लाल होंठो को मैं दांतो से चबाने लगा और उसका मुख रस अपने मुँह मे लेने लगा. मैने सेठानी को बोला "तुम यहा आई अपनी मर्ज़ी से हो जाओगी मेरी मार्जिसे रंडी" और वो थोड़ी डर सी गयी. 

मैने उसकी सारी खोलने लगा. जैसे ही सारी खोल रहा था उसका वो असीम सौन्दर्य अपनी खुली आँखो मे समाने लगा, अब मेरे लंड के सूपदे से पानी निकलने लगा, मैने सारी खोली और खड़े खड़े ही उसके पीठ से चिपक गया, उसकेगालो को सहलाते हुए, लंड को उसकी गांद के दो पहाड़ो की झिर्री के बीच निकर्स से घिसने लगा…उसकी गांद का घेराव बहुत ही मस्त था….अब मुझे बहुत ही आनंद आ रा था, और अभी मैं पीठ को पूरी तरह से चिपक गया, और उसके शरीर को अपने अंदर महसूस करने लगा …मेरा अंग अंग रोमांचित हो रहा था…और उसी वक़्त मैने सोच लिया की एक दिन मैं इसकी गांद इस तरह फड़ुँगा कि ये किसीसे चुदवाने से पहले 10 बार सोचेगी. अब मैने सेठानी की निकर भी निकाल दी. 

सेठानी सिर्फ़ ब्लू ब्लाउस मे मेरे सामने खड़ी थी. उस अपारदर्शक ब्लाउस से उसकी चुचया सॉफ दिख रही. एक चुचि को मूह मे लेके मैं उसे ब्लाउस के बाहर से ही चाटने लगा….ब्लाउस गीला हो रहा और सेठानी का निपल सख़्त होते जा रहे थे उसके तंग ब्लाउस से उसके कांख के नीचे के काले बाल दिख रहे थे थोड़े थोड़े मैने उन्हे थोड़ा सा खिचा…"एयेए…आ…ईयीई"…और वो आगे पीछे डोलने लगी थी मैने 1 चुचि को हल्केसे काट लिया सेठानी बोली "होले होले" मैं हस्ने लगा….और मैने फिरसे काट दिया …और वो कराह उठी…..उसकी आँखे लाल हो रही थी और गाल मानो जैसे टमाटर की तरह फूल रहे थे. मैने उसे वही नीचे बिठा दिया और मूह पे एक चपत लगा दी. वो दर्द से करहकर उठी बोली "तुम आदमी हो या जानवर, मारते हो …गधे जैसा तुम्हारा लंड है, इतना बड़ा 10 इंच का लंड मैने आज तक नही देखा है, मुझमे इतनी हिम्मत नही है कि मैं इससे जूझ पाउ, मुझे जाने दो." 
मैने एक ना सुनी और मेरा लंड उसके मूह मे घुसेड दिया. और ज़ोर ज़ोर से झटके मारने लगा. उसके मूह से गु गुगु गुगु गु की आवाज़ आने लगी. और उसकी आँखो मे पानी आ गया. जब मैने लंड बाहर निकाला तो वो ज़ोर्से हाफ़ रही थी. मैने मूह पे 1 और थप्पड़ मारा और कहा "इस उमर मे ऐसी हरकते करती हो तुम्हे सज़ा मिलनी ही चाहिए" मैने उसे वही खड़ा किया और उसकी चूत को सहलाने लगा, उसकी सासे तेज़ होने लगी और मैने ज़ोर से 1 उंगली अंदर घुसेड दी. वो चिल्लाने लगी वैसे ही मैने उसके मूह पे हाथ रख दिया. उसके हाथ पैर हिलने लगे. 

अब मैने उसे कुत्ति की तरह आसान बनाके के खड़ा कर दिया . और बोला "ये ले मेरी रानी ……..मन मे बोला तू तो अब गयी" मैने अपना लंड उसकी चूत के उपर लगाया ..वो गोरी गोरी चूत काले घने बालो के बीच से मेरे लंड के सूपदे को पुकार रही थी. सेठानी की चूत की लाल लकीर काले बालो के बीच मे बहुत ही नाज़ुक और कोमल लग रही थी. मैने उसपे थोड़ा थुका, और चटा और और 1 उंगली डाल दी. सेठानी तड़पने लगी. मैने और थुका और चूत के लिप्स को अलग करते हुए अंदर देखने लगा. मैं जीवन मे पहली बार कोई चूत देख रहा था. वो इतनी हसीन थी कि लग रहा था कि देखते रहू..मैं सेठानी के चूतड़ मे उंगलिया डाल डाल के उसके लिप्स को बाजू कर कर के अंदर देख रहा था और थूक रहा था ऐसे लग रा था मानो मैं स्वर्ग मे हू. मैने अब चूत के अंदर के छोटेसे होल मे तीन उंगलिया डाली और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा. सेठानी तड़पने लगी और बोलने लगी "हल्लू हल्लू बहुत दुख रहा है वाहा ….हल्ल्लू हल्लू ". 

मैने अभी देर ठीक नही समझी और मेरा लॉडा सेठानी के चूतड़ पे रखा और ज़ोर का झटका देके अंदर घुसेड दिया 1 ट्राइ मे 4 इंच अंदर चला गया और सेठानी बिखलने लगी "बाहर निकालो बाहर निकालो मैं मर जाउन्गि….बहुत दर्द हो रहा है" मैं बोला "अरे अभी तो आधा भी अंदर नही गया और बाहर निकालो चुपचाप खड़ी रहो मेरी रानी नही तो बाहर जाके सेठ जी को बोलता हू तेरी बीवी चुड़क्कड़ रांड़ है और सब से चुदवाती है तेरी रानी " इसके बाद वो कुछ ना बोली. सेठानी की चूत बहुत ही टाइट थी. इसके कारण मेरा लंड एकदम जाम हो गया हो ऐसे लग रहा था.
 
मैने 1 और ज़ोर का झटका लगाया और 3 इंच लंड अंदर घुसेड दिया. और सेठानी की आँखोसे आँसू निकल आए. "अरे अभी तो बाकी है ज़रा धीरज से काम लो " सेठानी बोली "इसे बाहर निकालो मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैं कांप रही हू ….इतने बड़े लंड की आदत मुझे नही है" मैं बोला "तो आदत डाल लो अभी तो मैं तुम्हारे गाव मे रहने वाला हू रानी …और इस दरम्यान तू अगर ,मुझसे चुदवाने से इनकार करेगी तो सब गाव वालो को जाके बोल दूँगा …समझी …? अब चुपचाप पड़ी रहना नही तो बहुत ज़ोर्से धक्का मारूँगा…" वो फिर चुप होगयि और मैने और 1 ज़ोर से धक्का मारा तो उसकी ज़ोर्से चीख निकल पड़ी और वो नीचे फिसल गयी. मैने उसके मूह पे हाथ रखा था इसलिए आवाज़ बाहर नही गयी. परंतु फिसलने के कारण मैं भी उसके उपर फिसल गया और मेरा पूरा लंड जड़ तक उसके चूत मे घुस गया. अब वो ज़ोर से कराहने लगी और हाथ पाव हिलाने लगी. परंतु मेरे उपर जानवर सवार था मैने उसके उपर धक्के शुरू कर दिए. और सेठानी को नानी याद आ गयी…वो ज़ोर ज़ोर से पाव हिलाने लगी और मुझे बाजू धकेलेने की कोशिश करने लगी ….उसकी चूत, मूह, गाल सब लाल –लाल हो रहे थे. 

चूत नरम और छोटी होने के कारण एकदम मेरे लंड को पूरी तरह चिपक गयी जैसे मानो जन्मोसे मेरा लंड उसका साथी हो….लंड अंदर जाके पूरा गीला हो गया था…और मैं मदहोश हो रहा था उसी क्षण मैने सेठानी को उपर उठाया लंड बाहर निकाला और ज़ोर का झटका मारा सेठानी फिरसे घुटने से फिसल गयी और मेरा लंड जड़ तक उसके पेट तक घुस गया. और वो रोने लग गयी और बोली "सस्सस्स….हिस्स्स…..इसे बाहर निकालो नहियीईईई तो मैं मररर्र्र्र्ररर जाउन्गि ईई….मुझे बहुत दर्द हो रहा आआआअ है …आआ ईईए ऐसे तो मेरी चूत से खुन्न्न्न..निकल जाएगा .…आ एयेए आआ…ईयीई" 

अब मैने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और थोड़ी ही देर मे सेठानी के पानी के साथ मेरा भी वीर्य निकल गया. मैने सेठानी की चूत से लंड निकाल के उस पर थूक कर सेठानी के मूह मे घुसेड़ने लगा. उससे मेरा लंड चॅट के पूरा साफ करवाया. और सेठानी को उसकी सारी वापस दे दी. सेठानी पूरी लाल नीली हो गयी थी. उठने के लिए भी उसे मेरे सहारे की ज़रूरत पड़ी. मैने उसे हाथ देकर उठाया और बोला "जल्दी से यहा से निकलो और तैयार होके बाहर आ जाओ..समझी …. सेठ जी को अगर शक आ गया तो मेरी नौकरी लगने से पहले ही छूट जाएगी" और मेरी रानी कहकर उसके मूह का 1 कस के चुम्मा ले लिया. 

मैं बाहर आने के लिए बाथरूम का दरवाजा खोला, तो मैं दंग रह गया. सामने सेठानी की बहू खड़ी थी. मुझे देखते ही उसने 1 उंगली अपने दात तले दबा ली और हल्केसे मुस्कुराइ और बोली " आपने तो सासू मा की छुट्टी कर दी…" मैं और सेठानी दंग रह गये, मैं बोला "वो –वो…… " बहू बोली " ये वो छोड़िए, अब मैं सब जाके ससुर्जीको बोलने वाली हू …" और मुस्कुराने लगी. इधर मेरी और सेठानी की हालत पतली हो जा रही थी. बहू ने हमे बाथरूम के बाहर खड़े होके रगेहाथ पकड़ लिया था. मैं बोला "ग़लती हो गयी…." उधर सेठानी बोली "किसी को मत बताना बहू ….तुझे मेरी कसम" 
दोस्तो क्या बहू ने अपने ससुर को हमारे बारे मे बताया या फिर वो भी अपनी चुदाई करवाने के लिए हमे झूठी धमकी दे रही थी 
क्रमशः.........
 
नौकरी हो तो ऐसी --2
गतान्क से आगे...... 
बहू बोली "नही बताउन्गि….परंतु 1 शर्त पर…." मुझे पता था ये मुझसे चुदवाना चाहती है बहू बोली "तुम्हे मेरे सामने सासुमा को चोदना होगा….और वो भी आज अभी" ये सुनके हम लोग दंग रह गये. मुझे लगा ये चुदवाने की बात करेगी परंतु इसे तो देखने आनंद लेना था. सेठानी बोली "तू ये क्या बकवास कर रही है बहू…ये नही होगा" "तो ठीक है मैं चली ससुरजी के पास" मैं बोला "नही नही ….हम प्रयत्न करेंगे …परंतु अभी नही रात को…" बहू बोली "तो ठीक है आज तुम रात को मेरे सामने मेरी प्यारी चुड़दकड़ सासू मा को चोदोगे" सेठानी कैसे तैसे राज़ी हो गयी. और सेठानी के बहू ने मेरे गाल का अचानक से चुम्मा ले लिया. 

4 बजे हम लोग कॉमपार्टमेंट मे पहुचे. तो सेठ जी पहले से सो रहा था. 7 बजे के लगभग टाइम हमने कॉमपार्टमेंट मे डिसाइड कर लिया कि रात को 2-3 नींद की गोली पानी मे मिलाके के सेठ को सुला दिया जाएगा और बाद मे हमारा प्रोग्राम होगा. लगभग 8 बजे खाना आनेवाला था. उतने मे सेठ जी उठ बैठे और बोले "अरे मेरी कब आँख लगी पता ही नही चला…बड़ा अच्छा मौसम है आज ….बहुत आनंद आ रहा है सफ़र का …मेरी नींद भी बहुत अच्छी हुई है …अभी मुझे रात को जल्दी नींद नही आएगी" और फिर सो गया ये सेठ कब सोता कब जागता कुछ समझ नही आ रहा था. 

मैं मन ही मन मे बोला "दिन तुम्हारे लिए नही मेरे लिए मस्त है..और ये सब आप की देन है..और नींद आपको तो हम चाहे तब आएगी आप आगे देखो होता है क्या.." इतने मे बच्चा रोने लगा तो सेठ की बहू ने उसे गोद मे लिया और उसे दूध पिलाने के लिए अपने पीले कलर के तंग ब्लाउस के बटन खोलने लगी. उसकी चुचिया दूध से भरी होने के कारण स्तनो के घेराव आकार मे बहुत बड़े नज़र आ रहे थे. जैसे लग रहा था कि तरबूज रखे हो ब्लाउस मे. उसने बटन खोल के एक निपल बच्चे के मूह मे डाल दिया. और बच्चा शांति से दूध पीने लगा. सेठ जी की बहू ने जानते हुए भी कि ये लोग बैठे है…बात को अंजाना करते हुए घूँघट नही लिया और बच्चे को दुख पिलाने लगी. उसके वो गुलाबी कलर का निपल देख के मेरे शरीर मे ज्वालए उत्पन्न हो गयी. मेरा लंड 1 क्षण मे पूरा 10 इंच टाइट हो गया. ये बात सेठानी की आँखो ने भाप ली और बहुने भी ….और दोनो एक दूसरे के आँखोमे देखकर मुस्कुराने लगी. इधर मैं लज्जित होते जा रहा था. क्यू की मैं मेरी इच्छा को कंट्रोल नही कर पा रहा था और लंड के रूप मे उसके सबको दर्शन दिला रहा था. सेठानी और सेठानी की बहू पहले आँख मिलाने मे थोड़े हड़बड़ा रहे थे. पर कहते है ना चुड़क्कड़ औरतो की शर्म लज्जा 1 क्षण के लिए होती है….थोड़ी ही देर मे दोनो मेरी तरफ देखकर मेरी तंग पॅंट से दर्शन दे रहे मेरे लंड को घुरे जा रही थी …और मन ही मन मे आनंदित हो रही थी. उधर सेठ जी ऐसे सोया था जैसे स्वर्ग मे सोया हो. और इधर उसकी घरवालिया गुल खिला रही थी. इतने मे खाना आ गया फिर सेठ जी नींद से उठ गये. फिर हम लोग बीच टेबल की तरह रचना करके खाने के लिए बैठ गये. खाने का 1 नीवाला मेरे मूह मे जाने ही वाला था कि मैने मेरी पॅंट पे हाथ का स्पर्श महसूस किया. सेठानी की बहू ने बाया हाथ मेरे टांग पे रख दिया. इधर सेठानी ने भी अपनी हरकते शुरू कर दी और वो मेरे बाजू मे खिसक के मेरे दाए साइड चिपक गयी. 

सेठ जी को होश ही नही था कि क्या चल रहा है बेचारा बूढ़ा मटक मटक आवाज़ निकाल के खाना खाते जा रहा था. जैसे कि मेरा 1 हाथ खाली था सेठानी की बहू मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी जाँघ पे घिसने लगी और फिर अपनी चूत के पास ले जाकर मुझे चूत को दबाने का इशारा करने लगी. मैने चुपके से दोंनो को सेठ जी की तरफ इशारा किया …तो दोनो ही हस पड़ी ….सेठानी की बहू मेरे कानो मे बोली "बूढ़े को श्याम और रात मे बहुत कम दिखता है…तुम चिंता मत करो." और फिर मेरा हाथ चूत पे दबाने लगी. मैने बहू की सारी नीचे से उपर खीची और अंदर हाथ डाल दिया. ये हरकत देखकर सेठानी मुस्कुराइ और बोली "आराम से खाना खाना …बहुत भाग दौड़ है (होनेवाली है) आज तुम्हारी. " और दोनो भी हस्ने लगी. मैने बहू की चूत के अंदर 1 उंगली डाल दी.चूत बहुत ही ढीली और नाज़ुक लग रही थी. मैने दूसरी उंगली डाल दी. और अंदर बाहर करने लगा तो बहू अपना नीचे का होंठ दाँत तले दबाने लगी और लंबी सासे लेने लगी. इतने मे सेठानी बोली "ज़रा हमे भी उस सब्जी का मज़ा चखाओ..दिखाओ इधर कैसी है टेस्ट मे " उस रंडी का मतलब बहू के चूत से निकल रहे रस के ओर था. मैने कहा "हाँ क्यूँ नही क्यू नही" इतने मे सेठ जी खाना ख़ाके हाथ धोने के लिए बाथरूम की तरफ चल दिए और मैने अपनी उंगली सेठानी के मूह मे डाल दी उसने उसे चटाना शुरू किया. और मैने मोके फ़ायदा उठाते हुए फटक से बहू के ब्लाउस के बटन खोले और एक निपल मूह मे ले लिया..और चूसने लगा तो सेठानी बोला "सिर्फ़ चॅटो, चूसो नही …दूध तुम्हारे लिए नही बच्चे के लिए है." मैं सिर्फ़ मुस्कुराया और ज़ोर से निपल को चूसना शुरू कर दिया.
 
इतने मे सेठ जी के आने की भनक लग गयी और हम लोग बाजू हो गये. सेठानी की बहू ने ब्लाउस के बटन बंद कर दिए और सारी नीचे कर डी और मेरा हाथ अपनी टाँगो के बीच से निकालकर बाजू कर दिया. फिर बहू ने सेठानी के संदूक से नींद की दो-तीन गोली निकाली और नींबू पानी मे मिक्स कर दी. और पानी का ग्लास सेठ जी के हाथ मे देते हुए बोली "बाबूजी आप इसे जल्दी से पी लीजिएगा …नींबू पानी से सेहत अच्छी रहती है" कितना भोलापन था उसके बातो मे. सेठ जी ने अपनी प्यारी-भोली बहू का हुक्म सुनकर ग्लास पेट मे पूरा खाली कर दिया और दस मिनिट मे जगह पे लूड़क गये. अब बहू हम दोनो की तरफ देखने लगी. 

उसकी नज़र की गर्मी की हवा मेरे और सेठानी के अंग से बहने लगी. बहू का मन वासना से भर गया था और वो उसकी नज़र मे भी साफ दिखाई दे रहा था. वो बोली "चलो शुरू हो जाओ, नहितो …." उसके कहते ही मैने सेठानी की गांद पे हाथ रख दिया और 1 थप्प्पड़ मारके उसे ज़ोर से दबाया. सेठानी बेचारी कहकहा उठी. उसे मैने दो बर्त के बीच मे खड़ा किया. एसी कॉमपार्टमेंट होने के कारण जगह बहुत थी. सेठ जी को हमने उठाके सामने वाले बर्त पे लिटा दिया और उसके उपर दो चार चादरे चढ़ा दी जो कि उसको कुछ सुनाई दिखाई ना दे. 

मैने सेठानी का मूह खिड़की की तरफ किया और बोला "अब पूरी रात तुम्हे ऐसे कुत्ते की तरह ही खड़ा रहना होगा …ज़रा भी हिलने की कोशिश की तो लेने के देने पड़ जाएँगे" सेठानी का मूह खिड़की की तरफ करके मैने उसे कुत्ते की तरह खड़ा किया. और गांद के पीछे से जाके मैं भी उसी पोज़िशन मे उससे चिपक गया. बहू ये सब देख के मज़ा ले रही थी. और निचले होंठ को दात से दबाते हुए अपनी सारी के बीचमे से चूत मे हाथ डाल रही थी. मौसम बहुत रंगीला था. और मेरे उपर अभी भूत सवार था. मैने सेठानी की सारी खोलनी शुरू की और फिरसे सेठानी का सौन्दर्य मेरी नज़रो से मैं देखने लगा . अब मैने सेठानी का पार्कर भी खोल दिया. सेठानी अभी सिर्फ़ निकर और ब्लाउस मे खड़ी थी. और बहू के सामने होने कारण थोड़ी शरम महसूस कर रही थी. 

मैने निकर भी निकाल दिया और ब्लाउस भी, उसके कांख के बाल बहुत ही सुंदर थे, मैने उसे थोड़ा थोड़ा खींचना शुरू किया, उसके बाद मेरी नज़र गयी मदमस्त नाज़ुक चूत पे, जिसे देख के मेरे अंदर का जानवर जाग गया, चूत का रंग दोपेहर की ठुकाई के कारण अभी भी लाल था और उसमे से मेरे वीर्य की कुछ बूंदे भी टपक रही थी. अब मैने मेरा 10 इंच का पहाड़ बाहर निकाला. जिसे देखते ही बहू बोली "होये रामा …….आपके रामजी तो बहुत ही बड़े और लंबे मालूम पड़ते है अगर ये पूरे सासू मा के अंदर प्रयाण कर गये तो सासू मा की चूत का तो समुंदर बन जाएगा…" और हस्ने लगी. और बोली "अभी देर ना करो जल्दी से इसे सासू मा के अंदर डालो…मुझे देखना है कैसे सासू मा इसे अपने चूत के अंदर समाती है…आख़िर पुरानी खिलाड़ी है" मैने सेठानी का ब्लू कलर का ब्लाउस खोल दिया और उनकी चुचिया चूसने लगा. वो एकदम गरम हो गयी थी बोल रही थी "जल्दी से तुम्हारे लंड के सूपदे को मेरे चूत मे डालो …मैं और सह नही सकती" 

मैने अपने लंड पे थुका और बहू की तरफ इशारा किया. उसे तो इशारे की ही देर थी वो मेरे पास आके मेरे लंड को मूह मे लेने लगी और चूसना शुरू कर दिया मेरे लॅंड से निकल रहे पानी को वो चाट लेती थी. उसने मूह मे बहुत सारी थूक जमा कर ली और मुझे बोली "सासू मा की चूत खोलो. मुझे ये सब उसमे डालना है" मैने दो उंगलिया डालके सेठानी की चूत के लिप्स को अलग किया और बहूने उसमे सब जमा किया हुआ थूक दिया और अपनी जीभ से चुतताड को चाटने लगी. थोड़ी दे मे मैने बहू की पीले कलर की सारी और ब्लाउस उतार दिए. वो अप्सरा समान लग रही थी. उसकी फिगर कोई साउत इंडियन हेरोयिन से कम नही थी. मैं तो बोलता हू जब भी कोई मर्द इससे देखता होगा. एक बार तो इसके नाम पे हिलाता ज़रूर होगा. 

अब मैने अपना लंड चूत पे रख दिया. बहू की लार चूत से टपक रही थी. चूत बहुत ही गीली और लाल हो गयी और सेठानी उधर चिल्ला रही थी "जल्दी करो मुझसे रहा नही जा रहा है " मैं बोला "मेरी रानी दो मिनिट शांति रख फिर देख …" अब मैने धीरे धीरे चूत के अंदर लंड डालना शुरू किया और मूह मे बहू की चुचिया ले ली. और एक ऐसा ज़ोर का झटका लगाया कि सेठानी ज़ोर्से चिल्लाई, मैने उसका मूह दबा दिया, एक झटके मे आधे से उपर लंड अंदर जाने के कारण सेठानी से रहा नही जा रहा था वो दर्द से बिलख रही थी और मुझे पीछे धकेलने की कोशिश करने लगी थी. इधर बहू सामने से गयी और सासू की गांद पे थप्पड़ मारते हुए मत "चिल्ला मत कुतिया नही तो ये हाथ तेरी गांद मे डाल दूँगी…." बहू तो एकदम एक्सपर्ट मालूम होती थी गाव जाके मैं सबसे पहले मैं इसका इतिहास जानने वाला था.
 
बहू ने सासू मा के मूह पे हाथ रख दिया. और मैने फिरसे पोज़िशन लेके ज़ोर का धक्का मार दिया . सेठानी जगह पे ही कापने लगी उसके हाथ पैर हिलने लगे. बहुत ही कच्ची खिलाड़ी थी वो, ऐसा लग रहा ये नीचे बैठ जाएगी या गिर जाएगी, परंतु बहू ने उसकी कमर को पकड़े रखा. अब कि जब मेरा पूरा लंड अंदर था मैने ज़ोर्से झटके मारने शुरू कर दिए. और सासू मा की हालत पतली हो गयी.उसके मूह के उपर कपड़ा रखने के कारण उसके मूह से ज़यादा आवाज़ नही निकल रही थी परंतु मूह से "एयेए…सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स…स्साआअ.सस्सस्स ऊऊओ…." की आवाज़े आ रही थी. अब मैने अपनी गति और तेज कर दी. और ज़ोर से झटके मारने लगा, चूत टाइट होने के कारण मुझे सातवे आसमान पे होने का एहसास हो रहा था और हर 1 धक्का मुझे स्वर्ग का एहसास दिला रहा था. थोड़ी ही देर मे मैने मेरा वीर्य परीक्षण सेठानी की चूत को करा दिया. 

मैने लंड बाहर निकाला और बहू का सर पकड़ के खिचा और ज़बरदस्ती अपना वीर्य से भरा हुवा लंड उसके मूह मे डाल दिया. एक दो झटके मे मैने आधे से उपर लंड बहू के मूह मे घुसेड दिया…और उसकी आँखो से आसू निकल आए. मैने लंड बाहर निकाला तो वो बोली "सच मे जानवर हो तुम….इतना बड़ा लंड मेरे मूह मे डाला …मेरा मूह फॅट जाता…." उसकी चुचिया पकड़ते हुए मैने उसे उठाया और बोला "थोड़ी देर पहले जब तेरी सासू मा की चूत मे लंड डाल रहा था तब तुझे कुछ दर्द का नही सूझा और जब अपने पे आ पड़ी तो गाली दे रही रंडी…" उसकी चुचियो को कस्के पकड़ने के कारण वो तड़प रही थी. अब मैने उसका एक निपल मूह मे लिया और उसे ज़ोर्से चूसने लगा. थोड़ी ही देर मे मैने उसमे से दूध चूसना शुरू कर दिया. और सेठानी की बहू मुझे दूर धकेलने की कोशिश करने लगी. 

परंतु मैं थोड़े ही माननेवालो मे से था. मैने उसकी टाँगो को अपने टाँगो के बीच जाकड़ लिया. और ज़ोर से उसके निपल चूसने लगा. अब मैने दूसरा निपल मूह मे लिया. और उसमे से दूध चूसने लगा. बहू तड़प तो रही थी परंतु अभी उसका प्रतिकार कम हो गया था. और वो थोडिसी शांत हो गयी थी. इधर सेठानी बोली "और चूसो …और चूसो …सब दूध निकाल लो इस गाय का…..रंडी साली मुझे चुदवाते वक़्त बहुत खुश हो रही थी अब भुगत …." 

अब मुझे बहू को चोदने की मजबूत इच्छा होने लगी. मैने उसका निपल कामूह बाजू किया. और पीछे से जाके उसके गांद से चिपक गया और सारी खीच के उसे नंगा करने लगा. वो थोड़ा प्रतिकार करने लगी परंतु उसकी भी चुदाई बहुत दिनोसे ना होने के कारण उसके प्रतिकार मे दम नही था. मैने सारी खिच ली और निकर भी, अब सिर्फ़ पीला ब्लाउस बाकी था. मैने उसकी गांद के पहाड़ के बीच अपना लंड घुसा दिया. और आगे पीछे करने लगा. उसकी चुचिया भी दबाने लगा. जो की मेरे चूसने से एकदम सख़्त और लाल हो गयी और सहेम गयी थी. 

मैने अभी अपना लंड उसके पहाड़ो मे ज़ोर्से आगे पीछे करना शुरू किया. और उसके ब्लाउस खोल के ब्रा का हुक खोल दिया. उसके अंग से एक अलग ही खुशबू आ रही थी. मैं उसकी पीठ से चिपक गया. और 2 मिनिट तक उसी पोज़िशन मे खड़ा रहा. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे मैं किसी अप्सरा के साथ प्रण कर रहा था. उसके कांख मे हल्के हल्के काले रंग के बाल थे मैने उसके हाथ उपर उठाए और उन बालो को सहलाने और चूमने लगा. इस वजह से बहू बहुत ही गरम हो गयी. मैने वाहा पे चुम्मा लेना शुरू कर दिया और अपना सर उसके कांख के बालो मे डाल के हिलाने लगा. वो बहुत ही उत्तेजित होती जा रही थी. और बोल रही थी "मुझे और ना तड़पओ मेरी भूक शांत करो …दया करो" इतने मे सेठानी बोली "इस रंडी को ऐसा चोदना की जनम जनम इसे याद रहे कि इसकी चूत का भी समुंदर तुमने किया था." सेठानी ने बहू के कहे गये वाक्य का बदला ले लिया था. कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्तो 
क्रमशः......... 
 
नौकरी हो तो ऐसी--3 गतान्क से आगे...... 
मैने अब बहू की चूत को नज़दीक से देखना शुरू किया और उसपे ज़ोर से थुका. डेलिवरी के कारण चूत के बाल थोड़े थोड़े ही उगे थे पूरे घने नही थे इसलिए चूत के बालो मे उसकी गुलाबी रंग की चिड़िया सुंदर लग रही थी. मैने अब बहू को एक बर्त पे बिठा दिया और सेठानी को बहू की चुचिया चूसने के लिए कह दिया. वो चुचिया चूसने लगी. और इधर बहू की तड़प और बढ़ गयी. रात के 12 बज चुके थे परंतु यहा समय की फ़िक्र थी किसे. मैने नीचे बैठकर बहू की टाँगो के बीच अपना मूह घुसेड दिया. और बहू के गुलाबी रंग के दाने को हल्के से चबा दिया. वो तिलमिला उठी. मैने अपनी जीभ को सीधे करते हुए सीधे चूत के होल मे डाल दिया और मेरी जीभ होल के अंदर जाते ही बहू तड़पने लगी और मैने ज़ोर्से जीभ को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. 

बहू ज़ोर्से चिल्लाई "मा के लव्दे ….मेरी भूक तेरी जीभ से नही लंड से जाएगी …तेरी जीभ को निकाल और लंड को अंदर डाल" मैं बोला "हा रानी….क्यू नही ज़रूर …. परंतु बाद मे बाहर निकालने के लिए नही कहना नहितो तेरी गांद फाड़ के रख दूँगा इसी लंड से ….." अब मुझसे रहा नही जा रहा था. मैने अपने लंड पे थुका और सेठानी के मूह मे देते हुए कहा "माजी आपकी बहू की चुदाई होनेवाली है…… इस हथियार को ज़रा अच्छे तैय्यार कीजिए …." और वो थोड़ी मुस्कुराइ. 

अब मैने सेठानी के मूह से लंड निकाला और बहू की गुलाबी चूत पर रख दिया मेरा गदाड़ रंग का लंड और उसकी गुलाबी की रंग की चूत. वाह क्या मिलाप था!!!!!! सेठानी ने लंड के सूपदे को थूक लगाई और बहू के चूत के छोटेसे नन्हे से होल के उपर सूपड़ा रख दिया. और मैने हर बार की तरह पूरे बल के साथ एक ज़ोर का झटका मारा. और बहू चीख उठी."आअए..ईयीई.उउईईईई माआ…..आआऐईईईईई उउउउईइ" उसकी मूह से चीत्कार निकली और अब सेठानी की बारी थी उसने वोही कपड़ा उठाया और बहू के मूह मे घुसेड दिया और हस्ने लगी. अब मैने अपनी गति को बढ़ाया. इधर बहू के मूह से आवाज़ आ रही थी. मुझे लगा था कि डेलिवरी के कारण बहू की चूत बहुत ही ढीली पड़ गयी होगी, परंतु 4 महिने के अंतर मे उसकी चूत फिर पहले के जैसे टाइट बन गयी. मेरा हर धक्का मुझे असीम आनंद दे रहा था. और मैं बहू की चूत का हर 1 पल अपने जहेन मे रखने की कोशिश कर रहा था. वाह क्या दिन निकल पड़े थे मेरे. 

2-2 चूत, एक लाल और एक गुलाबी और वो भी इतनी हसीन की पूछो मत, लंड डालो उनमे तो बस 1 ही चीज़ याद आती है….स्वर्ग कैसा होता होगा…….मैने अब रफ़्तार बढ़ाई और ज़ोर के झटको के कारण बहू सहेम सी गयी और उसका हिलना अचानक बंद हो गया. तो सेठानी ने उसके मूह पे बोतल से निकाल कर पानी मारा, वैसे वो फिरसे चिल्लाने लगी और मेरे लंड को निकालने की मिन्नते करनी लगी. मैं बोला "बस हो गया दो मिनिट बहू रानी " कहते हुए ऐसा झटका लगाया की बहू के होश ठिकाने पे आ गये. टाइट चूत की बजह से मेरा अभी वीर्यपत होनेवाला ही था कि इतने मे बहू भी झड़ी .और मैने अपने वीर्य की फुव्वारे उसकी चूत के अंदर छोड़ दिए ….असीम आनंद का क्षण थॉ वो मेरे लिए …..अब मैं बर्त पे बैठ गया और अपनी सांसो को नियंत्रणा मे लाने की कोशिश करने लगा …उधर सेठानी ने बहू की चूत से निकलने वाले वीर्य को चाटना शुरू कर दिया.
 
"मेरी चूत फाड़ के रख दी तुमने" 
मैं बोला "अभी कहा…अभी तो शुरूवात है..आगे आगे देखो होता है क्या…" 

सेठानी मेरे लंड को चट के सॉफ कर रही थी. और उसकी चुचिया लंड को आगे पीछे करते वक़्त हिल रही थी. मैने 1 चुचि को दबाना शुरू किया. और उसके गुलाबी काले निपल की हल्की सी चिमती ले ली. 
सेठानी बोली "बड़े शैतान हो तुम…." 
मैं बोला "हां वो तो मैं हू ही….परंतु शैतान तो आपने बनाया मुझे …हा कि नही…??" 

सेठानी कुछ नही बोली. और बहू हस्ने लगी. सेठानी के मूह मे मेरा लंड फिरसे फूलने लगा. और थोड़ी ही देर मे वो अपनी पूर्व स्थिति मे आ गया. मैने अब अपना लंड सेठानी मूह के अंदर ज़ोर से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. जैसे मेरी गति बढ़ रही थी. सेठानी के मूह से "गुगुगु गुग्गू……उूउउ" आवाज़े आना बढ़ गयी. इतने मे सेठ जी बर्त पे हीले. हम सब की सासे जगह पे ही रुक गयी. परंतु फिरसे बुड्ढ़ा वैसेके वैसेही सो गया. अब मैने फिरसे मूह मे धक्के मारना शुरू किया और लंड को अंदर तक घुसाने लगा. और सेठानी की आँखे लाल हो गयी. चेहरा पूरा लाल- लाल हुए जा रहा था. थोड़ी देर बाद मैने अपना लंड बाहर निकाला. अभी मेरा 10 इंच का हठोड़ा फिरसे गुर गुर करने लगा था. और उसके सूपदे से पानी निकल रहा था. बहू ने उसपे अपनी थूक डालके उसे मूह मे लिया और चूसने लगी. थोड़ी देर बाद मैने सेठानी को बर्त पे लिटा दिया और उसकी चूत चूसने लगा. इधर बहू मेरा लंड अपने मूह अंदर डाले जा रही थी. अब मैने अपनी लंबी जीभ सेठानी के छोटेसे लाल रंग के चूत के छोटेसे होल मे डालना शुरू किया. मैं 1 दिन मे ही चूत के अंदर जीभ डालने मे बहुत ही माहिर हो गया था. 

सेठानी उधर फिरसे गरम हो रही थी. मैने अभी उसके चूत पे थूक दिया. और वो थूक उसकी चूत के अंदर के होल मे घुसा दी. चूत अभी एकदम गीली और रसीली हो गयी थी परंतु 2 बार जबरदस्त ठुकाई के कारण चूत बहुत ही लाल लाल हो गयी थी. मैने अब सेठानी के चूत के दाने पे अपनी जीभ रख दी और उसे चूसने लगा सेठानी ज़ोर से तड़पने लगी और मेरा सिर पकड़ के अपने टाँगो के बीच मे दबाने लगी वैसे मैने और ज़ोर्से चूसना शुरू किया अब सेठानी बहुत ज़्यादा तड़पने लगी और कुछ देर बाद झाड़ गयी. 

उसकी चूत से निकल रहा वो निर्मल जल मैने अपने मुँह मे कर लिया वाह क्या मजेदार स्वाद था उसका. एकदम मस्त अब मैं बहुत ही गरम और मदमस्त हो गया था अभी मुझे चोदने की बहुत ही इच्छा हो रही थी. परंतु उससे पहले मुझे लगा क्यू ना थोड़ा सा जलपान करले, मैने बहू को अपने बाजू मे बैठने का इशारा किया. और उसकी एक चुचि पकड़ के उसका निपल अपने मूह मे डालके दुग्ध पान करने लगा. 
बहू बोली "ये क्या करते हो " 
मैं बोला "प्यार" 
बहू बोली "ये कैसा प्यार …..ये तुम्हारे लिए थोड़ी ही है" 
मैं बोला "मेरी प्यारी रानी यही मेरा प्यार है …..और जो तुम्हारा है वो अब सब हमारा है…." और उसकी दूसरे चुचि पे हाथ रख के सहलाने लगा. 

स्तानो से निकल रहे दूध का स्वाद तो एकदम ही बढ़िया था. मैं 1 निपल चूसे जा रहा था और दूसरी चुचि को सहला रहा था और नीचे सेठानी मेरे लंड कोअपने मूह मे लेके फिरसे अंदर बाहर कर रही थी. तभी मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आया. क्यू ना सेठानी की गांद मार दी जाए. मैं इस कल्पना से बहाल हो गया पर मुझे पता था सेठानी मुझे कभी अपनी गांद मारने नही देगी. तो इसलिए मैने अभी बहू को किस करते हुए उठाया. और उसके कानो को किस करना शुरू किया. और किस करते करते मैने अपनी इच्छा सेठानी की गांद मारने की बहू से बोल दी. बहू ने भी मुझे किस करने का बहाना करते हुए मेरे एक कान को अपने मूह मे लिया और चबाने लगी और चूसने लगी. और हल्केसे मेरे कान मे बोल दिया कि तुम सासू मा को उठाके बर्त पे नीचे मुंदी करके डाल दो आगे का मैं संभाल लूँगी. ये सुनते ही मेरे अंदर का जानवर जाग गया.
 
मैने हल्के से सेठानी के मूह से अपना लंड बाहर निकाला और जैसे सेठानी पीछे की तरफ देखने लगी मैने उसे उठाके बर्त पे उलटा पटक दिया और उसपे घोड़े जैसा सवार हो गया. उधर बहू ने सेठानी के मूह मे बड़ा सा कपड़ा डाल दिया. और सेठानी के कुछ समझने से पहले ही हाथ अपने हाथो मे दबा दिए और एक कपड़े से हल्केसे बाँध दिए. 

अब सेठानी ज़ोर्से हिलने लगी पर हमने उसे उस तरह बर्त पे दबाए रखा. अब बहू ने संदूक निकाला और उसमे से तेल की एक बोतल निकाली और अपनी सासू मा के गांद के होल के अंदर उंगली डाल के तेल डालने लगी. पहले छोटा सा दिखने वाला सेठानी की गांद का होल तेल के मालिश से मेरी थूक से एकदम आकर्षक और बढ़िया दिखने लगा, परंतु मेरे लंड के सामने पता नही वो टिक पाने वाला था की नही. 

मेरा लंड पहले से ही बहुत टाइट था अब बहू ने उसपे ठुका और उसपे भी बोतल से निकाल के तेल डाल दिया. तेल डालने से मेरा लंड बहुत चमकने लगा. अब मैने अपने लंड का सूपड़ा सेठानी की गांद के छोटेसे होल पे रख दिया. सेठानी अंदर डालने से पहले ही बहुत तड़प रही थी.. अब मैने लंड को अंदर घुसाना शुरू किया परंतु कुछ फ़ायदा नही हुआ, वो अंदर घुस ही नही पा रहा था. गांद टाइट होने के बजाह से वो थोड़ा ही अंदर जा रहा था और थोड़ाही अंदर जाते हुए ही सेठानी उउउ…अयू.एम्म…..उूउउ.आवाज़े निकाल देती थी. मुझे नही लग रहा था कि मेरा लंड इस गांद मे घुस पाएगा. अब बहू ने मेरा लंड अपने हाथ मे लेके उसपे बहुत सारी थूक डाली और उसे और चिकना बना दिया और सेठानी के गांद पे भी थूक डाल दी. और मुझे कान मे धीरे धीरे अंदर गांद के अंदर लंड डाल ने को बोला और कुछ भी हो जाए पीछे खिचने के लिए मना कर दिया. 

अब मैने अपना सूपड़ा सेठानी की गांद मे धीरे धीरे घुसाना शुरू किया. गांद बहुत ही टाइट थी. अब मैने ज़ोर लगाया और लंड का सूपड़ा गांद के अंदर चला गया. और सेठानी के पाव काँपने लगे सेठानी की आवाज़ो की तीव्रता और बढ़ गयी परंतु अब मैं पीछे हटनेवाला नही था अब मैने गति ली और ज़ोर से अपना लंड आगे पीछे करने लगा अभी तक पूरा लंड अंदर नही गया था और सेठानी के हाथ पैर काप रहे थे और मेरे लंड को उसकी गांद अंदर जकड़े जा रही थी किसी भी क्षण मेरा वीर्यपात हो जाए इतनी वो टाइट थी. अब मैने धीरे धीरे झटके मार के पूरा लंड अंदर डाल दिया. सेठानी के हाथ बँधे होते हुए भी वो मुझे दर्द के कारण पीछे धकेलने की कोशिश कर रही थी. 

मैने अब अपनी गति नॉर्मल कर दी और लंड को आगे पीछे करने लगा वैसे सेठानी की आवाज़े बढ़ गयी मैं बोला "सेठानी जी मेरी प्यारी सेठानी जी अब तो आपकी गांद की खैर नही" और ज़ोर्से कस्के धक्के मारने लगा. सेठानी की गांद मे आग लग चुकी थी. उसका मूह पूरा लाल हो गया बल्कि पूरा शरीर लाल हो गया था. पहली बार गांद चुदाई के कारण उनसे सहा नही जा रहा था. अब मैं अपनी चरम सीमा तक पहुच गया था सेठानी इस दरम्यान तीन बार झड़ी थी. मैने अभी गति और तेज़ कर दी. और ज़ोर्से मेरे मूह से आवाज़ निकल पड़ी मैने मेरा वीर्य सेठानी की गांद मे अंदर तक घुसेड दिया था. गांद के अंदर वीर्य के फुव्वारे की गर्मी के कारण अब शेतानी के चेहरे पे एक पूर्णतया और खुशी की झलक दिख रही थी. 

अब रात का 1 बज रहा था और हम सभी बहुत ही थक गये थे. हमने सेठ जी को दूसरे बर्त से उठाके पहले वाली जगह पर सुला दिया. बेचारा सेठ जी नींद की गोलिया के नशे के कारण कुछ समझने की हालत मे नही था और पूरी निद्रा मे सोया हुआ था. अब हम लोग भी अलग अलग बर्त पे सो गये. 

दूसरे दिन सबेरे जब आँख खुली, तब सूरज खिड़की से दिखाई दे रहा था. मैं उठ के अपने बर्त पे बैठ गया. चदडार जमा करके अपने संदूक मे डाल दिया. और मैं उठ के कॅबिन के बाहर चला आया. उधर से मुझे सेठानी आते हुई दिखी. वाह क्क्या चिकनी चिकनी लग रही थी वो, परंतु ये क्या…..सेठानी की चाल बदल चुकी थी….सेठानी तो बहुत हल्लू हल्लू चल रही थी. और ऐसा लग रहा था कि रात की ठुकाई से उन्हे अभी भी चलने मे दर्द हो रहा था. सच मे रात मे ज़रा ज़्यादा ही हो गयी सेठानी के साथ, वो जब मेरे बाजू आई तो थोडिसी मुस्कुराइ और मेरे गाल पे एक चुम्मा चिपका के कॅबिन के अंदर चली गयी. अभी भी ट्रेन का लगभग 26 घंटो का सफ़र बाकी था. 

मैने नीचे देखा तो मेरे लंड महाराज खड़े थे और आने जाने वालो को सलामी दे रहे थे अब मुझे सेठानी के हस्ने और चुम्मा देने का मतलब पता चला. मेरे लंड को अभी ठुकाई के लिए कोई चाहिए था. परंतु अभी तो ठुकाई का चान्स ना के बराबर दिख रहा था. तभी एक चाइवाला मेरे बाजूसे गुज़रा और मुझे देख के मुस्कुराया. तो मैने उससे बात करना शुरू कर दी. और उससे दोस्ती बना ली. उसका नाम राधे था. और मैने उसे मेरे ठुकाई के लिए कुछ इंतज़ाम करने के लिए कहा. तो वो बोला मैं लड़की तो लाके देता हू परंतु उसे ठुकाई के लिए मनाना और काम कहा करना है ये आपको देखना पड़ेगा. मैने उसको अपना प्लान बता दिया और उसको आधे घंटे के बाद लड़की को कौन से बाथरूम मे लेके आने का है, यह बोल दिया. 


मैं फटाफट कॅबिन के अंदर गया. कपड़े लेके बाथरूम के अंदर घुसके स्नान करके 10 मिनिट मे रेडी हो गया. और उतने मे बहू ने चाइ का कप लेक मेरे हाथ मे रख दिया और मेरे से चिपक कर बैठ गयी. सेठ जी ट्रेन के बाहर देखने मे व्यस्त था, और सेठानी बच्चे को अपनी गोदी मे लेके सुला रही थी. बहू ने इतनी देर मे अपनी हरकते शुरू कर दी और अपना घूँघट नीचे गिरा दिया. और अभी बहू की उन्नत छाती मुझे दिखने लगी. उसके ब्लाउस के गले से उसकी चुचिया बहुत ही आकर्षक और पुश्ता लग रही थी. ऐसे लग रहा था कि अभी हाथ डालके एक चुचि बाहर निकालु और उसमे से दूध चूसना शुरू कर डू. परंतु सेठ जी के सामने बैठे होने के कारण ऐसी हरकत मैं कर नही सकता था. 

मैने बहू की पीठ पीछे हाथ डालके उसकी सारी के अंदर अंदर हाथ डाल दिया, और गांद की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगा, उसकी त्वचा बहुत ही नाज़ुक थी और मुउलायम भी. अब मैं अंदर अंदर हाथ डाले जा रहा था और इधर सामने से बहू की भारी चुचियो को देख के गरम हो रहा था. सेठानी की नज़रो से ये बात कैसी बचती, उसने अपना पैर मेरे पैरो पे रख दिया और घिसने लगी. मैं पूरा गरम हो गया था. इतने मे मुझे चाइ वाले का राधे का ख़याल आया. कहानी अभी बाकी है दोस्तो
 
नौकरी हो तो ऐसी--4

गतान्क से आगे...... 
मैं फट से इन मदमस्त रंडियो के चंगुल से निकल के बाथरूम की तरफ चल दिया. और जैसे मैने प्लान किया था. राधे ने लड़की को बाथरूम के अंदर पहुचा दिया था. मैने राधे के हाथ मे कुछ पैसे थमा दिए और राधे चल पड़ा, मैने बाथरूम के अंदर प्रवेश किया. एक मदहोश करनेवाला चेहरा, सावला गोरा वदन, लगभग 5 फीट 7 इंच की उचाई, हरी भारी गोलाकार चुचिया, बड़ी भारी गोल घेराव वाली गांद और सबसे मस्त उसके भरे भरे गाल देख के मैं अपनी इस सीता को देखते ही रह गया. मुख से वो मासूम और अंजान मालूम पड़ रही थी. और जब मैने उसको ज़ोर्से कान पे किस करना शुरू कर दिया वैसे ही 

वो बोली "बाबबूजी ज़रा धीरे करना …मैं नयी नयी हू इस धंधे मे " 
मैने पूछा "अच्छा…..कितनो से चुदवा चुकी हो" 
वो बोली "नही अब तक चुदाई नही हुई है मेरी …." 
मैं बोला "वाह 100 रुपये मे नया कोरा माल …वाआह ….वाह" 
मैं मन ही मन मे बहुत खुस हो गया क्यू की मैने दोस्तो से सुना था, जब नये माल को चोदते है तो सबसे अधिक मज़ा आता है और पहली बार लड़की की चूत फटने के कारण उसकी चूत से लाल लाल रंग खून भी निकलता है. मैं इस विचार से बहाल हो गया. 
वो बोली "आप क्या सोच रहे हो" 
मैं बोला "मैं तुझे बहुत आराम से चोदुन्गा …तुझे बिल्कुल भी दर्द महसूस नही होने दूँगा अगर तू मुझे चोदने देगी तो मैं तुझे और 100 रुपये दे दूँगा…." 
ये बात सुनके वो थोडिसी खुश हो गयी. 
और बोली"तो ठीक है ….पर आप हमे वचन दीजिए गा कि आप हमे दर्द नही होने देंगे." मैने हा मे हा भर दी. 

अब मेरा लंड बहुत ही गरम हो गया था, और मेरी पॅंट से बाहर निकलने के लिए तरस रहा था .मैने उसे अपने सामने पकड़ा और अपने लंड को उसके दो टाँगो के बीच डाल दिया. और आगे पीछे करने लगा, वो अब गरम होने लगी थी, और मेरी छाती उसके छाती से घिसने के कारण गरम गरम और ज़ोर ज़ोर्से सासे लेने लगी थी. मैने अभी उसके ब्लाउस का हुक धीरे धीरे करके खोल दिया और ब्लाउस के खुलते ही उसके हॅश्ट पुष्ट चुचिया ब्लाउस से बाहर निकल के आई और मेरी छाती से भीड़ गयी, अब मैने एक चुचि के निपल को अपने मूह मे लिया, और चुसते हुए अपने लंड को उसकी टाँगो के बीच और ज़ोर्से हिलाने लगा, और वो मुझसे पूरी तरह चिपक गयी. 

उसकी चुचिया बहुत ही नरम और नाज़ुक आम की तरह थी. और मेरे कस्के चूसने से निपल्स सख़्त होने लगे थे. उसके गुलाबी कलर के निपल्स के दाने चूसने से गीले होने की वजह से बहुत ही रसभरे लग रहे थे. अब मैने उसकी स्कर्ट मे नीचे से हाथ डाल के उसे उसकी मासल जांगो तक उपर उठाया, और पीछेसे उसकी निकर्स मे हाथ डाल के उसकी नाज़ुक गांद को स्पर्श करने लगा, और वो अपना निचला होंठ दांतो तले दबाने लगी. मेरे लंड का अब हथोदा बन चुका था. मैने अपनी सीता को नीचे घुटनो पे बिठा दिया और मूह मे लॅंड घुसा दिया वाह क्या ठंडक पहुच रही थी मेरे लंड को. 
 
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