hotaks444
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फ्रेंड एक और कहानी पेशेखिदमत है लुफ्त उठाओ और मज़े लो अपना क्या हैं नेट से लिया है नेट पर ही दिया है
नौकरी हो तो ऐसी --1
यूनिवर्सिटी से पढ़ के अब मैं ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर चुक्का था. मैं बचपन से ही अनाथ था. मैं 1 छोटे से गाओं मे पला बढ़ा और बाद मे यूनिवर्सिटी से ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर लिया. इसमे मेरे मामाजी का बहुत ही बड़ा हाथ था. उन्ही के कृपा से मैं एक काबिल आदमी बन पाया था. पिछले दो चार महीनो से मामाजी मुझे अक्सर कहते थे कि मेरे एक मित्र घयपुर जिले से आनेवाले है अपनी बहू को लेने के लिए, जिसने तीन महीने पूर्व ही एक बच्चे को जन्म दिया था.
एक दिन सबेरे सबेरे मुझे उठाते हुए ममाजी बोले "तुम्हे घयपुर जाना होगा सेठ जी के साथ" जब मैने पूछा कि क्यू तो जवाब मिला "उनके यहा पे एक अच्छे और ईमानदार व्यक्ति की उन्हे ज़रूरत है तो मैने तुम्हारा नाम आगे कर दिया और वो तुम्हे अच्छी तनख़्वाह देने के लिए भी राज़ी हो गये है " तो मैने पूछा अब आगे क्या तो ममाजी बोले "तो तुम्हे उनके साथ जाना होगा, 2 दिन का ट्रेन का सफ़र है, ट्रेन कल दोपेहर 2 बजे निकलने वाली है सब तय्यारी कर लो"
मैं कोई गाव –वाव मे काम नही करना चाहता था परंतु मामा जी का हुक्म था तो मैने सब तय्यारी कर ली और दूसरे दिन ममाजी के साथ स्टेशन पे पहुँच गया.
स्टेशन पे पहुचते ही ममाजी ने मुझे सेठ जी से मिलवाया. सेठ जी मिड्ल एज्ड लग रहे थे परंतु उनकी चाल ढाल से पता चल रहा था कि बूढ़ा तो बहुत ही ठंडा है, एक बात बोलनेको 10 मिनट लेता है. फिर मामा जी घर के लिए चल दिए. उतने मे ही ट्रेन आ गयी. और कुली ने जल्दी से 2 औरतो के साथ हमारा समान ट्रेन मे चढ़ा दिया. जैसे कि सेठ जी बड़े आदमी थे और बहुत पैसेवाले थे उन्होने 6 लोगो का 1 पूरा एसी कॉमपार्टमेंट ही बुक करवाया था. क्यू कि उनकी बहू और बीवी भी उनके जानेवाली थी जो बहुको लेने आई थी.
जब मैं अंदर आके बैठा तो मुझे ऐसे लगा जैसे मैं कही जन्नत मे आ गया हू. सेठ के बीवी को देख के ऐसे लग रहा था कि कोई मदमस्त हसीना ट्रेन मे बैठी हो. उसका वो गोल मटोल चेहरा, पुश्त बाहें, बड़ी बड़ी चुचिया जो उनके ब्लाउस से सॉफ दिखाई दे रही थी, बड़ी –लचकीली कमर, और मोटे भारी गांद देख मे मैं दंग रह गया और मैं देखते ही रह गया जब सेठ जी ने बैठ जाओ कहा तब मैं होश मे आया. मैं शेठ जी की बीवी के पास बैठ गया, बैठते ही शेठ जी की बीवी कोमल बाहें मेरे हाथो से टकराई और मेरे शरीर मे करेंट उतर गया. मैं जीवन मे पहली बार ऐसा एहसास कर रहा था. मेरा लंड ऐसे खड़ा हो गया जैसे मानो कोई बम्बू हो. शेठ जी के बीवी मुझे देखकर हस रही थी. और मुझे चिपकने की कोशिश कर रही थी. मेरे सामने शेठ जी की बहू बैठी थी और बच्चे को सुला रही थी और शेठ जी बाहर देखते हुए हवा खा रहे थे. बहू की तरफ देखा तो मैं कतई दंग रह गया, वो अपनी सास से दस्पाट सुंदर थी और हसीन थी, क्या फिगर थी उसकी मानो भगवान ने उसकी एक एक चीज़ घंटो बर्बाद कर कर के बनाई हो. उसकी चुचिया ब्लाउस से बाहर आने के लिए मानो जैसे तरस रही हो. और डेलिवरी के कारण तो और हसीन और कम्सीन दिख रही थी. परंतु थोड़ी उदास उदास दिख रही थी. इधर शेठ जी की बीवी मुझसे चिपके जा रही थी और मेरे हाथ से हाथ घिसने का कोई मौका नही छोड़ रही थी. उतने मे बहू का पैर मेरे पैरो को लगा और मैं चमक उठा. मैने अपना पैर थोड़ा पीछे खिचा, परंतु थोड़ी देर मे वोही घटना हो गई मैं समझ गया कि शेठ जी की बहू नाराज़ नाराज़ क्यू है और ये क्या हो रहा है. इसने बड़े लंबे समय से चुदवाया नही इसी कारण ये गरम हो रही है और पाव पर पाव घिस रही है. थोड़ी देर मे बहू मेरी तरफ देखकर थोड़ा थोड़ा हसने लगी. मैं भी पाव आगे करने लगा थोड़ी हिचखिचाहट थी परंतु अभी हौसला बढ़ रहा था. मैने अपना पैर उसके पंजे से उपर चढ़ाना शुरू किया और मुझे वो नरम नरम चिकने चिकने पैर से प्यार हो गया और मैं पैर ज़ोर ज़ोर से घिसने लगा. उधर बाजू मे शेठ की बीवी ने मेरे दाए साइड के पैर पर हाथ रख दिया और उसपे अपनी सारी सरका दी, ताकि कोई देख ना पाए. मैं थोड़ा नर्वस होने के कारण उधर से उठा गया और बाथरूम की और चल दिया. जैसे ही मैं बाथरूम का दरवाजा बंद करनेवाला था, मैने देखा शेठ की बीवी नेमेरा हाथ पकड़ लिया और चुपके से अंदर घुस आई मैं कुछ समझ पाउ इसके पहले ही उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और अपने शरीर से मुझे जाकड़ लिया. अब तो बस मेरा लंड पूरा के पूरा खड़ा हो गया. उस स्पर्श से मेरा रोम रोम जल उठा रहा था. शेठ जी की बीवीकी चुचिया मेरे छाती से चिपक रही थी और मुझे स्वर्ग मे जाने का आभास हो रहा था. मैने ज़ोर से शेठ की बीवी के मूह मे मूह डाल और ज़ोर से किस करने लगा वो भी मुझे ज़ोर्से किस करने लगी. हम दोनो की जीभ एक दूसरे टकरा रही थी और मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था. शेठ जी की बीवी ने मेरे मूह से थूक चाटनी शुरू की और मेरी थूक अपनी मूह मे ले ली. और मेरे पॅंट की ज़िप खोलने लगी.
नौकरी हो तो ऐसी --1
यूनिवर्सिटी से पढ़ के अब मैं ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर चुक्का था. मैं बचपन से ही अनाथ था. मैं 1 छोटे से गाओं मे पला बढ़ा और बाद मे यूनिवर्सिटी से ग्रॅजुयेशन कंप्लीट कर लिया. इसमे मेरे मामाजी का बहुत ही बड़ा हाथ था. उन्ही के कृपा से मैं एक काबिल आदमी बन पाया था. पिछले दो चार महीनो से मामाजी मुझे अक्सर कहते थे कि मेरे एक मित्र घयपुर जिले से आनेवाले है अपनी बहू को लेने के लिए, जिसने तीन महीने पूर्व ही एक बच्चे को जन्म दिया था.
एक दिन सबेरे सबेरे मुझे उठाते हुए ममाजी बोले "तुम्हे घयपुर जाना होगा सेठ जी के साथ" जब मैने पूछा कि क्यू तो जवाब मिला "उनके यहा पे एक अच्छे और ईमानदार व्यक्ति की उन्हे ज़रूरत है तो मैने तुम्हारा नाम आगे कर दिया और वो तुम्हे अच्छी तनख़्वाह देने के लिए भी राज़ी हो गये है " तो मैने पूछा अब आगे क्या तो ममाजी बोले "तो तुम्हे उनके साथ जाना होगा, 2 दिन का ट्रेन का सफ़र है, ट्रेन कल दोपेहर 2 बजे निकलने वाली है सब तय्यारी कर लो"
मैं कोई गाव –वाव मे काम नही करना चाहता था परंतु मामा जी का हुक्म था तो मैने सब तय्यारी कर ली और दूसरे दिन ममाजी के साथ स्टेशन पे पहुँच गया.
स्टेशन पे पहुचते ही ममाजी ने मुझे सेठ जी से मिलवाया. सेठ जी मिड्ल एज्ड लग रहे थे परंतु उनकी चाल ढाल से पता चल रहा था कि बूढ़ा तो बहुत ही ठंडा है, एक बात बोलनेको 10 मिनट लेता है. फिर मामा जी घर के लिए चल दिए. उतने मे ही ट्रेन आ गयी. और कुली ने जल्दी से 2 औरतो के साथ हमारा समान ट्रेन मे चढ़ा दिया. जैसे कि सेठ जी बड़े आदमी थे और बहुत पैसेवाले थे उन्होने 6 लोगो का 1 पूरा एसी कॉमपार्टमेंट ही बुक करवाया था. क्यू कि उनकी बहू और बीवी भी उनके जानेवाली थी जो बहुको लेने आई थी.
जब मैं अंदर आके बैठा तो मुझे ऐसे लगा जैसे मैं कही जन्नत मे आ गया हू. सेठ के बीवी को देख के ऐसे लग रहा था कि कोई मदमस्त हसीना ट्रेन मे बैठी हो. उसका वो गोल मटोल चेहरा, पुश्त बाहें, बड़ी बड़ी चुचिया जो उनके ब्लाउस से सॉफ दिखाई दे रही थी, बड़ी –लचकीली कमर, और मोटे भारी गांद देख मे मैं दंग रह गया और मैं देखते ही रह गया जब सेठ जी ने बैठ जाओ कहा तब मैं होश मे आया. मैं शेठ जी की बीवी के पास बैठ गया, बैठते ही शेठ जी की बीवी कोमल बाहें मेरे हाथो से टकराई और मेरे शरीर मे करेंट उतर गया. मैं जीवन मे पहली बार ऐसा एहसास कर रहा था. मेरा लंड ऐसे खड़ा हो गया जैसे मानो कोई बम्बू हो. शेठ जी के बीवी मुझे देखकर हस रही थी. और मुझे चिपकने की कोशिश कर रही थी. मेरे सामने शेठ जी की बहू बैठी थी और बच्चे को सुला रही थी और शेठ जी बाहर देखते हुए हवा खा रहे थे. बहू की तरफ देखा तो मैं कतई दंग रह गया, वो अपनी सास से दस्पाट सुंदर थी और हसीन थी, क्या फिगर थी उसकी मानो भगवान ने उसकी एक एक चीज़ घंटो बर्बाद कर कर के बनाई हो. उसकी चुचिया ब्लाउस से बाहर आने के लिए मानो जैसे तरस रही हो. और डेलिवरी के कारण तो और हसीन और कम्सीन दिख रही थी. परंतु थोड़ी उदास उदास दिख रही थी. इधर शेठ जी की बीवी मुझसे चिपके जा रही थी और मेरे हाथ से हाथ घिसने का कोई मौका नही छोड़ रही थी. उतने मे बहू का पैर मेरे पैरो को लगा और मैं चमक उठा. मैने अपना पैर थोड़ा पीछे खिचा, परंतु थोड़ी देर मे वोही घटना हो गई मैं समझ गया कि शेठ जी की बहू नाराज़ नाराज़ क्यू है और ये क्या हो रहा है. इसने बड़े लंबे समय से चुदवाया नही इसी कारण ये गरम हो रही है और पाव पर पाव घिस रही है. थोड़ी देर मे बहू मेरी तरफ देखकर थोड़ा थोड़ा हसने लगी. मैं भी पाव आगे करने लगा थोड़ी हिचखिचाहट थी परंतु अभी हौसला बढ़ रहा था. मैने अपना पैर उसके पंजे से उपर चढ़ाना शुरू किया और मुझे वो नरम नरम चिकने चिकने पैर से प्यार हो गया और मैं पैर ज़ोर ज़ोर से घिसने लगा. उधर बाजू मे शेठ की बीवी ने मेरे दाए साइड के पैर पर हाथ रख दिया और उसपे अपनी सारी सरका दी, ताकि कोई देख ना पाए. मैं थोड़ा नर्वस होने के कारण उधर से उठा गया और बाथरूम की और चल दिया. जैसे ही मैं बाथरूम का दरवाजा बंद करनेवाला था, मैने देखा शेठ की बीवी नेमेरा हाथ पकड़ लिया और चुपके से अंदर घुस आई मैं कुछ समझ पाउ इसके पहले ही उसने मुझे चुप रहने का इशारा किया और अपने शरीर से मुझे जाकड़ लिया. अब तो बस मेरा लंड पूरा के पूरा खड़ा हो गया. उस स्पर्श से मेरा रोम रोम जल उठा रहा था. शेठ जी की बीवीकी चुचिया मेरे छाती से चिपक रही थी और मुझे स्वर्ग मे जाने का आभास हो रहा था. मैने ज़ोर से शेठ की बीवी के मूह मे मूह डाल और ज़ोर से किस करने लगा वो भी मुझे ज़ोर्से किस करने लगी. हम दोनो की जीभ एक दूसरे टकरा रही थी और मुझे बहुत ही आनंद आ रहा था. शेठ जी की बीवी ने मेरे मूह से थूक चाटनी शुरू की और मेरी थूक अपनी मूह मे ले ली. और मेरे पॅंट की ज़िप खोलने लगी.