hotaks444
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जय ने रश्मि के मुँह पर लौड़ा लगा दिया और हाथ से उसके बाल पकड़ कर लौड़ा उसके गालों पर घुमाने लगा।
रश्मि- उफ्फ.. भाई क्या कर रहे हो.. बाल क्यों पकड़े हो मेरे.. दु:खता है ना..
जय- अरे अभी कहाँ दु:खा है.. जब तेरी गाण्ड मारूँगा.. तब होगा असली दर्द तो.. मेरी जान ले चूस..
रश्मि- भाई आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे.. मुझे तो डर लग रहा है आपसे.. पता नहीं आज मेरी गाण्ड का क्या हाल करोगे..
जय- डर मत मेरी जान.. तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से खोलूँगा.. चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..
रश्मि- थैंक्स भाई.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालो.. कोई आयिल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो.. वो सामने देखो वहाँ से ले लो..
जय खड़ा हुआ और आयिल की बोतल ले आया.. तब तक रश्मि भी दोनों पैर फैला कर ज़बरदस्त घोड़ी बन गई थी.. उसको देख के जय खुश हो गया।
जय- वाह्ह.. मेरी जान क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद सारी खोल दूँगा..
इतना कहकर जय बिस्तर पर आ गया और रश्मि की गाण्ड को सहलाने लगा।
रश्मि- उफ्फ.. भाई आपका हाथ लगाते ही अजीब सा महसूस हो रहा है।
जय ने आयिल रश्मि की गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ आयिल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।
जय उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो रश्मि को थोड़ा दर्द हुआ.. मगर वो दाँत भींच कर चुप रही।
जय बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और रश्मि बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।
जय- मेरी रानी अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा पेल रहा हूँ.. थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. तू खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी.
सरश्मि- भाई प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी बहन हूँ.. ये बात भूलना मत..
जय ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।
जय- अरे जान.. डर मत.. जानता हूँ तू मेरी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।
जय ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।
उसने 3 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो जय ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर रश्मि की गाण्ड में होने लगी।
रश्मि- ऐइ.. आईईइ.. आह… भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना.. नहीं मेरी चीख निकल जाएगी और बाहर कोई सुन लेगा.. उई.. माँ आज नहीं बचूँगी..
जय- मेरी जान.. अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दास्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।
रश्मि- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..
जय हाथ से दबाव बनाता गया। एक इंच और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे जय बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर रश्मि की गाण्ड बहुत टाइट थी। उसकी तो जान निकाल रही थी.. वो बस धीरे-धीरे कराह रही थी।
कुछ देर तक जय धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा। उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।
रश्मि- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. भाई सच्ची गाण्ड में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उहह..
जय अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता। उसका लौड़ा एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो आयिल का कमाल था.. नहीं उसका लौड़ा छिल जाता। थोड़ी देर बाद जय ने लौड़ा पूरा बाहर निकाल लिया।
रश्मि- ऑउच.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?
जय- अरे नहीं मेरी जान.. जितना आयल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..
रश्मि- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।
जय- सबर कर मेरी जान.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..
इतना कहकर जय ने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया। उसके बाद रश्मि की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।
तेल की बोतल साइड में रख कर जय ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, रश्मि मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।
तभी जय ने जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ रश्मि बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ जय भी उसके ऊपर गिर गया।
पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो रश्मि के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
जय को भी ये अहसास हो गया कि रश्मि को कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है।
जय कुछ देर वैसे ही रश्मि के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ।
रश्मि- आ आह्ह.. भाई.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..
जय अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
रश्मि- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..
जय- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दो.. उसके बाद मज़े ही मज़े..
रश्मि- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..
जय अब स्पीड से रश्मि की गाण्ड मारने लगा। वो सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर-बाहर होने लगा।
अब रश्मि को दर्द भी कम महसूस हो रहा था। वो झटकों के साथ उत्तेजित होने लगी थी.. उसकी चूत टपकना शुरू हो गई थी.. वो जोश में आ गई।
रश्मि- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है आह्ह.. फास्ट ब्रो आह्ह.. फास्ट..
रश्मि को अब मज़ा आने लगा था। वो हाथों पर ज़ोर देकर फिर से घोड़ी बन गई थी और जय अब उसके कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था। कुछ देर बाद जय ने रश्मि की गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से उसको बड़ा सुकून मिला।
रश्मि की गाण्ड को भर कर ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर निकाला और जय बिस्तर पर लेट कर लंबी साँसें लेने लग गया।
रश्मि की गाण्ड से वीर्य टपक कर बाहर आने लगा.. वो भी जय के बराबर में लेट गई।
रश्मि- क्या भाई.. आज तो आपने हद ही कर दी.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. कितनी ज़ोर से लौड़ा घुसाया.. मेरी जान निकाल दी आपने।
जय- अरे यार वो ग़लती से हो गया था.. नहीं मैं तो प्यार से ही कर रहा था। वैसे तेरी गाण्ड बहुत टाइट है.. मज़ा आ गया आज तो..
रश्मि- आपको तो मज़ा आ गया.. मेरी तो हालत खराब हो गई ना.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे गाण्ड में लौड़ा घुसा हुआ है.. और दर्द भी बहुत हो रहा है। देखो बिस्तर पर ठीक से गाण्ड टिक भी नहीं रही.. इसी लिए करवट लेकर लेटी हुई हूँ।
जय- हा हा हा.. मेरी प्यारी रश्मि.. पहली बार में ऐसा होता है.. अब रोज मरवाओगी.. तो आदत पड़ जाएगी.. उसके बाद दर्द नहीं मज़ा मिलेगा।
रश्मि- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब जल्दी से उठो.. मेरी चूत में खुजली हो रही है.. इसमें डालो अब अपना मोटा लौड़ा..
जय- थोड़ा रेस्ट लेने दे मेरी जान.. वैसे भी दवाई ली हुई है.. अभी 5 मिनट में लौड़ा खड़ा हो जाएगा। उसके बाद ना कहना कि बस करो मैं थक गई हूँ.. तेरी चूत की प्यास मिटा कर दोबारा गाण्ड मारूँगा तेरी..
रश्मि- हाँ मार लेना.. मगर रस मेरी चूत में ही डालना.. बड़ा सुकून मिलता है.. जब चूत में गर्म रस अन्दर जाता है।
जय- अब तेरा सूसू नहीं आ रहा क्या.. गाण्ड मारने के वक्त तो बहुत चिल्ला रही थी तू?
रश्मि- उस वक्त आया था.. अब नहीं आ रहा है।
जय- जाओ कर लो.. नहीं लौड़ा अन्दर जाएगा तो दोबारा बोलोगी.. तब तक मैं थोड़ा रेस्ट कर लूँ।
रश्मि- हाँ सही कहा आपने.. चुदाई के वक्त फिर से आ गया तो हमारा मज़ा खराब हो जाएगा।
रश्मि जब उठी तो उसको गाण्ड में दर्द महसूस हुआ.. वो जब चलने लगी तो उसकी चाल बदल गई दर्द की वजह से.. वो कूल्हे उठा कर चल रही थी। रश्मि गाण्ड को मटकाती हुई सीधी बाथरूम की तरफ़ चली गई।
रश्मि- उफ्फ.. भाई क्या कर रहे हो.. बाल क्यों पकड़े हो मेरे.. दु:खता है ना..
जय- अरे अभी कहाँ दु:खा है.. जब तेरी गाण्ड मारूँगा.. तब होगा असली दर्द तो.. मेरी जान ले चूस..
रश्मि- भाई आपके इरादे ठीक नहीं लग रहे.. मुझे तो डर लग रहा है आपसे.. पता नहीं आज मेरी गाण्ड का क्या हाल करोगे..
जय- डर मत मेरी जान.. तेरी गाण्ड इतनी प्यारी है.. इसको तो बड़े प्यार से खोलूँगा.. चल अब देर मत कर बन जा मेरी घोड़ी.. ताकि मेरे लौड़े को भी सुकून आ जाए..
रश्मि- थैंक्स भाई.. प्लीज़ दर्द मत करना.. आराम से डालना और प्लीज़ ऐसे सूखा मत डालो.. कोई आयिल लगा लो.. ताकि दर्द कम हो.. वो सामने देखो वहाँ से ले लो..
जय खड़ा हुआ और आयिल की बोतल ले आया.. तब तक रश्मि भी दोनों पैर फैला कर ज़बरदस्त घोड़ी बन गई थी.. उसको देख के जय खुश हो गया।
जय- वाह्ह.. मेरी जान क्या पोज़ में आई हो.. पैर भी फैला दिए.. ताकि गाण्ड थोड़ी और खुल जाए.. तू डर मत.. अभी बस थोड़ी देर की बात है.. उसके बाद सारी खोल दूँगा..
इतना कहकर जय बिस्तर पर आ गया और रश्मि की गाण्ड को सहलाने लगा।
रश्मि- उफ्फ.. भाई आपका हाथ लगाते ही अजीब सा महसूस हो रहा है।
जय ने आयिल रश्मि की गाण्ड के छेद पर डाला और उंगली से उसके छेद में लगाने लगा। कुछ आयिल लौड़े की टोपी पर भी लगा लिया ताकि आराम से घुस जाए।
जय उंगली को गाण्ड के अन्दर घुसा कर तेल लगाने लगा.. तो रश्मि को थोड़ा दर्द हुआ.. मगर वो दाँत भींच कर चुप रही।
जय बड़े प्यार से उंगली थोड़ी अन्दर डालकर गाण्ड में तेल लगा रहा था और रश्मि बस आने वाले पल के बारे में सोच कर डर रही थी।
जय- मेरी रानी अब तेरी गाण्ड को चिकना बना दिया है.. अब बस लौड़ा पेल रहा हूँ.. थोड़ा सा दर्द बर्दाश्त कर लेना.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. तू खुद कहेगी कि रोज गाण्ड मरवाऊँगी.
सरश्मि- भाई प्लीज़ आराम से डालना.. मैं आपकी बहन हूँ.. ये बात भूलना मत..
जय ने लौड़े को गाण्ड पर टिकाया और प्यार से छेद पर लौड़ा रगड़ने लगा।
जय- अरे जान.. डर मत.. जानता हूँ तू मेरी बहन है.. तुझे दर्द होगा तो मुझे भी तकलीफ़ होगी.. तू बस देखती जा.. बड़े प्यार से करूँगा।
जय ने दोनों हाथों से गाण्ड को फैलाया और टोपे को छेद में फँसा कर हल्का सा झटका मारा.. तो लौड़ा फिसल कर ऊपर निकल गया।
उसने 3 बार कोशिश की.. मगर लौड़ा अन्दर नहीं गया.. तो जय ने एक हाथ से लौड़े को पकड़ा और छेद पर रख कर दबाव बनाया.. अबकी बार लौड़ा गाण्ड में घुस गया और एक दर्द की लहर रश्मि की गाण्ड में होने लगी।
रश्मि- ऐइ.. आईईइ.. आह… भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. आह्ह.. आराम से करना.. नहीं मेरी चीख निकल जाएगी और बाहर कोई सुन लेगा.. उई.. माँ आज नहीं बचूँगी..
जय- मेरी जान.. अभी तो टोपी घुसी है.. थोड़ा सा बर्दास्त कर ले.. बस उसके बाद दर्द नहीं होगा।
रश्मि- आह्ह.. कर तो रही हूँ.. आप बस झटके से मत देना.. धीरे-धीरे अन्दर डालो.. मैं दाँत भींच लेती हूँ.. आह्ह.. आह..
जय हाथ से दबाव बनाता गया। एक इंच और अन्दर गया और वो रुक गया.. फिर दबाया तो और अन्दर गया.. वैसे जय बड़े प्यार से लौड़ा अन्दर पेल रहा था.. मगर रश्मि की गाण्ड बहुत टाइट थी। उसकी तो जान निकाल रही थी.. वो बस धीरे-धीरे कराह रही थी।
कुछ देर तक जय धीरे-धीरे लौड़े को अन्दर करता रहा। उसका आधा लण्ड अब गाण्ड में जगह बना चुका था। अब वो आधे लण्ड को ही अन्दर-बाहर करने लगा।
रश्मि- आह्ह.. आइ.. आह्ह.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. चोदो आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. भाई सच्ची गाण्ड में मज़ा आ रहा है.. आह्ह.. उहह..
जय अब स्पीड से लौड़े को अन्दर-बाहर कर रहा था और हर धक्के के साथ लौड़ा थोड़ा और अन्दर घुसा देता। उसका लौड़ा एकदम टाइट जा रहा था.. ये तो आयिल का कमाल था.. नहीं उसका लौड़ा छिल जाता। थोड़ी देर बाद जय ने लौड़ा पूरा बाहर निकाल लिया।
रश्मि- ऑउच.. क्या हुआ भाई.. निकाल क्यों लिया.. थक गए क्या?
जय- अरे नहीं मेरी जान.. जितना आयल लगाया था.. वो तेरी गाण्ड पी गई.. अब थोड़ा और लगा के डालूँगा..
रश्मि- उफ्फ.. भाई जल्दी से पेल दो आप मेरी गाण्ड मार रहे हो और मेरी चूत में खुजली शुरू हो गई है।
जय- सबर कर मेरी जान.. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा मैं..
इतना कहकर जय ने पूरे लौड़े पर अच्छे से तेल लगाया। उसके बाद रश्मि की गाण्ड को हाथ से खोलकर उसमे तेल पेल दिया.. ताकि पूरा लौड़ा आराम से अन्दर चला जाए।
तेल की बोतल साइड में रख कर जय ने लौड़ा गाण्ड में घुसा दिया और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा, रश्मि मस्ती में गाण्ड पीछे धकेल कर चुदने लगी।
तभी जय ने जोश में ज़ोर का झटका मार दिया और पूरा लौड़ा जड़ तक गाण्ड में समा गया और इसी झटके के साथ रश्मि बिस्तर पर गिर गई, उसके साथ-साथ जय भी उसके ऊपर गिर गया।
पूरा लौड़ा जब गाण्ड में गया तो रश्मि के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गई.. मगर जल्दी ही उसने बिस्तर में मुँह छुपा कर अपनी चीख को दबा लिया.. उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।
जय को भी ये अहसास हो गया कि रश्मि को कितना दर्द हुआ होगा.. क्योंकि शुरू में तो वो प्यार से लौड़ा घुसा रहा था.. मगर अचानक ही पूरा लौड़ा एक साथ गाण्ड में चला गया तो दर्द होना लाजिमी है।
जय कुछ देर वैसे ही रश्मि के ऊपर लेटा रहा.. जब उसका दर्द कम हुआ।
रश्मि- आ आह्ह.. भाई.. मेरी जान निकाल दी आपने.. आह्ह.. अब उठो भी.. पूरा वजन मेरे ऊपर पेल रखा है..
जय अपने हाथों और घुटनों पर ज़ोर देकर थोड़ा ऊपर हुआ और धीरे-धीरे लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
रश्मि- आह्ह.. भाई.. बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ अब बस भी करो.. आह्ह.. निकाल लो ना.. आह्ह.. मैं मर जाऊँगी..
जय- अरे अब तो पूरा अन्दर घुस गया.. अब कैसा दर्द.. बस मुझे थोड़े झटके मार कर गाण्ड को खोलने दो.. उसके बाद मज़े ही मज़े..
रश्मि- आह्ह.. ठीक है.. आह्ह.. जो करना है आह्ह.. जल्दी करो.. मुझे ज़ोर की सूसू आई है.. आह्ह.. जल्दी करो..
जय अब स्पीड से रश्मि की गाण्ड मारने लगा। वो सिसकारियाँ लेती रही.. कुछ देर बाद लौड़ा ‘पक-पक’ की आवाज़ के साथ स्पीड से अन्दर-बाहर होने लगा।
अब रश्मि को दर्द भी कम महसूस हो रहा था। वो झटकों के साथ उत्तेजित होने लगी थी.. उसकी चूत टपकना शुरू हो गई थी.. वो जोश में आ गई।
रश्मि- आ आह्ह.. भाई.. अब दर्द कम है.. आह्ह.. अब ज़ोर से करो.. आह्ह.. जल्दी मेरी चूत की आ..आग भी आपको मिटानी है आह्ह.. फास्ट ब्रो आह्ह.. फास्ट..
रश्मि को अब मज़ा आने लगा था। वो हाथों पर ज़ोर देकर फिर से घोड़ी बन गई थी और जय अब उसके कूल्हे पकड़ कर ‘दे दनादन..’ लौड़ा पेल रहा था। कुछ देर बाद जय ने रश्मि की गाण्ड में पिचकारी मारनी शुरू की.. तो गर्म-गर्म वीर्य से उसको बड़ा सुकून मिला।
रश्मि की गाण्ड को भर कर ‘पक्क’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर निकाला और जय बिस्तर पर लेट कर लंबी साँसें लेने लग गया।
रश्मि की गाण्ड से वीर्य टपक कर बाहर आने लगा.. वो भी जय के बराबर में लेट गई।
रश्मि- क्या भाई.. आज तो आपने हद ही कर दी.. मेरी जान लेने का इरादा था क्या.. कितनी ज़ोर से लौड़ा घुसाया.. मेरी जान निकाल दी आपने।
जय- अरे यार वो ग़लती से हो गया था.. नहीं मैं तो प्यार से ही कर रहा था। वैसे तेरी गाण्ड बहुत टाइट है.. मज़ा आ गया आज तो..
रश्मि- आपको तो मज़ा आ गया.. मेरी तो हालत खराब हो गई ना.. अभी भी ऐसा लग रहा है जैसे गाण्ड में लौड़ा घुसा हुआ है.. और दर्द भी बहुत हो रहा है। देखो बिस्तर पर ठीक से गाण्ड टिक भी नहीं रही.. इसी लिए करवट लेकर लेटी हुई हूँ।
जय- हा हा हा.. मेरी प्यारी रश्मि.. पहली बार में ऐसा होता है.. अब रोज मरवाओगी.. तो आदत पड़ जाएगी.. उसके बाद दर्द नहीं मज़ा मिलेगा।
रश्मि- अच्छा अच्छा.. ठीक है.. अब जल्दी से उठो.. मेरी चूत में खुजली हो रही है.. इसमें डालो अब अपना मोटा लौड़ा..
जय- थोड़ा रेस्ट लेने दे मेरी जान.. वैसे भी दवाई ली हुई है.. अभी 5 मिनट में लौड़ा खड़ा हो जाएगा। उसके बाद ना कहना कि बस करो मैं थक गई हूँ.. तेरी चूत की प्यास मिटा कर दोबारा गाण्ड मारूँगा तेरी..
रश्मि- हाँ मार लेना.. मगर रस मेरी चूत में ही डालना.. बड़ा सुकून मिलता है.. जब चूत में गर्म रस अन्दर जाता है।
जय- अब तेरा सूसू नहीं आ रहा क्या.. गाण्ड मारने के वक्त तो बहुत चिल्ला रही थी तू?
रश्मि- उस वक्त आया था.. अब नहीं आ रहा है।
जय- जाओ कर लो.. नहीं लौड़ा अन्दर जाएगा तो दोबारा बोलोगी.. तब तक मैं थोड़ा रेस्ट कर लूँ।
रश्मि- हाँ सही कहा आपने.. चुदाई के वक्त फिर से आ गया तो हमारा मज़ा खराब हो जाएगा।
रश्मि जब उठी तो उसको गाण्ड में दर्द महसूस हुआ.. वो जब चलने लगी तो उसकी चाल बदल गई दर्द की वजह से.. वो कूल्हे उठा कर चल रही थी। रश्मि गाण्ड को मटकाती हुई सीधी बाथरूम की तरफ़ चली गई।